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केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने भारत की जलवायु नीति संरचना के तीन प्रमुख बिंदुओं को रेखांकित किया

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भारत सबसे भरोसेमंद साझेदार है, जो राजनीतिक स्थिरता, दूरदर्शी नेतृत्व और सतत भविष्य के लिए प्रतिबद्धता प्रदान करता है: सीआईआई शिखर सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव

श्री यादव ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं की विकास सम्बंधी अनिवार्यताओं को जलवायु के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ जोड़ने के लिए भारत की अद्वितीय जलवायु नीति के तीन स्तंभों को रेखांकित किया

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन 2025 को संबोधित किया। इस सम्मेलन का विषय था – ‘विश्वास का निर्माण – भारत सर्वप्रथम’। विशेष पूर्ण सत्र का संबोधन ‘भारत की जलवायु नीति संरचना: उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए मार्ग’ विषय पर था।

श्री यादव ने ‘भारत की कहानी’ का वर्णन करते हुए कहा कि यह परंपरा और परिवर्तन का मिश्रण है, जहाँ लोकतंत्र विकास के साथ-साथ चलता है, और करुणा दृढ़ता के साथ सह-अस्तित्व में है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की कहानी का सार भारत को हमेशा सर्वोपरि रखने में है।

शिखर सम्मेलन में श्री यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) की प्रशंसा की, जो पर्यावरण संरक्षण को एक सहभागी प्रक्रिया में बदल देती है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह मिशन पृथ्वी को बचाने में समुदायों, व्यवसायों और व्यक्तियों को सामूहिक रूप से योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने भारत की जलवायु नीति संरचना के तीन प्रमुख बिंदुओं को रेखांकित करते हुए उन पर ध्यान केंद्रित किया:

1. आत्मनिर्भर चक्रीय अर्थव्यवस्थासतत विकास का मार्ग

भारत एक रेखीय से एक चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल में परिवर्तित हो रहा है, जिसका लक्ष्य अपशिष्ट को कम करना और संसाधन दक्षता को बढ़ाना है। सरकार ने रीसाइक्लिंग और टिकाऊ उपभोग को बढ़ावा देने के लिए टायर, बैटरी, प्लास्टिक और ई-कचरे सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) दिशानिर्देश पेश किए हैं।

2022 और 2024 के बीच, रीसाइक्लिंग सेक्टर में कुल ₹10,000 करोड़ का निवेश हुआ है, जो टिकाऊ प्रथाओं के प्रति उद्योग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अनुमान है कि 2050 तक सर्कुलर इकोनॉमी सेक्टर का मूल्य 2 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा, जिससे लगभग 10 मिलियन नौकरियाँ पैदा होंगी।

2. प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा और लचीलेपन को मजबूत करना

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ राष्ट्रव्यापी अभियान  की शुरुआत की है, जो पर्यावरण संरक्षण में एक समुदायिक पहल है। मिशन लाइफ के तहत ग्रीन क्रेडिट नियमों की शुरूआत पर्यावरण संरक्षण की दिशा में स्वैच्छिक कार्यों को प्रोत्साहित करती है, जिससे स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।

3. अनुकूलन को बढ़ावा देनाजलवायु लचीलापन बनाना

भारत जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों को पहचान कर अनुकूल रणनीतियों से लचीलापन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने जलवायु वित्त वर्गीकरण का मसौदा ढांचा जारी किया है, जिसमें अनुकूलन और शमन के तहत गतिविधियों को वर्गीकृत करने के लिए कार्यप्रणाली की रूपरेखा दी गई है।

इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) को प्रस्तुत की जाने वाली पहली राष्ट्रीय अनुकूलन योजना का विकास, अनुकूलन क्षमता को बढ़ाने, ज्ञान प्रणालियों को मजबूत करने और जलवायु जोखिमों के प्रति जोखिम को कम करने पर केंद्रित है।

श्री यादव ने इस बात पर जोर दिया कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत वैश्विक स्तर पर सबसे भरोसेमंद साझेदार बना हुआ है। यह भरोसा भारत की राजनीतिक स्थिरता, दूरदर्शी नेतृत्व, सांस्कृतिक मूल्यों और टिकाऊ भविष्य के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण है।

केंद्रीय मंत्री ने उद्योग जगत के नेताओं से आत्मनिर्भर सर्कुलर अर्थव्यवस्था के निर्माण में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने उन्हें भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी के तहत शुरू किए गए संसाधन दक्षता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था उद्योग गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, जो ज्ञान-साझाकरण और टिकाऊ प्रथाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए एक सहयोगी मंच है।

शिवराज सिंह चौहान ने भुवनेश्वर में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का शुभारंभ किया

