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दीपावली से पहले दिल्ली के शास्त्री पार्क में गौ माता को काट कर फेंक दिया

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दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट जिले के शास्त्री पार्क में दीपावली से पहले शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई है। दरसअल, गौ माता की हत्या कर उसके शव को फेंका गया। स्थानीय निवासियों ने पार्क में गौ माता का शव देखा, जिसके बाद उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। अब इस घटना की निंदा की जा रही है।

बता दें कि यह घटना शास्त्री पार्क थाना, नियर कुंदन पेट्रोल पंप के पास की है। वहीं स्थानीय लोगों के बीच गहरी नाराजगी है। घटना के बाद से क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है और लोग इस कृत्य के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। कई हिंदू संगठन और गौ भक्त इस घटना को धार्मिक आस्था का अपमान मानते हैं।

दीपावली जैसे पवित्र पर्व से पहले इस तरह की घटना बेहद दुखद और निंदनीय है। इस घटना ने न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत किया है, बल्कि समाज में सौहार्द्र और सामंजस्य को भी नुकसान पहुंचाया है। कुछ लोगों का मानना है कि यह जानबूझकर किया गया कृत्य है, जिसका उद्देश्य समुदाय में असहमति पैदा करना हो सकता है।

अमेरिकन और देसी गाय के अंश को मिलाकर बनी फ्रीजवाल

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अमेरिकन गाय भले ही दूध अधिक देती हो, लेकिन फ्रीजवाल भी अब इनसे कम नहीं है। फ्रीजवाल गाय एक दिन में 23 लीटर दूध दे सकती है। अधिक दूध देने वाली फ्रीजवाल गाय की सफलता के पीछे मेरठ के केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का बड़ा योगदान है।

केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के डॉ. एके मोहंती ने बताया कि एक गाय औसतन 300 दिन दूध देती है। फ्रीजवाल गाय का 300 दिन का औसतन दूध सात हजार लीटर पाया गया है। जो अपने आप में एक अच्छा संकेत है। बताया गया कि इसके दूध का फैट भी अच्छा होता है। भैस के दूध से अगर तुलना की जाए, यह फैट के मामले में कम नहीं है। वैज्ञानिकों का दावा है कि 2030 तक सरकार की मंशा के अनुसार देश में 350 मिलियन टन दूध उत्पादन बढ़ाने में फ्रीजवाल की बड़ी भूमिका रहेगी।
मेरठ में 1987 में केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य दुग्ध उत्पादन बढ़ाना था। प्रारंभ में संस्थान के वैज्ञानिकों ने देशभर की छावनियों के डेयरी फार्म में पलने वाली गायों पर रिसर्च किया। जिसका परिणाम है कि फ्रीजवाल नस्ल की गाय और सांडों को पूरे देश में अलग पहचान मिली है।
केरल, पंजाब, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के कृषि विवि में भेजा जा रहा सीमन
केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान में फ्रीजवाल नस्ल को बढ़ावा देने के लिए तैयार किए जा रहे सांड के सीमन को देश के केरल कृषि विवि, पंजाब के कृषि पशु महाविद्यालय, उत्तराखंड और महाराष्ट्र के कृषि विवि में भेजा जा रहा है। इन विवि के माध्यम से फ्रीजवाल का सीमन गांवों तक पहुंच रहा है। जिसकी संख्या बढ़कर एक लाख 50 हजार पहुंच गई है। इसके उपयोग से फ्रीजवाल नस्ल की गायों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अगर पूरे देश में फ्रीजवाल नस्ल की गायों की संख्या की बात करें तो पांच लाख से भी अधिक हो सकती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अनुसंधान संस्थान में 50 लाख से अधिक सीमन तैयार किया है, जिससे फ्रीजवाल नस्ल की गाय और दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।
चार से आठ साल में मिलती है रिसर्च पर सफलता
केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के डॉ. एके मोहंती का कहना है कि अमेरिकन और देशी साहीवाल के अंश को मिलाकर फ्रीजवाल तैयार की गई है। किसी भी रिसर्च में सफलता के लिए कम से चार साल और अधिक से अधिक आठ साल लगते हैं। आईसीएआर संस्थान में फ्रीजवाल नस्ल पर ही नहीं बल्कि अन्य पर भी रिसर्च किया गया, जिसमें सफलता मिली है। किसानों में खासकर फ्रीजवाल नस्ल की गाय पालन के प्रति काफी रुझान बढ़ा है। फ्रीजवाल के दूध में अधिक फैट है और बीमारियों से लड़ने की अधिक शक्ति होती है।

काली पूजा पर मंदिर में दी जाएगी 10000 पशुओं की बलि , रोक लगाने से कलकत्ता हाई कोर्ट का इनकार

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समाचार पोर्टल आप इण्डिया की रिपोर्ट के अनुसार  , कलकत्ता हाई कोर्ट की अवकाश पीठ ने काली पूजा” के अवसर पर कोलकाता के बोल्ला काली मंदिर में पशुओं की बलि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पूर्वी भारत में धार्मिक प्रथाएँ उत्तर भारत से अलग हैं। इसलिए उन प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं होगा। यह कई समुदायों के लिए ‘आवश्यक धार्मिक प्रथा’ हो सकती हैं।

न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु और अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ अखिल भारतीय कृषि गो सेवक संघ की दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें याचिकाकर्ताओं ने शुक्रवार (1 नवंबर 2024) को होने वाली पशुओं की बलि को रोकने के लिए तत्काल राहत की माँग की थी। हालाँकि, पीठ ने इस पर पूरी सुनवाई के बिना अंतरिम आदेश देना सही नहीं। है।

हालाँकि, हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि माना कि पशु बलि एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है, साथ ही यह भी कहा कि उत्तर भारत और पूर्वी भारत में आवश्यक प्रथा क्या है, इसमें बहुत अंतर है। पीठ ने टिप्पणी की, “यह विवाद का विषय है कि पौराणिक पात्र वास्तव में शाकाहारी थे या मांसाहारी।”

संगठन ने अदालत से भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को राज्य के विभिन्न मंदिरों में ‘सबसे वीभत्स और बर्बर तरीके से की जाने वाली अवैध पशु बलि’ को रोकने के लिए तत्काल निर्देश देने की माँग की। जब उनके वकील से पूछा गया कि क्या वे सभी मंदिरों में प्रतिबंध चाहते हैं तो उन्होंने कहा कि फिलहाल वे दक्षिण दिनाजपुर के एक विशेष मंदिर में प्रतिबंध चाहते हैं।

पीठ ने कहा, “एक बात तो स्पष्ट है, यदि अंततः भारत के पूर्वी भाग को शाकाहारी बनाने का लक्ष्य है तो यह नहीं हो सकता है… महाधिवक्ता हर दिन मछली के के बिना नहीं रह सकते!” इसके बाद राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता ने कहा कि वह पूरी तरह से मांसाहारी हैं।

