Home Blog Page 193

सचेत-परंपरा के नए गीत मेरी होजा ने रचा जादू

0
गायक-संगीतकार जोड़ी सचेत-परंपरा अपने उत्साही प्रशंसकों के लिए भूषण कुमार द्वारा निर्मित प्यार का एक और राग ‘मेरी होजा’ लेकर आ रहे है। इस जोड़ी ने हाल ही में गाने का टीज़र जारी किया है, जिससे प्रशंसकों को उनके द्वारा रचे गए जादू की एक झलक मिल गई है। यह कहना ठीक होगा कि उनकी केमेस्ट्री स्क्रीन पर आग लगा रही है। सचेत और परंपरा द्वारा गाया और संगीतबद्ध किए गए गाने के स्वप्निल बोल कुमार द्वारा लिखे गए हैं। तानी द्वारा निर्देशित, संगीत वीडियो के टीजर की झलक प्यार की गर्मजोशी से भरा प्रतीत होता है। यह जोड़ी हर रिलीज के बाद संगीत का स्तर ऊंचा कर रही है, चाहे वह उनका वायरल ट्रैक मलंग सजना, दीवानी या नवीनतम मेरी होजा हो।
    सचेत-परंपरा द्वारा मेरी होजा टी-सीरीज़ द्वारा निर्मित है और 27 अक्टूबर 2023 को टी-सीरीज़ यूट्यूब चैनल पर रिलीज़ होगी।

रावण की ओट में राजनीति का राग

0
राकेश अचल
रामलीला के मंचों से रावण दहन की ओट में सियासी दलों ने जमकर राजनीति का राग गाया और जनता ठगी सी खड़ी देखती रह गयी, क्योंकि रामलीलाओं  में न असली राम लड़ रहे थे और न असली रावण जल रहे थे ।  सब कुछ नकली था।  असली थे तो सिर्फ नेताओं के चेहरे और उनके भाषण।  जिनमें राम का नाम ले-लेकर अपने विरोधियों की धज्जियां उड़ाई जा रहीं थीं। दिल्ली से पटना तक एक ही माहौल  था। राम और रावण तो केवल निमित्त थे।
दिल्ली में द्वारिका की रामलीला में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने  जनता को विजयादशमी की शुभकामनाओं के साथ ही, इंदिरा गाँधी के बीस सूत्रीय कार्यक्रम  के जवाब में अपने दस सूत्रीय कार्यक्रम को परोसा।  राम मंदिर और रामलला का जिक्र किया। आयोजकों ने भी पूरे मैदान में राम के बजाय मोदी जी के कटआउट लगाकर अपनी मोदी भक्ति का भरपूर मुजाहिरा किया।
देश की आर्थिक  राजधानी मुंबई में भी दिल्ली की तर्ज पर दशहरे पर जमकर राजनीति हुई ।  बाला साहेब की शिवसेना के दोनों गुटों ने एक-दूसरे के प्रति जमकर भड़ास निकाली। जनता रामलीला के बजाय शिवसेना की लीला देखकर दंग रह गयी। शिवसेना का एक धड़ा शिवाजी पार्क  में था तो दूसरा धड़ा आजाद पार्क में। शिवाजी पार्क में उद्धव ठाकरे ने गुजरात के अहमदाबाद में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के स्वागत पर भी सवाल उठाए। उद्धव ठाकरे ने कहा कि गुजरात में नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम में पाकिस्तान के क्रिकेटरों का स्वागत फूलों की वर्षा करके किया गया। उनके सम्मान में गरबा का नृत्य किया गया। ठाकरे ने कहा कि इन दृश्यों को देखने के बाद, उन्हें एक पल के लिए लगा कि पाक खिलाड़ी भाजपा में शामिल हो गए हैं क्या? ठाकरे ने कहा कि मौजूदा सरकार जनरल डायर सरकार है जिसने निर्दोष प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया था। उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की अपात्रता मामले का उल्लेख किया। इससे पहले शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अजित पवार और हसन मुशरिफ का हवाला देकर बीजेपी पर निशाना साधा।
आजाद मैदान में  शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री  एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर पलटवार किया। शिंदे ने कहा कि मैदान-स्थल महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि विचारधारा और विचार महत्वपूर्ण हैं। शिंदे ने कहा कि उनकी रैली में बाला साहेब के विचार हैं। एकनाथ शिंदे ने कहा कि असली शिवसेना आजाद मैदान में है। उन्होंने कहा कि सत्ता के लिए उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व को धोखा दिया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि आजाद मैदान में आजाद शिवसैनिक जुटे हैं।
रावण के जरिये पटना में भी पॉलीटिक्स हुई ।  जेडीयू ने मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अपने पांच प्रत्याशी उतारकर सपा की तरह ही आईएनडीआईए गठबंधन  के साथ घात किया। जम्मू-कश्मीर और काँगड़ा में भी रावण जलाये गए लेकिन वहां सियासत नहीं हो पायी, हालाँकि कोशिश की गयी। दशहरे  के दिन पूरे देश में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए गए  वहीं बिसरख में  राम के बजाय शिव जी की पूजा की गयी। उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित सेक्टर-1 के पास मौजूद गांव बिसरख को रावण का गांव कहा जाता है। यहां  रावण दहन नहीं किया जाता है, उल्टा दशहरे पर रावण को बेटा मानकर याद किया जाता है। यहां की महिलाएं इस दिन रावण की जन्मस्थली पर बने अष्टकोणीय शिवलिंग की पूजा करने आती हैं। मान्यता  है कि यह वही शिवलिंग है जिसकी आराधना कर रावण ने भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया था।
दशहरे पर भले ही देश भर में राम-रावण युद्ध हो,रावण के पुतले जलाये जाएँ लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सुप्रीमो डॉ मोहन भागवत अपनी भागवत बांचते है।  इस बार भी वे चुप नहीं रहे, बोले ।  उन्होंने  मणिपुर के मुद्दे पर वो सब कह दिया जो माननीय प्रधानमंत्री कहने   में हिचकते रहे।  संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि मणिपुर की वर्तमान स्थिति को देखते हैं तो यह बात ध्यान में आती है कि लगभग एक दशक से शांत मणिपुर में अचानक यह आपसी फूट की आग कैसे लग गई? क्या हिंसा करने वाले लोगों में सीमापार के अतिवादी भी थे? अपने अस्तित्व के, भविष्य के प्रति आशंकित मणिपुरी मैतेयी समाज और कुकी समाज के इस आपसी संघर्ष को सांप्रदायिक रूप देने का प्रयास क्यों और किसके द्वारा हुआ? वर्षों से वहां पर सबकी समदृष्टि से सेवा करने में लगे संघ जैसे संगठन को बिना कारण इसमें घसीटने का प्रयास करने में किसका निहित स्वार्थ है? इस सीमा क्षेत्र में नागाभूमि व मिजोरम के बीच स्थित मणिपुर में ऐसी अशांति व अस्थिरता का लाभ प्राप्त करने में किन विदेशी सत्ताओं को रुचि हो सकती है?
रावण तो श्रीमती सोनिया गांधी ने भी लाल किले के मैदान में जलाया लेकिन उन्होंने वहां कोई राजनीतिक भाषण नहीं दिया। उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष  मल्लिकार्जुन खड़गे भी वहां थे।
देश में पहली बार ऐसा लगा कि किसी को रावण से कोई मतलब नहीं है ।  सभी को अपनी-अपनी राजनीति और छवि की फ़िक्र है ।  फिर चाहे वो भाजपा हो,संघ हो, कांग्रेस या शिवसेना। लोकतंत्र में परम्पराओं और धार्मिक आस्थाओं के मंचों का ऐसा दुरूपयोग आखिर कौन रोकेगा? इसके लिए तो कोई कानून फिलहाल है नही।  धर्म और राजनीति का कॉम्बो शेक बनाया और बेचा जा रहा है। अब मर्जी है आपकी कि आप इसे पियें या न पियें। (विभूति फीचर्स)

