हमारी संस्कृति में गाय को संपूर्ण विश्व की माता माना गया है। (Gau seva ke chamatkar) गाय के अंगों में संपूर्ण देवताओं का निवास बताया गया है। गाय की छाया को भी हमारे धर्म ग्रंथों में शुभ माना गया है। यात्रा के समय गौ माता का दर्शन सुखद यात्रा के लिए अति लाभकारी माना जाता है।गाय को एक पवित्र शक्ति के रूप में भी हमारे धर्म ग्रंथों में माना गया है। गाय के शरीर को स्पर्श करने वाली हवा को भी हमारे सनातन धर्म में पवित्र माना जाता है।

हमारे शास्त्रों में गाय को 33 कोटि देवताओं का निवास स्थान बताया गया है। केवल गौ माता की सेवा से ही संपूर्ण देवी देवताओं की सेवा संपन्न मानी गई है, और इसलिए गौ माता को सर्वदेवमयी और सर्वतीर्थमयी भी कहा जाता है।

गौ का महत्व  गौ माता के दर्शन मात्र से समस्त देवताओं के दर्शन एवं समस्त तीर्थो का पुण्य भी प्राप्त हो जाता है। गौ दर्शन, गौ पूजन, स्मरण,कीर्तन,और गोदान करने से मनुष्य सर्व विधि पापों से मुक्त होकर अक्षय लोक को प्राप्त करता है।गौ की परिक्रमा से संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा मानी जाती है।

गाय माता के शुभ लक्षण

जहां गाय बैठती है,वहां की भूमि भी पवित्र मानी जाती है,और गाय के चरणों की धूल को भी अति पवित्र माना जाता है।गाय से धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

हमारे सनातन धर्म के कोई भी मंगलिक अनुस्ठान की पूर्ति भी गौ द्रव्य पदार्थों के बिना पुर्ण नहीं होती। हमारे सभी धार्मिक कार्यों में गाय का दूध,गोबर और गोमूत्र विशेष महत्व रखते हैं।

गौ सेवा से मन की प्रसन्नता

गाय सेवा करने से हमारे अंतःकरण, और मन में निर्मलता, पवित्रता, और प्रसन्नता का संचार होता है।हमारा औरा बढ़ता है।चेहरे पर तेज और प्रसन्नता तथा आत्मबल बढ़ता है।

हमारे पूर्वज का धन गौ

हमारे पूर्वज, ऋषि,मुनि, गौ माता को वनो और जंगलों,तथा अपने दैनिक जीवन में अपने ही साथ रखते थे क्योंकि वे गौ को ही अपना धन मानते थे। जिनके पास जितने गौ वंश होते थे, वे उतने धनवान माने जाते थे।

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