कैबिनेट ने वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए बढ़े हुए आवंटन के साथ संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन के कार्यान्वयन को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज पशुधन क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को मंजूरी दे दी है। विकास कार्यक्रम योजना के केंद्रीय क्षेत्र घटक के रूप में संशोधित आरजीएम का कार्यान्वयन 1000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त परिव्यय के साथ किया जा रहा है, जो 2021-22 से 2025-26 तक 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान कुल 3400 करोड़ रुपये का परिव्यय है।

इसके साथ दो नई गतिविधियां जोड़ी गई हैं: (i) कुल 15000 बछियों के लिए 30 आवासीय सुविधाओं के निर्माण के लेकर कार्यान्वयन एजेंसियों को बछिया पालन केंद्रों की स्थापना के लिए पूंजीगत लागत का 35 प्रतिशत एकमुश्त सहायता और (ii) किसानों को उच्च आनुवंशिक योग्यता (एचजीएम) आईवीएफ बछिया खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना, ताकि ऐसी खरीद के लिए दूध संघों/वित्तीय संस्थानों/बैंकों से किसानों द्वारा लिए गए ऋण पर 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रदान किया जा सके। इससे अधिक पैदावार देने वाली नस्लों के व्यवस्थित इंडक्शन में मदद मिलेगी।

संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन को 15वें वित्त आयोग (2021-22 से 2025-26) के दौरान 3400 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ मंजूरी दी गई है।

यह योजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन की चल रही गतिविधियों को जारी रखने के लिए है – वीर्य केन्द्रों को मजबूत बनाना, कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क, बैल प्रजनन कार्यक्रम का कार्यान्वयन, लिंग-विशिष्ट वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम, कौशल विकास, किसान जागरूकता, उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना सहित नवीन गतिविधियों के लिए समर्थन, केन्द्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को मजबूत बनाना और इनमें से किसी भी गतिविधि में सहायता के पैटर्न में कोई बदलाव किए बिना केन्द्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को मजबूत बनाना।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के क्रियान्वयन एवं सरकार के अन्य प्रयासों से पिछले दस वर्षों में दूध उत्पादन में 63.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, साथ ही प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता जो 2013-14 में 307 ग्राम प्रतिदिन थी, वह 2023-24 में बढ़कर 471 ग्राम प्रतिदिन हो गई है। पिछले दस वर्षों में उत्पादकता में भी 26.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

आरजीएम के अंतर्गत राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (एनएआईपी) देश भर के 605 जिलों में किसानों के दरवाजे पर निःशुल्क कृत्रिम गर्भाधान (एआई) प्रदान करता है, जहां आधारभूत एआई कवरेज 50 प्रतिशत से कम है। अब तक 8.39 करोड़ से अधिक पशुओं को कवर किया गया है और 5.21 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं। आरजीएम प्रजनन में नवीनतम तकनीकी क्रियाकलाप को किसानों के दरवाजे तक लाने में भी सबसे आगे रहा है। देश भर में राज्य पशुधन बोर्डों (एसएलबी) या विश्वविद्यालयों के अंतर्गत कुल 22 इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं और 2541 से अधिक एचजीएम बछड़ों का जन्म हुआ है। आत्मनिर्भर प्रौद्योगिकी में दो अग्रणी कदम हैं – गौ चिप और महिष चिप, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और आईसीएआर के राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) द्वारा विकसित स्वदेशी गोजातीय पशुओं के लिए जीनोमिक चिप्स और एनडीडीबी द्वारा विकसित गौ सॉर्ट स्वदेशी रूप से विकसित लिंग वर्गीकृत वीर्य उत्पादन प्रौद्योगिकी।