Dashara special – भगवान राम का वनवास स्थल : चित्रकूट

0

दिनेश चंद्र वर्मा – विभूति फीचर्स

भगवान राम की कथा, उनके वनवास की कथा के बिना अधूरी है और उनकी वनवास की कथा उनके चित्रकूट के निवास के उल्लेख के बिना अधूरी कही जा सकती है। अपने बारह वर्ष के वनवास में कोई ग्यारह वर्ष राम ने चित्रकूट में ही बिताये थे। भगवान राम ने अपने वन गमन में चित्रकूट को ही क्यों पसन्द किया? इसका एकमात्र उत्तर है चित्रकूट का प्राकृतिक सौन्दर्य, जो आज भी बरकरार है। हरे-भरे वन, कल-कल बहती हुई मंदाकिनी नदी तथा पहाडिय़ों से गिरते हुए अनेक झरने आज भी मन मोह लेते हैं।

चित्रकूट एक स्थान विशेष का नाम नहीं है, अपितु लगभग पचास वर्ग किलोमीटर में फैले क्षेत्र का नाम है। यह क्षेत्र दो प्रदेशों (उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश) के दो जिलों (बांदा और सतना) में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में विंध्याचल पर्वत की शाखाओं के रूप में अनेक पहाडिय़ाँ हैं। किसी समय में यहां अशोक के वन रहे होंगे, क्योंकि चित्रकूट का अर्थ संस्कृत भाषा में अशोक का वन होता है। आज अशोक के वन तो नहीं है किन्तु हरी-भरी पहाडिय़ाँ अपने आकर्षक रूप में आज भी मौजूद हैं। इन पहाडिय़ों की शोभा उसी तरह है, जिस तरह महर्षि वाल्मीकि ने अपनी अमर कृति वाल्मीकीय रामायण में वर्णित की थी। वाल्मीकि ने चित्रकूट की मनोरमता का वर्णन राम के मुंह से इस तरह कराया है- ‘हे भद्रे (सीता) नाना प्रकार के पक्षियों से मुक्त तथा अनेक धातुओं से विभूषित ऊँचे शिखरों वाले पर्वतों को देखो। कोई चांदी की तरह नीलमणि के समान चमकता है, कोई पुष्प राग की तरह और और कोई स्फटिक मणि की तरह है। कोई केतकी के रंग का है, कोई तारे की तरह चमक रहा है तथा कोई पारे की तरह दमक रहा है। अतएव अनेक रंगों की धातुओं के सदृश्य दिखने के कारण इस पहाड़ी क्षेत्र का नाम चित्रकूट पड़ा है।

तीर्थ स्थान- चित्रकूट की गणना भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में होती है। रामभक्तों की यह मान्यता और धारणा है कि यहाँ राम आज भी निवास करते हैं। इस मान्यता में उस जनश्रुति का भी योगदान है, जिसके अनुसार कहा जाता है कि हनुमान जी की कृपा से चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के घाट पर राम ने तुलसीदास को दर्शन दिये थे। चित्रकूट में मंदाकिनी नदी पर आज भी वह घाट है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसी घाट पर राम को तुलसीदास ने तिलक लगाया था। इस संबंध में एक दोहा भी प्रचलित है-

चित्रकूट के घाट पर, भई संतन की भीर।

तुलसीदास चन्दन घिसे, तिलक करें रघुबीर।।

तुलसीदास से सम्बन्धित यह कथा जिस घाट से सम्बन्धित है, उसे रामघाट कहा जाता है। रात्रि के समय इस घाट की शोभा देखते ही बनती है। मंदाकिनी के जल में झिलमिलाती चांदनी बड़ी ही मनमोहक होती है। इसी घाट पर तोतामुखी हनुमान की प्रतिमा है। कहा जाता है कि जब तुलसीदास मंदाकिनी में स्नान करने वालों को तिलक लगा रहे थे तब छद्मवेश में राम भी उनके सामने आ गये। तुलसीदास उन्हें पहचान नहीं सके। तब हनुमानजी ने तोते का रूप धारण करके, तुलसीदास को भगवान राम की उपस्थिति की जानकारी दी थी। तोतामुखी हनुमान की प्रतिमा से थोड़ा ऊपर यज्ञबेदी के नाम से प्रसिद्ध एक स्थान है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ब्रह्मा ने यज्ञ किया था। यज्ञवेदी के समीप ही पर्णकुटी नामक एक अन्य स्थान है। कहा जाता है कि यहाँ पर कुछ दिनों तक राम और लक्ष्मण पर्णकुटी बनाकर रहे थे।

तुलसीदास और चित्रकूट- रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने चित्रकूट में काफी दिनों तक निवास किया था। उनके निवास के दो स्थान बताये जाते हैं। इनमें से एक निवास तो उसी रामघाट पर है, जहाँ उन्हें भगवान राम ने दर्शन दिये थे। दूसरा स्थान कामदगिरि नामक पहाड़ी पर चरणपादुका के पास स्थित है।

राघव प्रयाग- रामघाट के पास ही राघव प्रयाग नामक स्थान है। यह वह स्थान है, जहाँ मंदाकिनी नदी से पयोष्णी (पाण्यस्विनी) नामक एक छोटी सी नदी का संगम होता है। इस स्थान को प्रयाग (इलाहाबाद) के समान पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है। अपने वनवास में जब राम को अपने पिता दशरथ के निधन की सूचना मिली थी, तब उन्होंने यहीं तर्पण किया था, इसीलिए इस स्थान को राघव प्रयाग कहा जाता है। इस घाट पर पन्ना के राजा श्री अमान सिंह द्वारा बनवाया हुआ एक सुन्दर मंदिर भी है। राघव प्रयाग के सामने भी एक घाट है, जिसे मंदाकिनी घाट कहा जाता है। राघव प्रयाग एवं उसके समीप ही मंदाकिनी नदी पर अनेक घाट स्थित हैं। इन घाटों पर अनेक मंदिर हैं, जो काफी ऊँचाई पर बने हुए हैं। ये मंदिर मध्यकालीन भारतीय शिल्पकला के अच्छे उदाहरण कहे जा सकते हैं।

