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एडवोकेट, सिंगर महेंद्र शर्मा को मिला बॉलीवुड के दिग्गज गायक से अवॉर्ड

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मुंबई। अधिवक्ता और गायक डॉ. महेंद्र शर्मा (दिल्ली) को दादासाहेब फाल्के फिल्म फाउंडेशन अवार्ड और केसीएफ की ओर से लीजेंड दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह दोनों पुरस्कार वितरण समारोह मुंबई में अयोजित हुये थे, जहाँ डॉ. महेंद्र शर्मा बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक उदित नारायण और सुदेश भोसले के हाथों से दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित हुए। इसके साथ ही उन्हें गायक उदित नारायण के हाथों ही दादासाहेब फाल्के फिल्म फाउंडेशन अवार्ड प्राप्त भी हुआ।
बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी की आवाज कहे जाने वाले गायक डॉ. महेंद्र शर्मा की गायकी को जनता ने बहुत प्यार दिया है। 4 मई 2025 को रहेजा क्लासिक क्लब अंधेरी, मुंबई में लीजेंड दादासाहेब फाल्के 2025 अवार्ड शो का भव्य आयोजन हुआ था, जिसमें फिल्म इंडस्ट्री के कई जाने माने कलाकारों की उपस्थिति देखी गई। इस अवसर पर गायक और अभिनेता राजू टांक, संगीतकार दिलीप सेन, अभिनेता अली खान, सानंद वर्मा और एसीपी संजय पाटिल के अलावा बॉलीवुड के कई नामचीन शख्सियत मौजूद थे।
डॉक्टर महेंद्र शर्मा ने बताया कि यह दोनों अवार्ड पाकर उन्हें बेहद प्रसन्नता मिली। लगातार दो बार उदित नारायण के हाथों अवॉर्ड पाकर जैसे उनका सपना ही साकार हो गया। जनता ने भी उनकी कला को सराहा और उन्हें प्रेरित किया। उन्होंने अपने परिवार और जनता का आभार व्यक्त किया।

सुपर मॉडल रश्मि झा सकारात्मक सोच के साथ बढ़ाती हैं अपना कदम

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सुपर मॉडल रश्मि झा ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मॉडलिंग की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वर्तमान समय में वह मोस्ट फेमस फेस और हाईएस्ट पेड मॉडल हैं। रश्मि झा ने ना केवल भारत अपितु विदेशों में भी फैशन और रैम्प वॉक में अपनी अलग छाप छोड़ी है। जिनमें मस्कट(ओमन), दुबई, न्यूयॉर्क और थाईलैंड आदि कई देश शामिल हैं। आज के टाइम में इंडियन गारमेन्ट में जितने भी मॉडल हैं उनमें रश्मि झा हाईएस्ट पेड मॉडल हैं। वह कई बड़े फैशन डिजाइनर और कोरियोग्राफर के साथ काम कर चुकी हैं और कई लगातार मॉडलिंग का काम कर रही हैं। फिल्म इंदु सरकार में अभिनेता नील नितिन मुकेश के अपोजिट इन्हें साइन किया गया। टीसीरिज के म्यूजिक वीडियो खुदकुशी और म्यूजिक वीडियो सांग ‘राजा को रानी से प्यार हो गया’ में इन्होंने अभिनय किया है। शॉर्ट फिल्म ‘सिसकी’ में भी इन्होंने अभिनय किया है। कई बड़े ब्रांड और फैशन ब्रांड के विज्ञापन भी किये हैं जिनमें खेतान, किंगफिशर, डेल कंप्यूटर, कॉटन कन्ट्री आदि प्रमुख हैं। प्रिंट और मैगजीन विज्ञापनों के लिए भी रश्मि ने मॉडलिंग और अभिनय किया है।

