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बीजेपी और गौ रक्षा दल के सदस्यों के बीच जमकर विवाद

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झारखंड के धनबाद में बीजेपी और गौ रक्षा दल के सदस्यों के बीच जमकर विवाद हुआ. गौ रक्षा दल के सदस्यों ने एक कंटेनर को पकड़ा था, जिसमें गोवंश मौजूद थे. इसी दौरान बीजेपी नेता कंटेनर को छुड़ाने पहुंचे थे. इस बात पर दोनों पक्षों के बीच मारपीट हुई.

जानकारी के मुताबिक, मामला धनबाद के बरवाअड्डा थाना क्षेत्र के जीटी रोड का है. यहां गोवंश से लदा एक कंटेनर जा रहा था. इस दौरान गौ रक्षा दल के सदस्यों ने कंटेनर को रुकवाया. साथ ही इसकी जानकारी पुलिस को को इसकी सूचना दी. गौ रक्षा दल का आरोप है कि कंटेनर में लदे गौवंश को पश्चिम बंगाल के कत्लखाने ले जाया जा रहा था. पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले ही बीजेपी के एक नेता अपने निजी गार्ड के साथ वहां पहुंच गए. उन्होंने कंटेनर को मुक्त कराने का प्रयास किया

‘गोमाता’ एक अत्यंत संवेदनशील प्राणी- भैयाजी जोशी

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नागपुर, एजेंसी। आरएसएस के वरिष्ठ नेता सुरेश उर्फ भैयाजी जोशी ने बुधवार को भारत के लोगों को गौ रक्षा का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि गायों की रक्षा करना सभी लोगों के हित में है, चाहे वे हिंदू हों, मुस्लिम हों या ईसाई हों या वे किसी भी देश से हों। आगे उन्होंने इस बात पर अफसोस जताते हुए कहा कि आज भी भारत के लोगों को गौ रक्षा का महत्व समझाना पड़ता है।

भैयाजी जोशी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की कार्यकारी समिति के सदस्य और इसके पूर्व महासचिव रहे हैं। नागपुर में वह गोरक्षण सभा की एक नई परियोजना के ‘भूमि पूजन’ पर एक सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि गाय की रक्षा करना सभी के हित में है।

उन्होंने कहा, “अतीत में, हिंदू समुदाय कई अन्य मुद्दों के साथ-साथ गायों के प्रति उदासीन हो गया था। लेकिन कुछ लोगों ने 1888 में गोरक्षण सभा के माध्यम से “गोरक्षा” (गाय संरक्षण) के लिए काम करना शुरू कर दिया।”

उन्होंने कहा, “लेकिन यह बुरा है कि हमें भारत में गाय संरक्षण का कार्य करना पड़ रहा है। यह दर्दनाक है कि हमें लोगों को भारत में गाय संरक्षण के महत्व को समझाना पड़ रहा है।”

‘गोमाता’ (गाय) एक अत्यंत संवेदनशील प्राणी है। उन्होंने कहा कि गाय की रक्षा करना सभी लोगों के हित में है। जोशी ने कहा, ऐसी कोई फैक्ट्री नहीं है जो अनाज, सब्जियां और फल पैदा कर सके।

जोशी ने आगे कहा कि हजारों वर्षों का विज्ञान और ज्ञान हमें सिखाता है कि रासायनिक उर्वरक मिट्टी को पोषण नहीं दे सकते। भारत में एक समय खाद्यान्न की आवश्यकता के कारण एक अलग कृषि नीति अपनाई गई थी क्योंकि उस समय खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए इसकी आवश्यकता थी। हालांकि, यह आज खतरनाक साबित हो रहा है, और केवल एक ही प्राणी हमें इससे बचा सकता है, और वह है गाय।

सबस्ट्रोम अंतरालों के दौरान ऊर्जावान आयन की विविधताओं के अध्ययन से अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान की सटीकता को बेहतर करने में मदद मिल सकती है