इस पर जस्टिस बसु ने कहा, “आपको धारा 28 (पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960) की वैधता को चुनौती देने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि बलि की प्रथा काली पूजा या किसी अन्य पूजा की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है, जैसा कि भारत के पूर्वी भाग के नागरिक इसका पालन करते हैं। खान-पान की आदतें अलग-अलग होती हैं।”

दरअसल, जस्टिस बसु जिस धारा का उल्लेख कर रहे थे उसमें कहा गया है, “इस अधिनियम में निहित कोई भी बात किसी भी समुदाय के धर्म द्वारा अपेक्षित तरीके से किसी भी पशु को मारना अपराध नहीं बनाएगी।” इसके बाद हाई कोर्ट की पीठ ने राहत देने से इनकार करते हुए आगे की सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध कर दिया।

पिछले साल मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ से भी इस संगठन ने ‘बोल्ला काली पूजा’ के अवसर पर 10,000 बकरियों और भैंसों के वध पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। पीठ ने पशु बलि को रोकने के लिए अंतरिम राहत से इनकार कर दिया था। हालाँकि, पीठ पश्चिम बंगाल में पशु बलि की वैधता के बड़े सवाल पर विचार करने के लिए सहमत हुई।

बोल्ला गाँव बालुरघाट शहर से 20 किलोमीटर दूर बालुरघाट-मालदा राजमार्ग पर स्थित है। इस गाँव में एक ऐतिहासिक मंदिर है, जहाँ श्रद्धालु माँ काली की पूजा करते हैं। मुख्य काली पूजा रास पूर्णिमा के बाद शुक्रवार को होती है। दक्षिण दिनाजपुर जिले के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा के दौरान मंदिर में इकट्ठा होते हैं और प्रार्थना करते हैं। इस दौरन तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है।

महाराष्ट्र के बाद अब राजस्थान में गाय को राज्यमाता का दर्जा देने की तैयारी

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Jaipur News : राजस्थान में गाय के नाम पर सियासत गरमा गई है। जोधपुर में कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा है कि राज्य में गाय को ‘राज्य माता’ का दर्जा दिया जाएगा। ऐसे में अब महाराष्ट्र के बाद राजस्थान में गाय को राज्य माता का दर्जा देने की तैयारी हो रही है। वहीं मंत्री पटेल ने बताया कि सरकार गौ-तस्करों को जमानत मिलने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है।

बता दें कि हाल ही में नाडोली (करौली) के गौ-तस्करी के आरोपी नाजिम खान को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी। बताया गया है कि राजस्थान सरकार की तरफ से मामले में किसी अधिवक्ता की उपस्थिति नहीं होने के कारण आरोपी को जमानत मिल गई। इस घटना ने राज्य सरकार की न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हालिया गाय को लेकर राजनीति गरमा गई है। वह इसलिए हो रहा है क्योंकि भजनलाल सरकार ने गाय को ‘आवारा’ कहने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। नए आदेश के अनुसार, गाय के लिए अब ‘निराश्रित’ या ‘बेसहारा’ जैसे शब्दों का उपयोग करना होगा। सभी सरकारी आदेशों, दिशा-निर्देशों, और सूचना पत्रों में ‘आवारा’ शब्द की जगह ‘गौवंश’ का उपयोग किया जाएगा।
इस पर नेता विपक्ष टीकाराम जूली ने इस निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि गाय के नाम पर राजनीति करने वालों को अपनी जवाबदेही तय करनी होगी। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा था कि “मुंह में राम, बगल में छूरी” यह बीजेपी वालों की असलियत है। जूली ने बताया कि 2021 में करौली जिले में पुलिस ने नाजिम खान और उसके कुछ साथियों को 26 गोवंशों की तस्करी करते पकड़ा था। उन पर गंभीर धाराओं में मुकदमा चलाया गया था। सेशन कोर्ट और हाईकोर्ट से जमानत नहीं मिलने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
सुप्रीम कोर्ट में जमानत के मामले में राजस्थान सरकार की ओर से कोई वकील नहीं भेजा गया था। जिसके कारण आरोपी को जमानत मिल गई। अदालत ने कहा कि 8 अक्टूबर 2024 को सरकार को नोटिस दिया गया था, लेकिन ना तो वकालतनामा पेश किया गया और ना ही कोई काउंसिल उपस्थित हुई। जूली ने इसे प्रदेश का बड़ा दुर्भाग्य बताया।

दीपावली उपहार के तौर पर 1500 जरूरतमंदों को द्वारकामाई चैरिटी संस्था द्वारा दिया गया राशन

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मुम्बई। बीते दिनों दीपावली के उपलक्ष्य में द्वारिकामाई चैरिटी संस्था द्वारा आयोजित राशन वितरण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। दिंडोशी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत झुग्गी-झोपड़ियों में रहनेवाले गरीब व जरूरतमंद 1500 लोगों को चिन्हित कर द्वारिकामाई चैरिटी संस्था द्वारा उन्हें दीपावली उपहार के तौर पर राशन वितरण किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक पंडितों के शंखनाद व मंत्रोच्चार के साथ हुआ और डीजीएस बिल्डर ईश्वर शुक्ला के हाथों नारियल फोड़ कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। वे मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। संस्था की टीम द्वारा उन्हें शाल, हार पहनाकर स्वागत सम्मान किया गया।

दीपावली पर्व के दौरान दिंडोशी विधानसभा में कोई भी गरीब राशन के अभाव में भूखा न रहें, इसलिए संस्था द्वारा यह कार्यक्रम किया गया।
संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चौबे ने बताया कि गरीब परिवार भी दीपावली पर्व खुशी के साथ मना पाए, उनके चेहरे पर भी प्यारी मुस्कान आए इसलिए दीपावली उपहार के तौर पर राशन वितरण करने का निर्णय लिया था। 100 लोगों की सहायता करने से शुरू हुआ राशन वितरण कार्यक्रम आज 1500 लोगों तक पहुंच गया है। आगे और भी इस तरह के सेवाकार्यों का विस्तार किया जाएगा।

दीपावली किस दिन मनाई जाए? इसको लेकर के विद्वानों में और पंचांगकारों में विवाद

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नई दिल्ली: इस साल दीपावली किस दिन मनाई जाए? इसको लेकर के विद्वानों में और पंचांगकारों में विवाद हो गया है. काशी विद्वतपरिषद काशी विश्वनाथ न्यास जहां 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने की बात कह रहा है, वहीं कुछ दक्षिण भारतीय विद्वान 1 नवंबर को दीपावली मनाने की बात कह रहे हैं. ज्योतिष विभाग के पूर्व संकाय प्रमुख पंडित रामचंद्र पांडेय के अनुसार, सारा विवाद अमावस्या को लेकर है. काशी विद्वत परिषद का मानना है कि 31 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या है. साथ ही पूरी रात भी अमावस्या है और शास्त्र शास्त्र के अनुसार-प्रदोष काल से लेकर के निशा व्यापिनी अमावस्या हो तो दीपावली का पर्व मनाया जाता है. दूसरे दिन 1 नवंबर को प्रदोष काल का केवल स्पर्श कर रही है. अमावस्या प्रदोष काल अर्थात सूर्यास्त से 2 घंटे का समय 1 नवंबर को सूर्यास्त के बाद केवल 24 मिनट ही अमावस्या है, इसीलिए काशी परिषद और काशी के प्रमुख पंचांग 1 नवंबर को दीपावली ना मना कर 31 अक्टूबर को दीपावली मनाएं इसका आग्रह कर रहे हैं.