रश्मि कहती है कि आज भारत फैशन के वैश्विक मानचित्र पर जगह बना रहा है, और भारतीय प्रतिभाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विविधताओं और रचनात्मकता के साथ एक अनूठी मिसाल पेश कर रही है। आगे रश्मि बताती हैं कि चीन में हुए फ़ैशन शो में जब वह भारत का प्रतिनिधित्व कर रही थी तो उन्हें बेहद गर्व महसूस हुआ। रश्मि आगे बताती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह इतनी बड़े रूप में फैशन जगत का हिस्सा बनेगी मगर उनकी किस्मत ने उन्हें इस मंजिल पर पहुंचा दिया वैसे सफर अभी बाकी है। अपने मजेदार सफर पर चर्चा करते हुए रश्मि झा ने बताया कि जब वह बैंगलोर में अपने कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी तभी उनके पास मॉडलिंग के ऑफर आने शुरू हो गए और इन्होंने यह ऑफर मंजूर कर लिया। समय और अनुभव के साथ यह सफर रोमांचक होता गया। लेकिन इस सफर पर बने रहने के लिए अपनी सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास, कड़ी मेहनत, लगन, प्रतिबद्धता से आगे बढ़ती रही। खुद को फिट और आकर्षक बनाये रखने के लिए योगा, जिम, कठोर डाइट प्लान और संयमित जीवन श्रृंखला और धैर्य का पालन किया। मुम्बई, बैंगलोर, अहमदाबाद, हैदराबाद, चेन्नई जैसे बड़े नगरों में होने वाले फैशन वीक में भाग लिया। रश्मि आगे बिताती है कि उनके इस सफर की प्रेरणा स्त्रोत उनकी माँ हैं। उनकी माँ एक समाजसेवी और व्यवसायी महिला हैं। रश्मि कहती हैं कि आज समय में बड़ा बदलाव आ गया है। मॉडलिंग की दुनिया, देश में ही नहीं विदेशों में उच्चतम स्तर कायम कर रही हैं। मॉडलिंग की दुनिया में अधिक रचनात्मकता, कलात्मकता, अवसर, बड़ी संभावित आय, यात्रा के अवसर, अभिव्यक्ति की आजादी है।

इटावा में गौशाला के पास मिले 50+ गायों के कंकाल, ‘मृत्युगृह’ बनीं गौशालाएं

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इटावा में गौशाला के पास मिले 50+ गायों के कंकाल, ‘मृत्युगृह’ बनीं गौशालाएं समाचार के अनुसार गांव की एक गौशाला के बिलकुल पास, एक सुनसान और उपेक्षित पड़े क्षेत्र में 50 से अधिक गायों के कंकाल बिखरे हुए मिले हैं। यह भयावह दृश्य किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को विचलित करने के लिए पर्याप्त है और यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जिन गौशालाओं को बेसहारा और बीमार गायों के संरक्षण, देखभाल और सेवा का पवित्र केंद्र माना जाता है, वे कहीं-कहीं मौत के अड्डे बनती जा रही हैं।

झारखंड के रास्ते पश्चिम बंगाल में हो रही गौ तस्करी, विहिप ने की तस्करी और हत्या पर रोक लगाने की मांग

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जमशेदपुर: भारतीय गोवंश रक्षण, संवर्धन परिषद और विश्व हिंदू परिषद (गौ रक्षा विभाग) जमशेदपुर महानगर ने गोवंश की तस्करी और हत्या पर रोक लगाने की मांग की है। इस संबंध में जिला उपायुक्त तथा वरीय आरक्षी अधीक्षक को उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र विशेषकर धालभूमगढ़, चाकुलिया, बहरागोड़ा, बरसोल, डुमरिया, गुड़ाबांधा इत्यादि थाना क्षेत्र से होकर बड़े पैमाने पर  हत्या के उद्देश्य पश्चिम बंगाल को  हो रही गोवंश की तस्करी तथा जमशेदपुर की विभिन्न मुस्लिम बस्तियों में  विशेष कर कोवाली थाना अंतर्गत हल्दी पोखर, टेल्को थाना अंतर्गत बारीनगर, परसुडीह थाना अंतर्गत मखदमपुर, जुगसलाई, मानगो तथा आजाद नगर में बड़े पैमाने पर हो रही गोकशी के संबंध में महानगर गोरक्षा प्रमुख दीपक शर्मा के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा गया।
इस अवसर पर प्रांत अध्यक्ष सुजीत साहू ने जिला के सीमावर्ती क्षेत्र  में हो रही बड़े पैमाने पर गौ वंश तस्करी तथा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में गोकशी पर गंभीर चिंता प्रकट की। उन्होंने प्रशासन से तत्काल गंभीरतापूर्वक पशु तस्करों के खिलाफ ठोस कानूनी कार्रवाई करते हुए  बकरीद के पूर्व विभिन्न क्षेत्रों में कुर्बानी के लिए लाई गयी गोवंश को मुक्त करने की मांग की। इसके लिए उन्होने विशेष अभियान चलाने का आग्राह भी किया।
इस अवसर पर गौ रक्षा विभाग, विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश अध्यक्ष सुजीत साहू सहित प्रदेश सह मंत्री गब्बू लाल जायसवाल, धर्मप्रसार शंकर राव, विश्व हिंदू परिषद के विभाग मंत्री अरुण सिंह, महानगर अध्यक्ष अजय गुप्ता, उपाध्यक्ष गोपी राव, दीपक वर्मा, संतोष वर्मा, अधिवक्ता अनंत गोप, भारतेंदु शर्मा तथा पंकज गुप्ता, सह गोरक्षा  प्रमुख सुरेंद्र यादव, बागबेड़ा तथा सोनारी नगर के गो रक्षा प्रमुख क्रमशः संतोष शाह तथा बलराम धीभर, मनिष झा सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।

