Home Blog Page 199

भगवान की पूजा से घर की रौनक

0

आर. सूर्य कुमारी –

1998 के मार्च महीने में मेरी माताजी चल बसी थीं। उनको स्वस्थ करने के मेरे और मेरे भाई साहब के सारे प्रयास
विफल हो गए थे। ऐन मौके पर तो मैंने दृढ़ता से सब कुछ संभाल लिया, बाद में गंभीर डिप्रेशन से घिर गई। किसी तरह
भारी मन लिए भाई साहब को आफिस भेजती थी। मेरे समय का एक बहुत बड़ा हिस्सा माताजी को याद करने,
चुपचाप बैठे या लेटे रहने में बीतता था। इसी तरह दो साल बीत गए।

मेरी माताजी के चल बसने के बाद एक तो विषाद के कारण और दूसरा भगवान से नाराजगी के कारण मैंने माताजी के
सारे पूजा के सामानों को एक पेटी में बंद कर दिया। पूजा-पाठ बंद कर दिया। समय-समय पर जाला-वाला भी साफ
नहीं कर पाती थी। दो साल में घर की व्यवस्था बिल्कुल डगमगा गई थी। भाई साहब बीच बीच में नाराज होते थे, मगर
मेरी मानसिक स्थिति को देखते हुए दबाव भी नहीं बना पाते है।

सन् 2000 के सितंबर माह में एक दिन मैं सोफे पर लेटी हुई थी। जब उठी तो पैर के नीचे कुछ गीला-गीला सा लगा।
मैंने बत्ती जलाकर देखा तो पाया कि फर्श पर खून की कुछ बूंदे गिरी हुई हैं। मैंने फिर ध्यान से देखा। खून, सरसों का
तेल व दूध इन तीनों को मिलाकर जिस तरह के मिश्रण की हम कल्पना कर सकते है, वैसा ही मिश्रण था वह। मैंने
सूंघ कर देखा तो बड़ी विचित्र सी गंध थी। घर में कोई भी जानवर नहीं था और तैलीय खून किस जानवर का है यह भी

पता नहीं लगा पा रही थी। मुझे एक बार आभास हुआ कि कहीं कोई बला ने तो घर में प्रवेश नहीं कर लिया। फिर भी
मैंने बात को अपने आप से टाल दिया। भाई साहब जब शाम को लौटे तो उनसे भी नहीं बतलाया, चुप रही।

कुछ समय बाद फिर एक बार इस घटना की पुनरावृत्ति हुई। वैसी ही खून दूध के मिश्रण सी लगने वाली बूंदे गिरी हुई
थीं। अब मुझे पक्का समझ में आ गया कि यह किसी बला का कारनामा है। मैंने फर्श साफ किया और नहा लिया। मैं
अज्ञात बला से प्रार्थना की कि वह मुझे अपना पूरा कष्ट दे दे, लेकिन अब कभी घर के अंदर न आए। फिर बहुत दिन
तक बला नहीं आई। उस दिन की दहशत खौफ से बचने के लिए मैंने भाई साहब को कुछ नहीं बतलाया।

अब दीपावली को आने में मात्र दस-बारह दिन बाकी थे। मैं रसोई में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी। कुकर में पानी
डालकर दाल-चावल के बर्तन उतारकर ढक्कन की ओर बढ़ी। देख के अवाक रह गई। ढक्कन पर वही बूंदे गिरी हुई थीं।

मैंने ढक्कन साफ कर कुकर तो चढ़ा दिया, फिर फटाफट तैयार होकर बाजार गई। हनुमान जी का एक फोटो, फूल-
माला, प्रसाद, सब कुछ पूरी पूजन सामग्री खरीद लाई और एक टेबल पर हनुमान जी को आसीन कर उनकी पूजा की।
भाई साहब लौटे तो उनको पूरी कहानी कह सुनाई। उन्होंने कहा कि खून का सैम्पल रूई मे ले लेना चाहिए था। यह भी
कहा कि घर की स्थिति ही कुछ ऐसी बन गई कि अब भूत-प्रेत पिशाच अड्डा जमाने की सोच रहे हैं। थोड़ा समय
निकालकर पूजा-पाठ मे मन लगाओ। बाद वाले दिन मैंने माताजी की सभी पूजन-सामग्री निकाली, स्थल को भी साफ किया। भगवान को विराजकर पूजा की। इस घटना के बाद और चार साल हम धनबाद में इस मकान में रहे, मगर उस तरह की घटना की चौथी बार पुनरावृत्ति नहीं हुई।

इसलिए एक बात आपसे बताना चाहती हूं, आपके यहां भी कभी कोई गम आ सकता है, अप्रिय घटना घट सकती है,
कोई गंभीर रूप से बीमार हो सकता है। अगर बहुत दिनों तक घर में क्रन्दन मचा रहे, शोक-दुख मचा रहे दीप बत्ती बंद
हो गई हो तो बलाएं, आपके घर को अपना अड्डा बना सकती है, आपको नुकसान पहुंचा सकती है। आपके घर में
रौनक बनी रहे, सुख-दुख के बीच ही सही सुबह-शाम भगवान की पूजा-आरती होनी चाहिए अगर परिस्थिति इस
लायक नहीं हो तो भी सुबह-शाम हनुमान जी को दो अगरबत्ती दिखाकर हाथ जोडऩा कभी न भूलें।

उपरोक्त घटना सत्य घटना है, मुझे भी भूत, प्रेत, पिशाचों पर विश्वास नहीं था। मगर अब मुझे पता चल गया कि ये
पैशाचिक हवाएं खण्डहरों में, वीरानों में या जहां पूजा पाठ नहीं होता है, वहां रहती है, तथा वहीं अपना अड्डा बनाने की
कोशिश करती हैं। (विभूति फीचर्स)

