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अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच का गणतंत्र दिवस पर कवि सम्मेलन संपन्न

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नवी मुंबई। अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच एक साहित्यिक, सांस्कृतिक सामाजिक संस्था है। यह मंच समय-समय पर कवि सम्मेलन, सामाजिक कार्य और अन्य गतिविधियों का आयोजन करती रहती है। 26 जनवरी के उपलक्ष्य में मंच द्वारा ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें करीब 30 कवियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के समारोह अध्यक्ष अभिलाष शुक्ला, मुख्य अतिथि राम राय, विशेष अतिथि संतोष साहू, शिवपूजन पांडे, पन्नालाल शर्मा, जनार्दन सिंह रहे। कार्यक्रम का संचालन अग्निशिखा मंच की अध्यक्ष अलका पांडे ने किया वहीं आभार प्रदर्शन अश्विन पांडे ने किया।
सम्मेलन में सरस्वती वंदना रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने कर कार्यक्रम की शुरुआत की और राम राय ने अपने उद्बोधन में वीरों को याद किया और श्रीराम के अयोध्या आने की खुशी जाहिर की साथ ही अपनी एक रचना प्रस्तुत कर मंच को गौरवान्वित किया।
अभिलाष शुक्ल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में मंच को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सामाजिक और साहित्यिक कार्यक्रम होते रहने चाहिए। समाज को ऐसे कार्यक्रमों की बहुत जरूरत है और उन्होंने आगे भी सहयोग करने का आश्वासन दिया। इनके अलावा बाकी अतिथियों ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किये।
साहित्य सम्मेलन में प्रतिभागी के रूप में रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, सीमा त्रिवेदी, ओम प्रकाश पांडे, मीना त्रिपाठी, ब्रज किशोरी त्रिपाठी, रवि शंकर कोलते, डॉक्टर देवी दी अविनाशी, हीरालाल सिंह कौशल, अनीता झा, रानी नारंग, अलका पांडे, राम राय, सुरेंद्र हरड़े, डॉ महताब आज़ाद ने ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करायी।
अंत में मंच की अध्यक्ष अलका पांडे ने सभी प्रतिभागियों को सम्मान पत्र देकर शुभकनाए दीं।
यहाँ प्रस्तुत है कुछ कविता की चंद पंक्तियां
वंदे मातरम
26 जनवरी को जब तिरंगा लहराता है, तब कोयल गीत सुनाती है
और भंवरा नगमे गाता है
बच्चे ताली बजाते हैं
और हम सब झूम के वंदे मातरम वंदे मातरम कहते हैं।
तिरंगे को देखकर पवन शोर मचाती है
गगन झूम झूम के इढालता हैं।
तब हमे बलिदानों की याद आती है।
शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है जब बात निकलती है आजादी की
याद आते हैं तब वीर जवान
याद आते हैं भारत देश का नक्शा आंखों में छाती है तोपों की सलामी
बंदूक गरजने लगती है, धरती माता जवानों को तिलक करती है
आकाश इंद्रधनुष सा बन जाता है
आजाद भारत का सपना साकार होता है।
गणतंत्र दिवस हम मनाते हैं
सविधान हमारा हमें याद दिलाता है
लोकतंत्र की बात निराली है संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं।
सबको समानता का अधिकार दिया है
अमीरी गरीबी का भेद मिटाया है
ऊंच-नीच का भेद मिटाया है
सब धर्मों को नेक बताया है
मानव सेवा को धर्म बताया है
जनवरी को जब तिरंगा लहराता है
आकाश झुमके नाच दिखाता है पुरवइया झूम झूम महक फैलाती हैं
शहीदों की याद आती है उनकी वीरता की कहानी हम सुनाते हैं।
– अलका पाण्डेय

बसंती चोला ही जिनकी
दुल्हन बनकर आई थी
इंकलाब के नारे ने
जन जन में अलख जगाई थी
– मीना गोपाल त्रिपाठी

मेरे दिल का पूरा यह अरमान हो।
प्यारा तिरंगा मेरे कफ़न की शान हो।।
– डॉ महताब आज़ाद

राष्ट्रीय रत्न सम्मान समारोह में कृष्णा चौहान ने किया कुमार शानू, इस्माइल दरबार, धीरज कुमार का सम्मान

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सिंगर ऋतु पाठक, सुनील पाल, निर्देशक मेहुल कुमार, संगीतकार दिलीप सेन, अली खान, दीपानारायण झा, एसीपी संजय पाटिल, बी एन तिवारी, अभिजीत राणे, ब्राइट आउटडोर मीडिया लिमिटेड को भी मिला राष्ट्रीय रत्न सम्मान

