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देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, राज्यपाल ने दिलाई शपथ

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मुंबई: महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. अजित पवार का भी डिप्टी सीएम पद के लिए नाम फाइनल है. शाम साढ़े पांच बजे से आजाद मैदान में महायुति सरकार का शपथ ग्रहण है. उससे ठीक पहले फिर महायुति में सस्पेंस के बादल छा गए हैं. एकनाथ शिंदे ने फिर से देवेंद्र फडणवीस की धड़कन बढ़ा दी है. महाराष्ट्र से लेटेस्ट अपडेट यह है कि एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम पर मानने को तैयार नहीं हैं. जी हां, देवेंद्र फडणवीस की ताजपोशी से पहले महायुति में फिर पेच फंसता दिख रहा है. शिंदे के घर के बाहर हलचल बढ़ गई है. शिवसेना नेता और शिवसैनिकों का जमावड़ा लग गया है. शिंदे को मनाने की कोशिश हो रही है.

सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे अब भी डिप्टी सीएम पद के लिए नहीं माने हैं. शिवसेना नेता उदय सावंत ने कहा कि अगर एकनाथ शिंदे शपथ नहीं लेंगे तो शिवसेना का कोई भी विधायक शपथ नहीं लेगा. उन्होंने कहा कि सभी विधायक चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री बनें. इस बीच एकनाथ शिंदे के बंगला वर्षा के बाहर शिवसैनिक का जमावड़ा लगा है. नेता से लेकर कार्यकर्ता शिंदे के शपथ लेने की मांग कर रहे हैं. उधर, शिवसेना के विधायक भरत गोगावले, संजय शिरसाट और उदय सावंत भी शिंदे से मिलने पहुंचे हैं.

उदय सामंत ने बड़ा बयान दिया
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शिवसेना विधायक उदय सामंत ने कहा, ‘अगर एकनाथ शिंदे ने उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार नहीं किया तो शिवसेना का कोई भी विधायक नई सरकार में कोई जिम्मेदारी नहीं लेगा.’ शिवसेना नेता ने शरद गुट के जितेंद्र आव्हाड की एकनाथ शिंदे से मुलाकात पर भी टिप्पणी की और कहा कि दोस्ती का कोई आचार संहिता नहीं होता. सामंत ने कहा कि राजनीति में कौन किसका दोस्त है, इस बारे में कोई आचार संहिता नहीं है. आव्हाड और शिंदे दोनों ठाणे के हैं और इसलिए वे दोस्त हैं और साथ रहेंगे.

शिंदे को क्यों मना रहे शिवसैनिक
महाराष्ट्र में बुधवार को देवेंद्र फडणवीस के अगले मुख्यमंत्री बनने की घोषणा होते ही शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायकों ने एकनाथ शिंदे से मुलाकात की. उन्होंने एकनाथ शिंदे से नई सरकार में डिप्टी सीएम पद संभालने की अपील की. पार्टी विधायकों ने बताया कि वे पिछले दो दिनों से शिंदे से मिल रहे हैं, जो अभी कार्यवाहक मुख्यमंत्री हैं. उन्हें नई सरकार में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिश की जा रही है. पूरे दिन विधायकों का वर्षा के बाहर तांता लगा रहा. वर्षा एकनाथ शिंदे का आधिकारिक आवास है.

PRESIDENT OF INDIA GRACES 75TH ANNIVERSARY CELEBRATION OF GOPABANDHU AYURVEDA MAHAVIDYALAYA

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The President of India, Smt Droupadi Murmu graced the 75th anniversary celebration of Gopabandhu Ayurveda Mahavidyalaya at Puri, Odisha today (December 4, 2024). 

Speaking on the occasion, the President said that today is the time of science and technology. Technologies such as Artificial Intelligence, machine learning, quantum computing, and 3-D printing are helping in both study and development. We must recognize the present requirements and prepare a blueprint for the future. But, without knowing our past, we cannot understand the present, nor can we decide the future course of action. We should be aware of our glorious past. India has rich traditions in physics, chemistry, astronomy, astrology, medicine, mathematics, and architecture. Scientists like Aryabhata, Brahmagupta, Varahamihir, and Bhaskaracharya have enriched the field of science. Similarly, the contribution of Charak and Sushruta in the field of medical science is noteworthy.