मैहर की शारदा माता , भारत में जगत जननी भगवती दुर्गा

0
दिनेश चंद्र वर्मा –
भारत में जगत जननी भगवती दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा, आराधना, उपासना और भक्ति की जाती है। इन स्वरूपों में एक स्वरूप महासरस्वती का भी है। महासरस्वती विद्या, बुद्धि, सुख और शांति की दाता हैं। उनका स्वरूप सौम्य है। इसी तरह शांत एवं सौम्य मुद्रा की प्रतिमा मध्यप्रदेश के सतना जिले के मैहर नामक स्थान पर  प्रतिष्ठित है। यह प्रतिमा हंस पर आरूढ़ है तथा पुस्तक धारण किये हुए है। लोकमान्यता में शारदा माता के नाम से  प्रसिद्ध इस स्थान को भगवती दुर्गा का शक्ति पीठ कहा जाता है।  धर्मग्रन्थों के अनुसार भगवती सती ने जब यज्ञ कुंड में गिरकर आत्मदाह किया था तब उनके कंठ में शोभायमान हार  जिस स्थान पर आकर गिरा वह स्थान 'माई का हार के नाम से प्रसिद्ध हुआ जो कालांतर में मैहर कहलाने लगा। एक उल्लेख यह भी मिलता है कि मय दानव के वध के उपरांत भगवती दुर्गा ने इस स्थान पर विश्राम किया तथा अपने उग्र रूप को शांत किया। इसलिये यह स्थान मैहर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

मध्यकाल में मैहर की शारदा मां की कीर्ति सारे उत्तर भारत में व्याप्त थी। वे मध्यकाल के दो महान योद्धा आल्हा- ऊदल की आराध्य देवी रही हैं। लोकमान्यता है कि विभिन्न युद्धों में विजय प्राप्त करने के लिये आल्हा ने शारदा  माता को प्रसन्न करने के लिये घोर तपस्या की थी तथा अपने पुत्र इंदल की बलि दे दी थी। किवंदती है कि इस भक्ति- भावना से प्रसन्न होकर मां शारदा ने इंदल को जीवित कर दिया था तथा आल्हा को अमर होने का वरदान दिया था। आज भी कई लोग यह कहते हुये पाये जाते हैं कि आल्हा आज भी जीवित है और वे प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में मां शारदा की पूजा करने आते हैं। रात्रि को मैहर के मंदिर में किसी को रहने और ठहरने नहीं दिया जाता है। इसके पीछे यही धारणा है कि आल्हा की पूजा और आराधना में कोई व्यवधान न हो। आल्हा जीवित है या नहीं यह विवाद और  अविश्वास का विषय हो सकता है, पर इस बारे में दो राय नहीं हो सकती कि बुंदेलखंड के लोक जीवन में आल्हा का नाम अमर है। जिसका प्रमाम है जगनिक द्वारा रचित लोक काव्य आल्हखंड जिसे बुंदेलखंड के गांव-गांव में आज भी गाया जाता है।
मैहर इलाहाबाद-कटनी रेलमार्ग के बीच एक स्टेशन है, जहां रेल और बस दोनों से पहुंचा जा सकता है। शारदा माता का मंदिर त्रिकूट नामक एक पहाड़ी पर स्थित है जिस पर पहुंचने के लिये 565 सीढिय़ां चढऩा पड़ती है। पहले ये साीढिय़ां काफी ऊंची थी, पर अब मार्ग के कुछ स्थानों पर छोटी सीढिय़ां भी बना दी गई है। इस तरह अब सीढिय़ों की संख्या 1200 हो गयी है। कार, स्कूटर तथा अन्य वाहनों के लिये भी एक मार्ग भी बना दिया गया है। शारदा माता के मूल मंदिर का निर्माण दसवीं शताब्दी के आसपास हुआ। मंदिर की दीवार पर एक शिलालेख भी है पर  अब मंदिर का मूल स्वरूप परिवर्तित हो गया है एवं दिन-प्रतिदिन यह मंदिर भव्य स्वरूप धारण करता जा रहा है। मंदिर में शारदा माता की भव्य एवं दिव्य प्रतिमा प्रतिष्ठित है। प्रतिमा के बायीं ओर भगवान नरसिंह की भी एक प्रतिमा प्रतिष्ठित है। इसी परिसर में काल भैरव की प्रतिमा है, दायीं ओर हनुमान जी की प्रतिमा है।
मां शारदा की लोकमान्यता कितनी अधिक है, इसका उदाहरण महान संगीतकार अलाउद्दीन खां की भक्ति है। वे वृद्धावस्था तक में प्रतिदिन 565 सीढिय़ां चढ़कर इस मंदिर में जाते थे तथा वहां सरोद वादन करते थे। मां शारदा या सरस्वती संगीत की भी देवी हैं। वे स्वयं वीणा वादिनी है। इसलिये यह धारणा है कि मां शारदा की कृपा से उस्ताद अलाउद्दीन खां विश्वविख्यात संगीताकर बने।
शारदा देवी को पुत्रदाता एवं संतान दाता माना जाता है। एक मान्यता यह भी है पुत्र प्राप्ति के लिये मां पार्वती ने देवी शारदा के बीज मंत्र का जाप किया था, जिससे भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई थी। पुत्र प्राप्ति तथा अन्य
मनोकामनाओं को लेकर प्रतिदिन सैकड़ों नर-नारी मैहर में शारदा माता के दर्शन करने पहुंचते हैं।
एक परंपरा मनौती पूरी हो जाने पर अपनी संतानों या अपना स्वयं का मुंडन कराने की भी है। मंदिर के परिसर के बाहर पाहड़ी पर रोज सैकड़ों मुंडन होते हैं। चैत्र और आश्विन की नवरात्रियों में मैहर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या  हजारों में होती है। इन अवसरों पर विशाल मेले लगते हैं। मैहर के आसपास भी कुछ महत्वपूर्ण स्थान है, जिनमें  गोलमठ, आल्हाताल, गणेश घाटी तथा आल्हा का अखाड़ा आदि उल्लेखनीय है। (विभूति फीचर्स)

वैज्ञानिक आधार पर बरसाती नदियों को ग्लेशियर आधारित नदियों से जोड़ने के प्रयास किये जाएँ – मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड

