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भ्रष्टाचार पर धामी सरकार का कड़ा प्रहार

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भ्रष्टाचार पर धामी सरकार का कड़ा प्रहार
डीएम, पूर्व नगर आयुक्त, एसडीएम पर गिरी गाज
3 जून 2025,मंगलवार,देहरादून
संजय बलोदी प्रखर
मीडिया समन्वयक उत्तराखंड प्रदेश

हरिद्वार नगर निगम जमीन घोटाला प्रकरण में मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर दो आईएएस, एक पीसीएस सहित कुल दस अधिकारी निलंबित, दो का सेवा विस्तार समाप्त

देहरादून/3 जून ,मंगलवार , मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नगर निगम हरिद्वार में हुए जमीन घोटाले पर सख्त रुख अपनाते हुए, दो आईएएस, एक पीसीएस अधिकारी सहित सात अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं, इस मामले में तीन अधिकारी पूर्व में निलंबित हो चुके हैं, जबकि दो की पूर्व में सेवा समाप्त की जा चुकी है। इस तरह इस प्रकरण में अब तक 10 अधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं।
हरिद्वार नगर निगम द्यारा ग्राम सराय में कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त 2.3070 हैक्टेयर भूमि को करोड़ों रुपये में खरीदने पर सवाल उठने के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस प्रकरण की जांच के आदेश दिए थे। जिसके बाद सचिव रणवीर सिंह चौहान ने मामले की प्रारंभिक जांच कर, रिपोर्ट 29 मई को ही शासन को सौंपी थी। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिस पर कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने मंगलवार को सभी सात आरोपित अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए।
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद, कार्मिक विभाग ने मंगलवार को हरिद्वार नगर निगम के तत्कालीन प्रशासक और मौजूदा डीएम कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी, हरिद्वार के तत्कालीन एसडीएम अजयवीर सिंह, वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की, रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार, हरिद्वार तहसील के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास को निलंबित कर दिया है।

अब तक हुई कार्रवाई

कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी और तत्कालीन प्रशासक नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)
वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)
अजयवीर सिंह- तत्कालीन, उपजिलाधिकारी हरिद्वार (निलंबित)
निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)
विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक (निलंबित)
राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार (निलंबित)
कमलदास –मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार (निलंबित)

पूर्व में हो चुकी कार्रवाई
रविंद्र कुमार दयाल- प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा समाप्त)
आनंद सिंह मिश्रवाण- प्रभारी अधिशासी अभियंता (निलंबित)
लक्ष्मी कांत भट्ट्- कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित)
दिनेश चंद्र कांडपाल- अवर अभियंता (निलंबित)
वेदपाल- सम्पत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)

हमारी सरकार ने पहले ही दिन से स्पष्ट किया है कि लोकसेवा में “पद’ नहीं बल्कि ‘कर्तव्य’ और ‘जवाबदेही’ महत्वपूर्ण हैं। चाहे व्यक्ति कितना भी वरिष्ठ हो, अगर वह जनहित और नियमों की अवहेलना करेगा, तो कार्रवाई निश्चित है। हम उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त नई कार्य संस्कृति विकसित करना चाहते हैं। सभी लोक सेवकों को इसके मानकों पर खरा उतरना होगा।
-पुष्कर सिंह धामी, (मुख्यमंत्री,उत्तराखण्ड )

देसी गायों के पालन को लेकर शुरू किया पायलट प्रोजेक्ट

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मगध दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड (सुधा डेयरी) अपने लोकप्रिय उत्पाद ”सुधा दूध” के साथ अब एक नये उत्पाद देसी गाय का एटू दूध बाजार में उतारने जा रही है.

नीरज कुमार, गया जी. मगध दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड (सुधा डेयरी) अपने लोकप्रिय उत्पाद ””सुधा दूध”” के साथ अब एक नये उत्पाद देसी गाय का एटू दूध बाजार में उतारने जा रही है. कंपनी द्वारा यह दूध अगले महीने से शहर के सुधा मिल्क पार्लरों के माध्यम से उपलब्ध कराया जायेगा. खुदरा बाजार में इसकी कीमत लगभग ₹100 प्रति लीटर हो सकती है. मगध संघ के महाप्रबंधक ज्ञान शंकर ने जानकारी दी कि देसी गायों के संरक्षण, संवर्धन और उनके दूध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इस परियोजना के तहत सामान्य नस्ल की गायों के साथ-साथ देसी नस्ल की गायों के दूध के लिए अतिरिक्त दो रुपये प्रति लीटर इंसेंटिव दिया जा रहा है. संघ का मानना है कि इससे पशुपालकों को प्रोत्साहन मिलेगा और वे अधिक संख्या में देसी गायों का पालन करेंगे. पायलट परियोजना में कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से तीन से पांच पीढ़ियों तक विशेष नस्ल का सीमेन प्रयोग किया जायेगा, जिससे देसी गायों की दूध देने की क्षमता में 10 गुना तक वृद्धि हो सकती है. वर्तमान में सुधा डेयरी मगध प्रमंडल के गया, जहानाबाद, अरवल और नवादा जिलों में प्रतिदिन औसतन 80 हजार लीटर दूध का कारोबार कर रही है.