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New Delhi – पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर में सबस्ट्रोम या संक्षिप्त विक्षोम और परिणामी चुंबकीय क्षेत्र के द्विध्रुवीकरण (स्थानीय चुंबकीय क्षेत्र को विस्तारित पूंछ से अर्ध-द्विध्रुवीय की तरह पुन: कॉन्फ़िगर करना) आंतरिक मैग्नेटोस्फीयर में भारी आयन प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे परिवर्तन को समझने और भविष्य में अंतरिक्ष मौसम के पूर्वानुमान की सटीकता को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
मैग्नेटोस्फेरिक सबस्ट्रोम एक कम समय वाली प्रक्रिया है जो इंटरप्लेनेटरी मैग्नेटिक फील्ड (आईएमएफ) के परिमाण और दिशा, सौर हवा की गति और सौर हवा के गतिशील दबाव पर निर्भर करती है। आईएमएफ की दक्षिण दिशा भूमिगत सबस्ट्रोम आने की एक आवश्यक शर्त है क्योंकि यह दिन के मैग्नेटोस्फीयर में चुंबकीय पुन: संयोजन का कारण बनती है। आमतौर पर, सबस्ट्रोम की औसत अवधि लगभग 2-4 घंटे होती है। ऐसी प्रक्रिया के दौरान सौर हवा और मैग्नेटोस्फीयर के बीच संयोजन से एक महत्वपूर्ण मात्रा में ऊर्जा (लगभग 1015 जे) निकलती  है। समय के साथ-साथ यह ऊर्जा आखिर में  आंतरिक मैग्नेटोस्फीयर में जमा हो जाती है।
रेडिएशन बेल्ट स्टॉर्म प्रोब्स (आरबीएसपी) स्पेस क्रॉफ्ट पर हीलियम, ऑक्सीजन, प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन (एचओपीई) मास स्पेक्ट्रोमीटर और इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक फील्ड इंस्ट्रूमेंट सूट और इंटीग्रेटेड साइंस (ईएमएफआईएसआईएस) उपकरण से प्राप्त डेटा का उपयोग करते हुए भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान) के वैज्ञानिकों ने 2018 की अवधि के लिए 22 सबस्ट्रोम घटनाओं का एक सांख्यिकीय अध्ययन किया। उन्होंने चुंबकीय क्षेत्र द्विध्रुवीकरण की महत्वपूर्ण विशेषताओं जैसे समय पैमाना और ऊर्जावान O+ H+ आयन फ्लक्स से संबंधित वृद्धि की जांच की।
एडवांसेज इन स्पेस रिसर्च जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से वैज्ञानिकों को सबस्ट्रोम के दौरान आयनों के परिवहन और त्वरण में प्लाज्मा शीट की भूमिका को समझने में मदद मिली। आयन फ्लक्स विविधताओं पर इस तरह के अध्ययन पृथ्वी के अपेक्षाकृत नजदीकी बाहरी अंतरिक्ष में प्लाज्मा को समझने में मदद करते हैं (जियोस्पेस, वह क्षेत्र जहां जीपीएस उपग्रह और भूस्थैतिक कक्षा उपग्रह उड़ रहे हैं) क्योंकि यह आमतौर पर H+ आयनों से बना होता है। हालाँकि, कभी-कभी O+ आयनों का अनुपात अचानक बढ़ जाता है। इन O+ आयनों की उपस्थिति जियोस्पेस की प्लाज्मा गतिशीलता को बदल देती है।
इस तरह के अध्ययन घटना को सटीक रूप से समझने और भविष्य में अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान की सटीकता को बेहतर करने के लिए आयन संरचना परिवर्तन के कारण और क्षेत्र का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।

परषोत्तम रूपाला ने आज नई दिल्ली में मत्स्य पालन विभाग की वार्षिक क्षमता निर्माण योजना (एसीबीपी) का शुभारम्भ किया