0

टिहरी गढ़वाल ,नरेंद्र नगर 8 अक्टूबर 2023,मध्य क्षेत्रीय परिषद की आयोजित बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित प्रतिभाग कर रहे अन्य महानुभावों का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस महत्वपूर्ण बैठक को उत्तराखण्ड में आयोजित किये जाने के लिये केंद्रीय गृह मंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मध्य क्षेत्रीय परिषद केंद्र तथा राज्यों के मध्य आपसी सहयोग एवं समान प्रकार के मामलों में सेतु के समान है।
परिषद आपसी विचारों एवं अनुभवों को साझा करने का भी सशक्त माध्यम है।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में उत्तराखण्ड से संबंधित कतिपय नीतिगत विषयों का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड का 71 प्रतिशत भूभाग वन क्षेत्र से आच्छादित है। राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण उत्तराखण्ड में अवस्थापना सुविधाओं के विकास तथा आवश्यक सेवाओं के सृजन में अन्य राज्यों की अपेक्षा लागत अधिक रहती है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में पर्यावरणीय प्रतिबंधों के कारण विकास कार्यों के संचालन में कतिपय कठिनाइयां रहती है, जबकि हमारे आर्थिक संसाधन भी सीमित हैं। इन परिस्थितियों एवं संसाधनों की सीमित उपलब्धता के बावजूद राज्य की प्रति व्यक्ति आय को राष्ट्रीय औरत से लगभग दो गुना करने में हम सफल हुए हैं, तथा राज्य के विकास की दिशा में कई उपलब्धियां हासिल कर उत्तराखण्ड को उत्कृष्ट एवं आदर्श राज्य बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड से निकलने वाली गंगा, यमुना, काली सहित अनेक बारहमासी नदियां मैदानी क्षेत्रों की जीवन रेखा भी है। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि वैज्ञानिक आधार पर बरसाती नदियों को ग्लेशियर आधारित नदियों से जोड़ने का अभिनव प्रयास किया जाना चाहिए, इसका लाभ न केवल उत्तराखण्ड को बल्कि पूरे देश को होगा। इसके लिये उत्तराखण्ड सहित अन्य मध्य क्षेत्रीय राज्यों को केंद्र सरकार से तकनीकि एवं वित्तीय सहयोग दिये जाने पर भी उन्होंने बल दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपने सीमांत क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं को मजबूत करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में ऑल वेदर रोड के अन्तर्गत राज्य में तेजी से काम हो रहा है परन्तु इसे सीमान्त क्षेत्र तक बढ़ाने की आवश्यकता है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन की तर्ज पर राज्य के दूसरे मण्डल में टनकपुर से बागेश्वर रेलवे लाइन का निर्माण किया जाना भी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का आपदाओं जैसे भूस्खलन, अतिवृष्टि, वनाग्नि, ग्लेशियर खिसकना इत्यादि से चोली दामन का साथ है। इसके लिये राज्य को एक सशक्त वेदर फोर कास्टिंग सिस्टम, डॉप्लर रडार से युक्त अवस्थापना की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीणों को बैंक की सुविधा हो, इसके लिए हम निरंतर कार्य कर रहे हैं इसके लिये उन्होंने दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित ऐसे गांवों में विद्युत व्यवस्था, मोबाइल कनेक्टिविटी तथा बैंकिंग सेवा व्यवस्था में सुधार हेतु केन्द्र सरकार से सहयोग की अपेक्षा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2023 को ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट ईयर‘‘ घोषित किया गया है, अतः मिड डे मील में अनिवार्य रूप से बच्चों को मिलेट प्रदान किया जाय ताकि बच्चे स्वस्थ रहें, इस बारे में शिक्षा मंत्रालय तथा खाद्य मंत्रालय के समन्वय से समुचित कार्यवाही किए जाने का भी मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने परिषद की 25वीं बैठक काशी विश्वनाथ की नगरी में रखे जाने का किया प्रस्ताव।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में दुनिया ने देश के सामर्थ्य और शांति के प्रदर्शन को स्वीकार किया है। विभिन्न क्षेत्रों की परिषदों की बैठकों का आयोजन केन्द्र राज्य संबंधों को बेहतर बनाने का कार्य कर रहे है जो समस्याओं के समाधान का उपयुक्त मंच बन रहा है। उन्होंने मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक काशी विश्वनाथ की नगरी में आयोजित किये जाने का भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा गृहमंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में बीमारू से समृद्ध राज्य के रूप में पहचान बना रहा है। उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान उत्तराखण्ड व हिमाचल के साथ हिमालयी राज्यों को आपदा की समस्या का सामना करना पड़ा है। अब कई नए क्षेत्र भी इसमें शामिल हो रहे है। इसके लिए उन्होंने नदियों के केचमेंट एरिया को सुरक्षित किये जाने के साथ ही नदियों के चैनलाइजेशन की दिशा में पहल किये जाने की बात कही। उन्होंने आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं को रोकने में भी मिशन मोड में कार्य करने पर बल दिया। मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने की दिशा में भी सभी राज्य आपसी सहभागिता से इस दिशा में क्या कुछ बेहतर कर सकते है इस पर चिन्तन किये जाने की उन्होंने जरूरत बतायी।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल, श सुबोध उनियाल, मुख्य सचिव डॉ. एस.एससंधू सहित कई गणमान्य उपस्थित थे।

राज्यपाल रमेश बैस से टीम मिशन पत्रकारिता और एमएनबी की सदिच्छा भेंट

0

दिव्यांग बच्चों से मुलाकात कर राज्यपाल ने उनके हैंडीक्राफ्ट वस्तुओं का भेंट किया स्वीकार