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मत्स्य पालन भारत की खाद्य सुरक्षा का अभिन्न अंग – श्री शिवराज सिंह चौहान

तकनीकों को किसानों तक प्रभावी रूप से पहुंचाने की आवश्यकता है – श्री शिवराज सिंह

किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए मजबूत मत्स्य क्षेत्र विकसित होना चाहिए- श्री चौहान

कार्यक्रम में 600 से अधिक किसान एवं स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं शामिल हुईं

भारतीय कृषि क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल के रूप में, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज भुवनेश्वर स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद  केंद्रीय मीठाजल मत्स्य पालन संस्थान (ICAR-CIFA), काउसल्यागंगा में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA-2025)’ का विधिवत शुभारंभ किया। यह अभियान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य कृषि एवं मत्स्य पालन क्षेत्र में नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों को किसानों तक पहुंचाकर एक टिकाऊ और समृद्ध भारत का निर्माण करना है।

अपने उद्घाटन भाषण में श्री चौहान ने VKSA-2025 की दूरदर्शी सोच को रेखांकित करते हुए बताया कि यह अभियान देश के 1.5 करोड़ से अधिक किसानों तक पहुंचने का लक्ष्य रखता है। उन्होंने कहा कि यह अभियान न केवल तकनीकी प्रचार-प्रसार और क्षमता निर्माण पर केंद्रित है, बल्कि किसानों से सीधा संवाद स्थापित कर उन्हें नवाचारों से जोड़ने का माध्यम भी बनेगा। श्री चौहान ने मत्स्य पालन को भारत की खाद्य सुरक्षा का अभिन्न अंग बताते हुए ICAR-CIFA द्वारा विकसित सभी तकनीकों को किसानों तक प्रभावी रूप से पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि उनकी आय में बढ़ोतरी हो और एक मजबूत मत्स्य क्षेत्र विकसित हो सके।

इस अवसर पर ओडिशा सरकार के उपमुख्यमंत्री एवं कृषि, किसान सशक्तिकरण व ऊर्जा मंत्री श्री कनक वर्धन सिंह देव, मत्स्य एवं पशु संसाधन विकास मंत्री श्री गोकुलानंद मलिक, एकामरा विधायक श्री बाबू सिंह एवं पिपिली विधायक श्री अश्रित पटनायक उपस्थित रहे।

ICAR की ओर से महानिदेशक एवं सचिव (DARE) डॉ. एम. एल. जाट, उपमहानिदेशक (मत्स्य विज्ञान) डॉ. जे. के. जेना, उपमहानिदेशक (कृषि विस्तार) डॉ. राजबीर सिंह और ICAR-ATARI कोलकाता के निदेशक डॉ. प्रदीप डे प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

डॉ. एम. एल. जाट ने VKSA-2025 को एक परिवर्तनकारी प्री-खरीफ अभियान करार देते हुए कहा कि यह पहल वैज्ञानिक शोध को किसानों की ज़मीनी ज़रूरतों से जोड़ने का प्रभावी माध्यम है।

कार्यक्रम में 600 से अधिक किसान एवं स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं शामिल हुईं और वैज्ञानिकों के साथ संवाद कर कृषि व मत्स्य पालन से संबंधित उन्नत तकनीकों, सतत खेती के तरीकों और एकीकृत दृष्टिकोणों की जानकारी प्राप्त की। इस दौरान, मत्स्य पालन क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में ICAR-CIFA द्वारा विकसित “CIFA Argu VAX–I” नामक एक नवाचारात्मक मछली टीके का लोकार्पण माननीय कृषि मंत्री द्वारा किया गया। यह टीका मछलियों में परजीवी संक्रमण की रोकथाम कर मत्स्यपालकों की आर्थिक हानि को कम करने में सहायक सिद्ध होगा।

कार्यक्रम के दौरान एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया, जिसमें स्वयं सहायता समूहों (SHGs), कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), खोरधा और ICAR-CIFA द्वारा विकसित उत्पादों और नवाचारों को प्रदर्शित किया गया। यह आयोजन समुदाय की भागीदारी और जमीनी स्तर पर नवाचार की शक्ति को दर्शाता है।

कार्यक्रम का सफल समापन उपमहानिदेशक (कृषि विस्तार) डॉ. राजबीर सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने सभी गणमान्य अतिथियों, प्रतिभागियों और सहयोगियों को इस अभियान की शुरुआत को ऐतिहासिक और प्रभावशाली बनाने के लिए धन्यवाद दिया।

यह अभियान 29 मई से 12 जून 2025 तक देशभर में चलाया जाएगा, जिसका उद्देश्य एक समावेशी, सशक्त और भविष्य-उन्मुख कृषि प्रणाली का निर्माण करना है।

योग संस्थान वैश्विक कल्याण आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए मंत्रालयों के साथ एकजुट हुए