The President said that traditional Indian medical systems give equal importance to prevention and cure. She expressed confidence that students of the Gopabandhu Ayurveda Mahavidyalaya will do research on the untouched aspects of Ayurveda, besides serving as doctors. She said that research would establish the authenticity of this ancient medical system and increase its recognition across the world.

The President said that tribal people have known the herbs and their medicinal benefits since ancient times. But, this traditional knowledge is now slowly disappearing. She expressed hope that students of this college will explore the scientific basis of this system of treatment. She said that by doing that they will save that traditional system from extinction.

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छत्तीसगढ़: गौ-पालन को प्रोत्साहन, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की योजना पर जोर

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रायपुर: छत्तीसगढ़: गौ-पालन को प्रोत्साहन, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की योजना पर जोर – छत्तीसगढ़ में गौ-माता के संरक्षण और संवर्धन के प्रयास तेज हो गए हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने गौशालाओं को दी जाने वाली प्रति मवेशी अनुदान राशि को 25 रुपये से बढ़ाकर 35 रुपये करने की घोषणा की है। राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के नए अध्यक्ष श्री विशेषर सिंह पटेल के पदभार ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गौ-माता के संरक्षण के लिए जनजागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि प्रदेश में गौ-अभ्यारण्य अब गौधाम के नाम से जाने जाएंगे। राज्य सरकार बेमेतरा के झालम में 50 एकड़ और कवर्धा में 120 एकड़ भूमि पर गौधाम विकसित कर रही है। बेमेतरा के गौधाम का निर्माण पूरा हो चुका है और इसका उद्घाटन जल्द किया जाएगा।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने समारोह में लगाए गए गौ-उत्पादों के स्टालों का अवलोकन किया और गौधन से जुड़े उत्पादों को बढ़ावा देने पर बल दिया। राज्य में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और छत्तीसगढ़ के देवभोग ब्रांड को मजबूत करने के लिए सरकार ने नई योजनाओं पर काम शुरू किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गौ तस्करी और गौ-हत्या जैसी गतिविधियों पर रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। प्रदेश के किसान और पशुपालक गौ-माता के संरक्षण और संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। नव नियुक्त अध्यक्ष श्री विशेषर सिंह पटेल ने आयोग की योजनाओं और भावी कदमों पर प्रकाश डाला। समारोह में अन्य गणमान्य व्यक्तियों और संतों ने भी गौ-माता के संरक्षण के महत्व पर अपने विचार साझा किए।

Chhattisgarh – सरगुजा में बनेगा गौ माता के लिए मुक्तिधाम

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सरगुजा: जल्द ही सरगुजा में गायों और मवेशियों के लिए मुक्तिधाम बनाया जाएगा. कलेक्टर के आदेश पर मुक्तिधाम बनाए जाने की तैयारी शुरु कर दी गई है. गायों और मवेशियों की मौत पर अबतक उसे या तो खुले में लापरवाही से छोड़ दिया जाता है या फिर दफना दिया जाता है. दफन करने के बाद कई बार कुत्ते और कबरबिज्जू डेड बॉडी को जमीन से खींचकर निकाल देते हैं. ऐसे में गंदगी और बीमारियों के बढ़ने का खतरा भी बना रहता है. मृत गायों का भी सम्मान नहीं होता.

गायों के लिए बनेगा मुक्तिधाम: सड़क हादसों या फिर बीमारी से मौत होने पर अक्सर लावारिस गायों या फिर मवेशियों को डिस्पोज करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती रहती है. कई बार मृत गायों या फिर जानवरों को निगम के लापरवाही कर्मचारी खुले में ही छोड़ देते हैं. ऐसी घटनाओं से खतरनाक बीमारियों के फैलने का भी खतरा बना रहता है. हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है. जिन गायों की मौत होती है उनको भी मौत के बाद सम्मान मिले ऐसी व्यवस्था की जा रही है.

कलेक्टर ने दिए निर्देश: सरगुजा कलेक्टर ने इस संबंध में मिले सभी आवेदनों की समीक्षा करने के बाद अंबिकापुर नगरीय प्रशासन को जरुरी दिशा निर्देश जारी किए हैं. कलेक्टर ने कहा है कि श्मशान घाट की जिस भूमि पर अतिक्रमण किया गया है उसे अतिक्रमण मुक्त कराया जाए. अतिक्रमण हटाए जाने के बाद उस जगह का सौंदर्यीकरण किया जाए.

