सूरत. गौ पुत्र मित्र मंडल द्वारा आयोजित सिटीलाइट स्थित अग्रसेन भवन के पंचवटी हॉल मे आयोजित पांच दिवसीय श्रीदिव्य गौ कृपा कथा के दूसरे दिन गुरुवार को साध्वी आराधना गोपाल सरस्वती ने कहा कि हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि गौ माता की सेवा से 14 पीढिय़ों का उद्धार किया जा सकता है।

मनुष्य को कोई समस्या है तो गौ, गुरु और गोविंद तीनों के अलावा किसी और को नहीं बताए। इनके अलावा किसी को बताएंगे तो उपहास का ही शिकार होएंगे और गौ, गुरु और गोविंद को बताएंगे तो उसका समाधान अवश्य होगा। कथा में उन्होंने आगे बताया कि मेेहमान घर मे आते ही लोगों को सरदर्द होने लग जाता है और उसे निकालने का जुगत लगाने लगते है। बहन-बेटी भी आए तो भी वह कैसे जल्दी से निकले, ऐसी जुगत लगाते हैं।

आज लोगों में आपस मे प्रेम नही रहा, पहले तकलीफ आराम में लोग एक-दूसरे को पूछते थे मगर आज के इस समय में एक-दूसरे को पूछते तक नही हैं।

चौरासी लाख यौनियों में मनुष्य ही मुस्कुरा सकते है फिर भी वह नही मुस्कुराता है सो मनुष्य को अवश्य मुस्कुराना चाहिए। प्लास्टिक थैलियां अपने काम में लेते है और उसे अपने फेंक देते है यानि प्रकृति को दे देते है तो प्रकृति वही अपने वापस लौटा देती है सो प्लास्टिक, गन्दगी न दें और पेड़-पौधे लगाए और प्रकृति को बचाए।

कथा में आगे बताया कि राजा दिलीप के कोई संतान नहीं थी, उन्होंने कई हवन आदि कराए पर कोई फायदा नही हुआ। आखिर उन्होंने संत से पूछा तो उन्हें बताया कि राजन आपने गौ माता कामधेनू का पाप किया है याने एक बार कल्पवृक्ष के नीचे गौ माता कामधेनू को प्रणाम नही किया था, उसी का श्राप है और इसका उपाय है कि उनकी पुत्री नन्दिनी की सेवा से ही संतान प्राप्ति हो सकती है।

राजा दिलीप ने गौ माता नन्दिनी की सच्चे दिल से सेवा की तो उनको रघु जैसी संतान की प्राप्ति हूई जिससे रघुकुल जैसे कुल की स्थापना हुई। कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु गौभक्त मौजूद थे।
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