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आदिनाथ जन्मकल्याणक 22 मार्च 2025 सभ्यता और संस्कृति के संस्थापक भगवान आदिनाथ

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(संदीप सृजन-विभूति फीचर्स)

जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ, जिन्हें ऋषभनाथ, ऋषभदेव या आदिनाथ के नाम से जाना जाता है, उन्होंने न केवल आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि मानव सभ्यता को एक सुसंस्कृत और संगठित रूप देने में भी अतुलनीय योगदान दिया। उन्हें संसार में कर्म, कर्तव्य और कला का संस्थापक माना जाता है। क्योंकि उन्होंने मानव जीवन को जीने की कला, सामाजिक व्यवस्था की नींव, और विभिन्न व्यावहारिक कौशलों का ज्ञान प्रदान किया।

जैन ग्रंथों में भगवान आदिनाथ को एक ऐसे युग-प्रवर्तक के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने उस समय के असंगठित और अज्ञानी समाज को सभ्यता की ओर अग्रसर किया। भगवान आदिनाथ का जन्म त्रेतायुग में हुआ था। यह वह समय था जब धरती पर मानव जीवन अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में था। वे अयोध्या के कुलकर नाभिराय और रानी मरुदेवी के पुत्र थे। जैन ग्रंथ आदिपुराण और त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र में उनके जन्म और जीवन की घटनाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। उनका जन्म चैत्र मास की कृष्ण अष्टमी को हुआ था, और उनके जन्म के साथ ही प्रकृति में शुभ संकेत देखे गए थे। उनके पिता नाभिराय आदर्श शासक थे, और उनकी माता मरुदेवी एक आदर्श नारी के रूप में जानी जाती थीं। भगवान ऋषभदेव का बचपन और युवावस्था राजसी वैभव में बीती। उन्होंने युवावस्था में सुनंदा से विवाह किया और उनके कई पुत्र-पुत्रियाँ हुईं, जिनमें भरत, बाहुबली, सुंदरी और ब्राह्मी प्रसिद्ध हैं। एक राजा के रूप में उन्होंने अपने राज्य को समृद्धि और शांति की ओर ले गए। योग्य समय जानकर संन्यास लेने का निर्णय लिया और अपने पुत्र भरत को राज्य सौंप दिया।

जैन परंपरा में यह माना जाता है कि भगवान आदिनाथ ने मानवता को 72 पुरुष कलाओं और 64 स्त्री-कलाओं की शिक्षा दी। उस समय तक लोग जंगलों में रहते थे, प्रकृति पर निर्भर थे, और उनके पास जीवन को व्यवस्थित करने का कोई ज्ञान नहीं था। भगवान आदिनाथ ने उन्हें सभ्यता की ओर ले जाने के लिए कई महत्वपूर्ण कौशल सिखाए। जिनमें असि, मसि और कृषि का उल्लेख विशेष रूप से मिलता है।

कृषि कला – मानव इतिहास में खेती की शुरुआत को भगवान आदिनाथ से जोड़ा जाता है। उन्होंने लोगों को बीज बोना, फसल उगाना, और भोजन को संरक्षित करना सिखाया। इससे पहले लोग केवल फल और कंद-मूल इकट्ठा करते थे, लेकिन कृषि ने उन्हें आत्म-निर्भर बनाया। यह कला आज भी मानव जीवन का आधार है।

लेखन और लिपि- जैन ग्रंथों में उल्लेख है कि भगवान आदिनाथ की पुत्री ब्राह्मी को उन्होंने लेखन कला सिखाई, जिसके कारण प्राचीन ब्राह्मी लिपि का नामकरण हुआ। यह लिपि ज्ञान को संरक्षित करने और अगली पीढ़ियों तक पहुँचाने का माध्यम बनी।

गणित और मापन- उनकी दूसरी पुत्री सुंदरी को गणित का ज्ञान दिया गया। संख्याओं और माप की समझ ने व्यापार, निर्माण, और सामाजिक संगठन को बल दिया।

हस्तशिल्प और निर्माण- सर्व प्रथम मिट्टी के बर्तन बनाना, घरों का निर्माण, और वस्त्र बुनाई जैसी कलाएँ भी उनकी देन थीं। इससे लोगों का जीवन अधिक सुविधाजनक और सौंदर्यपूर्ण हुआ।

संगीत और नृत्य- सांस्कृतिक विकास के लिए उन्होंने संगीत, नृत्य और कला के सौंदर्य पक्ष को भी प्रोत्साहित किया। यह मानव मन को शांति और आनंद देने का साधन बना।

भगवान आदिनाथ ने केवल व्यावहारिक कलाएँ ही नहीं सिखाईं, बल्कि समाज को संगठित करने के लिए नियम और व्यवस्थाएँ भी स्थापित कीं। उस समय तक लोग असंगठित समूहों में रहते थे, लेकिन उन्होंने विवाह प्रथा की शुरुआत की, जिससे परिवार का ढाँचा बना। उन्होंने समाज को तीन वर्गों – क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र – में विभाजित किया, जो उस समय की आवश्यकताओं के अनुसार कार्य-विभाजन का आधार था। इसके अलावा, उन्होंने राज्य संचालन के नियम बनाए और उनका पुत्र भरत पहला चक्रवर्ती सम्राट बना। भरत के नाम पर ही भारत देश का नाम पड़ा, जो उनके प्रभाव को दर्शाता है। आध्यात्मिक कला और तीर्थंकर के रूप में जीवन संन्यास लेने के बाद भगवान आदिनाथ ने कठोर तपस्या की। जैन ग्रंथों के अनुसार, उन्होंने एक वर्ष तक बिना भोजन और पानी के ध्यान किया और अंततः केवलज्ञान प्राप्त किया। केवलज्ञान वह अवस्था है जिसमें आत्मा सर्वज्ञ और सर्वदर्शी हो जाती है। इसके बाद उन्होंने अपनी पहली देशना दी, जिसमें उन्होंने अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, और आत्म-शुद्धि के सिद्धांत सिखाए। उनकी देशना सुनकर उनके पुत्र भरत और बाहुबली सहित लाखों लोगों ने संन्यास लिया। भगवान आदिनाथ के जीवन में उनकी साधना का प्रमुख स्थान शत्रुंजय नदी के किनारे रहा जो आज पालिताणा तीर्थ के नाम से जाना जाता है। जिसको महत्वपूर्ण सिद्ध क्षेत्र माना जाता है। उनकी निर्वाण-स्थली अष्टापद पर्वत मानी जाती है।

भगवान आदिनाथ द्वारा सिखाई गई कलाएँ केवल भौतिक कौशल तक सीमित नहीं थीं। इनमें एक गहरा दार्शनिक आधार भी था। उदाहरण के लिए, कृषि कला आत्म-निर्भरता और प्रकृति के साथ संतुलन का प्रतीक थी। लेखन कला ज्ञान के संरक्षण और प्रसार का माध्यम बनी। संगीत और नृत्य आत्मा को शांति और आनंद देने के साधन थे। इस तरह, उनकी हर कला जीवन को संपूर्णता और अर्थ देने वाली थी। आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिकता आज के युग में भगवान आदिनाथ की शिक्षाएँ और भी प्रासंगिक हो गई हैं। उनकी आत्म-निर्भरता की कला हमें आधुनिक उपभोक्तावाद से बचने की प्रेरणा देती है। उनकी अहिंसा और पर्यावरण के प्रति सम्मान की शिक्षा जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी समस्याओं के समाधान के लिए जरूरी है। उनकी सामाजिक व्यवस्था हमें संगठन और सहयोग की महत्ता सिखाती है। इस तरह, वे न केवल प्राचीन काल के लिए, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए भी प्रेरणा स्रोत हैं।

भगवान आदिनाथ प्रथम राजा, प्रथम शिक्षक, और प्रथम तीर्थंकर के रूप में मानवता के मार्गदर्शक बने। उनकी शिक्षाओं ने न केवल उस समय के समाज को बदला, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मजबूत नींव रखी। उनकी कलाएँ – चाहे वह कृषि हो, लेखन हो, या आध्यात्मिक चिंतन – मानव जीवन को समृद्ध करने वाली थीं। आज जब हम उनकी प्रतिमा के सामने नतमस्तक होते हैं, तो हमें उनके उस योगदान को याद करना चाहिए जिसने हमें सभ्यता और संस्कृति का उपहार दिया।(विभूति फीचर्स)

भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हाल के नीतिगत निर्णय और बजटीय प्रावधान

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कैबिनेट ने वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए बढ़े हुए आवंटन के साथ संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन के कार्यान्वयन को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज पशुधन क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को मंजूरी दे दी है। विकास कार्यक्रम योजना के केंद्रीय क्षेत्र घटक के रूप में संशोधित आरजीएम का कार्यान्वयन 1000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त परिव्यय के साथ किया जा रहा है, जो 2021-22 से 2025-26 तक 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान कुल 3400 करोड़ रुपये का परिव्यय है।

इसके साथ दो नई गतिविधियां जोड़ी गई हैं: (i) कुल 15000 बछियों के लिए 30 आवासीय सुविधाओं के निर्माण के लेकर कार्यान्वयन एजेंसियों को बछिया पालन केंद्रों की स्थापना के लिए पूंजीगत लागत का 35 प्रतिशत एकमुश्त सहायता और (ii) किसानों को उच्च आनुवंशिक योग्यता (एचजीएम) आईवीएफ बछिया खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना, ताकि ऐसी खरीद के लिए दूध संघों/वित्तीय संस्थानों/बैंकों से किसानों द्वारा लिए गए ऋण पर 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रदान किया जा सके। इससे अधिक पैदावार देने वाली नस्लों के व्यवस्थित इंडक्शन में मदद मिलेगी।

संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन को 15वें वित्त आयोग (2021-22 से 2025-26) के दौरान 3400 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ मंजूरी दी गई है।

यह योजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन की चल रही गतिविधियों को जारी रखने के लिए है – वीर्य केन्द्रों को मजबूत बनाना, कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क, बैल प्रजनन कार्यक्रम का कार्यान्वयन, लिंग-विशिष्ट वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम, कौशल विकास, किसान जागरूकता, उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना सहित नवीन गतिविधियों के लिए समर्थन, केन्द्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को मजबूत बनाना और इनमें से किसी भी गतिविधि में सहायता के पैटर्न में कोई बदलाव किए बिना केन्द्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को मजबूत बनाना।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के क्रियान्वयन एवं सरकार के अन्य प्रयासों से पिछले दस वर्षों में दूध उत्पादन में 63.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, साथ ही प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता जो 2013-14 में 307 ग्राम प्रतिदिन थी, वह 2023-24 में बढ़कर 471 ग्राम प्रतिदिन हो गई है। पिछले दस वर्षों में उत्पादकता में भी 26.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

आरजीएम के अंतर्गत राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (एनएआईपी) देश भर के 605 जिलों में किसानों के दरवाजे पर निःशुल्क कृत्रिम गर्भाधान (एआई) प्रदान करता है, जहां आधारभूत एआई कवरेज 50 प्रतिशत से कम है। अब तक 8.39 करोड़ से अधिक पशुओं को कवर किया गया है और 5.21 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं। आरजीएम प्रजनन में नवीनतम तकनीकी क्रियाकलाप को किसानों के दरवाजे तक लाने में भी सबसे आगे रहा है। देश भर में राज्य पशुधन बोर्डों (एसएलबी) या विश्वविद्यालयों के अंतर्गत कुल 22 इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं और 2541 से अधिक एचजीएम बछड़ों का जन्म हुआ है। आत्मनिर्भर प्रौद्योगिकी में दो अग्रणी कदम हैं – गौ चिप और महिष चिप, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और आईसीएआर के राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) द्वारा विकसित स्वदेशी गोजातीय पशुओं के लिए जीनोमिक चिप्स और एनडीडीबी द्वारा विकसित गौ सॉर्ट स्वदेशी रूप से विकसित लिंग वर्गीकृत वीर्य उत्पादन प्रौद्योगिकी।

इस योजना से दूध उत्पादन और उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे अंततः किसानों की आय में वृद्धि होगी। यह बैल उत्पादन में व्यवस्थित और वैज्ञानिक प्रयासों तथा स्वदेशी गोजातीय जीनोमिक चिप्स के विकास के माध्यम से भारत की स्वदेशी गोजातीय नस्लों के संरक्षण और परिरक्षण पर केंद्रित है। इसके अतिरिक्त, योजना के तहत की गई पहलों के कारण इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक स्थापित तकनीक बन गई है। इस पहल से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि डेयरी उद्योग में लगे 8.5 करोड़ किसानों की आजीविका में भी सुधार होगा।

 

 

सारांश

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजट के साथ संशोधित राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) को मंजूरी दी है।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पशुधन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को भी मंजूरी दे दी हैजिसके लिए 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त परिव्यय रखा गया है।
  • केंद्रीय बजट 2025-26 में कृषि को भारत के विकास का सबसे महत्वपूर्ण इंजन बताया गया है।
  • 1 जनवरी, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी।
  • 1 जनवरी, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 01.01.2025 से अगले आदेश तक की अवधि के लिए डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर एकमुश्त विशेष पैकेज के विस्तार को मंजूरी दी।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25 नवंबर, 2024 को 2481 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) शुरू करने को मंजूरी दी।
  • 3 अक्टूबर, 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत संचालित सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) को दो प्रमुख योजनाओं अर्थात प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई) और कृषोन्ति योजना (केवाई) में युक्तिसंगत बनाया गया है।
  • अक्टूबर, 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10,103 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन को मंजूरी दी।

परिचय

19 मार्च2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में कृषि, डेयरी और पशुपालन के विकास को आगे बढ़ाने के लिए दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए। कृषिपशुपालन और डेयरी भारत की अर्थव्यवस्था की आधारशिला हैं। ये क्षेत्र ग्रामीण रोजगार और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डेयरी विकास के लिए संशोधित राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीडीडी) को मंजूरी दे दी है, जो एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इसमें 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट शामिल है, जिससे 15वें वित्त आयोग की अवधि (2021-22 से 2025-26) के लिए कुल राशि 2,790 करोड़ रुपये हो जाएगी।

संशोधित एनपीडीडी के मुख्य उद्देश्य:

  • दूध की खरीद, प्रसंस्करण क्षमता और गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार।
  • किसानों के लिए बाजार तक बेहतर पहुंच और मूल्य संवर्धन के माध्यम से बेहतर मूल्य निर्धारण।
  • ग्रामीण आय और विकास को बढ़ाने के लिए डेयरी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाना।

 

संशोधित एनपीडीडी के घटक:

  1. घटक ए: डेयरी बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है।
  2. घटक बी: जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) के साथ साझेदारी में सहकारी समितियों (डीटीसी) के माध्यम से डेयरी का कार्य

संशोधित एनपीडीडी के अपेक्षित परिणाम:

  • 10,000 नई डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना।
  • अतिरिक्त 3.2 लाख रोजगार के अवसर, जिनमें से 70 प्रतिशत महिलाएं लाभान्वित होंगी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पशुधन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को भी मंजूरी दे दी है, जिसमें 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त परिव्यय शामिल है, जिससे 15वें वित्त आयोग की अवधि (2021-22 से 2025-26) के लिए कुल बजट 3,400 करोड़ रुपये हो जाएगा।

 

संशोधित आरजीएम में प्रमुख संशोधन:

  1. बछिया पालन केन्द्र: 15,000 बछियों के लिए 30 पालन केन्द्र सुविधाएं स्थापित करने हेतु पूंजीगत लागत की 35 प्रतिशत की एकमुश्त सहायता
  2. उच्च आनुवंशिकता वाली (एचजीएम) बछियों के लिए सहायता: दूध संघों/वित्तीय संस्थानों से एचजीएम आईवीएफ बछिया की खरीद के लिए किसानों द्वारा लिए गए ऋण पर 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान

आरजीएम के अंतर्गत चल रही गतिविधियाँ:

  • सीमन केन्द्रों और कृत्रिम गर्भाधान (एआई) नेटवर्क को सुदृढ़ बनाना।
  • सैक्स सार्टेड सीमन का उपयोग करके बुल प्रोडक्शन और नस्ल सुधार
  • कौशल विकास और किसान जागरूकता कार्यक्रम।
  • उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना और केन्द्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को सुदृढ़ करना।

 

संशोधित आरजीएम के अपेक्षित परिणाम:

  • डेयरी व्यवसाय से जुड़े 8.5 करोड़ किसानों की आय में वृद्धि।
  • देशी गोजातीय नस्लों का वैज्ञानिक संरक्षण।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। जैविक उपज, मूल्यवर्धित डेयरी उत्पादों और टिकाऊ कृषि पद्धतियों की बढ़ती वैश्विक मांग के साथ, सरकार ने उत्पादकता, बुनियादी ढांचे और किसानों के लिए बाजार पहुंच बढ़ाने पर नए सिरे से जोर दिया है। पिछले छह महीनों में केंद्र सरकार ने इन क्षेत्रों के आधुनिकीकरण के उद्देश्य से प्रमुख नीतिगत निर्णय लिए हैं। लक्षित निवेशविनियामक सहायता और बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से सरकार किसानों की आय में सुधार करना, पशुधन में रोग नियंत्रण सुनिश्चित करना और छोटे और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सहकारी आंदोलनों को बढ़ावा देना चाहती है। इस विज़न का एक महत्वपूर्ण घटक केंद्रीय बजट 2024-25 है, जिसमें कृषिपशु स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के लिए पर्याप्त आवंटन किया गया है।

 

केंद्रीय बजट 2024-25 में कृषिपशुपालन और डेयरी के प्रावधान

केंद्रीय बजट 2025-26 में कृषि को भारत के विकास का सबसे महत्वपूर्ण इंजन बताया गया है, जिसमें उत्पादकता में सुधार, किसानों की आय, ग्रामीण बुनियादी ढांचे और प्रमुख वस्तुओं में आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ये प्रावधान पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन पर भी लागू होंगे, जिससे प्राथमिक क्षेत्र में समग्र विकास सुनिश्चित होगा।

 

  1. कृषि क्षेत्र के प्रावधान

 

    1. प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना
  • 100 कम उत्पादकता वाले जिलों को लक्षित करके बनाई गई नई योजना।
  • कृषि उत्पादकता बढ़ाने, फसल विविधीकरण, टिकाऊ प्रथाओं, सिंचाई और कटाई के बाद भंडारण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • इससे 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलने की संभावना है।

 

1.2 ग्रामीण समृद्धि और प्रतिकूलन कार्यक्रम

  • कृषि में अल्परोजगार को संबोधित करने के लिए एक बहु-क्षेत्रीय पहल।
  • कौशल, निवेश और प्रौद्योगिकी-संचालित परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करना।
  • चरण-1 में 100 कृषि जिले शामिल किए जाएंगे।

 

1.3 दलहनों में आत्मनिर्भर भारत मिशन

  • छह साल का मिशन, तुअर, उड़द और मसूर पर केंद्रित।
  • जलवायु-अनुकूल बीज विकास और प्रोटीन संवर्धन।
  • चार वर्षों तक नैफेड और एनसीसीएफ द्वारा खरीद के माध्यम से लाभकारी मूल्यों का आश्वासन।

 

1.4 सब्जियों और फलों के लिए व्यापक कार्यक्रम

  • कुशल आपूर्ति श्रृंखला के साथ सब्जी और फल उत्पादन को बढ़ावा देना।
  • मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण और बेहतर बाजार मूल्य सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना।
  • राज्यों और कृषक उत्पादक संगठनों के साथ साझेदारी में कार्यान्वयन।

 

1.5 उच्च उपज वाले बीजों पर राष्ट्रीय मिशन

  • उच्च उपज देने वाले, कीट प्रतिरोधी और जलवायु अनुकूल बीजों के लिए अनुसंधान को मजबूत करना।
  • जुलाई 2024 से 100 से अधिक बीज किस्मों की व्यावसायिक उपलब्धता जारी की गई।

 

1.6 कपास उत्पादन मिशन

  • कपास उत्पादन और स्थायित्व में सुधार हेतु पांच वर्षीय मिशन।
  • कपास किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अतिरिक्त लंबे स्टेपल वाले कपास को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • कपड़ा क्षेत्र के विकास के लिए 5एफ विजन के साथ संरेखण।

 

1.7 किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋण सीमा में वृद्धि

  • संशोधित ब्याज सब्सिडी योजना के अंतर्गत ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है।
  • इससे 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है।

 

1.8 असम में यूरिया संयंत्र

  • असम के नामरूप में 12.7 लाख मीट्रिक टन वार्षिक क्षमता वाला एक नया यूरिया संयंत्र।
  • इससे यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ने की उम्मीद है।

 

  1. पशुपालन और डेयरी

 

2.1 बिहार में मखाना बोर्ड

  • मखाना के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन के लिए एक समर्पित बोर्ड की स्थापना।
  • मखाना किसानों को किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) में संगठित करना।

2.2 मत्स्य पालन विकास ढांचा

  • अंडमान एवं निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीपसमूह पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र और उच्च समुद्र से मत्स्य पालन का सतत उपयोग।
  • समुद्री क्षेत्र से क्षमता में वृद्धि तथा निर्यात में वृद्धि होने की उम्मीद है।

 

  1. ऋण और वित्तीय समावेशन

3.1 ग्रामीण क्रेडिट स्कोर

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को स्वयं सहायता समूह के सदस्यों और ग्रामीण ऋण आवश्यकताओं के लिए एक ढांचा विकसित करना चाहिए।

3.2 सूक्ष्म उद्यमों को ऋण का विस्तार

  • उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत सूक्ष्म उद्यमों के लिए 5 लाख रुपये की सीमा वाले कस्टमाइज्ड क्रेडिट कार्ड की शुरुआत।
  • पहले वर्ष में दस लाख कार्ड जारी किये जायेंगे।

 

  1. अनुसंधान और बुनियादी ढांचे का विकास

4.1 फसल जर्मप्लाज्म के लिए जीन बैंक

  • भविष्य में खाद्य आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए 10 लाख जर्मप्लाज्म लाइनों वाला दूसरा जीन बैंक।

 

4.2 कृषि में अनुसंधान और विकास

  • निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान एवं विकास के लिए बेहतर समर्थन।

कृषि, पशुपालन और डेयरी के लिए केंद्रीय बजट 2025-26 के प्रावधान कृषि उत्पादन बढ़ानेकिसानों के लिए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने और संबंधित क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

 

अक्टूबर 2024 से कैबिनेट के निर्णयों का अवलोकन

  1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) को जारी रखना

जनवरी, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021-22 से 2025-26 तक 69,515.71 करोड़ रुपये के समग्र परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को 2025-26 तक जारी रखने की मंज़ूरी दी। इस निर्णय से देश भर के किसानों को अपरिहार्य प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध फसल जोखिम कवरेज में मदद मिलेगी।

 

 

इसके अतिरिक्त, योजना के कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर एकीकरण के परिणामस्वरूप पारदर्शिता और दावा गणना एवं निपटान में वृद्धि के लिए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 824.77 करोड़ रुपये के नवाचार एवं प्रौद्योगिकी कोष (एफआईएटी) की स्थापना को भी मंजूरी दी है।

 

  1. डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर एकमुश्त विशेष पैकेज का विस्तार

जनवरी, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किसानों को किफायती कीमतों पर डीएपी की सतत उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 01.01.2025 से अगले आदेश तक की अवधि के लिए डी-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर 3,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की एनबीएस सब्सिडी से परे एकमुश्त विशेष पैकेज के विस्तार के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसानों को उचित मूल्य पर डीएपी उपलब्ध कराया जाए। उपरोक्त के लिए अनंतिम बजट आवश्यकता लगभग 3,850 करोड़ रुपये होगी।

 