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अंतर-मंत्रालयी समिति ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए राष्ट्रव्यापी तैयारियों की समीक्षा की; प्रधानमंत्री विशाखापत्तनम से भव्य राष्ट्रीय कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे

11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (आईडीवाई) के भव्य समारोह की तैयारी के लिए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 की तैयारियों पर चर्चा और रणनीति बनाने के लिए कल सुषमा स्वराज भवन, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) की बैठक हुई। समग्र सरकारी दृष्टिकोण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, बैठक में प्रमुख मंत्रालयों, आयुष संस्थानों और हितधारक विभागों के वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित हुए, ताकि लोककल्याण के इस वैश्विक उत्सव के लिए व्यापक भागीदारी और प्रभावशाली पहुंच सुनिश्चित की जा सके।

केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने मुख्य भाषण देते हुए, प्रधानमंत्री के प्रत्येक नागरिक तक योग पहुंचाने दृष्टिकोण को साकार करने में एक संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस केवल एक उत्सव नहीं है – यह एक आंदोलन है जो मंत्रालयों, संस्थानों और नागरिकों को समग्र स्वास्थ्य के लिए साझा प्रतिबद्धता में एकजुट करता है।” श्री जाधव ने भारत और विदेशों में आयोजित 250 से अधिक कार्यक्रमों के माध्यम से उत्पन्न गति पर प्रकाश डाला और तैयारियों के अंतिम चरण में तीव्र प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने साझा किया कि 13 मार्च से, दैनिक काउंटडाउन कार्यक्रमों की श्रृंखला में से 76 कार्यक्रमों का अब तक आयोजन किया गया है। यह अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 की अगुवाई में विभिन्न देशों की उत्साही भागीदारी को दर्शाती है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में हाल ही में हुई मंत्रिसमूह की बैठक का उल्लेख करते हुए उन्होंने तैयारियों के अंतिम चरण के लिए दिए गए अहम मार्गदर्शन पर ध्यान दिलाया। श्री जाधव ने समान योग प्रोटोकॉल तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए योग गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त किया तथा सभी विभागों से योग संगम में व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने विकसित कृषि संकल्प अभियान को संबोधित किया

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इस अभियान के तहत वैज्ञानिकों का हमारा दल प्रयोगशाला से लेकर खेतों तक जाकर किसानों को आधुनिक कृषि के बारे में जानकारी देगा और मौसम शुरू होने से पहले किसानों की मदद के लिए सभी डेटा उपलब्ध कराएगा: प्रधानमंत्री

इस अभियान का उद्देश्य भारतीय कृषि को विकसित भारत का मुख्य आधार बनाना है: प्रधानमंत्री

भारत को न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करना चाहिए, बल्कि वैश्विक खाद्य आपूर्तिकर्ता के रूप में भी उभरना चाहिए: प्रधानमंत्री

विकसित कृषि संकल्प अभियान किसानों के लिए प्रगति के नए रास्ते खोलेगा और कृषि में आधुनिकीकरण को बढ़ावा देगा: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विकसित कृषि संकल्प अभियान को संबोधित किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरुआत किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है और कृषि के विकास को समर्थन देने का एक अनूठा प्रयास है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मानसून नजदीक आने और खरीफ सीजन की तैयारियां शुरू होने के साथ, अगले 12 से 15 दिनों में वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों, अधिकारियों और प्रगतिशील किसानों से बने 2000 दल 700 से अधिक जिलों का दौरा करेंगे और गांवों के लाखों किसानों से संपर्क करेंगे। उन्होंने सभी किसानों और इन दलों में शामिल प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं और भारत के कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के प्रति उनके समर्पण को स्वीकार किया।

प्रत्येक राज्य के किसानों के कल्याण के लिए नीतियां बनाने और पहल करने के साथ, कृषि के परंपरागत रूप से राज्य का विषय होने पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि तेजी से बदलते समय के साथ, भारत के कृषि क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय किसानों ने रिकॉर्ड उत्पादन हासिल किया है, अनाज के भंडार भरे हैं, लेकिन बाजार का स्वरूप और उपभोक्ता प्राथमिकताएं लगातार बदल रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्यों और किसानों के सहयोग से कृषि प्रणालियों में आधुनिक सुधार लाना जरूरी है। श्री मोदी ने कहा कि इस अभियान के तहत, वैज्ञानिक दल प्रयोगशाला से खेत तक जाएंगे, किसानों तक व्यापक डेटा पहुंचाएंगे और उन्हें कृषि से जुड़े उन्नत ज्ञान से अवगत कराएंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये दल खरीफ सीजन शुरू होने से पहले किसानों की सहायता के लिए तैयार रहेंगे।