अंबिकापुर प्रशासन को मिली जिम्मेदारी: कलेक्टर से मिले दिशा निर्देश के बाद नगर निगम आयुक्त और एसडीएम ने मुक्तिधाम बनाए जाने को लेकर काम शुरु कर दिया है. निगम और प्रशासन की ओर से शहर में खाली पड़े तीन जगहों को देखा गया है. जमीन की उपलब्धता को देखने के बाद जल्द से जल्द मुक्तिधाम बनाने का काम शुरु कर दिया जाएगा.

फैसले से गौ सेवा मंडल काफी खुश: प्रशासन के इस फैसले से गौ सेवा मंडल के लोग काफी खुश हैं. गौ सेवा मंडल से जुड़े राधे कहते है की हम लोग गायों की निशुल्क सेवा करते हैं. घायल या निराश्रित गायों को गौ आश्रय धाम में रखते हैं. किसी भी मवेशी की मृत्यु होने पर हम लोग उसे कहीं सुरक्षित खाली जमीन पर ले जाकर जेसीबी के माध्यम से गड्ढा कराकर उसको दफनाते हैं. गौ मुक्तिधाम बनाने का फैसला बढ़िया है इससे एक स्थान तय हो सकेगा जहां गायों का अंतिम संस्कार सम्मान के साथ हो सकेगा.

बहुत अच्छा प्रयास है. जब भी गाय माता का देहांत हो जाता है तो हम लोगों को बहुत दुख होता है. सम्मान के साथ उनको दफनाने की व्यवस्था मुश्किल होती है. कुत्ते या दूसरे जानवर बॉडी को खराब कर देते हैं. मुक्तिधाम बनने से मवेशियों और गायों को भी सम्मान के साथ दफनाया जा सकेगा. :राहुल गुप्ता, गौ सेवा मंडल

कलेक्टर सर का निर्देश और सुझाव मिला है. जिस तरह से इंसानों के लिए मुक्तिधाम की सुविधा है उसी तरह गायों और मवेशियों के लिए मुक्तिधाम का निर्माण होगा. जमीन की पहचान की जा रही है. मुक्तिधाम को बाउंड्रीवाल किया जाएगा. पानी की भी सुविधा वहां रहेगी. जगह को सुंदर बनाया जाएगा. मुक्तिधाम में सम्मान के साथ विधि विधान से गौ माता का अंतिम संस्कार किया जा सकेगा. :डी.एन. कश्यप, कमिश्नर, नगर निगम

लोगों ने की तारीफ: अबतक इंसानों के लिए मुक्तिधाम और कब्रिस्तान की बात तो आपने सुनी है पर ये पहली बार आपने सुना होगा कि गौ माता के लिए भी मुक्तिधाम होगा. सिर्फ मुक्तिधाम ही नहीं होगा बल्कि जिस तरह से अंतिम संस्कार इंसानों का होता उसी तरह से गौ माता को भी सम्मान के साथ उस मुक्तिधाम में दफनाया जाएगा. मुक्तिधाम बनाए जाने के फैसले की सभी लोग तारीफ कर रहे हैं.

 

