विभूति नारायण ओझा –
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती 25 सितम्बर पर स्मरण-दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद दर्शन
एकात्म मानववाद मानव में संवेदनशीलता की पुर्नस्थापना का एक सशक्त माध्यम हो सकता है। इसलिए मानववाद जहाँ मानव को सम्पूर्ण सत्ता के केन्द्र में रखता है तो वहीं एकात्म मानववाद मानव मात्र की तात्विक एकता का सिद्धान्त है जो मानव के समग्र विकास का आधार है। उपाध्याय जी का मानना था कि ‘‘भारत में रहने वाला और इसके प्रति ममत्व की भावना रखने वाला मानव समूह एक जन है। उनकी जीवन प्रणाली, कला, साहित्य और दर्शन सब भारतीय संस्कृति है जो राष्ट्रवाद का आधार है। इस संस्कृति में निष्ठा रखे तभी भारत एकात्म होगा।‘‘