मंदाकिनी नदी : इस स्थान पर मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश की सीमा निर्धारित करती है। नदी का दक्षिणी भाग उत्तरप्रदेश में तथा उत्तरीतट मध्यप्रदेश में है।

जानकी कुंड – मंदाकिनी नदी के तट पर चलते हुए जब हम उत्तर की ओर बढ़ते हैं तो नदी के तट पर एक कुंड है, जिसे जानकारी कुंड कहा जाता है। इस स्थान की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। नदी के दोनों किनारों पर हरियाले जंगल हैं तथा बीच में सफेद पत्थरों की चट्टानें हैं। इसी कुंड के पास एक सफेद पत्थर पर राम के चरण चिह्न उत्कीर्ण हैं।

स्फटिक शिला- मंदाकिनी नदी के तट पर हम और आगे बढ़ते हैं तो स्फटिक शिला नामक स्थान आता है। यह स्थान रामायण की उस कथा की स्मृति दिलाता है, जब इन्द्र के पुत्र जयन्त ने कौए का रूप धारण कर सीता के चरण पर चोंच मारी थी। स्फटिक शिला नामक स्थान पर दो चमकीली शिलाएं हैं, जिनमें राम, लक्ष्मण और सीता के चरण चिह्न उत्कीर्ण हैंं।

सीता के चरण चिह्न दो स्थानों पर बताये जाते हैं। एक तो कामदगिरि के पास चरणपादुका नामक स्थान पर तथा दूसरे हनुमान-धारा के रास्ते पर। इन सभी चिह्नों की विशेषता यह है कि ये मानव निर्मित नहीं हैं अपितु प्राकृतिक रूप से बने दिखाई पड़ते हैं।

अनुसूया आश्रम- अपने पतिव्रत धर्म के लिए पुराण प्रसिद्ध अनुसूया का आश्रम चित्रकूट में है। इस आश्रम के सामने से ही मंदाकिनी नदी का उद्गम होता है। कहा जाता है कि अनुसूया ने अपने तप के प्रभाव से मंदाकिनी नदी को वहां पर प्रकट किया था।

रामायण में इस बात का भी उल्लेख है कि अनुसूया ने  सीता को पतिव्रत धर्म का उपदेश दिया था। इस आश्रम तथा समीपवर्ती परमहंस आश्रम में सती अनुसूया एवं उनके जीवन से संबंधित अनेक कथाओं की सुन्दर प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं।

गुप्त गोदावरी- मंदाकिनी नदी के रामघाट से कोई बारह किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुप्त गोदावरी नामक स्थान, प्रकृति की शिल्पकला का एक अद्भुत एवं अनुपम नमूना है। गुप्त गोदावरी में दो प्राकृतिक गुफाएं हैं। ये दोनों ही गुफाएं पहाड़ में काफी भीतर तक चली गयी हैं। इनमें से एक गुफा पहाड़ की चोटी पर है तथा दूसरी तलहटी में है।

चोटी पर स्थित गुफा में ही एक झरना है। कहा जाता है कि इसी झरने से गुप्त गोदावरी निकली थी। इस झरने के पास गुफा के भीतर एक स्थान ऐसा है, जो मंदिर के किसी शिखर के भीतरी भाग की तरह लगता है। इसकी विशेषता यह है कि इसे मानव ने नहीं बनाया है, बल्कि प्राकृतिक रूप से ही यह निर्मित हुआ है। पहाड़ी की तलहटी में स्थित गुफा में राम कुंड एवं लक्ष्मण कुंड नामक दो झरने हैं। इस गुफा की दीवारों पर प्रकृति ने अनुपम शिल्पकला दिखाई है। एक स्थान पर ऐसा लगता है कि सहस्रों नागफन उठाये खड़े हैं। इस स्थान को शेषावतार कहा जाता है। दोनों गुफाओं में पानी में से होकर जाना होता है।  गुफाओं में दिन में भी भारी अंधकार रहता है, किन्तु दर्शकों की सुविधा के लिए आजकल बिजली का प्रबन्ध है।

कामदगिरि- कामदगिरि या कामतानाथ के नाम से प्रसिद्ध पहाड़ी के बारे में कहा जाता है कि इस पहाड़ी की स्वयं भगवान राम ने पूजा की थी तथा यहाँ निवास किया था। धार्मिक मान्यता है कि इस पहाड़ी के दर्शन और परिक्रमा से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इन पहाड़ों की परिक्रमा के लिए पक्का रास्ता बना हुआ है, जो पांच किलोमीटर लम्बा है। इस रास्ते का निर्माण सन् 1725 में बुंदेलखण्ड के प्रसिद्ध राजा छत्रसाल की पत्नी महारानी चांदकुंवरी ने किया था। परिक्रमा के रास्ते पर अनेक मंदिर स्थित हैं, जिनमें विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं। कहा जाता है कि इस परिक्रमा में सारे तीर्थ निवास करते हैं। कामदगिरि या कामतानाथ की पूजा एक देवता के रूप में की जाती है। इस पर्वत का एक प्राकृतिक मुख भी है, जिसको कामतानाथ का मुखारबिन्द कहा जाता है। सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन इस पहाड़ी की परिक्रमा करते हैं। इस पर्वत को श्रद्धालुओं द्वारा राम की तरह ही आराध्य एवं वंदनीय माना जाता है।

कामदगिरि विन्ध्याचल की एक शाखा है तथा इसका वर्णन महाकवि कालिदास ने मेघदूत में ‘भ्रकुच’ के रूप में किया है। तुलसीदास ने भी इस पहाड़ी के संबंध में लिखा है-

कामदगिरि भये राम प्रसादा।

अवलोकत अपहरत विषादा।।

हनुमान धारा के नाम से एक पहाड़ी झरना भी काफी प्रसिद्ध है। एक पहाड़ी के ऊपर से यह झरना, हनुमान जी की प्रतिमा के सामने गिरता है। हनुमान धारा के समीप पंचमुखी हनुमान-धारा नामक एक अन्य झरना है। इन दोनों धाराओं के बीच में नरसिंहधारा नामक एक तीसरा झरना है।

हनुमान धारा जिस पहाड़ी पर स्थित है, उसकी चोटी पर सीताजी की रसोई नामक स्थान है। कहा जाता है कि इस स्थान पर सीताजी भोजन बनाती थीं। यहाँ सीताजी का मंदिर तथा पत्थर के चकोटे बेलन दर्शनीय हैं।

