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बालाजी फाउंडेशन द्वारा निःशुल्क नेत्र शिविर में सैकड़ों लोगों को मिला लाभ

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मुंबई। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर बालाजी फाउंडेशन द्वारा 14 जनवरी 2024 को नालासोपारा पश्चिम स्थित यशवंत गौरव रिक्शा स्टैंड के पास सुंदरम प्लाजा में निःशुल्क नेत्र शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में निःशुल्क आंखों की जांच, मोतियाबिंद का ऑपरेशन, चश्में पर 50% की विशेष छूट जैसी कुछ सुविधा संस्था के माध्यम से उपलब्ध की गई। बालाजी फाउंडेशन के संस्थापक दीपक मिश्रा ने बताया कि यह शिविर सभी के लिए रखा। हम मानव सेवा को अपना धर्म समझते हैं इसलिए यह नेत्र शिविर लगाकर मानव सेवा कर रहे हैं और हमारी कोशिश निरंतर जारी रहेगी।

वहीं मिश्रा ने यह भी बताया कि इस शिविर में आंखों की जांच के लिए सुप्रसिद्ध डॉक्टर आनंद जयपुरिया का विशेष योगदान मिला जो कि वसई तालुका में प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक हैं।
इस शिविर में पहुंचकर 140 लोगों ने अपनी आंखों का जांच करवाया और सभी ने हमारे इस छोटे से प्रयास की सराहना की। इस अवसर पर सोशल वर्कर और पत्रकार बंधुओं का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।
इसके साथ ही दीपक मिश्रा मदर मेरी स्कूल में रक्त दान शिविर में भी सम्मिलित रहे और सक्रिय भूमिका निभाते हुए रक्तदान भी किये।

डॉ. अशोक खोसला हुए पहले सोहराब पिरोजशा गोदरेज पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित

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मुंबई, 16जनवरी, 2024: मुंबई फर्स्ट की भागीदारी में शुरू की गई अग्रणी पहल, सोहराब पिरोजशा गोदरेज पर्यावरण पुरस्कार के सफल लॉन्च के बाद अब गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड और इसकी सहायक कंपनियों ने डॉ. अशोक खोसला को इस पुरस्कार का पहला विजेता घोषित किया। मुंबई में आयोजित इस पुरस्कार समारोह में पर्यावरण तथा वहनीयता के क्षेत्र में डॉ.अशोक खोसला के उत्कृष्ट योगदान की सराहना की गई।

अग्रणी पर्यावरणविद् डॉ. अशोक खोसला ने अपने प्रयासों से न केवल देश में बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है। वह अपने विस्तृत करियर के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड, राष्ट्रीय पर्यावरण बोर्ड और देश के कैबिनेट की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद से जुड़े रहे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, खोसला ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की, साथ ही उन्होंने 1965 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पर्यावरण पर पहले विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, 1972 में एक विकासशील देश में पर्यावरण के लिए पहली सरकारी एजेंसी का नेतृत्व किया और 1983 में वहनीय विकास से जुड़ा पहला सामाजिक उद्यम स्थापित किया।

इस मौके पर, गोदरेज इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशकनादिर गोदरेज ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा, “हमें डॉ. अशोक खोसला को पहला सोहराब पिरोजशा गोदरेज पर्यावरण पुरस्कार देने की घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियां और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के प्रति समर्पण का प्रभावशाली असर हुआ, और वह वास्तव में इस पुरस्कार की मूल भावना का प्रतीक हैं। हम उनकी उपलब्धियों का सम्मान करते हुए पर्यावरण से जुड़े मुद्दों और वहनीयता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जारी रखने के लिए प्रेरित हैं।”

पुरस्कार समारोह के मुख्य वक्ता, डॉ. रघुनाथ माशेलकरएफआरएसनेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के पूर्व अध्यक्ष और सीएसआईआर के पूर्व महानिदेशक ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “पर्यावरण के क्षेत्र के अग्रदूत, एस. पी. गोदरेज के नाम पर घोषित यह पुरस्कार सबसे पहले  पर्यावरण के क्षेत्र में किंवदंती बन चुके, डॉ. अशोक खोसला को दिया जाना और इस मौके पर आयोजित इस अनोखे समरोह में भाग लेना बेहद सौभाग्य की बात है।“

पहले एस. पी. गोदरेज पर्यावरण पुरस्कार पाने वाले डॉ.अशोक खोसला ने इस पर खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, “मैं इस साल का पर्यावरण से जुड़ा एस. पी. गोदरेज पुरस्कार प्राप्त कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मेरे संगठन, डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स ने गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड और इसकी सहायककंपनियों के साथ कई पर्यावरण तथा आजीविका से जुड़े मुद्दों पर काम किया है। एक वैज्ञानिक के रूप में मेरा मानना है कि पृथ्वी और मानव की सहजीविता से जुड़े सामूहिक दृष्टिकोण को हासिल करने के लिए नवोन्मेष महत्वपूर्ण है। डीए में, वर्षों से मैंने और मेरी टीम ने इस तालमेल को हासिल करने की कोशिश की है। मेरा योगदान मामूली है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह पुरस्कार युवाओं को पृथ्वी और हम मनुष्यों सहित सभी प्रजातियों की रक्षा की दिशा में ठोस बदलाव लाने के लिए आगे आने के लिए प्रेरित करेगा।”

मुंबई फर्स्ट के उपाध्यक्ष, श्री रोजर सी.बी. परेरा ने कहा, “श्री एस. पी. गोदरेज महान व्यक्तित्व थे और अपने समय से बहुत पहले पैदा हुए थे! उन्होंने अपना पूरा जीवन, अपना समय और अपनी प्रतिभा को पर्यावरण के हित में समर्पित कर दिया। हमारे निर्णायक मंडल ने पहले पुरस्कार के लिए बेहतरीन चयन किया है, जिसके तहत सोहराबजी की तरह ही एक पर्यावरण योद्धा, डॉ. अशोक खोसला को पुरस्कार दिया जा रहा है, जो 1965 से ही न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर काम कर रहे है।“
इस पुरस्कार को पहले साल ही शानदार प्रतिक्रिया मिली। पुरस्कार के मूल्यांकन मानदंड में प्रभाव, नेतृत्व, पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के प्रति प्रतिबद्धता, सामुदायिक जुड़ाव, नवोन्मेषी दृष्टिकोण, जागरूकता के प्रसार के प्रयास, पहल के विस्तार की संभावना, शैक्षणिक प्रसार और विज्ञान-आधारित दृष्टिकोण जैसे कारक शामिल थे।

गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड और इसकी सहायक कंपनियां अशोक खोसला को हार्दिक बधाई और इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी व्यक्तियों और संगठनों के प्रति आभार व्यक्त कर रही हैं। सोहराब पिरोजशा गोदरेज पर्यावरण पुरस्कार वहनीय और पर्यावरण के प्रति जागरूक भविष्य तैयार करने के प्रति गोदरेज की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

ऋतिक रोशन, दीपिका पादुकोण और अनिल कपूर स्टारर फिल्म ‘फाइटर’ का ट्रेलर हुआ रिलीज

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मुम्बई। भारत की सबसे बड़ी एरियल एक्शन फिल्म ‘फाइटर’ के बहुप्रतीक्षित ट्रेलर के रिलीज होते ही प्रत्याशा नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है। सिद्धार्थ आनंद द्वारा निर्देशित और मार्फ्लिक्स पिक्चर्स के सहयोग से वायकॉम18 स्टूडियो द्वारा प्रस्तुत, ‘फाइटर’ देशभक्ति की भावना के साथ एड्रेनालाईन-पंपिंग एक्शन सीक्वेंस के रोमांचक संयोजन के साथ सिनेमाई एक्सीलेंस को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है, जो मनोरंजन का एक परफेक्ट मेल पेश करता है।
बेहतरीन स्क्रिप्ट और ऋतिक रोशन, दीपिका पादुकोण और अनिल कपूर के दमदार अभिनय के साथ, ‘फाइटर’ का ट्रेलर दर्शकों को इंडियन एयर फोर्स की स्पेशल यूनिट – एयर ड्रैगन्स के साथ एक एपिक यात्रा पर ले जाता है। स्क्वाड मेंबर्स खतरों का सामना करते हुए हमारे आसमान और देश की सुरक्षा के मिशन पर निकलते हैं। ट्रेलर इन हीरोज के दोस्ती, साहस और बलिदान को खूबसूरती से दर्शाता है, जिससे ‘फाइटर’ सभी पीढ़ियों के लिए एक मस्ट वॉच फिल्म बन गई है।
ट्रेलर, जो रिलीज हो चुका है, जबरदस्त सीन्स और दिल थाम देने वाले पलों से भरे एक स्टनिंग विजुअल ट्रीट का वादा करता है। 3डी और 3डी आईमैक्स प्रारूपों में शानदार विजुअल इफेक्ट्स से भरपूर, ‘फाइटर’ दर्शकों के लिए पूरी तरह से एंटरटेनमेंट से भरपूर होने की गारंटी देता है।
भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर खास 25 जनवरी, 2024 की शाम सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली ‘फाइटर’ एक सिनेमाई ट्रीट है जिसे दर्शक मिस नहीं कर सकते। फिल्म भारतीय सिनेमा में एक नया स्टैंडर्ड सेट करने का वादा करती है। साहस, बलिदान और विजय की यात्रा के साथ ‘फाइटर’ सिनेमाई एक्सीलेंस की नई ऊंचाइयों को छुएगा।

https://www.instagram.com/reel/C2HGV8qCXXG/?igsh=ajVpamhrMnpkbzI4

सामाजिक संदेश के साथ भावनात्मक है ललित शक्ति की फिल्म ‘पुण्य का उदय’

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सुरेंद्र पाल की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म के ट्रेलर की सराहनाओं से निर्माता एवं कलाकार उत्साहित

मुंबई। ललित शक्ति द्वारा एमआर बैनर तले बनाई गई एवं सामाजिक संदेश पर आधारित फिल्म ‘पुण्य का उदय’ रिलीज के लिए तैयार है। फिल्म का ट्रेलर पहले ही जारी हो चुका है, जिसे जैन समाज सहित तमाम अन्य समाज के लोगों एवं समाजसेवियों की अच्छी सराहना मिल रही है। इन सराहनाओं से निर्माता ललित शक्ति, सह निर्माता महावीर राठौड़ एवं फिल्म में अभिनय करने वाले कलाकारों का उत्साह सातवें आसमान पर है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस फिल्म से समाज में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।


फिल्म ‘पुण्य का उदय’ में बॉलीवुड और टीवी कलाकार सुरेन्द्र पाल (महाभारत में द्रोणाचार्य), मिशन रानीगंज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके अभिनेता गौरव प्रतीक के अलावा ललित शक्ति, ललित परमार, कल्याणी झा, बाल कलाकार मयंक आदि ने मुख्य भूमिका निभाई है जबकि फिल्म के अन्य कलाकारों में महेन्द्र बल्दोटा, ललित पारेख, जयंती चौपड़ा, कैलाश मेहता, संदेश पुनमिया, राकेश लोढ़ा, मनोज शोभावत, जयंती बोराणा, जितेन्द्र भंडारी, अशोक तवरेचा वोरा, राकेश बोराणा, अशोक पारेख, जेके संघवीजी, नीलेश चंद्रेशामुथा, जस्मिता जैन, लेखिका गीतकार संगीता बागरेचा आदि ने भी अभिनय किया है।
‘पुण्य का उदय’ सहित कई अन्य फिल्मों में अभिनय कर चुके तथा निर्माता/अभिनेता ललित शक्ति की यह फिल्म एक प्रेरणास्पद फिल्म है। फिल्म ‘पुण्य का उदय’ उन लोगों पर केंद्रित है जो जीवन में भटककर गलत राह पर चले जाते हैं, लेकिन उन्हें समाज या समाज के दयालु व्यक्ति का साथ व सहयोग मिल जाए तो वे जीवन जीने की कला सीखकर अपने पुण्य का उदय कर सकते हैं। यह फिल्म दया, मानवता के संदेश के साथ धर्म के प्रति सत्कर्म करने का बहुमूल्य संदेश देती है। फिल्म के सह निर्माता महावीर एल. राठौड़ हैं जबकि निर्देशन सुनील वार्ष्णेय हैं। लंबे समय से फिल्म इंडस्ट्री में काम कर चुके सुनील वार्ष्णेय काफी अनुभवी होने के साथ ही काफी जुनूनी निर्देशक हैं।

