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IIFA AWARD 2023 , डॉ.मुस्तफ़ा युसूफ अली गोम को मिला दादा साहेब फाल्के इंडियन टेलीविजन अवॉर्ड

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मुंबई – होटल सहारा स्टार में आयोजित आईआईएफए अवॉर्ड समारोह में मुंबई के जाने माने उद्योगपति और समाजसेवी तथा केयर टेकर्स एक्सटीरियर एंड इंटीरियर प्राइवेट लिमिटेड ” के प्रबंध निदेशक डॉ.मुस्तफ़ा युसूफ अली गोम को दादा साहेब फाल्के इंडियन टेलीविजन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया उन्हें यह सम्मान फिल्म अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे और एसीपी संजय पाटिल , युवा राजनेता अभिजीत राणे के हाथों दिया गया।
ज्ञात हो कि डॉ. मुस्तफ़ा यूसुफ़ अली गोम , मुंबई के कांदिवली में अंजुमन ए नजमी दाऊदी बोहरा जमात के सचिव हैं। अपनी अंजुमन के माध्यम से वह सामाजिक कार्य भी करते है। अब तक श्री गोम को उनके अच्छे सामाजिक कार्यों के लिए कई सम्मान मिल चुके हैं। महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें “गऊ भारत भारती” के सर्वोत्तम सम्मान के साथ-साथ केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा पूर्व में वाग्धारा सम्मान से सम्मानित किया है साथ ही साथ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी.वी. आनंद बोस ने भी राजभवन में डॉ. बीआर अंबेडकर पुरस्कार दे कर सम्मानित किया है। इसके आवला अन्य बहुत सी सामाजिक संस्थाओ ने आप को सम्मानित किया है।
सुप्रसिद्ध समाजसेवी मुस्तफा गोम की कंपनी ” केयर टेकर्स एक्सटीरियर एंड इंटीरियर प्राइवेट लिमिटेड ” के आप प्रबंध निदेशक है। जो पुरानी ईमारतो के मरम्मत का काम करती है। आप की Institute of Entrepreneurship And Management Studies द्वारा प्रशस्ति पत्र दे कर उन्हें सम्मानित किया गया है , इसके अतिरिक्त श्री गोम वर्ल्ड ह्यूमन राईट प्रोटेक्शन कमीशन से भी जुड़ कर देश की सेवा कर रहे है।
डॉ. गोम 1989 से भवन मरम्मत और पुनरुद्धार क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उन्होंने अब तक 500 से अधिक पुरानी ईमारतो का काम किया है। इनकी कंपनी ” केयर टेकर्स एक्सटीरियर एंड इंटीरियर प्राइवेट लिमिटेड उच्तम क़्वालिटी और भरोसेमंद काम को करती आ रहे है।
दादा साहेब फाल्के इंडियन टेलीविजन अवॉर्ड के मिलने पर श्री गोम कहते है -” हमें बड़ी ख़ुशी है , और हम अपने संस्थान के सभी कर्मचारियों का शुक्रगुज़ार भी हूँ ही सभी की मेहनत का या परिणाम है कि आज सिनेमा जगत में भी हमें पहचान मिल रही है।
हमारी कंपनी ‘ केयर टेकर्स एक्सटीरियर एंड इंटीरियर प्राइवेट लिमिटेड हमेशा से अपनी सादगी और प्रतिबद्धत्ता के प्रति सजग रहा है। महानगर मुंबई ही नहीं आज अन्य स्थानों पर भी हम उन पुरानी ईमारतो के नवीनीकरण पर बड़ी तेजी के साथ आगे बढ़ रहे है।
इस कार्यक्रम के मुख्य आयोजक अखिलेश सिंह थे।

डॉ निकेश जैन माधानी को मिला पद्मिनी कोल्हापुरे और एसीपी संजय पाटिल के हाथों दादा साहेब फाल्के इंडियन टेलीविजन अवॉर्ड प्रस्तुत आईआईएफए अवॉर्ड

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मुम्बई। बिजनेसमैन डॉ. निकेश ताराचंद जैन माधानी प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे, दिंडोशी मालाड के एसीपी संजय पाटिल और यूनियन लीडर अभिजीत राणे के हाथों दादा साहेब फाल्के इंडियन टेलीविजन अवॉर्ड प्रस्तुत आईआईएफए अवॉर्ड 2023 से सम्मानित हुए। यह अवार्ड उन्हें सक्सेसफुल बिजनेसमैन के रूप में मिला।
यह पुरस्कार समारोह 17 दिसम्बर 2023 को ओएस्टर बैंक्वेट हॉल, होटल सहारा स्टार मुम्बई में सम्पन्न हुआ जिसका आयोजन अखिलेश सिंह ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे, रोहित चंदेल, आदिल खान दुर्रानी, ​​प्रिया आहूजा राजदा, अर्शी खान, दानिश अल्फ़ाज़, ट्विंकल कपूर, अदिति पाटिल, महक चौधरी, प्रमुख श्रमिक नेता अभिजीत राणे और दिंडोशी मालाड के एसीपी संजय पाटिल की उपस्थिति रही।
इसी महीने डॉ. निकेश ताराचंद जैन माधानी अभिनेता विंदू दारा सिंह के हाथों आत्मनिर्भर एक्सीलेंस अवार्ड 2023 से सम्मानित हुए जिसका आयोजन साक्षात इंटरटेनमेंट के संस्थापक राम कुमार पाल और मुम्बई रफ्तार न्यूज चैनल के सीईओ शैलेश पटेल ने किया था।
आपको बता दें कि कुछ माह पूर्व दिल्ली में डॉ निकेश ताराचंद जैन माधानी को वर्ल्ड पीस ऑफ यूनाइटेड नेशन यूनिवर्सिटी द्वारा प्रसिद्ध अभिनेत्री काजल अग्रवाल एवं भारतीय पहलवान नरसिंह पंचम यादव के हाथों ऑनरेरी डॉक्टरेट डिग्री एवं बिजनेस अवार्ड मिल चुका है।
इसके अलावा पिछले साल 2022 में निकेश जैन मधानी को महाराष्ट्र राज्य के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथों गऊ भारत भारती अवार्ड तथा इस वर्ष कैबिनेट मंत्री परषोत्तम रूपाला (मत्स्य, दुग्ध व उद्योग मंत्री) के हाथों से गऊ भारत भारती सर्वोत्तम सम्मान 2023 एवं नेताजी सुभाष चंद्र बोस पुरस्कार 2023 प्राप्त हुए हैं। उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज गौरव पुरस्कार 2021 भी मिल चुका है। पिछले दिनों ब्राइट आउटडोर के सीएमडी योगेश लखानी ने अपने जन्मदिन पर निकेश जैन को बिज़नेस आइकॉनिक ब्राइट अवार्ड एवं ब्राइट आउटडोर बी.एस.सी आईपीओ आने की खुशी में बिज़नेस अवार्ड 2023 से सम्मानित किया। निकेश को परफेक्ट वुमेन अचीवर अवॉर्ड, गोल्डन ह्यूमेनिटी अवॉर्ड भी मिल चुका है। वहीं आईपीएस कृष्ण प्रकाश नायर 2021 और 2022 में उन्हें अवॉर्ड देकर सम्मानित कर चुके हैं।
डॉ निकेश जैन मधानी फाइनेंस एडवाइजर हैं इनके कई बिजनेस हैं जैसे कि मधानी फाइनेंस, मधानी एंटरटेनमेंट एंड प्रोडक्शन, मधानी ट्रेडिंग कंपनी, मधानी न्यूज लाइव 24×7 और मधानी इंटरप्राइज इत्यादि। इसके साथ ही निकेश की माँ के नाम पुष्पा गृह उद्योग कंपनी और पुष्पम पापड़ कंपनी है।
डॉ. निकेश ताराचंद जैन मधानी ने एक हिंदी कॉमेडी फिल्म प्रोड्यूस की है जो जल्दी ही रिलीज होने वाली है। फिल्म में जाने-माने अभिनेता नज़र आएंगे। इसके पहले उन्होंने 12 म्यूजिक एल्बम ओर शॉर्टफिल्म को यू टुब चैनल मधानी एंटरटेनमेंट और प्रोडक्शन यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया है। आगे वह नए प्रतिभाशाली कलाकारों को मौका देते रहेंगे।
डॉ. निकेश जैन मधानी डाउन टू अर्थ इंसान हैं, उन्होंने जीवन में बहुत संघर्ष किया है और आज एक सफल बिजनेसमैन बन गये हैं। उनके बॉलीवुड, कॉरपोरेट और पॉलिटिक्स में अच्छे संबंध हैं और कई मौकों पर उन्हें मान सम्मान मिलता रहता है।
निकेश ताराचंद जैन मधानी ने लॉ बुक में इतिहास बनाया है। दरअसल उनके ऊपर 2014 में ईडी पीएमएलए का केस हो गया था। फिर उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ते हुए 2017 में सुप्रीम कोर्ट से धारा 45 ए रद्द हुआ जिससे कानून के किताब में डॉ निकेश जैन मधानी का नाम दर्ज हुआ और उनके ऊपर लगे धारा को हटाने में प्रसिद्ध वकील मुकुल रोहतगी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। निकेश जैन की कानून लड़ाई में जाने माने वकील साजल यादव, वकील नेमीचंद शर्मा और वकील मनीष वोरा ने भी सहयोग किया।
डॉ. निकेश कहते हैं कि आज मैं जो कुछ भी हूं वो सब मेरे माता पिता के आशीर्वाद का फल है।
आपको बता दें कि डॉ. निकेश जैन मधानी ने मुंबई से ग्रेजुएशन किया है और उन्होंने अपने पिता ताराचंद जैन मधानी के बिजनेस को आगे बढ़ाया है।
डॉ. निकेश ताराचंद जैन मधानी सबसे सफल व्यवसायी रतन टाटा, मुकेश अंबानी, गौतम आदानी और लक्ष्मी मित्तल से प्रेरित हैं।