मुम्बई। पिछले दिनों गणतंत्र दिवस के अवसर पर भव्य रूप से “राष्ट्रीय रत्न सम्मान 2024” के तीसरे सीज़न का आयोजन कृष्णा चौहान ने मुम्बई के अंधेरी पश्चिम स्थित मेयर हॉल में किया। केसीएफ प्रस्तुत इस पुरस्कार समारोह में उन विशिष्ट लोगों को सम्मानित किया गया जिन्होंने समाज सेवा और मानव सेवा में सराहनीय व उल्लेखनीय योगदान दिया है। कृष्णा चौहान फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस अवार्ड समारोह में कई हस्तियां मेहमान के रूप में मौजूद रहीं।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय रत्न सम्मान 2024 से निर्माता निर्देशक धीरज कुमार, पार्श्व गायक कुमार शानू, संगीतकार इस्माइल दरबार (हम दिल दे चुके सनम, देवदास फेम), मेहुल कुमार (तिरंगा, क्रांतिवीर फेम), संगीतकार दिलीप सेन (ये दिल्लगी, अफलातून फेम), अभिनेता रमेश गोयल, अभिनेता अली खान, सिंगर ऋतु पाठक (जलेबी बाई फेम), सुनील पाल, दीपा नारायण झा, एसीपी संजय पाटिल, बीएन तिवारी, अभिजीत राणे, ब्राइट आउटडोर मीडिया लिमिटेड, विनायक पाटिल, गणेश पचारने, रमेश गोयल, मधु मंगल दास, निर्देशक रंजन कुमार सिंह, राजू टांक, कार्तिक चेट्टी, डॉ अंजली दमनगांवकर, शीरीं फरीद, डॉक्टर एम डी पुजारी, डॉ सुरेश एन मुर्की, श्याम सुंदर सोनी, डॉ. मुस्तफा युसुफली गोम, अनिल काला, आदित्य राजकुमार गुप्ता, सोनिया सोनू गुप्ता, एक्ट्रेस दीप्ति तिवारी, एक्ट्रेस कियारा रावत, एक्ट्रेस पूजा पाण्डेय को सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय रत्न सम्मान उन उत्कृष्ट व्यक्तियों और संगठनों की मान्यता और सम्मान में किया गया, जिन्होंने कर्तव्य की सीमा से ऊपर उठकर जीवन के अलग अलग क्षेत्र में बेमिसाल प्रदर्शन किया है।
मीडिया के क्षेत्र में यह अवार्ड अनिल अरोड़ा (दिल्ली), दिनेश कुमार, डॉ केवल कुमार, कृष्ण शर्मा, शशिकांत सिंह, नासिर तगाले, राजेन्द्र सिंह एस जडेजा, प्रमोद शर्मा, पराग जोशी, दिनेश परेशा, चन्द्र प्रकाश माझी को दिया गया।


आपको बता दें कि कृष्णा चौहान पिछले 20 साल से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। कोविड काल के दौरान उन्होंने जरूरतमंदों को राशन वितरित किया साथ ही भगवतगीता भी लोगों को भेंट किया। पिछले 4 -5 सालों से डॉ कृष्णा चौहान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर लोगों को भगवतगीता भेंट करते आ रहे हैं तो वहीं प्रति वर्ष लोगों को मिठाई देकर दीवाली का उत्सव मनाते हैं।