इस योजना से दूध उत्पादन और उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे अंततः किसानों की आय में वृद्धि होगी। यह बैल उत्पादन में व्यवस्थित और वैज्ञानिक प्रयासों तथा स्वदेशी गोजातीय जीनोमिक चिप्स के विकास के माध्यम से भारत की स्वदेशी गोजातीय नस्लों के संरक्षण और परिरक्षण पर केंद्रित है। इसके अतिरिक्त, योजना के तहत की गई पहलों के कारण इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक स्थापित तकनीक बन गई है। इस पहल से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि डेयरी उद्योग में लगे 8.5 करोड़ किसानों की आजीविका में भी सुधार होगा।

 

 

सारांश

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजट के साथ संशोधित राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) को मंजूरी दी है।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पशुधन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को भी मंजूरी दे दी हैजिसके लिए 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त परिव्यय रखा गया है।
  • केंद्रीय बजट 2025-26 में कृषि को भारत के विकास का सबसे महत्वपूर्ण इंजन बताया गया है।
  • 1 जनवरी, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी।
  • 1 जनवरी, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 01.01.2025 से अगले आदेश तक की अवधि के लिए डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर एकमुश्त विशेष पैकेज के विस्तार को मंजूरी दी।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25 नवंबर, 2024 को 2481 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) शुरू करने को मंजूरी दी।
  • 3 अक्टूबर, 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत संचालित सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) को दो प्रमुख योजनाओं अर्थात प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई) और कृषोन्ति योजना (केवाई) में युक्तिसंगत बनाया गया है।
  • अक्टूबर, 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10,103 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन को मंजूरी दी।

परिचय

19 मार्च2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में कृषि, डेयरी और पशुपालन के विकास को आगे बढ़ाने के लिए दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए। कृषिपशुपालन और डेयरी भारत की अर्थव्यवस्था की आधारशिला हैं। ये क्षेत्र ग्रामीण रोजगार और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डेयरी विकास के लिए संशोधित राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीडीडी) को मंजूरी दे दी है, जो एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इसमें 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट शामिल है, जिससे 15वें वित्त आयोग की अवधि (2021-22 से 2025-26) के लिए कुल राशि 2,790 करोड़ रुपये हो जाएगी।

संशोधित एनपीडीडी के मुख्य उद्देश्य:

  • दूध की खरीद, प्रसंस्करण क्षमता और गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार।
  • किसानों के लिए बाजार तक बेहतर पहुंच और मूल्य संवर्धन के माध्यम से बेहतर मूल्य निर्धारण।
  • ग्रामीण आय और विकास को बढ़ाने के लिए डेयरी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाना।

 

संशोधित एनपीडीडी के घटक:

  1. घटक ए: डेयरी बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है।
  2. घटक बी: जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) के साथ साझेदारी में सहकारी समितियों (डीटीसी) के माध्यम से डेयरी का कार्य

संशोधित एनपीडीडी के अपेक्षित परिणाम:

  • 10,000 नई डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना।
  • अतिरिक्त 3.2 लाख रोजगार के अवसर, जिनमें से 70 प्रतिशत महिलाएं लाभान्वित होंगी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पशुधन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को भी मंजूरी दे दी है, जिसमें 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त परिव्यय शामिल है, जिससे 15वें वित्त आयोग की अवधि (2021-22 से 2025-26) के लिए कुल बजट 3,400 करोड़ रुपये हो जाएगा।

 

संशोधित आरजीएम में प्रमुख संशोधन:

  1. बछिया पालन केन्द्र: 15,000 बछियों के लिए 30 पालन केन्द्र सुविधाएं स्थापित करने हेतु पूंजीगत लागत की 35 प्रतिशत की एकमुश्त सहायता
  2. उच्च आनुवंशिकता वाली (एचजीएम) बछियों के लिए सहायता: दूध संघों/वित्तीय संस्थानों से एचजीएम आईवीएफ बछिया की खरीद के लिए किसानों द्वारा लिए गए ऋण पर 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान

आरजीएम के अंतर्गत चल रही गतिविधियाँ:

  • सीमन केन्द्रों और कृत्रिम गर्भाधान (एआई) नेटवर्क को सुदृढ़ बनाना।
  • सैक्स सार्टेड सीमन का उपयोग करके बुल प्रोडक्शन और नस्ल सुधार
  • कौशल विकास और किसान जागरूकता कार्यक्रम।
  • उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना और केन्द्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को सुदृढ़ करना।