महामहिम की शुभकामनाओं से दिव्यांग करेंगे अब प्रखर पत्रकारिता

मुंबई। महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल रमेश बैंस ने एम.एन.बी इंडस्ट्रियल होम फॉर द ब्लाइंड तथा मिशन पत्रकारिता टीम के साथ मुंबई के वालकेश्वर स्थित राजभवन में एक सदिच्छा भेंट वार्ता का आयोजन किया। इस अवसर पर दृष्टि बाधित बच्चों ने उन्हें हैंडीक्राफ्ट से बने वस्तुएं भेंट की।
महामहिम राज्यपाल बैंस के साथ इस विशेष मुलाकात में मिशन पत्रकारिता के अध्यक्ष शैलेश जायसवाल ने संस्था के सकारात्मक पत्रकारिता को लेकर जारी विचार क्रांति अभियान की जानकारी देते हुए उन्हे बताया कि देश में पहली बार मिशन पत्रकारिता एक ऐसा कदम उठाने जा रही है, जिसमें नेत्रहिन, गूंगे बहरे तथा अन्य दिव्यांग छात्रों को टीवी न्यूज पत्रकारिता का प्रशिक्षण देकर उनके द्वारा मीडिया जगत में सकारात्मक क्रांति लाने का प्रयास किया जाएगा। जहां संस्था के डिजिटल न्यूज चैनल के माध्यम से दिव्यांग जन पत्रकारिता में अपनी प्रतिभा से जनजागृति लाने का सार्थक प्रयास करेंगे। जायसवाल ने गर्व किया कि राज्यपाल बैस जैसे महान व्यक्तियों के साथ मिलकर हम सभी समाज के लिए बेहतर बदलाव लाने का काम कर रहे हैं। साथ ही नैब इंडिया संस्था के अध्यक्ष विमल कुमार डेंगला ने भी सभी का धन्यवाद जताया।
इस आयोजन की मुख्य सूत्रधार समाज सेविका बबीता वर्मा ने इस अवसर पर कहा कि वे हमेशा से दिव्यांगजनों के आर्थिक प्रबोधन के लिए उनके साथ खडी रही है। साथ ही मिशन पत्रकारिता के माध्यम से वे समाज और मीडिया जगत में सकारात्मक विचार क्रांति लाने का निरंतर प्रयास करती रहेगी।


इस विशेष अवसर पर खुद को मूर्तिकार बताते हुए महामहिम ने दिव्यांग छात्रों द्वारा बनाए गए हैंडीक्राफ्ट वस्तुओं की भरपूर तारीफ की। यह वस्तुएँ दिव्यांग छात्रों के कौशल और सृजनात्मकता का प्रमोशन करती हैं और उन्हें स्वावलंबी बनने के लिए साहसित करती हैं। उन्होंने दिव्यांग छात्रों के सहायता के लिए पांच लाख रूपए की धनराशि दान की। इस दान के माध्यम से, राज्यपाल ने दिव्यांग छात्रों के जीवन में एक बड़ी मदद प्रदान की है और उन्हें एक उत्कृष्ट शिक्षा की ओर प्रोत्साहित किया है। राज्यपाल बैस ने दिव्यांग छात्रों के साथ बिताई इस मूल्यवान समय के लिए बड़े ही प्रेरणास्पद और महत्वपूर्ण संदेश दिया है, और उन्होंने इस मौके को उनके लिए यादगार बना दिया है।
इस चर्चासत्र में दिव्यांग छात्रों की ओर से MNB के CEO तथा पत्रकार मयंक शेखर ने संचालन करते हुए दोनों संस्थाओं के कार्य का परिचय देते हुए महामहिम का अभिवादन किया।
इस विशेष मुलाकात में खास तौर पर मिशन पत्रकारिता वूमेन जोन की अध्यक्षा श्रीमती बबीता वर्मा, श्रद्धा सिंह, प्रिंस करण सिंह वर्मा, नैब इंडिया की ED पल्लवी कदम, एमएनबी होम फॉर ब्लाइंड के CES रमाकांत साटम, दिव्यांग कोरियोग्राफर ज्योति तथा शमीम अहमद आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे।

नंदनवन में “आचार्य तुलसी कर्तृत्व पुरस्कार 2023” से सम्मानित हुईं राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा

0

नंदनवन में “आचार्य तुलसी कर्तृत्व पुरस्कार 2023” से सम्मानित हुईं राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा

तेरापंथ धर्म संघ के एकादशम आचार्य श्री महाश्रमण के सन्निधि में आयोजित महिला मंडल के राष्ट्रीय अधिवेशन में किया गया पुरस्कृत

मुंबई। तेरापंथ धर्म संघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में हर वर्ष प्रदान किया जाने वाला “आचार्य तुलसी कर्तृत्व पुरस्कार” इस वर्ष राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती रेखा शर्मा को प्रदान किया गया। नंदनवन में 7 अक्टूबर 2023 से शरू हुए अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के राष्ट्रीय अधिवेशन के प्रथम दिन उन्हें उनकी सेवाओं के मद्देनज़र पुरस्कृत किया गया। श्रीमती रेखा शर्मा से पहले “आचार्य तुलसी कर्तृत्व पुरस्कार” से डॉ. पूर्णिमा आडवाणी, सुश्री किरण बेदी, श्रीमती सावित्री जिंदल, श्रीमती नीलिमा खेतान, श्रीमती अनुराधा कोइराला, श्रीमती मृदुला सिन्हा एवं श्रीमती सुमित्रा महाजन जैसी हस्तियाँ पुरस्कृत हो चुकी हैं। पुरस्कार प्राप्ति के पश्चात श्रीमती रेखा शर्मा ने आचार्य महाश्रमण जी, साध्वी प्रमुखा, साध्वीवर्या एवं अन्य साधु-सध्वियो के दर्शन कर कृतज्ञता ज्ञापित किये।
पुरस्कार कार्यक्रम का संचालन करते हुए महिला मंडल की राष्ट्रीय अध्यक्षा नीलम सेठिया ने पुरस्कार एवं चयन के बारे में बताते हुए अणुव्रत अधिशास्ता आचार्य तुलसी के जीवन एवं पुरस्कार से संवंधित जानकारी दी।