मिस इंडिया ग्लैडरैग्स सुपर मॉडल वैशाली भाऊरजार को मिला उदित नारायण के हाथों अवॉर्ड

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नेशनल लेवल ग्लैडरैग्स मेगामॉडल अचीवर और ब्यूटी आइकन वैशाली भाऊरज़ार लीजेंड दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड 2025 से सम्मानित हुई हैं। इस अवॉर्ड शो का आयोजन मुंबई स्थित क्लासिक क्लब में हुआ। प्रसिद्ध बॉलीवुड गायक पद्मश्री उदित नारायण के हाथों उन्हें यह सम्मान मिला। यह तीसरी दफा है जब उन्हें उदित नारायण के हाथों सम्मान प्राप्त हुआ है। इससे पहले भी वैशाली को पद्मश्री उदित नारायण के हाथों सुपर ह्यूमन एक्सीलेंस अवार्ड 2024 और मुम्बई ग्लोबल की ओर से अखण्ड भारत गौरव अवार्ड 2024 का अवार्ड मिल चुका है।
लीजेंड दादा साहेब फाल्के अवार्ड में सिंगर सुदेश भोसले, संगीतकार दिलीप सेन, अभिनेता अली खान, सानंद वर्मा और एसीपी संजय पाटिल के अलावा बॉलीवुड के कई नामचीन शख्सियत मौजूद थे। वैशाली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अवॉर्ड से सम्मानित हो चुकी है। कुछ समय पहले ही उन्हें नेहरू युवा केन्द्र मुम्बई द्वारा महाराष्ट्र मिनिस्ट्री ऑफ युथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स की ओर से राष्ट्रीय सम्मान चिन्ह प्राप्त हुआ था। वैशाली आज बड़ी ब्रांडो का पसंदीदा चेहरा बन गयी है। मेगामॉडल वैशाली भाऊरज़ार को पद्मश्री उदित नारायण की पत्नी दीपा नारायण के हाथों मिस इंडिया विनर का अवार्ड मिल चुका है। इस ब्यूटी पेजेंट शो की वह विनर रही।
वर्तमान समय में मेगा मॉडल वैशाली का परफॉर्मेंस उच्च दर्जे का है। वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां और ख्याति प्राप्त कर रही हैं। अपनी विशेष खूबियों और कौशल के कारण कई राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिताओं में जीत हासिल कर चुकी है। कुछ समय पहले एक एनजीओ के साथ मिलकर बॉलीवुड महाआरोग्य कैम्प के आयोजन में उनकी सहभागिता भी देखी गई, जहाँ बॉलीवुड तथा मीडिया के लोगों के लिए निःशुल्क चिकित्सीय सेवायें उपलब्ध कराई गई थी। उन्होंने कोविड के समय कोविड प्रोडक्ट्स की ब्रांडिंग के विज्ञापन भी किये हैं। जन जागरूक करने वाले विज्ञापन हैं जैसे डोंट ड्रिंक एंड ड्राइव के प्रति सतर्कता आदि। साथ ही बीएसएनएल और कई छोटे बड़े विज्ञापन भी उन्होंने किये हैं।
वैशाली ने एक छोटे से शहर से लेकर महानगर में अपनी छवि बनाने के लिए काफी मेहनत की है। वैसे उनकी मॉडल बनने की कहानी काफी दिलचस्प और प्रेरणादायक है। वैशाली प्रारंभ में एयर होस्टेस बनना चाहती थी और वह बनी भी। किंगफिशर एयरलाइंस के साथ उन्होंने एक्स कैबिन क्रू (एयरहोस्टेस) के रूप में काम भी किया। आज अपनी मेहनत और किस्मत के कारण नेशनल लेवल अचीवर है। वह अपनी कड़ी मेहनत और लगन से लगातार अपने कर्मपथ आगे बढ़ रही है और कई ब्रांड्स व युवाओं का पसंदीदा चेहरा बन रही है।