 

संशोधित आरजीएम के अपेक्षित परिणाम:

  • डेयरी व्यवसाय से जुड़े 8.5 करोड़ किसानों की आय में वृद्धि।
  • देशी गोजातीय नस्लों का वैज्ञानिक संरक्षण।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। जैविक उपज, मूल्यवर्धित डेयरी उत्पादों और टिकाऊ कृषि पद्धतियों की बढ़ती वैश्विक मांग के साथ, सरकार ने उत्पादकता, बुनियादी ढांचे और किसानों के लिए बाजार पहुंच बढ़ाने पर नए सिरे से जोर दिया है। पिछले छह महीनों में केंद्र सरकार ने इन क्षेत्रों के आधुनिकीकरण के उद्देश्य से प्रमुख नीतिगत निर्णय लिए हैं। लक्षित निवेशविनियामक सहायता और बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से सरकार किसानों की आय में सुधार करना, पशुधन में रोग नियंत्रण सुनिश्चित करना और छोटे और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सहकारी आंदोलनों को बढ़ावा देना चाहती है। इस विज़न का एक महत्वपूर्ण घटक केंद्रीय बजट 2024-25 है, जिसमें कृषिपशु स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के लिए पर्याप्त आवंटन किया गया है।

 

केंद्रीय बजट 2024-25 में कृषिपशुपालन और डेयरी के प्रावधान

केंद्रीय बजट 2025-26 में कृषि को भारत के विकास का सबसे महत्वपूर्ण इंजन बताया गया है, जिसमें उत्पादकता में सुधार, किसानों की आय, ग्रामीण बुनियादी ढांचे और प्रमुख वस्तुओं में आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ये प्रावधान पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन पर भी लागू होंगे, जिससे प्राथमिक क्षेत्र में समग्र विकास सुनिश्चित होगा।

 

  1. कृषि क्षेत्र के प्रावधान

 

    1. प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना
  • 100 कम उत्पादकता वाले जिलों को लक्षित करके बनाई गई नई योजना।
  • कृषि उत्पादकता बढ़ाने, फसल विविधीकरण, टिकाऊ प्रथाओं, सिंचाई और कटाई के बाद भंडारण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • इससे 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलने की संभावना है।

 

1.2 ग्रामीण समृद्धि और प्रतिकूलन कार्यक्रम

  • कृषि में अल्परोजगार को संबोधित करने के लिए एक बहु-क्षेत्रीय पहल।
  • कौशल, निवेश और प्रौद्योगिकी-संचालित परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करना।
  • चरण-1 में 100 कृषि जिले शामिल किए जाएंगे।

 

1.3 दलहनों में आत्मनिर्भर भारत मिशन

  • छह साल का मिशन, तुअर, उड़द और मसूर पर केंद्रित।
  • जलवायु-अनुकूल बीज विकास और प्रोटीन संवर्धन।
  • चार वर्षों तक नैफेड और एनसीसीएफ द्वारा खरीद के माध्यम से लाभकारी मूल्यों का आश्वासन।

 

1.4 सब्जियों और फलों के लिए व्यापक कार्यक्रम

  • कुशल आपूर्ति श्रृंखला के साथ सब्जी और फल उत्पादन को बढ़ावा देना।
  • मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण और बेहतर बाजार मूल्य सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना।
  • राज्यों और कृषक उत्पादक संगठनों के साथ साझेदारी में कार्यान्वयन।

 

1.5 उच्च उपज वाले बीजों पर राष्ट्रीय मिशन

  • उच्च उपज देने वाले, कीट प्रतिरोधी और जलवायु अनुकूल बीजों के लिए अनुसंधान को मजबूत करना।
  • जुलाई 2024 से 100 से अधिक बीज किस्मों की व्यावसायिक उपलब्धता जारी की गई।

 