पांचवीं पीढ़ी की गाय दे सकेगी 50 लीटर तक दूध

महाप्रबंधक के अनुसार, विशेष नस्ल के सीमेन के प्रयोग से यदि पहली पीढ़ी की देसी गाय औसतन पांच लीटर दूध देती है, तो दूसरी और तीसरी पीढ़ी में यह बढ़कर 10–15 लीटर, और पांचवीं पीढ़ी में 50 लीटर तक पहुंच सकती है. यह बदलाव पशुपालकों के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध हो सकता है.

1130 दूध उत्पादक समितियां कर रहीं आपूर्ति

मगध प्रमंडल में 1130 दूध उत्पादक समितियां प्रतिदिन औसतन 72 हजार लीटर दूध की आपूर्ति कर रही हैं. मांग अधिक होने की स्थिति में अन्य जिलों और राज्यों से भी दूध मंगाया जाता है. कंपनी द्वारा 1360 सुधा मिल्क पार्लर और 50 होल्डे मिल्क बूथ संचालित किये जा रहे हैं. अगले दो महीनों में इन बूथों की संख्या बढ़ाकर 80 करने का लक्ष्य रखा गया है. सुधा डेयरी मगध संघ की स्थापना वर्ष 2014 में हुई थी. प्रारंभ में केवल 650 समितियां और 22 हजार लीटर दूध की आपूर्ति होती थी. समय के साथ यह आंकड़ा चार गुना से अधिक बढ़कर 80 हजार लीटर प्रतिदिन तक पहुंच गया है.

भविष्य में बिनौला घी और अन्य उत्पादों का भी प्लान

सुधा डेयरी का लक्ष्य केवल एटू दूध तक सीमित नहीं है. बिनौला घी, देसी पनीर और अन्य देसी उत्पादों को भी भविष्य में बाजार में उतारने की योजना है. कंपनी के अनुसार, जैसे-जैसे देसी गायों की संख्या और दूध उत्पादन बढ़ेगा, इन उत्पादों की भी मांग को पूरा किया जायेगा.

मिनरल मिक्सर डाइट देने से दूध की गुणवत्ता की कमी को किया जा सकेगा दूर

विशेष नस्ल के कृत्रिम सीमेन के उपयोग से गर्भाधारण होने वाली देसी गाय के स्वास्थ्य व उसके दूध की गुणवत्ता में कमी हो सकती है. इन कमियों को दूर करने के लिए इस तरह की देसी गाय को मिनरल मिक्सर डाइट देना जरूरी होगा. विशेष किस्म के सीमेन का उपयोग करने से इस तरह की देसी गाय के दूध में वृद्धि तो होगी, लेकिन उस दूध में फैट की मात्रा काम हो सकती है. इस कमी को पूरा करने के लिए इस तरह की देसी गाय को मिनरल मिक्सर डाइट खिलाना जरूरी होगा.

डॉ ओकेश मुर्तजा, चिकित्सा पदाधिकारी, पशु अस्पताल, गया

जयपुर में काऊ सफारी की तैयारी

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जयपुर: राजधानी में लेपर्ड सफारी के बाद जल्द काऊ सफारी की शुरुआत होने जा रही है. जयपुर के हिंगोनिया गोशाला में राजस्थान में पाए जाने वाली देसी नस्लों की गायों को संरक्षण भी दिया जाएगा. साथ ही देशभर में पाई जाने वाली सभी नस्लों की गायों की जानकारी देते बैलगाड़ी के जरिए गौ परिक्रमा भी कराई जाएगी.

ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने बताया कि राजस्थान में पाए जाने वाली सभी नस्लों की गायों को संरक्षण देने के लिए यहां हिंगोनिया गोशाला में काऊ सफारी तैयार की जा रही है. यहां लोग न सिर्फ गाय माता की सेवा कर पाएंगे, बल्कि प्रदेश और देश भर में पाए जाने वाली गायों की विभिन्न नस्लों के बारे में जान पाएंगे. इसके साथ ही यहां एक परिक्रमा पथ भी बनाया जा रहा है.