  1. 2025 सीजन के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 20 दिसंबर2024 को 2025 सीजन के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अपनी मंजूरी दे दी है। सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2014 के लिए मिलिंग कोपरा और बॉल कोपरा के लिए एमएसपी को 5250 रुपये प्रति क्विंटल और 5500 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर मार्केटिंग सीजन 2025 के लिए 11582 रुपये प्रति क्विंटल और 12100 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जो क्रमशः 121 प्रतिशत और 120 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करता है। उच्च एमएसपी से न केवल नारियल किसानों को बेहतर लाभ सुनिश्चित होगा, बल्कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नारियल उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए किसानों को कोपरा उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा।

 

  1. राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन का शुभारंभ

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25 नवंबर, 2024 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत केंद्र समर्थित योजना के रूप में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) शुरू करने को मंजूरी दी। इस योजना का 15वें वित्त आयोग (2025-26) तक कुल परिव्यय 2481 करोड़ रुपये (भारत सरकार का हिस्सा – 1584 करोड़ रुपये; राज्य का हिस्सा – 897 करोड़ रुपये) है।

 

  • राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) सुरक्षितपौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने और बाहरी इनपुट पर किसानों की निर्भरता कम करने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य मृदा स्वास्थ्यजैव विविधताजलवायु लचीलापन और टिकाऊ कृषि को बढ़ाना है।
  • प्राकृतिक खेती (एनएफ) पारंपरिक ज्ञान, स्थानीय कृषि-पारिस्थितिक सिद्धांतों और विविध फसल प्रणालियों पर आधारित एक रसायन मुक्त कृषि पद्धति है।
  • एनएफ इनपुट लागतमिट्टी के क्षरण और उर्वरकों और कीटनाशकों से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को कम करता है, जिससे पौष्टिक भोजन और जलवायु लचीलापन सुनिश्चित होता है।

 

 

  1. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई) और कृषोन्ति योजना (केवाई) का शुभारंभ

3 अक्टूबर2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसके तहत कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित सभी केंद्र समर्थित योजनाओं (सीएसएस) अर्थात् प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई) और कृषोन्ति योजना (केवाई) को दो व्यापक योजनाओं में परिवर्तित किया जाएगा।

 

पीएम-आरकेवीवाई टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देगी, जबकि केवाई खाद्य सुरक्षा और कृषि आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करेगी। पीएम-आरकेवीवाई और केवाई को 1,01,321.61 करोड़ रुपये के कुल प्रस्तावित परिव्यय के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है। इन योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। कुल प्रस्तावित व्यय 1,01,321.61 करोड़ रुपये में से डीए एंड एफडब्ल्यू के केंद्रीय हिस्से का अनुमानित व्यय 69,088.98 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 32,232.63 करोड़ रुपये है। इसमें आरकेवीवाई के लिए 57,074.72 करोड़ रुपये और केवाई के लिए 44,246.89 करोड़ रुपये शामिल हैं।

 

  1. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन को मंजूरी

3 अक्टूबर2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (एनएमईओ – तिलहन) को मंजूरी दी, जो घरेलू तिलहन उत्पादन बढ़ाने और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल है। इस मिशन को 2024-25 से 2030-31 तक सात वर्षों की अवधि में कार्यान्वित किया जाएगा, जिसका वित्तीय परिव्यय 10,103 करोड़ रुपये होगा।

 

मिशन का लक्ष्य तिलहन का प्राथमिक उत्पादन 39 मिलियन टन (2022-23) से बढ़ाकर 2030-31 तक 69.7 मिलियन टन करना है। एनएमईओ-ओपी (ऑयल पाम) के साथ मिलकर, मिशन का लक्ष्य 2030-31 तक घरेलू खाद्य तेल उत्पादन को 25.45 मिलियन टन तक बढ़ाना है, जिससे हमारी अनुमानित घरेलू आवश्यकताओं का लगभग 72 प्रतिशत पूरा हो सकेगा।

 

भारत सरकार द्वारा कृषिडेयरी और पशुधन के लिए कल्याणकारी योजनाएं

  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान): 2019 में शुरू की गई पीएम-किसान एक आय सहायता योजना है जो 3 समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये प्रदान करती है। अब तक 18 किस्तों के माध्यम से 11 करोड़ से अधिक किसानों को 3.46 लाख करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि वितरित की जा चुकी है। 24 फरवरी 2025 को सरकार ने पीएम-किसान योजना की 19वीं किस्त जारी की। 19वीं किस्त जारी होने से देश भर में 2.41 करोड़ महिला किसानों सहित 9.8 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित होंगे, जिन्हें बिना किसी बिचौलिए की भागीदारी के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्राप्त होगी।

 

 

  • प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना: पीएमकेएमवाई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, यह 18 से 40 वर्ष की आयु वर्ग के लिए एक स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 3000/- रुपये मासिक पेंशन का प्रावधान है, जो पात्रता मानदंडों के अधीन है।  योजना के शुभारंभ के बाद से, 24.67 लाख से अधिक छोटे और सीमांत किसान पीएमकेएमवाई योजना में शामिल हो चुके हैं।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: किसानों के लिए उच्च प्रीमियम दरों और बीमा राशि में कमी की समस्याओं को दूर करने के लिए 2016 में पीएमएफबीवाई शुरू की गई थी। पीएमएफबीवाई के कार्यान्वयन के पिछले 8 वर्षों में, 63.11 करोड़ किसान आवेदन पंजीकृत किए गए हैं और 18.52 करोड़ (अनंतिम) किसान आवेदकों को 1,65,149 करोड़ रुपये से अधिक के दावे प्राप्त हुए हैं। इस अवधि के दौरान किसानों द्वारा अपने अंश प्रीमियम के रूप में लगभग 32,482 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिसके विरूद्ध उन्हें 1,65,149 करोड़ रुपये से अधिक के दावों (अनंतिम) का भुगतान किया जा चुका है। इस प्रकार, किसानों द्वारा भुगतान किये गये प्रत्येक 100 रुपये के प्रीमियम पर उन्हें दावे के रूप में लगभग 508 रुपये प्राप्त हुए।

  • राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम): यह योजना रोजगार सृजन, उद्यमिता के विकास पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य प्रति पशु उत्पादकता बढ़ाना है और इस प्रकार मांस, बकरी के दूध, अंडे और ऊन के उत्पादन को बढ़ावा देना है। वर्ष 2024-25 के दौरान इस मिशन के लिए 324 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
  • पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ): इस योजना की परिकल्पना व्यक्तिगत उद्यमियों, निजी कंपनियों, एमएसएमई, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और धारा 8 कंपनियों द्वारा डेयरी प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन, मांस प्रसंस्करण, खेतों, पशु चारा संयंत्र, वैक्सीन अवसंरचना और अपशिष्ट से धन प्रबंधन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना में सुधार के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इसके अतिरिक्त, डेयरी अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ) को एएचआईडीएफ में विलय कर दिया गया है और संशोधित राशि अब 29610 करोड़ रुपये है।
  • राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) 2019 में शुरू किया गया था, जो विश्व स्तर पर अपनी तरह का सबसे बड़ा कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य 2030 तक एफएमडी और ब्रुसेलोसिस को खत्म करना है। मवेशियों और भैंसों में खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी) के खिलाफ अब तक 99.71 करोड़ से अधिक टीके लगाए गए हैं, जिससे 7.18 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं।

 

निष्कर्ष

हाल के सरकारी निर्णय और बजट प्रावधान कृषि, पशुधन और डेयरी क्षेत्रों में आधुनिकीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास और स्थिरता की दिशा में मजबूत प्रयास को दर्शाते हैं। रोग नियंत्रण, सहकार को मजबूत करने और तकनीकी नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने से उत्पादकता और किसानों की आय में सुधार करने में मदद मिलेगी, जिससे इन प्रमुख क्षेत्रों का दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित होगा।

महाराष्ट्र में गौ तस्करी पर लगेगा मकोका, सीएम फडणवीस

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मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा में आज मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की. उन्होंने कहा कि अगर कोई आरोपी गौ तस्करी के आरोप में बार-बार पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार गौ तस्करी पर कड़ी नजर रखे हुए है और इस अपराध को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने यह भी साफ किया कि यदि कोई शख्स बार-बार गौ तस्करी में शामिल पाया जाता है, तो उसके खिलाफ मकोका जैसे सख्त कानून का उपयोग किया जाएगा, ताकि उसे कठोर सजा मिल सके और वह समाज के लिए खतरे का कारण न बने.

