उत्तर प्रदेश में आए दिन सड़कों और खेतों में आवारा मवेशियों घूमते रहते हैं, जिसके कारण अनेकों दुर्घटनाएं और किसानों की फसलों को काफी नुकसान होता है. इस समस्या के समाधाने के लिए योगी सरकार टीपीपी मॉडल पर बने गौ आश्रयों को शुरू करने की योजना बना रही है. साथ ही प्रदेश सरकार गाय आश्रय को अपनी आय खुद करने के लिए आत्मनिर्भर बनाएगी.

बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने आवारा मवेशियों का समाधान करने और बायो फार्मिंग से जुड़ी समस्याओं के स्थायी समाधान की बात कही थी.

पशुपालन और डेयरी विभाग ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी. 20वीं पशुधन गणना के मुताबिक पता चलता है कि देश में 50.21 लाख आवारा मवेशी सड़कों पर घूम रहे हैं. जिसमें राजस्थान के सबसे अधिक मवेशी शामिल हैं. राजस्थान में 12.72 लाख मवेशी हैं,जो सड़को पर घूम रहे हैं, वहीं दूसरे नबंर पर उत्तर प्रदेश है. यूपी में 11.84 लाख मवेशी सड़कों पर आवारा घूम रहे हैं.

आंकड़ो के मुताबिक देश में मवेशियों को पालने की वार्षिक लागत करीब 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक है. गौरतलब है कि मवेशियों की हत्या पर पांबदी और गौरक्षकों के डर से आवारा पशुओं की समस्या तेजी से बढ़ी है, साथ ही यूपी में दूध न देने वाले पशुओं को पालना भी किसानों के लिए एक परेशानी हो गई है.

योगी 1.0 सरकार की कैबिनेट ने साल 6 अगस्त 2019 को मुख्ममंत्री निराश्रित गोवंश सहायता मंजूरी दी थी. जिसके तहत प्रदेश सरकार आवारा पशुओं का संरक्षण या उन्हें रखने वालों को प्रतिदिन 30 रुपये देती थी. प्रदेश की योगी सरकार ने इस योजना के लिए 109.5 करोड़ के खर्च का अनुमान लगाया था.

इंडियास्पेंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक 25 सितंबर 2021 तक 53,522 लोगों को 98,205 आवारा मवेशी दिए गए हैं. वहीं इसकी तुलना अगर प्रदेश के आवारा मवेशियों से करें तो यह संख्या बहुत कम है.

आवारा पशुओं के संरक्षण को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गौशाला चलाने के  लिए अर्थव्यवस्था बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसके लिए एक सेल्फ सस्टेनेबल मॉडल बनाया जाना चाहिए.

सीएम योगी ने कहा कि पीपीपी मोड पर गौशालाओं का निर्माण हो और इसे प्राकृतिक खेती, गोबर पेंट, सीएनजी और सीबीजी से जोड़ा जाए, जिससे गौशालाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी और गायों के रख-रखाव और पालन-पोषण का खर्च के लिए वह खुद आत्मनिर्भर हो सकेंगी.

सीएम योगी ने आगे कहा कि इन गौशालाओं के लिए इच्छुक एनजीओ से एमओयू करें और उन्हें आवश्यक व्यवस्था उपलब्ध कराएं जाने के आधिकरियों को निर्देश दिए हैं.

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