Home Blog Page 20

गाय के गोबर को महिलाओं ने बना दिया ‘सोना

0

लखीमपुर : आधुनिकता और परंपरा के बीच जब कोई पुल बनता है, तो वह न सिर्फ सांस्कृतिक पुनर्जागरण लाता है, बल्कि समाज को भी नई दिशा देता है. ऐसा ही एक उदाहरण लखीमपुर खीरी जिले में देखने को मिला है, जहां के रहने वाले अतुल कुमार ‘गौ परंपरा’ नाम से एक समूह चला रहे हैं. इस समूह के माध्यम से वे महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहे हैं. समूह की महिलाएं गाय के गोबर से गौ कटोरी, उपले और “समरानी कप” तैयार कर रही हैं. यह कप धार्मिक और घरेलू वातावरण को शुद्ध करने में इस्तेमाल होता है और अब तेजी से लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है.

समरानी कप पूरी तरह देशी गाय के गोबर से बनाया जाता है. इसके अंदर लोबान, गूगल जैसी पारंपरिक सामग्रियां डाली जाती हैं, जो जलने पर भीनी-भीनी सुगंध के साथ वातावरण को शुद्ध करती हैं. यह न केवल धार्मिक कार्यों में उपयोगी है, बल्कि घरों में सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का भी काम करता है. पहले लोग कंडे पर धूनी देते थे, लेकिन आज के समय में वह न तकनीकी रूप से संभव है और न ही व्यावहारिक. इसलिए उन्होंने इसे एक कप के रूप में ढाल दिया जिसे कोई भी आसानी से जला सकता है.

महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर
अतुल कुमार ने बताया कि बड़े-बड़े शहरों में गाय का गोबर नहीं मिल पाता है. हिंदू समाज में लोग गाय के गोबर को पवित्र मानते हैं और पूजा के रूप में इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में समूह की महिलाएं गौ कटोरी, उपले आदि तैयार करती हैं और फिर पैकिंग कर मार्केट में बेचती हैं, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और उन्हें अच्छा फायदा हो रहा है.