इस फैसले से राज्य की प्रतिबद्धता का पता चलता है कि वह ऐसे अवैध काम को सख्त कानूनी उपायों से रोकने के लिए तैयार है. यह घोषणा महाराष्ट्र विधानसभा के सत्र के दौरान की गई, जहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के विधायक संग्राम जगताप ने गाय की तस्करी में शामिल आदतन अपराधियों के बारे में चिंता जताई. जगताप ने अहिल्यानगर जिले के अतीक कुरैशी का मामला उठाया, जिसके खिलाफ 20 मामले दर्ज हैं. 20 जनवरी को गिरफ्तारी के बावजूद, कुरैशी को 1 मार्च तक जमानत पर रिहा कर दिया गया, जिससे मौजूदा कानूनी निवारकों की प्रभावशीलता पर सवाल उठे.

गाय के तस्करों को कड़ी सजा दिलाने की कोशिश
इन चिंताओं का जवाब देते हुए, राज्य के गृह (ग्रामीण) मंत्री पंकज भोंयार ने विधानसभा को आश्वासन दिया कि कुरैशी जैसे बार-बार अपराध करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री फडणवीस गृह विभाग भी देखते हैं. देवेंद्र फडणवीस ने हस्तक्षेप करते हुए जोर दिया कि सरकार गाय की तस्करी के मामलों पर कड़ी नजर रख रही है और आदतन अपराधियों के खिलाफ MCOCA के प्रावधानों को लागू करने के लिए तैयार है ताकि उन्हें कड़ी सजा मिल सके.

राजेश विक्रांत को छत्रपति शिवाजी महाराज राष्ट्रीय एकता पुरस्कार

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मुंबई: जाने माने लेखक व व्यंग्यकार राजेश विक्रांत को महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित राज्य स्तरीय जीवन गौरव सम्मान छत्रपति शिवाजी महाराज राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से मंगलवार को बांद्रा पश्चिम के रंग शारदा आडिटोरियम में सम्मानित किया गया। सांस्कृतिक कार्य मंत्री आशीष शेलार ने उन्हें अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ एस पी दुबे, उपाध्यक्ष मंजू लोढ़ा, आर टी आई एक्टिविस्ट अनिल गलगली, साहित्यकार डॉ सुधाकर मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार विमल मिश्र तथा पूर्व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री की उपस्थिति में इस पुरस्कार के तहत स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र व 1 लाख रुपए की नकद राशि देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत सचिन निंबालकर, सह निदेशक व सदस्य सचिव अकादमी ने किया। संचालन आनंद सिंह व प्रसाद काथे ने किया। अमरजीत मिश्र ने आभार व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम में परदे के पीछे के संपादक राजीव रोहित, समाजसेवी रवि शुक्ला, प्रो संतोष तिवारी, राष्ट्रीय सहारा के ब्यूरो चीफ अभय मिश्र, धर्मेंद्र पांडेय, अनिल पांडेय, रवींद्र मिश्र, डॉ अरविंद धर द्विवेदी, डॉ नीता द्विवेदी, डॉ आलोक द्विवेदी, मनोरमा त्रिपाठी, के के त्रिपाठी, संजय अमान, नामदार राही, गिरिराज शुक्ला, राजकिशोर तिवारी, डॉ रमाकांत क्षितिज, चंदन तिवारी, गिरिजेश ओझा, उषा ओझा, अलका शुक्ला, शुभम तिवारी, डॉ दीनदयाल मुरारका, अखिलेश तिवारी, कवयित्री संगीता दुबे, पत्रकार मनीषा गुरव, प्रकाशक राम कुमार, डॉ महिमा, डॉ मुकेश गौतम, पर्यावरणविद व इनोवेटर प्रेम अग्रवाल, डॉ जितेंद्र पांडेय, श्री महाराष्ट्र रामलीला मण्डल के पदाधिकारीगण सुरेश द्वारिकानाथ मिश्र, श्रीनिवास मिश्र व रणजीत सिंह, आनंद श्रीवास्तव, श्री अजय शुक्ल बनारसी, पत्रकार श्रीश उपाध्याय, राकेश तिवारी, हरिनाथ यादव, कवि अनिल कुमार राही, विनय शर्मा दीप, रवि यादव, फोटोग्राफर अर्जुन कांबले, पत्रकार सरताज मेहदी, आनंद मिश्र, विपुल मीनावाला, गौरव ओझा, पंकज सिंह, सुदर्शन सिंह, डॉ नरोत्तम शर्मा, कवि राम सिंह, कवि अनिल कड़क, शिक्षाविद आर के सर समेत साहित्य व पत्रकारिता जगत की अनेक विशिष्ट हस्तियां मौजूद थी।
बता दें कि विविध विषयों पर देशभर की 50 से अधिक पत्र-पत्रिकाओं में अब तक विक्रांत के 15,000 से भी ज्यादा लेख प्रकाशित हो चुके हैं। व्यंग्य संग्रह “बतरस” के लिए महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा आचार्य रामचंद्र शुक्ल व्यंग्य पुरस्कार” से सम्मानित किया जा चुका है। उनके प्रकाशित कार्यो में सत्संग सार (संपादन-2001), मुंबई में एक और समंदर (संपादन-2005), कथा पुष्पांजलि (मराठी से हिंदी में अनुवाद-2012), हास्य से पगी यादें (मराठी से हिंदी में अनुवाद-2012), मुंबई माफिया: एक एन्साइक्लोपीडिया (मराठी से हिंदी में अनुवाद-2012), श्रीमत परमहंस अद्भुत चरित (संपादन-2013), महामंडलेश्वर विश्वेश्वरानंद गिरिजी महाराज गौरव ग्रंथ (सह-संपादन), अवधी ग्रन्थावली, खण्ड 6 शब्दकोश (संपादन मण्डल सदस्य), बतरस (2015), आमची मुंबई- 2019, अमेठी के मुंबईकर- 2019, कोरोना-डाउन-2021, आजादी की लड़ाई में मुंबई का योगदान ( आचार्य पवन त्रिपाठी के साथ सह लेखन- 2022), स्वातंत्र्य लढ्यातील मुंबईचे योगदान ( आचार्य पवन त्रिपाठी के साथ सह लेखन, मराठी, 2024) तथा मुंबई और हिंदी ( दीनदयाल मुरारका के साथ सह लेखन, 2024) प्रमुख है। इसके साथ ही उनकी 3 अन्य पुस्तकें प्रकाशकाधीन हैं- आमची मुंबई-2, रोम- रोम में राम: मुंबई में रामलीला के भगीरथ कर्मवीर पंडित शोभनाथ मिश्र की जीवन गाथा तथा दृश्य संचार। विक्रांत जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अभय मिश्र द्वारा संपादित पुस्तक “राजेश विक्रांत: व्यक्ति एक व्यक्तित्व अनेक” का अक्टूबर 2015 में “विकलांग की पुकार” द्वारा प्रकाशन हुआ है।