श्रीमती सूरज जी बराड़िया ने श्रीमती रेखा शर्मा का परिचय दिया, श्रीमती सुमन जी नाहटा ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किय तत्पश्चात अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल टीम ने शॉल, मोमेंटो भेंट किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्षा नीलम सेठिया के अलावा महामंत्री मधु देरासरिया, निवर्तमान महामंत्री तरुणा बोहरा, प्रधान ट्रस्टी पुष्पा जी बैंगानी, “आचार्य तुलसी कर्तृत्व पुरस्कार” की पूर्व निदेशक शायर जी बेंगानी सहित अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की पूरी टीम की उपस्थिति रही।
उल्लेखनीय है कि श्रीमती रेखा शर्मा गत 6 वर्षों से राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा के रूप मे कार्य कर रही हैं। इन्हें त्रिवर्षीय कार्यकाल के लिए लगातार दो बार मनोनीत किया गया। श्रीमती शर्मा की सेवा भावना व कुशल नेतृत्व महिला समाज के जागरण हेतु सक्रिय योगदान का श्रेष्ठतम उदाहरण है। इनके नारी सशक्तिकरण के प्रति सजगता व कर्मठता से उत्प्रेरित होकर अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल अपने सर्वोच्च सम्मान “आचार्य तुलसी कर्तृत्व पुरस्कार 2023” से उन्हें सम्मानित किया।

केंद्र ने आयोजित किया विश्व पशु दिवस 2023 -8 पशु प्रेमियों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला पशु-पक्षी हमारे समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित करते हैं: श्री परषोत्तम रूपाला

0

चेन्नई(तमिलनाडु): डॉ. आर. बी. चौधरी

केंद्रीय पशुपालन मंत्री परसोत्तम रुपाला ने बुधवार 4 अक्टूबर 2023 को दिल्ली स्थित डॉ आंबेडकर नेशनल सेंटर नई दिल्ली में विश्व पशु दिवस 2023 के आयोजन अवसर पर देश के 8 विशिष्ट पशु प्रेमियों को पुरस्कृत करते हुए कहा , “हमें जानवरों के साथ परंपरा को जोड़ने और पारंपरिक प्रथाओं को सामने लाने के लिए काम करना होगा जिससे पता चलता है कि हमारी परंपरा और संस्कृति जानवरों के प्रति किस प्रकार सम्मान दिखाती है।”

इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री, मत्स्यपालन, पशुपालन व डेयरी मंत्री, डॉ़ संजीव बालियान भी कार्यक्रम में उपस्थित थे । साथ ही, कार्यक्रम में भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के समय एवं पालन मंत्रालय संयुक्त सचिव, डॉ ओ पी चौधरी सहित मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी विभाग में आयुक्त्त, डॉ अभिजीत मित्रा शामिल थे। इस अवसर पर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा दिए जाने वाला राष्ट्रीय पुरस्कार “प्राणी मित्र पुरस्कार” वितरित करने का भी कार्यक्रम रखा गया था जिसके तहत देश के उन उल्लेखनीय कार्य करने वाले 8 विभिन्न क्षेत्र के ऐसे पशु प्रेमियों को पुरस्कृत किया गया जो लावारिस पशुओं के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री परशोत्तम रूपाला ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी संस्कृति में पशुओं से जुड़ी कई परंपरायें हैं जिन्हें सूचीबद्व और लिपिबद्व कर भारतीय जन्तु कल्याण बोर्ड को प्रकाशित करना चाहिए ताकि दुनिया को इन परंपराओं का पता चले। उन्होंने कहा कि अब सारे लोग वही मानेंगे जो हम कहेंगे। हम जो कहेंगे उसी पर सोचने के लिए अब सारे लोग मजबूर होंगे। अब वन हेल्थ का सिद्धांत समिति दुनिया को समझ में आ रहा है कि पशुओं के स्वास्थ्य के बारे में सोचेंगे तो मनुष्य का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। इसलिए अबसिर्फ अपने स्वास्थ्य के बारे में नहीं सोचना है सभी प्राणियों के स्वास्थ्य के बारे में सोचना पड़ेगा और इसी से ही सारे पर्यावरण का ख्याल रखेंगे मानव और मानवता बच सकेगी। पशु समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और वह हमारे पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखते हैं।

रूपाला ने परंपराओं को पशु पक्षियों के महत्व पर बल देते हुए कहा कि हमारे देश में पशुओं से जुड़ी कई परंपरायें हैं। ये हमारे राष्ट्र व संस्कृति की देन हैं। हमें विश्व को यह बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें जानवरों के साथ परंपरा को जोड़ने और पारंपरिक प्रथाओं को सामने लाने के लिए काम करना होगा जिससे पता चले कि हमारी परंपरा और संस्कृति जानवरों के प्रति किस प्रकार सम्मान दिखाती है। मेरी राय है कि विश्व पशु दिवस के इस कार्यक्रम के साथ हम अपने देश की ऐसी अच्छी परंपराओं को भी जोड़ें और यह सोचें कि उनको कैसे उजागर किया जा सकता है। और , इनके साथ हम क्या कर सकते हैं , इसको आगे बढ़ाने के लिए हम क्या कर सकते हैं। इन सारी बातों पर हमें काम करना चाहिए। रूपाला ने कहा कि कि जिनको आज अवार्ड मिला है, मुझे लगता है कि उनके काम को और बेहत्तर तरीके से बताने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में दया से बढ़कर कोई धर्म नहीं है।