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New Delhi – 20 September – केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला ने आज नई दिल्ली में मत्स्य पालन विभाग की वार्षिक क्षमता निर्माण योजना (एसीबीपी) का शुभारंभ किया। इस अवसर पर राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन, सीबीसी में सदस्य प्रशासन श्री प्रवीण परदेशी, सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी, संयुक्त सचिव श्री सागर मेहरा के साथ ही मत्स्य पालन विभाग, सीबीसी और गुजरात राज्य के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
श्री परषोत्तम रूपाला ने अपने संबोधन में जोर देते हुए कहा कि हमारे अधिकारियों और कर्मचारियों की क्षमता निर्माण जरूरतों की पहचान करना और विभाग की प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए उनके क्षमता निर्माण के लिए कार्य योजना विकसित करना समय की मांग है। क्षमता निर्माण के लिए वार्षिक कार्य योजना का शुभारंभ करते हुए श्री रूपाला ने इस बात पर जोर दिया कि मत्स्य पालन विभाग की एसीबीपी सेवा वितरण, कार्यक्रम कार्यान्वयन और मुख्य सरकारी कार्यों को करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने बताया कि एसीबीपी अधिकारियों की प्रासंगिक दक्षता बढ़ाने और उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम बनाने के लिए उन्हें बुनियादी प्रशिक्षण दिलाएगी।
राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने मत्स्य पालन क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के मद्देनजर इस योजना के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. एल. मुरुगन ने बताया कि भारत में कई मत्स्य पालन संस्थान हैं, जहां मत्स्य पालन के क्षेत्र में तकनीकी नवाचार समय की मांग है और एसीबीपी भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास में सहायक होगी।
मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने एसीबीपी के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि यह योजना नियम-आधारित प्रणाली को भूमिका-आधारित प्रणाली में बदलने की सुविधा प्रदान करते हुए कार्यात्मक, व्यवहारिक और डोमेन ज्ञान दक्षताओं के क्षेत्र में क्षमता निर्माण की जरूरतों को पूरा करेगी।
सीबीसी में सदस्य प्रशासन श्री प्रवीण परदेशी ने मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों के विभिन्न स्तरों पर आवश्यक विभिन्न प्रशिक्षण मॉड्यूल की आवश्यकता पर विस्तृत विश्लेषण  के साथ विभाग की वार्षिक क्षमता निर्माण योजना (एसीबीपी) पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी है।
एसीबीपी को लागू करने और उसे बनाए रखने के लिए मत्स्य पालन विभाग में क्षमता निर्माण इकाई (सीबीयू) बनाई गई है। एसीबीपी के कार्यान्वयन के लिए विभाग के वेतन मद का 2.5% बजटीय परिव्यय निर्धारित किया गया है। सीबीयू विभाग के कर्मचारियों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को प्राथमिकता देगा। प्रशिक्षण ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में होंगे। क्षमता निर्माण आयोग ने कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के लिए संस्थान और ज्ञान भागीदारों की पहचान कर ली है। विभाग एसीबीपी की प्रभावकारिता का पता लगाने के लिए अपने कर्मचारियों पर प्रशिक्षण के प्रभाव का आकलन करेगा।

मानव जितना अच्छा निर्माता है उतना ही विध्वंसक भी है – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

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नई दिल्ली = राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली में मानवाधिकारों पर एशिया प्रशांत फोरम की वार्षिक आम बैठक और द्विवार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सभी से आग्रह किया कि वे मानवाधिकारों के मुद्दे को अलग-थलग न करें, बल्कि मानव के अविवेक से बुरी तरह आहत मातृ प्रकृति की देखभाल के बारे में भी उतना ही ध्यान दें। उन्होंने कहा कि भारत में हम यह मानते हैं कि ब्रह्मांड का प्रत्येक कण दिव्यता की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, हमें प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए अपने प्रेम को फिर से जगाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि मानव जितना अच्छा निर्माता है उतना ही विध्वंसक भी है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, यह ग्रह विलुप्त होने के छठे चरण में प्रवेश कर चुका है, इसलिए मानव निर्मित विनाश को अगर रोका नहीं गया, तो न केवल मानव जाति, बल्कि इस पृथ्वी पर अन्य जीवन भी नष्ट हो जाएंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि संहिताबद्ध कानून से अधिक मानवाधिकारों को प्रत्येक अर्थ में सुनिश्चित करना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का नैतिक दायित्व है