वर्ष 2022 में हिंगोनिया गोशाला में जिस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया था, अब जल्द उसे मूर्त रूप लेगा. भारतीय गोवंश की विभिन्न नस्लों को लोग जान सकें, इस उद्देश्य से हिंगोनिया गोशाला में काऊ सफारी तैयार की जा रही है. जहां थारपारकर, कांकरेज, सांचोरी, मेवाती, गिर, नागोरी, राठी जैसी राजस्थानी नस्लों की गायों को संरक्षण दिया जाएगा. यहां पर्यटकों को एक ही स्थान पर राजस्थान के विभिन्न देसी नस्लों की गाय देखने को मिलेगी. इसके साथ ही गाय के दूध से तैयार दही और देसी घी में बने व्यंजनों का स्वाद भी चखने को मिलेगा.

पूर्वी चम्पारण के पीपराकोठी के कृषि विज्ञान केंद्र में हुआ आयोजन

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विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के पांचवें दिन बिहार के किसानों से मिले श्री शिवराज सिंह चौहान


चम्पारण की पावन धरती से महात्मा गांधी ने सत्याग्रह और अहिंसा का मंत्र पूरी दुनिया को दिया– श्री शिवराज सिंह चौहान

कृषि मंत्री का मतलब होता है किसानों का पहला सेवक- श्री शिवराज सिंह

छोटे-छोटे खेत होने के बावजूद बिहार के किसान सोना उगा रहे हैं- श्री चौहान

लीची की पैदावार 48 घंटे में खराब ना हो, इसके लिए ठोस शोध और प्रयास होंगे– श्री शिवराज सिंह चौहान

बिहार का चिड़वा विदेशों में निर्यात हो, इसकी योजना बनाएंगे- श्री शिवराज सिंह

प्रधानमंत्री जी की सफल नीतियों के कारण बिहार में मक्का उत्पादन बढ़ गया है- श्री चौहान

145 करोड़ जनता को भरपूर भोजन मिले यही प्रधानमंत्री श्री मोदी जी का लक्ष्य है- श्री शिवराज सिंह

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा ‘अन्नदाता सुखी भव:’ , अन्नदाता सुखी, तो देश सुखी

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ को लेकर देशभर के किसानों में उत्साह जारी है। इसी कड़ी में आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अभियान के पांचवें दिन बिहार, पूर्वी चम्पारण के पीपराकोठी में किसानों से संवाद किया। ओडिशा, जम्मू, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश के किसानों के बाद आज श्री शिवराज सिंह चौहान बिहार के किसानों से मिले।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पूर्वी चम्पारण की पीपराकोठी पुण्य भूमि है। इसी पावन धरती से महात्मा गांधी जी ने सत्याग्रह और अहिंसा का मंत्र पूरी दुनिया को दिया। मैं आज यहां आकर बेहद अभिभूत हूं। महात्मा गांधी जी के आदर्शों और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पीपराकोठी में कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना सहित खेती की उन्नति के लिए अनेक कार्य हुए हैं। इस धरती पर जब अंग्रेजों ने किसानों पर अन्याय और अत्याचार किया, तब बापू ने आंदोलन की शुरुआत की थी। यही आंदोलन रूपी शस्त्र आजादी के आंदोलन के हथियार बने और अंग्रेजों को 1947 में भारत छोड़ना पड़ा। इस पुण्य भूमि को मैं बारंबार प्रणाम करता हूं।

श्री शिवराज सिंह ने कहा कि कृषि मंत्री का मतलब होता है किसानों का पहला सेवक। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा। प्रधानमंत्री जी का विकसित भारत का संकल्प, विकसित कृषि और समृद्ध किसान से मिलकर ही पूरा हो सकता है, जिसके लिए हमें मिलकर प्रयास करने होंगे। श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज लीची की पैदावार करने वाले किसानों से संवाद भी किया। उन्होंने संबोधन के दौरान कहा कि लीची के किसानों ने मुझसे समस्या साझा की है। लीची के जल्दी खराब होने की प्रवृत्ति के कारण पैदावार को 48 घंटों के भीतर बेचना होता है, जिस कारण कभी—कभी कम दाम मिलते है। इस समस्या को दूर करने के लिए हम कदम उठाएंगे। इस संबंध में केंद्रीय कृषि मंत्री ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों से शोध करने और ऐसी तकनीकों को अपनाने का निर्देश दिया जिससे लीची जल्दी खराब न हो, और किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल सके। इस दिशा में कोल्ड स्टोरेज की संख्या में वृद्धि की भी बात कही।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की कारगर नीतियों के फलस्वरुप बिहार में मक्के की खेती में तेजी से इजाफा हो रहा है। मक्के का प्रयोग अब इथेनॉल में भी होने लगा है। पहले 1200 से 1500 रुपये के बीच प्रति क्विंटल मक्का बिकता था। इथेनॉल के कारण मक्के के दाम में वृद्धि हुई है। पहले जहां मक्का प्रति हेक्टेयर 23 से 24 क्विंटल था वही बढ़कर अब 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गया है।