अवसर पर केंद्रीय पशुपालन राज्य मंत्री , डॉ़ संजीव बालियान ने अपने संबोधन में कहा कि कुछ संस्थायें पशुओं के लिए बहुत अच्छा काम कर रही हैं, लेकिन साढ़े नौ साल से मैं देख रहा हूं कि धरातल पर कुछ ज़्यादा काम नहीं हो रहा है। शायद गांव तक हम इन कामों को नहीं ले जा पा रहे हैं। अवारा पशुओं की समस्या पर उन्होंने कहा कि ऐसे संतुलन की आवश्कता है, जिससे यह सुधार हो। उन्होंने कहा कि पूरे समाज की यह जिम्म्दारी है और जनता के सहयरोग के बिना सरकार कुछ नहीं कर सकती है। डॉ़ संजीव बालियान ने कहा कि मेरे संसदीय क्षेत्र मुजफ्फरनगर में एक महीने में गौ सेंचुरी बनकर तैयार हो जायेगी। जनता के सहयोग से ही मैं इसे चलाऊंगा। उन्होंने कहा कि भारत में गौशाला में दान देने की परंपरा रही है ,जब तक शहरी भारत को पशुओं से नहीं जोड़ेंगे तब तक शायद इसे पूरा नहीं कर पायेंगे।

लावारिस पशु-पक्षियों के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाले निम्नलिखित पशु प्रेमियों को भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के द्वारा दिए जाने वाले “प्राणी मित्र पुरस्कारों” से सम्मानित किया गया है : 1) प्राणि मित्र पुरस्कार – व्यक्तिगत: श्री जी. रामकृष्णन, तिरुचि, तमिलनाडु; 2) प्राणि मित्र पुरस्कार – इनोवेटिव आइडिया (व्यक्तिगत): डॉ. स्मिता एन. सोलंकी, महाराष्ट्र; 3) प्राणि मित्र पुरस्कार – शौर्य/बहादुरी (व्यक्तिगत): श्री प्रदीप कुमार पात्रा, लखनऊ, उत्तर प्रदेश; 4) प्राणि मित्र पुरस्कार – लाइफ टाइम एनिमल सर्विस (व्यक्तिगत); डॉ. बथुला संजीव रायडू, कुरनूल, आंध्र प्रदेश; 5) प्राणि मित्र पुरस्कार – पशु कल्याण संगठन: श्री नासिक पंचवटी पंजरापोल, नासिक, महाराष्ट्र; 6) जीव दया पुरस्कार – व्यक्तिगत; श्री पीराराम दयाल, जालौर, राजस्थान; 7) जीव दया पुरस्कार – पशु कल्याण संगठन; श्री दादू पर्यावरण संस्थान, टोंक, राजस्थान और 8) जीव दया पुरस्कार – बच्चे (व्यक्तिगत – 18 वर्ष से कम आयु): श्री हितेश चंद्रजीत यादव, मुंबई, महाराष्ट्र।

केंद्रीय पशुपालन मंत्री परसोत्तम रुपाला ने आज तमिलनाडु के पशु प्रेमी जी. रामकृष्णनन को राष्ट्रीय पुरस्कार “प्राणी मित्र” से सम्मानित किया

0

केंद्रीय पशुपालन मंत्री परसोत्तम रुपाला ने आज तमिलनाडु के पशु प्रेमी जी. रामकृष्णनन को राष्ट्रीय पुरस्कार “प्राणी मित्र” से सम्मानित किया

चेन्नई (तमिलनाडु) : डॉ आर. बी चौधरी
पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार ने विश्व पशु दिवस 2023 मनाया, विभिन्न क्षेत्रों के दो अलग-अलग 8 व्यक्तियों को प्राण मित्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है । इनमें से एक पुरस्कार – विशेष क्षेत्र में व्यक्तिगत तौर पर काम करने वाले तमिलनाडु से त्रिची शहर के जी. रामकृष्णननं को राष्ट्रीय पुरस्कार “प्राणी मित्र पुरस्कार” से सम्मानित गया । प्राणी मित्र पुरस्कार,केंद्रीय अधिनियम जीव जंतु क्रूरता निवारण 1960 के तहत केंद्र सरकार के अधीन 1962 में स्थापित भारतीय जीव जंतुकल्याण बोर्ड द्वारा प्रदान किया जाता है।

पिछले तकरीबन एक दशक से रामकृष्णनन त्रिची शहर के बेसहारा और छुट्टा पशुओं की देखभाल और प्राण रक्षा करने कार्य कर रहे हैं। इस कार्य को करने के लिए वह किसी किसी सरकारी फंड के मोहताज नहीं है। बल्कि, वह अपनी कमाई से कार्य को करते हैं। उनकी सारी व्यवस्था चाहे वह चिकित्सा की हो अथवा भोजन व्यवस्था या रख-रखाव, वह सभी व्यवस्था अपने व्यक्तिगत संसाधनों से कर रहे हैं। यह पुरस्कार दिल्ली स्थित डॉ आंबेडकर नेशनल सेंटर में आयोजित किया गया जहां पर केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय के मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला एवं राज्य मंत्री , डॉ. संजीव बालियान के साथ-साथ पशुपालन आयुक्त डॉ. अभिजीत मित्रा और भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष, डॉ. ओपी चौधरी भी उपस्थित थे। देशभर के आए 300 पशु प्रेमियों के बीच सरकार को प्रदान किया गया।

रामकृष्ण ने कहा,” पिछले 15 सालों से मैं जीव दया और पशु कल्याण का काम कर रहा हूं। वैसे तो मैं बिल्डर बिल्डर हूं और बिल्डिंग प्रमोशन मेरा मुख्य व्यवसाय है , लेकिन अपने निजी संसाधनों के द्वारा विभिन्न तमिलनाडु सरकार के संबंधित विभागों के माध्यम से अब तक 3,200 छुट्टा पशुओं की प्राण रक्षा कर चुका हूं। सभी के डॉक्यूमेंटल रिकॉर्ड है और सभी लोग जानते हैं। मेरे कार्यों को देखकर वर्ष 2016 में मुझे भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड में मानद जीव जंतु कल्याण अधिकारी बनाया था तभी से इस कार्य को विशेष रूप से संचालित कर रहा हूं।” उन्होंने आगे बताया कि मेरे कार्य छुपे हुए नहीं है बल्कि रोजमर्रा के कार्यों के बारे में पशुपालन विभाग के अधिकारी, पुलिस , वन विभाग , परिवहन, अग्निशमन आदि से लेकर वन्य जीव जंतु चिकित्सा संस्थान- सत्य मंगलम,पीएसपीसीए, वेटरनरी कॉलेज, स्थानीय गौशालाएं इत्यादि को पूरा पता है क्योंकि हमें उनकी जरूरत पड़ती है और वह हमें सहयोग भी देते हैं।” उन्होंने आगे यह भी कहा , ” मेरे शेल्टर पर वर्तमान में 230 पशु पक्षी इस समय देखभाल के लिए मौजूद है । कोई ऐसा राज्य सरकार का विभाग नहीं है, जहां पर जाकर लावारिस पशुओं की सेवा की गुहार न लगाईं हो।”