– संतोष साहू

दलबदल का नया कीर्तिमान बनाते नीतीश कुमार

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दलबदल का नया कीर्तिमान बनाते नीतीश कुमार
(राकेश अचल-विनायक फीचर्स)
नीतीश बाबू जयप्रकाश नारायण की ‘ सम्पूर्ण क्रांति ‘ का उत्पाद है।  उनके साथ ही अनेक लोग थे जो इसी आंदोलन के जरिये राजनीति में आकर शीर्ष तक पहुंचे ।  लालू यादव ,रामविलास पासवान ,शरद यादव सब उसी आंदोलन से बाहर निकले ,लेकिन सबने समय के साथ अलग-अलग रास्ते से सत्ता के शीर्ष तक पहुँचने का करिश्मा कर दिखाया। लालू जी भ्रष्टाचार और परिवारवाद की मिसाल बने तो रामविलास पासवान और शरद यादव ने दलबदल के कीर्तिमान बनाये और नीतीश कुमार  ने इन दोनों  को भी पीछे छोड़ दिय।  नीतीश के ऊपर लालू प्रसाद यादव की तरह भ्रष्टाचार और परिवारवाद के आरोप  नहीं लगे ।  उलटे उन्हें बिहार के कायाकल्प के लिए सुशासन बाबू कहा गया ,लेकिन नीतीश ने सुशासन करने के लिए राजनीति की तमाम मर्यादाएं और आचरण संहिताएं  बलाये ताक रख दी। वैसे तो राजनीति के थलचरों में गिरगिट का कोई जबाब नहीं ।  राजनीति में अधिकाँश नेता समय-समय पर गिरगिट की तरह अपना रंग बदलते हैं ,लेकिन कुछ नेताओं को रंग बदलने में महारथ हासिल  है। बिहार  के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार इस युग के सबसे बड़े गिरगिट है।  उन्होंने रंग बदलने में असल गिरगिट को भी पीछे छोड़ दिया है ,इसलिए आप अपनी सुविधा के लिए उन्हें ‘गिरगिटराज ‘ भी कह सकते हैं।  मेरे शब्दकोश में नीतीश के लिए कोई दूसरी उपमा  है ही नहीं।
आगामी 01  मार्च  को 73  साल के होने जा रहे नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में एक-दो मर्तबा नहीं बल्कि पूरे आठ बार शपथ ली और अब उनका मन फिर विचलित है ।  वे नौवीं बार शपथ लेने के लिए अपने पद से इस्तीफा देने का मन बना चुके हैं। बिहार में दल और गठबंधन बदलने में नीतीश कुमार से पहले राम विलास पासवान का नाम हुआ करता था। पासवान राजनीति का मौसम भांपकर रंग बदलते थे किन्तु नीतीश कुमार ने पासवान के कीर्तिमान को भी भंग कर दिया। नीतीश कुमार को अपने फैसलों के बारे में शायद खुद भी पता नहीं होता। मजे की बात ये है कि वे लगातार अविश्वसनीय होने के बाद भी  भाजपा के लिए भी अंत समय में विश्वसनीय हो जाते हैं और धर्म निरपेक्ष कांग्रेस और राजद के लिए भी।
इन दिनों जब पूरा विपक्ष देश में गैर भाजपा वाद की राजनीति  के लिए एकजुट होने में लगा था तब नीतीशकुमार ने गठबंधन के साथ चलते-चलते अचानक अपना रास्ता बदल लिया  है।  वे अचानक भाजपा के गठबंधन एनडीए की ओर झुक गए है। पिछले दो साल से वे जिस राजद के साथ मिलकर’  चाचा-भतीजे ‘ की सरकार चला रहे थे  उसी राजद में उन्हें परिवारवाद सताने लगा है।  उन्हें अचानक पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की याद आ गयी है।  ठाकुर को  जैसे ही भाजपा की केंद्र सरकार ने 24  जनवरी को ‘ भारत रत्न ‘ सम्मान देने की घोषणा की ,नीतीश बाबू का भाजपा से पुराना प्रेम उमड़ने लगा।
निश्चित ही रंग और पाला बदलकर मरे हुए जमीर के स्वामी नीतीश कुमार नौवीं बार भी बिहार के मुख्यमंत्री बन जायेंगे ,लेकिन नौवीं बार पद और गोपनीयता की शपथ लेते वक्त उनके चेहरे से जो काइयाँपन और निर्लज्जता झलकेगी उसे देखने के लिए कम से कम मैं तो आतुर हूँ। क्योंकि ऐसा दुर्लभ क्षण मुमकिन है कि मेरे जीवन में दोबारा न आये। मेरी दृष्टि में नीतीश बाबू भारतीय राजनीति में निर्लज्जता के सर्वोच्च प्रतिमान हो चुके हैं। वे जनादेश के साथ खिलवाड़ करने वाले सबसे बड़े और सिद्धहस्त खिलाड़ी बन चुके हैं। उनका कीर्तिमान अब शायद ही कोई दूसरा नेता तोड़ पाए। कल के बच्चे जब भारतीय राजनीति का इतिहास पढ़ेंगे तो नीतीश  बाबू का नाम एक ‘ गाली ‘ की तरह लिया जाएगा।
लोकसभा चुनाव  से पहले विपक्षी गठबंधन को लंगड़ा करने वालों में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल और बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी के बाद नीतीश बाबू तीसरे नेता है। वे राजनीति में अपने हमउम्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही तरह अप्रत्याशित फैसले करने में माहिर  है।  कल तक वे धर्मनिरपेक्षता का ध्वज उठाकर चल रहे थे। पिछले साल राम नवमी के जुलूस पर  पत्थरबाजी और कई हिंदुओं के मरने तथा घायल होने की कई घटनाओं को नजर अंदाज करते हुए उसी वक्त इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इसके लिए हिंदुओं ने उनकी काफी आलोचना भी की , यहां तक कि उनकी तुलना रोम के नीरो से भी की गई। भाजपा ने भी उन पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया था लेकिन आज फिर नीतीश बाबू भाजपा के लिए ‘ मिशन 400  पार ‘ को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण बन गए हैं।
भारतीय लोकतंत्र में इस समय  एक पाले में भाजपा और उसके सहयोगी दल हैं और दूसरी तरफ कांग्रेस और भाजपा की राजनीति से घृणा करने वाले दल। लेकिन अब भाजपा विरोधी दलों में बिखराव हो रहा है। सबसे पहले बसपा  ने कांग्रेस और उसके गठबंधन से दूरी  बनाई। फिर आप ने धोखा दिया ,फिर ममता बनर्जी के सुर बिगड़े और अब नीतीश बाबू गैर-भाजपा वाद के इस अभियान में आखिरी कील ठोंक  रहे हैं। नीतीश  बाबू मौजूदा राजनीति के सबसे बड़े खलनायक बनने जा रहे हैं ,किन्तु उन्हें इसकी  कोई चिंता  नहीं है क्योंकि वे सत्ता प्रतिष्ठान के बगलगीर बनकर खड़े हैं। हमारे गांव  में इस तरह के संयोग को केर -बेर  का संग या  सांप -नेवले   की मित्रता  कहा जाता  है।
गिरगिटराज नीतीश बाबू के निर्णय से विपक्षी एकता को भारी  नुकसान तो होगा ही साथ ही नीतीश बाबू के निर्णय से भारतीय राजनीति में पहले से मौजूद  विश्वास  का संकट  और गहरा  होगा। लोग नेताओं पर भरोसा  करने से पहले सौ  बार सोचेंगे । फिर भी देश भी  चलेगा और राजनीति भी। लेकिन नीतीश कुमार भुला  दिए  जायेंगे ,या फिर याद किये  जायेंगे तो उपहास के साथ(विनायक फीचर्स)