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने राम सावनी को ‘ द प्राइड ऑफ गुजरात ‘ का दिया सम्मान

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अहमदाबाद(विभूति फीचर्स)।गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने न्यूज़ 18 के गुजराती संस्करण द्वारा आयोजित समारोह में भारत के जाने माने सावनी हेरिटेज कंजर्वेशन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक डॉ. राम सावनी को ‘ द प्राइड ऑफ गुजरात ‘ का प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

उल्लेखनीय है कि डॉ. सावनी ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण और पुनर्जनन के क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अब तक 300 से अधिक ऐतिहासिक स्थलों का पुनर्जनन किया है ।जिनमें आईआईएम अहमदाबाद की विक्रम साराभाई लाइब्रेरी और मुंबई का रॉयल ओपेरा हाउस शामिल है।

डॉ. राम सावनी और उनकी कंपनी सावनी हेरिटेज कंजर्वेशन प्राइवेट लिमिटेड ने भारत की कई ऐतिहासिक इमारतों और स्थलों के संरक्षण और पुनर्जनन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी परियोजनाएँ भारत की सांस्कृतिक और वास्तुशिल्प विरासत को संरक्षित करने पर केंद्रित हैं। सावनी ने गुजरात और राजस्थान के कई प्राचीन जैन मंदिरों का भी संरक्षण किया है, जिनमें जटिल पत्थर की नक्काशी और प्राचीन वास्तुशिल्प तत्व शामिल हैं। खासकर पत्थरों की सफाई, संरचनात्मक मरम्मत, और पारंपरिक तकनीकों का उपयोग किया है।

‘ द प्राइड ऑफ गुजरात ‘ सम्मान मिलने पर राम सावनी ख़ुशी व्यक्त करते हुए कहते है कि – “मुझे अभी और काम करना है। भारत की धरोहर बहुत बड़ी है उसको आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना बहुत जरुरी है। यही हमारा इतिहास और भारतीय परम्पराओं की धरोहर है। मैं चयन समिति के सभी सदस्यों का आभारी हूँ जिन्होंने मुझे ‘ द प्राइड ऑफ गुजरात ‘ के लायक समझा। (विभूति फीचर्स)

बिना ट्यूशन के आकृति विश्वकर्मा ने SSC में हासिल किए 83% अंक

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मुंबई। (मलाड पूर्व) में शिवाजी नगर, कुरार विलेज स्थित बी. आर. शुक्ला चॉल की रहिवासी आकृति विश्वकर्मा ने इस वर्ष एसएससी (SSC) परीक्षा में 83 प्रतिशत अंक प्राप्त कर अपने माता-पिता और इलाके का नाम रोशन किया है। खास बात यह है कि आकृति ने बिना किसी ट्यूशन या क्लासेस के पूरी तरह स्वअध्ययन से यह सफलता हासिल की।
आकृति के पिता, अजय विश्वकर्मा मेडिकल क्षेत्र में कार्यरत हैं, वहीं उनकी माता, गीता विश्वकर्मा एक समाजसेवी हैं जो ‘द्वारिकामाई चैरिटी संस्था’ से जुड़कर सेवा कार्य करती हैं।
परीक्षा परिणाम आने के बाद से आकृति को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। अपनी सफलता का श्रेय आकृति ने अपने माता-पिता को दिया और कहा, “हमें खुद पर विश्वास होना चाहिए।”
आकृति अब आगे साइंस स्ट्रीम से PCM (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स) विषयों के साथ पढ़ाई कर मर्चेंट नेवी में करियर बनाने का सपना साकार करना चाहती हैं।