वहीं ओर दूसरी ओर सॉन्ग वेद महाविद्यालय के वेद आचार्य विशेश्वर शास्त्री द्रविड़ इस बात से सहमत नहीं है. उनका कहना है कि शास्त्र में यह ऋषि वाणी है कि अगर दो दिन अमावस्या पड़ रही हो तो दूसरे दिन की अमावस्या को लेना चाहिए. दूसरे दिन भी प्रदोष काल में 1 नवंबर को अमावस्या है, इसलिए दीपावली 1 नवंबर को ही मनाना चाहिए. हालांकि उसमें यह भी कहते हैं जिसके घर में जो पंचांग हो उसी के अनुसार वह दीपावली मनाएं.

काशी के सबसे पुराने पंचांगों में से एक ऋषिकेश पंचांग के संपादक विशाल पंडित विशाल जी का मानना है कि दो तरह से पंचांग बनते हैं. एक सूर्य सिद्धांत से और दूसरा पंचांग सूर्य सिद्धांत स्थानीय गढ़वा को लेकर के पंचांग में तिथि को देता है और पंचांग उज्जैन को आधार मानकर गणना करता है, जो अधिकतर कंप्यूटर पर आश्रित है. इसीलिए इस तरह के भ्रम की स्थिति हो रही है. पश्चिम में कई जगह पर तो प्रदोष काल में अमावस्या है ही नहीं और शास्त्र में वर्णित है कि जिस दिन अधिक मात्रा में अमावस्या मिले उसी दिन दीपावली मनाना चाहिए और 31 अक्टूबर को प्रदोष काल से लेकर के पूरी रात्रि तक अमावस्या है, इसीलिए दीपावली का पर्व और लक्ष्मी पूजन 31 अक्टूबर को ही करना चाहिए.

अन्य शास्त्रकारों का भी मानना है कि अमावस्या पूरी रात्रि में होनी चाहिए, क्योंकि प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन के बाद कई ऐसे मुहूर्त आते हैं जो रात्रि में जो साधना पूजा के लिए उपयुक्त है. काली पूजा भी मध्य रात्रि में होती है इसलिए अमावस्या 31 अक्टूबर को है और उसी दिन दीपावली का पर्व मनाना चाहिए. हालांकि दक्षिण भारत भारतीय वैदिक विद्वान स्थित सहमत नहीं हैं. उनका मानना है कि दीपावली के दिन प्रदोष काल में केवल लक्ष्मी पूजन होता है और वह 1 नवंबर को प्रदोष काल कुछ ही समय के लिए लेकिन मिल रहा है इसलिए 1 नवंबर को ही दीपावली का पर्व बनाना चाहिए क्योंकि शास्त्र में है कि अगर दो दिन अमावस्या हो तो दूसरे दिन की अमावस्या की लेनी चाहिए, ऐसा सनक ऋषि का वचन है.

सतर्क रहिए जालसाजी और ठगी से बचिए

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(मनोज कुमार अग्रवाल -विभूति फीचर्स)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘डिजिटल अरेस्ट’के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता व्यक्त की है। इससे पता चला कि सरकार जनता के साथ साइबर अपराधियों द्वारा तरह तरह के तरीके इजाद कर की जा रही ठगी और शोषण से न सिर्फ भलीभांति अवगत है वरन जनता के हितों की रक्षा के लिए सजग और चिंतित भी है। दरअसल साइबर अपराधी नए-नए हथकंडे अपनाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं और उनके जीवन भर की कमाई लूट रहे हैं। ‘डिजिटल अरेस्ट’ आनलाइन ठगी का ऐसा ही एक तरीका है। साइबर ठगों ने लोगों को अपने चंगुल में फंसाने के लिए इस नए तरीके को अपनाया है, जिसका नाम है ‘डिजिटल अरेस्ट’। इसमें ठगी करने वाले लोगों को फंसाने के लिए ‘ब्लैकमेलिंग’ या भयादोहन का खेल खेलते हैं और लोग उनके जाल में फंस जाते हैं।

इसमें ठग पुलिस, सीबीआई या आबकारी अधिकारी बनकर लोगों को फोन करते और डराकर उन्हें घर पर ही बंधक बना लेते हैं। सबसे पहले, ठग फोन करके बताते हैं कि आपका आधार कार्ड, सिम कार्ड, बैंक खाता आदि का उपयोग किसी गैरकानूनी काम के लिए हुआ है। यहां से लोगों को डराने-धमकाने का खेल शुरू होता और फिर ठगी का लक्ष्य पूरा किया जाता है। ठग ‘वीडियो काल’ में अपनी तस्वीर के पीछे के दृश्य को किसी पुलिस स्टेशन की तरह बना लेते हैं, जिसे देखकर पीड़ित डर कर उनकी बातों में आ जाता है। ठग जमानत की बात कहकर लोगों से ठगी शुरू करते हैं। वे व्यक्ति को ‘वीडियो काल’ से न तो हटने देते हैं और न ही किसी को फोन करने देते हैं। इंटरनेट के तेजी से बढ़ते उपयोग के बीच ‘डिजिटल अरेस्ट’ फरेब का एक बड़ा माध्यम बनता जा रहा है। ऐसी घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 115 वें एपिसोड में डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं पर गंभीर चिन्ता व्यक्त की और 140 करोड़ देशवासियों को सतर्क करते हुए धोखाधड़ी करने वालों के तौर-तरीके समझाकर जनता को सावधान भी किया है, जो उचित और प्रेरक है। प्रधानमंत्री के संदेश को गम्भीरता से लेने की भी जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं पर और इससे बचाव के बारेमें विस्तार से प्रकाश डाला, जो ज्ञानवर्धक है। मोदी का यह कहना जनता को शिक्षित करने वाला है कि इस फ्राड में फोन करने वाले कभी पुलिस, कभी सीबीआई अधिकारी, कभी कस्टम अधिकारी बनकर बड़े विश्वा सके साथ ऐसे अपराध करते हैं। हाल ही में आगरा की एक शिक्षिका की डिजिटल अरेस्ट से परेशान होने के बाद मौत हो गयी थी। इस दुखद प्रकरण ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया। प्रधान मंत्री ने एक डेमोके माध्यम से भी डिजिटल अरेस्टकी घटना का प्रस्तुतिकरण किया जिससे कि लोग आसानी समझ सकें। डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं से बचने के लिए प्रधान मंत्री ने कई तरीके भी बतायें जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। ऐसी घटनाओं से कैसे बचें और निर्भीक होकर कैसे इसका सामना करें यह भी महत्वपूर्ण है। उनका यह सुझाव भी उपयोगी है कि ऐसी कोई काल या वीडियोकाल आने पर घबराने की आवश्यकता नहीं है। बस तीन काम करना है-पहला-रुको, दूसरा-सोचो और तीसरा ऐक्शन लो।