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ ‘बलरामपुर बायोयुग’ शुभारंभ

0
मुंबई (अनिल बेदाग) : महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस ने औपचारिक रूप से भारत के पहले पॉली लैक्टिक एसिड (PLA) ब्रांड ‘बलरामपुर बायोयुग’ का शुभारंभ किया, जिसका उत्पादन बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड  द्वारा किया जाएगा। यह अवसर भारत की सतत नवाचार यात्रा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि का प्रतीक बना। मुंबई के जिओ वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में, बायोपॉलीमर निर्माण एवं सतत औद्योगिक प्रथाओं के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी प्रगति का उत्सव मनाने हेतु पूरे मूल्य श्रृंखला के विविध हितधारक एकत्र हुए।
दीप प्रज्वलन समारोह में श्री शरद पवार, सांसद; सुश्री अवंतिका सराओगी, कार्यकारी निदेशक, बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड; श्री विवेक सराओगी, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड; श्री मनोज कुमार सिंह (आईएएस), मुख्य सचिव एवं औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास आयुक्त (आईआईडीसी), उत्तर प्रदेश; श्री स्टीफन बारोट, अध्यक्ष – रसायन विभाग, बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड ने गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।
‘बलरामपुर बायोयुग’ के शुभारंभ के साथ ही ‘बायोयुग ऑन व्हील्स’ नामक एक अनूठी मोबाइल पहल की भी शुरुआत की गई, जो पीएलए – एक जैव-आधारित, पर्यावरण-अनुकूल विकल्प – की परिवर्तनकारी संभावनाओं को दर्शाने हेतु तैयार की गई है। यह मोबाइल यूनिट लोगों को सतत जीवनशैली की ओर प्रेरित करने के लिए एक ज्ञानवर्धक, अनुभवात्मक यात्रा प्रदान करती है। लाइव डेमो, इंटरएक्टिव प्रदर्शनियों एवं पैकेजिंग व उपभोक्ता उत्पादों में पीएलए के वास्तविक अनुप्रयोगों के माध्यम से यह पहल समुदायों और हितधारकों तक इसकी उपयोगिता को सीधे पहुँचाती है। बायोयुग के व्यवसाय विकास दल द्वारा समर्थित यह पहल आम जनता एवं व्यवसायों को सीधे संवाद करने, जिज्ञासाएं साझा करने और अपने सतत विकास लक्ष्यों में बायोयुग की नवाचारों की भूमिका को समझने का अवसर देती है।
बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री विवेक सारावगी ने कहा, “हम माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस जी की उपस्थिति से अत्यंत सम्मानित हैं। यह हमारे सतत विकास पथ का एक ऐतिहासिक क्षण है। हमारी यह पहल माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रस्तुत जलवायु परिवर्तन से लड़ने के विज़न के अनुरूप है।  इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश सरकार की पहली जैव-प्लास्टिक नीति के आगमन से हमें इस क्षेत्र में आत्मविश्वासपूर्वक प्रवेश करने की प्रेरणा मिली, जो सतत विकास और राष्ट्रीय पर्यावरणीय लक्ष्यों के साथ हमारी वृद्धि को सुसंगत बनाता है।
₹a
*श्री विवेक सारावगी, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड ने कहा:*“बलरामपुर बायोयुग केवल एक ब्रांड नहीं, बल्कि सतत सामग्रियों में क्रांति की शुरुआत है। हमारा PLA उपक्रम नवाचार, पर्यावरणीय प्रतिबद्धता और भारत के हरित भविष्य के प्रति हमारी आस्था का प्रतीक है।”
*सुश्री अवंतिका सारावगी, कार्यकारी निदेशक, बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड ने कहा:* “आज हमने केवल एक ब्रांड का अनावरण नहीं किया, बल्कि एक परिवर्तनकारी आंदोलन की शुरुआत की है। ‘बायोयुग’, जिसका अर्थ है ‘जैव-परिपथीयता का युग’, भारत की जैव-आधारित, निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते कदम में एक मील का पत्थर है। ‘बायो’ दर्शाता है कि हम कैसे PLA जैसी सतत, पौधों से प्राप्त सामग्रियों को अपना रहे हैं और भारत की कृषि मूल्य श्रृंखला, विशेषकर उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के साथ एकीकृत हो रहे हैं। ‘युग’, संस्कृत से लिया गया शब्द, पारिस्थितिकीय उत्तरदायित्व और परिपथीय सोच पर आधारित एक नए युग की ओर संकेत करता है।
हम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत और हरित विकास के विज़न से गहराई से प्रेरित हैं। बायोई3 (BioE3) जैसी दूरदर्शी नीतियाँ भारत को जैव-अर्थव्यवस्था और हरित नवाचार के पथ पर आगे बढ़ा रही हैं। बलरामपुर बायोयुग इस ‘विकसित भारत’ की संकल्पना से गहरे रूप से जुड़ा है। इसकी आधारशिला माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा उत्तर प्रदेश में रखी गई थी और इसका औपचारिक शुभारंभ माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस जी ने महाराष्ट्र में किया — दो ऐसे राज्य जो भारत की PLA क्रांति के अग्रदूत बन सकते हैं।
महाराष्ट्र, जहां गन्ने का उत्पादन भी प्रचुर मात्रा में होता है और जो औद्योगिक अर्थव्यवस्था का प्रमुख स्तंभ है, देश का अग्रणी जैव-प्लास्टिक बाज़ार बनने की क्षमता रखता है। मैं माननीय मुख्यमंत्री श्री फडणवीस जी तथा सभी हितधारकों से विनम्र अनुरोध करती हूँ कि वे एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) — जो नवाचार की रीढ़ हैं — को नीति प्रोत्साहन, नियामकीय समर्थन और जागरूकता अभियान के ज़रिए सशक्त करें। हम सब मिलकर पारंपरिक, जीवाश्म-आधारित प्रदूषण से पौधों पर आधारित प्रगति की ओर बढ़ सकते हैं।
‘बायोयुग ऑन व्हील्स’ के माध्यम से हमारा उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, अपनाने की गति को तेज़ करना और देशभर में स्थायी व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करना है। बलरामपुर बायोयुग का मूल उद्देश्य भारत की हरित परिवर्तन यात्रा को गति देना है — अधिशेष बायोमास का उपयोग कर कम-कार्बन नवाचार को बढ़ावा देना, जिससे न केवल पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को, बल्कि विशेषकर हमारे किसानों को भी लाभ मिल सके।”
*श्री स्टीफन बारोट, अध्यक्ष – केमिकल्स डिविजन, बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड ने कहा:* “बलरामपुर बायोयुग के शुभारंभ के साथ, हम BCML की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई की घोषणा करते हुए गर्व महसूस कर रहे हैं, जो भारत का पहला औद्योगिक स्तर का PLA बायोपॉलीमर संयंत्र स्थापित करेगी — यह हमारे दीर्घकालिक सतत विकास एजेंडे में एक महत्वपूर्ण कदम है, साथ ही यह वैश्विक स्तर पर नए मानक भी स्थापित करेगा।
यह संयंत्र विश्व का पहला ऐसा केंद्र होगा जो गन्ने को पूरी तरह से PLA में परिवर्तित करने की संपूर्ण प्रक्रिया को एक ही स्थान पर, पूरी तरह नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित करते हुए संपन्न करेगा। यह संयंत्र सतत संसाधन प्रबंधन का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है, और दिखाता है कि जैव-आधारित सामग्रियों को बड़े स्तर पर कैसे उत्पादित किया जा सकता है।
वार्षिक 80,000 टन की उत्पादन क्षमता के साथ, बलरामपुर बायोयुग 100% जैव-आधारित, औद्योगिक रूप से कम्पोस्टेबल PLA का उत्पादन करेगा — जो वैश्विक प्लास्टिक संकट के लिए एक विश्वसनीय और व्यापक समाधान प्रदान करेगा। PLA, जो नवीकरणीय संसाधनों से प्राप्त एक बहुउपयोगी पॉलिमर है, में आवश्यक यांत्रिक शक्ति और टिकाऊपन मौजूद है, जिससे यह परफॉर्मेंस या सुरक्षा से कोई समझौता किए बिना प्लास्टिक के प्रतिबंधित उपयोग जैसे स्ट्रॉ, डिस्पोजेबल चम्मच-कांटे, ट्रे, बोतलें, दही के कप आदि के लिए आदर्श विकल्प बन जाता है।
समूचे पारिस्थितिकी तंत्र में व्यापक जागरूकता और सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए, इस शुभारंभ समारोह में कई विचारोत्तेजक सत्र आयोजित किए गए, जिनमें भाग लेने वाले हितधारकों ने अपनाने की दिशा, बाज़ार की तत्परता, और मूल्य श्रृंखला के समन्वयन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा की। यह शुभारंभ केवल सतत उत्पादन की दिशा में एक निर्णायक कदम नहीं है, बल्कि यह भारत में सामग्री नवाचार की ओर सोचने के तरीके में एक ऐतिहासिक परिवर्तन का संकेत भी है — एक परिपथीय, स्वच्छ और हरित भविष्य के लिए।”