भारत की गौ-आधारित जीडीपी 170-180 देशों से अधिक है

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2019 के पशुधन जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 19.35 करोड़ गौवंश हैं, जो प्रतिवर्ष लगभग 240 मिलियन टन दूध का उत्पादन करते हैं, जिसका मूल्य लगभग 20,400 लाख करोड़ रुपये (लगभग 125 बिलियन डॉलर) है। इसके अलावा, गौवंश चमड़ा उद्योग के लिए कच्ची खाल प्रदान करते हैं, जिसका मूल्य लगभग 1 बिलियन डॉलर है।

और फिर एक और संसाधन है जिसे अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, लेकिन यह वास्तव में सबसे महत्वपूर्ण है: गोबर। कभी मजाक का विषय रहा यह विनम्र उप-उत्पाद हमारे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक बड़ा योगदान देता है। कृषि में, गोबर मिट्टी की उर्वरता और संरचना को समृद्ध करने वाला अनघट नायक है। यह प्रकृति का जैविक उर्वरक है—रासायनिक विकल्पों का एक स्वस्थ विकल्प।

गोबर केवल फसलों के लिए ही नहीं है; यह घरों को भी ऊर्जा प्रदान करता है। बायोगैस उत्पादन के माध्यम से, जिसे स्नेहपूर्वक और देशभक्तिपूर्ण ढंग से “गोबर गैस” कहा जाता है, गोबर मीथेन में बदल जाता है, जो खाना पकाने, हीटिंग, और यहाँ तक कि बिजली उत्पादन को शक्ति देता है। आर्थिक रूप से, गोबर कोई छोटी चीज नहीं है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में, इसका सकल मूल्य उत्पादन 6.8 प्रतिशत बढ़कर 34,825.75 करोड़ रुपये (लगभग 4 बिलियन डॉलर) हो गया। स्पष्ट रूप से, यह एक ऐसा गोबर ढेर है जो लाभांश दे रहा है।

तो, याद रखें कि गाय सिर्फ दूध का एटीएम नहीं है; यह हमारी अर्थव्यवस्था का एक आधारस्तंभ है, जो गहरे और, मान लें, थोड़े मजेदार तरीकों से योगदान देती है, बशर्ते हमारे संवाद में कुछ हास्य की अनुमति हो।

इस प्रकार, दूध, कच्ची खाल, और गोबर मिलकर आज लगभग 130 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का हिसाब रखते हैं।

हमारे गौवंश की वर्तमान उत्पादकता के स्तर पर, उनका आर्थिक योगदान 130 बिलियन डॉलर के साथ संभवतः लगभग 160 देशों से अधिक है। हाँ, आपने सही सुना (फिर से अनजाने शब्द-चयन के लिए क्षमा करें)! हाल के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 92 देशों का जीडीपी 100 बिलियन डॉलर से कम है, और अन्य 68 देशों का जीडीपी 100 बिलियन और 130 बिलियन डॉलर के बीच है। अकेले अफ्रीका में, 54 देशों का जीडीपी 100 बिलियन डॉलर से कम है। तो, अगली बार जब आप किसी गाय के पास से गुजरें, तो इस चार-पैर वाले वित्तीय विशेषज्ञ को सलाम करें जो पूरे देशों को टक्कर दे रही है!