रामकृष्णनन ने बताया , “मुझे तमिलनाडु के प्रसिद्ध खेल जल्लीकट्टू के कमेटी में भी रखा गया है । तमिलनाडु के और भी कमेटी में मैं शामिल हूं। मैंने इस मानवीय सेवा के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी है जिसका डॉक्यूमेंट प्रूफ तथा वीडियो उपलब्ध है। इतना ही नहीं बल्कि पशु प्रबंधन तथा सेवा से संबंधित सभी विभागों को मेरे कार्यों के बारे में पूरी जानकारी है।” पत्र सूचना कार्यालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि आज 4 अक्टूबर को भारत ही नहीं समूचे विश्व में “वर्ल्ड एनिमल डे( विश्व पशु दिवस)” के रूप में विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं ताकि पशुओं का कल्याण करने के लिए लोगों को जागृत किया जा सके। इसलिए केंद्र सरकार ने आज के ही दिन प्राणी मित्र पुरस्कार से देश के विभिन्न पशु प्रेमियों को सम्मानित करने का निर्णय लिया । आज के पुरस्कार में कुल आठ श्रेणी रखी गई है जिसमें देश के 8 ऐसे पशु प्रेमियों को सम्मानित किया गया जो देशभर में उसे दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। इस सूची में तमिलनाडु के पशु पशु प्रेमी जी रामकृष्णनन भी शामिल है।

परिवहन विभाग के चयनित 10 अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदान किए नियुक्ति पत्र

0
देहरादून, 7अक्टूबर, शुक्रवार सचिवालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परिवहन विभाग के अंतर्गत कनिष्ठ सहायक पद पर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से चयनित किए गए 10 अभ्यर्थियों को नियुक्त पत्र प्रदान किये,!
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में समस्त नियुक्ति पत्र धारकों को शुभकामनाएं दी !उन्होंने कहा कि आपके परिश्रम से आपको सेवा कार्य करने का जो अवसर प्राप्त हुआ है इसका पालन अपने कार्यक्षेत्र में पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से करें !साथ इस नए जीवन की शुरुआत नियमित दिनचर्या व अनुशासन से करें! जिससे आपके सामर्थ्य का पूर्ण उपयोग किया जा सके!
इस अवसर पर परिवहन सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी ने कहा कि परिवहन विभाग उत्तराखंड के अंतर्गत दो वर्षों में एक संभागीय निरीक्षक और 59 परिवहन आरक्षियों को सीधे भारती के माध्यम से नियुक्ति प्रदान की गई है.! वर्तमान में 39 पद कनिष्ठ सहायक के व 17 पद सहायक लेखाकार के चयन प्रक्रिया में हैं ..! इसके अतिरिक्त परिवहन विभाग के अंतर्गत सीधी भर्ती के विभिन्न पदों के लिए 147 पदों का अधियाचन आयोग के लिए प्रेषित किया गया है !
इस कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी एवं परिवहन विभाग के कई अधिकारी भी उपस्थित थे।

हिंदू व सनातन के खिलाफ होने वाले किसी भी साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे- पुष्कर सिंह धामी , मुख्यमंत्री उत्तराखंड