1.6 कपास उत्पादन मिशन

  • कपास उत्पादन और स्थायित्व में सुधार हेतु पांच वर्षीय मिशन।
  • कपास किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अतिरिक्त लंबे स्टेपल वाले कपास को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • कपड़ा क्षेत्र के विकास के लिए 5एफ विजन के साथ संरेखण।

 

1.7 किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋण सीमा में वृद्धि

  • संशोधित ब्याज सब्सिडी योजना के अंतर्गत ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है।
  • इससे 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है।

 

1.8 असम में यूरिया संयंत्र

  • असम के नामरूप में 12.7 लाख मीट्रिक टन वार्षिक क्षमता वाला एक नया यूरिया संयंत्र।
  • इससे यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ने की उम्मीद है।

 

  1. पशुपालन और डेयरी

 

2.1 बिहार में मखाना बोर्ड

  • मखाना के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन के लिए एक समर्पित बोर्ड की स्थापना।
  • मखाना किसानों को किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) में संगठित करना।

2.2 मत्स्य पालन विकास ढांचा

  • अंडमान एवं निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीपसमूह पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र और उच्च समुद्र से मत्स्य पालन का सतत उपयोग।
  • समुद्री क्षेत्र से क्षमता में वृद्धि तथा निर्यात में वृद्धि होने की उम्मीद है।

 

  1. ऋण और वित्तीय समावेशन

3.1 ग्रामीण क्रेडिट स्कोर

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को स्वयं सहायता समूह के सदस्यों और ग्रामीण ऋण आवश्यकताओं के लिए एक ढांचा विकसित करना चाहिए।

3.2 सूक्ष्म उद्यमों को ऋण का विस्तार

  • उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत सूक्ष्म उद्यमों के लिए 5 लाख रुपये की सीमा वाले कस्टमाइज्ड क्रेडिट कार्ड की शुरुआत।
  • पहले वर्ष में दस लाख कार्ड जारी किये जायेंगे।

 

  1. अनुसंधान और बुनियादी ढांचे का विकास

4.1 फसल जर्मप्लाज्म के लिए जीन बैंक

  • भविष्य में खाद्य आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए 10 लाख जर्मप्लाज्म लाइनों वाला दूसरा जीन बैंक।

 

4.2 कृषि में अनुसंधान और विकास

  • निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान एवं विकास के लिए बेहतर समर्थन।

कृषि, पशुपालन और डेयरी के लिए केंद्रीय बजट 2025-26 के प्रावधान कृषि उत्पादन बढ़ानेकिसानों के लिए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने और संबंधित क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

 

अक्टूबर 2024 से कैबिनेट के निर्णयों का अवलोकन

  1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) को जारी रखना

जनवरी, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021-22 से 2025-26 तक 69,515.71 करोड़ रुपये के समग्र परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को 2025-26 तक जारी रखने की मंज़ूरी दी। इस निर्णय से देश भर के किसानों को अपरिहार्य प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध फसल जोखिम कवरेज में मदद मिलेगी।

 

 

इसके अतिरिक्त, योजना के कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर एकीकरण के परिणामस्वरूप पारदर्शिता और दावा गणना एवं निपटान में वृद्धि के लिए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 824.77 करोड़ रुपये के नवाचार एवं प्रौद्योगिकी कोष (एफआईएटी) की स्थापना को भी मंजूरी दी है।

 

  1. डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर एकमुश्त विशेष पैकेज का विस्तार

जनवरी, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किसानों को किफायती कीमतों पर डीएपी की सतत उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 01.01.2025 से अगले आदेश तक की अवधि के लिए डी-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर 3,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की एनबीएस सब्सिडी से परे एकमुश्त विशेष पैकेज के विस्तार के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसानों को उचित मूल्य पर डीएपी उपलब्ध कराया जाए। उपरोक्त के लिए अनंतिम बजट आवश्यकता लगभग 3,850 करोड़ रुपये होगी।

 