रवि गोसाईं टीवी शो “मेघा बरसेंगे” में निभा रहे हैं नेगेटिव रोल

0

 

मुंबई। प्रसिद्ध अभिनेता रवि गोसाईं ने लोकप्रिय टीवी शो “मेघा बरसेंगे” में त्रिलोक अक्का तिल्ली के रूप में एक महत्वपूर्ण नकारात्मक भूमिका निभाने के लिए शामिल हुए हैं। यह भूमिका शो में सबसे जटिल और रोचक पात्रों में से एक होगी जो दर्शकों का मनोरंजन करेगी।

जब उनसे उनकी नई भूमिका के बारे में पूछा गया, तो रवि गोसाईं ने कहा, “मैं त्रिलोक की भूमिका निभाते हुए बहुत मज़ा ले रहा हूं, जो एक बहुत ही शक्तिशाली नकारात्मक पात्र है। मेहंदी वाला घर और दिल दिया गल्लां के बाद, यह भूमिका एक चुनौतीपूर्ण और रोचक है। मैं निर्माता, केवल जी और सौरभ जी, परिन मीडिया का आभारी हूं, जिन्होंने मुझे ऐसा गतिशील पात्र निभाने का अवसर दिया।”

अपनी अनोखी अभिनय शैली और बहुमुखी प्रतिभा के साथ, रवि गोसाईं, त्रिलोक के रूप में अपनी भूमिका को जीवंत करने के लिए तैयार हैं जो दर्शकों को आकर्षित करेगा। “मेघा बरसेंगे” रवि के आगमन के साथ और भी अधिक तीव्र और नाटकीय होने की उम्मीद है।

परिन मीडिया के बारे में आपको बता दें कि यह एक प्रसिद्ध निर्माण कंपनी है जो आकर्षक और विचारोत्तेजक सामग्री बनाने के लिए जाना जाता है। “मेघा बरसेंगे” के साथ, वे कहानी कहने और मनोरंजन की सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखते हैं।

जयंती विशेष – *दो बार आजीवन कारावास पाने वाले एकमात्र भारतीय थे वीर सावरकर

0

 अतिवीर जैन पराग-

सात अक्टूबर उन्नीस सौ पांच विजयदशमी पर्व। पुणे के प्रमुख मार्गो से होते हुए विदेशी वस्त्रों को लेकर एक बैलगाड़ी आगे बढ़ रही थी और हजारों व्यक्ति विदेशी वस्त्रों को इस बैलगाड़ी में लादते जा रहे थे । यह बैलगाड़ी लकड़ी के पुल तक पहुंची और असंख्य नागरिकों के सामने इसे प्रचंड अग्नि के हवाले कर दिया गया । धू-धू करती इस ज्वाला को वीर सावरकर ने *गोरे रावण का दहन* का नाम दिया और अपने जोशीले भाषण से नागरिकों के हृदय में देश प्रेम की ज्वाला जला दी । इस अवसर पर तिलक और परांजपे के भी भाषण हुए। इस प्रकार विदेशी वस्त्रों का प्रथम होलिका दहन करने वाले वीर सावरकर थे। तब महात्मा गांधी ने भी दक्षिण अफ्रीका के अपने पत्र इंडियन ओपिनियन में विदेशी वस्त्रों के इस होलिका दहन की भरपूर आलोचना की थी। फिर 16 वर्ष बाद 11 जुलाई को परेल मुंबई में महात्मा गांधी ने स्वयं ही विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। इतिहासकारों ने भी विदेशी वस्त्रों की पहली होली जलाने का श्रेय महात्मा गांधी को दिया जबकि प्रथम विदेशी वस्त्रों की होली जलाने वाले वीर सावरकर थे।

विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के कारण कॉलेज प्रबंधन ने इनको कॉलेज से निष्कासित कर दिया और ₹ दस का जुर्माना लगाया । जिस पर नगर में जन आक्रोश उमड़ पड़ा और अंत में विद्यालय को इनका निष्कासन वापस लेना पड़ा लेकिन स्नातक पूर्ण करने के बाद कॉलेज प्रशासन ने इनकी डिग्री को जब्त कर लिया ।

जी हां हम बात कर रहे हैं वीर विनायक राव दामोदर सावरकर उर्फ तात्या राव की ,जिनका जन्म 28 मई 1883 को प्रातः 10 बजे नासिक जिले के भंगुर ग्राम में हुआ था।इनके पिता का नाम दामोदर राव पंत और माता का नाम राधाबाई सावरकर था। इनके एक बड़े भाई बाबा गणेश राव सावरकर थे। वीर विनायक दामोदर सावरकर दूसरे नंबर पर थे । तीसरे नंबर पर इनकी एक बहन मैना बाई थी । सबसे छोटे भाई बाल नारायणराव सावरकर दांतों के डॉक्टर थे। जब विनायक 9 वर्ष के थे तभी माता जी का देहांत हो गया था और जब मात्र 16 वर्ष के थे तो इनके पिता जी का देहावसान हो गया था । इसके बाद इनके पालन पोषण का जिम्मा इनके बड़े भाई बाबा गणेश ने उठाया । इनकी शादी यमुनाबाई सावरकर से हुई थी। इनके एक पुत्र विश्वास और एक पुत्री प्रभात चिपलुणकर हुई ।