पिछले तीन महीने में ही दिल्ली एनसीआर में 600 मामले ऐसे आए हैं, जिनमें 400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। हालांकि देश में साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। साइबर अपराधियों से निपटने के लिए 1,000 ‘साइबर कमांडो’ को प्रशिक्षित किया जा रहा है। ये कमांडो देशभर में कानून लागू करने वाले अधिकारी हैं। इन्हें 6 महीने तक साइबर अपराध से जुड़ी हर तकनीकी और सूक्ष्म जानकारियों से लैस किया जाएगा। आईआईटी मद्रास प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन ने यह प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया है। ‘साइबर कमांडो’ न केवल देश की साइबर रक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान करेंगे, बल्कि साइबर हमलों से संवेदनशील डेटा की सुरक्षा करेंगे और डिजिटल संप्रभुता भी बनाए रखेंगे। इन्हें खासतौर से डिजिटल अपराध और डिजिटल अरेस्ट के तौर-तरीकों के बारे में बताया जा रहा है, ताकि वे साइबर अपराधियों तक पहुंच सकें। अगर देखा जाए तो अधिकतर वे लोग ‘डिजिटल अरेस्ट’ होते हैं, जो बदलती प्रौद्योगिकी के प्रति जागरूक नहीं होते। प्रायः ऐसे लोग अपराधियों के झांसे में आकर ‘डिजिटल अरेस्ट हो जाते हैं।

एक बार जब व्यक्ति साइबर अपराधियों की गिरफ्त में आ जाता है, तो वे उससे जरूरी व्यक्तिगत सूचनाएं हासिल कर अपने खाते से पैसे हस्तांतरित कर लेते हैं। कई बार तो अपराधी पीड़ित को इतना डराते हैं कि वे दबाव में आकर पैसे उनके बताए खाते में हस्तांतरित कर देते हैं। व्हाट्सएप करने वाले अपराधी अक्सर अपने प्रोफाइल में किसी पुलिस अधिकारी की फोटो लगाते हैं। वीडियो कॉल पर सामने वाले व्यक्ति को भरोसा दिलाने के लिए साइबर अपराधी बाकायदा पुलिस थाने का सेटअप भी तैयार रखते हैं, जिसे देखकर व्यक्ति डर जाता है। उसे विश्वास हो जाता है कि उससे पुलिस या किसी जांच एजेंसी का अधिकारी ही पूछताछ कर रहा है। इसलिए भोले-भाले लोग डर कर उनकी बातों में आ जाते हैं। अपराधी यह कह कर लोगों को अपने झांसे में लेते हैं कि उनके आधार कार्ड, सिम कार्ड, बैंक खाते का उपयोग अवैध गतिविधियों में हो रहा है।

इससे वह व्यक्ति इतना डर जाता है कि फोन भी नहीं काट पाता। ऐसे में जरूरत है कि लोग साइबर ठगी को लेकर जागरुक हो और मन की बात में प्रधानमंत्री ने भी यही बताने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री ने जानकारी दी है कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ के शिकार होने वालों में हर वर्ग और हर उम्र के लोग हैं और वे डर की वजह से अपनी मेहनत से कमाए हुए लाखों रुपए गंवा देते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई कॉल आए तो आपको डरना नहीं है। आपको पता होना चाहिए कि कोई भी जांच एजेंसी फोन कॉल या वीडियो कॉल पर इस तरह पूछताछ कभी नहीं करती। उन्होंने इससे बचने के लिए देशवासियों से ‘रूको, सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र साझा किया। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में घबराएं नहीं बल्कि शांत रहें। जल्दबाजी में कोई कदम ना उठाएं। किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी ना दें। संभव हो तो स्क्रीनशॉट लें और रिकॉर्डिंग जरूर करें। कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ऐसी धमकी नहीं देती और न ही पूछताछ करती है और न वीडियो कॉल पर ऐसे पैसे की मांग करती है। मोदी ने कहा कि अगर डर लगे तो समझिए कुछ गड़बड़ है। प्रधानमंत्री ने लोगों से ऐसे मामलों में राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर डायल करने और साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर रिपोर्ट करने के अलावा परिवार और पुलिस को सूचना देने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने कहा है कि सबूत सुरक्षित रखें। यह तीन चरण आपकी डिजिटल सुरक्षा का रक्षक बनेंगे। उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं है। यह सिर्फ फ्रॉड है, झूठ है और फरेब है। बदमाशों का गिरोह है और जो लोग ऐसा कर रहे हैं वह समाज के दुश्मन हैं।

 

प्रधानमंत्री ने बताया है कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर जो फरेब चल रहा है उससे निपटने के लिए तमाम जांच एजेंसी राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं और आपसी तालमेल के लिए नेशनल साइबर कोआर्डिनेशन केंद्र की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि ऐसे फ्रॉड करने वाली हजारों वीडियो कॉलिंग आईडी को ब्लॉक किया गया है। लाखों सिम कार्ड और बैंक अकाउंट को भी ब्लॉक किया गया है। ऐसे मामलों में एजेंसियां अपना काम कर रही हैं लेकिन डिजिटल अरेस्ट के नाम पर हो रहे फरेब से बचने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों सहित हर जगह इसके बारे में लोगों से जागरूकता फैलाने का आह्वान किया। आधुनिक तकनीक के युग में डिजिटल अरेस्ट जैसी साइबर ठगी को रोकना सरकार के लिए काफी मुश्किल है, ऐसे में जरूरत है कि लोग सतर्क रहें और किसी लालच में नहीं आए। कोई भी बैंक या सरकारी-गैर सरकारी संस्थान पिन, ओटीपी आदि की जानकारी नहीं पूछता है।

