ग्लोबल साउथ को हमारी आपूर्ति श्रृंखलाओं को मुक्त, सुरक्षित, विश्वसनीय, स्थिर और न्यायसंगत बनाने के लिए देशों के सहयोग और एक साथ कार्य करने के तरीकों तथा साधनों पर चर्चा करने की आवश्यकता है, जिससे वे हर परिस्थिति के और अनुकूल बन सकें। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल आज दूसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में बोल रहे थे।
श्री गोयल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के संकट, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के ताने-बाने को बाधित और उसकी अहमियत को रेखांकित किया है। इन व्यवधानों ने खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, जीवनयापन की लागत और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की बड़ी चुनौतियां पैदा की हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सही कहा है कि अधिकांश वैश्विक चुनौतियां ग्लोबल साउथ द्वारा पैदा नहीं की गई हैं, बल्कि उनसे हम अधिक प्रभावित होते हैं। श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया है कि जब भी और जहां भी दुनिया समाधान ढूंढे, हमारी सामूहिक आवाज सुनी जानी चाहिए।
श्री गोयल ने बताया कि भारत ने ग्लोबल साउथ के सहयोग से “एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य” थीम के तहत सितंबर में नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी की। उन्होंने कहा कि अपनी अध्यक्षता के दौरान, भारत ने वैश्विक दक्षिण की आवाज को मजबूत करने में जोरदार पहल की, जिसमें अफ्रीकी संघ को समूह का स्थायी सदस्य बनाना और वैश्विक दक्षिण के लिए ठोस कार्रवाई उन्मुख जी-20 परिणामों को सम्मिलित करना शामिल था। संघ अब स्थायी रूप से जी-20 का हिस्सा होगा। उन्होंने कहा कि वैश्विक दक्षिण की आवाज को मजबूत करने तथा हमारे और मानवता के भविष्य के लिए एक साथ आने के लिए और प्रयास करना जरूरी है।
भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान, जीवीसीएस को हर परिस्थिति के अनुकूल और समावेशी बनाने के लिए वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के मानचित्रण के लिए जी-20 सामान्य ढांचे को अपनाया गया था। श्री गोयल ने कहा कि यह ढांचा यह ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है कि कैसे वैश्विक दक्षिण के देश न केवल एक बन सकते हैं, बल्कि जीवीसीएस का अभिन्न हिस्सा बन सकते हैं। इसके अलावा, भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान लोगों के लिए अधिक समृद्धि उत्पन्न करने के वास्ते मूल्य श्रृंखला को भी आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि यह ढांचा सभी हितधारकों के बीच पारदर्शिता और विश्वास को बढ़ावा देता है, साथ ही मूल्य श्रृंखलाओं के भीतर अंतर्निहित संभावित जोखिमों की प्रत्याशा और आकलन की सुविधा देता है। उन्होंने बताया कि ढांचे के प्रमुख निर्माण खंड डेटा विश्लेषण और प्रतिनिधित्व हैं। उन्होंने कहा कि प्रारूप के निर्माण घटक ढांचा महत्वपूर्ण क्षेत्रों और उत्पादों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने प्रतिभागी देशों से इस मैपिंग ढांचे को अपनाने का आग्रह किया, क्योंकि वे सेक्टर और उत्पाद स्तर पर अपनी क्षमताओं तथा उनके जीवीसीएस का आकलन करने के साथ-साथ पैदा होने वाले अवसरों की पहचान करने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि इस ढांचे के लागू हो जाने के बाद, इसमें हर परिस्थिति के प्रति अनुकूलता और समावेशिता से संबंधित चार प्रमुख समस्याओं का समाधान करने की क्षमता है।
श्री गोयल ने कहा कि विकासशील देशों के संबंध में,पहली आवश्यकता वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं की पहचान करने की है, जहां प्रत्येक देश न केवल अपनी भागीदारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है, बल्कि मूल्य श्रृंखला को आगे बढ़ाकर अपनी भागीदारी की गुणवत्ता में भी सुधार कर सकता है। इससे उन्हें जीवीसीएस के उच्च मूल्य वर्धित भागों का सबसे बड़ा हिस्सा लेने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि दूसरे इससे जीवीसीएस को प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों तरह के झटके झेलने में मदद मिलेगी। तीसरा, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों और व्यापार में हमारे सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यमों का बेहतर एकीकरण होगा। अंत में, यह हमें अपने लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे में अंतराल को दूर करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि इन महत्वपूर्ण अंतरालों को भरने से वैश्विक व्यापार में विकासशील देशों के एकीकरण और भागीदारी को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। श्री गोयल ने कहा कि अगर हम इस पर एक साथ काम करते हैं, तो हम रूपांतरकारी प्रभाव को तीव्र कर सकते हैं जो हमारे व्यापार को समग्र विकास और समृद्धि में तथा विशेष रूप से सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सहायता कर सकता है। उदाहरण के लिए, विकासशील देशों का परस्‍पर व्यापार 1995 में 600 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2021 में रिकॉर्ड 5.3 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया। इस अभूतपूर्व नौ गुना वृद्धि का कई देशों की आर्थिक वृद्धि और लचीलेपन पर व्‍यापक प्रभाव पड़ा।