 

श्री शिवराज सिंह ने बासमती के साथ-साथ चावल की अन्य किस्मों में भी उत्पादन वृद्धि के लिए वैज्ञानिकों को शोध करने एवं उन्नत किस्म के बीज विकसित करने के निर्देश दिए। श्री चौहान ने कहा कि बिहार में किसानों के पास छोटे-छोटे खेत है लेकिन इसके बावजूद बिहार के किसान धरती से सोना उगा रहे हैं। श्री चौहान ने हाल ही में चावल की दो नई किस्मों के विकसित किए जाने की भी जानकारी दी और बताया कि शोध के जरिए ऐसे दो नई किस्मों का निर्माण किया गया है जिसमें पानी भी 20 प्रतिशत कम लगेगा और उत्पादन 30 प्रतिशत बढ़ जाएगा।

श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बिहार की फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। 145 करोड़ जनता को भरपूर भोजन मिले यही प्रधानमंत्री श्री मोदी जी का लक्ष्य है। अन्न के साथ-साथ फल-फूल सब्जियां इत्यादि के भी उत्पादन वृद्धि पर भी जोर है।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा कि पाकिस्तान की हिमाकत का प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में मजबूती से जवाब दिया गया। 25 मिनट में हमने पाकिस्तान के आतंकी के अड्डे तबाह कर दिए पाकिस्तान तीन दिन में घुटनों पर आ गया। सिंधु जल समझौता जिसके तहत 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान के हिस्से में गया था उसको भी रद्द कर दिया गया। प्रधानमंत्री जी ने कड़े शब्दों में पाकिस्तान को बता दिया कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते। भारत का पानी भारत के किसानों के लिए है।

श्री शिवराज सिंह ने कहा कि नकली कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं जा रहे हैं। नकली कीटनाशक बनाने वालों के प्रति सख्त कार्रवाई की जाएगी, किसी को छोड़ा नहीं जाएगा।  श्री चौहान ने कहा कि खेती में चमत्कार और गंगा व जमुना की भांति ‘लैंब को लैंड’ से जोड़ने के लिए ही ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ बनाया गया है। इस अभियान के तहत 16 हजार वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं से निकलकर गांव-गांव जाकर किसानों से बात कर रहे हैं।

अंत में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी से एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम के मंत्र को लेकर आगे बढ़ने का आह्वान किया। श्री चौहान ने कहा कि किसानों की समृद्धि के लिए हरसंभव प्रयास होंगे। उत्पादन कैसे बढ़े बिहार का चिड़वा कैसे विदेशों में निर्यात हो इसके लिए भी योजना बनाई जाएगी। श्री शिवराज सिंह ने कहा कि ‘अन्नदाता सुखी भव:’ ही सब कुछ है, देश का अन्नदाता सुखी हो जाएगा तो देश भी सुखी हो जाएगा। पूर्वी चम्पारण से सांसद श्री राधा मोहन सिंह सहित, विधायक, वैज्ञानिक, अधिकारीगण और बड़ी संख्या में किसान कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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हिमाचल – गौ सदन खोलने पर सरकार देगी लाखों की सब्सिडी

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शिमला: हिमाचल की सड़कों पर खुले में घूमते बेसहारा पशुओं की समस्या बढ़ती जा रही है. खुले में घूमने वाले ये पशु खेतों में घुसकर फसलों को भी बर्बाद कर रहे हैं. जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है. प्रदेश सरकार ने बेसहारा गौवंश की देखभाल और उनके कल्याण के लिए गौ सदनों में रखे गए पशुओं के मासिक चारा अनुदान को बढ़ाने का फैसला लिया है. जिसके तहत अब गौसदन में पशु रखने पर अनुदान राशि को 700 रुपये से बढ़ाकर 1200 रुपये किया गया है. यानी सरकार ने एक महीने में प्रति पशु 500 रुपए की वृद्धि की है, ताकि सड़कों में घूम रहे बेसहारा पशुओं को गौ सदन में रखे जाने पर सहारा मिल सके.