विनायक दामोदर सावरकर ने लंदन के ग्रेज इन विधि विद्यालय से 1909 में विधि ( बैरिस्टर ) की परीक्षा उत्तीर्ण की पर उसका प्रमाण पत्र उन्हें कभी नहीं मिला l उसका कारण था उपाधि ग्रहण करते समय एक शपथ पत्र पर ब्रिटिश संविधान के प्रति स्वामी भक्ति का वचन देना होता था और हस्ताक्षर करने होते थे और सावरकर ने ऐसा करने से मना कर दिया । बैरिस्टर की यही उपाधि मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, कैलाश नाथ काटजू , भूलाभाई देसाई , सर तेज बहादुर सप्रू , जिन्ना और महात्मा गांधी जैसे लोगों ने भी शपथ पत्र पर अंग्रेजी संविधान और महारानी के प्रति अपनी स्वामी भक्ति के पत्र पर हस्ताक्षर करके ही पाई थी।

सावरकर ने लंदन में बैरिस्टरी करते हुए इंडिया हाउस को अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाया हुआ था। अंग्रेजों ने अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति को गदर का नाम दिया , उसे नकारते हुए वीर सावरकर ने इसे स्वातंत्र्य समर नाम से गौरवान्वित किया । एक जुलाई उन्नीस सौ नौ को इनके एक साथी मदन लाल ढींगरा ने विलियम कर्जन वायली को गोली मार दी, जिस पर इन्होंने लंदन टाइम्स में एक लेख लिखा। इससे कर्जन वायली की हत्या की योजना में शामिल होना मानकर और पिस्तौल भारत भेजने के आरोप में इन्हें 13 मई 1910 को लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया । 8 जुलाई 1910 को मोरिया नामक जहाज से भारत लाते हुए आप बाथरूम के रास्ते से भाग निकले , पर पकड़े गए और इन्हें 24 दिसंबर 1910 को प्रथम बार आजीवन कारावास की सजा दी गई। इसके बाद नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के षड्यंत्र में 31 जनवरी 1911 को दोबारा आजीवन कारावास की सजा दी गई और अंडमान की सेल्यूलर जेल में भेज दिया गया। सेल्यूलर जेल में इनके साथ बड़ा अमानवीय व्यवहार किया गया। हाथ पैर गले में बेड़ियाँ ड़ाली गयी। कोल्हू में बैल की तरह जोता गया। जेल के बाहर लगे जंगल और दलदली भूमि और पहाड़ी क्षेत्र को समतल करवाया गया। खाने को भोजन तक नहीं दिया जाता था रोज पीटा जाता था। सावरकर जुलाई 1911 से मई 1921 तक पोर्ट ब्लेयर की जेल में रहे। ब्रिटिश इतिहास और भारत के इतिहास में यह पहले व्यक्ति थे जिसे दो दो बार आजीवन कारावास की सजा दी गई । आजीवन कारावास की दूसरी सजा पर आपने जज से कहा चलो आपने भारत के पुनर्जन्म की बात को तो स्वीकार किया।

1921 में पोर्ट ब्लेयर जेल से रिहा होने के बाद उन्हें 3 साल तक जेल में रखा गया जिस दौरान इन्होंने हिंदुत्व पर एक शोध ग्रंथ लिखा । अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष भी बने।नागपुर विद्यापीठ ने 23 अगस्त 1943 को वीर सावरकर को उनके साहित्यिक सेवाओं के लिए पीएचडी की उपाधि से विभूषित किया था l

आप भारत के दो टुकड़े किए जाने के प्रबल विरोधी थे और अखंड भारत के पक्षधर थे। गांधी जी का और सावरकर बन्धुओं का यूं तो आपसी संपर्क रहता था पर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद गांधी जी का और सावरकर का दृष्टिकोण एकदम अलग था। सावरकर ने भारत विभाजन का विरोध किया था। सावरकर बीसवीं सदी के सबसे बड़े हिंदूवादी नेता थे और यही कारण है कि आज की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियां वीर सावरकर को हिंदूओं का समर्थक होने के कारण , उनकी अंग्रेजों से माफी का मुद्दा बनाकर जो कि सावरकर ने सरदार बल्लभ भाई पटेल और बाल गंगाधर तिलक के कहने पर एक योजनाबद्ध तरीके से रिहा होकर स्वतंत्रता संग्राम को तेज करने के लिए लिखा था , को देशद्रोही कहते है। वीर सावरकर ऐसे प्रथम क्रांतिकारी थे जिन पर स्वतंत्र भारत की सरकार ने गांधी जी की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाकर मुकदमा चलाया और उनके निर्दोष शामिल होने पर उनसे माफी मांगी थी ।

वीर सावरकर ने 1 फरवरी 1966 से मृत्युपर्यंत व्रत करने का निर्णय लिया और 26 फरवरी 1966 को मुंबई में भारतीय समय अनुसार प्रातः 10 बजे अपना पार्थिव शरीर छोड़ दिया l इस प्रकार उन्होंने मृत्यु के लिए भारतीय जैन परंपरा संथारा या संल्लेखना का मार्ग अपनाया,इससे पता लगता है सावरकर का अध्ययन कितना गहन था। आइए हिंदुत्ववादी सावरकर को याद करें जाति भेद , अगड़ा- पिछड़ा, अमीर गरीब भूल कर सभी एक हिन्दुत्व की राह पर चलें राष्ट्र को शक्तिशाली बनाये यही वीर सावरकर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी l

*(विनायक फीचर्स)* *(लेखक पूर्व उपनिदेशक, रक्षा मंत्रालय हैं।)*

गौशाला संचालकों को नहीं मिली अनुदान राशि

0

इंदौर: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए घोषणा की थी कि गाय के पालन पोषण के लिए प्रदेशभर की गौशालाओं को 40 रुपए प्रति गाय दिया जाएगा. हालांकि, किसी भी गौशाला संचालक को अभी तक 40 रुपए प्रति गाय नहीं मिला है. इसको लेकर कई बार गौशाला संचालकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखे हैं.