ऐसे में, किसी से अपनी निजी जानकारियां गलती से भी साझा नहीं करनी चाहिए। साथ ही अपने सोशल मीडिया और बैंक अकाउंट आदि के पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहना चाहिए। अगर सतर्कता बरती जाए तो निश्चित तौर पर साइबर ठगी और डिजिस्ट अरेस्ट जैसे मामलों से काफी हद तक बचा जा सकता है। दिक्कत तब बढ़ जाती है जब कई बार कुछ भ्रष्ट रिश्वतखोर पुलिस कर्मियों की भी इन साइबर ठगों से मिलीभगत होती है और ये अनुचित कमाई के लिए ऐसे अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते उल्टा अवैधानिक रास्ते से संरक्षण देते हैं इन पर भी सरकार को गंभीरता से सख्त कदम उठाने चाहिए। (विभूति फीचर्स)

औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध मध्यप्रदेश सरकार

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(अंजनी सक्सेना-विभूति फीचर्स)

मध्य प्रदेश की वर्तमान सरकार प्रदेश वासियों को आर्थिक रूप से सक्षम और समृद्ध बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है इसी कड़ी में प्रदेश में श्रृंखलाबद्ध रूप से रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने विकास के यज्ञ की संज्ञा दी है। प्रदेश सरकार इस विकास के यज्ञ में प्रदेश के उद्योगपतियों और निवेशकों दोनों को सम्मिलित करके प्रदेश के उपलब्ध संसाधनों के उपयोग से प्रदेश को औद्योगिक विकास के पथ पर अग्रसर करना चाहती है । प्रदेश में अब तक पांच रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि श्रृंखलाबद्ध आयोजित की जा रही रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव प्रदेश के विकास का यज्ञ है। इसमें शामिल हो रहे उद्योगपतियों और निवेशकों के सहयोग से उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग कर प्रदेश को हीरे की तरह तराशेंगे। मध्यप्रदेश में सभी क्षेत्रों में विकास की अपार संभावनाओं के दृष्टिगत नये उद्योगों की स्थापना के साथ प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध कराना हमारी प्रतिबद्धता भी है और घोषित संकल्प भी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी सरकार की काम करने की गति ऐसी है कि एक बैठक में उद्योगपति से मुलाकात होती है और अगली बैठक में इकाई का भूमि-पूजन हो जाता है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि मध्यप्रदेश के विकास के लिये हम सभी अपने ‘ईगों को छोड़कर टीम भावना के साथ कार्य करने के लिये तत्पर है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि प्रदेश की समृद्धि के लिये सरकार न सिर्फ सहयोग करेगी बल्कि जरूरत पड़ने पर उद्योग पॉलिसी में बदलाव भी करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि रीवा संभाग में उद्योगों को प्रोत्साहित करने और एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए कटनी और सिंगरौली में इनलैंड कंटेनर डिपो का निर्माण किया जाएगा। यहां मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क भी विकसित होंगे। मऊगंज और मैहर में एमएसएमई का नया इंडस्ट्रियल एरिया विकसित किया जाएगा। औद्योगिक क्षेत्र बढ़न में जलापूर्ति के लिए 84 लाख रूपए की लागत से नई योजना क्रियान्वित की जाएगी। राष्ट्रीय उद्यान व टाइगर रिजर्व में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की उच्चतम सुविधायुक्त टूरिज्म सुविधाएं विकसित की जाएगी। हेल्थ टूरिज्म को विकसित करने के कार्य भी किए जाएंगे। चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में गतिविधियों का विस्तार किया जाएगा। इससे रोजगार के अवसर सृजित होंगे और उपचार तथा शिक्षा में यह क्षेत्र आत्म-निर्भर भी बन सकेगा। विंध्य क्षेत्र में बेहतर होटल, रिसोर्ट सहित अन्य पर्यटन परियोजनाओं में निवेश के लिए पृथक से प्रावधान किया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने रीवा रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए ये घोषणाएँ की। प्रदेशवासियों का जीवन स्तर सुधरे, राज्य के जीएसटी व कर संग्रहण में वृद्धि हो, इस उद्देश्य से प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में उद्योग समूहों का स्वागत है, यदि कोई बड़ा उद्योग स्थापित किया जाता है तो राज्य सरकार अपनी नीतियों में आवश्यक बदलाव करने के लिए भी तत्पर रहेगी। देश की अर्थ-व्यवस्था को निरंतर अग्रगामी बनाए रखने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मंशानुसार प्रदेश में औद्योगिक निवेश और गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव जैसे आयोजन  निरंतर किए जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार के लिये अपार संभावनाएँ विद्यमान है। खाद्य प्र-संस्करण सहित सभी क्षेत्रों में औद्योगिक गतिविधियों के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। प्रदेश में औद्योगिक विकास को शीर्ष पर ले जाने के लिए प्रत्येक प्रदेशवासी को अहंकार शून्यता की भावना के साथ कठोर परिश्रम और लगन से कार्य करना होगा। प्रत्येक विभाग, उद्योग समूह, उद्यमियों, जन-प्रतिनिधियों की आहूति से ही यह यज्ञ सफल होगा और प्रदेश अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में हमें नवीनतम तकनीक और सूचना एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए पूर्ण पारदर्शिता, प्रतिबद्धता और कर्मठता के साथ एक-दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए टीम भावना के साथ निरंतर प्रयत्नशील रहना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार रोजगार आधारित उद्योगों को विशेष सहायता प्रदान कर रही है । लोगों को अपने परिश्रम के आधार पर आगे बढ़ने के अवसर प्रदान कराना सरकार का संकल्प है। इसी उद्देश्य से प्रदेशवासियों को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। इस क्रम में रोजगार आधारित उद्योगों को राज्य सरकार विशेष सहायता प्रदान कर रही है। महिलाओं को रोजगार देने वाली औद्योगिक इकाईयों के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अपने परिवार के लिए भरण-पोषण की व्यवस्था करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए गृहस्थ धर्म का कर्तव्य है, लेकिन उन व्यक्तियों पर परमात्मा की विशेष कृपा होती जिनके माध्यम से कई लोगों के परिवार चलते हैं और उन्हें यश प्राप्त होता है। इस दृष्टि से उद्योगपतियों पर ईश्वर की विशेष कृपा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में संचालित डबल इंजन की सरकार विकास और कल्याण के मोर्चों पर सक्रिय है और औद्योगिक गतिविधियां हों या जन जन के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास, सभी क्षेत्रों में राज्य सरकार को उपलब्धियां प्राप्त हो रही हैं।