भरत कूप- कामदगिरि से कोई 10 किलोमीटर दूरी पर भरत कूप नामक एक कुआँ है। इस कुएं के बारे में कहा जाता है कि जब भरत रामचन्द्र जी को अयोध्या वापस लाने के लिए गये थे तो उन्हें राजतिलक करने के लिए वे अपने साथ सारे तीर्थों का जल ले गये थे। रामचन्द्रजी ने जब राज्याभिषेक कराने से इंकार कर दिया तो भरत ने तीर्थों का जल जिस कुएं में डाल दिया था, वह भरत कूप के नाम से विख्यात है। मान्यता है कि इसके जल के स्नान से सारे तीर्थों के स्नान का पुण्य मिलता है।

रामशैया- यह चट्टान भी प्राकृतिक है और इसमें दो चिह्न ऐसे बने हुए हैं, जैसे किसी के सोने से गद्दे पर बन जाते हैं। कहते हैं कि इस चट्टान पर एक चिह्न रामचन्द्रजी के सोते समय बना था और दूसरा चिह्न सीताजी के सोते समय। इन दोनों चिह्नों के बीच धनुष का भी चिह्न है।

तीन महाकवियों द्वारा वर्णित स्थल- चित्रकूट की विशेषता यह है कि इसकी प्राकृतिक सुषमा का वर्णन भारत के तीन महाकवियों-वाल्मीकि, कालिदास एवं तुलसीदास ने किया है। वाल्मीकि और तुलसीदास के वर्णन तो आप पढ़ ही चुके हैं। कालिदास ने भी चित्रकूट का वर्णन ‘वन्द्य:पुंसां रघुपतिं पंदंरकितं मेखलासु’ के रूप में किया है। अर्थात् चित्रकूट की पर्वतमेखला पर रामचन्द्र के चरण चिह्न अंकित है ।

रामचन्द्रजी अपना वनवास चित्रकूट में ही बितायें यह सुझाव महर्षि वाल्मीकि ने दिया था। इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास कृत रामचरित मानस में मिलता है। वाल्मीकि का आश्रम कामदगिरि से कोई 25 मील दूर लालापुर पहाड़ी पर स्थित है।

महर्षि वाल्मीकि का यह सुझाव कितना उपयुक्त था, इसका अनुमान चित्रकूट पहुंचकर ही लगाया जा सकता है, क्योंकि चित्रकूट के कणकण में जो प्राकृतिक छटा व्याप्त है उसे देखकर मानव का क्या, देवताओं का मन भी नाच उठता है। तभी तो भगवान राम ने अपने वनवास का अधिकांश समय यहीं बिताया था। भगवान राम के वनवास की तो स्मृति ही अब शेष है, किन्तु चित्रकूट की मनमोहक प्राकृतिक सुषमा आज भी दर्शकों का मन मोह लेती है। (विभूति फीचर्स)

आदिशक्ति कौन… और दुर्गा कौन?

0

डॉ. मधु धवन

शक्ति या ऊर्जा के बिना प्राणी निर्जीव है। संपूर्ण ब्रह्माïण्ड देवी का प्रतिबिम्ब है अथवा छायामात्र है। भौतिक पदार्थों एवं जीवों में शक्ति अर्थात्ï देवी द्वारा चेतना व प्राण का संचार होता है। अत: यही मुख्य कारण है कि शक्ति की साधना कर मानव अपना-अपना जीवन सफल बना सकता है।
भगवती मां के अनेक नाम और रूप हैं। वे जगत्जननी माहेश्वरी, अम्बा, जगदंबा हैं। मनुष्य क्या, देवता तक अपने कल्याण के लिए मां की वंदना करते हैं। वे पापों का विनाश करती हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।

देवी भागवतपुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि एक बार नारदजी के मन में यह जानने की इच्छा बलवती हुई कि आखिर त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश किसकी उपासना-आराधना करते हैं। अपने मन को शांत करने के लिए नारद भगवान शिवशंकर के समक्ष जाकर नतमस्तक हुए। भगवान शंकर को प्रणाम कर थोड़ी देर उलझन में खड़े रहे कि कैसे अपने संशय का समाधान करें?

भगवान शंकर ने स्वयं ही पूछ लिया- क्या बात है नारद! तुम कुछ चिंतित एवं परेशान हो? नारद ने अपना सिर झुकाया, जय हो भोलेनाथ की जय हो। एक क्षण वे चुप रहकर बोले, प्रभु! भला मैं आपसे अपना मनोभाव प्रकट नहीं करूंगा तो किससे करूंगा। सच तो यही है  भगवान कि मैं यहां कैलाश धाम में, आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूं।

कहो, नारद क्या जानना चाहते हो? भगवान शिव मुस्कराए प्रभु, मेरे मन में क्या जानने की इच्छा है यह आपसे छिपी नहीं है। आप त्रिकालदर्शी हैं और आपको सब पता है फिर भी आपकी आज्ञा है तो मैं निवेदन करता हूं।

नारद ने नारायण…नारायण….का उद्ïघोष किया, फिर अत्यन्त विनम्र भाव से कहा- भगवान! मैं यह जानना चाहता हूं कि आप, परमपिता ब्रह्मा तथा श्रीहरि विष्णु तीनों देव किसकी उपासना करते हैं? मुझे तो आप तीनों से बढ़कर कोई और देवता नहीं लगा, जिसकी आप सब उपासना-आराधना करते हैं?

भगवान शिव नारद की चतुराई पर एक क्षण तक मुस्कराते रहे, फिर सहज होकर बताने लगे- नारद! सूक्ष्म एवं स्थूल शरीर से परे जो महाप्राण आदिशक्ति है, वह स्वयं परब्रह्मï स्वरूप हैं। वह केवल अपनी इच्छामात्र से ही सृष्टिï की रचना, पालन एवं संहार करने में समर्थ हैं। वास्तव में वह निर्गुण स्वरूपा हैं परंतु धर्म की रक्षा तथा दुष्टो के विनाश हेतु समय-समय पर दुर्गा, काली, चण्डी, वैष्णो, सरस्वती, पार्वती के रूप धारण करती हैं। प्राय: यह भ्रम होता है कि यह देवी कौन है? और क्या यह परब्रह्म से भी बढ़कर है? स्वयं भगवती ने देवी भागवत पुराण में ब्रह्माजी के इन प्रश्नों का उत्तर दिया है

एक ही वास्तविकता है और वह है सत्य। मैं ही सत्य हूं। मैं न तो नर हूं, न नारी और न ही कोई ऐसा प्राणी हूं जो नर या मादा हो अथवा नर-मादा भी नहीं हूं। ऐसा भी कुछ नहीं हूं, परन्तु कोई वस्तु ऐसी नहीं है, जिसमें मैं विद्यमान नहीं हूं। मैं प्रत्येक भौतिक वस्तु और शरीर में शक्ति रूप में रहता हूं।