राष्ट्रपति ने यह जानकर प्रसन्नता जाहिर की कि इस सम्मेलन में एक सत्र विशेष रूप से पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विषय के लिए समर्पित है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह सम्मेलन एक व्यापक घोषणापत्र लेकर आएगा जो मानवता और ग्रह की बेहतरी का मार्ग प्रशस्त करेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान ने गणतंत्र की स्थापना से ही सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया और हमें लैंगिक न्याय, जीवन और सम्मान की सुरक्षा के क्षेत्र में अनेक मूक क्रांतियों को शुरू करने में भी सक्षम बनाया है। उन्होंने कहा कि हमने स्थानीय निकायों के चुनावों में महिलाओं के लिए न्यूनतम 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया है और एक सुखद संयोग में, राज्य विधानसभाओं, संसद में महिलाओं के लिए इसी प्रकार का आरक्षण देने का प्रस्ताव अब आकार ले रहा है। उन्होंने कहा कि यह हमारे समय में लैंगिक न्याय के लिए सबसे बड़ी परिवर्तनकारी क्रांति होगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत मानवाधिकारों में सुधार के लिए दुनिया के अन्य भागों की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीख लेने के लिए तैयार है, जो एक मौजूदा परियोजना है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया भर के मानवाधिकार संस्थानों और हितधारकों के साथ विचार-विमर्श और परामर्श के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सहमति विकसित करने में एशिया प्रशांत क्षेत्र फोरम को बड़ी भूमिका निभानी है।

भारतीय फिल्म संगीत का सुरीला सफर

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जयदेब गुप्ता मनोज – 

भारतीय शास्त्रीय संगीत को हमेशा देश विदेशों में सम्मान मिला है। हमारे देश में हमेशा शुरू से अच्छे-अच्छे
संगीतकारों गायक गायिकाओं एवं गीतकारों ने भारतीय गीत संगीत में भरपूर योगदान भी दिया है। भारतीय संगीत
के आरंभिक काल में चमकने वाले भारतीय संगीतकारों में न्यू थियेटर्स की संगीत आत्मा कहे जाने वाले संगीतकार
स्वर्गीय रायचंद बोराल, श्रीमती सरस्वती देवी (प्रथम भारतीय महिला संगीतकार) स्वर्गीय नौशाद, पंकज मलिक,
मदनमोहन, खान मस्ताना, हेमंत कुमार, सी, रामचंद्र, ओ.पी. नैयर, हुसन लाल मंगतराम, (प्रथम भारतीय
संगीतकार जोड़ी) स्वर्गीय जयदेव, शंकर जयकिशन, रोशन, एसएन त्रिपाठी, सचिनदेव बर्मन्, राहुल देव बर्मन
प्यारेलाल, कल्याणजी-आनंदजी,बप्पी लाहेरी, के नाम सदा अमर रहेंगे इन संगीतकारों ने एक से बढ़कर धुनें तैयार
की है जो आज भी घर-घर में सुनी जाती है उस समय गीतकारों ने भी अच्छे अच्छे गीतों की रचना की थी जरा याद
कीजिए उन गीतों को। सन 1933 में न्यू थियेटर्स के बैनर में बनी फिल्म पूर्ण भगत प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म में
स्वर्गीय गायक कृष्ण चंद्र डे (मन्ना डे के चाचा) ने एक गीत गाया था- जाओ जाओ ऐ मेरे साथी रहो गुरु के संग, काफी
लोकप्रिय हुआ था। इसी फिल्म में अमर गायक व नायक कुंदन लाल सहगल ने एक अमर गीत गाया था, जगत में
प्रेम की बांसुरी बजे।

सन 1934 में संगीत से सजी फिल्म चंडीदास में अमर गीतप्रेम नगर में बसाऊंगी घर ने काफी लोकप्रियता पाई थी।
इन सभी गीतों को संगीत से सजाया था स्वर्गीय बोराल साहब ने। जब भारतीय फिल्मों ने बोलना ही शुरू किया था तब
उन्होंने पहली बार बंगला फिल्म चंडीदास में पृष्ठभूमि संगीत का प्रयोग किया था तथा संगीत को एक नई दिशा प्रदान
की थी।