ऋण लेने की प्रक्रिया को बनाया जाय अधिक सरल.. -पुष्कर सिंह धामी,मुख़्यमंत्री उत्तराखंड

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ऋण लेने की प्रक्रिया को बनाया जाय अधिक सरल..
-पुष्कर सिंह धामी,मुख़्यमंत्री उत्तराखंड

प्रदेश के शहरी और ग्रामीण इलाकों का समान रूप से विकास चाहती है राज्य सरकार।

15 जनवरी 2024,सोमवार, देहरादून
संजय बलोदी प्रखर 

देहरादून,15 जनवरी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को नाबार्ड के तत्वावधान में आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए ! इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्टेट फोकस पालिसी पेपर 2024-25 का अनावरण भी किया। मुख्यमंत्री ने नाबार्ड का विशेष आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में कृषि, बागवानी तथा छोटे और मध्यम क्षेत्र के उद्योगों के विकास के लिए नाबार्ड ने इस वर्ष चालीस हजार करोड़ रूपये की ऋण योजना तैयार की है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में साढ़े तैतीस प्रतिशत अधिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारे छोटे किसानों तथा छोटे व मझौले उद्योगों में लगे लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि इस ऋण व्यवस्था की सही निगरानी भी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ऋण, लोन या क्रेडिट को जरूरतमंद और योग्य लोगों तक सरलता से पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका बैंकों की है। बैंकों को ध्यान देना होगा कि जरूरतमंद और योग्य लोगों को ऋण सम्बन्धित औपचारिकताओं के लिए अनावश्यक न भटकना पड़े। इसके लिए बैंकों को मिशन मोड पर काम करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नारी शक्ति वंदन विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित हो चुका है। राज्य सरकार भी उत्तराखंड में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत का आरक्षण प्रदान कर रही है। उन्होंने नाबार्ड के अधिकारियों से कहा कि प्रदेश की महिलाओं हेतु विशेष योजना प्रारंभ करें ताकि महिलाओं को भी इन योजनाओं का अधिक लाभ मिल सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में उन्होंने टिहरी जिले की लाभार्थी महिलाओं से संवाद किया। उनके द्वारा बताया गया कि सशक्त बहना उत्सव योजना से विपणन में उन्हें काफी मदद मिली है। इस तरह की योजनाओं के लिए बैंकों से ऋण लेने के लिए सरलीकरण होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि कई बार देखा गया है कि जो लोग वास्तव में कुछ करना चाहते हैं वे कई बार लोन लेने से वंचित रह जाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन रोकने हेतु पलायन निवारण आयोग का गठन किया। उन्होंने आह्वान किया कि पर्वतीय क्षेत्रों में ऋण आवंटन हेतु विशेष अभियान चलाया जाए। ऋण जरूरतमंद लोगों को आसानी से मिल सके, इसके लिए बेहतर व्यवस्था की जाए। इस कार्य में बैंकों की बहुत बड़ी भूमिका होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि रिवर्स पलायन की दिशा में सरकार निरंतर कार्य कर रही है, बैंक भी इस कार्य में भागीदार बनें। उन्होंने कहा कि नाबार्ड की ऋण योजना के आवंटन के लिए प्रत्येक बैंक ब्रांच को एक निश्चित टारगेट के साथ काम करना होगा। चुंकि प्रदेश के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों का विकास जरूरी है, यह हमारे रिवर्स पलायन मिशन के लिए भी अति आवश्यक है। राज्य सरकार लगातार ग्रामीण इलाकों में आधारभूत सुविधाओं, सड़क, कनेक्टिविटी आदि को मजबूत करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
रुद्रप्रयाग, बागेश्वर व टिहरी कम ऋण प्राप्त करने वाले जिले हैं ! इनमे ऋण आबंटन बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाय! मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सामान्य जनमानस के लिए भी सब्सिडी, क्रेडिट लिंक्ड योजनाओं, और ब्याज अनुदान जैसे योजनाओं को लागू कर रही है, जिसके अंतर्गत वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना, दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि बैंक राज्य के सभी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवाने के लिए एक विशेष कैम्पेन चलाएं जिससे ऋण का लाभ किसानों तक समय से पहुंच सके।
मुख्यमंत्री ने कहा विकसित भारत संकल्प यात्रा का मुख्य उद्धेश्य,सरकार की योजनाओं को उन कमज़ोर लोगों तक पहुंचाना है। उन्होंने सभी हितधारकों, विभागों व बैंकों से अपील करते हुए कहा कि इस यात्रा में बढ़चढ़ कर भाग लें, लोगों को जागरूक बनाएं तथा सरकार की योजनाओं को आमजन तक पहुँचाने में सक्रिय भूमिका निभाएँ। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य दिया है। राज्य सरकार इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने पिछले दिनों बड़े स्तर पर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया। जिसका मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड को एक निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करना था, हमारा यह प्रयास सफल भी रहा। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस समिट में देश दुनिया के लोगों से विशेष अपील की थी कि वे उत्तराखंड में आकर डेस्टिनेशन वेडिंग करें, अब इसके सकारात्मक परिणाम भी दिख रहे हैं।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक वी.के बिष्ट ने नाबार्ड द्वारा प्रदेश में संचालित विभिन्न गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, डॉ. धन सिंह रावत, अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, आनंद बर्द्धन, सचिव बी.वी.आर.सी पुरूषोत्तम, एच.सी.सेमवाल, एस.एन. पाण्डेय, विभिन्न विभागों एवं बैंकों के प्रतिनिधिगण आदि भी उपस्थित रहे।

