गाजीपुर। जिले में उन्नत नस्ल की देसी गायों के पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए पशु पालकों को प्रोत्साहित करने की योजना है। पशु पालन विभाग नंद बाबा दूध मिशन के तहत मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना को संचालित कर रहा है। योजना के तहत देसी गाय का पालन करने वाले पशु पालकों को 80 हजार रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा। देसी गाय को लेकर जिले के पशु पालक उदासीन हैं। अधिकांश पशु पालक अधिक दूध उत्पादन के लिए संकर नस्ल की गायों का पालन करते हैं। प्रतिदिन सामान्य नस्ल की देसी गाय की औसत दूध उत्पादक क्षमता 3.94 लीटर है। जबकि संकर नस्ल ( जर्सी ) गायों की क्षमता प्रतिदिन 12 से 15 लीटर की होती है। वहीं साहिवाल नस्ल की देसी गाय की प्रतिदिन दूध देने की औसत क्षमता 10 से 15 लीटर है। इसके बावजूद जिले में किसानों का अधिक रुझान संकर नस्ल की तरफ है। ऐसे में पशु पालकों की आय भी अच्छी हो और देसी नस्ल की गायों को बढ़ावा दिया जा सके, इसके लिए विभाग की ओर से मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना लांच की गई है।

ये है मुख्यमंत्री स्वदेशी गो संवर्धन योजना
योजना का लाभ पाने के लिए पशु पालकों को दो गाय प्रदेश के बाहर से खरीदनी होगी। गाय गिर, साहिवाल, थरपारकर व हरियाणा नस्ल की होनी चाहिए। इसके लिए उन्हें पहले अपना पैसा खर्च करना होगा। गाय की खरीदारी, परिवहन, ट्रांजिट बीमा, चारा मशीन व शेड निर्माण पर आवेदक को दो लाख रुपये खर्च करना होगा। रसीद संग आवेदक को पशु पालन विभाग में आवेदन करना होगा। जांच के बाद आवेदक को 80 हजार रुपये यानि कुल 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। योजना का लाभ पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर दिया जाएगा। पशु पालन विभाग की ओर से कुल 24 लाभार्थियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य मिला है। इसमें 50 प्रतिशत महिला पशु पालकों को लाभान्वित करने की योजना है।

ऐसे कर सकते हैं आवेदन
आवेदक उप्र का निवासी होना चाहिए। उम्र 18 वर्ष हो। पशुओं को रखने के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध हो। वहीं योजना का उद्देश्य जिले को दूध उत्पादन में अग्रणी बनाना है। इसीलिए देसी नस्ल की गिर, साहिवाल, हरियाणा व थारपारकर नस्ल की गायों को पालन का शर्त रखा गया है, इन नस्लों की गाय की दूध उत्पादन की क्षमता अधिक होती है।

देसी नस्ल की गायों के पालन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री स्वदेशी गो संवर्धन योजना शुरू की गई है। पूरी योजना दो लाख रुपये की है। योजना में चयनित पशु पालक को 80 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा। -डॉ. एके शाही, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी

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