संजय राउत के बोल बचन के मायने
संजय राउत गलतफहमी और खुश फहमी दोनों में हैं. जेल से निकलकर वह सोच रहे हैं कि उन पर लगा आरोप समाप्त हो गया है. लेकिन ऐसा नहीं है.उनकी जमानत को निरस्त करने के लिए मामला हाईकोर्ट में चला गया है,जिस पर 25 को सुनवाई होनी है. हाईकोर्ट ने संजय राउत से इस बारे में शपथ पत्र देने को भी कहा है. विशेष अदालत ने जो टिप्पणी की है वह सरकार के एक महकमे पर आक्षेप है. इतनी बड़ी संस्था किसी बेक़सूर को पकड़ने का दुःसाहस कैसे कर सकती है.? विशेष अदालत का यह निर्णय एकतरफा लगता है. ईडी ने इस निर्णय के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है क्योंकि अदालत के कमेंट्स ने पूरी संस्था को कटघरे में खड़ा कर आरोपी को निर्दोष साबित करने का प्रयास किया है. अगर हाईकोर्ट का फैसला संजय राउत के विपरीत आया तो श्री राउत की कठिनाई बढ़ सकती यही. इसे समझते हुए वह अपने बयान में नरमी लाने का प्रयास कर रहे हैं. (अश्विनी कुमार मिश्र ,लेखक-निर्भय पथिक के संपादक व राजनीतिक विश्लेषक हैं. )