चुनावों का आवश्यक कर्मकांड बना ईवीएम को कोसना*

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डॉ. मुकेश “कबीर”
दीवार फिल्म के दो भाईयों की तरह यदि नेताओं के पास, गाड़ी है, बंगला है,बैंक बैलेंस है तो जनता के पास क्या है ? क्या है हमारे पास ? तो इसका सॉलिड जवाब है – भाई,मेरे पास ईवीएम है। 
ईवीएम प्रजातंत्र में वरदान है जो जनता को मिला है,जिसमें हम अपनी उंगली के इशारे से देश की दशा और दिशा तय कर सकते हैं लेकिन दिक्कत यह है कि आजकल ईवीएम को ही कटघरे में खड़ा किया जा रहा है और मजे की बात यह है कि ईवीएम के चरित्र पर लांछन उसी पार्टी के लोग लगा रहे हैं जो इसको देश में लेकर आए ।
जब भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार शुरू किया तो वोटर कार्ड और बाद में ईवीएम जनता को मिले। उद्देश्य यही थे कि चुनाव में धांधली को रोका जा सके और जनता बाहुबलियों के चंगुल से बाहर आ सके। लेकिन आज इसी ईवीएम पर सबसे ज्यादा सवाल उठाए जाते हैं।
अब हर चुनाव के बाद ईवीएम को दोष देना चुनाव का ही एक हिस्सा बन चुका है,ये बिल्कुल वैसा ही है जैसा शादी के बाद सास ननद द्वारा दुल्हन में कमियां निकालना जबकि दुल्हन को पसंद भी ये ही लोग करके लाते हैं।अब ईवीएम को कोसना चुनावों का एक आवश्यक कर्मकांड बन चुका है । यदि चुनावों के बाद ईवीएम को दोष न दिया जाए मतलब चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।
इस बार महाराष्ट्र चुनाव के बाद भी यह मुद्दा बहुत जोर शोर से उठाया जा रहा है,पहली बार ईवीएम के खिलाफ जनता भी बोल रही है। यही कारण है कि पहली बार ऐसा हो रहा है कि करीब सौ सीटों पर नेताओं ने  ईवीएम की जांच के लिए चुनाव आयोग से मांग की है और इसके लिए करीब अड़तालीस लाख रुपए फीस के रूप में जमा भी किए जा चुके हैं और गड़बड़ी पाए जाने पर पुनर्मतदान की मांग भी हो चुकी है। कुछ लोग तो निर्वाचन अधिकारी के अलावा कोर्ट भी जा रहे हैं अब देखते हैं इसका रिजल्ट कब और क्या निकलेगा,इंतजार करें।  मुझे लगता है कि इसका कोई रिजल्ट नहीं मिलेगा और ईवीएम बेकसूर ही निकलेगी। मुझे इसका तकनीकी पक्ष नहीं मालूम लेकिन पराजित नेताओं के विरोधाभासी बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि ईवीएम बेकसूर है ।
एक तरफ यह सारे नेता ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं दूसरी तरफ सत्ता पक्ष पर  चुनाव में पैसा बांटने का आरोप भी लगा रहे है और कई नेता वोटर्स को वोट डालने से रोकने का आरोप भी लगा रहे हैं। इसलिए अब सवाल यह उठता है कि यदि ईवीएम में गड़बड़ी की जा सकती है तो पैसा बांटने की क्या जरूरत है ? और यदि चुनाव में पैसा बांटा जा रहा है या वोटरों को वोट देने से रोका जा रहा है इसका मतलब है ईवीएम में गड़बड़ी नहीं की जा सकती ,यह विरोधाभासी बयान  खुद ही साबित कर देते हैं कि विपक्ष खुद सुनिश्चित नहीं है और दूसरी बात यह है कि यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है इसके पहले भी ईवीएम कोर्ट तक जा चुकी है और कोर्ट से बाइज्जत बरी भी हो चुकी है इसलिए इस बार भी बड़ा उलटफेर नहीं होने वाला है।लेकिन दिल है कि मानता नहीं इसलिए लोग फिर से पहुंच रहे हैं कोर्ट ।
अब देखते हैं मीलार्ड क्या कहते हैं। बहरहाल हम तो ईवीएम के पक्ष में हैं क्योंकि इसके अलावा कोई विकल्प है नहीं । जिस दूसरे विकल्प की मांग विपक्ष लगातार कर रहा है वो है बैलेट पेपर । जिसमें धांधली के चांसेज ज्यादा होते हैं। पूर्व में हम देख भी चुके हैं कि बैलेट पेपर में बूथ लूट लिए जाते थे,एक ही बंदा पांच सौ छह सौ वोट डाल देता था और पूरा चुनाव डंडे और गुंडे मैनेज कर लेते थे ।
अंततः राजनीति पर बाहुबलियों का कब्जा हो जाता था लेकिन ईवीएम पर इतनी दादागिरी की संभावना नहीं होती । यही कारण है कि देश में वोटिंग परसेंटेज भी बढ़ा है। खासकर महिलाएं भी अब सुरक्षित रहकर वोट दे सकती हैं  इसलिए वैलेट पेपर की वापसी तो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। हां यदि कोई और बेहतर विकल्प  हो तो उस पर विचार किया जा सकता है वरना ईवीएम ही ठीक है।इस सारे परिदृश्य में आज कम से कम मतदाता कह तो सकता है कि “मेरे पास ईवीएम है।” (विभूति फीचर्स)