गौशाला संचालकों को नहीं मिली अनुदान राशि

दरअसल, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा गौशाला संचालकों को गाय की देखभाल करने के लिए प्रति गाय 20 रुपए दिया जाता था. इस राशि को बढ़ाकर सीएम मोहन यादव ने 40 रुपए करने की घोषणा की थी, लेकिन कई गौशालाओं को बड़ी हुई राशि के तहत पैसा मिलना शुरू नहीं हुआ. साथ ही घोषणा के बाद कई गोशालाओं को बीते 5 महीने से रुपए भी नहीं मिल रहा है. जिसके चलते गौशालाओं का संचालन करने वाले को परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है.इंदौर पंचकुइयां आश्रम के महामंडलेश्वर रामगोपाल दास महाराज ने कहा, “सरकार के घोषणा से पहले हमें कई दानदाताओं द्वारा गौशाला संचालन के लिए रुपए दिया जाता था. लेकिन, घोषणा के बाद लोगों ने दान देना बंद कर दिया. मुझे तकरीबन सात लाख रुपए उधार लेकर गायों के लिए भूसा भरना पड़ा. लगभग 5 महीने से गौशाला संचालकों को पैसा नहीं मिल रहा है. इसको लेकर कई बार संबंधित विभाग के अधिकारियों और मुख्यमंत्री को भी जानकारी दी गई है. लेकिन, अभी तक कोई उचित कदम नहीं उठाया गया है.
जानकारी के अनुसार, इंदौर जिले में लगभग 12 ऐसी गौशालाएं हैं जिले 5 महीने से अनुदान राशि नहीं मिली है. जिसके चलते सभी गौशाला संचालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

छतरपुर – कांजी हाउस बंद होने से लावारिश हो गए गौ-वंश

0
छतरपुर. एक तरफ सरकार गौ-सेवा और गौ-संरक्षण को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, तो दूसरी तरफ छतरपुर जैसे जिले में हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। यहां न तो चरनोई की जमीनें बची हैं, न ही पर्याप्त गौशालाएं। आलम यह है कि गौ-वंश शहर और जिले की सडक़ों पर बेसहारा घूम रहे हैं और रोजाना 4-5 दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। ट्रैफिक जाम से लेकर जान-माल की हानि तक इन घटनाओं के गवाह हैं।

चरनोई जमीन का इतिहास और बंदरबांट

शहर में गौवंशों के लिए आरक्षित चरनोई की जमीन का इतिहास काफी पुराना है। पन्ना रोड पर स्थित 270 एकड़ भूमि को कभी महाराजा भवानी सिंह जूदेव द्वारा गौ-शाला के लिए उपयोग में लाया जाता था। राजतंत्र खत्म होने के बाद इस भूमि को 1958-59 के बंदोबस्त रिकॉर्ड में मध्यप्रदेश शासन के नाम चरनोई भूमि के रूप में दर्ज किया गया। लेकिन समय के साथ यह जमीन सरकारी रिकॉर्ड से गायब होती चली गई। आरटीआई एक्टिविस्ट गोविंद शुक्ला के मुताबिक इस जमीन को 1971 के एक फर्जी आदेश के आधार पर महारानी के नाम दर्ज कर दिया गया, जबकि महारानी का निधन 1963 में ही हो चुका था। इसके बाद जमीन को महाराजा भवानी सिंह के नाम ट्रांसफर कर दिया गया और फिर 1984 व 1994 में क्रमश: 22 एकड़ और 8 एकड़ जमीन बेची गई। हैरानी की बात यह है कि खुद महाराजा ने 1989 में लिखित रूप में कहा था कि उन्होंने कभी कोई जमीन बेची नहीं और न ही किसी को बेचने का अधिकार दिया। इतना ही नहीं, कुछ जमीनें गणेश मंदिर को दान में दी गई थीं, जिसे बाद में गाड़ीखाना ट्रस्ट के नाम पर बेच दिया गया। यह ट्रस्ट महारानी की मृत्यु के बाद बनाया गया था और संबंधित खसरा नंबरों की कोई जमीन ट्रस्ट के नाम दर्ज भी नहीं थी। इसके बावजूद ट्रस्ट के माध्यम से जमीनों का जमकर व्यावसायिक उपयोग किया गया।

कांजी हाउस बंद होने से लावारिश हो गए गौ-वंश

छतरपुर शहर के पुरानी गल्लामंडी और खटकयाना मोहल्ला में कांजी हाउस का संचालन किया जाता था। जो गौ-वंश सडक़ पर आवारा घूमते पाए जाते,उन्हें कांजी हाउस भेज दिया जाता था। जहां उनके खाने और इलाज की व्यवस्था होती थी। नगर पालिका द्वारा संचालित कांजी हाउस गौ-वंश के मालिक से जुर्माना बसूलते थे। जिससे कांजी हाउस का खर्च निकलता था और शहर की सडक़ों पर गौ-वंश आवारा नहीं घूमते थे। न ट्रैफिक जाम,न सडक़ दुर्घटना होती थी। लेकिन नगरपालिका द्वारा कांजी हाउस बंद कर दिए जाने के बाद से शहर में गौ-वंश सडक़ों पर घूमने लगे।