समाज कल्याण और उत्थान के लिए मुम्बई में जायसवाल समाज मुंबई मे आये साथ

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अखिल भारतीय जायसवाल महोत्सव का आयोजन रूट मोबाइल फाउंडेशन और जायसवाल यूथ फेडरेशन द्वारा किया गया

मुम्बई। संस्कृति और समुदाय के दो दिवसीय उत्सव के लिए अखिल भारतीय जायसवाल महोत्सव का आयोजन मुंबई में बड़े ही धूमधाम से किया गया। यह कार्यक्रम देश भर के जायसवाल समुदाय को उपनगरीय मुंबई में एक छत के नीचे ले आया। महोत्सव का आयोजन रूट मोबाइल फाउंडेशन और जायसवाल यूथ फेडरेशन द्वारा किया गया।
समापन के लिए विशेष कार्यक्रम जैसे नौकरी मेले, चिकित्सा शिविर, कैरियर मार्गदर्शन, निवेशक जागरूकता कार्यक्रम, प्रेरक भाषण, महिलाओं के लिए आत्मरक्षा कार्यशालाएं, और नृत्य प्रदर्शन, हास्य कविता पाठ और पतंग उत्सव जैसी अन्य गतिविधियां भी आयोजित की गई।

सरस्वती देवी चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी राजदीप कुमार गुप्ता ने कहा कि कार्यक्रम को एक अनोखे तरीके से डिजाइन किया गया है जो मौज-मस्ती और मनोरंजन प्रदान करेगा। साथ ही उभरती प्रतिभाओं और रोजगार के अवसरों की तलाश करने वालों के लिए अवसरों के एक मंच के रूप में कार्य करेगा।


महोत्सव का आयोजन अखिल मुंबई जायसवाल सभा, श्री विंध्यवासिनी सेवा मंडल, जायसवाल सेवा संस्था, जायसवाल समाज संस्था, कलवार समाज संघ, जायसवाल समाज सेवा संस्था, जायसवाल फाउंडेशन और जायसवाल परिवार फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।

सरस्वती देवी चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी संदीप गुप्ता ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य जायसवाल समुदाय को एक साथ लाना और इस पर विचार-मंथन करना है कि समाज के लिए क्या किया जा सकता है और इसके उत्थान की दिशा में काम किया जा सकता है। सामाजिक जागरूकता अभियानों से लेकर हर किसी के लिए कुछ न कुछ है। स्वास्थ्य शिविरों से लेकर शैक्षिक कार्यक्रमों तक, युवाओं के लिए रोजगार मेलों से लेकर महिलाओं के लिए आत्मरक्षा कार्यशालाओं तक।
महोत्सव का संचालन सरस्वती देवी चैरिटेबल ट्रस्ट के चंद्रकांत गुप्ता और रूट मोबाइल के निदेशक मंडल के नेतृत्व में किया गया। इस अवसर पर स्वामी संतोषानंद देवजी महाराज मुख्य अतिथि थे। स्वामी संतोषानंद ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम आयोजित करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, “आम तौर पर, लोग एक साथ आते हैं और बस खाना खाने और मौज-मस्ती करने के लिए एक साथ आते हैं। लेकिन जायसवाल महोत्सव यह सुनिश्चित करता है कि यह मण्डली समुदाय के हर आयु वर्ग के लिए फायदेमंद है।

समापन कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, मेहमानों, पेशेवरों, उद्यमियों और बिजनेस टाइकून को सम्मानित किया गया और ‘संगीत संध्या’ के साथ समापन किया गया।

जायसवाल यूथ फेडरेशन के अध्यक्ष विश्वनाथ कलवार ने कहा कि समुदाय समाज में सद्भाव फैलाने के लिए जाना जाता है। कलवार ने कहा, “त्यौहार का उद्देश्य समुदाय की मदद करना और एक-दूसरे के बीच सौहार्द को बढ़ावा देना है।
अन्य प्रमुख अतिथियों में श्रीमती रमा देवी (लोकसभा प्रोटोकॉल अध्यक्ष), श्रीपद नाइक (पर्यटन और बंदरगाह राज्य मंत्री), संजय जायसवाल (लोकसभा सांसद और पूर्व बिहार भाजपा अध्यक्ष), कृष्णा प्रसाद (आईपीएस और एडीजीपी फोर्स वन, महाराष्ट्र सरकार), सिद्धार्थ जायसवाल (आईआरएस संयुक्त आयुक्त सीमा शुल्क एवं उत्पाद शुल्क, मुंबई) भी महोत्सव में शामिल हुए।

राम, राम , जय – जय राजा राम

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राम, राम जय राजा राम

आर.के. भारद्वाज – विनायक  फीचर्स
कभी-कभी ऐसी घटनायें घटती हैं, जो प्रारंभ में कठिन और दु:खदायी प्रतीत होती हैं परन्तु परिणाम में उत्तम, श्रेष्ठ और सुखप्रद होती हैं। ऐसा ही राम वनवास के समय हुआ। जब राम को वनवास हुआ तो पूरी अयोध्या, प्रशासन और प्रजा सिवाय राम के बहुत दु:खी, व्यथित और परेशान हुई। लोगों ने आंसू बहाये और रोये। यह सब लोगों का राम के प्रति प्यार, आदर, मान-सम्मान व श्रद्धा के कारण हुआ। लोगों के इस जज्बे से राम के स्वभाव की सौम्यता, वाणी की मधुरता और उनके अनगिनत सद्ïगुणों की झलक मिलती है, इसलिये राम के वन जाने के लाभ और उपलब्धियों का बखान करने से पहले उनके गुणों पर प्रकाश डालना आवश्यक है।
नारदजी राम को जितेन्द्रिय, धैर्यवान, महाबलवान और कांतियुक्त बताते हैं। उनका अपने मन, इन्द्रियों पर संयम है। वह नीति को जानने वाले हैं और बुद्धिमान हैं। राम धर्म के रहस्य को जानते हैं तथा सदैव सत्य पर स्थित रहते हैं। उनमें शत्रुओं को समाप्त करने की सामथ्र्य है और वह सदैव प्रजा के हित में लगे रहते हैं। उनकी स्मरण शक्ति अद्भुत है और सभी शास्त्रों के पण्डित हैं। धर्म की रक्षा करने में वह  ब्रह्मïा के समान हैं। विष्णु के समान बलवान हैं और उनका क्रोध मृत्यु की ज्वाला रूपी अग्नि के समान भयंकर है। उनकी सहन करने की शक्ति पृथ्वी के समान है और त्याग करने में कुबेर। सत्य का पालन करने में वह दूसरे धर्मराज हैं।