एक हसीना थी म्यूजिक वीडियो के एक्टर असीम पटवारी स्वयं को रखते हैं फिट

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निर्माता हरिओम शर्मा के म्यूजिक वीडियो सॉन्ग “एक हसीना थी” जल्द ही सारेगामा में रिलीज होने वाली है। इस म्यूजिक वीडियो सांग के मुख्य अभिनेता असीम पटवारी हैं जो मुम्बई के निवासी हैं। इनका जन्म और स्कूली शिक्षा गोवाहाटी, असम में हुई है और कॉलेज मुम्बई के नेशनल कॉलेज में पूर्ण हुआ है। यह उनका पहला प्रोजेक्ट है जिसको लेकर असीम बेहद उत्साहित हैं। इसके साथ ही नेटफ्लिक्स पर वेब सीरीज और एक म्यूजिक वीडियो सांग की शूटिंग भी जल्द आरम्भ होने वाली है। असीम को अभिनेता बनने का शुरू से शौक रहा। प्रारंभ में उन्होंने अपने पारिवारिक व्यवसाय में सहयोग किया लेकिन उनके अंदर का अभिनेता उन्हें अभिनय की दुनिया में ले आया। असीम ने स्वयं को फिट रखने के लिए टाइगर श्रॉफ के मैट्रिक्स जिम स्टायलर को ज्वॉइन किया और अपना दस किलो तक का वजन कम कर खुद को सुडौल बनाया उनकी यह जर्नी बड़ी दिलचस्प रही। उनके जिम कोच संदीप यादव हैं। असीम ने एक्टिंग क्लासेस ज्वॉइन किया ताकि उनका अभिनयकला में निखार आये। असीम कहते हैं कि यह उनका पहला प्रोजेक्ट रहा इसलिए शुरुआत में काफी नर्वस रहे लेकिन उनके कोरियोग्राफर और निर्देशक ने उनका पूरा समर्थन किया और प्रोत्साहित किया। कोई भी काम यदि नया और पहली बार किया जाए तो उसे समझने में वक़्त लगता है, समय और अनुभव इसमें सुधार लाते हैं जो स्ट्रगलर को परिपक्व बनाते हैं। असीम को जिम जाना और गाने सुनना बेहद पसंद है। उनका कहना है कि आप अपनी जिंदगी में जो लक्ष्य बनाते हो उसे पूरा करने का लगन भी रखो। किसी के जैसा बनने की कोशिश में अपना समय बर्बाद मत करो। किसी अन्य से स्वयं की तुलना मत करो बल्कि खुद को अपना बेस्ट दो और अपने आप को बेहतर से बेहतरीन बनाने की होड़ में लगा दो, आपकी मेहनत स्वतः ही सभी को नज़र आएगी।
असीम अपने म्यूजिक वीडियो सॉन्ग की शूटिंग के यादगार पलों को शेयर करते हुए बताते हैं कि शूटिंग के समय उनको अरेबिक ड्रेस पहनाया गया था जिसे पहनकर शूटिंग करना बेहद मनोरंजक और एक नए अनुभव से भरा रहा।
इस म्यूजिक वीडियो का निर्देशन रोहिन बनर्जी कर रहे हैं। यह म्यूजिक वीडियो सपना फिल्म प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले बन रही है। इस म्यूजिक वीडियो सॉन्ग में पुराने गाने को रीक्रिएट कर एक नई स्टोरी बनाई गई है। इन सांग की क्रिएटिव डायरेक्टर शुना शर्मा है।
इस म्यूजिक वीडियो सॉन्ग के निर्माता हरिओम शर्मा दूरदर्शन के लिए वसुंधरा सीरियल का निर्माण कर रहे हैं जिसमें इंडस्ट्री के कई बड़े और अनुभवी कलाकार काम कर रहे हैं।

ब्लू ड्रॅगन की सनबीम वेंचर्स के साथ साझेदारी

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मुंबई। दुनिया भर में असली थाई और एशियाई खाने के स्वाद के लिए मशहूर ब्लू ड्रॅगन ब्रांड ने अब सनबीम वेंचर्स के साथ साझेदारी कर भारत में अपने व्यापार का विस्तार किया है। सनबीम वेंचर्स एक प्रमुख फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स यानी तेजी से बिकने वाले उपभोक्ता उत्पादों के वितरण और विपणन की कंपनी है। २०१९ में भारत में अपनी वितरण प्रणाली शुरू करने के बाद से, ब्लू ड्रॅगन भारतीय ग्राहकों की पसंद के अनुसार अपने उत्पादों में बदलाव कर रहा है। अब कंपनी ने भारत में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है और अधिक ग्राहकों तक पहुंचने व भारत में बढ़ती एशियाई स्वादों की मांग को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

ब्लू ड्रॅगन के पास नूडल्स, सॉस, पेस्ट, मिल किट्स और नारियल दूध जैसे उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला है, जिससे भारतीय ग्राहक अब घर पर ही आसानी से और स्वादिष्ट एशियाई व्यंजन बना सकते हैं।

अब ग्राहकों को ये उत्पाद आसानी से उपलब्ध होंगे:

· इंस्टेंट कप नूडल्स (६ अलग-अलग फ्लेवर में) – सिर्फ ३ मिनट में झटपट तैयार होने वाले स्वादिष्ट नूडल्स।
· टॉम यम उत्पादों की श्रेणी – इसमें टॉम यम पेस्ट, टॉम यम मिल किट, टॉम यम सूप किट और टॉम यम नूडल कप्स शामिल हैं, जिन्हें अलग-अलग तरीकों से पकाने के लिए तैयार किया गया है।
· नूडल किट्स और करी किट्स – घर पर आसानी से बनने वाले असली थाई और एशियाई नूडल्स व करी।
· ड्राय नूडल्स – असली थाई स्वाद के साथ खास चुने गए पारंपरिक थाई नूडल्स।
· स्वादिष्ट सॉस और करी पेस्ट – घर के खाने को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए।
· नारियल दूध – करी, सूप और डेजर्ट के लिए बेहतरीन विकल्प।

ब्लू ड्रॅगन के बैंकॉक हब के जनरल मैनेजर बवॉर्न पकडीसुसुक ने इस व्यापार और साझेदारी के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘’ब्लू ड्रॅगन ने २०१९ में भारत में अपना व्यापार शुरू किया और इसके बाद मजबूत वितरण प्रणाली विकसित करने और स्थानीय ग्राहकों की पसंद को समझने पर हमारा पूरा ध्यान था। हालांकि, कोविड महामारी के कारण विस्तार की योजना में देरी हुई। अब हमने भारत में अपनी मजबूत नींव बना ली है और अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए उत्साहित हैं। भारतीय बाजार अब उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की ओर बढ़ रहा है। हम इस बढ़ती मांग का लाभ उठाकर बाजार में एक प्रमुख कंपनी बनने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। हमारा लक्ष्य भारतीय ग्राहकों से और मजबूत संबंध बनाना, हमारे उत्पादों की खासियत को साबित करना और व्यापार को आगे बढ़ाना है। हमारे उत्पादों में असली स्वाद, उच्च गुणवत्ता और आसान बनाने की सुविधा का बेहतरीन संतुलन है, जो भारतीय ग्राहकों के लिए एक शानदार विकल्प साबित होगा। हम सर्वोत्तम गुणवत्ता और सेवा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और भारत में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए तैयार हैं।”

२००४ से उच्च गुणवत्ता वाले उपभोक्ता उत्पादों के वितरण में विश्वसनीय नाम बने सनबीम वेंचर्स अब ब्लू ड्रॅगन ब्रांड के भारत में विस्तार की जिम्मेदारी निभा रहा है। सनबीम वेंचर्स के संस्थापक और निदेशक विकास सिंघल ने इस ब्रांड को भारत में लाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने मजबूत वितरण रणनीति तैयार की है और ग्राहकों के साथ सीधा संपर्क बढ़ाने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं।

ब्लू ड्रॅगन के उत्पाद अब भारत के ५० से अधिक शहरों और १५०० से अधिक प्रीमियम आउटलेट्स पर उपलब्ध हैं। अगले दो वर्षों में कंपनी १००% वृद्धि हासिल करने की योजना बना रही है। ग्राहकों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए ब्लू ड्रॅगन अपने विज्ञापन अभियान को बढ़ा रहा है और तेजी से डिलीवरी (क्विक कॉमर्स) प्लेटफॉर्म पर अधिक प्रचार कर रहा है। साथ ही, होटल, रेस्टोरेंट और कैटरिंग उद्योग के लिए विशेष बड़े पैकेजेस की योजना बना रहा है, जो बड़े पैमाने पर खरीदारी करने वाले व्यवसायों के लिए फायदेमंद होगा।

सनबीम वेंचर्स के संस्थापक विकास सिंघल ने कहा, “हम भारतीय ग्राहकों को असली थाई और सम्पूर्ण एशियाई व्यंजनों का स्वाद देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे खाना बनाना आसान, मजेदार और सुविधाजनक बन जाए। ब्लू ड्रॅगन केवल एक सॉस ब्रांड नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण भोजन के लिए एक बेहतरीन समाधान है। यह न केवल घर पर खाना बनाने वालों के लिए बल्कि जल्द और उच्च गुणवत्ता वाले खाने की तलाश करने वाले व्यस्त पेशेवरों के लिए भी एक आदर्श विकल्प है।”