गौ सदन खोलने के लिए सरकार दे रही इतना अनुदान

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार पशु धन के कल्याण के लिए कार्य कर रही है. गौ सदनों में पशु रखने पर चारा राशि बढ़ाने के इस फैसले से खेतों में बेसहारा घूमने वाले पशुओं को सहारा मिलेगा और फसलों को होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने पशुधन कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं. गौ सदनों की स्थापना और विस्तार के लिए स्थानीय लोगों और संस्थाओं को आर्थिक सहायता भी प्रदान की जा रही है. नए गौ सदनों की स्थापना के लिए सरकार लोगों को 10 लाख रुपये अथवा परियोजना लागत की 50 फीसदी राशि अनुदान के रूप में प्रदान कर रही है. इसी प्रकार गौ सदन के विस्तार के लिए 5 लाख अथवा परियोजना लागत का 50 फीसदी अनुदान भी दिया जाता है. सीएम सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इन प्रयासों को मजबूती देने के लिए शराब पर उपकर बढ़ाकर 2.50 रुपये प्रति बोतल किया है, जिससे प्राप्त अतिरिक्त राजस्व को गौ सेवा के लिए उपयोग में लाया जा रहा है.

सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार पशुधन की सुरक्षा और किसानों के हितों को सर्वोपरि मानते हुए सक्रिय रूप से कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि पशु खेतों में घुसकर खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है. जिससे किसान निराश हो कर खेती से विमुख होते जा रहे हैं. सरकार इस गंभीर समस्या को समझती है और इसे दूर करने के लिए निरंतर प्रभावी कदम उठा रही है. सीएम ने कहा कि चारे के लिए बढ़ाया गया अनुदान गौसदनों की स्थिति में सुधार लाने और प्रदेश में बेसहारा पशुओं की समस्या को कम करने में मददगार साबित होगा.

मुंबई हिंदी पत्रकार संघ द्वारा आयोजित हिंदी सेवा सम्मान समारोह में मंत्री के हाथों वरिष्ठ पत्रकार हुए सम्मानित

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भाषा संवाद का माध्यम है संघर्ष का नहीं – आशीष शेलार

हिंदी मुंबई की आम भाषा बन गई – प्रताप सरनाईक

मुंबई। महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मंत्री आशीष शेलार ने महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भाषा के नाम पर विद्वेष फैलाने से असहमति जताते हुए कहा कि भाषा संवाद का माध्यम है, भाषा संघर्ष का माध्यम नहीं है। भाषा लोगों को जोड़ने का काम करती रही है, भाषा को लोगों को तोड़ने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। जो लोग भाषा के नाम पर विद्वेष फैला रहे हैं, उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज से प्रेरणा लेनी चाहिए।

मुंबई हिंदी पत्रकार संघ की ओर से उत्तर भारतीय संघ के बांद्रा पूर्व सभागृह में हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हिंदीसेवी सम्मान समारोह के दौरान अपने संबोधन में कहा कि सभी भारतीय भाषाओं का अपना सम्मान और महत्व है। राजनीतिक कारणों से भाषाई विवाद खड़ा करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि मराठीभाषी संपादकों सर्वश्री विष्णुराव पराड़कर, माधवराव सप्रे, रामकृष्ण खाडिलकर, थत्ते जी का हिंदी पत्रकारिता को संस्कारित और स्थापित करने में बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि सच्चा पत्रकार किसी का दोस्त नहीं हो सकता, पत्रकार अपने विचार और अपने सिद्धांत का दोस्त होता है, जो लोग उसके इस तेवर का सम्मान करते हैं, पत्रकार बेशक उनका दोस्त हो सकता है।

हिंदीसेवी सम्मान समारोह में राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि हिंदी मुंबई की आम भाषा बन गई है। इसके बावजूद कुछ लोग अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए भाषा के नाम पर विद्वेष फैलाने का काम करते हैं, लेकिन जनता जब समय आता है तो बता देती है कि आपके इस दर्शन से हम सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि जिसे हिंदी आती है,उसे मराठी भी आती है और जिसे मराठी आती है, उसे हिंदी भी आती है। हिंदी और मराठी के समन्वय का असर है कि महायुति सरकार चल रही है। पूर्व मंत्री चंद्रकांत त्रिपाठी, विधायक राजहंस सिंह, विधायक संजय उपाध्याय, सिद्धिविनायक मंदिर के कोषाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इसके अलावा भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने बतौर मुख्य वक्ता हिंदी और हिंदी पत्रकारिता के सफर की विस्तार से चर्चा की। उनका कहना है कि डिजिटल मीडिया का सूरज कभी नहीं डूबता, इसका कोई भूगोल नहीं है। जो डिजिटल पर है,वह सब कुछ ग्लोबल होने की संभावना से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि सिर्फ 200 वर्षों की यात्रा में जो विकास हिंदी ने किया है, उसका सर्वाधिक श्रेय संचार माध्यमों को है। इतनी तेजी से कोई भाषा नहीं फैली, जबकि देश का प्रभु वर्ग आज भी औपनिवेशिक दासता का शिकार है और ‘अंग्रेजियत’ से भरा हुआ है। मीडिया, मनोरंजन के माध्यमों ने हिंदी के विकास में ऐतिहासिक योगदान दिया है।