प्रदेश में रीजनल इंडस्ट्री कॉनक्लेव का आयोजन कर प्रदेश के हर क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विंध्य क्षेत्र की 9 लाख एकड़ भूमि में सिंचाई सुविधा के लिये 4 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं। इससे शीघ्र ही पूरे क्षेत्र की भूमि सिंचित होगी। रीवा में बाणसागर परियोजना, मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी, रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क और रीवा एयरपोर्ट का लोकार्पण किया गया है। रीजनल इंडस्ट्री कॉनक्लेव आज समय की मांग है। रीवा में रोबस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, लैंड बैंक, पानी, बिजली के साथ प्रदेश में सिंगल विंडो क्लीयरेंस, इंज ऑफ डूइंग बिजनेस और औद्योगिक संस्थानों के लिये सकारात्मक वातावरण है। कृषि उत्पादों और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिये विंध्य आकर्षक डेस्टिनेशन है। (विभूति फीचर्स)

उज्जैन में विराजित हैं विक्रमादित्य की राजलक्ष्मी के रुप में प्रसिद्ध दुर्लभ और अद्वितीय  गजलक्ष्मी

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*(देशना जैन-विभूति फीचर्स)*
उज्जयिनी के चक्रवती सम्राट महाराजा विक्रमादित्य जितने पराक्रमी थे, उतने ही महान साधक भी थे, अपनी साधना के बल पर उन्होंने अपने जीवन में अष्टलक्ष्मी की साधना करके वरदान स्वरूप अपनी राज्यलक्ष्मी को पुन: प्राप्त किया था। उनके द्वारा जो लक्ष्मी देवी का विग्रह बनवाया गया था वह आज भी उज्जैन शहर के नईपेठ क्षेत्र में स्थित है जो  गजलक्ष्मी देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। गजलक्ष्मी, देवी महालक्ष्मी के आठ रूपों में से एक है। बताया जाता है कि यहाँ विराजित प्रतिमा दो हजार वर्षों से भी अधिक प्राचीन है। 
देवी गजलक्ष्मी की यह प्रतिमा समुद्री पाषाण जो कि स्फटिक जैसा होता है उससे बनी हुई है। सफेद हाथी पर पालकी में पद्मासन में बैठी लक्ष्मी देवी की यह प्रतिमा दुर्लभ प्रतिमा  और अद्वितीय है। देवी गजलक्ष्मी की यह प्रतिमा पूरे भारत में एकमात्र है, जो सफेद हाथी पर विराजमान है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता हैं। माना जाता है कि यह प्रतिमा मंत्रों पर आधारित एवं स्थापित है। श्री सूक्त में गजलक्ष्मी का जो वर्णन आता है उसमें कहा गया है- “अश्वपूर्वाम् रथमध्याम् हस्तिनाद प्रमोदिनी।” अर्थात सफेद हाथी पर पूर्वमुखी, रथ के मध्य में हाथी पर विराजित माँ लक्ष्मी, हाथी की सूंड में कमल लिए हुए है।
*महाभारत काल से जुड़ा गजलक्ष्मी का इतिहास*
किवदंतियों के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडव जंगलों में भटक रहे थे। तब माता कुंती अष्टलक्ष्मी पूजन करने के लिए परेशान थीं। पांडवों ने जब माँ को परेशान देखा तो देवराज इंद्र से प्रार्थना की। पांडवों की प्रार्थना से प्रसन्न होकर इंद्र ने ऐरावत हाथी को भेजा। इस हाथी पर माँ लक्ष्मी स्वयं विराजित हुईं और कुंती ने अष्टलक्ष्मी पूजन किया। वहीं दूसरी ओर गांधारी ने मिट्टी से बने हाथी पर लक्ष्मी पूजन किया। उसी वक्त इंद्र ने भारी बारिश की, जिससे मिट्टी का हाथी बह गया। कुंती पर देवी गजलक्ष्मी प्रसन्न हुईं और उनके आशीर्वाद से पांडवों को उनका खोया राज्य वापस मिला। इसी परंपरा को मानते हुए श्राद्ध पक्ष की अष्टमी के दिन मिट्टी से निर्मित माँ लक्ष्मी को हाथी पर बैठाकर पूजन करने का विधान है। यह व्रत राधा अष्टमी से शुरू होकर सोलह दिन में पूर्ण कर हाथी अष्टमी पर समाप्त होता है। इस दिन सुहागन महिलाएँ आटे और बेसन से बने गहने देवी लक्ष्मी को अर्पित करती हैं। इस अवसर पर गजलक्ष्मी का दूध से अभिषेक कर सोलह श्रृंगार किया जाता है और महाआरती होती है।
*विक्रमादित्य के काल में बनी गजलक्ष्मी प्रतिमा*