ब्लू ड्रॅगन अपने उत्पादों की सर्वोत्तम गुणवत्ता और प्रामाणिकता बनाए रखने के लिए थाईलैंड और पूरे एशिया के प्रमुख विनिर्माण साझेदारों के साथ काम करता है। कंपनी खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों का कड़ाई से पालन करती है। ब्लू ड्रॅगन की उपस्थिति यूनाइटेड किंगडम, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और मेक्सिको में है, जहां यह कड़े गुणवत्ता परीक्षणों के आधार पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद वितरित करता है।

देहरादून में 43 अवैध मदरसे सील, मुख्यमंत्री धामी का सीधा प्रहार

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17मार्च 2025,सोमवार, देहरादून ,  देहरादून,16 मार्च, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में धर्म की आड़ में किए जा रहे अवैध कब्जों और असंवैधानिक गतिविधियों पर सबसे बड़ी कार्रवाई हुई है। देहरादून में अब तक 43 से अधिक अवैध रूप से संचालित मदरसों को सील किया गया है, जो इस बात का प्रमाण है कि धामी सरकार उत्तराखंड के मूल स्वरूप की रक्षा के लिए कोई समझौता नहीं करेगी।

सीएम धामी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा और भूगोल से छेड़छाड़ किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने प्रशासन को खुली छूट दी है कि जो भी धर्म की आड़ में अवैध गतिविधियों को अंजाम देगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए वह भी बिना किसी दबाव के। इस सख्त संदेश का असर यह हुआ है कि प्रशासन को पूरी छूट मिली है और उत्तराखंड में डेमोग्राफिक असंतुलन फैलाने की कोशिशों पर सीधा प्रहार हो रहा है।

43 से अधिक मदरसों पर ताला, बड़ी साजिश का पर्दाफाश

देहरादून प्रशासन ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाकर विकासनगर में 31, सदर में 9 और डोईवाला में 3 अवैध मदरसों को सील किया है। खुफिया रिपोर्टों में भी यह सामने आया है कि पछवादून क्षेत्र में मुस्लिम आबादी असामान्य गति से बढ़ी है, जिससे डेमोग्राफिक बदलाव की साजिश की आशंका जताई जा रही थी। धामी सरकार ने इस खतरे को भांपते हुए निर्णायक कदम उठाया और अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाकर स्पष्ट संदेश दिया कि उत्तराखंड में अब कोई भी अवैध गतिविधि पनपने नहीं दी जाएगी।

सीएम पुष्कर सिंह धामी के इस ऐतिहासिक फैसले को लेकर प्रदेश के कई संगठनों और जनसमूहों ने खुलकर समर्थन जताया है। धामी सरकार की इस सख्त कार्रवाई को उत्तराखंड की सांस्कृतिक और भौगोलिक अस्मिता की रक्षा के लिए जरूरी कदम बताया जा रहा है।

धामी सरकार का स्पष्ट संदेश है कि उत्तराखंड में अवैध कब्जों और डेमोग्राफिक बदलाव की साजिशें अब नहीं चलेंगी। जो भी प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत से छेड़छाड़ करेगा, उसे कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा।
हिंदू हृदय मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि -धर्म की रक्षा और प्रदेश की अस्मिता बचाने के लिए उनकी यह कार्यवाही जारी रहेगी।

अभिनेत्री सोनाली कुलकर्णी और देवीदास नाईकरे ने उद्यमियों को उद्योग भूषण सम्मान से किया सम्मानित

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पुणे। देविदास ग्रुप ऑफ कंपनी ने अपने देश के व्यावसायिकों को प्रोत्साहन देने के लिए और व्यवसाय में आगे बढने के लिऐ उद्योग भूषण सम्मान 2025 का भोसारी, पुणे में आयोजित किया। उसी अवसर पर 40 से भी ज्यादा उद्यमियों को चीफ गेस्ट सुप्रसिद्ध अभिनेत्री सोनाली कुलकर्णी के हाथों से सम्मानित किया गया। जहां अभिनेता अली खान और मशहूर संगीतकार दिलीप सेन भी उपस्थित थे।
सोनाली कुलकर्णी ने अपने करियर की शुरुआत एक मॉडल और डांसर के रूप में की थी, उन्होंने मराठी टेलीविज़न सीरीज़ हा खेल संचिताचा (2006) और उसके बाद फिल्म गौरी (2006) में अभिनय की शुरुआत की। उन्हें केदार शिंदे की बकुला नामदेव घोटाले (2007) में मुख्य भूमिका से सफलता मिली, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए ज़ी चित्रा गौरव पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री के लिए महाराष्ट्र राज्य फ़िल्म पुरस्कार मिला। तमाशा ड्रामा फ़िल्म नटरंग (2010) में उनके प्रदर्शन, जिसमें उन्होंने नर्तकी नयना कोल्हापुरकरिन की भूमिका निभाई, ने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई और उन्हें “मराठी उद्योग की अप्सरा” का खिताब मिला।

पुरुस्कार समारोह के आयोजक देविदास श्रावण नाईकरे एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने व्यवसाय और आध्यात्मिकता को एक साथ जोड़कर सफलता का नया मार्ग दिखाया है। वे देविदास ग्रुप ऑफ कंपनी के संस्थापक हैं और अपने अनूठे विचारों से और 17 साल की अनुभव से लोगों FC को न केवल व्यवसाय रूप से बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

देविदास नाईकरे ने अपने भारत देश के उद्यमीकों प्रेरित करने के लिए दो भाषा इंग्लिश और हिंदी में भारत मे पहिली बार डेरिंग के उपर 12 प्रेरणादायक पुस्तकें लिखी है, जो हजारों युवाओं और उद्यमियों को आत्म-विकास और सफलता की राह दिखा रही है। उनका ज्ञान और अनुभव उनके पांच महान गुरुओं की शिक्षाओं से समृद्ध हुआ है, जिन्होंने उन्हें सही दिशा में सोचने और कार्य करने की प्रेरणा दी।

श्री नाईकरे का मानना है कि केवल धन कमाना ही असली सफलता नहीं है, बल्कि हमारे अंदर की शांति और स्पष्ट सोच भी उतनी ही जरूरी है। वे सकारात्मक सोच, माइंडफुलनेस और आध्यात्मिक तकनीकों को आधुनिक व्यवसायिक रणनीतियों के साथ जोड़ते हैं। उनकी कोचिंग विधियां उद्यमियों और व्यवसायियों को तेजी से आगे बढ़ने और संतुलित जीवन जीने में मदद करती हैं।

बचपन से ही देविदास नाईकरे का झुकाव व्यवसाय और आध्यात्मिकता, दोनों की ओर रहा। वे हमेशा इस सोच में रहे कि किस तरह इन दो शक्तिशाली पहलुओं को एक साथ जोड़ा जाए, ताकि न केवल आर्थिक सफलता मिले, बल्कि हमारे अंदर सुख,शांति और स्थिरता भी बनी रहे। इसी सोच ने उन्हें एक अलग रास्ता अपनाने की प्रेरणा दी, जहां वे व्यवसायिक रणनीतियों के साथ-साथ मानसिक और आध्यात्मिक विकास पर भी जोर देते हैं। लोगों में जागरूकता करते रहे, सिखाते रहे और अपने देश को समृद्ध बनाने के लिए सभी उद्यमियों को एक नही राह दिखाते रहे।

उनकी सबसे अनोखी विशेषता यह है कि, वे साधारण व्यक्तियों को, उद्यमियों को असाधारण व्यवसायियों में बदलने की क्षमता रखते हैं। उनकी कोचिंग और शिक्षाएं केवल तकनीकी या व्यावसायिक ज्ञान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे लोगों के सोचने और कार्य करने के तरीके को भी बदल देती हैं। और लोगों को अध्यात्मिक रूप से विकसित भी करते है।
वे मेडिटेशन, माईंडसेट और प्राचीन आध्यात्मिक तकनीकों को आधुनिक व्यवसायिक रणनीतियों के साथ जोडकर अपने देश के स्टार्टअप व्यवसाय या प्रॉब्लेम में फसे हुए उद्यमियों के मन को मजबूत और केंद्रित करते है। और उन्हे व्यवसाय में तरक्की पाने के लिए सिखाते है। यही कारण है कि उनके बिजनेस वर्कशॉप और कार्यशालाओं में हजारों लोग, उद्यमी और छात्र भाग लेते हैं, जो न केवल अपने करियर में बल्कि अपने जीवन में हेल्थ वेल्थ रिलेशनशिप हॅप्पीनेस पीस ऑफ माईंड और सफलता प्राप्त करते हैं।