भारतीय फिल्म संगीत का प्रारंभ करने वाले स्वर्गीय बोराल साहब का इस क्षेत्र में योगदान नहीं भुलाया जा सकता।
स्वर्गीय पंकज मलिक ने भी कई फिल्मों में मधुर धुन उपहार स्वरूप दी है, न्यू थियेटर्स के लिए अन्य कई महत्वपूर्ण
संगीतकारों ने संगीत दिया था। जिसमें तिमिर बरन, मिहिर किरण, पहाड़ी सानयाल का नाम सदा याद रहेगा।
स्वर्गीय मास्टर कृष्णा राव ने प्रभात फिल्म कंपनी के लिए सन 1934 में फिल्म धर्मात्मा का संगीत दिया था। इनकी
अन्य कुछ फिल्में अमरज्योति, आदमी, पड़ोसी आदि है।

अपने दौर के इस महान संगीतकार और गायक को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। प्रथम
भारतीय महिला संगीतकार सरस्वती देवी को माना जाता है इन्होंने मुंबई टॉकीज के लिए एक से बढ़कर एक फिल्मों
में संगीत दिया था इनकी प्रथम फिल्म 1935 में बनी थी। जवानी की हवा नामक इस फिल्म की सफलता से सरस्वती
देवी का नाम गली गली में गूंजने लगा इसके बाद संगीत से सजी फिल्म अछूत कन्या बनी थी इस फिल्म का एक युगल गीत देविका रानी एवं अशोक कुमार के स्वर ''मैं वन की चिडिय़ा बनकर, अमर हो गया। आज इतने वर्षों बाद भी घर-घर में यह गीत सुनने को मिलता है।

सरस्वती देवी ने मुंबई टॉकीज के बैनर में बनी लगभग 19 फिल्मों में सफल संगीत दिया। फिल्म प्रार्थना में डॉक्टर
सिकंदर शाह लिखित गीत। ''यह संसार है काफी लोकप्रिय हुआ था। खान मस्ताना जब फिल्म उद्योग में आए उस  समय पंकज मलिक, के एल सहगल इत्यादि कलाकारों का बोलबाला था।

खान मस्ताना ने गायक की हैसियत से फिल्मोद्योग में पदार्पण किया। बाद में संगीतकार बने खान मस्ताना के
संगीत में सजाए हुए कई ऐसे खूबसूरत गीत हैं जो आज भी सुने जाते हैं। शुरू शुरू में खान मस्ताना को रेडियो स्टेशन
में गाने का मौका मिला सन 1938 में बहादुर किसान में संगीतकार मीर साहब के निर्देशन में उन्होंने पहला गीत
गाया, बालम गए परदेस रे सजनी काहे नीर बहाए। यह गीत काफी लोकप्रिय हुआ था

इसी गीत के बाद मीर साहब ने इनके मस्त स्वभाव को देखकर खान मस्ताना नाम दिया। खान मस्ताना आवाज के
बादशाह मोहम्मद रफी के साथ फिल्म शहीद में वतन की राह में वतन के नौजवान शहीद हो गीत भी गाया।

चौथे दशक में इनके गायन तथा संगीत का बोलबाला था किंतु 1973 में जब खान मस्ताना का माहिम मुंबई में निधन
हुआ उस वक्त वह एक सीलन भरी कोठरी में घोर दरिद्रता व असहाय अवस्था में रहते थे। फिल्म उद्योग के लिए यह
कलंक की बात है कि जो कलाकार दो दशकों तक फिल्म संगीत पर छाया रहा और अंत में घुटन भरी जिंदगी जीने पर
मजबूर हुआ।

रामचंद्र, सचिन देव बर्मन, रोशन, ,मदन मोहन, जयदेव, राहुल देव बर्मन, एसएन त्रिपाठी रवि, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल,
कल्याणजी-आनंदजी एवं शंकर जयकिशन ने फिल्म संगीत पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है किंतु आज के संगीत और
संगीतकार अश्लीलता से जुड़ गए हैं जिससे अलग होना असंभव है तभी आज हर फिल्म में एक अभद्र भाषा में
लिखित अश्लील गीत रहते हैं। अगर भारतीय गीत संगीत का यही दौर चलता रहे तो वह दिन दूर नहीं जब हर श्रोता
पुराने गीतों का प्रशंसक बन जाएगा। (विभूति फीचर्स)