पशु मित्रों के साथ अदा शर्मा की अदाएं

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पशु मित्रों के साथ अदा शर्मा की अदाएं
अनिल बेदाग, मुंबई
1920 से लेकर द केरल स्टोरी जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से देशभर के लोगों के दिलों पर राज करने वाली अदा शर्मा के सोशल मीडिया पर भी बड़ी संख्या में फॉलोअर्स हैं। जानवरों के प्रति उनका प्रेम सभी जानते हैं। अदा ने हाल ही में एक पशु अस्पताल के साथ भी करार किया है। वह उत्पीड़ित हाथियों के हित के लिए भी उनके साथ मिलकर काम करती है।
इस बार गणतंत्र दिवस पर भी वह अपनी पशु मित्रों को नहीं भूली है। ये रही गणतंत्र दिवस की परेड के लिए जाते समय अपने पशु मित्रों के साथ अदा की ये प्यारी तस्वीरें।
अदा शर्मा आगे ‘बस्तर: द नक्सल स्टोरी’ में नजर आने वाली हैं, जो 15 मार्च, 2024 को रिलीज होगी। इसके अलावा वह सनफ्लावर सीजन 2 और एक अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट में भी नजर आएंगी।

श्रीमती इंदिरा गांधी की भूमिका निभाकर इतिहास रचने को तैयार हैं कंगना रनौत

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दिवंगत भारतीय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के शिमला समझौते को कंगना रनौत की आगामी राजनीतिक ड्रामा ‘इमरजेंसी’ में फिर से रीक्रिएट किया जाएगा।
     इसे अब तक की अपनी सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना घोषित करते हुए, चार बार की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री कंगना रनौत आगामी राजनीतिक ड्रामा ‘इमरजेंसी’ में पूर्व भारतीय प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की भूमिका निभाकर इतिहास रचने के लिए तैयार हैं।  अतीत में झांकने की अभिनेत्री की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए, यह फिल्म इतिहास में एक वास्तविक और ईमानदार अंतर्दृष्टि प्रदान करने का वादा करती है।  भारतीय लोकतंत्र में एक अत्यधिक विवादास्पद घटना के मेगा-बजट चित्रण के रूप में लेबल किया गया, ‘इमरजेंसी’ इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच कुख्यात जुलाई 1972 शिमला समझौते को उजागर करने के लिए तैयार है।
    भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति श्री जुल्फिकार अली भुट्टो द्वारा 2 जुलाई 1972 को शिमला, भारत में हस्ताक्षर किए गए थे।  इस समझौते से 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का औपचारिक अंत हो गया।  इसका उद्देश्य शांति स्थापित करना, भारत को सेना वापस बुलाने की आवश्यकता, कश्मीर मुद्दे का समाधान करना और बेहतर संबंधों को बढ़ावा देना था।  समझौते ने जब्त की गई भूमि की वापसी की सुविधा प्रदान की, भारत ने पाकिस्तान को 13,000 किमी से अधिक भूमि वापस दे दी, लेकिन भारत के राजनीतिक इतिहास में विवाद अभी भी बना हुआ है।  दर्शकों के लिए इस विवादास्पद घटना को एक बार फिर सिल्वर स्क्रीन पर देखने का एक अच्छा समय, कंगना रनौत की ‘इमरजेंसी’ इस घटना में अंतर्दृष्टि का वादा करती है, जो समझौते की जटिलताओं पर प्रकाश डालती है।
    कंगना रनौत द्वारा लिखित और निर्देशित, ‘इमरजेंसी’ में अनुपम खेर, महिमा चौधरी, मिलिंद सोमन, श्रेयस तलपड़े, विशाक नायर और दिवंगत सतीश कौशिक भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं।  ज़ी स्टूडियोज और मणिकर्णिका फिल्म्स द्वारा निर्मित, फिल्म का संगीत संचित बल्हारा और पटकथा और संवाद रितेश शाह द्वारा दिया गया है।  ‘इमरजेंसी’ 14 जून, 2024 को स्क्रीन पर आने वाली है।

बोले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश में जल्द लागू होगी यूसीसी

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ब्वै, ब्वारी, नौनी कौथिग में मुख्यमंत्री धामी ने किया ₹467 करोड़ 78 लाख की योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास

बोले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश में जल्द लागू होगी यूसीसी

29 जनवरी 2024,रविवार, देहरादून
संजय बलोदी प्रखर
मीडिया समन्वयक उत्तराखण्ड प्रदेश

 

देहरादून /रुद्रप्रयाग,28 जनवरी आज रविवार को जनपद रुद्रप्रयाग में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नारी शक्ति वंदन महोत्सव के अंतर्गत आयोजित ब्वै, ब्वारी, नौनी कौथिग में किया प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ₹467 करोड़ 78 लाख की 27140 योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों के स्टॉल का अवलोकन कर महिलाओं के साथ संवाद किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने रुद्रप्रयाग पर्यटन विभाग की ओर से तैयार कॉफ़ी टेबल बुक का विमोचन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने दुग्ध विभाग एवं सीएसआर के माध्यम से संचालित अत्याधुनिक एम्बुलेंस को हरी झंडी दिखाई। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने जनपद के विकास के लिए विभिन्न घोषणाएं भी की।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि
पंचप्रयागों में से एक प्रयाग होने के कारण इस भूमि का स्थान उत्तराखण्ड में ही नहीं बल्कि भारत में भी अति विशिष्ट है। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसी सिद्ध भूमि पर आने और यहां मातृशक्ति को समर्पित ब्वै, ब्वारी, नौनी कौथिग कार्यक्रम के तहत जन कल्याण की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करने का अवसर मिल रहा है।