श्री गोयल ने कहा कि भारत की अध्यक्षता के दौरान, जी-20 ने विकासशील देशों, विशेष रूप से कम विकसित देशों को वैश्विक व्यापार में प्रभावी ढंग से भाग लेने में सक्षम बनाने के लिए व्यापार पहल में सहायता के रूप में डब्ल्यूटीओ के महत्व को मान्यता दी है, जिसमें स्थानीय मूल्य निर्माण में वृद्धि भी शामिल है। निरंतर प्रयासों के कारण, जी-20 ने भी आवश्यक संसाधनों को जुटाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस संबंध में, हमें विकासशील देशों के हमारे सभी प्रिय मित्रों का समर्थन प्राप्त है और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए हम इसे और डब्‍ल्‍यूटीओ को आगे बढ़ाते रहेंगे।
श्री गोयल ने बताया कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 ने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की प्रणालियों के लिए जी-20 संरचना प्रस्‍तुत की है। यह लोगों के लिए सामाजिक स्तर पर सेवाओं के वितरण में सीधे डीपीआई की भूमिका को स्‍वीकार करता है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा कि हम निष्पक्ष और न्यायसंगत वैश्विक व्यापार को बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली घोषणापत्र दो पहलुओं पर केंद्रित है: पहला, एमएसएमई के महत्व को समझना और हमारी अर्थव्यवस्थाओं में उनकी भूमिका को स्‍वीकार करना। हमने अपनी अर्थव्यवस्था के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में देशों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों के रूप में व्यापार संबंधी जानकारी और बाजार तक पहुंच की पहचान की है। उन्होंने कहा कि जानकारी तक अपर्याप्त पहुंच के कारण एमएसएमई अक्सर संभावित बाजारों की पहचान करने में असमर्थ हो जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास व्यापार के अवसरों, ग्राहकों, प्रतिस्पर्धियों, वितरण प्रक्रियाओं, स्थानीय नियमों और विनियमों व कराधान के बारे में सीमित ज्ञान है। परिणामस्वरूप, वे बाजार के अवसरों का दोहन करने में असमर्थ हैं जिनके लिए बड़ी मात्रा, सुसंगत गुणवत्ता, समरूप मानकों और नियमित आपूर्ति की आवश्यकता होती है। भारत जी-20 की अध्यक्षता के तहत, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्रों के उन्नयन की परिकल्पना में एमएसएमई की सूचना तक पहुंच बढ़ाने के लिए कार्रवाई के लिए जयपुर कॉल को अपनाया गया है। श्री गोयल ने कहा कि वैश्विक व्यापार में हमें पोर्टल से मदद मिली, जो व्‍यवसाय और व्यापार संबंधी जानकारी चाहने वाले एमएसएमई के लिए वन स्टॉप हब के रूप में काम करेगा। उन्होंने सभी प्रतिभागी देशों से वैश्विक व्यापार में अपने एमएसएमई को बेहतर ढंग से समेकित करने के लिए इस पहल में साझीदार बनने का आग्रह किया।
नई दिल्ली में हाल के जी-20 शिखर सम्मेलन की उपलब्धियों को जारी रखते हुए श्री गोयल ने कहा कि इसमें व्यापार दस्तावेजों के डिजिटलीकरण को बढ़ाकर व्यापार लागत में कमी लाने पर फोकस किया गया है। उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि घरेलू उद्देश्यों के लिए दस्तावेजों के डिजिटलीकरण के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेजों को अभी भी डिजिटल नहीं किया गया है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुचारु बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज इलेक्ट्रॉनिक बिल ऑफ लैडिंग के कार्यान्वयन से प्रत्यक्ष लागत में लगभग साढ़े छह बिलियन डॉलर की बचत हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जी-20 ने व्यापार दस्तावेजों के डिजिटलीकरण के लिए 10 उच्चस्तरीय सिद्धांतों को अपनाया है। इन सिद्धांतों ने वैश्विक स्तर पर वास्तविक बदलाव और व्यापक रूप से पेपरलेस ट्रेडिंग सिस्टम को अपनाने के लिए रोडमैप तैयार किया। उन्होंने कहा कि इससे व्यापार करने की लागत घटाकर सभी विकासशील देशों को स्थायी रूप से लाभ हो सकता है।
श्री गोयल ने कहा कि जिस तरह से काम किया जा रहा है और भविष्य में इसे कैसे किया जाएगा, उसमें हम बड़े पैमाने पर वैश्विक बदलाव के बीच में हैं। उन्होंने कहा कि काम का भविष्य उद्योग 4.0, ऊर्जा रूपांतरण और नए युग की प्रौद्योगिकियों द्वारा तय किया जाएगा। ये विश्व कार्यस्थल और कार्यबल स्तर पर बदलाव ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने इस बात पर आम सहमति बनाई है कि इस चुनौती को समावेशी और न्यायसंगत तरीके से कैसे संभाला जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ग्लोबल साउथ के देश तकनीकी शिक्षा, अनुसंधान और विकास, प्रौद्योगिकी तैनाती तथा संबंधित सेवाओं में सहयोग करें। यह दक्षिण-दक्षिण सहयोग प्रौद्योगिकी और सेवाओं सहित भविष्य के व्यापार की नींव को मजबूत बना सकता है। जैसा कि शिखर सम्मेलन के नाम पर बल दिया गया है, यह ग्लोबल साउथ के देशों के लिए विश्वास और आपसी सम्मान के आधार पर साझेदारी बनाने का समय है।
Previous articleChhath puja 2023 ए छठी मइया सुनी लेहू अरज हमार
Next articleअखिल भारतीय श्वेतांबर जैन महिला संघ ने जरूरतमंदों को शादी के परिधान बांट चेहरे पर फैलाई खुशियां

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here