NEW DELHI – केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज आईएआरआई, दिरपई चापोरी, गोगामुख, असम में प्रशासनिक-सह- शैक्षणिक भवन, मानस गेस्ट हाउस, सुबनसिरी गर्ल्स हॉस्टल और ब्रह्मपुत्र बॉयज हॉस्टल का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे और उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, असम में प्रदर्शनी स्टाल का दौरा किया।

IMG_256

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास पर विशेष बल है।  उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों में कृषि के विकास की कमियों को दूर कर उन्हें मुख्यधारा में लाने का काम किया है। इस क्रम में  प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को एक नया आयाम दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प के साथ काम कर रही है, जिसमें कृषि की भूमिका बेहद अहम है। श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि खाद्य तेल आयात का बोझ कम करने और तिलहन में आत्मनिर्भर बनने के लिए 11 हजार करोड़ रुपये का मिशन चलाया जा रहा है। हमें इस सोच के साथ काम करना है कि आने वाले दिनों में हम आयात नहीं बल्कि निर्यात करेंगे। उन्होंने कहा कि जब हम एक विजन के साथ काम करते हैं, तो हमें सफलता जरूर मिलती है।

IMG_256

 

श्री अर्जुन मुंडा ने जलवायु अनुकूल फसल किस्मों के विकास पर भी बल दिया और कहा कि कृषि शिक्षा को आजीविका व रोजगार के अवसरों से जोड़ा जाना चाहिए।  श्री मुंडा ने कहा कि जैव विविधता अध्ययन पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि एक साल में यह संस्थान शोध के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प होगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रौद्योगिकियों को जलवायु और लैंगिक स्तर पर तटस्थ होना चाहिए।

 

IMG_256

राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने वैज्ञानिकों से उत्तर पूर्व क्षेत्र में मौजूद प्राकृतिक विविधता का दोहन करने का आग्रह किया।  उन्होंने प्रकृति के करीब प्रौद्योगिकियों के विकास पर भी बल दिया और कहा कि हमें जैविक और प्राकृतिक खेती से जुड़ना चाहिए। उन्होंने दलहन और तिलहन से संबंधित अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने पर बल दिया, ताकि देश को दालों के निर्यात पर बहुत अधिक पैसा खर्च न करना पड़े। उन्होंने कहा कि कृषि अनुसंधान को उद्यमिता से जोड़ना होगा; और यह सब तभी संभव है जब विभिन्न संगठनों के बीच विचारों का मुक्त आदान-प्रदान हो।

 

IMG_256

असम सरकार के शिक्षा, सामान्य जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री डॉ. रनोज पेगु ने आईएआरआई, असम के प्रयासों की सराहना की।  उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आईएआरआई, असम द्वारा किया जाने वाला शोध कार्य पौधों, पशुओं और मत्स्य विविधता पर विचार करने के साथ-साथ पर्यावरण के संरक्षण में भी सहायक होगा।

 

IMG_256

लखीमपुर के सांसद श्री प्रदान बरुआ ने कहा कि यह हमारा स्वप्न था कि असम में इस स्तर का एक संस्थान बने। हमें आशा है कि यह संस्थान पूरे उत्तर-पूर्व भारत के युवा प्रतिभाओं की उम्मीदों पर खरा उतरेगा।

IMG_256

डीएआरई के सचिव और आईसीएआर नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने वर्चुअल माध्यम से उपस्थितजनों को संबोधित किया और आईएआर आई असम के उद्देश्यों व दायित्वों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उत्तर-पूर्व भारत में अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें अनुसंधान और विकास के माध्यम से तलाशने की जरूरत है। उन्होंने आश्वासन दिया कि आईसीएआर यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा कि संस्थान तेजी से प्रगति करता रहे। इस संस्थान का खुलना आईसीएआर के इतिहास में एक यादगार दिन है। उन्होंने संस्थान के विकास से जुड़े लोगों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।

IMG_256

आईएआरआई के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने आईएआरआई, असम की श्रमिक समिति द्वारा किए गए सभी प्रयासों की सराहना की।  इस अवसर पर डॉ. डी.के.सिंह, डॉ. अनिल सिरोही, डॉ. मनोज खन्ना, डॉ. अनुपम मिश्रा, भार्गव शर्मा, डॉ. वाई.एल.सिंह, डॉ. के.बी.पुन, श्री अंकुर भराली और धेमाजी के जिला कमिश्नर भी उपस्थित थे।

Previous article2030 तक प्राकृतिक गैस की खपत में तीन गुना वृद्धि होगी: पेट्रोलियम मंत्री
Next articleभारत सरकार के पूर्व उपसचिव बसंत कुमार मछलीशहर लोकसभा सीट से भाजपा के प्रबल दावेदार।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here