मैं संतुष्ट हुआ प्रभु! नारद ने प्रेमभाव से कहा और नारायण… नारायण… कहकर चल पड़े।
इसी महाशक्ति ने कहा है, सृष्टि से पहले मेरा, सिर्फ मेरा अस्तित्व था और कुछ नहीं था। मुझे ही चिंता मेघा, परब्रह्म जैसे अनेक नामों से जाना जाता है। मैं बुद्धि, विचार या किसी भी नाम या संकेत से परे हूं। मेरे समान कुछ नहीं है। मैं जन्म-मृत्यु या किसी अन्य परिवर्तन या रूपांतरण से परे हूं। माया मेरी अन्तर्भूत शक्ति है। जो न विद्यमान है और न ही अनुपस्थित। इसे इन दोनों अवस्थाओं में भी नहीं समझा जा सकता है।

श्री देवी भागवत पुराण में भगवान विष्णु ने यह स्वीकार किया है कि त्रिदेवों में से कोई भी स्वतंत्र नहीं है। वे सब जो कुछ भी कहते या करते हैं, वे सब महादेवी की इच्छा से करते तथा कहते हैं। तात्पर्य यह है कि यदि ब्रह्माïजी सृष्टिï की रचना करते हैं, विष्णु पालन करते हैं और भगवान भोलेनाथ संहार करते है, तो वे केवल यंत्र की भांति कार्यरत हैं, ठीक उसी प्रकार जैसे कोई मशीन अपना कार्य कर रही होती है। उस मशीन की संचालिका उस आदि पराशक्ति देवी मां के हाथ में है।

देवी माहात्म्य में दुर्गा महिषासुर मर्दिनी की उत्पत्ति का उल्लेख इस प्रकार आया है- देवताओं के राजा इन्द्र और असुरों के राजा महिषासुर के बीच महायुद्ध हुआ, जो सौ वर्षों तक चला। इस महायुद्ध में असुरों ने देवताओं की सेना को परास्त कर दिया और असुर महिष सभी देवताओं को जीतने के बाद स्वयं इंद्र बन बैठा।

तब पराजित देवगण परमपिता ब्रह्मा के नेतृत्व में श्रीहरि के पास गए और युद्ध एवं पराजय का रूप बताया। दैत्यराज को वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु किसी कुंवारी कन्या के हाथ से होगी। अत: देवताओं के सम्मिलित तेज से देवी को प्रकट करने का निश्चय किया गया।

सर्वप्रथम श्रीहरि विष्णु के मुख से महान ऊर्जा प्रस्फुटित हुई, जो पूर्ण रूप से तीव्र रोष का ही रूप थी। ऐसी ही ऊर्जा भगवान शिव और ब्रह्माï के मुख से तथा इन्द्र के शरीर से भी प्रस्फुटित हुई और अन्य देवों ने भी महान ऊर्जा का अंशदान दिया।

कहते हैं- शिव के तेज से देवी का मुख प्रकट हुआ, यमराज के तेज से देवी का वेश श्रीहरि के तेज से देवी की भुजाएं, चंद्रमा के तेज से स्तन, इन्द्र के तेज से कमर, वरुण के तेज से जंघा, पृथ्वी के तेज से नितम्ब, ब्रह्मïा के तेज से चरण, सूर्य के तेज से पैरों की उंगलियां, प्रजापति के तेज से समस्त दांत, अग्नि के तेज से दोनों नेत्र, संध्या के तेज से भौहें, वायु के तेज कान और इसी तरह अन्य देवताओं की शक्ति से भगवती के अन्य अंग बने।

भगवान शिव ने भगवती को आयु के रूप में अपना त्रिशूल दिया, लक्ष्मीजी ने कमल-पुष्प, श्रीहरि ने चक्र, अग्नि ने शक्ति तथा बाणों से भरा तरकस दिया। प्रजापति ने स्फुटिक मणियों की माला, वरुण ने दिव्य शंख, हनुमानजी ने गदा, शेषनाग ने मणियों से सुशोभित नाग, इन्द्र ने वज्र, वरुण देव ने पाश व तीर, ब्रह्मïजी ने चारों वेद तथा हिमालय ने सवारी के लिए सिंह प्रदान किया। समुद्र ने उज्ज्वल हार और कभी न फटनेवाला दिव्य वस्त्र, चूड़ामणि, कुण्डल, कंगन, नूपुर तथा अंगूठियां भेंट कीं। इन समस्त वस्तुओं को देवी ने अपनी अठारह भुजाओं में धारण किया।

स्वयं देवताओं के पूछने पर देवी ने अपना परिचय मैं ब्रह्म हूं कहकर दिया। मुझसे ही प्रकृति, पुरुष और शून्य-अशून्य जगत् है। मैं ही जानने योग्य आनंद और अनानंद हूं। मैं ही ब्रह्म और अब्रह्म हूं।

देवताओं की प्रार्थना पर दुर्गा मां ने दैत्यराज महिषासुर तथा उसके पराक्रमी असुरों का मर्दन नौ दिनों में कर देवताओं को अभय प्रदान किया। मां ने इस नौ दिन के युद्ध में नौ रूप धारण किए। नवरात्र का देवी उत्सव इन्हीं दिनों की स्मृति का, कल्याण का प्रतीक है। (विभूति फीचर्स)

वनप्लस ने वनप्‍लस ओपन का ग्‍लोबल लॉन्‍च किया

0
मुंबई : ग्लोबल टेक्‍नोलॉजी ब्रैंड वनप्लस ने आज अपने नए फोल्डिंग फ्‍लैगशिप स्मार्टफोन, वनप्लस ओपन के ग्लोबल लॉन्च की घोषणा की। अपनी कभी समझौता न करने की विशेषताओं के साथ वनप्लस का अपनी तरह का अनूठा, वनप्‍लस ओपन स्‍मार्टफोन फोल्डेबल फोन के मार्केट में हलचल मचाने के लिए तैयार है। यह फोन वनप्लस स्मार्ट फोन से मिलने वाला सहज अनुभव यूजर्स को देता है। इसमें फोल्ड के लिए हैजलब्लैड कैमरा है। नए अल्ट्रा-पोर्टेबल और फोल्डेबल डिजाइन के आधुनिक फोन में उपभोक्ताओं को बेमिसाल मनोरंजन का खजाना मिलता है।
     वन प्लस के प्रेसिडेंट और सीओओ  किंडर लियू ने कहा, “ओपन” शब्द केवल नए फोल्डिंग फोन के प्रकार का प्रतिनिधित्व करता है, पर इससे हमारी नए संभावनाओं को खोजने और मार्केट में मौजूद आधुनिक तकनीक को अपनाने की हमारी इच्छा भी सामने आती है। वनप्लस ओपन में नए डिजाइन के फोन के साथ उपभोक्ताओं को बेमिसाल हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर के नए-नए फीचर्स और इस नए फॉर्म फैक्टर के इर्द-गिर्द सर्विसेज मिलती हैं। हम वनप्लस ओपन फोन के फीचर्स में कोई समझौता न करने की विचारधारा पर कायम है। वनप्लस ओपन फोन की पेशकश के साथ हम दुनियाभर के उपभोक्ताओं को किसी भी फीचर्स के साथ समझौता न करने वाला प्रमुख फोल्डेबल अनुभव उपलब्ध कराकर बेहद उत्साहित हैं। वनप्लस ओपन वास्‍तव में एक प्रमुख फोन है, जो फोल्डेबल फोन के मार्केट में बड़ा बदलाव लाने के लिए तैयार है।”

मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के साथ मेरा पुराना नाता है-अनिल कपूर

0
मुंबई : देश के सबसे बड़े आभूषण ब्रांडों में से एक मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स ने बोरीवली में मुंबई का अपना 7वां स्टोर लॉन्च किया है. प्रसिद्ध अभिनेता एवं मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के ब्रांड एंबेसडर अनिल कपूर ने 21 अक्टूबर 2023 को मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के प्रबंधन के प्रमुख अधिकारियों व शुभचिंतकों की उपस्थिति में स्टोर का उद्घाटन किया.
    यह स्टोर वीर सावरकर गार्डन के पास एल.टी. रोड पर स्थित है. यह अत्याधुनिक स्टोर तीन मंजिलों में 10,000 वर्ग फुट से अधिक में फैला हुआ है. इसमें एक प्राइवेट लाउंज है, जो पर्सनलाइज्ड सेवाएं ऑफर करता है और उसमें दुल्हन के आभूषणों की खरीदारी के लिए एक वेडिंग एरीना है. स्टोर में 20,000 से अधिक डिजाइन प्रदर्शित किए गए हैं, जिनमें ब्राइडल, सॉलिटेयर, डायमंड और हल्के आभूषणों के शानदार संग्रह शामिल हैं. इसमें माइन डायमंड ज्वेलरी, एथनिक्स हैंडक्राफ्टेड डिजाइन, प्रीसिया जेमस्टोन कलेक्शन समेत मालाबार के कई प्रसिद्ध उप-ब्रांडों की बेजोड़ किस्मों को भी प्रदर्शित किया गया है.
    मालाबार ग्रुप के चेयरमैन एम.पी. अहमद ने स्टोर के लॉन्च पर कहा, “हमें मुंबई के सबसे व्यस्त सबअर्ब में से एक बोरीवली में अपना स्टोर लॉन्च करते हुए खुशी हो रही है. बोरीवली स्टोर मैक्सिमम सिटी मुंबई के साथ हमारे संबंधों को और मजबूत करेगा. यह स्टोर प्रभावशाली कलेक्शन रेंज, उचित मूल्य, लग्जरी इंटीरियर, शानदार माहौल और असाधारण ग्राहक सेवा के साथ शहर में आभूषण प्रेमियों को आकर्षित करेगा. बोरीवली स्टोर को ग्राहकों के आराम और उनकी सुविधा पर ध्यान केंद्रित करके डिजाइन किया गया है. मालाबार के लोकप्रिय उप-ब्रांडों को प्रदर्शित करने वाले स्पेशल सेक्शन के साथ सोच-समझकर तैयार किए गए इंटीरियर निश्चित रूप से स्टोर के अंदर के अनुभव को बेहतर बनाएंगे. स्टोर में अलग-अलग ग्राहकों की प्राथमिकताओं, अवसरों और बजट को पूरा करने वाले उत्कृष्ट डिजाइनों की एक अद्वितीय श्रृंखला है. मैं खरीदारी के विश्वस्तरीय अनुभव के लिए बोरीवली स्टोर में आने वाले सभी लोगों का स्वागत करता हूं.”
     प्रसिद्ध अभिनेता एवं मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के ब्रांड एंबेसडर अनिल कपूर ने कहा, “मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के साथ मेरा पुराना नाता है. उनके अद्भुत शिल्प कौशल व आभूषणों के उत्कृष्ट संग्रह, व्यापार के पारदर्शी तरीकों व नीतियों और ग्राहकों पर केंद्रित दृष्टिकोण ने उन्हें भारत और भारत से बाहर आभूषण के खुदरा बाजारों में एक अग्रणी नाम बना दिया है. मेरे होम टाउन में उनका स्टोर खुलना निश्चित रूप से मेरे लिए एक विशेष क्षण है. मैं सभी से मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के बोरीवली स्टोर में विश्व स्तरीय खरीदारी अनुभव का आनंद लेने का आग्रह करता हूं.”