 

वाल्मीकि कहते हैं कि मीठे शब्दों में दूसरों का साहस बढ़ाना राम की विशेषता है। राम स्वभाव से शांतचित हैं। कोई उनको कठोर बात कह देता है तो वह उसका उत्तर सख्ती से नहीं देते। कोई उन पर एकबार उपकार कर दे तो वह उसको जीवन भर नहीं भूलते। सतपुरुषों की संगत और उनसे शिक्षा प्राप्त करने का उनको बहुत शौक है। उनमें घमण्ड नाम की बू तक नहीं है। बढ़े-बूढ़ों और ब्राह्मïणों का वह बहुत सत्कार करते हैं। राम के यह बहुत सारे गुण नि:संदेह उनकी वास्तविकता, ऐतिहासिकता को दर्शाते हैं, क्योंकि किसी  काल्पनिक व्यक्ति के इतने गुणों का बखान हो ही नहीं सकता, जब तक कि जाना, समझा, देखा और परखा न जाये। राम के जन्मसिद्ध, गुणों, बुद्धि और प्रतिभा को संवारने, निखारने, सजाने तथा विस्तार देने में ऋषि-मुनियों का बड़ा योगदान रहा। यह सब बच्चों में हुआ। वन जीवन राम के लिये वरदान सिद्ध हुआ।
कुछ विद्वानों का मत है कि राम को वनवास भिजवाने में ऋषि-मुनि की चाह थी, कैकेयी तो एक माध्यम थीं। ऋषि-मुनि मुख्यत: वशिष्ठ, वाल्मीकि, भारद्वाज, विश्वामित्र, अगस्त्य, परशुराम आदि-आदि रावण की बढ़ती शक्ति, आतंक तथा अत्याचार से तंग आ चुके थे। लगभग आधे आर्यवर्त पर रावण और उसकी मित्र शक्तियों का शासन था। रावण का अन्त और नाश करने में राम से उपयुक्त कोई वीर शिरोमणि नहीं था।
चौदह वर्ष वनवास से पहले भी राम ने वन जीवन का अनुभव प्राप्त कर लिया। जब वह और लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र के साथ उनके यज्ञ में रक्षार्थ गये थे। उस दौरान विश्वामित्र ने प्रसन्न होकर राम को अनेक अस्त्र दिये, जिनमें कुछ के नाम है- दिव्य दण्डचक्र, धर्मचक्र, कालचक्र, विष्णुचक्र, वृहत इन्द्रास्त्र, वज्रास्त्र, ब्रह्मïशिर अस्त्र, दो शुभ गदायें मोदकी और शिकरी, धर्मपाश, कालपाश, वरुणपाश, शुष्क एवं आद्र दो बिजली के अस्त्र, पिनाक अस्त्र, नारायण अस्त्र, आग्नेय अस्त्र, दो शक्ति अस्त्र हयशिर और कौञ्च, कंकाल, मूसल, घोर कपाल किंकिरणी, नन्दन अस्त्र आदि-आदि। इन अस्त्रों के प्रयोग का अवसर राम को राक्षसों के विरुद्ध लड़ाइयों में मिल गया। उन दिनों राक्षसों ने लूटमार व हत्या का कहर मचा रखा था, जिससे लोग भयभीत व आतंकित थे। राम ने बलवान और खूंखार राक्षसों जैसे ताड़का और सुबाहु को मार भगाया और ताड़का पुत्र मारीच को घायल कर दूर फैंक दिया। इस प्रकार राम ने आसपास के लोगों को न केवल राक्षसों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई, बल्कि अपने सैन्य बल व युद्ध कौशल का भी परिचय दिया।
इसी काल में राम ने जनकपुर जाते हुए रास्ते में गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या जो इन्द्र द्वारा धोखे से बलात्कार किये जाने के पश्चात दु:ख, पीड़ा, तनाव के कारण शिलावत हो गई थी, का उद्धार किया। राम ने अहिल्या को सांत्वना दी और बलात्कारी इन्द्र की घोर भत्र्सना की। महामुनि विश्वमित्र का राम को अपने साथ ले जाने का मुख्य उद्देश्य केवल राम का विवाह ही था। ताड़का आदि का वध तो एक बहाना था। आदि कवि बाल्मीकि ने विवाह, वनवास, सीताहरण और बालि वध इन्हीं चार मुख्य घटनाओं का रामायण में सविस्तार वर्णन किया है। इन्हीं घटनाओं का ही सीधा संबंध रावण के मारे जाने से है।
जनकपुर में राम ने बड़े अद्भुत शिव धनुष रत्न जिसकी प्रत्यंचा महाबली राजा और राजकुमार भी न चढ़ा सके, बीच से पकड़कर लीलापूर्वक उठा लिया और खेल-सा करते हुए उस पर प्रत्यंचा चढ़ा दी। धनुष भंग कर राम ने अपनी शक्ति और शौर्य का परिचय दिया। इससे राम की वाह-वाही हुई, सब लोगों ने इनकी जय-जयकार की। राम की कीर्ति और यश दूर-दूर तक फैल गया। यह सुनकर परशुराम जी आश्चर्य से चकित हो राम की परीक्षा लेने एक वैसे ही बड़े धनुष के साथ जनकपुर आ धमके। उस उत्तम धनुष और बाण की भी प्रत्यंचा चढ़ा दी। इस कृत्य से प्रसन्न होकर परशुराम ने राम को आशीर्वाद दिया। राम जैसे सर्वगुण सम्पन्न देव पुरुष जिसे रामायण में ‘सर्वविद्याव्रत स्नात:Ó कहा गया है और सीता सम गुरुवान, बुद्धिमान, विषुधी देवी के विवाह से दोनों के जीवन में निखार आ गया, बहार आई तथा यह दोनों के लिये सोने पे सोहागा था।
दूसरी ओर अयोध्या के कर्म परायण और न्यायप्रिय राजा दशरथ और मिथिला के विद्वान और आध्यात्मवादी राजा जनक की मैत्री तथा संबंध से दोनों राज्यों की न केवल शक्ति बढ़ी, बल्कि ख्याति भी दूर-दूर तक फैल गई। चौदह वर्ष वनवास काल में राम को भारत की चप्पा-चप्पा धरती, नदी-नालों, पहाड़, पशु-पक्षी, जंगल तथा वन में रहने वालीं विभिन्न जाति व उनकी समस्याओं को निकट से देखने का अवसर मिला। उनके जीवन की प्रमुख घटनाएं व उपलब्धियां वन से जुड़ी हुई हैं। यदि वह वन नहीं जाते तो केवल अयोध्या के राजा ही रह जाते और हो सकता है कि उनकी सीता से शादी भी न होती। राम को इतना आदर, मान-सम्मान, यश और कीर्ति न मिलती, जितनी उनको वन जाने से मिली। वन जाने से इनकी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियां जो उनमें पहले से थीं और ज्यादा उन्नत व विकसित हो गईं। वन के कठोर जीवन से उनका शरीर और पुष्टï हुआ। ऋषि-मुनियों विशेषकर भारद्वाज, अत्रि, शरभंग, अगस्त्य के प्रवचनों और उपदेशों से मानसिक शक्ति में और वृद्धि हुई।
वन के शान्त, एकान्त वातावरण में प्रार्थना, उपासना से आध्यात्मिक शक्ति में भी बढ़ोतरी हुई। ऋषि-मुनियों विशेषकर विश्वमित्र और अगस्त्य ने जो नये-नये प्रभावकारी और अचूक अस्त्र राम को प्रदान किये थे, उनका राक्षसों के विरुद्ध लड़ाइयों में प्रयोग करने का अवसर मिल गया। इन अस्त्रों के बल पर राम ने कई क्रूर व अत्याचारी राक्षसों को बड़ी आसानी से मार गिराया और तपस्वियों, मुनियों तथा वनवासियों को भयमुक्त कर सुख पहुंचाया। महाबली खर, उसके बलवान सेनापति दूषण और चौदह हजार शक्तिशाली सैनिकों को भी राम ने मार गिराया। इस विजय से राम के सैन्यबल और युद्ध कौशल की बड़ी प्रशंसा हुई और लोगों को राक्षसों के अत्याचारों से मुक्ति मिली।
वन में रहते हुए राम ने निषाद राजगूह को गले लगाया, स्वर्ण मृग के वेश में आये मारीच को सुगमता से मार गिराया, मरणासन्न जटायु को सुख पहुंचाया और शबरी भीलनी के भक्तिवश झूठे बेर खाये और उसका उद्धार किया। अत्याचारी बालि को मारकर सुग्रीव को गद्दी पर बैठाया और वानरों को भयमुक्त कर उनसे मित्रता स्थापित की। इन सब कार्यों से राम ने आपसी भाईचारे का संदेश दिया और बताया कि आदमी जन्म से नहीं, कर्म से बड़ा होता है। इससे राम की दयालुता व उदारता की झलक मिलती है किन्तु राम का सबसे बड़ा काम व उपलब्धि रावण जैसी महाशक्ति को हराना थी। इसका अवसर रावण द्वारा सीता हरण से मिल गया।  लंका विजय, राम ने बिना अयोध्या से सैनिक सहायता लिये जनजाति-वानर आदि सैनिकों के बल पर प्राप्त की। रावण और उसकी राक्षसी सत्ता के अंत से लोगों ने चैन की सांस ली और राम का यश दूर-दूर तक फैल गया।
राम की शूरवीरता, युद्ध कौशल, सैन्य संचालन जिसमें समुद्र पर पुल बनाना भी शामिल है तथा अन्य अनेक गुण लोगों के सामने उजागर हुए और उनकी प्रशंसा व जय-जयकार होने लगी। यह राम के जीवन का चर्मोत्कर्ष था। राम विश्व के प्रथम सम्राट बन गये। (विनायक फीचर्स)