– संतोष साहू

आदर अभिनन्दन “आभार मिशन सिलक्यारा’’ कार्यक्रम में श्रमिक संगठनों ने मुख्यमंत्री धामी का किया आभार व्यक्त

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17 दिसंबर 2023,रविवार ,देहरादून
संजय बलोदी प्रखर
मीडिया समन्वयक उत्तराखण्ड प्रदेश

देहरादून ,17 दिसंबर ,मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित ‘आदर अभिनन्दन, आभार मिशन सिलक्यारा’’ कार्यक्रम में श्रमिक संगठनों द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग से 41 श्रमिकों को सकुशल निकालने के लिए सिलक्यारा रेस्क्यू में लगी केन्द्र एवं राज्य सरकार की सभी एजेंसियों द्वारा सराहनीय कार्य किया गया। इस मुश्किल घड़ी में श्रमिकों ने जो धैर्य रखा वो हम सभी को हमेशा प्रेरित करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और श्रमिकों की हिम्मत से ही यह रेस्क्यू अभियान सफल हुआ। प्रधानमंत्री प्रतिदिन इस रेस्क्यू ऑपरेशन की उनसे अपडेट लेते थे और श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए विशेषज्ञों और आवश्यक उपकरणों की जो भी आवश्यकता पड़ी, प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में शीघ्रता से प्राप्त होते रहे। इस रेस्क्यू अभियान के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय की टीम व केन्द्रीय राज्य मंत्री जनरल वीके.सिंह भी इस रेस्क्यू अभियान के दौरान लगातार सिलक्यारा में मौजूद रहे। केन्द्रीय एवं राज्य की एजेंसियों द्वारा समन्वय के साथ कार्य कर इस ऑपरेशन को सफल बनाया गया। यही नहीं सभी श्रमिकों के परिजनों ने उस चुनौतीपूर्ण समय में जिस संयम और साहस का परिचय दिया, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है। उन्होंने इस बचाव अभियान में लगे सभी लोगों का भी राज्य की जनता की ओर से आभार व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि टनल में फंसे श्रमिकों के धैर्य ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभी का मनोबल बढ़ाया। अनेक प्रयासों के बाद भी जब समय अधिक लग रहा था तो, श्रमिकों ने कहा कि अधिक समय लगने की उनको चिंता नहीं है, प्रयास हो कि वे सुरक्षित बाहर निकल जाएं। श्रमिकों के इन शब्दों ने रेस्क्यू अभियान में लगे सभी लोगों का हौंसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि हमारे श्रमिक एक बेहतर और समृद्ध भारत की नींव तैयार कर रहे हैं। “श्रमेव जयते“ के मंत्र को ध्यान में रखकर केन्द्र व राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में श्रमिकों के कल्याण के लिए निरंतर कटिबद्ध है। केंद्र सरकार ने श्रम कानूनों में अनेक बदलाव किए हैं। श्रम सुविधा पोर्टल शुरू किया गया है, जिसके अंतर्गत आठ अहम श्रम कानूनों को एक कर उनके सरलीकरण का काम किया गया है। आज हर श्रमिक को एक विशेष लेबर आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जा रहा है ताकि उसकी पहचान की जा सके जिससे उन्हें योजनाओं का लाभ मिल सके। श्रमिक और नियोजक के बीच बेहतर तालमेल हो सके इसके लिए नेशनल सर्विस पोर्टल भी बनाया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्वकर्मा जयंती पर 13 हजार करोड़ की “पीएम विश्वकर्मा योजना“ की शुरुआत की, जिससे देशभर के लगभग 30 लाख श्रमिक परिवारों को लाभ मिलेगा। इस योजना के तहत पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों सहित अन्य श्रमिक भाइयों को बिना गारंटी के न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण सहायता प्रदान की जाएगी। आजादी के बाद इतने बड़े स्तर पर इस योजना के लागू होने से स्पष्ट है कि अंत्योदय के सिद्धान्त पर कार्य हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में इस दशक को उत्तराखण्ड का दशक बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा हर क्षेत्र में तेजी से कार्य किये जा रहे हैं। 2025 तक उत्तराखण्ड को हर क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।

सचिव श्रम आर. मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि मिशन सिलक्यारा एक चुनौतीपूर्ण टास्क था। पूरे देश और दुनिया की नजरें इस पर थी। उन्होंने कहा कि इस मिशन को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने रेस्क्यू में लगे लोगों का लगातार मनोबल बढ़ाया। कल्याणकारी राज्य हर वर्ग के प्रति संवेदनशील होता है, इसका परिचय मुख्यमंत्री ने दिया। उन्होंने कहा कि श्रम विभाग द्वारा शीघ्र ही श्रम विभाग की चौपाल आयोजित की जायेगी।

इस अवसर पर भारतीय मजदूर संघ के सुमित सिंघल ने कहा कि सिलक्यारा मिशन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जिस तरह मौके पर डटे रहे और हर पल की अपडेट लेते रहे, उन्होंने अपने जीवनकाल में किसी रेस्क्यू अभियान में इस दृढ़ता से कार्य करने वाले किसी मुख्यमंत्री को नहीं देखा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने किस तरह श्रमिकों की चिंता की और उनका जीवन बचाया, यह सबने देखा। उन्होंने कहा कि इस मिशन की सफलता के बाद श्रमिकों का मनोबल बहुत बढ़ा है।

ट्रेड यूनियन कॉर्डिनेशन के अध्यक्ष श्री नवीन कुरील ने कहा कि सिलक्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मौके पर रहकर जिस तरह सबका मनोबल बढ़ाया वह सराहनीय था। मिशन की सफलता के बाद सबके दिलों में उनके लिए अलग जगह बनी है।

इस अवसर पर श्रमायुक्त सुश्री दीप्ति सिंह, विभिन्न श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि और श्रमिकों के परिजन उपस्थित थे।

शहीदी दिवस : 17 दिसंबर महान परोपकारी व समाज कल्याणकारी श्री गुरू तेग बहादुर

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माधवदास ममतानी – विभूति फीचर्स
श्री गुरू नानक देवजी के नवें स्वरूप ‘श्री गुरू तेग बहादरजीÓ का जन्म पंजाब के प्रसिद्ध शहर अमृतसर में वैशाख वदी 5 संवत 1678 अर्थात 12 अप्रैल 1621 को हुआ। इनके पिता का नाम श्री हरगोबिंद है, जो सिख धर्म के छठवें गुरू हैं। इनकी माता का नाम नानकी है।

श्री गुरू तेग बहादुर को प्रारंभिक शिक्षा विद्वान बाबा बुढ्ढा से प्राप्त हुई। बालक तेग बहादुर को पंजाबी के साथ-साथ ब्रज (हिंदी) भाषा की शिक्षा भी दी गयी। सिख धर्मदर्शन के अधिकारी विद्वान भाई गुरदास ने बालक को दर्शन-साहित्य आदि विषयों में प्रवीण किया। बालक ने इसी दौरान हिंदू, इस्लाम आदि धर्मो का गहन अध्ययन किया।

महान परोपकारी व समाज कल्याणकारी:- श्री गुरु तेग बहादुर जी ने कीरतपुर शहर से 6 मील की दूरी पर स्थित रियासत कलिलूर दून में राजा भीमचंद के पिता दिलीपचंद से 5 मील ‘मुरबा माखोवलÓ गांव की जमीन 1 लाख 57 हजार रुपए में खरीदकर अनंदपुर नगर बसाया जो कि गुरूओं के बसाये गए पांच प्रमुख तख्तों में से एक है। समाज कल्याणकारी व परोपकारी गुरुजी ने साधसंगत व गरीबों-अनाथों के रहने के लिए यह नगर बसाया, जहां वे सुख व आराम को प्राप्त कर सकें। सन् 1721 विक्रमी को अनंदपुर साहिब का निर्माण कार्य संपूर्ण करने के पश्चात परिवार सहित कुछ संगत लेकर अंतर्यामी गुरुजी पूरब दिशा की ओर चल दिए। रास्ते में अनेक तीर्थ स्थानों पर संतों एवं नाम जपने वालों को सही राह बताई और श्रद्धालुओं-प्रेमियों को दर्शन देकर निहाल किया। गुरूजी ने अनेक अहंकारियों का अहंकार तोड़ उन्हें प्रभु सिमरन व सत व्यवहार का उपदेश देकर जगह-जगह गरीबों व जरुरतमंदों को अन्न-वस्त्र दान दिया। वे रोपड़ होकर मूलोवाल गांव पहुंचे। वहां के रहवासी भाई मैया और गोंदा गुरुजी का दर्शन करने आए और माथा टेककर गुरुजी के पास श्रद्धा से बैठ गए। गुरुजी ने कहा कि पीने का ठंडा जल लेकर आओ। भाई गोंदे ने कहा महाराज यहां जो कुंआ है उसका जल खारा है और उसमें बहुत कचरा पड़ा रहता है। गांव वाले इस कुंए का पानी नहीं पीते यदि आप हुकुम करें तो यहां से कुछ दूर एक कुंआ है उसका पानी लाएं।