बेशक, हम अपनी गौ-उपलब्धियों पर निष्क्रिय रूप से चारा चबाते हुए नहीं बैठे हैं। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ सरकार ने जुलाई 2020 में “गोधन न्याय योजना” शुरू की। इस पहल का उद्देश्य जैविक खेती को बढ़ावा देना और किसानों से 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदकर रोजगार उत्पन्न करना है। खरीदा गया गोबर फिर महिला स्वयं-सहायता समूहों द्वारा वर्मीकम्पोस्ट में बदला जाता है और किसानों को 8 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से जैविक खाद के रूप में बेचा जाता है, जिससे एक चक्रीय अर्थव्यवस्था बनती है जो सचमुच कचरे से धन बना रही है। इसी तरह, उत्तर प्रदेश ने गौ-संरक्षण को केंद्र में रखकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक योजना शुरू की है, जिसमें हाल के बजट में आवारा पशुओं की सुरक्षा के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

यदि आपको लगता है कि मैं गोबर के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बोल रहा हूँ, तो यह न भूलें कि कई राज्य सरकारें गोबर और गौ-मूत्र का उपयोग करके प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं, जो उनकी कृषि कुशलता का प्रमाण है। उन्हें गोबर के उपले बनाने में व्यस्त रखें, और वे बुनियादी स्वास्थ्य, शिक्षा, या खराब बुनियादी ढांचे जैसे सड़कों, भीड़भाड़ वाले मेट्रो और खराब सार्वजनिक परिवहन, अराजक ट्रैफिक, स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी, या ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कचरा- और सीवर-मुक्त गलियों की मांग नहीं करेंगे। गोबर के उपले बनाने में व्यस्त रहने से हमारी महिलाएं जीवन में अपनी अपेक्षाओं को कम रखेंगी, और देश की जनसांख्यिकीय “लाभांश” की अरबों की भीड़ सरकारों से रोजगार की मांग नहीं करेगी।

और यह सब नहीं है। कुछ क्षेत्रों में, गोबर को मिट्टी और भूसे के साथ मिलाकर पर्यावरण-अनुकूल निर्माण सामग्री बनाई जाती है, जिसे “गौ-ईंटें” कहा जा सकता है। ये सामग्रियाँ इन्सुलेशन और टिकाऊपन प्रदान करती हैं, जो साबित करता है कि निर्माण के मामले में गोबर नवाचार का आधार है।

तो, अगली बार जब आप किसी गाय से मिलें, तो याद रखें: वे  भारत की अर्थव्यवस्था में एक गतिशील योगदान दे रही हैं। बेशक, एक अधिक महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री इस विचार को और आगे बढ़ा सकता है, गोबर की शक्ति का पूरी तरह से उपयोग कर सकता है, और 2030 तक दूध और खाल उत्पादन के लिए 7 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि सुनिश्चित कर सकता है, और अगले पांच वर्षों में गोबर के उपयोग को 15% से बढ़ाकर 100% के करीब ले जा सकता है, और गौ-आधारित जीडीपी 200 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकती है, जिससे हमें यह दावा करने का अधिकार मिलेगा कि हमारी गौ-आधारित जीडीपी 170-180 देशों से अधिक है। वास्तव में आगे बढ़ते हुए !

संक्षेप में, जब आप लाखों या अरबों की संख्या, चाहे वह इंसानों की हो या गायों की, लाते हैं, तो मजेदार चीजें हो सकती हैं! भारत न केवल जापान, यूके, या जर्मनी के जीडीपी को पार करने का दावा कर सकता है, बल्कि उसकी गायें भी 160 देशों से अधिक जीडीपी का दावा कर सकती हैं।

गौ-आधारित अर्थव्यवस्था: आंकड़ों की रोशनी में

सबसे महत्वपूर्ण योगदान आता है गोबर से — एक ऐसा संसाधन जिसे लंबे समय तक उपेक्षित किया गया, लेकिन आज यह जैविक कृषि, उर्जा उत्पादन और पर्यावरणीय नवाचारों में क्रांति ला रहा है।

गोबर का आर्थिक मूल्य

गोबर का प्रयोग बायोगैस उत्पादन, वर्मी कम्पोस्ट, प्राकृतिक खाद, निर्माण सामग्री और ऊर्जा स्रोत के रूप में होता है। वित्तीय वर्ष 2019–20 में गोबर का सकल उत्पादन मूल्य ₹34,825.75 करोड़ (लगभग $4 बिलियन) आँका गया।

गौ-आधारित कुल आर्थिक मूल्य

दूध, चमड़ा, और गोबर — इन तीनों को मिलाकर भारत की गौ-आधारित अर्थव्यवस्था का आकार लगभग $130 बिलियन हो जाता है। यह आंकड़ा दुनिया के 160 से अधिक देशों के वार्षिक जीडीपी से अधिक है।