पुरानी गौशालाएं बंद हो गई

जिले की गौशालाओं को हर साल 22 लाख रुपए का सरकारी अनुदान दिया जाता है, लेकिन इसका कोई सकारात्मक प्रभाव ज़मीन पर नहीं दिखता। न तो नई गौशालाएं खुल रही हैं, न ही पुरानी गौशालाओं की सुविधाएं बढ़ रही हैं। वर्ष 2016-17 में हुई जिला गौपालन समिति की जांच में पता चला कि कामधेनु भारती गोपाल गौशाला (बिजावर), श्री राधारानी गौशाला (भगवां) और श्रीकृष्ण गौशाला (हरपालपुर) बंद पाई गईं। इसके बाद 2018-19 में कामधेनु ग्वाड़ा गौशाला (लवकुशनगर), मां धंधागिरी गौशाला सेवा समिति (बारीगढ़) और रामकृष्ण गौशाला समिति (बकस्वाहा) भी बंद हो गईं।

2005 में बंद हो गए कांजी हाउस

लगभग वर्ष 2005 में ही कांजी हाउस का संचालन बंद हो गया था,बंद करने के कोई आदेश तो नहीं थे,लेकिन गौवंश नहीं आने या फिर आने पर उनके मालिक नहीं आते थे,इसलिए कांजी हाउस का संचालन बंद हो गया। हालांकि संविधान के 74वें संशोधन के तहत नगरपालिका क्षेत्र में गौ-वंश पर क्रूरता न करने के प्रावधान पर नगरपालिका द्वारा गौ-शाला का निर्माण किया गया।

डीडी तिवारी,पूर्व सीएमओ,नगर पालिका

MP NEWS – दमोह में गाय की निर्मम हत्या

0

मोह. मध्य प्रदेश के दमोह जिले से बड़ी खबर सामने आई है. जहां एक गाय की निर्मम हत्या कर दी गई. इस घटना के बाद लोगों में भारी आक्रोश है. फिलहाल, पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल शुरू कर ही है. यह घटना जबेरा थाना क्षेत्र के चंडी चोपरा की है.

जानकारी के मुताबिक, सोमवार सुबह राजेश सिंह की गाय मृत अवस्था में मिली. जिसके चारों थन कटे हुए थे. कुछ ही देर में यह खबर आग की तरह पूरे गांव में फैल गई और मौके पर ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा हो गई. घटना की जानकारी मिलते ही जबेरा थाना पुलिस मौके पर पहुंची.फिलहाल, वेटरनरी डॉक्टरों की टीम ने गाय का पीएम कर विधिवत दफना दिया है. इस घटना के बाद लोगों में काफी नाराजगी है. पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. साथ ही ग्रामीणों से पूछताछ भी की जा रही है.

दुग्ध उत्पादन में हरियाणा अग्रणी* – मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी

0

Haryana News: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों से अपील की है कि वे अपनी फसलों में रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग करने से बचें। उन्होंने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी सशक्त और मजबूत हो, इसके लिए हमें प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना होगा।

 

 

किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे न केवल मिट्टी की उर्वरा बनी रहती है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने हेतु हरियाणा सरकार किसानों को एक देसी गाय की खरीद पर 30 हजार रुपये तक की सब्सिडी प्रदान कर रही है, जिससे वे गो-आधारित जैविक विधियों को अपनाकर टिकाऊ कृषि की दिशा में आगे बढ़ सकेंगे।

मुख्यमंत्री सोमवार को जिला कुरुक्षेत्र के गांव बिहोली में राजकीय पशु चिकित्सा पॉलीक्लिनिक के उद्घाटन करने उपरांत उपस्थितजन को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने गांव के विकास कार्यों के लिए 21 लाख रुपये देने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग 4 करोड़ 67 लाख रुपये की लागत से बना यह पॉलीक्लिनिक आसपास के क्षेत्र के पशुओं को विशेष पशुचिकित्सा सेवाएं प्रदान करेगा। इस पॉलीक्लिनिक में पैथोलॉजी, पैरासिटोलॉजी, गायनोकोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, सर्जरी, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे जैसी सेवाओं के साथ-साथ इनडोर एवं आउटडोर इकाइयाँ भी उपलब्ध रहेगी। साथ ही, यह संस्थान विशेषज्ञ पशु चिकित्सा अधिकारियों, तकनीशियनों और सहायक स्टाफ से सुसज्जित होगा, जिससे यह एक आदर्श पशु चिकित्सा केन्द्र के रूप में स्थापित होगा।

वर्तमान समय में पशुपालन क्षेत्र में आ रही चुनौतियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज दुधारू पशुओं की कीमत हजारों में नहीं, लाखों में है। भूमिहीन और छोटे किसानों के लिए इतना महंगा पशु खरीदना मुश्किल होता है। यदि वह खरीद भी लेता है तो उसे पशु के स्वास्थ्य की चिंता रहती है। इन हालातों में पशु चिकित्सा संस्थानों का महत्व बहुत बढ़ गया है।

उन्होंने कहा कि इस समय पूरे राज्य में 6 राजकीय पशु चिकित्सा पॉलीक्लिनिक चल रहे हैं। ये सिरसा, जींद, रोहतक, भिवानी, सोनीपत और रेवाड़ी में स्थित हैं। अब कुरुक्षेत्र का यह पॉलीक्लिनिक 7वां केन्द्र बन गया है। उन्होंने कहा कि जिला कुरुक्षेत्र में इस समय 49 राजकीय पशु चिकित्सालय एवं 72 राजकीय पशु औषधालय चल रहे हैं। इनमें पशु चिकित्सकों के 51 पदों में से 47 पद तथा वी.एल.डी.ए के 130 में से 119 पद भरे हुए हैं।