लघु उद्योग भारती के सदस्य अलग-अलग 84 प्रकार के भोग को लेकर गौशाला पहुंचे

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Agra News: आगरा में लघु उद्योग भारती ने आज हाथरस रोड स्थित श्री राधा कृष्ण गौशाला में 84 भोग का आयोजन किया. लघु उद्योग भारती के पदाधिकारी गायों के लिए 84 प्रकार के भोग लेकर पहुंचे और एक भव्य कार्यक्रम करते हुए सदस्यों ने गौ पूजन और गौ मुख सेवा की. उसके बाद गौशाला की गायों को 84 प्रकार का भोग लगाया .

लघु उद्योग भारती के सदस्य अलग-अलग 84 प्रकार के भोग को लेकर गौशाला पहुंचे. 84 भोग को बड़े ही सुंदर प्रकार से सजाया गया और गौ सेवा करते हुए गाय का पूजन किया. श्री राधा कृष्ण गौशाला में गायों को 84 प्रकार का भोग लगाया गया. हिंदू धर्म में गौ सेवा को सबसे सर्वश्रेष्ठ माना गया है इसी भावना के साथ लघु उद्योग भारती के पदाधिकारी ने गौशाला में गायों को 84 प्रकार का भोग अर्पण किया है. जिसमें फल, सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स, पुआ, रोटी सहित हरा चारा शामिल है जिसे गाय बड़े चाव के साथ खा रही हैं.

लघु उद्योग भारती ने की गौ सेवा
लघु उद्योग भारती के पदाधिकारी का कहना है कि सनातन धर्म में गोमुख का पूजन करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है और आज मकर संक्रांति के दिन हमने सबसे पहले गाय पूजन करते हुए गौशाला में गायों को 84 प्रकार का भोग अर्पण किया है, अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है जिसको लेकर लघु उद्योग भारती उत्सव की तैयारी में है.

