अदालत ने टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराए गए कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को राहत प्रदान करते हुए दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा मलिक को मृत्युदंड देने की मांग को खारिज कर दिया। पटियाला हाउस स्थित विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने खचाखच भरी अदालत में शाम 6 बजे के बाद सुनाए अपने फैसले में यासीन को दो धाराओं में उम्रकैद, एक में 10 वर्ष व एक में पांच वर्ष कैद की सजा सुनाते हुए उस पर जुर्माना भी लगाया है। अदालत के फैसले के अनुसार सभी सजाए एक साथ चलेगी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोषी ने स्वयं अपना अपराध कबूल किया है और उसे मृत्युदंड देने का कोई आधार नहीं है।
एनआईए ने मांगा मृत्युदंड - राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मौत की सजा देने की मांग की। एजेंसी के वकील ने कहा कि दोषी कश्मीर में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने में लिप्त रहा है और उसने आतंकियों को फंडिंग करने में अहम भूमिका निभाई। इन लोगों को उद्देश्य कश्मीर को भारत से अलग करने की मंशा थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से पैसा आता था और यह पैसा आंतकी गतिविधियों में लिप्त व उनसे गठजोड़ करने वालों पर खर्च किया जाता था ताकि कश्मीर का माहौल खराब हो सके। यह देशद्रोह का मामला है ऐसे में उसे मृत्युदंड की सजा देना जरूरी है ताकि अन्य को सबक मिल सके। यासीन मलिक को विशेष अदालत ने पिछले हफ्ते आतंकी फंडिंग मामले में दोषी ठहराया गया था। वहीं, मलिक की सहायता के लिए अदालत द्वारा नियुक्त न्याय मित्र ने आजीवन कारावास की मांग की। उन्होंने कहा मलिक ने स्वयं अपना अपराध कबूल किया है और उसके साथ सहानुभूति बरती जाए। मलिक ने कहा कोई साक्ष्य नहीं दूसरी तरफ अपराध कबूल करने वाले मलिक का रवैया आज बदला हुआ था। मलिक ने अदालत से कहा कि अगर खुफिया एजेंसियां आतंकी गतिविधियों में उसके शामिल होने का सबूत देती हैं तो वह राजनीति से हट जाएंगे। मलिक ने यह भी कहा कि उन्होंने सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है और न्यायाधीश से कहा कि वह सजा की मात्रा तय करने के लिए इसे अदालत पर छोड़ रहे हैं। मलिक ने कहा उसके खिलाफ कोई भी साक्ष्य नहीं है, यदि वह आतंकी होता तो देश के प्रधानमंत्री उनसे बैठक क्यों करते। उसने कभी हिंसा का सहारा नहीं लिया। उसका एक लंबा राजनीतिक करियर है।
इससे पहले 19 मई को विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने मलिक को दोषी ठहराया था और एनआईए अधिकारियों को उनकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने का निर्देश दिया था ताकि लगाए जाने वाले जुर्माने की राशि का निर्धारण किया जा सके। अदालत ने मलिक को सुनवाई की अगली तारीख तक अपनी वित्तीय संपत्ति के संबंध में एक हलफनामा पेश करने का भी निर्देश दिया था।
#WATCH | Terror funding case: Yasin Malik produced in the courtroom in NIA court, Delhi, ahead of the sentencing order. pic.twitter.com/ymfkN6PK4d
— ANI (@ANI) May 25, 2022
मलिक ने अदालत को बताया था कि वह अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का मुकाबला नहीं कर रहा है, जिसमें धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) और 20 (आतंकवादी गिरोह का सदस्य होने के नाते) शामिल हैं। या संगठन) यूएपीए की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और आईपीसी की धारा 124-ए (देशद्रोह) है।
अदालत ने इससे पहले फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख और नवल किशोर कपूर सहित कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे। आरोप पत्र लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के सरगना हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी दायर किया गया था, जिन्हें मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है। मलिक 2019 से दिल्ली की उच्च सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल में है।
दरअसल, यासीन मलिक के खिलाफ यूएपीए कानून के तहत 2017 में आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने, आतंक के लिए पैसा एकत्र करने, आतंकवादी संगठन का सदस्य होने जैसे गंभीर आरोप थे, जिसे उसने चुनौती नहीं देने की बात कही और इन आरोपों को स्वीकार कर लिया। यह मामला कश्मीर घाटी में आतंकवाद से जुड़े मामले से संबंधित हैं।
वर्ष 2017 में कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाओ में बहुत इजाफा देखने को मिला था। घाटी के माहौल को बिगाड़ने के लिए लगातार आतंकी साजिशें रची जा रही थीं और वारदातों को अंजाम दिया जा रहा था। उसी मामले में दिल्ली की विशेष अदालत में अलगाववादी नेता के खिलाफ सुनवाई हुई, जिसमें यासीन ने अपना गुनाह कबूल कर लिया।
कड़ी सुरक्षा -यासीन मलिक की सजा निर्धारण को देखते हुए सुबह ही पटियाला हाउस कोर्ट को छावनी में तब्दल कर दिया गया। अदालत में आने वाले हर व्यक्ति की कड़ी तलाशी ली गई और हर स्थान की तलाशी भी ली गई। खेमचे वालों को बाहर निकाल दिया गया।
कैमरों का जमघट -कश्मीर में आतंकी घटनाओं व मामले की अहमियत को देखते हुए फैसले की कवरेज के लिए मीडियाकर्मियों का जमघट लगा रहा। हर पल की जानकारी के लिए सभी तैयार थे। अदालत ने करीब एक बजे जिरह पूरी होने के बाद 3.30 बजे फैसला सुनाना तय किया। इसके बाद चार बजे फिर 5 बजे तय हुआ, आखिर 5.30 बजे लॉकअप से मलिक को अदालत में लाया गया व अदालत ने अपना फैसला सुनाया।
मलिक के चेहरे पर दिखा खौफ -मलिक को सुबह जब अदालत में लाया गया तो वह सामान्य नजर आया। संभवत: उसे उम्मीद थी कि अपराध कबूल करने पर उसके साथ सहानुभूति बरती जाएगी। एनआईए द्वारा फांसी की सजा मांगने व जोरदार तर्क रखने पर मलिक के चेहरे पर खौफ नजर आने लगा, चेहरे पर घबराहट साफ झलक रही थी। शाम को जब उसे सजा के फैसले के समय पुन: अदालत में लाया गया तो मलिक ने स्वास्थ्य खराब होने का हवाला दिया। उसे अदालत में बैठने के लिए एक कुर्सी दी गई। अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा मिलने पर यासीन के चेहरे पर कुछ राहत नजर आई।