प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ दशकों में भारत के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए महत्वपूर्ण शोध प्रगति के बारे में बताया और खेती के परिणामों पर उनके सकारात्मक प्रभाव पर जोर देते हुए, उन प्रगतिशील किसानों की प्रशंसा की जिन्होंने नई तकनीकों के साथ सफलतापूर्वक प्रयोग किए हैं और प्रभावशाली पैदावार हासिल की है। वैज्ञानिक अनुसंधान और सफल कृषि पद्धतियों को व्यापक कृषक समुदाय तक पहुंचाने की अहमियत को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही प्रयास जारी हैं, लेकिन अब इन पहलों को नई ऊर्जा के साथ तेज करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “विकसित कृषि संकल्प अभियान इस ज्ञान के अंतर को पाटने का एक मूल्यवान अवसर प्रस्तुत करता है, जिससे किसानों को अत्याधुनिक कृषि से जुड़ी जानकारियों से लाभ मिल सके।”

श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि विकसित भारत के लिए भारत की कृषि को भी विकसित होना चाहिए। उन्होंने कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के कई प्रमुख फोकस वाले क्षेत्रों पर प्रकाश डाला। उन्होंने किसानों की उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने, कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और राष्ट्रीय आवश्यकताओं के साथ फसल उत्पादन को संरेखित करने सहित महत्वपूर्ण मुद्दों को रेखांकित किया। श्री मोदी ने कहा, “भारत को न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करना चाहिए, बल्कि वैश्विक खाद्य आपूर्तिकर्ता के रूप में भी उभरना चाहिए।” उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटना, न्यूनतम जल उपयोग के साथ अनाज उत्पादन को बढ़ाना, हानिकारक रसायनों से मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा करना, कृषि तकनीकों का आधुनिकीकरण करना और विज्ञान और प्रौद्योगिकी को खेतों तक ले जाना आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले 10-11 वर्षों में सरकार ने इन क्षेत्रों में व्यापक प्रयास किए हैं। उन्होंने अभियान में सभी प्रतिभागियों से किसानों की जागरूकता को अधिकतम करने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उन्हें आधुनिक कृषि उन्नति के बारे में अच्छी जानकारी हो।

किसानों को पारंपरिक कृषि से परे आय के अतिरिक्त स्रोत प्रदान करने के महत्व पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए अवसरों का विस्तार करने के उद्देश्य से जुड़ी प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि खेतों की सीमाओं पर सौर पैनल लगाने से अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने मीठी क्रांति के प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि मधुमक्खी पालन से किसानों को लाभ हो रहा है और अधिक प्रतिभागियों को शामिल करने के लिए इसका विस्तार किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कृषि अवशेषों को ऊर्जा में बदलने और कचरे को धन में बदलने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने ‘श्री अन्न’ की खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्रों की पहचान करने और कृषि उत्पादों में मूल्य संवर्धन बढ़ाने के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने बताया कि अब दूध न देने वाले मवेशी भी गोबरधन योजना के माध्यम से अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं, जो आय-सृजन के अवसर पैदा करती है। उन्होंने अधिकतम भागीदारी और लाभ सुनिश्चित करने के लिए इन नवाचारों के बारे में किसानों को व्यापक रूप से जागरूक करने का आह्वान किया।

श्री मोदी ने इस मिशन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “भारत की कृषि को विकसित भारत की आधारशिला बनना चाहिए।” उन्होंने किसानों से आने वाले वैज्ञानिकों से सक्रिय रूप से जुड़ने का आग्रह किया, उन्हें सवाल पूछने और मूल्यवान जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। श्री मोदी ने वैज्ञानिकों और अधिकारियों से अपने मिशन के महत्व को पहचानने का आह्वान करते हुए कहा कि उनकी प्रतिबद्धता नियमित सरकारी काम से परे होनी चाहिए और राष्ट्रीय सेवा की भावना नजर आनी चाहिए। उन्होंने उनसे किसानों के प्रश्नों का व्यापक रूप से समाधान करने और उनके मूल्यवान सुझावों को दर्ज करने का आग्रह किया। श्री मोदी ने घोषणा की, “विकसित कृषि संकल्प अभियान भारत के किसानों के लिए प्रगति के नए रास्ते खोलेगा, कृषि में आधुनिकीकरण को बढ़ावा देगा”। उन्होंने सभी हितधारकों को शुभकामनाएं देते हुए अपनी बात का समापन किया।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान कल जम्मू का करेंगे दौरा

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‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के दूसरे दिन श्री चौहान किसानों से करेंगे संवाद

केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान कल जम्मू में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के दूसरे दिन आयोजित किसान अभियान में हिस्सा लेंगे। केंद्रीय मंत्री श्री चौहान के साथ इस अभियान में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान और पीएमओ, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह भी शामिल होंगे।