’22 मनाई जाएगी भव्य दिवाली’ 
संगठन के पदाधिकारियों बताया कि रामलला प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर दिवाली से ही बड़ी और भव्य दिवाली बनाई जाएगी. हम सभी लोग अपने घर और प्रतिष्ठा को सजाएंगे दीप उत्सव करेंगे साथी बड़े स्तर पर आतिशबाजी की जाएगी. आज गौ सेवा करने का सौभाग्य लघु उद्योग भारती को प्राप्त हुआ है, उसके लिए हम खुद को धनी मानते हैं. आज गोमुख का पूजन कर हमने हिंदू धर्म के सभी देवी देवताओं का पूजन किया है क्योंकि सनातन धर्म में माना जाता है कि गाय में सभी देवी देवताओं का वास होता है.

PM Modi with Cows – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की गौ सेवा , गौमाता को खिलाया चारा

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मकरसंक्रांति के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर गायों को चारा खिलाया। सोशल मीडिया पर गायों के साथ पीएम मोदी के कुछ तस्वीरें वायरल हो रही है। यह पहली मौका नहीं है कि जब दुनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गौ-प्रेम को देखा है। इससे पहले पिछले साल जब वो वारंगल शहर में भद्रकाली मंदिर पहुंचे थे तब भी उनको गौ-सेवा करते देखा गया था।

एएनआई, नई दिल्ली। PM Modi with Cows। देशभर में कल (15 जनवरी) मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इसी बीच आज पीएम मोदी की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं। इन तस्वीरों में वो गायों को चारा खिलाते नजर आ रहे हैं।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि जब दुनिया ने  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गौ-प्रेम को देखा है। इससे पहले पिछले साल जब वो वारंगल शहर में भद्रकाली मंदिर पहुंचे थे, तब भी उनको गौ-सेवा करते देखा गया था।

पीएम मोदी ने पोंगल, मकर संक्रांति की शुभकामनाएं दी

पीएम मोदी ने आज देशवासियों को पोंगल की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह त्योहार ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को दर्शाता है। पीएम ने राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय राज्य मंत्री (MoS) एल मुरुगन के आवास पर पोंगल समारोह में भाग लेने के दौरान यह बात कही।

पीएम मोदी ने कहा, “देश ने कल लोहड़ी का त्योहार मनाया। कुछ लोग आज मकर संक्रांति मना रहे हैं और कुछ लोग कल मनाएंगे, माघ बिहू भी आ रहा है, मैं देशवासियों को इन त्योहारों की शुभकामनाएं देता हूं।”

बता दें कि 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह हो। इस पूजन में पीएम मोदी मुख्य यजमान हैं। पीएम ने 11 दिवसीय अनुष्ठान शुरू किया है। पीएम नरेंद्र मोदी समेत सभी यजमानों को 11 दिनों तक एक समय सेंधा नमक युक्त सात्विक आहार ग्रहण करना होगा।

‘पोंगल एक भारत श्रेष्ठ भारत की राष्ट्रीय भावना को दर्शाता है’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि पोंगल एक भारत श्रेष्ठ भारत की राष्ट्रीय भावना को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यही भावनात्मक जुड़ाव काशी-तमिल संगमम और सौराष्ट्र-तमिल संगमम में भी देखने को मिला।

केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन के नई दिल्ली स्थित आवास पर आयोजित पोंगल समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि तमिलनाडु के हर घर में उत्सव का उत्साह देखा जा रहा और सभी लोगों के जीवन में खुशी, समृद्धि और संतुष्टि की कामना की।

प्रधानमंत्री ने कोलम (रंगोली) के साथ भारत की विविधता की समानता बताते हुए कहा कि जब देश का हर कोना एक-दूसरे के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ता है, तो देश की ताकत एक नए रूप में दिखाई देती है।

 

मकर संक्रांति कई फलों का दाता है स्नान

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मकर संक्रांति
कई फलों का दाता है स्नान
इन्द्रकुमार जैन – विभूति फीचर्स
महाभारत के उद्योग पर्व में आया है- गुणा दश स्नानशीलं भजन्ते बलं रूपं स्वर वर्ण प्रशुद्धि:। स्पर्शश्च गंधश्च
विशुद्धता च श्री: सौकुमार्य प्रवराश्च नार्य:॥ ऐसा ही स्मृत्यर्थसार में लिखा है। तात्पर्य यह है कि स्नान से बल, रूप,

स्वर, वर्ण की शुद्धि, माधुर्य, सुगंध, विशुद्धता, श्री सौकुमार्य और सुन्दर स्त्री प्राप्त होती है। धर्मशास्त्रों में दो प्रकार
के स्नान वर्णित हैं। जल के साथ किया गया स्नान मुख्य और जलहीन स्नान गौण माना गया है। इनके भी तीन भेद
हैं। प्रतिदिन किया गया स्नान नित्य, विशेष अवसरों पर किया गया स्नान नैमित्तिक और किसी फल की इच्छा से
किया जाने वाला स्नान काम्य कहलाता है। मनुस्मृति और बोधायनसूत्र के अनुसार सभी लोगों को प्रतिदिन सिर से
पांव तक स्नान करना चाहिए। शरीर से निरंतर गन्दगी निकलती रहती है इसलिए प्रात: स्नान कर स्वच्छ हो जाना
चाहिए। कुछ जातियों के लिए मंत्र जाप करते हुए स्नान करने के निर्देश हैं।

