श्री राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन में महिलाओं की भी रही अविस्मरणीय भूमिका
आंदोलन का नेतृत्व करने वाली ये प्रमुख महिलाएं ही नहीं बल्कि 1990 के दशक में बड़ी संख्या में महिलाओं ने आगे आकर राम जन्म भूमि आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया था। एक अनुमान के अनुसार 55 हज़ार महिला कारसेवक राम जन्मभूमि में कारसेवा में सक्रिय रहीं थीं। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संगठन विश्व हिन्दू परिषद की दुर्गावाहिनी की बहनें उस समय देशभर में भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए राष्ट्र जागरण के कार्य में लगी थीं। नवंबर 1990 और दिसंबर 1992 में कारसेवा में जो माताएं-बहनें नहीं जा सकीं उनका योगदान भी कम नहीं रहा। जाने कितनी मांओं और बहनों ने अपने पिता, पुत्र, पति, भाई के माथे पर तिलक लगाकर बड़ी श्रद्धा और सम्मान से उन्हें रामकाज में अपनी भागीदारी निभाने के लिए गर्व के साथ अयोध्या भेजा जबकि वे जानती थीं कि हो सकता है ये कारसेवक वहां से वापस न लौटें और अपने राम के लिए बलिदान हो जाएं। यहां यह भी स्मरण रखा जाना चाहिए कि तब की परिस्थितियां कैसी प्रतिकूल थीं जब कारसेवकों पर गोलियां तक चलवा दी गई थीं। यह सब जानते हुए भी कारसेवकों को विदा करते समय उनके माथे पर अक्षत-रोली सजाते न तो इन महिलाओं के माथे पर शिकन आई न उनकी आंखों से तनिक अश्रु बहे बल्कि उनके हर्ष और गर्व को देख घर से विदा लेते पुरुषों का उत्साह कई गुना बढ़ जाता था।