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से 29 मई से 12 जून तक 700 से अधिक जिलों में किया जा रहा है, जिससे खरीफ मौसम से पहले किसानों को लाभ प्राप्त हो सके।

अभियान के दौरान, वैज्ञानिक टीमें किसानों के साथ सीधा संपर्क स्थापित करने के लिए गांवों का दौरा करेंगी। इस सम्मेलन में सभी 731 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), सभी 113 आईसीएआर संस्थान, कृषि, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन के राज्य स्तरीर विभागों के अधिकारियों सहित प्रगतिशील किसानों और अन्य कृषि हितधारक शामिल होंगे। इस अभियान का उद्देश्य विभिन्न राज्यों में लगभग 1.5 करोड़ किसानों तक सीधे पहुंचना एवं उनसे बातचीत करना है।

वृहद गौ-आश्रय स्थल पहाड़पुर का औचक निरीक्षण

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प्रतापगढ़। जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी ने विकास खण्ड लालगंज के अन्तर्गत वृहद गौ-आश्रय स्थल पहाड़पुर का औचक निरीक्षण किया। डीएम ने गौ आश्रय स्थल पहुॅचकर पशुओं को चरही में दिये गये चारे को देखा जिसमें केवल भूसा मिला हरे चारे का एक भी कण नही पाया गया लेकिन गोदाम में हरा चारा रखा हुआ पाया गया। गोवंशो को पर्याप्त चारा नही दिया जा रहा था जिससे गौ-आश्रय स्थल में मौके पर गोवंश दुबले पतले पाये गये। मौके पर गोवंशों का 50 प्रतिशत ईअर टैग पाया गया जिस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते पशु चिकित्साधिकारी को कड़ी फटकार लगायी और इनको प्रतिकूल प्रविष्टि देते हुये विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिये गये तथा फोन के माध्यम से मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को निर्देशित किया गया कि स्वयं अपनी टीम लगाकर सभी पशुओं के ईअर टैग नम्बर सहित कराये और एक सप्ताह के अन्दर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। वृहद गौ-आश्रय स्थल में पशुओं हेतु 6 शेड बनाये गये थे और पानी मौके पर भरा हुआ पाया गया, गोदाम में भूसा भी पर्याप्त मात्रा में मिला। डीएम ने पशुओं के मृत्यु सम्बन्धी रजिस्टर को देखा तो पाया कि जिन पशुओं की मृत्यु हुई है उनकी संख्या दर्शायी गयी थी और किस कारणवश पशुओं की मृत्यु हुई उसको नही दर्शाया गया था और पशुओं की मृत पंजिका में माह मई 2025 में मृत गोवंशों का विवरण अंकित है जो ईअर टैंग गोवंश है किन्तु जिन गोवंशों की ईयर टैगिंग नही की गयी है ऐसे मृत गोवंशों के सम्बन्ध में कोई भी जानकारी रजिस्टर में अंकित नही पाया गया जिसमें घोर लापरवाही उजागर हुई, ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश खण्ड विकास अधिकारी को दिया गया।

डीएम ने निर्देशित किया कि गौ-आश्रय स्थल की उबड़-खाबड़ जमीन का समतलीकरण कराकर पौधरोपण की कार्यवाही की जाये। खण्ड विकास अधिकारी को निर्देशित किया गया कि जब से गौशाला बनी है सभी रजिस्टरों की जांच की जाये तथा अब तक आय-व्यय के सम्बन्ध में लेखाकार की मदद लेते हुये आडिट रिपोर्ट 15 दिन में प्रस्तुत करें। नोडल अधिकारी खण्ड शिक्षा अधिकारी रामपुर संग्रामगढ़ रविशंकर द्वारा पूर्व में किये गये निरीक्षण को सही से न किये जाने पर उन्हें प्रतिकूल प्रविष्टि देने का निर्देश दिया गया। उन्होने कहा कि नोडल अधिकारी द्वारा अन्तिम समय कब निरीक्षण किया गया था उसकी रिपोर्ट एवं आज के निरीक्षण के रिपोर्ट का मिलान किया जाये। खण्ड विकास अधिकारी लालगंज के शिथिल पर्यवेक्षण पर डीएम ने प्रतिकूल प्रविष्टि हेतु निर्देशित किया।

ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव से पूछे जाने पर बताया गया कि 1704 गोवंश यहां सरंक्षित है और डीएम ने मौके पर सभी पशुओं की गणना करायी तो पर्याप्त संख्या एवं पंजिका में अंकित गोवंशों की संख्या में काफी अन्तर परिलक्षित हुआ, प्रथम दृष्टया वित्तीय अनियमितता परिलक्षित होती है जिस पर पंचायत सचिव को निलम्बित करने के निर्देश दिये और बीडीओ को निर्देशित किया गया कि सम्बन्धित कर्मचारी व ग्राम प्रधान के विरूद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करायी जाये। इस दौरान डीएम ने गोवंशों के मृत्यु स्थल जहां पर उनको दफनाया जाता है उसका निरीक्षण किया तो पाया गया कि अलग-अलग गोवंशों को दफनाया जाता है जिस पर निर्देशित किया गया कि एक ही स्थल पर मृत्यु गोवंशों को दफनाया जाये। निरीक्षण के दौरान नर-मादा पशु हेतु अलग अलग शेड नही थे जिस पर निर्देशित किया गया कि नर-मादा पशुओं को अलग अलग रखा जाये। डीएम ने कहा कि जो भी छोटे नन्दी व बछड़े है उनकी सुरक्षा के लिये सेफ्टी स्थल बनाये। गौ-आश्रय स्थल पर गोवंशों की देखरेख हेतु लगे केयरटेकर से उनकी मजदूरी के सम्बन्ध जानकारी ली गयी तो बताया गया कि मजदूरी समय से प्राप्त हो जाती है।  इस दौरान खण्ड विकास अधिकारी लालगंज मानवेन्द्र सिंह, पशु चिकित्साधिकारी डा0 नरोत्तम सिंह, पंचायत सचिव अभिनाष, ग्राम प्रधान शीला शुक्ला उपस्थित रहे।

इसके उपरान्त लौटते समय मोती का पुरवा में पहुॅचकर डीएम ने ग्रामवासियों से प्रदेश सरकार द्वारा मिलने वाले लाभ जैसे बिजली, आवास, मनरेगा मजदूरी, राशन आदि के सम्बन्ध में जानकारी ली तो लोगो द्वारा बताया गया कि प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। ग्रामवासियों द्वारा शिकायत की गयी कि पानी निकास हेतु नाली नही बनी है जिस पर डीएम ने बीडीओ को निर्देशित किया कि पानी निकासी हेतु नाली का निर्माण कराया जाये। इस दौरान गांव में हैण्डपम्प 10-10 मीटर की दूरी पर लगे हुये पाये गये जिस पर डीएम ने बीडीओ को जांच हेतु निर्देशित किया।

भारत विकास परिषद ने माधौपुर गौशाला में किया गौ पूजन

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फर्रुखाबाद। भारत विकास परिषद, सहयोग शाखा के तत्वावधान में माधौपुर स्थित गौशाला में एक विशेष गौ पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में परिषद के सभी सदस्यों ने श्रद्धा और सेवा-भाव से भाग लिया। गायों को माला पहनाकर विधिपूर्वक पूजन किया गया। इसके बाद गायों को फल, सब्जियां, दाना और चारा खिलाया गया।

कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित परिषद अध्यक्ष श्रीमती रीता दुबे, जिला समन्वयक अजय शंकर तिवारी, वरिष्ठ सदस्य व मार्गदर्शक वीरेंद्र कुमार मिश्रा, राम कुमार वर्मा, संगठन सचिव श्री राजेश चंद्र शुक्ला, संजीव वर्मा, श्रीमती कुमुदिनी तिवारी और संजय दुबे ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और गौसेवा में सहयोग किया।

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि गाय हमारी सनातन संस्कृति की संवाहक है। पुराणों के अनुसार गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास माना जाता है। गंगा, गायत्री और गाय — ये सनातन परंपरा के तीन मुख्य स्तंभ हैं। ऐसे में कलियुग में गाय का पूजन करना सभी देवी-देवताओं के पूजन के समान माना जाता है।

वक्ताओं ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी गाय के महत्व को समझाते हुए बताया कि गाय का गोबर, मूत्र, अस्थियाँ — सभी मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। आज जब पर्यावरण संकट, कृषि संकट और नैतिक मूल्यों में गिरावट जैसे मुद्दे सामने हैं, तब गाय आधारित जीवनशैली एक समाधान बन सकती है।

कार्यक्रम के अंत में सभी सदस्यों ने नियमित गौसेवा का संकल्प लिया और स्थानीय लोगों को भी इसके लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में दर्जनों सदस्य शामिल रहे।भारत विकास परिषद द्वारा समय-समय पर ऐसे सेवाभावी आयोजन किए जाते हैं।
परिषद का उद्देश्य सांस्कृतिक मूल्यों और सामाजिक सेवा को बढ़ावा देना है।

विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 के तहत उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