प्रेरणादायक पहल: राज्य सरकारों की योजनाएं

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई गोधन न्याय योजना के तहत, किसानों से ₹2/किलोग्राम की दर से गोबर खरीदा जाता है, जिसे महिला समूह वर्मी कम्पोस्ट में परिवर्तित कर ₹8/किलोग्राम में बेचा जाता है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने हेतु ₹2,000 करोड़ का बजट केवल गौ-संरक्षण हेतु आवंटित किया है।

कई अन्य राज्य भी गौमूत्र और गोबर आधारित प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा दे रहे हैं।

समाज और राजनीति में गौ आधारित सोच

गौ आधारित योजनाएं न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देती हैं, बल्कि यह स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के केंद्र में भी हैं। इससे महिलाओं को रोजगार, पर्यावरण को संरक्षण और किसानों को आत्मनिर्भरता की दिशा मिलती है।

गौ केवल धार्मिक श्रद्धा का विषय नहीं, बल्कि आर्थिक उन्नति और टिकाऊ विकास की कुंजी भी हैं। यदि केंद्र और राज्य सरकारें इस दिशा में सुनियोजित रणनीति के साथ आगे बढ़ें, तो गौ आधारित जीडीपी $200 बिलियन को भी पार कर सकती है।

गौमाता आज पूरे राष्ट्र की आर्थिक धारा को भी दिशा देती हैं। अगली बार जब आप किसी गाय को देखें, तो उसे केवल एक पशु नहीं, एक आर्थिक संपत्ति के रूप में भी देखें — जो 160 देशों की अर्थव्यवस्थाओं से अधिक योगदान दे रही है।

 

 

गौ अभयारण्य में केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना के तहत भ्रूण प्रत्यारोपण कार्यक्रम का शुभारंभ

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मुजफ्फरनगर। तुगलकपुर कमहेड़ा स्थित गौ अभयारण्य में रविवार को केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत भ्रूण प्रत्यारोपण कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ। यह आयोजन सुबह 11 बजे प्रारंभ हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान उपस्थित रहे।

इस अवसर पर डॉ. जनार्दन (ईटीटी विशेषज्ञ, एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज) और डॉ. ब्रह्मेंद्र रेड्डी (भ्रूण विशेषज्ञ) की निगरानी में साहीवाल नस्ल के भ्रूणों को 12 गायों में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया। साहीवाल नस्ल को उसकी अधिक दूध उत्पादन क्षमता और पोषक गुणवत्ता के लिए जाना जाता है।

मुख्य अतिथि डॉ. संजीव बालियान ने कहा कि यह योजना आधुनिक तकनीकों के माध्यम से देश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने का एक बड़ा प्रयास है। इससे गौवंश संरक्षण को भी बल मिलेगा और किसान उच्च नस्ल की गायों के माध्यम से अपनी आय दोगुनी कर सकेंगे। उन्होंने इसे केंद्र सरकार की दूरदर्शी पहल बताया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुश पुरी ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत करीब 500 भ्रूण गौ माताओं में प्रत्यारोपित किए जाने हैं। इससे न केवल गौशाला आत्मनिर्भर बनेगी, बल्कि क्षेत्र के पशुपालकों को सार्थक लाभ मिलेगा।

इस कार्यक्रम में भारत फाइनेंशियल इन्क्लूजन लिमिटेड और इंडसइंड बैंक के सीएसआर विभाग का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों में डॉ. राजन बिजयाल,वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. विजय, जोनल लीड डॉ. अमरजीत यादव, एस. करार (राज्य प्रमुख, भारत फाइनेंशियल इन्क्लूजन लिमिटेड),मोंटी सैनीपरविंदर आर्यकार्तिक (काऊ सेंचुरी प्रबंधन), अमित वसुंधराअनिल चौधरीअर्जुन सिंहडॉ. शुभम आर्य समेत बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता, पशुपालक और स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

