करौली. स्वच्छता प्रेमी तो आपने कईदेखे होंगे. लेकिन स्वच्छता के प्रति ऐसी जागरूकता और गौमाता को बचाने की जो अनूठी मुहिम पूर्वी राजस्थान के करौली में सनेट गांव के कैलाश जांगिड़ ने चलाई है. ऐसी मुहिम शायद ही कहीं और देखने को मिल सकती है. यही कारण है कि आज यह युवक मिनी मोदी के नाम से अपनी पहचान बना चुका है. 50 वर्षीय युवक की स्वच्छता के प्रति ऐसी दीवानापन है कि ये ना केवल अपने घर को साफ सुथरा रखते हैं. बल्कि गौ माता को बचाने और सड़कों को साफ-सुथरा रखने के लिए प्रतिदिन अपने गांव की सड़कों से पॉलिथीन और कचरा स्वयं अपने हाथों से बिनते है.
गौमाता को बचाने और सफाई रखने के लिए उठाते हैं कचरा
अपने गांव की सड़कों से प्रतिदिन कचरा उठाने वाले कैलाश चंद जांगिड़ का कहना है कि उनकी इस पहल से गांव की सड़कें तो साफ-सुथरी रहती हैं. वहीं सड़कों पर गाय भी घूमती है तो वह भी पॉलिथीन नजर नहीं आने पर उन्हें नहीं खाती हैं. उनका कहना है कि मेरी इस पहल का मुख्य उद्देश्य गौ माता को बचाना हैक्योंकि गाय माता सबसे ज्यादा इन सड़कों पर पड़ी थैलियों को खा जाती है. जिससे यह पेट में जमकर गौ माता के ऊपर काल बनकर टूटती है.
2 साल पहले पीएम मोदी के भाषणसे आया यह विचार
स्वच्छता प्रेमी कैलाश चंद जांगिड़ ने बताया कि उन्हें यह विचार प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन कोसुनकर आया. कैलाश नाम का यह युवक ना केवल सड़कों से कचरा उठाता है. बल्कि उस कचरे को डस्टबिन में डालता है.सड़कों पर मिलने वाली थैलियों को एकत्रित कर अपनी परचून की दुकान में कट्टो में भर कर रख लेता है.उनका कहना है कि थैलियों को वह इसलिए अपनी दुकान में रखते हैक्योंकि कचरा पात्र में डालने पर वह थैलियां हवा से उड़ भी सकती है.
गांव के लोग मोदी के नाम से जानते हैं इस युवक को
सनेट गांव के निवासी लक्ष्मण सिंह जादौन ने बताया कि हमारे गांव के कैलाश कुमार जांगिड़ गांव के आसपास की सड़कों से रोज पॉलिथीन को इकट्ठाकरस्वयं की परचून की दुकान में रखते है. जिससे गौमाता इन प्लास्टिक की थैलियों को खाए नहींऔर उन्हें कोई नुकसान भी ना हो.जब गांव में कोई बड़ी गाड़ी आती है.तो यह युवक उन थैलियों के कट्टों को आगे वितरण कर देते हैं. और यही कारण है कि इन्हें गांव के लोग 2 सालों से कचरा बिनते देख अब कैलाश के नाम से नहीं बल्कि छोटे मोदी के नाम से पुकारते हैं.गांव का बच्चा-बच्चा इन्हें अब मिनी मोदी के नाम से जानता है.
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