असम की BJP सरकार ने गोमांस पर लगाया प्रतिबंध

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बोले CM सरमा- रेस्टोरेंट-होटल में नहीं परोसा जाएगा, सावर्जनिक जगहों/कार्यक्रमों में नहीं खा सकेंगे

असम की बीजेपी सरकार ने गोमांस के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने 4 दिसंबर 2024 को इसकी घोषणा की। उन्होंने बताया कि अब राज्य के रेस्तरां और होटलों में गोमांस परोसने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सार्वजनिक जगहों और सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी इसका इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।

राज्य कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि गोहत्या को रोकने के लिए हम तीन साल पहले कानून लाए थे। इससे गोहत्या रोकने में काफी कामयाबी मिली है। अब यह निर्णय लिया गया है कि राज्य के होटल, रेस्तरा और सार्वजनिक जगहों पर गोमांस खाने और परोसने पर पाबंदी लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि पहले यह मंदिर के 5 किलोमीटर के दायरे में गोमांस खाने पर प्रतिबंध लगा गया था। लेकिन अब इसे पूरे राज्य में लागू कर इसका दायरा बढ़ा दिया गया है।

असम सरकार ने गोमांस को प्रतिबंधित करने का यह फैसला ऐसे समय में किया है जब सामागुरी उपचुनाव के नतीजों के बाद इस मुद्दे पर बीजेपी और कॉन्ग्रेस के बीच जुबानी तकरार चल रही है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने कॉन्ग्रेस को चुनौती देते हुए कहा था कि वह समर्थन दे तो उनकी सरकार राज्य में पूर्ण रूप से गोमांस पर पाबंदी लगा देगी।

असल में सामागुरी में बीजेपी की जीत के बाद कॉन्ग्रेस नेता रकीबुल हुसैन ने गोमांस बाँटने के आरोप लगाए थे। कहा था कि इसी कारण बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली है। रकीबुल हुसैन पिछले लगभग ढाई दशक से सामागुरी से विधायक थे। लोकसभा चुनाव में वे धुबरी से सांसद बन गए थे। इसके बाद उपचुनावों में इस सीट से कॉन्ग्रेस ने उनके बेटे तंजील हुसैन को मैदान में उतारा था। लेकिन करीब 60 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाली इस सीट को कॉन्ग्रेस बचा नहीं सकी।

रकीबुल हुसैन के आरोपों पर मुख्यमंत्री सरमा ने पूछा था कि क्या कॉन्ग्रेस अब तक गोमांस बाँट कर सामागुरी में जीत रही थी? उन्होंने कहा था, क्या सामागुरी सीट गोमांस बाँट कर जीती जा सकती है। अगर ऐसा है तो क्या कॉन्ग्रेस अब तक सामागुरी सीट गोमांस बाँट कर जीत रही थी? कॉन्ग्रेस नेता रकीबुल हुसैन सामागुरी सीट को अच्छी तरह से जानते हैं, इसलिए उन्हें पता होगा।

साथ ही उन्होंने कहा था कि वे राज्य में गोमांस पर बैन लगाने को तैयार हैं, बशर्ते इसके लिए असम कॉन्ग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा सहमत हों। उन्होंने कहा कि अगर रिपुन बोरा सहमत हों तो अगली विधानसभा की बैठक में ही गोमांस पर बैन लगा दिया जाएगा।

बीजेपी हाईकमान के सामने शिंदे हुए नतमस्तक

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मुंबई : महाराष्ट्र में महायुति की बंपर जीत के बाद भी मामला सीएम पद पर आकर अटक गया। मुख्यमंत्री रहे एकनाथ शिंदे पीछे हटने को तैयार नहीं थे और सबसे बड़ी पार्टी बनकर अभरी बीजेपी मौका नहीं गंवाना चाहती थी। ऐसे में मुंबई से लेकर दिल्ली तक बैठकों के कई दौर चले। हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने महायुति की बैठक की और बात फाइनल की। इस दौरान एकनाथ शिंदे ने सीएम पद पर दावा किया लेकिन इसे दरकिनार कर दिया गया। तय हुआ कि बीजेपी का ही मुख्यमंत्री बनेगा। बैठक में मौजूद एक सीनियर नेता ने कहा कि एकनाथ शिंदे ने अमित शाह से यहां तक कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बना दें, भले ही 6 महीने के लिए ही सही।
एकनाथ शिंदे की तमाम कोशिशों और बार-बार कहने के बाद भी बीजेपी नेतृत्व ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। बीजेपी हाईकमान ने कहा कि अगर उन्हें सीएम बनाएंगे तो इससे गलत मिसाल कायम होगी।