परोपकारी गुरुजी ने कहा कि इस कुंए में से कचरा निकलवाकर मरम्मत कराओ व इस कुंए में से ‘वाहिगुरुÓ उच्चारण कर हमारे पीने के लिए पानी ले आओ। भाई गोंदा कुंआ साफ कर कुंए से पानी लेकर आया व पानी को मीठा, ठंडा व स्वच्छ देखकर हैरान हो गया। गुरुजी ने उस जल को पीकर प्रसन्न होकर वचन फरमाया कि यह जल स्वच्छ और बहुत मीठा है, आज से यह कुंआ ‘गुरु का कुंआÓ कहलाएगा। अब इसका पानी खारा नहीं रहेगा और गांव वालों को दूर-दूर से पानी लाने का कष्ट नहीं करना पड़ेगा। इस गांव में और नौ कुएं बनेेंगे परंतु यदि कोई ग्यारवां कुंआ बनवाएगा तो वह ढह जाएगा। गुरुजी के वचनानुसार आज तक उस गांव में दस ही कुंए हैं कोई ग्यारहवां कुंआ नहीं बना है।

जब लोगों को ज्ञात हुआ कि गुरु के वचन से कुंए का खारा जल मीठा हो गया है तो बड़ी श्रद्धा व भावना से भेंट लेकर गुरुजी के दर्शन के लिए आए और गुरुजी ने वहां सभी को सतिनाम और सतव्यवहार का उपदेश देकर परमात्मा के नाम से जोड़ा।

गुरुजी ने अपने जीवन काल में कई शहरों का भ्रमण किया व अपनी आध्यात्मिक वाणी से शिष्यों को उपदेश दिये। पूर्व के तीर्थों के उद्धार व सुधार के लिए चक माता नानकी (आनंदपुर) से यात्रा आरंभ की। चक माता नानकी के निर्माण के बाद पहले कीतरपुर से 3 मील दूर एक गांव में पड़ाव लगाया। उस समय वर्षा से उस क्षेत्र के गरीब किसानों व कामगारों की फसलें, कच्चे मकान इत्यादि तबाह होकर गिर गए थे। गुरुजी ने अपने कोषपति को हुकुम दिया कि वे उस भेंट में मिले धन को जिन-जिन गावों में मकान गिर गए हैं जिनकी फसलें तबाह हो गई हैं उन्हें सहायता देने में लगाएं। उस गांव में शुद्ध पानी की गंभीर समस्या थी। गुरुजी ने नए कुंए बनाने के लिए पर्याप्त धन की सहायता की। गुरुजी उस गांव के लोगों के भोलेपन व भक्तिभाव पर इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने उस गांव वालों को वर दिया कि ”जो आपको दुख देगा वह कभी सुखी नहीं रहेगा।

कीरतपुर के पश्चात गुरुजी सेफाबाद पहुंए। वहां के नवाब सैफुद्दीन की हार्दिक तमन्ना थी कि गुरुजी उसे परिवार सहित घर में दर्शन दें। गुरुजी सैफुद्दीन के यहां दो सप्ताह रहे व जाते समय गुरुजी ने उसे उपदेश दिया ”हर क्षण परमात्मा को याद रखना, आए हुए फकीरों व दरवेशों की सेवा करना, गरीबों अनाथों की सहायता करना तथा शुभ कर्मों से कभी भी संकोच न करना।ÓÓ इस तरह गुरुजी हमेशा दीन दुखियों की सहायता करने के लिए सभी को प्रेरित करते थे।
तद्नंतर गुरुजी केथल, पहोवा, बरना, करणखेड़ा होते हुए कुरुक्षेत्र पहुंचे। कुरुक्षेत्र में गुरुजी उस पवित्र स्थान के निकट ठहरे जहां गुरु नानक, गुरु हरिगोबिंद और गुरु हरिराय साहब ने चरण डाले थे। कुरुक्षेत्र से गुरुजी बानपुर पहुंचे, जहां एक किसान ने गुरुजी को गांव में पानी की विकट समस्या व गांव की गरीबी से अवगत कराया। तब दयालु गुरुजी ने मोहरों से भरा हुआ बदरा (थैली) दिया और आदेश दिया कि यहां एक कुंआ बनवाओ व जमीन खरीदकर सुंदर धर्मशाला बनवाओ जहां हरी सिमरन/कीर्तन हो। तब से इस गांव का नाम ‘बानी बदरपुरÓ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

इस तरह गुरुजी ने अपनी यात्रा के दौरान दीन दुखियों व जरुरत मंदों की सामयिक सहायता की। उन स्थानों पर स्थित गुरुद्वारों में अभी भी संतों-फकीरों, यात्रियों को गुरु का लंगर व अन्य सहायता प्रदान होती हैं। परोपकारी गुरुजी परमात्मा के नाम से जोड़ने के साथ-साथ समाज कल्याण के कार्यों में भी रुचि रखते थे जिसके ज्वलंत उदाहरण उपरोक्त वर्णित है। अन्तत: हमें भी गुरुजी द्वारा बताए मार्ग पर चलकर प्रभु सिमरन के साथ-साथ समाज कल्याण के कार्यों एवं सतव्यवहार में रुचि लेनी चाहिए।

कालांतर में गुरुजी ने हिंदू धर्म के तिलक जनेऊ की रक्षा के लिए 19 दिसंबर 1675 ईसवी (साका मघर सुदी 5 संवत् 1732) को शहीदी दी। जिसकी समकक्ष अंग्रेजी तिथि इस वर्ष रविवार 17 दिसंबर 2023 को है। ऐसे महान परोपकारी व समाज कल्याणकारी श्री गुरू तेग बहादर को उनके शहीदी दिवस पर कोटि कोटि नमन। (विभूति फीचर्स)

पंजाब के आई.ए.एस और आईपीएस अफसरों की पहली पसंद बना मोहाली

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सुभाष आनंद – विभूति फीचर्स
पंजाब के आई ए एस और आई.पी.एस अफसरों की पहली पसंद चंडीगढ़ हुआ करता था जबकि हरियाणा केडर के
अफसरों की पहली पसंद पंचकूला हुआ करता था । नए आंकड़ों के अनुसार अब पंजाब के बड़े अफसरों की पहली पसंद मोहाली बनता जा रहा है। सूत्रों से पता चला है कि मोहाली पंजाब का हिस्सा होने के कारण यहां कोठी बनाना बड़ा
आसान है और पंजाब के अन्य शहरों की अपेक्षा मोहाली कम प्रदूषण वाला इलाका भी है।

पंजाब के बड़े अधिकारी जो अपनी रिटायरमेंट पर बैठे हुए हैं उनकी पहली पसंद है कि उनका घर अपना हो और
अधिकतर चंडीगढ़ के आसपास हमेशा के लिए सैट होना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छे कालेजों में
पढकऱ नौकरी की तलाश कर सकें। पंजाब हरियाणा व हिमाचल के 844 आई.ए.एस और आई.पी.एस अफसरों में 243 अफसरों के रेनबसेरे इन बड़े शहरों में बने हुए हैं।

पंजाब के 62 अफसर ऐसे हैं जिनकी मोहाली में 2 से ज्यादा जायदादें है, जबकि 14 अफसर ऐसे हैं जिनकी मोहाली में
3 से ज्यादा जायदादें हैं। 2019 में एक महिला आई.ए.एस अधिकारी ने एक रिहायशी कोठी सवा करोड़ में खरीदी थी।
आज उसकी कीमत 3 करोड़ से ज्यादा आंकी गई है। हरियाणा के 240 अफसरों ने अपने नाम पर जायदादें चंडीगढ़
और पंचकूला में बनाई थी, कई बेनामी जायदादें भी खरीदी गई। सूत्रों से मिली जानकारी के कारण यह बड़े अधिकारी
पंजाब के अन्य शहरों में इसलिए नहीं रहना चाहते,क्योंकि इन शहरों में भीड़-भाड़ ज्यादा होती है। सूत्रों से पता चला है
कि कई बड़े -बड़े अफसरों ने फ्लैटों की खरीद-फरोख्त का धंधा भी शुरू किया हुआ है। कई बड़े अधिकारियों ने अपने
बच्चों और पत्नी के नाम पर जायदादें खरीद रखी हैं। हरियाणा के 87 अफसरों ने गुडग़ांव में रिहायशी कोठियां बना
रखी है। फरीदाबाद में 24 अफसरों ने अपना रेनबसेरा बना रखा है,कई अफसरों ने तो फार्म हाऊस बना रखे हैं,
एक कनाल के प्लाट यहां सबकी पसंद बने हुए हैं,जिनकी कीमत करोड़ों रुपए की आंकी जा रही है। सूत्रों से मिली
जानकारी के अनुसार सिविल सर्जन,डिप्टी डायरेक्टर पदों पर तैनात अधिकारी भी चंडीगढ़ के आसपास सैटल होना
चाहते हैं।

मोहाली में ऐसी कालोनियां भी काटी जा रही है जहां सिर्फ बड़े अफसरों को प्लाट दिए जाने का मालिक द्वारा फैसला
किया गया है ताकि प्लाटों के अधिक से अधिक पैसे कमा सकें। पंजाब के कुछ बड़े अधिकारियों के आमदनी से ज्यादा
जायदाद बनाने के केस भी विजीलैंस विभाग में पैंडिंग पड़े हुए हैं। इसी प्रकार हिमाचल के आई.ए.एस, आई.पी.एस
और कई बड़े अधिकारियों ने अपना रेनबसेरा शिमला में बनाया हुआ है,आंकड़ों के अनुसार 32 रिटायर्ड अफसरों में से
12 शिमला में रह रहे हैं,शिमला की आबो हवा भी बहुत अच्छी मानी जाती है। (विभूति फीचर्स)

जन्मतिथि के अंकों से जानिये अपना व्यक्तित्व

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सुनील जैन राना’ – विभूति फीचर्स
जिस प्रकार जन्मपत्री एवं हस्तरेखाओं द्वारा ज्योतिषी भूत-भविष्य का पता लगा लेते हैं, उसी प्रकार अंक विज्ञान
द्वारा भी मानव के व्यक्तित्व के बारे में काफी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। प्राचीनकाल में भारतीय
खगोलशास्त्री, मि व बैवीलोनिया के विद्वानों ने अंकों के रहस्य के बारे में बहुत सटीकता से बताया है। सुप्रसिद्ध
पाश्चात्य अंकशास्त्री कीरो ने ग्रहों के रहस्य को उजागर कर सभी लोगों को इस ज्ञान से लाभान्वित किया है। इन सब
ज्ञाताओं ने अनेक रहस्यों को खोलकर रख दिया था, जिसे आज के आधुनिक विज्ञान ने सैकड़ों वर्ष बाद सही बताया
है।