नायब सिंह सैनी ने कहा कि राज्य सरकार लगातार गौवंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य कर रही है। पिछले 10 वर्षों में राज्य में लगभग 650 गौशालाएं खोली गई हैं। वर्ष 2014 से पहले गौशालाओं के लिए सरकार का बजट मात्र 2 करोड़ रुपये था, जबकि आज वर्तमान सरकार ने इस बजट को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये  से अधिक किया है ताकि कोई भी गौवंश बेसहारा न रहे।

दुग्ध उत्पादन में हरियाणा अग्रणी*

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें प्रदेश के किसानों और पशुपालकों पर गर्व है, जिनकी कड़ी मेहनत से हरियाणा को पशुपालन में विशेष पहचान मिली है। हालांकि, राज्य में देश के दुधारू पशुओं का मात्र 2.1 प्रतिशत हिस्सा है, फिर भी हम देश के कुल दूध उत्पादन का 5.11 प्रतिशत योगदान करते हैं।

वर्ष 2023-24 में हरियाणा ने 1 करोड़ 22 लाख 20 हजार टन दूध का उत्पादन किया था। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे प्रगतिशील पशुपालक इसमें लगातार बढोतरी करते जाएंगे। हमारी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध उपलब्धता भी राष्ट्रीय औसत से 2.34 गुणा है। राष्ट्रीय औसत 471 ग्राम है, जबकि हरियाणा की 1105 ग्राम है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य नस्ल सुधार करके और अधिक दूध का उत्पादन करना है।

 

एक साथ 8 गायों की मौत

0

शनिवार की अलसुबह लगभग तीन बजे के करीब तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने जिला मुख्यालय के नेशनल हाइवे मार्ग में कृष्णकुंज के पास सड़क पर बैठे मवेशियों के झुंड के ऊपर ही वाहन चला दिया। इस घटना में आठ गौवंश की मौत हो गई और कुछ गौवंश घायल हो गए। घायल गौवंश का इलाज किया जा रहा है। वहीं मृत गौवंश को जेसीबी से उठाकर टिप्परों में रखकर उसका अंतिम संस्कार किया गया।

वहीं दूसरी ओर नगर में लगातार बढ़ रहे लावारिस गौवंशो को नगर पालिका कांजी हाऊस व गौधाम में रखने असफल साबित हो रहा है। पालिका द्वारा हर बार योजना जरूर बनाई जाती है लेकिन कुछ दिन प्रयास चलने के बाद ही पालिका के अधिकारी मौन हो जाते हैं। सड़कों पर लगातार गौवंश की हादसों में मौत के मामले में गौ सेवकों में काफी नाराजगी है। हर हाल में गौ वंश को बचाने उचित पहल करने की मांग जिला व नगर प्रशासन से की है।

निष्क्रिय है प्रशासन, लापरवाही के चलते हादसा

मामले में गौ रक्षा अभियान के प्रमुख अजय यादव ने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है कि सड़कों पर मवेशियों का झुंड हो। पर आज तक प्रशासन ने क्या किया। उनकी अनदेखी के कारण ही आए दिन गौवंशों की मौत हो रही है। आखिर नगर प्रशासन क्यों गंभीर नहीं है। ठोस कदम क्यों नहीं उठाया जाता। आखिर कब तक बेजुबानों की मौत होती रहेगी।

कांजी हाऊस व गौधाम बना शो पीस

नगर में कांजी हाऊस के साथ ही गोधाम है लेकिन बड़ी बात यह है कि कुछ ही संख्या में गौवंश को रखकर खानापूर्ति की जा रही है। सड़कों व शहर में लावारिस घूम रहे गौवंश को रोकने पर कोई ठोस पहल नगर पालिका ने नहीं की है। सुबह जब लोगों ने सड़क पर गौ वंश के बिखरे शवों का देखा तो सभी हैरत में पड़ गए और सुबह नगर पालिका की टीम व गौ सेवकों की टीम ने मृत गौवंशों को सड़क से हटाया।

पुलिस खंगाल रही सीसीटीवी फुटेज

इधर पुलिस विभाग को इस मामले की जानकारी हुई तो पुलिस की टीम घटना स्थल पर पहुंची और कार्रवाई शुरू की। अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि आखिर कौन से वाहन व किसके वाहन ने गौवंशों को कुचला है। पुलिस घटना स्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज ले रही है।

मौत, गंजपारा मोड़, कॉलेज मोड़ व कृष्ण कुंज के पास ज्यादा

गौ रक्षा अभियान दल के सदस्यों ने बताया कि बीते लगभग दो सप्ताह के भीतर ही जिला मुख्यालय के सड़क में ही 20 से अधिक गौवंश की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा जो मौतें हो रही हैं, वह नेशनल हाइवे में ही हो रही हैं, जिसमें शहर के गंजपारा मोड़, कृष्णकुंज व कॉलेज मोड़ के पास ज्यादा हो रही है।

नगर पालिका का दावा सड़कों से मवेशियों को हटा रही है टीम

सड़कों पर मवेशियों के झुंड के मामले में नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिभा चौधरी ने कहा कि सड़कों से मवेशियों को हटाने टीम तैनात है। सड़कों पर बैठे मवेशियों को हटाने शाम को कार्रवाई की जाती है पर यहां जगह-जगह मवेशियों का झुंड लगना बताया जा रहा है। पालिका किस तरह से काम कर रही है।