भारत के हर कोने तक पहुंची ‘हुनर

0
मुंबई : महिलाओं को कौशल-निर्माण और उद्यमशीलता के अवसर प्रदान करने के लिए समर्पित अग्रणी स्किलटेक प्लेटफॉर्म, हुनर ऑनलाइन कोर्सेस ने भारत में महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव हासिल किया है। मुंबई में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में हुनर ऑनलाइन कोर्सेस ने निवेशक सुश्री शिल्पा शेट्टी कुंद्रा के साथ 28 राज्यों में 55,000 से अधिक महिला उद्यमियों को तैयार करने की एवं भारत के हर कोने तक पहुंचने की अपनी यात्रा की ख़ुशी मनाई। इस अवसर पर प्रेरक ब्रांड फिल्मों का वर्ल्ड प्रीमियर आयोजित किया गया था। इन फिल्मों में दृढ़निश्चयी भारतीय महिलाओं की वास्तविक जीवन की कहानियां बताई गयी हैं, जिन्होंने चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी आंतरिक शक्ति और कौशल का उपयोग करते हुए उल्लेखनीय सफलता हासिल की हैं। इन फिल्मों में जीवन यात्रा को स्क्रीन पर लाते हुए काव्यात्मक और लयबद्ध शैली का उपयोग किया गया है।
     सभी 28 राज्यों के 6000+ कस्बों की 30 लाख से अधिक महिलाओं में गृहिणी, युवा छात्र और कामकाजी महिलाएं शामिल हैं, उनमें से 30% महिलाएं पहले से ही सरकार द्वारा प्रमाणित फैशन, फ़ूड और ब्यूटी कौशल सीखने के बाद सफलतापूर्वक अपना खुद का व्यवसाय चला रही हैं। हुनर ऑनलाइन कोर्सेस ने महिला उद्यमियों के साथ आगे बढ़ते हुए राष्ट्र के निर्माण के अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए अपने निवेशक और ब्रांड एंबेसडर के रूप में शिल्पा शेट्टी कुंद्रा के साथ हाथ मिलाया है।
    हुनर ऑनलाइन कोर्सेस की सीईओ निष्ठा योगेश ने कहा, “कौशल अधिग्रहण के माध्यम से महिलाओं की उन्नति के हमारे मिशन में शामिल होने के लिए हम अपनी निवेशक और भागीदार, शिल्पा शेट्टी कुंद्रा, हमारी गुरु, नीता लुल्ला और सभी उपस्थित लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। आज का कार्यक्रम कौशल शिक्षा और सशक्तिकरण की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक है, जो देश भर में महिलाओं के लिए उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है और हमारे समाज की आकांक्षाओं को आवाज देता है। मुझे खुशी है कि हम, एक देश के रूप में, महिलाओं की शक्ति का समर्थन करते हैं, लेकिन हमें अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। उद्यमशीलता के अवसरों के साथ महिलाओं को शिक्षित करने, समर्थन करने और सशक्त बनाने में निवेश करने की हुनर की प्रतिबद्धता भारत की महिलाओं की शक्ति का उपयोग करेगी और अर्थव्यवस्था में अद्वितीय परिवर्तन लेकर आएगी!”
     प्रेरक ब्रांड की फिल्मों में दिखाया गया कि कैसे इन महिलाओं ने अपने जीवन भर के सपने को हकीकत में बदलने की दिशा में पहला कदम उठाया, हर दिन सीखा और अपना नाम और नई पहचान बनाई। फिल्मों का नरेशन शिल्पा शेट्टी कुंद्रा द्वारा किया गया है, जिनकी अपनी यात्रा भी इन्हीं महिलाओं की तरह प्रेरक है। अपने काव्यात्मक आवाज़ का उपयोग करते हुए शिल्पा जी कौशल की ताकत में अपने दृढ़ विश्वास को दोहराती है। हुनर की सभी ब्रांड फिल्मों का उद्देश्य देश भर में महिलाओं को प्रेरित करना है; यह फ़िल्में कहती हैं कि खुद पर विश्वास रखें और हुनर के समर्थन से वित्तीय स्वतंत्रता और सम्मान की दिशा में आगे बढ़ें।
     महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पड़ाव बना यह कार्यक्रम, हुनर के छात्रों के वीडियो टेस्टीमोनियल्स की एक मर्मस्पर्शी श्रृंखला के साथ समाप्त हुआ, जिसमें उनकी परिवर्तनकारी यात्राओं को दिखाया गया। ये कहानियां भारतीय महिलाओं पर पड़ने वाले प्रभाव की एक शक्तिशाली याद के रूप में, उन्हें अपने सपनों को हासिल करने में मदद करती रहेंगी।

37वें राष्ट्रीय खेल में उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को मुख्यमंत्री धामी ने फ्लैग ऑफ कर किया रवाना।

0
देहरादून 23अक्टूबर 2023, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सेवक सदन, मुख्यमंत्री आवास, देहरादून में आगामी 37वें राष्ट्रीय खेल, गोवा में उत्तराखण्ड राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों के दल को फ्लैग ऑफ कर रवाना किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 37वें राष्ट्रीय खेल में राज्य की ओर से प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को खेल किट/ ट्रैक सूट वितरण कर शुभकामनाएं प्रेषित की।
मुख्यमंत्री ने खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सभी खिलाड़ी अपने मनोबल एवं लगन से राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उत्तराखंड का नाम रोशन करेंगे। राष्ट्रीय खेलों में खिलाड़ी अपनी कुशल खेल प्रतिभा के बल पर देवभूमि का नाम अवश्य रोशन करेंगे। उन्होंने कहा इस वर्ष खेल विधाओं एवं खिलाड़ियों की संख्या में वृद्धि हुई है। राज्य में खेल संस्कृति का निरंतर विकास हो रहा है। राज्य सरकार भी राज्य में खेल संस्कृति विकसित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में प्रतिभा को बढ़ाए जाने के मकसद से खेल प्रतिभाशाली और उभरते हुए खिलाड़ियों के लिए खेल छात्रवृत्ति देने का कार्य जारी है। उन्होंने कहा राज्य में खेल और खिलाड़ियों के प्रोत्साहन हेतु “नई खेल नीति’’ लाई गई है। खिलाड़ियों को जमीनी स्तर से खेल क्षेत्र में रूचि लाने हेतु 14 से 23 वर्ष तक के खिलाड़ियों को ’’मुख्यमंत्री खिलाड़ी प्रोत्साहन योजना’’ के अंतर्गत 2000 प्रति माह छात्रवृत्ति एवं 10 हजार रुपए प्रति वर्ष संबंधति खेलों हेतु किट खरीदने के लिए दिए जा रहे है। ’’मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना’’ में 08 से 14 वर्ष के उभरते खिलाड़ियों को 1500 रूपये प्रतिमाह की खेल छात्रवृत्ति दी जा रही है। साथ ही खिलाड़ियों को नियमानुसार त्वरित वित्तीय लाभ दिये जाने हेतु ” मुख्यमंत्री खेल विकास निधि’ की स्थापना भी की गयी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने पिथौरागढ़ दौरे के दौरान प्रदेश के प्रत्येक खिलाड़ी का मान बढ़ाया है। राज्य सरकार ने खिलाड़ियों के प्रतियोगिता एवं प्रशिक्षण शिविरों में यात्रा के दौरान दुर्घटना होने पर आर्थिक सहायता की व्यवस्था की है। प्रदेश सरकार विश्वविद्यालयों में व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु 5 प्रतिशत र्स्पोट्स कोटे की व्यवस्था करने के लिये नियमावली बनाने जा रही है। निजी खेल क्षेत्रों के माध्यम से खेल अवस्थापना सुविधाओं के निर्माण हेतु अनुदान दिये जाने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा राज्याधीन सेवाओं में सेवायोजन के लिए 4 प्रतिशत खेल कोटे को पुनः लागू किये जाने की कार्यवाही भी की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी खिलाड़ी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ भरपूर मेहनत एवं’ विकल्प रहित संकल्प’ के मूल मंत्र को अपनाकर अपने लक्ष्य निर्धारित करें और उस लक्ष्य को पाने के लिए जी जान से जुट जाएं। राज्य सरकार भी आपके साथ हर कदम पर खड़ी है।
खेल मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने सभी खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि खिलाड़ियों के बीच आकर स्वयं को गौरवान्वित एवं ऊर्जावान महसूस कर रही हूं। उन्होंने कहा बदलते समय के साथ लोगों का खेल के प्रति नजरिया भी बदला है। उत्तराखंड खेल के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के संकल्प अनुसार खेल के क्षेत्र में निरंतर प्रगति हुई है। प्रदेश में खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किए जाने हेतु छात्रवृत्ति भी प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा राज्य सरकार ने खिलाड़ियों का सरकारी सेवा में रास्ता खोला है। आज खिलाड़ियों के वर्तमान के साथ भविष्य भी बनाने का कार्य जारी है।
विशेष प्रमुख सचिव श्री अभिनव कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय खेलों में इस बार राज्य की ओर से 240 सदस्यीय टीम प्रतिभाग कर रही है। जिसमें 177 खिलाड़ियों के साथ 63 टीम ऑफिशियल्स हैं और यह टीम 25 खेल विधाओं में प्रतिभाग करेगी। उन्होंने खिलाडियों को आगामी खेल हेतु शुभकामनाएं दी।
इस दौरान कार्यक्रम में उत्तराचंल ओलंपिक एसोसिएशन संघ के अध्यक्ष निर्मान मुखर्जी, महासचिव डॉ. डी.के सिंह, निदेशक खेल जितेंद्र कुमार सोनकर, डॉ. अलकनंदा अशोक एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