अंक से व्यक्तिव की जानकारी- अंकों द्वारा हम किसी भी व्यक्ति के बारे में काफी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अंक
से तात्पर्य 1 से 9 तक के अंकों से है। हमारी जन्मतिथि के अंक के आधार पर हमारे व्यक्तित्व का पता चल जाता है।
यूं तो अंकों से जानकारी के कई तरीके हैं और उनका वर्णन करना भी काफी व्यापक है। हम आपको यहां तरीकों के
नाम संक्षिप्त में बता रहे हैं एवं मुख्य तरीका थोड़ा विस्तार से बता रहे हैं। अंक ज्ञान 5 प्रकार से किया जा सकता है।
1. मूलांक, 2. भाग्यांक, 3. नामांक, 4. स्तूपांक, 5. संयुक्तांक।
मूलांक- इससे तात्पर्य जन्मांक से है अर्थात हमारी जन्मतिथि का अंक। हमारी जन्मतिथि 1 से 9 तक के मूल अंकों में
निहित है। जिनकी जन्मतिथि दो अंकों में है, उन्हें उन दोनों अंकों को जोड़कर योग द्वारा एक अंक निकाल लेना
चाहिए जैसे अंक 10=1+0=1 अंक 19=1+9=10=1+0=1 अंक। हमारी जन्मतिथि से हमारे व्यक्तित्व के बारे में काफी
कुछ बताया जा सकता है।
भाग्यांक- इसका तात्पर्य जन्मतिथि, माह एवं वर्ष से होता है। उदाहरण- यदि आपका जन्म 6 मार्च 1965 को है तो
भाग्यांक इस प्रकार निकलेगा, 6+3+ 1+ 9+ 6+ 5= 30= 3+0=3 अर्थात् भाग्यांक 3 होगा।
नामांक- नामांक जानने के लिए प्रचलित नाम के अंग्रेजी के अक्षरों को बताये गये नम्बरों से गणना कर एवं जोड़कर
नामांक निकाला जाता है।
स्तूपांक एवं संयुक्तांक के लिए भी कुछ सटीक फॉर्मूले हैं। उनके द्वारा गणना कर ही एक अंक निकाल सकते हैं।
उपरोक्त सभी विधियों में मूलांक या जन्मांक की सर्वाधिक उपयोगिता है। मूलांक द्वारा कुछ बातें इस प्रकार बतायी
गयी हैं।
अंक 1- जन्मांक 1, 10, 19, 28 वाले इसी श्रेणी में आते हैं। यह सूर्य का प्रतिनिधि अंक है। इस अंक वाले व्यक्ति
स्वाभिमानी, उच्चाभिलाषी, दृढ़निश्चयी, आत्मनिर्भर, शक्तिशाली एवं प्रखर बुद्धि वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने
साथ अच्छा व्यवहार करने वालों के साथ हित एवं अपने को हानि पहुंचाने वालों के साथ दुष्टïता करना नहीं भूलते।
ऐसे लोगों से उनकी इच्छा के विपरीत कार्य करवाना असम्भव-सा होता है। ये अपनी प्रखर बुद्धि से अपने व्यवसाय,
अपने पद की गरिमा बनाये रखते हैं। नेतृत्व करने की इनमें अत्यधिक क्षमता होती है।
अंक 2- जन्मांक 2, 11, 20, 29 वाले इसी श्रेणी में आते हैं। यह चन्द्रमा का प्रतिनिधि अंक है। 2 अंक वाले व्यक्ति
विनम्र, उदार, कल्पनाशील, कलाप्रिय, धैर्यवान व भावुक होते हैं। इसी भावुकता के कारण ये ज्यादा तरक्की नहीं कर
पाते हैं। विनय तथा उदार स्वभाव इनके आत्मविश्वास को डगमगा देता है, जिसके कारण ये चाहकर भी ज्यादा आगे
नहीं बढ़ पाते हैं। इनकी सोच प्राय: इन तक ही सीमित रहती है।

अंक 3- जन्मांक 3, 12, 21, 30 वाले इसी श्रेणी में आते हैं। यह देवगुरु बृहस्पति का प्रतिनिधि अंक है। इस अंक वाले
व्यक्ति महत्वाकांक्षी, स्वाभिमानी, दृढ़ निश्चयी, बुद्धिमान, अनुशासनप्रिय एवं एकांतप्रिय होते हैं। खूब धन कमाना
एवं खर्च कर डालना इनका स्वभाव होता है। तानाशाही प्रवृत्ति के कारण अपनी बात को मनवाने के चक्कर में वे अपने
शत्रु भी बना लेते हैं। ऐसे व्यक्ति जिस भी क्षेत्र में कार्य करें, उच्चतम सफलता प्राप्त करते हैं, लेकिन आकस्मिक
कार्यों से इनको धनहानि भी बहुत होती है।
अंक 4 -जन्मांक 4, 13, 22, 31 वाले इसी श्रेणी में आते हैं। यह अंक यूरेनस या हर्षल का प्रतिनिधित्व अंक है। 4 अंक
वाले व्यक्ति व्यवहार कुशल, आत्माभिमानी, व्यवस्थित, अपरम्परावादी होते हैं। कम विनोदप्रियता, धन अपव्यय,
स्वास्थ्य के प्रति सतर्क, कम मिलनसार इनका स्वभाव होता है। लीक से हटकर कार्य करना, परम्परागत नियमों से
कमी ढूंढऩा, किसी भी बात को विपरीत दृष्टिïकोण से देखना इनकी आदत होती है। 4 अंक वाले व्यक्ति कुछ अलग ही
स्वभाव व सोच वाले होते हैं।
अंक 5- जन्मांक 5, 14, 23 वाले इसी श्रेणी में आते हैं। यह अंक बुध का प्रतिनिधि अंक है। 5 अंक वाले महत्वाकांक्षी,
लेकिन सरल स्वभावी एवं सेवाभावी होते हैं। किसी से भी मित्रता कर लेना एवं अपने को कष्टï में डालकर भी मित्रों की
सहायता करना इनका स्वभाव होता है। बड़े-बड़े कार्यों की योजनाएं बनाना, लेकिन पूरी न कर पाना, शीघ्र धन प्राप्ति
के कार्यों में रुचि रखना, किसी से आचरण में अच्छे तो अच्छे रहना एवं किसी से आचरण में बुरे हैं तो बुरे ही रहना
इनकी आदत होती है। अपने ऊपर थोड़ा-सा मानसिक दबाव पड़ते ही इनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है।
अंक 6- जन्मांक 6, 15, 24 वाले इसी श्रेणी में आते हैं। यह अंक शुक्र का प्रतिनिधि अंक है। 6 अंक वाले व्यक्ति
व्यवहारकुशल, आत्मविश्वासी, दृढ़निश्चयी, हाजिर जवाब, स्पष्टï वक्ता, सौन्दर्योपासक, अनुशासनप्रिय, देशभक्त
एवं हठी होते हैं। किसी भी कार्य को योजनापूर्वक दृढ़ता से करना, चातुर्यपूर्ण बातें कर दूसरों को प्रभावित करना, अपने
आकर्षण से मित्र बनाना एवं अपनी बात को मनवाने में इन्हें महारथ हासिल होती है। विपरीत परिस्थितियों में भी ये
अपनी बात से पीछे नहीं हटते।
अंक 7- जन्मांक 7, 16, 25 वाले इसी श्रेणी में आते हैं। यह अंक नेप्चून का प्रतिनिधि अंक है। 7 अंक वाले व्यक्ति
स्वतंत्र स्वभावी, विचारशील, धार्मिक, मौलिक, सतर्क, तीव्र बुद्धिमान, हिम्मती, दृढ़निश्चयी, विवेकवान होते हैं। ये
किसी भी कार्य को प्रारंभ कर उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं। कठिनाइयों से घबराते नहीं, बहुत सोच-समझकर
योजनाबद्ध एवं बुद्धिमानीपूर्वक कार्य करते हैं। ये रूढि़वादी नहीं होते। अपने विवेक से मौलिक बातें कहना इनका
स्वभाव होता है। मौलिकता उनके व्यवहार में, उनके व्यवसाय में दृष्टिगोचर होती है।
अंक 8- जन्मांक 8, 17, 26 वाले इसी श्रेणी में आते हैं। यह अंक शनि का प्रतिनिधि अंक है। अधिकांशत: 8 अंक को
सौभाग्यशाली अंक नहीं माना जाता है। इस अंक वाले व्यक्ति को जीवन भर संघर्ष, प्रतिस्पर्धा, ईष्र्या का सामना
करना पड़ता है। ये लोग तीव्र महत्वाकांक्षाओं के कारण सफलता के शॉर्टकट तलाशते रहते हैं, जिसके कारण व्यर्थ के