Real Brave Hero of Bharat – बटुकेश्वर दत्त : जिन्होंने भगत सिंह के संग संसद में बम फेंका

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बटुकेश्वर दत्त : जिन्होंने भगत सिंह के संग संसद में बम फेंका
विवेक रंजन श्रीवास्तव –

बटुकेश्वर दत्त का जन्म 18 नवम्बर 1910 को बंगाली कायस्थ परिवार में ग्राम-औरी, जिला – नानी बेदवान (बंगाल) में
हुआ था। इनका बचपन अपने जन्म स्थान के अतिरिक्त बंगाल प्रांत के वर्धमान जिला अंतर्गत खण्डा और मौसु में
बीता। इनकी स्नातक स्तरीय शिक्षा पी.पी.एन. कॉलेज कानपुर में सम्पन्न हुई। 1924 में कानपुर में इनकी भगत
सिंह से भेंट हुई। इसके बाद इन्होंने हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के लिए कानपुर में कार्य करना
प्रारंभ किया। इसी क्रम में बम बनाना भी सीखा।

बटुकेश्वर दत्त भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। बटुकेश्वर दत्त को देश ने सबसे पहले 8 अप्रैल
1929 को जाना, जब वे भगत सिंह के साथ केंद्रीय विधान सभा में बम विस्फोट के बाद गिरफ्तार किए गए। उन्होनें
आगरा में स्वतंत्रता आंदोलन को संगठित करने में उल्लेखनीय कार्य किया था।

8 अप्रैल 1929 को दिल्ली स्थित केंद्रीय विधानसभा (वर्तमान में संसद भवन) में भगत सिंह के साथ बम विस्फोट कर
ब्रिटिश राज्य की तानाशाही का विरोध किया। बम विस्फोट बिना किसी को नुकसान पहुंचाए सिर्फ पर्चों के माध्यम से
अपनी बात को प्रचारित करने के लिए किया गया था। उस दिन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को दबाने के लिए
ब्रिटिश सरकार की ओर से पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट बिल लाया गया था, जो इन लोगों के विरोध के
कारण एक वोट से पारित नहीं हो पाया।

इस घटना के बाद बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। 12 जून 1929 को इन दोनों को
आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। सजा सुनाने के बाद इन लोगों को लाहौर फोर्ट जेल में डाल दिया गया। यहां
पर भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त पर लाहौर षडय़ंत्र केस चलाया गया। उल्लेखनीय है कि साइमन कमीशन के विरोध-
प्रदर्शन करते हुए लाहौर में लाला लाजपत राय को अंग्रेजों के इशारे पर अंग्रेजी राज के सिपाहियों द्वारा इतना पीटा
गया कि उनकी मृत्यु हो गई। इस मृत्यु का बदला अंग्रेजी राज के जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को मारकर चुकाने का
निर्णय क्रांतिकारियों द्वारा लिया गया था। इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप लाहौर षडय़ंत्र केस चला, जिसमें भगत
सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा दी गई थी। बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास काटने के लिए काला
पानी जेल भेज दिया गया। जेल में ही उन्होंने 1933 और 1937 में ऐतिहासिक भूख हड़ताल की। सेल्यूलर जेल से

1937 में बांकीपुर केन्द्रीय कारागार, पटना में लाए गए और 1938 में रिहा कर दिए गए। काला पानी से गंभीर बीमारी
लेकर लौटे दत्त फिर गिरफ्तार कर लिए गए और चार वर्षों के बाद 1945 में रिहा किए गए।
आजादी के बाद नवम्बर, 1947 में अंजली दत्त से शादी करने के बाद वे पटना में रहने लगे। बटुकेश्वर दत्त को अपना
सदस्य बनाने का गौरव बिहार विधान परिषद ने 1963 में प्राप्त किया। श्री दत्त की मृत्यु 20 जुलाई 1965 को नई
दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हुई। मृत्यु के बाद इनका दाह संस्कार इनके अन्य क्रांतिकारी
साथियों- भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव की समाधि स्थल पंजाब के हुसैनी वाला में किया गया। इनकी एक पुत्री
भारती बागची हैं। बटुकेश्वर दत्त के विधान परिषद में सहयोगी रहे इन्द्र कुमार कहते हैं कि स्व. दत्त राजनैतिक
महत्वाकांक्षा से दूर शांतचित एवं देश की खुशहाली के लिए हमेशा चिन्तित रहने वाले क्रांतिकारी थे। (विभूति फीचर्स)

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की लोकप्रियता मिल रहा है अपार जन – समर्थन ..!

