Navratri 2023 – भगवती दुर्गा की दुर्लभ प्रतिमाएं
कुछ पुरातत्व शास्त्री इस प्रतिमा को बौद्ध प्रतिमा नहीं मानते हैं। इसके दो कारण हैं एक तो यह प्रतिमा दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दी की हैं, जब हिंदुओं और बौद्धों की कटुता समाप्त हो गई थी तथा हिंदुओं ने भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का नवम अवतार स्वीकार कर लिया था। दूसरा कारण इस प्रतिमा के प्राप्त होने वाले स्थान से संबंधित है। यह प्रतिमा मंदसौर जिले के हिंगलाजगढ़ नामक स्थान से प्राप्त हुई है।