गौपालक भी जिम्मेदार

नेशनल हाइवे मे हुई गौवंश की मौत पर नगर प्रशासन की लापरवाही तो साफ नजर आ रही है। लेकिन गौपालक भी जिम्मेदार हैं। गौ पालक अपने गौवंश को खुले मे छोड़ देते हैं, जब गाय दूध देती है तब तो अपने घरों में रखते है और दूध देना बंद किया तो सड़कों पर छोड़ देते है।

हरियाणा में तीन नए गौ-अभयारण्य बनाएगी सरकार

0

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने गौ-संवर्धन योजना को लागू किया है. इस योजना के तहत प्रदेश का पहला संयंत्र यमुनानगर में लगाया जाएगा. इस बायोगैस संयंत्र पर 90 करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी. मुख्यमंत्री सोमवार को लाडवा विधानसभा के गांव मथाना के गौवंश धाम एवं अनुसंधान केन्द्र में गौ-चिकित्सालय का शिलान्यास करने के बाद आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने आधुनिक गौ-चिकित्सालय के निर्माण के लिए 21 लाख रुपये सहयोग के तौर पर देने की घोषणा की.

नायब सिंह सैनी ने कहा कि मथाना में गौशाला और आधुनिक पशु अस्पताल के निर्माण से बेसहारा गौवंश सड़कों पर नहीं घूमेगा. साथ ही बीमार गौवंश का इलाज भी होगा. इसके साथ ही क्षेत्र के पशुपालकों को भी अपने पशुओं का इलाज करवाने की यहां पर सुविधा प्राप्त होगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश की गौशालाओं में चारा के लिए 270 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है. पिछले वर्ष 608 गौशालाओं में 166 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी. 310 गौशालाओं में शैड के लिए 30 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं. गायों की सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार ने सख्त कानून भी बनाए हैं.

331 गौशालाओं में लगाए गए सौर ऊर्जा प्लांट

मुख्यमंत्री ने कहा कि गौ माता की सेवा हमारे धर्म और संस्कृति का एक अभिन्न अंग है. सरकार द्वारा गौ संरक्षण पर लगातार बल दिया जा रहा है. प्रदेश सरकार आर्थिक और औद्योगिक विकास के साथ-साथ धार्मिक पहचान को भी बरकरार रखने की सोच को लेकर आगे बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस वित्त वर्ष में एक लाख एकड़ में प्राकृतिक खेती करने का लक्ष्य रखा है. प्राकृतिक खेती के लिए देसी गाय की जरूरत होती है. इसके लिए प्रति देसी गाय खरीदने पर 30 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने पंचायत की गौचरान भूमि को गौशालाओं के लिए दिए जाने का प्रावधान किया है, ताकि बेसहारा गौवंशों के लिए चारा का प्रबंध हो सके. प्रदेश में 331 गौशालाओं में सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं. 344 गौशालाओं में जल्द ही सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित किए जाएंगे. इस सौर ऊर्जा प्लांटों पर सरकार द्वारा 90 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है.

गौशालाओं के लिए 8 करोड़ रुपये की राशि जारी की

नायब सिंह सैनी ने कहा कि सरकार ने प्रदेश में तीन गौ-अभयारण्य का निर्माण करने का फैसला लिया है, इनमें गांव नैन, ढंढूर और पंचकूला को चुना गया है. गौशालाओं में शैड, पानी और चारे की व्यवस्था के लिए सरकार ने 8 करोड़ रुपये की राशि जारी की है. गौशाला में शैड बनाने के लिए हर गौशाला को 10-10 लाख रुपये देने की घोषणा की थी और अब तक 50 गौशालाओं में शैड का निर्माण पूरा कर लिया गया है. बाकी गौशालाओं में भी शैड का निर्माण जल्द ही पूरा किया जाएगा.

उन्होंने कहा, गौशालाओं के सहयोग के लिए सरकार ने विशेष योजना तैयार की है. वित्त वर्ष के बजट में गौशालाओं के लिए 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रावधान किया गया है, जबकि वर्ष 2014 से पहले की सरकार ने बजट में गौशालाओं के मात्र 2 करोड़ रुपये का ही प्रावधान किया हुआ था. उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में प्रदेश की 214 पंजीकृत गौशालाओं में 1.74 लाख गौवंश था। जबकि वर्तमान सरकार ने गौवंश के लिए विशेष योजना तैयार की और अब 683 पंजीकृत गौशालाएं हैं, इनमें 4.5 लाख गौवंश उपलब्ध है.

मुख्यमंत्री को गांव मथाना की सरपंच अंजना देवी ने गांवों की मांगों का मांग-पत्र सौंपा. कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उपस्थित लोगों की समस्याएं और शिकायतों को भी सुना और अधिकारियों को उनके समाधान के निर्देश दिए.

प्राकृतिक खेती को अपनाएं किसान-कृषि मंत्री

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है. यहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने गायों को चराया. उन्होंने कहा कि हमारे देश में तीन तरह की खेती की जा रही है. इनमें रासायनिक खेती, जैविक खेती और प्राकृतिक खेती शामिल है. अपने बच्चों और खुद के स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक खेती की जरूरत है. इसके लिए सरकार द्वारा देसी गायों और जीवामृत बनाने के लिए सामान पर सब्सिडी दी जा रही है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार में किसान की फसल का पैसा आढ़तियों के पास जाता था, लेकिन वर्तमान सरकार ने जिसकी फसल उसका पैसा नीति पर काम करते हुए किसानों के खातों में उनकी फसल का पैसा सीधे भेजने का काम किया है. किसानों को कम पैदावार होने पर भावांतर भरपाई योजना के तहत सरकार द्वारा सहयोग दिया जा रहा है.