केंद्र ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का किया गठन, 2030 तक हल्दी निर्यात 1 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य

0

21अक्टूबर 2023, नई दिल्ली: केंद्र ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का किया गठन, 2030 तक हल्दी निर्यात 1 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य – भारत सरकार ने अधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन की घोषणा की हैं। यह बोर्ड देश में हल्दी और उससे संबंधित उत्पादों के विकास और विस्तार पर ध्यान केंद्रित करेगा। भारत में हल्दी की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में की जाती है।

भारत हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक
भारत विश्व में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। वर्ष 2022-23 में 11.61 लाख टन (वैश्विक हल्दी उत्पादन का 75 प्रतिशत से अधिक) के उत्पादन के साथ भारत में 3.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की गई थी। भारत में हल्दी की 30 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं और यह देश के 20 से अधिक राज्यों में उगाई जाती है। हल्दी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं।

2030 तक 1 बिलियन डॉलर तक निर्यात का लक्ष्य
हल्दी के विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत से अधिक है। 2022-23 के दौरान, 380 से अधिक निर्यातकों द्वारा 207.45 मिलियन डालर मूल्य के 1.534 लाख टन हल्दी और हल्दी उत्पादों का निर्यात किया गया था। भारतीय हल्दी के लिए प्रमुख निर्यात बाजार बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और मलेशिया हैं। बोर्ड की केंद्रित गतिविधियों से यह उम्मीद की जाती है कि 2030 तक हल्दी निर्यात 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।

कौन होगा सदस्य
राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष, आयुष मंत्रालय, केंद्र सरकार के फार्मास्यूटिकल्स, कृषि मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग विभाग, तीन राज्यों के वरिष्ठ राज्य सरकार के प्रतिनिधि (रोटेशन के आधार पर), अनुसंधान में शामिल राष्ट्रीय/राज्य संस्थानों, चुनिंदा हल्दी किसानों और निर्यातकों के प्रतिनिधि होंगे, बोर्ड के सचिव की नियुक्ति वाणिज्य विभाग द्वारा की जाएगी।

राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड हल्दी से संबंधित मामलों में नेतृत्व प्रदान करेगा, प्रयासों को मजबूत बनाएगा तथा हल्दी क्षेत्र के विकास और वृद्धि में मसाला बोर्ड और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ अधिक समन्वय की सुविधा प्रदान करेगा।

बोर्ड के उद्देश्य
हल्दी के नए उत्पाद विकास और मूल्य वर्धन को बढ़ावा देना।

अंतराष्ट्रीय बाजारों में हल्दी और हल्दी के उत्पादों की जागरूकता और खपत को बढ़ावा देना। अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना

हल्दी के मूल्य वर्धित उत्पादों के विकास के लिए संभावित अंतरार्ष्ट्रीय बाजारों में बाजार अनुसंधान की सुविधा प्रदान करना।

गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करना .

हल्दी की संभाल और संभावनाओं को बनाने और अधिकतम करने का काम करना.

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फ़ेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NCCF) के निदेशक मंडल को संबोधित किया

0

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फ़ेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NCCF) के निदेशक मंडल को संबोधित किया। श्री अमित शाह ने कहा कि NCCF को वर्ष 2027-28 तक 50 हजार करोड़ रुपये का टर्नओवर प्राप्त कर आत्मनिर्भर बनना चाहिये। उन्होंने कहा कि NCCF को देश भर की प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) और अन्य सहकारी संस्थाओं को अपना सदस्य बनाने पर जोर देना चाहिये जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि NCCF की अंश पूंजी में सहकारिता का अनुपात अपेक्षाकृत अधिक हो। केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि इसके लिये NCCF को अपना बिज़नेस प्लान डेवलप करने तथा बिज़नेस एप्रोच में बदलाव लाना होगा।

 

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विज़न को पूरा करने में NCCF महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, अपने गठन के बाद से, सहकारिता मंत्रालय ने देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने और GDP में सहकारी समितियों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए पिछले 26 महीनों में 52 पहल की हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि NCCF को आत्मनिर्भर सहकारी संस्था बनने के लिए अगले 10 वर्ष का एक रोडमैप बनाना चाहिए। उन्होने कहा कि इसे क्रियान्वित करने में सहकारिता मंत्रालय अपना पूर्ण सहयोग दे सकता हैं। केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने NCCF द्वारा अपनी सहयोगी कंपनियों के साथ इथेनॉल के उत्पादन के लिये गुजरात, बिहार और अन्य राज्यों के किसानों से मक्के की खरीदारी सुनिश्चित करने पर विशेष ज़ोर दिया।

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि अगर एनसीसीएफ और नेफेड चाहे तो सहकारिता मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (NIC) से डिजिटल प्लेटफार्म पर अपना एक कॉमन ऐप तैयार करवा सकते हैं और इस कॉमन ऐप के माध्यम से सामंजस्य स्थापित कर मक्के की खरीदारी की जा सकती हैं। श्री शाह ने NCCF द्वारा किसानों से दलहन की खरीदारी कर निर्यात के अवसर तलाशने और इस खरीद को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सुनिश्चित करने पर बल दिया। उन्होंने एग्रेसिव एक्सटेंशन और मार्केटिंग अपनाने, किसानो को पूर्व में आश्वासन देकर खरीद करने तथा कॉमन कलेक्शन सेंटर बनाए जाने पर भी ज़ोर दिया।

श्री अमित शाह ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि NCCF प्याज एवं दालों की खरीद के लिये पैक्स के साथ संबद्ध हो सकता है, ताकि सहकारिता के क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी भंडारण योजना के तहत इसके भंडारण की व्यवस्था बनाई जा सके। उन्होंने कृषि उत्पादों में निर्यात के अवसर और चावल की खरीदारी कर राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NECL) द्वारा उसे निर्यात करने के अवसर तलाशने को भी कहा।

NCCF के चेयरमैन श्री विशाल सिंह ने आश्वस्त किया कि वे केंद्रीय गृह एवं सहकारिता द्वारा सुझाये गए लक्ष्यों को पूर्ण करेंगे। निदेशक मंडल की बैठक में सहकारिता मंत्रालय के सचिव श्री ज्ञानेश कुमार और NCCF के प्रबंध निदेशक एनिस जोसेफ चंद्र भी शामिल हुए।