नई दिल्ली, एजेंसी। आत्मनिर्भरता के लिए भारत के दृष्टिकोण को गति देते हुए सेना ने ड्रोन नष्ट करने वाली प्रणाली और सैन्य प्रशिक्षण हथियार सिम्युलेटर सहित पांच ‘मेक II’ परियोजनाओं के परियोजना मंजूरी आदेशों को मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

स्वदेशी विकास के माध्यम से इन प्रोजेक्ट्स को किया जा रहा है प्रोत्साहित

‘मेक II’ परियोजनाएं अनिवार्य रूप से उद्योग द्वारा वित्त पोषित परियोजनाएं हैं जिनमें प्रोटोटाइप के विकास के लिए भारतीय विक्रेताओं द्वारा डिजाइन एवं विकसित किए गए अभिनव समाधान शामिल हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, ‘भारतीय सेना स्वदेशी विकास के माध्यम से विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को लाने वाले ‘मेक प्रोजेक्ट्स’ को प्रोत्साहन प्रदान करने का कार्य कर रही है।’

बयान में कहा गया कि जारी परियोजनाओं को और बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना ने अब पांच ‘मेक II’ परियोजनाओं के परियोजना स्वीकृति आदेश (पीएसओ) को मंजूरी दे दी है। बयान में कहा गया है कि सफल प्रोटोटाइप विकास के बाद आदेश का आश्वासन दिया जाता है।

इन परियोजनाओं को दी गई मंजूरी

जिन परियोजनाओं के पीएसओ को मंजूरी दी गई है उनमें हाई फ्रीक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एचएफएसडीआर), ड्रोन किल सिस्टम, इन्फैंट्री ट्रेनिंग वेपन सिम्युलेटर (आईडब् ल् यूटीएस), 155 एमएम टर्मिनली गाइडेड मुनिशन (टीजीएम), मीडियम रेंज प्रिसिशन किल सिस्टम (एमआरपीकेएस) शामिल हैं।

एचएफएसडीआर के प्रोटोटाइप के विकास के लिए पीएसओ जारी किया गया है। प्रोटोटाइप के सफल विकास पर भारतीय सेना द्वारा 300 एचएफएसडीआर खरीदने की योजना है। अत्याधुनिक, हल्के वजन वाले एचएफएसडीआर बढ़ी हुई सुरक्षा के साथ-साथ बढ़ी हुई डेटा क्षमता और बैंड विड्थ के माध्यम से लंबी दूरी का रेडियो संचार प्रदान करेगा।

मेक II प्रक्रिया के तहत जारी 43 परियोजनाएं बढ़ रही हैं आगे

बयान में कहा गया, ‘भारतीय सेना पहले से ही पूंजी अधिग्रहण की मेक दो प्रक्रिया के तहत जारी 43 परियोजनाओं को आगे बढ़ा रही है। 43 में से 17 परियोजनाओं को उद्योग से प्राप्त स्व-प्रेरणा प्रस्तावों के माध्यम से शुरू किया गया है, जिसने ‘मेक प्रक्रिया’ में भाग लेने के लिए भारतीय रक्षा उद्योग में उत्साह और विश्वास पैदा किया है।’ बयान में कहा गया, ‘‘फिलहाल जारी मेक दो परियोजनाओं में तेजी लाने के कई उपायों के ठोस परिणाम सामने आए हैं। कुल 43 ‘मेक II’ परियोजनाओं में से 22 अब प्रोटोटाइप विकास चरण में हैं, जो कि लागत के हिसाब से परियोजनाओं का 66 प्रतिशत (27,000 करोड़ रुपये में से 18,000 करोड़ रुपये) है।’’

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