झंझट में पड़ जाते हैं। ऐसे लोग गंभीर प्रकृति और धार्मिक रुचि के होते हैं, लेकिन कभी-कभी इनकी कट्टïर धार्मिकता
के कारण स्थिति विकट हो जाती है। समाज में उनके प्रति गलतफहमी बनी रहती है।
अंक 9- जन्मांक 9, 18, 27 वाले इस श्रेणी में आते हैं। यह अंक मंगल का प्रतिनिधित्व करता है। 9 अंक वाले
आत्मविश्वासी, शौकीन, हितैषी सौन्दर्योपासक, अनुशासनप्रिय, संघर्षशील, दृढ़निश्चयी, परोपकारी होते हैं। मित्र
बनाने में दक्ष, कार्य को समय पर सफलतापूर्वक करना इनका स्वभाव होता है। कार्य में बाधा आने पर भी निरन्तर
संघर्ष कर दृढ़ इच्छाशक्ति से ये सभी बाधाएं पार कर लेते हैं। कार्य में दूसरों का दखल ये बर्दाश्त नहीं कर पाते। ये
स्वतंत्र स्वभाव के होते हैं। स्त्री के प्रेमजाल में फंस जायें तो अपना सब कुछ गंवा सकते हैं। (विभूति फीचर्स)

अरिष्टदायक ग्रहों को शुभदायक बनाने के लिए कुछ सरल उपाय

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ब्रह्मïर्षि वैद्य पं. नारायण शर्मा कौशिक – विभूति फीचर्स
प्रत्येक प्राणी पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है यथा पिण्डे तथा ब्राह्मणे’ के अनुसार अरिष्टदायक स्थिति को शुभ
मंगलमय बनाने के लिए कुछ सरल उपाय करें तो निश्चित ही हमें शुभदायक परिणाम मिलेंगे तथा जीवन में नए
कार्य के प्रति बनायी गयी योजनाओं में लाभ भी प्राप्त होगा। पुण्य कार्य सुफलम् दायकम् हम करें। उपाय सरल एवं
सर्वजन हेतु करने योग्य कुछ इस प्रकार हैं-

1. प्रात:काल उठते ही माता-पिता, गुरु एवं वृद्धजनों को प्रणाम नित्य करें तथा उनका आत्मिक आशीर्वाद प्राप्त
करके नित्य सुफल प्राप्त करें।
2. नित्य प्रति गाय को गुड़, रोटी देवें। हो सके तो गाय का पूजन करके आज के दिन यह कामधेनु वांछित कार्य करेगी,
ऐसे भावना करें।
3. नित्य प्रति कुत्तों को रोटी खिलानी चाहिए। पक्षियों को दाना भी डालें तो शुभ है।
4. यदि आपके शहर, गांव के पास तालाब, नदी या सागर हो तो उसमें कछुए और मछलियों को कुछ आटे की गोलियां
बनाकर खिलानी चाहिए।
5. नित्य प्रति चील-कौओं को खाने-पीने की वस्तुओं में से कुछ हिस्सा अवश्य डालना चाहिए तथा गौ ग्रास भी भोजन
करते समय नियमित निकालें।
6. घर आये अतिथियों की सेवा निष्काम भाव से करनी चाहिए तथा उनकी ओर से प्राप्त संदेश ध्यान से सुनकर योग्य
संदेश का अनुकरण करना चाहिए।
7. हमेशा प्रात:काल भोजन बनाते समय माता-बहनें एक रोटी अग्निदेव के नाम से बनाकर घी तथा गुड़ से बृहस्पति
भगवान को अर्पित करें तो घर में वास्तु पुरुष को भोग लग जाता है, इससे अन्नपूर्णा भी प्रसन्न रहती है।
8. प्रात: स्नान करके भगवान शंकर के शिवलिंग पर जल चढ़ाकर 108 बार 'ऊँ नम: शिवाय’ मंत्र की पूजा से युक्त
दण्डवत नमस्कार करना चाहिए।
9. स्नान के पश्चात प्रात: सूर्यनारायण भगवान को लाल पुष्प चढ़ाकर बार-बार हाथ जोड़कर नमस्कार करना चाहिए।
10. प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल + कच्चा दूध थोड़ा चढ़ाकर सात परिक्रमा करके सूर्य, शंकर, पीपल इन
तीनों की सविधि पूजा करें तथा चढ़े जल को नेत्रों में लगावें और पितृ देवाय नम: भी 4 बार बोलें तो राहु+केतु+शनि+
पितृ दोष का निवारण होता है।
11. प्रात:काल सूर्य के सम्मुख बैठकर एकान्त में भगवत भजन या मंत्र या गुरु मंत्र का जप करना चाहिए।
12. यथा शक्ति कुछ न कुछ गरीबों को दान देना चाहिए।
13. प्रत्येक प्राणी पर दया भाव के साथ तन-मन-धन से सहयोग यथा योग्य करना चाहिए। सेवा कर यश प्राप्ति की
भावना नहीं रखें।
14. अमक्ष्य वस्तुओं को कभी ग्रहण नहीं करना चाहिए।

15. सदैव ईश्वर की महान शक्ति पर पूर्ण विश्वास करते हुए जीवन जीना चाहिए तथा अधर्म (हिंसा) से डरते हुए यानी
बचते हुए धर्म (अहिंसा) की भावना से मानव मात्र का कल्याण हो, ऐसा चिन्तन होना चाहिए।
16. प्रत्येक प्राणी के प्रति यथा शक्ति दया, स्नेह और सेवा की भावना रखें।
17. रविवार या मंगलवार को कर्ज नहीं लेवें, बल्कि बुधवार को कर्ज लेवें।
18. मंगलवार को कर्ज चुकाना चाहिए तथा यह भी ध्यान रखें कि संक्राति हो और वृद्धि योग हो अथवा हस्त नक्षत्र
हो, तब कर्ज नहीं लेवें।
19. नियमित रूप से घर की प्रथम रोटी गाय को तथा अन्तिम रोटी कुत्ते को देवें तो घर में रिद्धि-सिद्धि का आगमन
एवं भाग्योदय होगा।
20. पितृ दोष से मुक्ति के लिए नित्य महा गायत्री के महामंत्र की नियमित साधना करें तथा श्री रामेश्वर धाम की
यात्रा कर वहां पूजन करें।
21. मातृ दोष से मुक्ति के लिए विष्णु भगवान की पूजा करें, उनकी कथा सुनें, चन्द्रायण व्रत करें और यथा संभव
यमुना नदी में स्नान तर्पण करें।
22. दरिद्रता दूर करने के लिए 108 लौंग और 108 इलायची के दाने लें। उन्हें ग्रहण काल में अथवा दीपावली के दिन
जलाकर भस्म बना लें। इस भस्म को देवी-देवताओं की तस्वीर पर लगाकर नित्य दर्शन तथा प्रार्थना करें।
23. यदि पलंग या खाट पर सोते हैं तो प्रात:काल उठते ही पृथ्वी को नमन करें।
24. किसी भी नये कार्य के लिए प्रस्थान से पूर्व मंगलीक (गुड़) का सेवन जरूर करें। (विभूति फीचर्स)

अगर आपकी जिंदगी से चले जाएं सुगंध और स्वाद?

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सुभाष बुड़ावनवाला – विभूति फीचर्स

ओलंपिक में दो बार स्वर्ण पदक जीत चुके जेम्स क्रैकनेल न सूंघ सकते हैं और नही किसी चीज का स्वाद ले सकते हैं।
एक दिमागी चोट के कारण उनकी सूंघने और स्वाद लेने की शक्ति कमजोर हो गई है- जिंदगी कैसी हो, अगर हमारी
ये महत्वपूर्ण इंद्रियां काम करना बंद कर दें?

इसी तरह डंकन बोक 2005 में गिरने से दिमाग में लगी गंभीर चोट के कारण अपनी सूंघने की शक्ति खो बैठे थे। कहा
जाता है कि खाने का स्वाद 80 प्रतिशत तक उसकी खुशबू से होता है। ऐसे में सूंघने की शक्ति के चले जाने का डंकन के जीवन पर व्यापक असर हुआ।

डंकन कहते हैं सूंघने की शक्ति खोने के बाद व्यक्ति अपने जीवन में ही एक दर्शक बन कर रह जाता है। यह उसी तरह है जैसे आप सभी चीजों के शीशे के पीछे से देख रहे हैं। ऐसा महसूस होता है कि जैसे आप जीवन में पूरी तरह से रम नहीं पा रहे हैं और जिंदगी के रंग उड़ गए हैं। हम दूसरों से अलग और अकेले हो जाते हैं।‘

जेम्स क्रैकनेल को अमरीका में बाइक चलाते हुए पेट्रोल टैंकर ने टक्कर मार दी थी। रेडियो टाइम्स को दिए एक
साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि वे अब न सूंघ सकते हैं और नही स्वाद ले सकते हैं। वे अब बस जीवित रहने के लिए ही
खाते हैं। खाना उनके लिए ऐसे ही जैसे कार के लिए पेट्रोल।

बेशकीमती खुशबू स्वाद न ले पाने की बीमारी को एजोसिया (अस्वाद) कहा जाता है। यह बहुत ही असाधारण लेकिन दुर्लभ बीमारी है, हालांकि इसका असर बहुत व्यापक नहीं होता।

अधिकतर लोग जिन्हें लगता है कि वे स्वाद नहीं महसूस कर पा रहे हैं, वे असल में अपनी सूंघने की क्षमता खो चुके
होते है। इस बीमारी को अनोसमिया (गंधज्ञानाभाव) कहते हैं और इसका मनोवैज्ञानिक और शारीरिक प्रभाव भयानक
हो सकता है।

सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सेंसेज के सह-निदेशक प्रोफेसर बैरी सी स्मिथ कहते है, 'अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग सूंघने की क्षमता खो देते हैं, वह अंधे हो गए लोगों से भी ज्यादा अवसाद के शिकार हो जाते हैं और लंबे समय तक
इसमें रहते हैं।