अपने करियर में अब तक वे 30 से अधिक राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं, जिनमें यंग एंटरप्रेन्योर अवार्ड (2022), महाराष्ट्र बिजनेस आइकॉन अवार्ड (2023), और श्री महात्मा गांधी राष्ट्रीय सम्मान पुरस्कार (2023) शामिल हैं। ये सम्मान उनकी व्यावसायिक उपलब्धियों और समाज में उनके योगदान को दर्शाते हैं।

इसके अलावा, वे समाज सेवा में भी गहरी रुचि रखते हैं। वे शिक्षा, स्वास्थ्य और सशक्तिकरण से जुड़े विभिन्न सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। उनका लक्ष्य है कि ज्ञान साझा करके, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर और सेवा की भावना को मजबूत करके समाज को और बेहतर बनाया जाए।

उनका जीवन और शिक्षाएं यह सिद्ध करती हैं कि सही मार्गदर्शन और सकारात्मक सोच से कोई भी व्यक्ति साधारण से असाधारण बन सकता है। वे केवल एक व्यवसायिक गुरु नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक हैं, जो लोगों को न केवल सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचने की राह दिखाते हैं, बल्कि उन्हें एक संतुलित, खुशहाल और अर्थपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा भी देते हैं।

देवीदास नाईकरे ऑनलाइन भी लोगों को सिखाते हैं और अपने जीवन में सफल होने के लिए मदद करते हैं। www.devidasnaikare.in
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डॉ अनीलकाशी मुरारका और फ़िल्म अभिनेत्री मन्दाकिनी के हाथ पी सी ए से सम्मानित हुए कई बड़े चेहरे

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मुंबई। समाज में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने के उद्देश्य से आयोजित ‘पॉपुलर सिविलियन एक्सीलेंस अवार्ड 2025’ भव्यता और गरिमा के साथ संपन्न हुआ। इस प्रतिष्ठित अवार्ड समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात उद्योगपति और समाजसेवी डॉ. अनिल काशी मुरारका थे, जबकि सेलिब्रिटी गेस्ट के रूप में बॉलीवुड अभिनेत्री मंदाकिनी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में इरन फरीदी प्रोड्यूसर , रामकुमार पाल, एसएम खान (भाजपा नेता व ‘सत्यवादी गो’ फाउंडर), रविंद्र के. द्विवेदी, राजेश मिश्रा, डॉ. अमरनाथ मिश्रा, एडवोकेट बीके दुबे, एडवोकेट प्रकाश टाटा, भवानी महाराज, फूल सिंह, पल्लवी गुप्ता, बीएन तिवारी, संजीव गुप्ता, के. रवि दादा, पूर्णिमा पखिराओ, संघमित्रा ताई गायकवाड सहित अनेक गणमान्य हस्तियां मौजूद रहीं। इस मौके पर अभिनेत्री पेंटाली सेन ने शानदार डांस परफॉर्मेंस दी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें भी सम्मानित किया गया। इस अवार्ड शो का आयोजन पत्रकार संतोष मिश्रा द्वारा किया गया, जिनका उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाना, जरूरतमंदों की सेवा करना, सामाजिक कुरीतियों को दूर करना और समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा, “यह अवॉर्ड उन लोगों के लिए है जो निष्काम भाव से समाज के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य है कि अच्छे कार्य करने वालों को मंच प्रदान कर उनका हौसला बढ़ाया जाए।”कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के उत्कृष्ट व्यक्तियों को सम्मानित किया गया, जिनमें समाजसेवा, कला, साहित्य, चिकित्सा, शिक्षा और उद्यमिता जैसे क्षेत्र शामिल रहे। यह अवॉर्ड शो एक प्रेरणादायक पहल के रूप में उभर कर सामने आया, जिसने समाज में सकारात्मक संदेश दिया।

राजेश विक्रांत को छत्रपति शिवाजी महाराज राष्ट्रीय एकता पुरस्कार

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मुंबई: जाने माने पत्रकार व लेखक राजेश विक्रांत को महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित राज्य स्तरीय जीवन गौरव सम्मान छत्रपति शिवाजी महाराज राष्ट्रीय एकता पुरस्कार दिया जाएगा। मंगलवार 18 मार्च को शाम 6 बजे से बांद्रा पूर्व के रंग शारदा में आयोजित समारोह में उन्हें इस पुरस्कार के तहत स्मृति चिन्ह व 1 लाख रुपए की नकद राशि दी जाएगी।

1 जनवरी, 1965 को उत्तर प्रदेश के अमेठी के एक गांव डिगरिहन का पुरवा में जन्में विक्रांत जी ने कर्मभूमि मुंबई में 1990 से स्वतंत्र रुप से लेखन और पत्रकारिता की शुरूआत की। विविध विषयों पर देशभर की 50 से अधिक पत्र-पत्रिकाओं में अब तक उनके 15,000 से भी ज्यादा लेख प्रकाशित हो चुके हैं। वे पत्रकारिता कोश व मीडिया डायरेक्टरी के सहायक संपादक तथा विकलांग की पुकार और गऊ भारत भारती के प्रबंध संपादक हैं।

व्यंग्य लेखन में विशेष रूचि रखने वाले विक्रांत जी को उनकी पुस्तक “बतरस” के लिए महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा आचार्य रामचंद्र शुक्ल व्यंग्य पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है। उनके प्रकाशित कार्यो में सत्संग सार (संपादन-2001), मुंबई में एक और समंदर (संपादन-2005), कथा पुष्पांजलि (मराठी से हिंदी में अनुवाद-2012), हास्य से पगी यादें (मराठी से हिंदी में अनुवाद-2012), मुंबई माफिया: एक एन्साइक्लोपीडिया (मराठी से हिंदी में अनुवाद-2012), श्रीमत परमहंस अद्भुत चरित (संपादन-2013), महामंडलेश्वर विश्वेश्वरानंद गिरिजी महाराज गौरव ग्रंथ (सह-संपादन), अवधी ग्रन्थावली, खण्ड 6 शब्दकोश (संपादन मण्डल सदस्य), बतरस (2015), आमची मुंबई- 2019, अमेठी के मुंबईकर- 2019, कोरोना-डाउन-2021, आजादी की लड़ाई में मुंबई का योगदान ( आचार्य पवन त्रिपाठी के साथ सह लेखन- 2022), स्वातंत्र्य लढ्यातील मुंबईचे योगदान ( आचार्य पवन त्रिपाठी के साथ सह लेखन, मराठी, 2024) तथा मुंबई और हिंदी ( दीनदयाल मुरारका के साथ सह लेखन, 2024) प्रमुख है। इसके साथ ही उनकी 3 अन्य पुस्तकें प्रकाशकाधीन हैं- आमची मुंबई-2, रोम- रोम में राम: मुंबई में रामलीला के भगीरथ कर्मवीर पंडित शोभनाथ मिश्र की जीवन गाथा तथा दृश्य संचार। विक्रांत जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अभय मिश्र द्वारा संपादित पुस्तक “राजेश विक्रांत: व्यक्ति एक व्यक्तित्व अनेक” का अक्टूबर 2015 में “विकलांग की पुकार” द्वारा प्रकाशन हुआ है। वे परम पूज्य स्वानन्द बाबा सेवा न्यास, श्रुति संवाद साहित्य कला अकादमी, लोकायन, प्रेम शुक्ल फाउंडेशन, अवधी सम्मेलन, आशीर्वाद, अमेठी चैरिटेबल ट्रस्ट एवं वाजा इंडिया आदि संस्थाओं से संबद्ध हैं।