नित्यानंद बाबा ज्ञान की गंगा
स्वामी मुक्तानंद यहां सन 1956 में आए थे। 70 के दशक में 75 एकड़ क्षेत्र में बना यहां का विशाल सिद्धपीठ तथा गणेशपुरी उपवन के किनारे संगमरमर से निर्मित विशाल श्री भीमेश्वर महादेव मंदिर उन्हीं द्वारा स्थापित किया हुआ है। 'गणेशपुरी' नाम पड़ने के पीछे लोकोक्ति यह है कि त्रेता काल में महर्षि वशिष्ठ ने यहां गणेशजी की प्रतिमा की स्थापना करके भीषण तपस्या भी की थी। यह स्थान भगवान राम और परशुराम के चरण पड़ने से भी पवित्र माना जाता है। नाथों की धरती होने के कारण यह संपूर्ण क्षेत्र 'नाथ भूमि' के नाम से भी प्रसिद्ध है।