स्थिम का कहना है, सूंघने की शक्ति को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती है। लेकिन इसे खो देना न सिर्फ खाने का मजा
छीन लेता है बल्कि कोई भी व्यक्ति या जगह भी जानी पहचानी नहीं लगती। यह स्मृति से भी बहुत ही बारीकी से जुड़ी
हुई है। जीवन से इस भावनात्मक गुण को खो देने का बहुत ही व्यापक दुष्प्रभाव होता है और इससे निपटना भी
मुश्किल होता है।‘  फ्लू के कारण सुई माउनफील्ड अपनी सूंघने की शक्ति खो बैठी थीं। वे कहती हैं कि जिन गंधों की कमी वे सबसे ज्यादा महसूस करती हैं, वो भोजन से जुड़ी हुई नहीं हैं।

वे कहती हैं,मैं अपने बच्चों, अपने घर और अपने बगीचे की खुशबू की कमी महसूस करती हूं। जब ये नहीं होती तब  हमें अहसास होता है कि यह खुशबू कितनी आरामदायक और बेशकीमती थीं। ये आपको व्यवस्थित और जमीन से जुड़े होने का अहसास देती है। इन खुशबुओं के बिना मुझे लगता है कि मैं अपने जीवन को देख तो रही हूं लेकिन उसमें हिस्सा नहीं ले पा रही हूं।‘

न सूंघ पाने के खतरे
सूंघने की शक्ति खो देना दुनिया को और भी खतरनाक जगह बना देता है, स्मिथ कहते हैं, 'गंध और स्वाद उस
चौकीदार का काम करते हैं जो विषैले पदार्थों को हमारे शरीर में घुंसने से रोक देते हैं।‘ एलनकर जब आठ साल के थे
तब जिम में गिरने के कारण वह अपनी सूंघने की शक्ति खो बैठै थे। इसके कारण वह कई बार खतरे उठा चुके हैं।
गंध और स्वाद
– स्वाद ग्रंथियां जीभ के ऊपर, नीचे और बगल में और तथा मुंह में ऊपर और पीछे बनी होती हैं।
– यह ग्रंथियां भोजन के अणुओं के साथ मिलकर दिमाग को संदेश भेजती हैं।
– इन संदेशों से हमारा मस्तिष्क जो छवि बनाता है वही स्वाद होता है जिसे नमकीन, कड़वा, मीठा, तीखा या नीरस
कहा जा सकता है।
– जब मुंह के पिछले हिस्से से भोजन के अणु नाक में चले जाते हैं तब मुंह के जरिये भी हमें भोजन की गंध मिलती है।

स्मिथ बताते हैं, 'जब मैं यूनिवर्सिटी में था, तब दुर्घटनावश गैस खुली छोड़ गया। मैं पूरा दिन घर पर ही था लेकिन
मुझे पता ही नहीं चल पाया। तीन बजे के करीब जब मेरे साथ रहने वाले छात्र आए तब उन्हें गंध आई और गैस खुली
होने का पता चल सका। मैं थोड़ा असहज तो था लेकिन यह नहीं जान पा रहा था कि क्यों ऐसा हो रहा था।‘
वहीं बोक कहते हैं कि दुर्घटना के छह साल बाद उन्हें अवसाद का कारण पता चला। सूंघने की शक्ति के बारे में पढऩे के
बाद उन्हें जीवन बदल जाने जैसा अनुभव हुआ। उन्हें पता चला कि वह अवसाद में क्यों रहते हैं। अनोसमिया के
मरीजों की मदद के लिए उन्होंने अब ब्रिटेन का पहला सहायता समूह 'फिक्थ सेंस’ शुरू किया है। इस बात के कोई
अधिकारिक आंकड़े नहीं है कि ब्रिटेन में कितने लोग सूंघने की शक्ति खो देने की बीमारी से ग्रसित हैं लेकिन यूरोप
और अमरीका के आंकड़ों को एक साथ रखने पर यह कुल आबादी का करीब पांच प्रतिशत है।
नजरअंदाज करते हैं डॉक्टर सूंघने की शक्ति कई कारणों से चली जाती है। कुछ लोग जन्म से ही गंध नहीं ले पाते हैं। कईबार यह दिमाग में चोट लगने तो कई बार इंफेक्शन के कारण भी चली जाती है। बुढ़ापा भी इस बीमारी का एक कारण है। 75 वर्ष की उम्र के बाद सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता तेजी से कम होती है।

सूंघने और स्वाद लेने में आने वाली अबूझ दिक्कतें कईबार स्लेरोसिस, पार्किंसस और अलजाइमर जैसी गंभीर
बीमारियों का भी संकेते होती हैं। यह इन बीमारियों को ज्ञात संकेतों से सालों पहले ही सामने आ जाती हैं।
स्मिथ कहते हैं, 'स्वाद और गंध लेने में आ रही दिक्कतें इसबात का संकेत होती हैं कि कहीं कुछ गलत है। लोगों को इसका परीक्षण करवाना चाहिए लेकिन वे ऐसा नहीं करते। कई बार चिकित्सा विशेषज्ञ भी ऐसी दिक्कतों को
नजरअंदाज कर देते हैं।‘

ग्रसित लोग बताते हैं कि डॉक्टर इस बीमारी को अजीब बताते हुए उन्हें यह कहकर लौटा देते हैं कि इसका कोई इलाज
ही नहीं है। माउनफील्ड कहती हैं, 'चूंकि इसमें दर्द नहीं होता है, इसलिए बहुत से डॉक्टर मरीजों को इस बीमारी के साथ जीना सीख लेने की सलाह देते हैं।‘

वहीं चिकित्सा जगत से बाहर के लोग इस बीमारी को मनोरंजक मानते हुए एक विषमता के रूप में देखते हैं।
इस बीमारी के भौतिक परिणाम भी घातक हो सकतह्य है। ग्रसित लोगों का वजन कम हो जाता है। क्योंकि उन्हें खाने
में मजा नहीं आता। बोक बताते हैं कि उनसे ऐसे लोगों ने भी संपर्क किया है जिन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा
क्योकि उनके लिए भोजन करना एक मुश्किल काम हो गया था।

अनोसमिया को ठीक किया जा सकता है या नहीं, यह इस बीमारी के होने की वजह पर निर्भर करता है। कुछ लोगों की
गंध लेने की क्षमता में सुधार होता है तो कुछ लोग जीवन भर के लिए इससे वंचित रह जाते हैं।

अगर सुधार होता है भी है तब भी चीजों का स्वाद पहले जैसा नहीं रह जाता क्योंकि दिमाग गंधों की पहचान अलग रूप
में बना लेता है। ऐसे में चॉकलेट का स्वाद मांस जैसा लग सकता है।

जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ ड्रेस्डेन के 'स्मैल एंड टेस्ट क्लीनिक’ के प्रोफेसर थॉमस हम्मल के अध्ययन से पता चला है कि 12 हफ्तों तक रोज ऑयल, नींबू और लौंग जैसी तीव्र गंधों को लेने से सूंघने की क्षमता में सुधार होता है।
बोक की स्वाद ग्रंथियां अब भी काम कर रही हैं। जो रह गया है, वे उसी से काम चला रहे हैं। वे नमकीन या मीठे में फर्क कर पाते हैं। चीजों की बनावट भी उनके लिए महत्वपूर्ण हो गई है। वे बताते हैं, 'अब मैं बनावट के जरिए ही टमाटरों में फर्क कर सकता हूं। सूघने की शक्ति खोने से पहले मैं इस बारे में सोच भी नहीं सकता था।‘ (विभूति फीचर्स)