शिंदे को बीजेपी हाईकमान ने दिया जवाब

वरिष्ठ नेता ने भाजपा पदाधिकारियों का हवाला देते हुए कहा, ‘छह महीने के लिए मुख्यमंत्री नियुक्त करने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह एक गलत निर्णय होगा और इसका प्रशासन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।’ यह बैठक 28 नवंबर को दिल्ली में हुई थी, जिसके एक दिन पहले शिंदे ने कहा था कि वह सरकार गठन में बाधा नहीं बनेंगे और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय को अंतिम मानेंगे।

शिंदे ने बीजेपी का याद दिलाया वादा

इस बैठक में भाजपा पदाधिकारी देवेंद्र फडणवीस, एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार, इसके कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और इसके राज्य प्रमुख सुनील तटकरे भी शामिल हुए थे। राजनेता के अनुसार, शिंदे ने शुरू में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को लोकसभा चुनाव के बाद और विधानसभा चुनावों से पहले किए गए कथित वादे की याद दिलाई। शिंदे ने कहा कि वादा किया गया था कि अगर गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलता है, तो उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में बरकरार रखा जाएगा।

बीजेपी ने शिंदे को किया खारिज

एकनाथ शिंदे के अनुरोध को इस आधार पर पूरी तरह से खारिज कर दिया गया कि जब भाजपा ने 288 सदस्यीय सदन में लगभग स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है, तो उन्हें पद देना गलत होगा। भाजपा ने 132 सीटें जीतीं, शिवसेना ने 57 और एनसी ने। 2014 में, भाजपा ने 122 सीटें हासिल की थीं और फडणवीस को एनसीपी के बाहरी समर्थन से सीएम के रूप में चुना गया था।

बीजेपी के जवाब से हैरान हुए शिंदे

राजनेता ने कहा कि जवाब में, शिंदे को खुद को भाजपा अध्यक्ष के स्थान पर रखने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा, ‘भाजपा नेतृत्व ने शिंदे से कहा: ‘क्या आप स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने पर सीएम पद का दावा छोड़ देंगे?’ शिंदे अवाक रह गए।’ कथित तौर पर विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से शिंदे ने खुद के लिए जोरदार वकालत शुरू कर दी थी, लेकिन फडणवीस ने स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाए जाने की कोई गुंजाइश नहीं है।

मंत्रिमंडल पर फैसला आज

राजनेता ने कहा कि मंत्रिमंडल कितना बड़ा होगा, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। बुधवार को भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद इस पर फैसला हो सकता है। दिल्ली बैठक के एक दिन बाद शिंदे खराब स्वास्थ्य के कारण सतारा में अपने पैतृक गांव चले गए थे और रविवार को मुंबई लौट आए। वापस लौटने पर उन्होंने दोहराया कि वह अगले मुख्यमंत्री के बारे में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए गए किसी भी निर्णय का समर्थन करेंगे और वह, फडणवीस और अजित पवार मिलकर सत्ता बंटवारे से संबंधित कई मुद्दों को सुलझाएंगे।

शशि मिश्रा From NBT

 