मुख्यमंत्री कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार द्वारा पूरे उत्तराखंड का विकास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार का प्रयास है कि रुद्रप्रयाग जिले का सर्वांगीण विकास हो और यह क्षेत्र उन्नति के नए शिखर छुए।

मुख्यमंत्री ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी मातृशक्ति सही अर्थों में आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दिए गए आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल’’ के मंत्र को धरातल पर उतारने का कार्य कर रही हैं।

आज प्रदेश के दुर्गम गांव-गांव में महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर कुटीर उद्योगों के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्वकाल में आज देशभर में करीब 23 करोड़ महिलाओं को जन धन खातों के जरिए बैंकों से जोड़ा जा चुका है।
इसी प्रकार प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देने के साथ ही मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना,मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना,लखपति दीदी योजना,मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक मेधावी योजना, नंदा गौरा मातृवंदना योजना और महिला पोषण अभियान जैसी योजनाएं प्रारंभ की हैं।
उन्होंने कहा कि बतौर मुख्यसेवक “मेरा ये प्रयास रहा है कि प्रदेश की जनता के हितों के लिए जो भी आवश्यक कदम हों, बिना देरी के उठाएं जाएं।” उन्होंने कहा एक ओर जहां उत्तराखण्ड में देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून लागू किया, वहीं धर्मांतरण रोकने के लिए भी कानून बनाया, प्रदेश में पहली बार लैंड जिहाद के खिलाफ कार्रवाई की गई, वहीं भ्रष्टाचारियों के खिलाफ भी पहली बार कार्रवाई करने से हम पीछे नहीं हटे.. !
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार को समान नागरिक संहिता का जल्द ड्राफ्ट मिल जाएगा, जिसके पश्चात समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चारधाम यात्रा ने बीते वर्ष रिकॉर्ड पार किए इस वर्ष सरकार यात्रा को और बेहतर तरीक़े से सुविधाओं को विकसित करने जा रही है। उन्होंने कहा कि हाल में प्रदेश सरकार उत्तराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जिसके तहत 50 देशों के निवेशकों ने प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार प्रदेश में वेडिंग डेस्टिनेशन को विकसित करने के लिए भी मिशन मोड में काम कर रही है।
इस अवसर पर विधायक रुद्रप्रयाग भरत सिंह चौधरी ने मुख्यमंत्री का जनपद आगमन पर स्वागत करते हुए जनपद के विकास के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों एवं उपलब्धियों की जानकारी दी।
विधायक केदारनाथ शैला रानी रावत ने श्री केदारनाथ धाम यात्रा में नया कीर्तिमान स्थापित होने पर मुख्यमंत्री धामी को शुभकामनाएं दीं।
उन्होंने कहा कि धामी जी के नेतृत्व में करीब 20 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए हैं।

इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्षा श्रीमती अमरदेई शाह, दर्जा धारी राज्यमंत्री अजेन्द्र अजय, चण्डी प्रसाद भट्ट, प्रदेश गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय,अध्यक्ष महिला मोर्चा श्रीमती आशा नौटियाल, भाजपा ज़िलाध्यक्ष महावीर पवार, ज़िलाधिकारी एवं पुलिस कप्तान मौजूद रहे।

मुजफ्फरनगर पुलिस से मुठभेड़ में गौ तस्कर हुए घायल, एक फरार

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मुज़फ्फरनगर। रतनपुरी थाना क्षेत्र में भनवाड़ा गांव के समीप पुलिस की गो तस्करों से मुठभेड़ हो गई, जिसमें पुलिस की गोली लगने से एक गोतस्कर घायल हो गया, जबकि दूसरा मौके से फरार हो गया। घायल गो-तस्कर पर एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज बताए गए हैं।
रतनपुरी इंस्पेक्टर अक्षय कुमार शर्मा ने बताया कि बुधवार की रात को पुलिस ने चेकिंग अभियान चलाया हुआ था। अभियान के दौरान मंडावली खादर से भनवाड़ा जाने वाले रास्ते पर स्कूटी सवार दो युवक एक गोवंश को ले जाते हुए नजर आए। पुलिस ने दोनों को रोकने का प्रयास किया तो एक युवक ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। जवाबी फायरिंग में पुलिस ने भी गोलियां चलाईं जिसमें एक गो- तस्कर उस्मानपुर छंगा पुत्र सलीम निवासी नगला रियावली रतनपुरी घायल हो गया, जबकि उसका साथी अंधेरे का फायदा उठाकर मौके से फरार हो गया।
घायल गो-तस्कर की निशानदेही पर पुलिस ने बिना नंबर की स्कूटी, जिंदा गोवंश, तमंचा, खोखे, गोवंश कटान के उपकरण भी बरामद किए हैं। गोतस्कर पर अलग-अलग थाना क्षेत्रों में करीब 14 मुकदमे दर्ज बताए गए हैं। घायल गो-तस्कर का उपचार बुढ़ाना के सरकारी अस्पताल में कराया गया है। पूछताछ के बाद गो-तस्कर का चालान कर दिया गया। बताया गया कि फरार हुए दूसरे गो- तस्कर की तलाश में काफी देर तक पुलिस ने काम्बिग की लेकिन उसका कोई पता नहीं चल पाया है।

