आगर मालवा. कृषि और पशुपालन को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है इसे साबित किया है आगर मालवा जिले के एक छोटे से गांव के उच्च शिक्षा हासिल एक युवा इंजीनियर ने. बीटेक इंजीनियर ने किसी महानगर में नौकरी करने के बजाय गौपालन से सालाना करोड़ों का टर्न ओवर हासिल कर लिया है. अपनी मेहनत और लगन से करीब 5 लाख रुपयों से खरीदी गई 8 गायों से शुरू किया गौ दुग्ध का व्यापार अब करोड़ों के टर्न ओवर में बदल गया है.

आगर मालवा जिले के मोड़ी गांव में रहने वाले अनिल पाटीदार और उसके किसान पिता का एक समय सपना था कि अनिल पढ़ लिखकर किसी बड़ी कम्पनी में अच्छी नौकरी करे. इंजीनियरिंग डिग्री हासिल करने के बाद उनका यह सपना आसानी से पूरा भी हो रहा था. लेकिन बचपन से ही प्रकृति और क्षेत्र से प्रेम और कुछ अलग करने की चाह में अनिल ने नई राह अपनाने की ठानी और बजाय किसी कम्पनी में नौकरी करने के बजाए स्वयं का डेयरी फार्मिंग का व्यवसाय शुरू किया. और आज वो किसी की नौकरी करने के बजाय खुद नौकरी देने वाले बन गए.

8 गाय से शुरू हुआ सफर आज 100 से ज्यादा पशु

अनिल पाटीदार ने वर्ष 2018 में राजस्थान से 8 उन्नत नस्ल की गाय खरीद कर अपना एक छोटा सा डेयरी फार्म शुरू किया था. इस डेयरी फार्म के जरिये उनका उद्देश्य था कि गौसेवा के साथ साथ उन्हें और लोगों को बिना किसी केमिकल का शुद्ध दूध उपलब्ध हो सके. धीरे धीरे अपनी मेहनत और लगन से व्यवसाय ऐसा चला कि करीब 4 वर्षो में ही उन्नत किस्म की एक सौ से भी अधिक गायें वर्तमान में उनके डेयरी फार्म पर पाली जा रही हैं. इनके जरिये रोजाना सैकड़ों लीटर दूध से सालाना करोड़ों का व्यापार हो रहा है. अनिल न केवल दूध का व्यापार कर रहे हैं बल्कि खासतौर पर ब्रीडिंग के जरिये क्षेत्र में गायों की अच्छी नस्ल भी तैयार की जा रही है. इसके साथ साथ घी, पनीर और अन्य दूध से बने प्रोडक्ट बनाकर भी बेचे जा रहे हैं. इससे उसे अतिरिक्त अधिक आय प्राप्त हो रही है.

मशीनें निकालती हैं गाय का दूध

अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई का उपयोग अनिल डेयरी फार्म में कर रहे हैं. फार्म में  गायों का दूध निकालने के लिए मशीनें लगायी गयी हैं. इससे 100 से अधिक गायों का दूध रोजाना आसानी से निकाला जा सके. साथ ही गायों के लिए पंखे, घास काटने की मशीन आदि भी फार्म में लगाई गई है. गायों की देखभाल अपने कर्मचारियों के साथ स्वयं अनिल भी प्रतिदिन करते हैं. इससे अच्छी सेहत के साथ साथ अच्छा खासा मुनाफा भी उन्हें मिल रहा है. साथ ही इस बात का सुकून भी कि वो अपने घर परिवार के साथ अपने गांव में हैं.

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