उज्जैन नगरी चक्रवर्ती सम्राट वीर विक्रमादित्य की मानी जाती है। राजा विक्रमादित्य को जब शनि की साढ़े साती लगी और उसके प्रभाव से उनका राज्य-पाट छिन गया, तब राजा ने अपनी साधना और तप से देवी गजलक्ष्मी का आह्वान किया। देवी लक्ष्मी स्वयं सफेद ऐरावत हाथी पर सवार होकर राजा को दर्शन देने आयी और देवी लक्ष्मी ने प्रसन्न होकर कहा- “राजन, मैं तुम्हारी तप साधना से प्रसन्न हूँ, बोलो क्या वर चाहिए?” राजा विक्रमादित्य ने देवी से प्रार्थना की, “माँ गजलक्ष्मी रूप में आप मेरी इस नगरी में सदा के लिए वास कीजिए। मेरी नगरी हमेशा धन-धान्य से परिपूर्ण रहे और इस नगरी का स्वर्णिम नाम सदा चमकता रहे।” यह प्रार्थना सुनकर माँ गजलक्ष्मी ने तथास्तु कहा और सदा के लिए इस नगर के मध्य में वास किया। उसी काल में विक्रमादित्य द्वारा निर्मित यह गजलक्ष्मी प्रतिमा है।
*महाअष्टमी को होती है विशेष हवन साधना*
नवरात्रि का पर्व महालक्ष्मी मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता है। प्रतिदिन माता का अभिषेक, श्रृंगार, आरती की जाती है। नवरात्रि की अष्टमी पर रात में त्रिकुण्डीय यज्ञ का आयोजन कर समस्त प्रकार के विभिन्न श्री यंत्रों को अभिमंत्रित कर भक्तों को वितरित किए जाते है। यह यंत्र भक्त अपने घर, दुकान, तिजोरी में स्थापित करते हैं और शुभ फल पाते हैं।
*दीपावली पर विशेष आयोजन*
दीपावली एवं पुष्य नक्षत्र के दिन कई व्यापारी मंदिर पहुंचते हैं। मंदिर में कई वर्षों से बही- खाता लिखने की परंपरा जारी है। आज भी यहाँ कई व्यापारी पहला बही-खाता लिखने के लिए आते हैं। गजलक्ष्मी मंदिर में धनतेरस से लेकर पड़वा तक चार दिवसीय भव्य आयोजन होता है। धनतेरस को एक सौ ग्यारह लीटर दूध से अभिषेक, चौदस के दिन एक सौ इक्यावन लीटर दूध से अभिषेक, दीपावली के दिन सुबह इक्कीस सौ लीटर दूध से भव्य अभिषेक कर देवी गजलक्ष्मी का सोलह श्रृंगार कर आरती की जाती है, वहीं शाम को छप्पन भोग (अन्नकूट) लगाया जाता है।
धनतेरस पर राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु गजलक्ष्मी मंदिर पहुंचते हैं। वे प्रति वर्ष वितरित होने वाली श्री (बरकत) लेने आते हैं। श्रद्धालुओं को श्री के रूप में एक नारियल, ब्लाउज पीस, पीले चावल, सिक्का, कौड़ी और श्री यंत्र मिलता है। मान्यता है कि जो भी भक्त श्री को अपने घर में रखता है, उसके घर में हमेशा धन, वैभव और सुख-समृद्धि बनी रहती है। मंदिर में साल भर दान के रूप में आने वाली बिंदी-सिंदूर तथा साल भर माता को अर्पित किया हुआ अभिमंत्रित सिंदूर दीपावली के दूसरे दिन सुहाग पड़वा के अवसर  सुहागन माता-बहनों को मंदिर से सदा सुहागन आशीर्वाद के साथ वितरित किया जाता है।
*मंदिर में अन्य प्रतिमाएं*
गजलक्ष्मी प्रतिमा के पास में ही बांयी ओर  भगवान विष्णु की काले पाषाण की दशावतार की दुर्लभ प्रतिमा है, जो दक्षिण भारत के बालाजी स्वरूप में स्थापित है। यहाँ उनके चरणों में जय-विजय पार्षद के रूप में विराजित हैं। साथ ही, नीचे एक तरफ लक्ष्मी और दूसरी तरफ गरुड़ हैं। प्रतिमा के ऊपरी भाग में ब्रह्मा, विष्णु, महेश विराजित हैं। गजलक्ष्मी के दांयी तरफ गरुड़ पर सवार लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा स्थापित है। परिसर में प्रवेश द्वार पर ही हनुमान तथा आँकड़े से बने गणेश भी स्थापित हैं। मंदिर के  पीछे की ओर एक छोटा मंदिर है, जहाँ शिवलिंग, महालक्ष्मी माता और खड़े गणेश की आशीर्वाद देती प्राचीन प्रतिमा है। इसके आसपास राहु-केतु शिवलिंग रूप में विराजित हैं।
*होली पर भी होता है फाग का आयोजन*
गजलक्ष्मी मंदिर में जैसे दीपावली उत्सव मनाया जाता है, वैसे ही होली का भव्य आयोजन किया जाता है। पूरे फागुन मास में प्रति शुक्रवार को होली के गीतों के साथ फाग उत्सव मनाया जाता है। यहाँ पर सर्व सिद्धि के उपाय किए जाते हैं। अनेक लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए देवी के दर्शन को आते हैं। यहाँ पर अभिमंत्रित श्री यंत्र, गोमती चक्र, एकाक्षी नारियल और कमल गट्टे की माला सिद्ध की हुई मिलती है। मुख्य रूप से लोग यहाँ मनोकामना सिद्धि के लिए उल्टा स्वस्तिक बनाने आते हैं। यहाँ के पुजारी का कहना है कि गजलक्ष्मी माता को राजा विक्रमादित्य की राजलक्ष्मी भी कहा जाता है। हाथी पर सवार लक्ष्मी माता मान-सम्मान और वैभव दिलाने वाली होती हैं। इसलिए हर शुक्रवार भारी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।(विभूति फीचर्स)