२६ जनवरी गणतंत्र दिवस पर मिला डॉ. मुस्तफ़ा युसूफ अली गोम को ” राष्ट्रीय रत्न सम्मान ” सुप्रसिद्ध गायक कुमार शानू के हाथों मिला उन्हें यह सम्मान

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२६ जनवरी गणतंत्र दिवस पर मिला डॉ. मुस्तफ़ा युसूफ अली गोम को ” राष्ट्रीय रत्न सम्मान ”
सुप्रसिद्ध गायक कुमार शानू के हाथों मिला उन्हें यह सम्मान

अँधेरी(पश्चिम),मुंबई स्थित मेयर हाल में २६ जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर कृष्णा चौहान फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘ राष्ट्रीय रत्न सम्मान ” कार्यक्रम मे

मुंबई के जाने माने उद्योगपति और समाजसेवी तथा केयर टेकर्स एक्सटीरियर एंड इंटीरियर प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ. मुस्तफ़ा युसूफ अली गोम को उनके द्वारा किए गए समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए सुप्रसिद्ध गायक कुमार शानू के हाथों ” राष्ट्रीय रत्न सम्मान ” दिया गया।

डॉ गोम को पिछले ही दिनों महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस द्वारा दूसरी बार ‘वाग्धारा सम्मान’ से सम्मानित किया गया था।

गणतंत्र दिवस – ग्रामीण विकास से ही राष्ट्र का विकास सम्भव

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गणतंत्र दिवस
ग्रामीण विकास से ही राष्ट्र का विकास सम्भव
रवीन्द्रनाथ शुक्ल – विभूति फीचर्स

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आधारित होने के कारण गांवों में
निवास करती है। इस कारण भारतीय सभ्यता और संस्कृति के सच्चे दर्शन हमें गांवों में ही प्राप्त होते हैं। स्वतंत्र
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने एक बार कहा था कि 'भारत की आत्मा गांवों में निवास करती है।‘
इस प्रकार ग्राम हमारे राष्ट्रीय जीवन के आधारभूत स्तम्भ हैं। भोजन के लिए अन्न तथा कारखानों के लिए कच्चा
माल हमें ग्रामों से ही प्राप्त होता है। भारतीय कृषकों के खेतों पर ही हमारी सम्पूर्ण अर्थ-व्यवस्था का निर्माण हुआ है
और भारत की अविरल धन-सम्पदा का सबसे बड़ा साधन कृषि’ ही है। इसलिए देश की सुख और समृद्धि गांवों की
उन्नति पर निर्भर करती है। गांव यदि सुखी होंगे तथा उन्नत अवस्था को प्राप्त होंगे तो राष्ट्र भी प्रगति कर सकेगा
अन्यथा ग्रामों की उपेक्षा करते हुए राष्ट्र का आर्थिक विकास सम्भव नहीं। यह बड़े खेद का विषय है कि जिन ग्रामों पर
हमारे राष्ट्र की आर्थिक व सामाजिक उन्नति निर्भर करती है, उनकी दशा अत्यंत दयनीय है। गांवों को हमने सर्वथा
भुला दिया है। शिक्षा की दृष्टि से, सभ्यता की दृष्टिï से तथा औद्योगिक विकास की दृष्टि से वे बहुत पिछड़े हुए हैं।

सामाजिक कुरीतियों ने ग्रामों को अपना केंद्र बना लिया है। इस देश में गांवों की संख्या लगभग 7 लाख है। अत:
भारतवर्ष की उन्नति के लिए ;ग्रामीण विकास की समस्या सबसे बड़ी समस्या है। इस समस्या के समाधान पर ही
भारतवर्ष जैसे विकासशील विकास सम्भव है।

प्राचीनकाल में ग्राम्य जीवन सुन्दरता से परिपूर्ण था। प्राकृतिक दृश्यों की सुषमा, स्वास्थ्यप्रद वातावरण, सात्विक
प्रेम, त्यागमय जीवन और निष्कपट व्यवहार की दृष्टि से ग्राम्य जीवन एक आदर्श था। जैसा कि एक कवि ने इस
भाव को अपनी इन पंक्तियों में व्यक्त किया है:
अहा! ग्राम्य जीवन भी क्या है।
क्यों न इसे सबका मन चाहे।
भारतीय ग्राम आधुनिक जीवन की नींव है। भारतीय किसान स्वयं आधा पेट भोजन कर करोड़ों मनुष्यों के लिए अन्न
उत्पन्न करता है। इस प्रकार भारतीय कृषक की महत्ता को राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने इन पंक्तियों में व्यक्त
किया है:-
बरस रहा है रवि अनल,
भू-तल तवा-सा जल रहा।
है चल रहा सन-सन पवन,
तन से पसीना ढल रहा॥
देखो कृषक शोणित सुखाकर,
हल तथापि चला रहे।
किस लोभ में इस आंच में,
वे निज शरीर जला रहे॥
परंतु इतना सब कुछ होते हुए भी भारतीय कृषक का जीवन दरिद्रता तथा दैन्यता का जीवन है। आपत्तियों तथा संकटों
में उसका जीवन पलता है। उसकी सारी कमाई ऋण चुकाने में व्यय हो जाती है। सच तो यह है कि उसका जन्म ऋण
में होता है, ऋण में ही उसका पालन होता है और ऋण में ही उसकी जीवन लीला समाप्त हो जाती है। उसके जीवन में
आमोद-प्रमोद और अमन-चैन के सुख साधनों का सर्वथा अभाव रहा है। यही कारण है कि 'पंतजी’ को आधुनिक ग्राम
मानव लोक’ से भी नहीं लगते हैं:

यह तो मानव लोक नहीं रे,
यह है नरक अपरिचित।
यह भारत की ग्राम सभ्यता,
संस्कृति से निर्वासित॥
अकथनीय क्षुद्रता विवशता,
भरी यहां के जग में।
गृह-गृह में कलह, खेत में
कलह, कलह है मग में॥

भारतीय कृषक की कुछ समस्याएं ऐसी हैं, जिनका निराकरण किए बिना उनका जीवन उन्नतिशील नहीं हो सकता।
भारतीय किसानों की दयनीय अवस्था का मूल कारण अशिक्षा है। शिक्षा के अभाव में भारतीय कृषक कृषि के
आधुनिक तथा वैज्ञानिक तरीकों से अपरिचित रहते हैं। पुरानी परिपाटी की अवैज्ञानिक ढंग की खेती आज के भारत के
लिए उपयुक्त नहीं है। अशिक्षा के कारण ही ग्रामीणों में सामाजिक कुरीतियां बहुत देखी जाती हैं। अंधविश्वास उनमें
कूट-कूटकर भरे होते है। अधिकांश ग्रामीण तिथि-नक्षत्र आदि देखकर ही बीज बोते तथा फसल काटते हैं। विवाह, मृत्यु
भोज आदि में वे अपना धन पानी की तरह बहाते है और कर्ज को निमंत्रण देते हैं। वे मुकदमेबाजी में अपना धन तथा
समय का अपव्यय करते है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण कृषक देश-विदेश की परिस्थिति से अनभिज्ञ रहते हैं। उनके
लिए गांव ही सम्पूर्ण विश्व है। इस प्रकार मुख्य रूप से अशिक्षा के कारण ही हमारे ग्राम पिछड़े हुए हैं। अत: यदि शिक्षा
का प्रचार और प्रसार किया जाए तो निश्चित ही भारतीय ग्राम उन्नत अवस्था को प्राप्त होंगे।

अशिक्षा को दूर करने तथा शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए गांवों में दो प्रकार के स्कूल खोले जाने चाहिए। एक प्रकार के
स्कूलों में बालकों व बालिकाओं को शिक्षा दी जानी चाहिए तथा दूसरे प्रकार के स्कूलों में रात्रि में युवाओं तथा वृद्धों
को शिक्षा दी जानी चाहिए, क्योंकि वे दिनभर कृषि कार्यों में लगे रहते है। बालिकाओं एवं महिलाओं के लिए भी नारी-
शिक्षा का उचित प्रबंध किया जाना चाहिए। यद्यपि यह हर्ष का विषय है कि हमारी सरकार इस ओर खूब ध्यान दे रही
है, तथापि हमारे पिछड़े हुए ग्रामों के लिए शिक्षा प्रसार की दर अत्यंत मंद है। इसे और तेजी से लागू किया जाना
चाहिए।

भारतीय कृषकों की दूसरी प्रमुख समस्या स्वच्छता एवं स्वास्थ्य की है। अधिकांश कृषकों के परिवार गंदे घरों में
निवास करते हैं। कृषकों के बालक अनेक रोगों से पीडि़त रहते हैं और चिकित्सा के अभाव में अकाल मृत्यु को प्राप्त

होते हैं। वर्षा ऋतु में तो गांव की गंदगी बहुत बढ़ जाती है। जगह-जगह कीचड़ हो जाता है और गंदे जल से छोटे-छोटे
गड्ïढे भर जाते है।

गोबर और कूड़े के ढेरों से भी वातावरण प्रदूषित होता है। सचमुच वर्षाकाल में गांव गंदगी की मूर्ति हो जाते हैं। इस
समय असंख्य मक्खियां और मच्छर पैदा होकर गंदगी को चारों ओर फैलाते है। प्रतिवर्ष गांवों में वर्षा ऋतु के बाद
मलेरिया जोर पकड़ लेता है। ग्रीष्म ऋतु में हैजा का प्रकोप रहता है। इस प्रकार पर्यावरणीय प्रदूषण के कारण गांवों में
अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती रहती हैं। अतएव प्रदूषण के निदान के लिए यह आवश्यक है कि गांवों में कूड़ादानों
की व्यवस्था की जानी चाहिए, वृक्षों के कटाव पर प्रतिबंध लगाने, गोबर गैस प्लान्ट को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
औषधालयों एवं पशु चिकित्सालयों आदि की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए।
शिक्षा एवं पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या के समाधान पर ही गांवों का विकास नहीं हो सकता। ग्रामीण विकास के
लिए कुटीर एवं लघु धंधों का पुनरुत्थान आवश्यक है। भारतीय कृषक वर्ष में लगभग चार माह तक खाली रहते हैं। इस
लम्बे समय को वे व्यर्थ नष्टï कर डालते हैं। यदि वे इस समय में किसी लघु या कुटीर धंधे को अपना लें तो उनकी
आय में काफी वृद्धि हो सकती है और वे अपने ऋण भार को काफी हल्का कर सकते हैं। मत्स्य पालन, मुर्गी पालन,
मधुमक्खी पालन, रेशम के कीड़े पालना, रस्सियां बांटना, चटाईयां बनाना आदि अनेक ऐसे व्यवसाय हैं, जिनको
अपनाकर किसान अच्छी खासी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार कुटीर एवं लघु उद्योग धंधों के माध्यम से
उनका जीवन सुखमय एवं शांतिमय बन जाता है।