कार्यक्रम में उद्योगपति ज्ञान प्रकाश सिंह, वरिष्ठ पत्रकार विमल मिश्र, साहिल जोशी, प्रो. बृजेश मिश्र तथा यतेंद्र सिंह यादव को हिंदी सेवा सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम के आयोजक संस्था के अध्यक्ष आदित्य दुबे, महामंत्री विजय सिंह कौशिक ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में विधायक मुरजी पटेल, हिंदी पत्रकार संघ के पदाधिकारी राजकुमार सिंह, सुरेंद्र मिश्र, अखिलेश मिश्र, अशोक शुक्ला और हरिगोविंद विश्वकर्मा समेत शहर के राजनीति, साहित्य और पत्रकारिता जगत के प्रमुख लोग उपस्थित थे। अभय मिश्र ने कार्यक्रम का संचालन किया।

राजयोगी बीके हरिलाल भानुशाली को जगद्गुरु शंकराचार्य श्री त्रिकालभवंता सरस्वती जी महाराज ने किया सम्मानित

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मुंबई। माउंटआबू, राजस्थान में ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय संत सम्मेलन का उद्घाटन सत्र 30 मई 2025 को 5:30 बजे आनंद सरोवर परिसर में सम्पन्न हुआ। इस भव्य आयोजन में भारतभर से आए शंकराचार्य, महंत, सन्यासी, संत और आध्यात्मिक नेता उपस्थित रहे, जिन्होंने इस अवसर की आध्यात्मिक गरिमा को बढ़ाया।

उसी अवसर पर गॉडलीवुड स्टूडियो (ब्रह्मकुमारीज, माउंटआबू) के कार्यकारी निदेशक राजयोगी बीके हरिलाल भानुशाली को जगद्गुरु शंकराचार्य श्री त्रिकालभावंत सरस्वती जी महाराज द्वारा एक प्रशंसा पत्र प्रदान किया गया। यह सम्मान ब्रह्माकुमारीज़ के सनातन धर्म के संरक्षण, प्रचार और सेवा के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

ज्ञात हो कि प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 के पावन अवसर पर, गॉडलीवुड स्टूडियो ने कुंभ स्थल पर एक भव्य स्टूडियो स्थापित किया। इस स्टूडियो के माध्यम से, कुंभ के दौरान आयोजित सभी सेवा गतिविधियाँ और आध्यात्मिक कार्यक्रम ‘पीस ऑफ माइंड’ टीवी चैनल पर ‘पीस न्यूज’ के माध्यम से प्रसारित किए गए, जिससे देश-विदेश के लाखों भक्तों और सनातन धर्मावलंबियों तक ये संदेश पहुँचे।

गॉडलीवुड स्टूडियो नियमित रूप से सनातन संस्कृति और प्राचीन भारतीय परंपराओं पर आधारित प्रेरणादायक कार्यक्रमों का निर्माण करता है। ये कार्यक्रम ‘पीस ऑफ माइंड’, ‘ओम शांति चैनल’ और भारत के 160 से अधिक स्थानीय टीवी चैनलों पर प्रसारित होते हैं। इनमें ‘विश्व एक परिवार’, ‘एक मुलाक़ात’, ‘महाकुंभ -2025 के पावन पर्व पर एक मुलाक़ात’ और ‘महाकुंभ के द्वार से’ जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।

इस श्रृंखला में, गॉडलीवुड स्टूडियो द्वारा निर्मित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित फिल्म ‘द लाइट’ को भी महाकुंभ के दौरान ब्रह्माकुमारीज़ के पवेलियन में प्रदर्शित किया गया। इस फिल्म को उपस्थित संतों, साधुओं और भक्तों ने इसकी गहरी संदेश, प्रभावशाली कहानी और कलात्मक उत्कृष्टता के लिए सराहा।
गॉडलीवुड स्टूडियो गीतों, कविताओं, भजनों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से भारतीय सनातन संस्कृति के संरक्षण और प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह स्टूडियो भारतीय संस्कृति की शाश्वत धरोहर को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुँचाने के लिए समर्पित है।

