अमेरिकन गाय भले ही दूध अधिक देती हो, लेकिन फ्रीजवाल भी अब इनसे कम नहीं है। फ्रीजवाल गाय एक दिन में 23 लीटर दूध दे सकती है। अधिक दूध देने वाली फ्रीजवाल गाय की सफलता के पीछे मेरठ के केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का बड़ा योगदान है।

केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के डॉ. एके मोहंती ने बताया कि एक गाय औसतन 300 दिन दूध देती है। फ्रीजवाल गाय का 300 दिन का औसतन दूध सात हजार लीटर पाया गया है। जो अपने आप में एक अच्छा संकेत है। बताया गया कि इसके दूध का फैट भी अच्छा होता है। भैस के दूध से अगर तुलना की जाए, यह फैट के मामले में कम नहीं है। वैज्ञानिकों का दावा है कि 2030 तक सरकार की मंशा के अनुसार देश में 350 मिलियन टन दूध उत्पादन बढ़ाने में फ्रीजवाल की बड़ी भूमिका रहेगी।
मेरठ में 1987 में केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य दुग्ध उत्पादन बढ़ाना था। प्रारंभ में संस्थान के वैज्ञानिकों ने देशभर की छावनियों के डेयरी फार्म में पलने वाली गायों पर रिसर्च किया। जिसका परिणाम है कि फ्रीजवाल नस्ल की गाय और सांडों को पूरे देश में अलग पहचान मिली है।
केरल, पंजाब, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के कृषि विवि में भेजा जा रहा सीमन
केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान में फ्रीजवाल नस्ल को बढ़ावा देने के लिए तैयार किए जा रहे सांड के सीमन को देश के केरल कृषि विवि, पंजाब के कृषि पशु महाविद्यालय, उत्तराखंड और महाराष्ट्र के कृषि विवि में भेजा जा रहा है। इन विवि के माध्यम से फ्रीजवाल का सीमन गांवों तक पहुंच रहा है। जिसकी संख्या बढ़कर एक लाख 50 हजार पहुंच गई है। इसके उपयोग से फ्रीजवाल नस्ल की गायों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अगर पूरे देश में फ्रीजवाल नस्ल की गायों की संख्या की बात करें तो पांच लाख से भी अधिक हो सकती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अनुसंधान संस्थान में 50 लाख से अधिक सीमन तैयार किया है, जिससे फ्रीजवाल नस्ल की गाय और दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।
चार से आठ साल में मिलती है रिसर्च पर सफलता
केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के डॉ. एके मोहंती का कहना है कि अमेरिकन और देशी साहीवाल के अंश को मिलाकर फ्रीजवाल तैयार की गई है। किसी भी रिसर्च में सफलता के लिए कम से चार साल और अधिक से अधिक आठ साल लगते हैं। आईसीएआर संस्थान में फ्रीजवाल नस्ल पर ही नहीं बल्कि अन्य पर भी रिसर्च किया गया, जिसमें सफलता मिली है। किसानों में खासकर फ्रीजवाल नस्ल की गाय पालन के प्रति काफी रुझान बढ़ा है। फ्रीजवाल के दूध में अधिक फैट है और बीमारियों से लड़ने की अधिक शक्ति होती है।
Previous articleकाली पूजा पर मंदिर में दी जाएगी 10000 पशुओं की बलि , रोक लगाने से कलकत्ता हाई कोर्ट का इनकार
Next articleदीपावली से पहले दिल्ली के शास्त्री पार्क में गौ माता को काट कर फेंक दिया

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here