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प्राकृतिक खेती न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि यह पर्यावरण, स्वास्थ्य, और सामाजिक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह किसानों को आत्मनिर्भर बनाती है और टिकाऊ कृषि की दिशा में एक बड़ा कदम है। 
विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 के तहत उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को प्रशिक्षण और जैविक खाद (जैसे जीवामृत, बीजामृत) के उपयोग की जानकारी दी जा रही है, जिससे लागत कम हो और उत्पादकता बढ़े। यह अभियान 12,000 वैज्ञानिकों के माध्यम से किसानों तक प्राकृतिक खेती के लाभ पहुंचाने पर केंद्रित है।
प्राकृतिक खेती (Natural Farming) एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धति है, जो रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम या समाप्त करती है। इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
  1. पर्यावरण संरक्षण:

    मिट्टी की उर्वरता में सुधार: प्राकृतिक खेती में जैविक खाद, गोमूत्र, और कंपोस्ट का उपयोग मिट्टी के सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देता है, जिससे मिट्टी की सेहत दीर्घकालिक रूप से बनी रहती है।जल संरक्षण: यह विधि कम पानी की मांग करती है और मल्चिंग जैसी तकनीकों से जल संरक्षण होता है।कम प्रदूषण: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग न होने से मिट्टी, पानी और वायु प्रदूषण कम होता है।

  2. कम लागत:

    प्राकृतिक खेती में रासायनिक आदानों की आवश्यकता नहीं होती, जिससे किसानों की लागत 50-70% तक कम हो सकती है।स्थानीय संसाधनों जैसे गोबर, गोमूत्र, और जैविक खाद का उपयोग होने से बाहरी खरीद की जरूरत नहीं पड़ती।

  3. बेहतर स्वास्थ्य:

    रासायन-मुक्त खाद्य उत्पादन से उपभोक्ताओं को स्वस्थ और पौष्टिक भोजन मिलता है।किसानों को जहरीले रसायनों के संपर्क में आने से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव होता है।

    उच्च गुणवत्ता और स्वाद:

    प्राकृतिक रूप से उगाए गए उत्पादों का स्वाद और पोषण मूल्य बेहतर होता है, जिससे बाजार में उनकी मांग बढ़ती है।

  4. जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन:प्राकृतिक खेती जलवायु परिवर्तन के प्रभावों जैसे सूखा, बाढ़, और तापमान में उतार-चढ़ाव के प्रति फसलों को अधिक लचीला बनाती है।कार्बन उत्सर्जन को कम करती है, जिससे जलवायु संरक्षण में योगदान मिलता है।
  5. जैव विविधता में वृद्धि:

    मिश्रित खेती, फसल चक्र, और जैविक कीट नियंत्रण से खेतों में जैव विविधता बढ़ती है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करती है।

  6. किसानों की आत्मनिर्भरता:

    प्राकृतिक खेती स्थानीय संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान पर आधारित होती है, जिससे किसान बाहरी कंपनियों पर निर्भरता कम करते हैं।

  7. दीर्घकालिक आय में वृद्धि होती है, क्योंकि लागत कम और उत्पाद की मांग अधिक होती है।
  8. टिकाऊ आजीविका:

    प्राकृतिक खेती दीर्घकालिक मिट्टी और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देती है, जिससे भविष्य की पीढ़ियों के लिए खेती की संभावनाएं बनी रहती हैं।

विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025: उत्तर प्रदेश में व्यापक शुरुआत

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उत्तर प्रदेश में आज, 29 मई 2025 से “विकसित कृषि संकल्प अभियान” की शुरुआत हो रही है, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ के लोक भवन सभागार में सुबह 11:30 बजे करेंगे। यह 15 दिवसीय अभियान (29 मई से 12 जून 2025) पूरे राज्य के 75 जिलों में चलेगा, जिसमें 12,000 कृषि वैज्ञानिक किसानों के खेतों पर जाकर सीधे संवाद करेंगे .
मुख्य बिंदु:
  • भियान का उद्देश्य: यह अभियान “लैब टू लैंड” के मंत्र को साकार करने के लिए शुरू किया गया है, जिसका लक्ष्य आधुनिक कृषि तकनीकों, ड्रोन प्रौद्योगिकी, प्राकृतिक खेती, और उन्नत बीजों की जानकारी किसानों तक पहुंचाना है। यह उत्पादकता बढ़ाने, लागत कम करने और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

    कवरेज: उत्तर प्रदेश के सभी 8,135 न्याय पंचायतों में यह कार्यक्रम आयोजित होगा। 225 विशेषज्ञ टीमें 675 स्थानों पर जाएंगी, जहां प्रत्येक स्थान पर तीन सत्रों में किसानों से बातचीत होगी।

    केंद्रीय मंत्री की भागीदारी: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दिन मेरठ और झांसी में कार्यक्रम में शामिल होंगे, जहां वे किसानों, वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ संवाद करेंगे।