नित्य स्नान शीतल जल से ही किया जाना चाहिए। साधारणत: गर्म जल का प्रयोग वर्जित है। कुछ वर्णों को दो बार,
ब्रह्मचारियों को एक बार और कुछ को तीन बार स्नान करना चाहिए। रात्रि स्नान वर्जित है। ग्रहण, विवाह, जन्म-
मरण या व्रत के समय रात्रि स्नान किया जा सकता है। धर्मग्रंथों के अनुसार गर्म जल या दूसरे के लिए रखे जल में
स्नान करने से सुन्दर फल नहीं मिलता। नैमित्तिक और काम्य स्नान प्रत्येक दशा में शीतल जल से ही किया जाता है।
स्नान के लिए नदियों, वापियों, झीलों, गहरे कुण्डों और पर्वत प्रपातों के स्वाभाविक जल का उपयोग किया जाना
चाहिए। कम से कम 8000 धनुष लम्बाई की नदी मानी गई है। इससे छोटे नदी नाले गर्त कहे गए हैं। श्रावण-भादो में
नदियां रजस्वला होती हैं। अत: उनमें स्नान वर्जित है मगर ऐसी नदियों में स्नान किया जा सकता है जो समुद्र में
मिलती हैं। उपाकर्म, उत्सर्ग, तथा ग्रहण के समय इन नदियों में भी स्नान करना चाहिए। विष्णु धर्म सूत्र के अनुसार
पात्र-जल, कुण्ड-जल, प्रपात-जल, नदी-जल, भद्र लोगों द्वारा प्राचीनकाल से प्रयुक्त जल और गंगा जल क्रमश:
अच्छा होता है।

विभिन्न सूत्रों, स्मृतियों एवं निबंधों में स्नान विधियों पर प्रकाश डाला गया है। प्रात: एवं मध्यान्ह स्नान की विधि
समान है। कात्यायन के स्नानसूत्र में स्नानविधि का विस्तार से वर्णन किया गया है। स्नान के उपरांत भीगे कपड़ों में
ही देवताओं और पितरों का तर्पण करना चाहिए। यदि कोई पूरा स्नान न करना चाहे तो उसे जल का अभिमंत्रण
आचमन, मार्जन और अद्यमर्षण करना चाहिए। जल के भीतर मल-मूत्र त्याग नहीं करना चाहिए। शरीर नहीं रगडऩा
चाहिए। जल को पैरों से नहीं पीटना चाहिए। प्राचीनकाल में स्नान के लिए पवित्र मिट्टी का प्रयोग किया जाता था।
एक ग्रंथ में बताया गया है कि आठ अंगुल नीचे की मिट्टी का प्रयोग किया जाना चाहिए। ब्रह्मचारियों को क्रीड़ा-
कोतुक के साथ स्नान वर्जित है।

शंख-स्मृति, अग्नि-पुराण तथा कतिपय अन्य ग्रंथों में जल स्नान छह श्रेणियों में विभक्त है- नित्य, नेमित्तिक,
काम्य, क्रियांग, मलापकर्षण (अभ्यंग) और क्रिया स्नान। दैनिक नित्य स्नान की चर्चा हो चुकी है। पुत्रोत्पत्ति,
यज्ञान्त, मरण, ग्रहण, रजस्वला स्पर्श, शव-चाण्डाल स्पर्श, उल्टी, दस से ज्यादा बार शौच, दु:स्वप्न देखने, संभोग के
बाद, बाल कटाने पर, श्मशान जाने पर, मानव अस्थि छू लेने पर, कुत्ता काटने पर या कुछ पक्षियों के छू जाने पर
स्नान किया जाना चाहिए। उक्त सभी स्नान नैमित्तिक हैं। पुण्य प्राप्ति या इच्छा पूर्ति के लिए काम्य स्नान किया

जाता है। माघ और वैशाख में पुण्य के लिए प्रात: स्नान किया जाता है। कूप-मंदिर, वाटिका तथा अन्य
जनकल्याणकारी निर्माण-कार्य के पूर्व क्रियांग स्नान किया जाता है। तेल और आंवला लगाकर मलापकर्षक का
अभ्यंग स्नान किया जाता है। सप्तमी, नवमीं और पर्व की तिथियों में आमलक प्रयोग वर्जित है। तीर्थयात्रा में फल
प्राप्ति के लिए किया गया स्नान क्रिया स्नान कहलाता है।

बीमार व्यक्ति गर्म जल से स्नान कर सकता है। यदि ऐसा न हो सके तो उसका शरीर पोंछ देना चाहिए। इसे कपिल
स्नान कहते हैं। यदि रोगी का स्नान आवश्यक हो तो कोई अन्य व्यक्ति उसे छूकर दस बार स्नान कर सकता है।
इससे रोगी पवित्र हो जाता है। यदि रजस्वला नारी चौथे दिन रोग-ग्रस्त हो जाए तो कोई अन्य स्त्री दस-बारह बार
वस्त्रयुक्त स्नान कर उसे शुद्ध कर सकती है। इसके बाद रजस्वला स्त्री की साड़ी बदल दी जाती है। जब रोगादि
कारणों से साधारण स्नान करने में कठिनाई हो तो सात प्रकार के गौण स्नानों की शास्त्रीय व्यवस्था है। जल द्वारा
किया गया स्नान 'वारूण स्नान’ कहलाता है। अन्य गौण स्नानों में मंत्र स्नान, भोम स्नान, आग्नेय स्नान, वायव्य
स्नान, दिव्य स्नान और मानस स्नान सम्मिलित हैं। कहीं-कहीं मंत्र स्नान को ब्राह्म स्नान लिखा गया है। वृहस्पति
ने सारस्वत स्नान का वर्णन किया, जिसमें कोई विद्वान व्यक्ति आशीर्वचन कहता है। मंत्र स्नान में मंत्र बोलकर
जल छिड़का जाता है, भौम स्नान में भुरभुरी मिट्टी शरीर पर पोती जाती है, आग्नेय में पवित्र राख से शरीर स्वच्छ
किया जाता है, वायव्य में गौ-खुरों से उठी धूल से स्नान किया जाता है सूर्य की किरणों के रहते वर्षाजल से स्नान दिव्य
और भगवान विष्णु का स्मरण मात्र मानस स्नान है। वर्तमान में काक स्नान की काफी चर्चा होती है मगर संभवत:
यह कपिल-स्नान या मंत्र-स्नान का पर्यायवाची है। पुरातन ग्रंथों में काक स्नान का उल्लेख नहीं मिलता। (विभूति
फीचर्स)