UP में गौ तस्करों के साथ हुई मुठभेड़

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उत्तर प्रदेश के जौनपुर में गौ तस्करों के साथ हुई अलग-अलग मुठभेड़ों में एक हेड कांस्टेबल शहीद हो गए, जबकि तीन तस्कर घायल हो गए और इलाज के दौरान एक तस्कर की मौत हो गई। पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है और फरार तस्करों की तलाश जारी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिनांक 14/15 मई 2025 की रात को थाना जलालपुर के चौकी प्रभारी पराउगंज, प्रतिमा सिंह और अन्य पुलिसकर्मियों को पशु तस्करों ने जानबूझकर अपने पिकअप वाहन से टक्कर मार दी थी। इस घटना में प्रतिमा सिंह गंभीर रूप से घायल हो गईं और उनका इलाज वाराणसी के ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

पुलिस बल पर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश

इस घटना के बाद पूरे जनपद में गौ तस्करों के विरुद्ध सतर्कता बढ़ा दी गई थी और चेकिंग अभियान चलाया जा रहा था। इसी क्रम में, दिनांक 17 मई 2025 को चंदवक के प्रभारी निरीक्षक सत्य प्रकाश सिंह अपनी टीम के साथ खुज्झी मोड़ पर चेकिंग कर रहे थे। रात करीब 11:50 बजे आजमगढ़-वाराणसी रोड पर आजमगढ़ की तरफ से एक पिकअप में सवार गौ तस्कर वाराणसी की ओर जा रहे थे। पुलिस द्वारा रोकने का प्रयास करने पर तस्करों ने जान से मारने की नीयत से पुलिस बल पर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की। इस दौरान हेड कांस्टेबल दुर्गेश कुमार सिंह को टक्कर लग गई और तस्कर वाराणसी की तरफ भागने लगे।

घटना की सूचना मिलते ही पूरे पुलिस बल को सक्रिय कर दिया गया। एसओजी टीम और आसपास के थानों की पुलिस ने पिकअप संख्या UP 65 PT 9227 का पीछा करना शुरू कर दिया। गंभीर रूप से घायल हेड कांस्टेबल दुर्गेश कुमार सिंह को ट्रामा सेंटर वाराणसी ले जाया गया, जहां आज दिनांक 18 मई 2025 को सुबह 00:46 बजे डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

अज्ञात चालक और अन्य पर मुकदमा दर्ज

इस घटना के संबंध में स्थानीय थाने में पिकअप संख्या UP 65 PT 9227 के अज्ञात चालक और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा संख्या 135/2025 धारा 103 बीएनएस के तहत मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

पुलिस बल पिकअप और गौ तस्करों का पीछा करते हुए ग्राम ताला बेला, थाना चोलापुर, जनपद वाराणसी पहुंचा। वहां तस्कर पिकअप संख्या UP 65 PT 9227 को छोड़कर दो मोटरसाइकिल पर तीन-तीन लोग सवार होकर चंदवक की तरफ भागने लगे।

चंदवक थाना क्षेत्र के अंतर्गत पुलिस टीम पर एक मोटरसाइकिल पर बैठे गौ तस्करों ने जान से मारने की नीयत से फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस टीम द्वारा आत्मरक्षा में की गई जवाबी कार्रवाई में निम्नलिखित तस्कर घायल हो गए-

  • नरेंद्र यादव पुत्र हौसिला प्रसाद यादव, निवासी रमना चौबेपुर, वाराणसी (पैरों में गोली लगी)।
  • गोलू पुत्र संकठा यादव, निवासी टड़िया, थाना अलीनगर, चंदौली (पैरों में गोली लगी)।
  • सलमान पुत्र मुसाफिर, निवासी मुथरापुर कोटवा, थाना जलालपुर, जनपद जौनपुर (सीने में गोली लगी, इलाज के दौरान मौत)।

दूसरे मोटरसाइकिल पर सवार अभियुक्त

  • राहुल यादव पुत्र तहसीलदार यादव, निवासी तालाबेला, थाना चोलापुर, जनपद वाराणसी (फरार)।
  • राजू यादव पुत्र अज्ञात, निवासी अज्ञात (फरार)।
  • आजाद यादव पुत्र अज्ञात, निवासी अज्ञात (फरार)।

फरार अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं। घटना में प्रयुक्त पिकअप वाहन संख्या UP 65 PT 9227 को ग्राम ताला बेला, थाना चोलापुर, वाराणसी से बरामद कर लिया गया है।