(राकेश अचल-विनायक फीचर्स)
बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी के राज में महिलाओं के साथ हुई क्रूरता ने सारे देश को चौंका दिया है। अभी तक ऐसे आरोप केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ही लगाती थी लेकिन अब कल तक ममता बनर्जी की मित्र कही जाने वाली कांग्रेस भी ऐसे ही आरोप लगा रही है ।  बंगाल के कांग्रेस नेता अधीर  रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी को ‘ क्रूरता की रानी ‘ तक कह दिया है।लेकिन क्या सचमुच ममता बनर्जी क्रूरता की रानी हैं या उन्हें क्रूरता का प्रतीक बनाने की कोशिश की जा रही है।   
ताजा मामला संदेशखाली में महिलाओं के उत्पीड़न का है। बंगाल में आठ दशक बाद भी साम्प्रदायिक जहर समाप्त नहीं हुआ है।  बंगाल में नोआखाली से चलकर संदेशखाली तक हिंसा में ही झुलस रहा है। संदेशखली का मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत की दहलीज तक आ पहुंचा है ?
क्या है संदेशखली का मामला ?
आपको बता दें कि बंगाल की राजधानी कोलकाता से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित है संदेशखाली। संदेशखाली उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट उपखंड में आता है। ये बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ इलाका है। इस इलाके में अल्पसंख्यक और आदिवासी समाज के लोग सबसे ज्यादा रहते हैं।
संदेशखाली   उस वक्त सुर्खियों में आया, जब तृण मूल कांग्रेस के  नेता शाहजहां शेख के घर पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापा मारा । आरोप है कि शेख और उनके समर्थकों ने प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी  की टीम पर ही हमला कर दिया। आरोपी फरार है। शाहजहां को पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक का करीबी माना जाता है। शुरुआत में ऐसा लगा कि ये घटना सिर्फ ‘एक हमले’ तक ही सीमित है, लेकिन शेख के फरार होते ही इलाके की महिलाएं अचानक बाहर निकल आई। महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर अत्याचार करने, यौन उत्पीड़न करने और जमीन कब्जाने जैसे गंभीर आरोप लगा डाले। महिलाओं का आरोप है कि तृमूकां   के लोग गांव में घर-घर जाकर चेक करते हैं और इस दौरान अगर घर में कोई सुंदर महिला या लड़की दिखती है तो टीएमसी नेता शाहजहां शेख के लोग उसे अगवा कर ले जाते थे और फिर उसे पूरी रात अपने साथ पार्टी दफ्तर या अन्य जगह पर रखा जाता था। अगले दिन यौन उत्पीड़न करने के बाद उसे उसके घर या घर के सामने छोड़ जाते थे।’
संदेशखाली  का ये भयानक सन्देश जब बंगाल के बाहर  पहुंचा तो मामला राज्यपाल तक पहुंच गया। जांच जारी है। राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम भी मौके पर पहुंची थी। राजनीति भी जम कर की जा रही है। सबसे पहले  भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल ने संदेशखाली  जाने की कोशिश की तो पुलिस ने उसे रास्ते में ही रोक दिया।  इसके बाद तृण मूल कांग्रेस से नाराज बैठी कांग्रेस भी मैदान में आ गयी। कांग्रेस सांसद और बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी को भीसंदेशखाली  जाने से रोका गया है। इस पर पुलिस और अधीर रंजन चौधरी के बीच नोकझोंक भी हुई । नारेबाजी करते कांग्रेस नेता और कांग्रेस प्रतिनिधि जब आगे बढ़ रहे थे, पुलिस ने उन्हें रोका और रामपुर में बैरिकेडिंग कर दी।
कांग्रेस और ममता बनर्जी के बीच अनबन की वजह इंडिया गठबंधन में ममता द्वारा डाली गयी दरार है ।  पहले ममता ने गठबंधन के नेता के लिए कांग्रेस के मल्लिकार्जुनखड़गे का नाम प्रस्तावित किया,इसका नतीजा ये हुआ कि जेडीयू गठबंधन से बाहर हो गयी। बाद में ममता ने बंगाल में कांग्रेस को अपेक्षित सीटें न देकर रार बढ़ा दी।  कांग्रेस और ममता के रिश्ते तब और बिगड़े जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के साथ भी ममता सरकार ने बदसलूकी की। अब संदेशखाली के लिए आगे बढ़ने से कांग्रेस सांसद ने ममता बनर्जी पर निशाना साधा।उन्होंने कहा कि, ममता क्रूरता की रानी है वह आग से खेल रही हैं।  अधीर रंजन ने कहा कि हम सब कुछ राजनीतिक तौर पर करेंगे।  हम बम या बंदूकें नहीं ले जा रहे हैं।  यहां ममता ने भाजपा को भी रोका , लेकिन वो कुछ और हैं, हम कुछ और हैं।
संदेशखाली का मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अपने अंदाज में जवाब दे रही हैं।  उनका कहना है कि मुझे इस पर कार्रवाई करने के लिए मामले को जानना होगा।  वहां आरएसएस का आधार है।  7-8 साल पहले दंगे हुए, वो संवेदनशील इलाकों में से एक है।  हमने सरस्वती पूजा के दौरान स्थिति को मजबूती से संभाला अन्यथा वहां योजनाएं कुछ और ही थी। संदेशखाली हिंसा पर बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी का कहना है कि जिन्होंने यह अत्याचार किया है उन्हें सामने आना होगा, एनआईए जांच होनी चाहिए।  उन्हें मौत की सजा दी जानी चाहिए।हम सुकांत मजूमदार पर हमले की निंदा करते हैं।
 राष्ट्रीय महिला आयोग का कहना है कि संदेशखाली में स्थानीय अधिकारियों की चुप्पी बहुत कुछ कहती है।  हम इस मामले की गहराई तक जाना चाहते है।  संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ सबूत मिटाने और डराने-धमकाने की रणनीति अस्वीकार्य है।  महिला आयोग पूरी जांच और अपराधियों पर मुकदमा चलाने की मांग करता है। यानि महिला आयोग और भाजपा के सुर एक जैसे हैं। अब यदि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर की गयी याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया तो ममता बनर्जी की मुश्किलें और बढ़ सकतीं हैं।
संदर्भ के लिए आपको बता दें कि अविभाजित भारत में बंगाल के नोआखली जिले में 1946  में हुए साम्प्रदायिक दंगे में पांच हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे, नोआखाली अब बांग्लादेश का हिस्सा है। बंगाल की राजनीति तभी से रक्तवर्णी होती चली आ रही है। पश्चिम बंगाल में सुश्री ममता बनर्जी सातवीं मुख्यमंत्री हैं। 1972  तक पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का राज था ।  उसके बाद 25  साल वामपंथियों ने यहां एकछत्र राज किया और बीते 9  साल से यहां तृणमूल कांग्रेस का राज है ।  भाजपा पिछले 44  साल से पश्चिम बंगाल पर शासन करने का ख्वाब देख रही है लेकिन अभी तक उसे मौक़ा नहीं मिला है।  संदेशखाली में महिलाओं का उत्पीड़न उसके लिए इसी वजह से महत्वपूर्ण है। भाजपा भी येन-केन बंगाल की रक्तवर्णी सत्ता का सुख लेना चाहती है।(विनायक फीचर्स)
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