– गायत्री साहू

देवीदास नाईकरे हैं बिजनेस कोच के साथ एक क्रांतिकारी सोच वाले व्यक्ति

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मुंबई। जहाँ नेक इरादे हों और कर्म में आग हो, वहाँ असंभव कुछ भी नहीं। देविदास श्रावण नाईकरे ने इस मंत्र को सिर्फ जिया नहीं, बल्कि लाखों उद्यमियों के जीवन में उजाला फैलाया।
देविदास ग्रुप ऑफ कंपनी के संस्थापक के रूप में उन्होंने ये साबित किया कि असली सफलता सिर्फ पैसे कमाने में नहीं, बल्कि आंतरिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, और समाज में योगदान देने में है। अल्टीमेट मिलेनियर ब्लूप्रिंट – लोनावला की वादियों में आयोजित ये 4-दिवसीय कार्यक्रम, इस दर्शन का जीवंत प्रमाण बना। अंतिम दिन के अवॉर्ड समारोह में महाराष्ट्र भर के चुनिंदा व्यवसायियों को सम्मानित किया गया, जहाँ बॉलीवुड अभिनेता अली खान ने कहा, यह पुरस्कार सिर्फ जीत नहीं, आपकी सोच और साहस की पहचान है।

नाईकरे की कोचिंग एक अनोखा संगम है आधुनिक रणनीतियों का, माइंडसेट शिफ्ट का, मेडिटेशन और वैदिक साधनाओं का।
यह प्रोग्राम सिर्फ मुनाफा नहीं, स्वास्थ्य, रिश्ते और आंतरिक संतुलन में भी निखार लाती है।

उन्होंने 12 प्रेरणादायक पुस्तकें लिखीं हैं, 30 से अधिक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित, नाईकरे का योगदान शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास तक फैला है।

आज वे सिर्फ अध्यात्मिक बिजनेस कोच नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी सोच हैं।
उनका संदेश हर व्यवसायी के लिए है, जब मन में विश्वास हो, सोच में स्पष्टता हो, और कर्म में समर्पण हो – तब कोई भी सीमा आपको रोक नहीं सकती।

*स्वर्ग से संकट तक: कश्मीर की अनकही दास्तां*

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(नरेंद्र शर्मा परवाना-विनायक फीचर्स)

कश्मीर, जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्वविख्यात है। डल झील का शांत जल, शिकारों की सैर, और मुगल गार्डन की रंगीन छटा इसे अनूठा बनाती है। गुलमर्ग की बर्फीली चोटियां, पहलगाम की लिद्दर नदी, और सोनमर्ग का थाजीवास ग्लेशियर पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। श्रीनगर का तुलिप गार्डन, जो एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है, हर साल अप्रैल में लाखों रंग-बिरंगे फूलों से सजता है। चार चिनार का छोटा-सा द्वीप डल झील के बीच शांति का प्रतीक है। लेकिन यह स्वर्ग आज आतंक और अशांति की कहानियों में उलझ गया है। आखिर यह जन्नत जहन्नुम कैसे बन गई? 1980 से 1982 और 1988 से 1991 तक वहां सेना में सेवा करते हुए मैने पांच साल का समय वहां गुजारा है।

*आतंक की शुरुआत और व्यक्तिगत अनुभव*

1980 के दशक के अंत में कश्मीर की हवा में बदलाव की गंध थी। लेकिन 1988 में कश्मीर में आतंकवाद की चिंगारी ने इस स्वर्ग को हिलाकर रख दिया। एक सैनिक के रूप में, मैंने स्वयं इस बदलाव को महसूस किया। शुरुआत में डल झील के किनारे शांति थी, लेकिन जल्द ही गोलियों की गूंज ने उस सन्नाटे को तोड़ दिया। मेरे दो साथी अपने स्थान से कश्मीर आते समय आरडीएक्स विस्फोट में अपनी टांगें खो बैठे। आतंकवादी छिपकर हमले करते अचानक, बेरहमी से, और फिर गायब हो जाते। कश्मीर शहरी क्षेत्र में एक बार क्रॉस-फायरिंग के बीच मेरा सामना मौत से हुआ था। वह अनुभव आज भी रोंगटे खड़े कर देता है। 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों का पलायन, जो लगभग 3 लाख लोगों का था, इस क्षेत्र की सामाजिक संरचना को चोट पहुंचाने वाली घटना थी। यह दर्द आज भी कश्मीर की स्मृति में बस्ता है।