0
मायापुर (हरिद्वार ), 7 अक्टूबर 2023 ,शुक्रवार सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में बजरंग दल द्वारा आयोजित शौर्य जागरण यात्रा के समापन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सम्मिलित हुए ..!
“शौर्य जागरण” यात्रा से जुड़े सभी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि -आप सभी लोग बधाई के पात्र हैं और मैं आपको नमन करता हूं कि आपने देवभूमि में सामान्य जनमानस के मन मस्तिष्क को जागृत करने का कार्य किया है !..जिस संकल्प के आगे ही “शौर्य जागरण” लगा हुआ हो उसका उद्देश्य स्वतः ही स्पष्ट हो जाता है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की संकल्पना पूर्ण होने के तत्वाधान में निकाली जाने वाली यह यात्रा अभूतपूर्व है..!
मुख्यमंत्री ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन काल में लोग स्वयं को हिंदू कहलाने में हिचकिचाते थे ,परंतु आज इस प्रकार की शौर्य या कावड़ यात्राओं को देखकर हमें गर्व होता है और हम गर्व से कह सकते हैं कि हम हिंदू हैं.. सनातनी हैं।
शीघ्र ही राम मंदिर निर्माण का स्वप्न भी पूरा होने वाला है। यह सर्वविदित है कि करोड़ों लोगों ने आंदोलन में भाग लेकर बाबर के पाप को धोने का कार्य किया ,,! सन् 2014 से पूर्व तुष्टिकरण का माहौल था। किसी राजनीतिक दल, व्यक्तियों या परिवार के हितों को ध्यान में रखकर फैसले दिए जाते थे किंतु आज प्रत्येक भारतीय की सुरक्षा की गारंटी सरकार ले रही है।
आजादी के पश्चात सबसे अधिक राज करने वाले दल ने अपने कार्यकाल में हिंदू धर्म को नीचा दिखाने का कार्य किया है,,वर्तमान में भी देश में विपक्ष द्वारा अजीब माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है ! दक्षिण में स्टालिन व प्रियांक खड़गे जैसे लोगों ने सनातन व हिंदू धर्म की तुलना डेंगू व मलेरिया से की है .!किंतु आश्चर्य है कि कोई भी व्यक्ति ,नेता या राहुल गांधी जैसे लोग इस वक्तब्य के विरोध में एक बयान भी नहीं देते ..!यह प्रश्न सिर्फ मेरा नहीं पूरे भारतवासियों का है।
अतः तुष्टिकरण करने वाले लोगों से सतर्क रहें ..!हमें संकल्प लेना होगा, हमें शपथ लेनी होगी कि ऐसी ताकतों को हमें रोकना होगा जो देश की एक एकता व अखंडता के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं ..!
आदरणीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार सनातन को सुरक्षित रखने के लिए निरंतर कार्य करती रही है ..!कश्मीर में जहां दो विधान दो संविधान चलते थे ….!वह समाप्त किया गया है .!भव्य काशी कोरीडोर हो या उत्तराखंड में केदारनाथ ,बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब या फिर चार धाम यात्राओं के विकास की बात हो यह सभी महत्वपूर्ण कार्य सरकार द्वारा किए जा रहे हैं।
गत 9 वर्षों से देश से आतंकवाद ,दहशतगर्दी व अलगाववाद को समाप्त किया गया ..!पूर्व में प्रत्येक त्यौहार में भय का वातावरण व्याप्त रहता था वह समाप्त कर देश आगे बढ़ रहा है..! नए भारत में दुश्मन की गोली का जवाब हमारे सैनिक बिना किसी आदेश की प्रतीक्षा किए हुए गोलों से देते हैं। भारत की अर्थव्यवस्था अत्यधिक तीव्रता से आगे बढ़ रही है। हमें पूर्ण विश्वास है कि आने वाले भविष्य में यह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगी..!
उत्तराखंड सरकार ने कई ऐसे मुद्दे जिन्हें पूर्व की सरकारों ने हाशिये पर रखा था हमने इसका निस्तारण किया है..! उत्तराखंड पूज्य भूमि व देवभूमि है इसके स्वरूप को कायम रखने के लिए अवैध मजारों को हटाकर अतिक्रमण को दूर करने का प्रयास किया है..! लगभग 3500 एकड़ सरकारी जमीन मुक्त कराई है..! धर्मांतरण व लव जिहाद के खिलाफ कठोर कानून लाये गए हैं.! धर्मांतरण उत्तराखंड पर “घुन ” की तरह लगा हुआ था इसके लिए हमने सख्त क़ानून बनाते हुए 10 वर्षीय सजा का प्रावधान रखा है ..!उत्तराखंड की जनता का धन्यवाद जिन्होंने पुनः भाजपा की सरकार बनायी ..! शीघ्र ही समान नागरिक संहिता कानून धरातल पर लाया जाएगा..! बहुत सारे कानून जो मुश्किल थे उन पर मंथन व निर्णय लेकर ,देवभूमि तथा हिंदू सनातन के खिलाफ होने वाले किसी भी साजिश को हम कामयाब नहीं होने देंगे ..!मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन उद्देश्यों के साथ यह यात्रा चल रही है वह अवश्य पूर्ण होगी।
शौर्य जागरण यात्रा’’ के समापन कार्यक्रम को श्रीमहन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज , देवशरण आनन्द ने भी सम्बोधित किया।
केन्द्रीय महामंत्री विनायक ने यात्रा की विस्तृत रूपरेखा व उद्देश्य से अवगत कराया ..14 अक्टूबर को शौर्य जागरण यात्रा का समापन किया जाएगा ..!
इस अवसर पर विधायक श्री आदेश चौहान, पूर्व विधायक श्री संजय गुप्ता, जिलाधिकारी श्री धीराज सिंह गर्ब्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र डोभाल, उपस्थित थे।

अभय सिन्हा पांच साल के लिए चुने गए इम्पा अध्यक्ष

0

मुंबई। फिल्म निर्माताओं की संस्था इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन की असाधारण आम बैठक और उसी दिन आयोजित वार्षिक आम बैठक के बाद 30 सितंबर को इंपा में आयोजित इसकी कार्यकारी समिति की पहली बैठक में जाने माने फिल्म निर्माता अभय सिन्हा को पांच साल के लिए अध्यक्ष चुना गया। इस बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर सुषमा शिरोमणि जबकि टीनू वर्मा और अतुल पटेल उपाध्यक्ष चुने गए तथा बाबूभाई थीबा कोषाध्यक्ष चुने गए। कुकू कोहली और महेंद्र धारीवाल को क्रमश: महासचिव और संयुक्त सचिव चुना गया। निशांत उज्जवल एफएमसी से महासचिव चुने गए जबकि राजकुमार पांडे एफएमसी से कोषाध्यक्ष चुने गए। हरसुखभाई धादुक को सीएचएएमपी से कोषाध्यक्ष चुना गया। कार्यकारी समिति के लिए चुने गए अन्य लोग थे अशोक पंडित, रत्नाकर कुमार, भरत एन. पटेल, घनश्याम जी. तलाविया, जगदीशचंद्र बी. बारिया, मनीष जैन, राकेश नाथ ‘रिक्कू’, प्रदीप सिंह, रोशन सिंह, विनोद गुप्ता, यूसुफ शेख और संजीव सिंह बॉबी। इससे पहले इंपा के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता था। अभय सिन्हा ने अपना दो साल का कार्यकाल सफलता पूर्वक पूरा किया है। वार्षिक आम बैठक में इंपा के पूर्व अध्यक्ष टी.पी.अग्रवाल का गुलदस्ता देकर इंपा के वर्तमान अध्यक्ष अभय सिंन्हा और वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुषमा शिरोमणि द्वारा स्वागत किया गया।


इस अवसर पर अध्यक्ष अभय सिन्हा ने घोषणा की कि इंपा सभी निर्माताओं के लाभ के लिए हर संभव प्रयास करना जारी रखेगी। यदि हमारा कोई सदस्य आर्थिक दिक्कत से गुजर रहा हैै तो उसके बच्चों को चिकित्सा और शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। हम विभिन्न सरकारों की मदद से अपने सदस्यों को अधिकतम सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। यह जानकारी इंपा के सचिव अनिल नागरथ द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई है।