    तैयारी और समन्वय: राज्य कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि सभी संबंधित मंत्रियों और प्रमुख सचिव के साथ बैठकों के बाद तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। राज्य और जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं, जहां अतिरिक्त निदेशक (विस्तार) राज्य स्तर पर और उप निदेशक जिला स्तर पर नोडल अधिकारी होंगे।

    राष्ट्रीय स्तर पर अभियान: यह अभियान देश के 723 जिलों में 65,000 से अधिक गांवों को कवर करेगा, जिसमें 1.5 करोड़ किसानों तक पहुंचने का लक्ष्य है। 2,170 विशेषज्ञ टीमें, जिनमें कृषि, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन के विशेषज्ञ शामिल होंगे, गांव-गांव जाकर किसानों को मार्गदर्शन देंगी।

    प्रभाव और महत्व: यह अभियान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और कृषि मंत्रालय के सहयोग से संचालित हो रहा है, जो 731 कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) और 113 ICAR संस्थानों की ताकत का उपयोग करेगा। यह किसानों को मिट्टी की सेहत, जल प्रबंधन, और उच्च-उपज वाली बीज किस्मों के बारे में शिक्षित करेगा, साथ ही उनकी समस्याओं का समाधान और नवाचारों को प्रोत्साहन देगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश इस अभियान को एक मॉडल के रूप में लागू करने के लिए तैयार है, जो न केवल खेती को आधुनिक बनाएगा, बल्कि किसानों की आय और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ाएगा

Una: उप मुख्यमंत्री ने नगनोली में गौ अभयारण्य का किया शिलान्यास

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ऊना। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने मंगलवार को नगनोली में 4.46  करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले गौ अभयारण्य का शिलान्यास किया। यह गौ अभयारण्य 397 कनाल भूमि पर बनाया जाएगा। इसके पूर्ण निर्माण के बाद इसमें 500 गौवंश के रहने की व्यवस्था होगी जिसमें 6 शेड बनाए जाएंगे, जिनमें से 5 शेड गौवंश के लिए तथा एक शेड चारे के लिए होगा। इसके साथ ही  इसमें फार्मासिस्ट रेजिडेंस के निर्माण के साथ अन्य सुविधाओं का भी निर्माण किया जाएगा, जिससे अभयारण्य का सुचारू संचालन सुनिश्चित किया जा सके। उप मुख्यमंत्री ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी कार्य को धरातल पर उतारने के लिए जन सहभागिता अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इस गौ अभ्यरण में आवारा पशुओं को लाकर रखा जाएगा, जबकि दूध देने वाले पशुओं की अलग से व्यवस्था की जाएगी, जिससे आमदनी के साधन भी उत्पन्न हो सकें।

उन्होंने जानकारी दी कि बालीवाल, नगनोली, पूबोवाल और हरोली के लिए 7-7 करोड़ रुपये की लागत से कुल 28 करोड़ रुपये की पेयजल योजनाएं तैयार की गई हैं। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी पंचायत का विकास उसके प्रधान की प्रतिबद्धता पर निर्भर करता है। नगनोली ग्राम पंचायत में 15.37 करोड़ रुपये की लागत से सड़क का निर्माण प्रस्तावित है।

इसके साथ ही खड्ड कॉलेज में एक आधुनिक इनडोर स्टेडियम भी बनाया जा रहा है, जिसमें 68 लाख रुपये की लागत से लाइटें लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि स्टेडियम को आधुनिक खेल सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाली लाइट्स की व्यवस्था की जा रही है, जिससे खिलाड़ी शाम या रात के समय भी बिना किसी परेशानी के अभ्यास और प्रतियोगिताओं में भाग ले सकें। यह लाइटिंग सिस्टम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा और खिलाड़ियों को उपयुक्त रोशनी उपलब्ध कराएगा। इस अवसर पर नगनोली ग्राम पंचायत के प्रधान  महताब ठाकुर ने उप मुख्यमंत्री को सम्मानित किया। इसके साथ ही उन्होंने उपमुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया और पंचायत में चल रहे विभिन्न विकास कार्यों की जानकारी दी। पशुपालन विभाग के उप निदेशक विनय शर्मा ने भी उप मुख्यमंत्री का धन्यवाद ज्किया तथा गौ अभ्यरण की विस्तृत जानकारी साझा की।

इस अवसर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणजीत राणा, अशोक ठाकुर, सतीश बिट्टू, श्विनोद कुमार बिट्टू, प्रमोद कुमार, सुभद्रा चौधरी, ऊना जिला यूथ कांग्रेस अध्यक्ष प्रशांत राय, हरोली ब्लॉक यूथ कांग्रेस अध्यक्ष शुभम, उप प्रधान नंदलाल, पूर्व प्रधान पूनम दत्ता, एससी सेल के अध्यक्ष जसपाल जस्सा स्थानीय पंचायतों के प्रतिनिधि, विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।