आज के कृषक जरा-जरा सी बातों पर एक-दूसरे से झगड़ा कर न्यायालयों की शरण लेते हैं, जिसके परिणामस्वरूप
उनकी पसीने की कमाई व्यर्थ में जाती है। उनके बीच वैमनस्यता फैलती है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चला करती है। अत:
ग्राम पंचायतों एवं ब्लॉक प्रमुखों आदि को न्याय करने का विशेषाधिकार दिया जाना चाहिए ताकि ग्रामों की छोटी-
छोटी समस्याओं तथा आपसी मनमुटाव का अन्त करके ग्रामीणों में मानवता का संचार किया जा सके। इन सब
व्यवस्थाओं के अतिरिक्त ग्रामीण विकासार्थ हरितक्रांति, गहन कृषि, लघु एवं कुटीर उद्योग धंधों का पुनरुत्थान,
अच्छे बीज की व्यवस्था, पशु चिकित्सालयों की स्थापना, उर्वरक विक्रय केंद्रों की स्थापना, सहकारी संगठनों का
निर्माण, पशुओं की नस्ल सुधार, प्रौढ़ शिक्षा एवं नारी शिक्षा को और भी प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए तथा अन्य
सुविधाएं ग्रामीण निवासियों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए, ताकि वे न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन प्राप्त
कर सकें। ग्राम हमारे राष्टï्रीय जीवन की आत्मा हैं। अत: बिना ग्रामीण विकास के राष्टï्र का विकास संभव नहीं है।
इस प्रकार हमें भारतीय गांवों के विकास में तन,मन,धन से यथाशक्ति आगे आना चाहिए। गांवों की उन्नति ही
राष्टï्र के भविष्य को उज्ज्वल और मंगलमय बना सकती है। (विभूति फीचर्स)

26 जनवरी और भारत

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26 जनवरी और भारत
कृष्ण कुमार मिश्र अचूक’ – विभूति फीचर्स

* 26 जनवरी 1530 को बाबर की मृत्यु हुई।
* 26 जनवरी 1539 को शेरशाह ने हुमायूं को परास्त किया।
* 26 जनवरी 1554 को जहांगीर का जन्म हुआ।
* 26 जनवरी 1730 को नादिरशाह की सेना ने दिल्ली में प्रवेश किया।
* 26 जनवरी 1778 को टीपू सुल्तान की अंग्रेजों से जंग हुई।
* 26 जनवरी 1802 को भारत की जापान से संधि हुई।
* 26 जनवरी 1867 को स्वेज नहर बनकर तैयार हुई।
* 26 जनवरी 1869 को बम्बई के हाई कोर्ट की इमारत तैयार हुई।

* 26 जनवरी 1876 को कोलकाता से प्रथम ट्रेन बम्बई गई।
* 26 जनवरी 1881 को कोलकाता, बम्बई, मद्रास के टेलीफोन चालू
हुए तथा इसी दिन भारत में कोलकाता से बम्बई तक सुचारू रूप
से ट्रेन चालू की गई।
* 26 जनवरी 1884 को बी.बी.सी. रेडियो स्टेशन तैयार हुआ
था। (विभूति फीचर्स)

जब हमने स्वीकार किया अपना संविधान

छत्तीस जनवरी 'पचास’ का था शुभ विहान
जब हमने था स्वीकार किया अपना संविधान।
गणतंत्र दिवस अति पुनीत पर्व हमारा
जिसने दी मोड़ देश के इतिहास की धारा

यह एक है दुनिया का सही श्रेष्ठ संविधान
जिसने दी है दिशा हमें और लक्ष्य एक महान॥
गंतव्य बहुत दूर है टेढ़ा है रास्ता
उलझन भरी दुनियां से भी रखना है वास्ता॥
चलना है सदा आगे हमें खुद को बचा के
दुनिया को भाई-चारे की शुभ राह दिखा के॥

आपस के भेदभाव भुला सबका साथ दें
हर धर्म, क्षेत्र, भाषा और संस्कृति को साथ ले॥

आओ करें संकल्प कि हम जो जहां जिये
मेहनत करें, सद्भाव रखे, देश के लिये
मेहनत औ प्रेम सहित जहां ज्ञान रहेगा
सब कुछ वहां , विकास औ सम्मान रहेगा॥
कहता ये तिरंगा है जो कौमी निशान है
भारत की आन-बान शान संविधान है॥
(विभूति फीचर्स)