प्रज्ञान : बच्चों के लिए संवेदनात्मक रचनाएँ

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प्रज्ञान, बाल साहित्यकार डॉ सत्यवान सौरभ जी की इक्यावन बाल कविताओं का सुन्दर संग्रह है। इन कविताओं में जीवन के विविध रंग देखने को मिलते हैं। इनमें प्रकृति का सौन्दर्य है तो समाज की कुरूपता भी है। जहाँ बचपन के आनंद का सजीव चित्रण है वहीं आर्थिक विवशताओं के कारण काम के बोझ तले दबे बच्चों का मर्मस्पर्शी वर्णन है। बचपन जीवन का स्वर्णिम काल होता है लेकिन सभी बच्चों का बचपन एक – सा नहीं होता। कुछ बच्चों का बचपन काल के क्रूर हाथों द्वारा मसल दिया जाता है। इस कसक की झलक इस संग्रह में देखी जा सकती है-
कागज़ पर शिक्षा मिले,  वादों में बस प्यार।
बाल दिवस पर बाँटते, भाषण प्यार-दुलार।।
दो रोटी की चाह में, लूटता है संसार।
फुटपाथो पर रेंगते, झोली रहे पसार।।
 संग्रह की पहली कविता ‘बने संतान आदर्श हमारी’ है इसमें एक माता-पिता अपने आने वाले बच्चे के लिए सपने संजोते है। माता-पिता अपना बच्चा कैसा चाहते है। अपने आने वाले बच्चे के बारे में कवि सोचता  है। हमारे नायकों का उदाहरण देते हुए कवि का कहना है कि उनका  बच्चा भी जीवन में उनके अच्छे गुणों का समावेश करें और उनके बताये रास्ते पर चले। इस कविता में हमारे वीर-वीरांगनाओं  का स्वाभाविक चित्रण हुआ है। कवि का मानना है कि हर आम बच्चे में हमारे आदर्शों का होना जरूरी है –
पुत्र हो तो प्रह्लाद-सा, राह धर्म की चलता जाये।
ध्रुव तारा सा अटल बने वो, सबको सत्य पथ दिखलाये।।
पुत्री जनकर मैत्रियी, गार्गी, ज्ञान की ज्योत जलवा दूँ मैं।
बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं।।
बालसाहित्य बच्चों का साहित्य है। इसमें बच्चों की कोमल भावनाओं का ध्यान रखा जाता है। बच्चे मनोरंजन पसन्द करते हैं, लेकिन कवि चाहता है कि बच्चे जीवन के विषय में भी जानकारी प्राप्त करें। आसपास जो विसंगतियाँ फैली हुई हैं उनसे बच्चों को अवगत कराना भी कवि अपना धर्म समझता है। वह बच्चों की संवेदनशीलता को सम्पूर्ण समाज तक विस्तृत करना चाहता है। ‘गूगल की आगोश में ‘ कविता में कवि की यह भावप्रवण संवेदना मर्मस्पर्शी है –
छीन लिए हैं फ़ोन ने, बचपन से सब चाव।
दादी बैठी देखती, पीढ़ी में बदलाव।।
मन बातों को तरसता, समझे घर में कौन ।
दामन थामे फ़ोन का, बैठे हैं सब मौन।।
बच्चे प्रकृति से अपनापन अनुभव करते हैं। प्राकृतिक दृश्य उन्हें बहुत लुभाते हैं। कवि के अन्दर का नन्हा बच्चा भी प्रकृति के इन मनोरम दृश्यों को मुग्ध होकर देखता है। ‘बचपन के वो गीत’ एक ऐसी ही कविता है जिसमें कवि ने बचपन का मानवीकरण करते हुए इसके क्षण – क्षण परिवर्तित रूप का बड़ा ही मनोहारी चित्रण किया है। प्रतीकात्मक और लाक्षणिक शैली का प्रयोग देखते ही बनता है –
 बैठे-बैठे जब कभी, आता बचपन याद ।
मन चंचल करने लगे, परियों से संवाद ।।
छीन लिए हैं फ़ोन ने, बचपन से सब चाव ।
दादी बैठी देखती, पीढ़ी में बदलाव ।।
बच्चे की दुनिया माँ के आसपास घूमती है और माँ की दुनिया तो बच्चे ही होते हैं। माँ स्वयं दुःख सहकर बच्चे को हर सुख देना चाहती है। ‘माँ हरियाली दूब’ एक छोटी – सी कविता है लेकिन इस कविता में कवि ने माँ की सारी ममता को गहराई के साथ उकेर दिया है –
 तेरे आँचल में छुपा, कैसा ये अहसास।
सोता हूँ माँ चैन से, जब होती हो पास।।
माँ ममता की खान है, धरती पर भगवान।
माँ की महिमा मानिए, सबसे श्रेष्ठ-महान।।
माँ, परिवार की धुरी होती है। माँ के त्याग और समर्पण के कारण ही घर सुचारू रूप से संचालित होता है। घर के सदस्यों की सुख – सुविधाओं का ध्यान रखते – रखते माँ अपने सुख की ओर कभी ध्यान नहीं देती। ‘आँचल की छाया’ कविता में माँ के इसी त्यागमय स्वरूप के प्रति अपनी निश्छल संवेदना दर्शाता एक बच्चा कहता है –
त्याग और बलिदान का, माँ ही है प्रतिरूप।
आँचल की छाया करे, हर संकट की धूप।।
माँ जैसा संसार में, सौरभ नहीं सुजान।
माँ की वाणी में निहित , गीता का सब ज्ञान।।
कवि का मानना है कि हमें परिवर्तनों को सहज स्वीकार करना चाहिए। बड़े – बुजुर्ग लोग हर समय परिवार के लिए मजबूत स्तम्भ रहें हैं। कवि को उनका जाना पसंद नहीं है।  दादा -दादी के जाने के बाद कवि का जीवन सूना हो गया है, कवि तरह – तरह की कल्पना करता है जिससे कि हर समय उसे उनकी याद आती है।  ‘दादा-दादी ‘ कविता में कवि की कल्पना की ताजगी द्रष्टव्य है –
दादा-दादी बन गए, केवल अब फरियाद।
खुशियां आँगन की करे, रह-रह उनको याद।।
रो ले, गा ले, हँस ले, दादा-दादी साथ।
ये आँगन से क्या गए, जीवन हुआ अनाथ।।
इस कृति की कविता ‘अनुपम त्यौहार’ में कवि ने त्योहारों का महत्व प्रतिपादित करते हुए कहा है कि त्यौहार प्यार और सद्भाव का भंडार होते हैं। त्यौहार न केवल हमारा मनोरंजन करते हैं, वरन तरह-तरह की जानकारियां देकर ये हमारे अनुभव का विस्तार भी करते हैं। स्वस्थ मनोरंजन और शिक्षा प्रदान करने वाले त्यौहार, बच्चों के सच्चे साथी होते हैं –
 आभा जीवन की रहे, “तीज” और “त्यौहार”।
“रंग” भरे मन में करे, नव जीवन संचार।।
त्याग तपस्या जाप से, उगे नेह के बीज।
हो पूरी मन कामना, पूजे भादो तीज।।
कवि की संवेदनशीलता का हाल यह है कि वह पुराने हो चुके झाड़ू में भी वृद्ध लोगों की छवि देखता है। कवि का हृदय वृद्धों की उपेक्षा से व्यथित है। ‘काम लेकर फेंक देने की प्रवृत्ति’, स्वार्थ और संकीर्णता पर आधारित है। वृद्धों का सम्मान करने की सीख देती कविता ‘वृद्धों की हर बात का’  अद्भुत है –
 वृद्धों की हर बात का, रखता कौन खयाल।
आधुनिकता की आड़ में, हर घर है बेहाल।।
होते बड़े बुजुर्ग है, सारस्वत सम्मान।
मिलता इनसे ही हमें, है अनुभव का ज्ञान।।
उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि प्रज्ञान बाल संग्रह की रचनाओं का प्रमुख स्वर मानवीय संवेदना और करुणा है। शांत नदी की तरह बहती ये कविताएँ पाठक के मन को शीतल भावों की लहरों से भिगो देती हैं। ये रचनाएँ एक हल्के – से घटनाक्रम को लेकर आगे बढ़ती हैं अतः इनमें कथातत्त्व का भी समावेश है जो जिज्ञासा से बालमन को अंत तक बाँधे रखता है। इन कविताओं में बच्चों ही नहीं, अभावों से जूझते समाज के श्रमिक वर्ग का भी चित्रण है। इन सबका उद्देश्य यह है कि कवि बच्चों की कोमल भावनाओं की रक्षा करते हुए उनमें दुखियों के प्रति संवेदना का भाव जगाना चाहता है।
छन्द में लिखी ये रचनाएँ गीत और कविता का मिलाजुला रूप है। इनमें लय और प्रवाह है जो इन कविताओं को प्रभावशाली बनाता है। भाषा बालमन के अनुरूप सरल, सरस और सहज बोधगम्य है। मुद्रण सुन्दर एवं त्रुटिरहित है। फैलते आकाश के साथ प्रज्ञान के मनमोहक चित्र से सजा आवरण अत्यंत आकर्षक है। बालमन को लुभाने वाले मनोरंजक एवं संवेदनशील कविताओं से सजी पठनीय कृति ‘प्रज्ञान’ के सृजन के लिए डॉ सत्यवान सौरभ जी को हार्दिक बधाई।
प्रज्ञान : बच्चों के लिए संवेदनात्मक रचनाएँ
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पुस्तक का नाम : प्रज्ञान
लेखक : डॉ. सत्यवान ‘सौरभ’
लेखकीय पता : परी वाटिका, कौशल्या भवन,
बड़वा (सिवानी) जिला भिवानी, हरियाणा – 127045
मोबाइल : 9466526148, 7015375570
विधा : बाल काव्य
प्रकाशक : नोशन प्रकाशन समूह, चेन्नई।
संस्करण : 2023
मूल्य : ₹ 160/-
पृष्ठ संख्या : 100
अमेज़न, फ्लिपकार्ट और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्म  पर हर जगह उपलब्ध।

सभी विभाग बेहतर वर्क कल्चर के साथ जीरो पेडेंसी का लें संकल्प- मुख्यमंत्री

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जल विद्युत निगम राज्य में उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप विद्युत उत्पादन पर दे ध्यान-मुख्यमंत्री

सभी विभाग बेहतर वर्क कल्चर के साथ जीरो पेडेंसी का लें संकल्प- मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री ने किया यूजेवीएनएल के नये कारपोरेट भवन का लोकार्पण

16 दिसम्बर 2023,शनिवार देहरादून
संजय बलोदी प्रखऱ
मीडिया समन्वयक उत्तराखण्ड प्रदेश

देहरादून 16 दिसम्बर, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को सायं उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम के 23वें स्थापना दिवस समारोह में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री को जल विद्युत निगम के एम.डी ने 20 करोड़ 09 लाख 58 हजार 211 रूपये का लाभांश का चेक भेंट किया।
मुख्यमंत्री ने यूजेवीएनएल के कारपोरेट भवन का लोकार्पण के साथ ही सी.एम.आर के तहत सरस्वती विद्या इण्टर कॉलेज भानियावाला को दी गई बस को फ्लेग ऑफ कर रवाना किया।