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव  डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच दिलचस्प मुकाबला

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(सुभाष आनंद -विनायक फीचर्स)
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की गतिविधियां चरम पर हैं। इस बार यहां पांच नवम्बर को चुनाव होना है। मुख्य मुकाबला अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति  डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच होना है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया लगभग एक वर्ष पूर्व से ही प्रारंभ हो जाती है।
 अमेरिकन संविधान बहुत सख्त है इस बार अमेरिका में दो मुख्य राजनीतिक पार्टियां मैदान में है। सत्तारूढ़ डैमोक्रेटिक पार्टी की ओर से कमला हैरिस अपना समर्थन बढ़ाने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं। वह राष्ट्रपति जो  बाइडन को साथ  लेकर अपने प्रतिद्वंदी डोनाल्ड ट्रंप पर बढ़त बनाने के लिए जी जान से प्रयत्न कर रही हैं लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप भी इस रोचक मुकाबले में आगे दिखाई देते हैं। फैडरल पार्टी इस स्थिति में नहीं है कि वह किसी भी उम्मीदवार की हार जीत को प्रभावित कर सकें। इन चुनावों में कौन जीतेगा इससे पहले हमें यह जानना होगा कि विश्व के शक्तिशाली देश अमेरिका में राष्ट्रपति के चुने जाने की प्रक्रिया क्या है?
विश्व में अमेरिकी लोग  सिद्धांतों के बहुत ही पक्के होते हैं यह चुनाव की प्रक्रिया 1789 से चल रही है। लेकिन अभी तक कोई हेर-फेर नहीं हुआ पूरे संविधान में 31 संशोधन हुए है किसी पर  कोई अंगुली नहीं उठा सकता। अमेरिका में राष्ट्रपति प्रणाली है और यह प्रणाली तब से चली आ रही है जब से अमेरिका में संविधान लागू हुआ है। राष्ट्रपति का पद सर्वोच्च है लेकिन वह कभी तानाशाह नहीं बन सकता।  अमेरिका में लोकतंत्र प्रणाली बड़े अच्छे ढंग से चल रही है इसी कारण राष्ट्रपति चुनाव में कुछ कम बदलाव देखने को मिले हैं।
 चुनाव की तिथि 5 नवम्बर पहले  से निर्धारित है इन तारीखों का कभी उल्लंघन नहीं हुआ, बाकी फेर बदल बहुत दूर की बात है। यहां राष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया एक वर्ष पहले शुरू हो जाती है क्योंकि कई स्तरों पर उम्मीदवार का चयन होता है सर्वप्रथम विभिन्न राजनीतिक दल राज्यों में अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जिन्हें प्राइमरी कहा जाता है हर राज्य के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार तय होते हैं फिर प्रत्येक पार्टी अपना अधिवेशन बुलाती है इसी अधिवेशन में पार्टी अपने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारों का चयन करती है।
उम्मीदवारों का नाम तय करने के लिए बॉक्स प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। बॉक्स का अभिप्राय छोटी से छोटी इकाई की मीटिंगें। निचले स्तर पर छोटी-छोटी इकाईयों की मीटिंग होती है जो राष्ट्रपति के नामों पर विचार करती है लेकिन अंतिम निर्णय राष्ट्रपति अधिवेशन में ही होता है। इस बार राष्ट्रपति अधिवेशन में डैमोक्रेटिक पार्टी ने कमला हैरिस और रिपब्लिकन ने ट्रंप पर दांव खेला है।
अमेरिका में 5 नवम्बर को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के जो चुनाव होने हैं वह बाकी देशों से भिन्न हैं। देशभर मेें 538 निर्वाचक चुने जाते हंै। इसका महत्व राष्ट्रपति चुने जाने तक होता है। इलेक्टोरल कॉलेज का अपने आप में कोई अस्तिव नहीं होता न ही प्रशासन में उनकी कोई खास हिस्सेदारी होती है। आधुनिक चुनाव यद्यपि राष्ट्रपति के नाम पर ही लड़ा जाता है लेकिन चुने जाते हैं निर्वाचक। ये निर्वाचक अपने-अपने दल के राष्ट्रपति  के उम्मीदवारों के प्रतिनिधि के रूप में वचनबद्ध होते हैं।
 कुछ राज्यों में कानूनी कार्रवाई है लेकिन कुछ राज्यों में परम्परा से ही  ये निर्वाचक अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए वचन बद्ध होते हैं। ये राज्य स्तर पर चुने जाते हैं और चुने जाने के पश्चात दिसम्बर के दूसरे बुधवार के पश्चात पहले सोमवार को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए वोट डालते हैं और सभी राज्यों से इन मतों को इकट्ठा करके कांगे्रस के दोनों सदनों के सामने खोला जाता है इसके लिए जनवरी की छह तिथि निर्धारित है कुल निर्वाचकों की संख्या 538 है विजय के लिए 270 वोट हासिल करना जरूरी हैं। यदि दोनों उम्मीदवारों को बराबर वोट पड़े तो तब कांगे्रस का निचला सदन अर्थात हाऊस ऑफ रिप्रजेंन्टेटिव फैसला करता है। अध्यक्ष का यह अधिकार होता है कि वह पहले 3 में से एक पर सहमति जताए चूंकि  कुछ निर्वाचक कांग्रेस या सरकार के सदस्य भी हो सकते हैं निर्वाचक केवल राजनीतिक कार्यकर्ता होते हैं इसलिए इस काम के बाद उनका राजनीतिक महत्व समाप्त हो जाता है।
इतिहास साक्षी है कि अमेरिका में निर्वाचक लोगों ने पार्टी के साथ कभी दगा नहीं किया अर्थात राष्ट्र सर्वोपरि है 20 जनवरी को राष्ट्रपति अपने पद पर आसीन होता है राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 वर्ष का होता है। राष्ट्रपति के गद्दी पर बैठने से पहले ही यदि किसी कारणवश कोई दुर्घटना हो जाती है या  देहांत हो जाता है या राष्ट्रपति किसी तरह अयोग्य ठहराया जाता है तो उपराष्ट्रपति स्वत: ही राष्ट्रपति बन जाता है यदि दोनों के साथ दुर्घटना हो जाती है तो फिर कांग्रेस का अध्यक्ष यह कार्यभार संभालता है लेकिन बीच में चुनाव करवाने का कोई प्रावधान नहीं है। अमेरिका के बड़े संविधान और नियमों को लेकर राष्ट्रपति का चुनाव निष्पक्ष वातावरण में होता है।
अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव को सफल बनाने में मीडिया की बहुत अहम भूमिका मानी जाती है। राष्ट्र अधिवेशन के पश्चात जब यह साफ हो जाता है कि कौन-कौन उम्मीदवार मैदान में है तो देशभर में वाद-विवाद शुरू हो जाते हैं। किसी नेता के पक्ष या विपक्ष में जनमत बनाने में इन चर्चाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यहां इस समय वाद-विवाद का सिलसिला शुरू हो चुका है। आरंभ में दोनों पार्टियों की आंखों में चमक देखने को मिल रही है। कमला हैरिस को कम लोग जानते हैं जबकि उसके विपरीत ट्रंप जाने माने राजनीतिक है और वह पहले भी अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके हैं पिछले चुनावों में वह जो बाइडन के हाथों बुरी तरह पराजित हुए थे। मीडिया का चुनावों में बड़ा हाथ होता है। अमेरिका में जनमत संग्रह की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चुनावों से पहले वहां की सर्वेक्षण कम्पनियां और वहां केे अखबार मिलकर सर्वे करवाते है। चुनाव वर्ष आरंभ होते ही यह बड़ी-बड़ी कम्पनियां उम्मीदवारों की लोकप्रियता को लेकर सर्वे करना आरंभ कर देती हैं इसी कारण काफी बड़ा जनमत इन सर्वेक्षणों से प्रभावित होता रहता है।
 सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस समय ट्रंप का पलड़ा भारी महसूस होता दिख रहा है। वह अपनी विरोधी कमला हैरिस पर लगभग 2 प्रतिशत की बढ़त बनाए हुए हैं उधर भारतीय समुदाय ने भी ट्रंप का समर्थन करने की घोषणा कर दी है। इस समय राष्ट्रीय चुनावों में विदेश नीति का मुद्दा प्रभावशाली प्रतीत हो रहा है। वैसे अमेरिकन समाज घरेलू मामलों में ज्यादा सक्रिय रहता है।
दुनिया में क्या हो रहा है उसको देखकर अमेरिका सदैव चौकस रहता है लेकिन अपनी राष्ट्रभक्ति के लिए अमेरिकन समाज अग्रणी रहता है। वह चाहते हैं कि हमारा राष्ट्रपति ईमानदार, देशभक्त, सर्वगुण संपन्न हो वह किसी तरह के घोटाले में शामिल न हो।
जनमत सर्वेक्षणों में अभी भी ट्रंप का पलड़ा भारी लगता है। यदि ट्रंप जीत जाते हैं तो रिपब्लिकलन पार्टी की बहुत बड़ी जीत होगी और अमेरिका की विदेश नीति में बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा। भारत-अमेरिका के बीच रिश्ते मधुर होने की पूर्ण सम्भावनाएं बढ़ जाएंगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ट्रंप की तुलना में कमला हैरिस को चुनावी फंडज ज्यादा प्राप्त हो रहे हैं। ज्यों-ज्यों अमेरिकन राष्ट्रपति के चुनावों की तारीख 5 नवम्बर नजदीक आ रही त्यों-त्यों पार्टी उम्मीदवार एक दूसरे पर हमलावर हो रहे हैं। विश्व की सभी गुप्तचर एजेंसियां भी अमेरिकन राष्ट्रपति के चुनावों को लेकर सक्रिय हो चुकी हैं उनकी पैनी नजरें इन चुना