संभल हिंसा में सामने आया PAK कनेक्शन

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संभल. उत्‍तर प्रदेश में संभल हिंसा की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. यहां फोरेंसिक जांच टीम और अन्‍य जांच कर्ताओं को मस्जिद के पास की नालियों में पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के 9 MM का 1 खोखा मिला है. सूत्रों ने यह खुलासा करते हुए बताया है कि यहां हड़कंप मचा हुआ है. एएसपी श्रीश चंद्र, सीओ संभल अनुज चौधरी, सीओ असमोली आलोक कुमार सिद्धू और अन्य अधिकारी भी मौके पर मौजूद हैं. पाकिस्‍तानी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के कारतूस मिलने से सनसनी मच गई है और केंद्रीय जांच एजेंसियां भी अलर्ट हो गईं हैं. वहीं इलाके में बुलडोजर एक्‍शन भी शुरू हो गया है. यहां करीब एक महीने से रोज बुलडोजर गरज रहा है. यह कार्रवाई चांद सी चंदौसी के तहत हो रही है. इसमें बुलडोजर एक्शन से अवैध निर्माण हटाया जा रहा है. यहां कस्बा चंदौसी में अतिक्रमण तोड़े जा रहे हैं.

संभल के एसपी केके विश्‍नोई ने जांच और सर्च ऑपरेशन के दौरान फोरेंसिक टीम और नगर निगम के लोगों को एक फायर किया हुआ POF 9MM 68-26 का खोखा, एक FN स्टार का खोखा जिस पर स्ट्राइकर पिन का निशान है, एक मेड इन USA 12MM बोर का कारतूस मिला है. यहां से कुल 6 फायर किए हुए कारतूस मिले हैं. इसको लेकर अब कल भी जांच और सर्च ऑपरेशन चलाया जाएगा.

प्रधानमंत्री ने तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) अधिनियम 1948 में प्रस्तावित संशोधनों के पारित होने  की सराहना की

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Delhi प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज राज्यसभा में तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकासअधिनियम 1948 में प्रस्तावित संशोधनों के पारित होने की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कानून हैजो ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देगा और समृद्ध भारत में भी योगदान देगा।

एक्स पर किए गए केंद्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी के एक पोस्ट का जवाब देते हुए श्री मोदी ने लिखा:

“यह एक महत्वपूर्ण कानून है, जो ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देगा और समृद्ध भारत में भी योगदान देगा।”

महाराष्ट्र: फडणवीस से मुलाकात के बाद एकनाथ शिंदे ने छोड़ी गृह मंत्रालय की जिद

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मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। नाराजगी की खबरों के बीच एकनाथ शिंदे से मुलाकात करने के लिए खुद देवेंद्र फडणवीस पहुंचे। नाराजगी की खबर के बाद शिंदे और फडणवीस की ये पहली मुलाकात है। ये मुलाकात वर्षा बंगले पर हुई है। मुलाकात के बाद ये जानकारी सामने आई कि शिंदे ने गृह मंत्रालय की जिद छोड़ दी है। 5 दिसंबर को वह डिप्टी CM पद की शपथ लेंगे।

हालही में हॉस्पिटल में एडमिट हुए थे शिंदे

हालही में कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें जूपिटर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा आज या कल हो सकती है और उससे पहले राजनीतिक गलियारे में कुछ भी हो सकता है। आज ही महायुति की एक अहम बैठक होने वाली थी जिससे पहले शिंदे की तबीयत बिगड़ गई। एकनाथ शिंदे को डॉक्टर्स ने कुछ टेस्ट कराने के लिए कहा है। एकनाथ शिंदे के बेटे और सांसद श्रीकांत शिंदे भी एकनाथ शिंदे के साथ हैं। डॉक्टर्स की टीम कुछ टेस्ट करेगी और फिर रिपोर्ट देगी। शिंदे लगातार बुखार और गले में संक्रमण की वजह से परेशान हैं।

हालांकि अपने स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर महाराष्ट्र के कार्यवाहक सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि वो बढ़िया हैं। सूत्रों के मुताबिक महायुति की जीत के बाद एकनाथ शिंदे का सम्मान नही रखा जा रहा है और शपथ विधि की तारीख , स्थान निश्चित करने और अन्य फैसले लेते वक्त उनसे पूछा नहीं गया, गृह विभाग सहित मान सम्मान को लेकर भी एकनाथ शिंदे और उनके विधायक नाराज हैं।

महायुति की होने वाली है बैठक

बता दें कि महायुति की ये बैठक एकनाथ शिंदे के सरकारी बंगले वर्षा पर आज दोपहर तीन बजे होने वाली थी। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार, तीनों नेताओं के शामिल होने की चर्चा थी। इस बैठक में मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर फैसला होने की संभावना जताई गई थी। वहीं महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान बीजेपी विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद किया जाएगा।