जौनपुर। आज हम उत्तर प्रदेश मे मछली शहर लोक सभा सीट से भाजपा के ऐसे प्रबल दावे दार की बात कर रहे है जो शिक्षित, सक्षम्, मेहनती, मृदुभाषी होने के बावजूद भाजपा से लगातार इसलिए वंचित किये जाते रहे है क्योकि वे जिस बिरादरी से संबंध रखते है उसे बसपा का पारंपरिक वोट माना जाता रहा है पर अपनी राष्ट्रवादी सोच के कारण उन्होंने बसपा की ओर से पार्टी जॉइन करने के ऑफर को ठुकरा दिया और एक दशक से अधिक समय से भाजपा मे एक कार्यकर्ता के रूप मे लगे हुए हैं। हम बात कर रहे है जनपद जौनपुर के ग्राम पिपरा के निवासी व भारत सरकार के पूर्व उपसचिव व एन डी ए 1 सरकार मे एम एस एम ई मंत्रालय में सलाहकार रहे बसंत कुमार की।
उन्होंने सरकारी सेवा से स्वैक्षिक सेवा निर्वित्ति के पश्चात् वर्ष 2011 मे सदस्यता ग्रहण की तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र के सानिध्य मे हिंदुत्व व राष्ट्रवाद के विषय को गहराई से जाना और भाजपा के नीतियों और कार्यक्रमो के प्रचार प्रसार में कड़ी मेहनत की और 2011 मे लाल कृष्ण अडवाणी और कलराज मिश्र के नेतृत्व मे जन स्वाभिमान यात्रा मे पूरे प्रदेश का भ्रमण किया।
जब वर्ष 2014 मे कलराज मिश्र देवरिया से चुनाव लड़ रहे थे तो बसंत कुमार की कड़ी मेहनत की और पूरे क्षेत्र मे अपनी मौजूदगी का एहसास कराया और पूरे क्षेत्र में उन्हे कलराज मिश्र का करीबी कहा जाता था और जब नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल मे कलराज मिश्र एम एस एम ई मंत्री बनाये गए तो बसंत कुमार को इस मंत्रालय मे सलाहकार बनाया गया।
एक लेखक के रूप मे उन्होंने निम्न किताबे लिखी 1- राष्ट्रवादी कर्म योगी 2- हिंदुत्व एक जीवन शैली 3- युवाओ के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद 4- एकात्म वाद भाजपा का संकल्प 5- भारत में उदयमिता 6- आंबेडकर और राष्ट्रवाद इन पुस्तको का लोकार्पण भाजपा के शिखर पुरुष लाल कृष्ण अडवाणी, डा मुरली मनोहर जोशी, राज नाथ सिंह, कलराज मिश्र, डा सत्य नारायण जटिया, योगी आदित्यनाथ आदि महान व्यक्तियों द्वारा किया गया। इसके अतिरिक्त वे जाने माने स्तंभकार है, उनके द्वारा लिखे गए स्तंभ प्रति सप्ताह प्रमुख दैनिक अखबरो व पत्र पत्रिकाओं मे प्रकाशित होते रहते हैं जिनमे बड़ी बेबाकी से अपने विचार रखते हैं।
उनके पिता गुरु प्रसाद(बड़े बाबू) प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने अपनी कालेज शिक्षा वर्ष 1941 मे कठिन परिस्थितियों में पूरी की,क्योकि उस समय कालेज मे शिक्षा प्राप्त करना सिर्फ सवर्ण जमीदारो का एकाधिकार होता था, शिक्षा के प्राप्त 1946 मे भारत सरकार मे डाक तार विभाग मे बिना आरक्षण के नौकरी प्राप्त की। उनके देहांत के 7 वर्ष बाद भी क्षेत्र के लोग गुरु प्रसाद ( बड़े बाबू) का नाम बड़ी श्रद्धा से लेते है।अपने पिता की भाति बसंत कुमार ने भी शिक्षा मे टापर रहे और मड़ियाहु महाविधालय में वर्ष 1977-78 मे टाॅपर होने के कारण कालेज छात्र यूनियन मे प्रतिनिधि के नाम से मनोनीत किये गए। वे हमेशा इस बात के पक्ष धर रहे कि आरक्षण का लाभ वंचित समाज के निर्धन व्यक्तियों को ही मिले और जो लोग एक बार आरक्षण का लाभ लेकर संपन्न हो चुके है,उन्हे अपने बच्चो के लिए आरक्षण का लाभ स्वत: छोड़ देना चाहिए जिससे उसका लाभ वंचित समाज के निर्धनों को मिल सके, अपनी इसी सोच के कारण उन्होंने अपने दोनों बेटो को दिल्ली के टॉप की शिक्षण संस्थाओ मे शिक्षा दिलाई और आरक्षण का लाभ लेकर आईएएस या आईपीएस बनाने के बजाय ऐसी फील्ड चुनी जहा आरक्षण का ठप्पा न हो,उनका बड़ा बेटा अजीत रंजन दिल्ली क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करने के बाद इंग्लैंड मे काउंटी क्रिकेट खेल रहा है,जबकि छोटा बेटा विनीत रंजन सर्वोच्च् न्यायालय मे एडवोकेट है।
बसंत कुमार एक पहल नामक एनजीओ के राष्ट्रीय महासचिव है और अपनी संस्था के माध्यम से वंचितो और निर्धनों की शिक्षा और रोजगार मे मदद करने के लिए तत्पर रहते है। वे विधायक या सांसद न होते हुए भी मछली शहर ( जौनपुर) के लोगो की मदद हर समय करते हैं चाहे वह दिल्ली मे काम हो या मछली शहर मे। बसंत कुमार की विशेषता जो उन्हे अन्य लोगो से अलग रखती हैं कि वे अपने प्रतिद्वंदियों को भी दिल्ली मे बड़े राष्ट्रीय नेताओ से मिलाने में कोताही नही करते।
ऐसे सरल स्वभाव के बहुमुखी प्रतिभा के धनी व विद्वान लेखक बसंत कुमार को भाजपा अपना प्रत्याशी बनती है,तो भाजपा की भारी मतो से जीत होगी और क्षेत्र मे चहुंमुखी विकास होगा।