*आखिर इसका जिम्मेदार कौन?*

कश्मीर की इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कौन है? क्या स्थानीय राजनीति, जो जनता की भावनाओं को समझने में विफल रही? या वह वैचारिक ज़हर, जिसने युवाओं को हथियार उठाने के लिए उकसाया? भारत सरकार के आँकड़ों के अनुसार, 1989 से 2024 तक कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित हिंसा में 14 हजार से अधिक लोग मारे गए, जिनमें नागरिक, सैनिक और आतंकवादी शामिल हैं। इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का परिणाम माना जाता हैं, जो सीमा पार से हथियार और प्रशिक्षण उपलब्ध कराता रहा है। लेकिन केवल बाहरी ताकतों को दोष देना पर्याप्त नहीं। स्थानीय असंतोष, बेरोजगारी, और गलत नीतियों ने भी इस आग में घी डाला। जैसा कि कश्मीरी कवि आगा शाहिद अली ने लिखा कि हमारी स्मृति में अब सिर्फ़ बारूद की गंध बची है।

*हालिया घटनाएं और सामाजिक प्रभाव*

हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर कश्मीर की पीड़ा को उजागर किया। इस हमले में निर्दोष नागरिकों की जान गई, परिवार टूटे, और बच्चों के सपने चकनाचूर हुए। 2023 में रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में 30 प्रतिशत की कमी आई, फिर भी शांति एक दूर का सपना बनी हुई है। इन हमलों का असर केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक भी है। स्थानीय लोग डर और अविश्वास के साये में जीते हैं। पर्यटन, जो कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बार-बार प्रभावित होता है।

*आओ चले समाधान की ओर*

कश्मीर को फिर से स्वर्ग बनाने के लिए हमें बंदूक नहीं, बल्कि संवाद की जरूरत है। शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक एकता पर ध्यान देना होगा। सेना की उपस्थिति, सरकार की इच्छाशक्ति, और जनता की जागरूकता मिलकर इस संकट का समाधान ढूंढ सकती है। कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। मेरा भारत महान है पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि हिंसा से केवल हिंसा जन्म लेती है। प्रेम, भाईचारा, और मानवीय संवेदनाएं ही इस जख्म को भर सकती हैं।

*महावाक्य:*
कश्मीर की जन्नत को वापस लाने के लिए हमें नफरत की आग बुझानी होगी और इंसानियत का दीप जलाना होगा। *(विनायक फीचर्स)*

महाराष्ट्र प्रदेश में रिकॉर्ड तोड़ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश

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महाराष्ट्र ने एक बार फिर देश में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के मामले में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य ने रिकॉर्ड 1,64,875 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आकर्षित किया है। यह देशभर में आए कुल 4,21,929 करोड़ रुपये के निवेश का 40 फीसदी है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल महाराष्ट्र में 32 फीसदी अधिक निवेश हुआ है ।

जब देश की आर्थिक प्रगति की बात आती है, तो महाराष्ट्र हमेशा सबसे आगे रहा है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य में विदेशी निवेश की गति लगातार बढ़ी है। आरोप है कि राज्य के कुछ उद्योग गुजरात या अन्य राज्यों में चले गए हैं। लेकिन उसके बाद भी महाराष्ट्र में विदेशी निवेशकों का आना बंद नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि राज्य में विदेशी निवेश लगातार बढ़ रहा है । पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी से मार्च 2025 ) में महाराष्ट्र में 25,441 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया। यह वर्ष महाराष्ट्र के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है क्योंकि इस साल राज्य ने पिछले पिछले दस वर्षों में सर्वाधिक विदेशी निवेश का नया शिखर हासिल किया है।

खास बात यह है कि यह निवेश का रिकॉर्ड उच्चतम आंकड़ा वित्तीय वर्ष के पहले 9 महीनों में ही पार कर लिया गया। इस ऐतिहासिक और रिकॉर्ड तोड़ निवेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने महाराष्ट्र की जनता को हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे , उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, उद्योग मंत्री उदय सामंत और मंत्रिमंडल के नेतृत्व में राज्य की प्रगति जारी रहेगी।

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पोस्ट करके कहा कि मुझे आज यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि 2024-25 में देश में होने वाले कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का 40 प्रतिशत अकेले हमारे महाराष्ट्र में हुआ है। यह सिर्फ आंकड़ों में इजाफा नहीं है, बल्कि यह महाराष्ट्र की प्रगति का प्रमाण है। वित्त वर्ष 2024-25 में देश में 4,21,929 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश होने का अनुमान है। इसमें से अकेले महाराष्ट्र को 1,64,875 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश मिला है। जो देश में हुए कुल निवेश का 40 प्रतिशत है।

पिछले दशक में विदेशी निवेश
वित्त वर्ष निवेश करोड़ रुपये में
2015-16 61,482
2016-17 1,31,980
2017-18 86,244
2018-19 57,139
2019 25,316 (अप्रैल से अक्टूबर )
2020-21 1,19,734
2021-22 1,14,964
2022-23 1,18,422
2023-24 1,25,101
2024-25 1,64,875