कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से इस कट्टरपंथी इस्लामी संगठन को लेकर लगातार नई जानकारी सामने आ रही है। इसके मुताबिक पीएफआई ने ग्रामीण इलाकों तक अपनी पैठ बना रखी है। उसके करीब 2 लाख मेंबर अभी भी एक्टिव हैं। औरतों का अलग दस्ता है। साथी संगठन के स्थायी सदस्यों को निकाह की इजाजत नहीं थी।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट से ये तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन सूचनाओं को इकट्ठा करने के लिए पीएफआई की जाँच से लंबे समय से जुड़े अधिकारियों से बात की गई है। कट्टरपंथी संगठन के महत्वपूर्ण ठिकानों की पड़ताल की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार PFI में चार स्टेज में ट्रेनिंग दी जाती थी। जो तीसरे स्टेज की ट्रेनिंग हासिल करने के लिए चुने जाते थे, वे स्थायी सदस्य होते थे। इन्हें कट्टरपंथी विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए अपने घरों से दूर जाना पड़ता था। इन्हें सैलरी मिलती थी। साथ ही अन्य खर्चे भी संगठन उठाता था। सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद उनकी पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकील तक लगाए जाते थे।

दूसरे चरण ट्रेनिंग में कट्टरपंथी फॉलोवर बनाने का काम मिलता था। पुलिस से निबटने की ट्रेनिंग मिलती थी। इस दौरान कैडरों को सैलरी भी मिलने लगती थी। अकेले बिहार में 15000 कैडरों के ट्रेनिंग लेने का खुलासा फुलवारी शरीफ में छापेमारी के बाद पटना पुलिस ने किया था।

ट्रेनिंग के लास्ट स्टेज में केवल 5% खासमखास कैडरों को विदेशी नेटवर्क बनाने के काम पर लगाया जाता था। इन्हे दूसरे देशों के पैसे जुटाने आदि के काम सौंपे जाते थे। एक जाँच में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया पर सीरिया में चल रही लड़ाई के लिए भारत में भर्ती अभियान चलाने का आरोप लगा था। इस भर्ती अभियान में कैडरों को हथियार चलाने और बम बनाने की ट्रेनिंग दी जाती थी। PFI पर साल 2047 तक भारत को इस्लामी मुल्क में तब्दील करने की साजिश रचने का आरोप है।

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