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20सितम्बर 2023,सागर मध्यप्रदेश

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की लोकप्रियता व कार्यों के प्रचार प्रसार से स्थानीय उम्मीदवारों को मिल रहा है अपार जन – समर्थन ..!
*मध्य प्रदेश के खीमलासा (सागर) में चुनाव यात्रा व सभाओं में लोगों की भीड़ व समर्थन , उनके जिजीविषा और कर्तव्य परायणता का ही परिचायक है ..!
चुनावी सभा के पश्चात रात्रि में भी उनसे मिलने व एक झलक देखने वालों का लग रहा है ताँता ..! . *युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने ऐतिहासिक एवं त्वरित निर्णयों के लिए जाने जाते हैं यही उनकी लोकप्रियता का आधार भी है. असाधारण व्यक्तित्व के धनी मुख्यमंत्री युवाओं के मध्य विशेष लोकप्रिय हैं

-संजय बलोदी प्रखर

 

प्रधानमंत्री ने वॉट्सएप चैनल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई

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New Delhi – प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज वॉट्सएप चैनल से जुड़ गए हैं और उन्होंने इससे जुड़ने के लिए चैनल का लिंक भी साझा किया है।

एक एक्स पोस्ट में प्रधानमंत्री ने जानकारी दी:

“मैंने आज अपना वॉट्सएप चैनल शुरू किया है। इस माध्यम से जुड़े रहने के लिए उत्सुक हूं! जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें – https://www.whatsapp.com/channel/0029Va8IaebCMY0C8oOkQT1F”

UP – योगी सरकार का विकास के मुद्दे पर बड़ा फैसला सरकार ने जारी किया नया आदेश

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” उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का एक और ऐतिहासिक फैसला….. उत्तर प्रदेश में जल्द ही बनेगा नया विधान भवन सन 2027 तक किया जा सकता है पूरा..! ” 
लखनऊ, : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के विकास को लेकर ध्यान केंद्रित किया हुआ, ताकि आम जनता को जल्द से जल्द इसका लाभ मिल सके। प्रदेश सरकार ने निर्माण कार्यों में तेजी लाने के लिए अब पांच करोड़ रुपये तक की लागत के निर्माण कार्यों के लिए एकमुश्त धनराशि जारी करने का निर्णय लिया है।
अभी तक दो करोड़ तक के निर्माण कार्यों के लिए ही एक साथ धनराशि जारी करने की व्यवस्था थी। यह धनराशि प्रशासकीय विभाग खुद जारी कर सकते हैं। पांच करोड़ से ऊपर के निर्माण कार्यों के लिए किस्तों में धनराशि जारी की जाएगी।
वित्त विभाग ने मंगलवार को निर्माण कार्यों की वित्तीय स्वीकृतियां जारी करने की नई व्यवस्था लागू कर दी है। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि पांच करोड़ रुपये से अधिक के निर्माण कार्यों में प्रथम किस्त प्रशासकीय विभाग को वित्त विभाग की सहमति से जारी करना होगा।
इसके बाद अन्य किस्त प्रशासकीय विभाग खुद जारी करेंगे। पांच करोड़ से 25 करोड़ रुपये के बीच के निर्माण कार्यों में दो समान किस्तों में धनराशि जारी की जाएगी।
इसी प्रकार, यदि 25 करोड़ से अधिक की लागत का निर्माण कार्य है तो तीन किस्तों में धनराशि जारी की जाएगी। इसमें पहली व दूसरी किस्त 35-35 प्रतिशत व तीसरी किस्त 25 प्रतिशत दी जाएगी। पांच प्रतिशत राशि काम पूरा होने के बाद कार्य की गुणवत्ता से संतुष्ट होने पर दी जाएगी।