21अक्टूबर 2023, नई दिल्ली: केंद्र ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का किया गठन, 2030 तक हल्दी निर्यात 1 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य – भारत सरकार ने अधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन की घोषणा की हैं। यह बोर्ड देश में हल्दी और उससे संबंधित उत्पादों के विकास और विस्तार पर ध्यान केंद्रित करेगा। भारत में हल्दी की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में की जाती है।

भारत हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक
भारत विश्व में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। वर्ष 2022-23 में 11.61 लाख टन (वैश्विक हल्दी उत्पादन का 75 प्रतिशत से अधिक) के उत्पादन के साथ भारत में 3.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की गई थी। भारत में हल्दी की 30 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं और यह देश के 20 से अधिक राज्यों में उगाई जाती है। हल्दी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं।

2030 तक 1 बिलियन डॉलर तक निर्यात का लक्ष्य
हल्दी के विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत से अधिक है। 2022-23 के दौरान, 380 से अधिक निर्यातकों द्वारा 207.45 मिलियन डालर मूल्य के 1.534 लाख टन हल्दी और हल्दी उत्पादों का निर्यात किया गया था। भारतीय हल्दी के लिए प्रमुख निर्यात बाजार बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और मलेशिया हैं। बोर्ड की केंद्रित गतिविधियों से यह उम्मीद की जाती है कि 2030 तक हल्दी निर्यात 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।

कौन होगा सदस्य
राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष, आयुष मंत्रालय, केंद्र सरकार के फार्मास्यूटिकल्स, कृषि मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग विभाग, तीन राज्यों के वरिष्ठ राज्य सरकार के प्रतिनिधि (रोटेशन के आधार पर), अनुसंधान में शामिल राष्ट्रीय/राज्य संस्थानों, चुनिंदा हल्दी किसानों और निर्यातकों के प्रतिनिधि होंगे, बोर्ड के सचिव की नियुक्ति वाणिज्य विभाग द्वारा की जाएगी।

राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड हल्दी से संबंधित मामलों में नेतृत्व प्रदान करेगा, प्रयासों को मजबूत बनाएगा तथा हल्दी क्षेत्र के विकास और वृद्धि में मसाला बोर्ड और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ अधिक समन्वय की सुविधा प्रदान करेगा।

बोर्ड के उद्देश्य
हल्दी के नए उत्पाद विकास और मूल्य वर्धन को बढ़ावा देना।

अंतराष्ट्रीय बाजारों में हल्दी और हल्दी के उत्पादों की जागरूकता और खपत को बढ़ावा देना। अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना

हल्दी के मूल्य वर्धित उत्पादों के विकास के लिए संभावित अंतरार्ष्ट्रीय बाजारों में बाजार अनुसंधान की सुविधा प्रदान करना।

गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करना .

हल्दी की संभाल और संभावनाओं को बनाने और अधिकतम करने का काम करना.

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