  1. 2025 सीजन के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 20 दिसंबर2024 को 2025 सीजन के लिए कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अपनी मंजूरी दे दी है। सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2014 के लिए मिलिंग कोपरा और बॉल कोपरा के लिए एमएसपी को 5250 रुपये प्रति क्विंटल और 5500 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर मार्केटिंग सीजन 2025 के लिए 11582 रुपये प्रति क्विंटल और 12100 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जो क्रमशः 121 प्रतिशत और 120 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करता है। उच्च एमएसपी से न केवल नारियल किसानों को बेहतर लाभ सुनिश्चित होगा, बल्कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नारियल उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए किसानों को कोपरा उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा।

 

  1. राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन का शुभारंभ

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25 नवंबर, 2024 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत केंद्र समर्थित योजना के रूप में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) शुरू करने को मंजूरी दी। इस योजना का 15वें वित्त आयोग (2025-26) तक कुल परिव्यय 2481 करोड़ रुपये (भारत सरकार का हिस्सा – 1584 करोड़ रुपये; राज्य का हिस्सा – 897 करोड़ रुपये) है।

 

  • राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) सुरक्षितपौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने और बाहरी इनपुट पर किसानों की निर्भरता कम करने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य मृदा स्वास्थ्यजैव विविधताजलवायु लचीलापन और टिकाऊ कृषि को बढ़ाना है।
  • प्राकृतिक खेती (एनएफ) पारंपरिक ज्ञान, स्थानीय कृषि-पारिस्थितिक सिद्धांतों और विविध फसल प्रणालियों पर आधारित एक रसायन मुक्त कृषि पद्धति है।
  • एनएफ इनपुट लागतमिट्टी के क्षरण और उर्वरकों और कीटनाशकों से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को कम करता है, जिससे पौष्टिक भोजन और जलवायु लचीलापन सुनिश्चित होता है।

 

 

  1. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई) और कृषोन्ति योजना (केवाई) का शुभारंभ

3 अक्टूबर2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसके तहत कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित सभी केंद्र समर्थित योजनाओं (सीएसएस) अर्थात् प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई) और कृषोन्ति योजना (केवाई) को दो व्यापक योजनाओं में परिवर्तित किया जाएगा।

 

पीएम-आरकेवीवाई टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देगी, जबकि केवाई खाद्य सुरक्षा और कृषि आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करेगी। पीएम-आरकेवीवाई और केवाई को 1,01,321.61 करोड़ रुपये के कुल प्रस्तावित परिव्यय के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है। इन योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। कुल प्रस्तावित व्यय 1,01,321.61 करोड़ रुपये में से डीए एंड एफडब्ल्यू के केंद्रीय हिस्से का अनुमानित व्यय 69,088.98 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 32,232.63 करोड़ रुपये है। इसमें आरकेवीवाई के लिए 57,074.72 करोड़ रुपये और केवाई के लिए 44,246.89 करोड़ रुपये शामिल हैं।

 

  1. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन को मंजूरी

3 अक्टूबर2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (एनएमईओ – तिलहन) को मंजूरी दी, जो घरेलू तिलहन उत्पादन बढ़ाने और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल है। इस मिशन को 2024-25 से 2030-31 तक सात वर्षों की अवधि में कार्यान्वित किया जाएगा, जिसका वित्तीय परिव्यय 10,103 करोड़ रुपये होगा।

 

मिशन का लक्ष्य तिलहन का प्राथमिक उत्पादन 39 मिलियन टन (2022-23) से बढ़ाकर 2030-31 तक 69.7 मिलियन टन करना है। एनएमईओ-ओपी (ऑयल पाम) के साथ मिलकर, मिशन का लक्ष्य 2030-31 तक घरेलू खाद्य तेल उत्पादन को 25.45 मिलियन टन तक बढ़ाना है, जिससे हमारी अनुमानित घरेलू आवश्यकताओं का लगभग 72 प्रतिशत पूरा हो सकेगा।

 