उपस्थित जन सामान्य को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून में आयोजित हुए ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में लक्ष्य से अधिक 3.50 लाख करोड़ के निवेश प्रस्तावों में ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव शामिल है। उन्होंने जल विद्युत निगम से 2030 तक विद्युत उत्पादन के लक्ष्य 2200 मेगावाट को और अधिक बढ़ाये जाने पर बल देते हुए अपेक्षा की कि जल विद्युत निगम प्रदेश में स्थापित तथा नये स्थापित होने वाले उद्योगों की विद्युत जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान देना सुनिश्चित करें। उन्होंने सभी विभागों एवं संस्थानों से बेहतर वर्क कल्चर के साथ जीरो पेडेंसी का संकल्प लेने को भी कहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य स्थापना के उपरांत यूजेवीएनएल का गठन उत्तराखण्ड को सही अर्थों में ऊर्जा प्रदेश बनाने के लिए किया गया था। जिसे निगम द्वारा प्रतिवर्ष किए जाने वाले अपने रिकार्ड उत्पादनों के माध्यम से साबित भी किया जा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि निगम अपनी बेहतर कार्यसंस्कृति और कुशल प्रबन्धन के बल पर इसी प्रकार ऊर्जा के क्षेत्र में नित नए कीर्तिमान स्थापित करता रहेगा। राज्य निर्माण के समय ऊर्जा क्षेत्र को हमारी आर्थिकी का मूल आधार माना गया था, परंतु हमारा यह लक्ष्य अभी तक पूर्णरूपेण सफल नहीं हो पाया है। अब समय आ गया है कि हम सभी मिलकर यह विचार करें कि इस दिशा में कैसे तेजी से आगे बढ़ा जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र की विकास योजनाओं को समय पर पूर्ण करने में हमें केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर आवश्यक सहयोग दिया जा रहा है।इसका उदाहरण लखवाड़ बहुउद्देश्यीय जल विद्युत परियोजना है जिसमें तेजी से कार्य किया जा रहा है। इस परियोजना से करीब 475 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन हो सकेगा, जो हमारे प्रदेश के लिए ऊर्जा क्षेत्र में नए अवसर सृजित करेगा। इसके साथ ही जमरानी बांध परियोजना के लिए भी केंद्र सरकार की मंजूरी मिल चुकी है, जिस पर भी कार्य शीघ्र प्रारंभ किया जाएगा।

यूजेवीएनएल द्वारा अप्रैल-मई 2022 में व्यासी परियोजना (120 मे.वा.) का कार्य पूर्ण कर एक ऐतिहासिक कार्य किया गया है, जो देवभूमि के ऊर्जा क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। इस परियोजना से जहां एक ओर जौनसार बावर के क्षेत्रों को उच्च गुणवत्ता की विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी, वहीं दूसरी और स्थानीय लोगों के जीवन में आर्थिकी का सुधार भी हो सकेगा। लखवाड (300 मे.वा.) जैसी बहुउद्देशीय परियोजना पर कार्य प्रारम्भ होने पर उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि इससे 05 राज्यों को पीने एवं सिंचाई हेतु जल की आपूर्ति सहित उत्तराखंड को अतिरिक्त 300 मे०वा० की बिजली मिल सकेगी। इस वित्तीय वर्ष के अंत तक 15 मे.वा. की मदमाहेश्वर परियोजना भी सफलतापूर्वक अपना उत्पादन प्रारम्भ करेगी। वृहद परियोजनाओं के अन्तर्गत यमुना घाटी में त्यूनी-प्लासू 72 मे.वा. जल विद्युत परियोजना और आराकोट-त्यूनी की 81 मे.वा. की परियोजना की डी०पी०आर० बनाने की प्रक्रिया भी वर्तमान में चल रही है। राज्य सरकार जीरो पेंडेसी वर्क कल्चर पर विशेष ध्यान दे रही है। इसके लिये हर क्षेत्र में सरलीकरण, समाधान, निस्तारिकरण एवं संतुष्टि के मूलमंत्र के आधार पर निर्णय लिए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऊर्जा विभाग में 2008 में केंद्र सरकार द्वारा जल विद्युत नीति लायी गयी थी, जिसे लागू नहीं किया गया था, लेकिन हमने कैबिनट की बैठक में जल विद्युत नीति लाकर उसे लागू करने का प्रयास किया है। उन्होंने यूजेवीएनएल सहित अन्य संस्थानों को अपनी संपत्तियों का भी ध्यान रखने को कहा। ऐसे कई मामले संज्ञान में आ रहे है, जिनमें संस्था की जमीन पर अवैध अतिक्रमण हुआ है। संस्थानों को सरकार की जमीन मिलती है तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उनकी है, इसलिए सभी विभाग अपने-अपने क्षेत्र का अवलोकन करे और जमीनों को कब्जामुक्त करायें। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी सूरत में अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखण्ड का दशक बताया है और हमारी सरकार संकल्पबद्ध होकर इसे पूर्ण करने की दिशा में कार्यरत है। हम अपने ‘विकल्प रहित संकल्प‘ के साथ उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए कृत संकल्पित हैं। इस लक्ष्य को पूर्ण करने एवम् उत्तराखंड को विकसित, सक्षम व आदर्श राज्य बनाने के लिए हमारी सरकार दिन-रात कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने यूजेवीएनएल सहित अन्य ऊर्जा निगमों से अपेक्षा की कि वे उपलब्ध संसाधनों का सही प्रयोग कर प्रदेश को उर्जा क्षेत्र में देश का नंबर वन राज्य बनाने के लिए निरंतर अपना योगदान देते रहें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें ऊर्जा के क्षेत्र में ज्ञान, विज्ञान एवं नवाचार के साथ ग्रीन इनर्जी के क्षेत्र में भी इकोलॉजी तथा इकोनामी का समन्वय बनाकर आगे बढ़ना होगा। हमे राज्य की जीडीपी को दुगना करने की दिशा में कार्य करना है। इस दिशा में प्रधानमंत्री श्री मोदी हमें प्ररेणा देने के साथ कर्तव्य बोध भी कराते है। हमें इस चुनौती का मिलकर सामना करना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा में उत्तराखण्ड वेडिंग डेस्टिशन बनने जा रहा है। प्रधानमंत्री के आदि कैलाश, गूंजी आदि क्षेत्रों के भ्रमण से यहां देश व दुनिया के लोग आने लगे है। मुख्यमंत्री ने सभी से अपेक्षा की कि वे देहरादून शहर की साफ-सफाई एवं सुंदरता के लिए किये गये प्रयासों में सहयोगी बने ताकि साफ सफाई व सुन्दरता में देश के प्रमुख शहरों में हमारा शहर शामिल हो।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यूजेवीएन लिमिटेड द्वारा निगम की बेहतर कार्यसंस्कृति बनाए रखने तथा निगम के कार्मिकों का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2022-23 में सराहनीय प्रदर्शन पर विभिन्न विद्युतगृहों एवं परियोजनाओं को पुरस्कार भी प्रदान किए गए। इस कड़ी में आर.एम.यू. के साथ सर्वश्रेष्ठ विद्युतगृह का पुरस्कार खटीमा विद्युतगृह को प्रदान किया गया। इसके साथ ही आर.एम.यू. के बिना सर्वश्रेष्ठ विद्युतगृह का पुरस्कार कुल्हाल विद्युतगृह को तथा द्वितीय पुरस्कार खोदरी विद्युतगृह को दिया गया। सर्वश्रेष्ठ निर्माणाधीन परियोजनाओं में काली गंगा द्वितीय परियोजना को सर्वश्रेष्ठ निर्माणाधीन परियोजना का पुरस्कार प्रदान किया गया। साथ ही इस अवसर पर ऑल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड द्वारा हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित 45वीं ऑल इंडिया पावर बैडमिंटन प्रतियोगिता में रजत पदक विजेता उत्तराखंड पावर स्पोर्ट्स ग्रुप की बैडमिंटन टीम के सदस्यों जी.एस. बुदियाल, गोपाल सिंह, ललित कुमार, आदित्य राठी, रक्षित भंडारी तथा सुमित राणा को भी सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव एवं अध्यक्ष उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम श्रीमती राधा रतूड़ी ने कहा कि हम पिछले दो वर्षों से प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश बनाने की दिशा में अग्रसर हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इन्वेसमेंट के तहत उद्योगों की स्थापना के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है। ऊर्जा इंडस्ट्री में आक्सीजन की भांती होती है। यहां टैरिफ अधिक नही है। उन्होंने ऊर्जा निगमों में इकोलॉजी तथा इकोनामी के समन्वय के साथ 21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखण्ड का ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने पर ध्यान देने को कहा तभी हम उत्तराखण्ड को देश का अग्रणी राज्य बनाने के मुख्यमंत्री जी के संकल्प को पूरा करने में सफल होंगे।

अपने संबोधन में यूजेवीएन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री संदीप सिंघल ने कहा कि यूजेवीएन लिमिटेड का गठन उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बनाने तथा राज्य को विद्युत उत्पादन की नई ऊंचाइयों की ओर ले जाने हेतु किया गया था जिसे निगम द्वारा अपने रिकॉर्ड उत्पादनों द्वारा बार-बार साबित भी किया गया है। श्री संदीप सिंघल ने बताया कि निगम की परियोजनाओं द्वारा वर्ष 2022-23 में 5433 मिलियन ऊर्जा का उत्पादन करते हुए 115.64 करोड़ रुपए का लाभ अर्जित किया गया। उन्होंने कहा कि यूजेवीएन लिमिटेड द्वारा लगातार पिछले सात वर्षों से राज्य सरकार को लाभांश प्रदान किया जा रहा है। श्री संदीप सिंघल ने यूजेवीएन लिमिटेड को हनोल त्यूणी जल विद्युत परियोजना एवं लखवाड़ पंप स्टोरेज परियोजना सहित यूजेवीएन लिमिटेड तथा टीएचडीसी के संयुक्त उपक्रम को 489 मेगावाट की तीन जल विद्युत परियोजनाएं तथा 1230 मेगावाट की दो पंप स्टोरेज परियोजनाएं आवंटित करने पर माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद भी दिया।

कार्यक्रम में विधायक देहरादून कैंट श्रीमती सविता कपूर, यू.ई.आर.सी. के अध्यक्ष श्री डी.पी. गैरोला, अपर मुख्य सचिव एवं अध्यक्ष यूजेवीएन लिमिटेड श्रीमती राधा रतूड़ी, निदेशक परियोजनाएं श्री सुरेश चंद्र बलूनी, निदेशक वित्त श्री सुधाकर बडोनी के साथ ही बड़ी संख्या में निगम के अधिकारी कर्मचारी व अन्य लोग उपस्थित थे।