भारत सरकार द्वारा कृषिडेयरी और पशुधन के लिए कल्याणकारी योजनाएं

  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान): 2019 में शुरू की गई पीएम-किसान एक आय सहायता योजना है जो 3 समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये प्रदान करती है। अब तक 18 किस्तों के माध्यम से 11 करोड़ से अधिक किसानों को 3.46 लाख करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि वितरित की जा चुकी है। 24 फरवरी 2025 को सरकार ने पीएम-किसान योजना की 19वीं किस्त जारी की। 19वीं किस्त जारी होने से देश भर में 2.41 करोड़ महिला किसानों सहित 9.8 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित होंगे, जिन्हें बिना किसी बिचौलिए की भागीदारी के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्राप्त होगी।

 

 

  • प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना: पीएमकेएमवाई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, यह 18 से 40 वर्ष की आयु वर्ग के लिए एक स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 3000/- रुपये मासिक पेंशन का प्रावधान है, जो पात्रता मानदंडों के अधीन है।  योजना के शुभारंभ के बाद से, 24.67 लाख से अधिक छोटे और सीमांत किसान पीएमकेएमवाई योजना में शामिल हो चुके हैं।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: किसानों के लिए उच्च प्रीमियम दरों और बीमा राशि में कमी की समस्याओं को दूर करने के लिए 2016 में पीएमएफबीवाई शुरू की गई थी। पीएमएफबीवाई के कार्यान्वयन के पिछले 8 वर्षों में, 63.11 करोड़ किसान आवेदन पंजीकृत किए गए हैं और 18.52 करोड़ (अनंतिम) किसान आवेदकों को 1,65,149 करोड़ रुपये से अधिक के दावे प्राप्त हुए हैं। इस अवधि के दौरान किसानों द्वारा अपने अंश प्रीमियम के रूप में लगभग 32,482 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिसके विरूद्ध उन्हें 1,65,149 करोड़ रुपये से अधिक के दावों (अनंतिम) का भुगतान किया जा चुका है। इस प्रकार, किसानों द्वारा भुगतान किये गये प्रत्येक 100 रुपये के प्रीमियम पर उन्हें दावे के रूप में लगभग 508 रुपये प्राप्त हुए।

  • राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम): यह योजना रोजगार सृजन, उद्यमिता के विकास पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य प्रति पशु उत्पादकता बढ़ाना है और इस प्रकार मांस, बकरी के दूध, अंडे और ऊन के उत्पादन को बढ़ावा देना है। वर्ष 2024-25 के दौरान इस मिशन के लिए 324 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
  • पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ): इस योजना की परिकल्पना व्यक्तिगत उद्यमियों, निजी कंपनियों, एमएसएमई, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और धारा 8 कंपनियों द्वारा डेयरी प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन, मांस प्रसंस्करण, खेतों, पशु चारा संयंत्र, वैक्सीन अवसंरचना और अपशिष्ट से धन प्रबंधन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना में सुधार के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इसके अतिरिक्त, डेयरी अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ) को एएचआईडीएफ में विलय कर दिया गया है और संशोधित राशि अब 29610 करोड़ रुपये है।
  • राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) 2019 में शुरू किया गया था, जो विश्व स्तर पर अपनी तरह का सबसे बड़ा कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य 2030 तक एफएमडी और ब्रुसेलोसिस को खत्म करना है। मवेशियों और भैंसों में खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी) के खिलाफ अब तक 99.71 करोड़ से अधिक टीके लगाए गए हैं, जिससे 7.18 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं।

 

निष्कर्ष

हाल के सरकारी निर्णय और बजट प्रावधान कृषि, पशुधन और डेयरी क्षेत्रों में आधुनिकीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास और स्थिरता की दिशा में मजबूत प्रयास को दर्शाते हैं। रोग नियंत्रण, सहकार को मजबूत करने और तकनीकी नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने से उत्पादकता और किसानों की आय में सुधार करने में मदद मिलेगी, जिससे इन प्रमुख क्षेत्रों का दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित होगा।

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