Home Blog Page 16

बांग्लादेश में बकरी से ज्यादा गौ माता की कुर्बानी

0

दुनिया भर में 6 और 7 जून को मनाई गई ईद-उल-अजहा के अवसर पर बांग्लादेश में करोड़ों इस्लामिक कट्टरपंथियों ने पारंपरिक रूप से गौ माता की कुर्बानी दी। बांग्लादेश के मत्स्य पालन और पशुधन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष कुल 91 लाख से अधिक गौ माता की कुर्बानी की गई, जिनमें गोवंश और भैंसों की संख्या सबसे अधिक रही।

मंत्रालय के अनुसार, इस बार 47.5 लाख गाय और भैंसों की कुर्बानी दी गई, जबकि 44.3 लाख बकरियां और भेड़ें कुर्बान की गईं। इसके अलावा अन्य प्रकार के पशु जैसे ऊंट, भेड़-बकरियां भी बलि में शामिल रहे।

इस साल कुर्बानी के लिए उपलब्ध पशुओं की संख्या बहुत अधिक थी, जिसके चलते लगभग 33.10 लाख पशु बाजार में नहीं बिक सके। मंत्रालय का मानना है कि ये बची हुई पशुधन ईद के बाद विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, शादियों और स्थानीय समारोहों में इस्तेमाल किए जाएंगे।

कहां कितनी हुई कुर्बानी?

देश के राजशाही डिवीजन में सबसे ज्यादा 23.24 लाख गोवंश की कुर्बानी हुई। इसके बाद ढाका डिवीजन में 21.85 लाख गौ माता की बलि दी गई। अन्य डिवीजनों में कुर्बानी का आंकड़ा इस प्रकार है:

चटगांव: 17.53 लाख

रंगपुर: 9.64 लाख

खुलना: 8.04 लाख

बारिसाल: 4.7 लाख

मयमनसिंह: 3.83 लाख

सिलहट: 3.19 लाख

ईद-उल-अजहा इस्लाम का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे ‘बकरीद’ भी कहा जाता है। यह पैगंबर इब्राहीम द्वारा अपने बेटे की कुर्बानी देने की इच्छा और अल्लाह की आज्ञा का पालन करने की स्मृति में मनाया जाता है।

त्योहार की शुरुआत ईद की नमाज़ से होती है, जिसके बाद तीन दिन तक ‘संपन्न मुसलमान’ गाय, बकरी, भैंस, ऊंट जैसे जानवरों की बलि देते हैं। कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है—गरीबों, रिश्तेदारों और खुद के लिए।

केंद्र सरकार गौ माता को राष्ट्र माता करें घोषित

0

शिमला, 12 जून : गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा देश भर में गौ ध्वज कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके माध्यम से केंद्र सरकार सहित सभी 36 राज्यों व केंद्र शासित राज्यों से गाय को राष्ट्र माता व राज्य माता का दर्जा देने की मांग की जा रही है। इसके अलावा गाय को पशु की श्रेणी से बाहर निकाल कर माता का दर्जा देने की भी मांग है।

शिमला में पत्रकार वार्ता कर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेंद्र योगीराज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के जाखू में भी गौ ध्वज स्थापित किया गया है जिसकी आज पूजा और परिक्रमा की गई है। देश के कई राज्य आज भी ऐसे हैं जहां पर गाय को काटने पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं है जबकि हिन्दुओं के लिए गाय आराध्य और पूजनीय हैं ऐसे में अगर गाय को केंद्र सरकार राष्ट्रमाता का दर्जा देकर कानून को सख्त करता है तो इससे गौ हत्या पर रोक लगेगी। हिमाचल सरकार भी अपने स्तर पर गाय को राज्यमाता का दर्जा देने का काम करें। इसके अलावा गौ मतदाता अभियान भी शुरू किया गया है। जो सरकार या प्रतिनिधि गाय के संरक्षण के लिए काम करेगा उसे वोट करने की अपील की जा रही है।

ब्रह्मांड वैज्ञानिक बलदेवकृष्ण शर्मा लिखित पुस्तक “नेचुरल यूनिवर्स एक्सपैंशन” का विमोचन मुंबई में संपन्न

0

 

यह पुस्तक ब्रह्मांड के लिए एक साहसिक नया वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।

मुंबई। प्रसिद्ध कॉस्मो-साइंटिस्ट (ब्रह्मांड वैज्ञानिक) और नवप्रवर्तक बलदेवकृष्ण शर्मा की नई पुस्तक नेचुरल यूनिवर्स एक्सपैंशन का अनावरण गुरुवार को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में किया गया। यह पुस्तक ब्रह्मांड के विस्तार का एक क्रांतिकारी नया मॉडल प्रस्तुत करती है, जो हबल के नियम और बिग बैंग सिद्धांत जैसी स्थापित वैज्ञानिक अवधारणाओं को चुनौती देता है।

इस पुस्तक में प्राकृतिक ब्रह्मांड विस्तार नियम (नेचुरल यूनिवर्स एक्सपैंशन लॉ) नामक एक नवीन वैज्ञानिक सिद्धांत प्रस्तुत किया गया है, जिसमें समय को एक महत्वपूर्ण चर के रूप में शामिल किया गया है, एक ऐसा तत्व जिसे लेखक का मानना है कि हबल के नियम में नजरअंदाज किया गया है। श्री शर्मा के अनुसार, इसी कारण ब्रह्मांड के विस्तार को लेकर वर्तमान वैज्ञानिक समझ में मौलिक खामियां मौजूद हैं।

पुस्तक विमोचन के अवसर पर उन्होंने कहा, “प्राकृतिक ब्रह्मांड विस्तार नियम इन खामियों को दूर करता है और एक नया स्थिरांक, न्यू कॉन्स्टैंट, पेश करता है, जो ब्रह्मांड की गतिशीलता को बेहतर ढंग से समझाता है।”

प्राकृतिक ब्रह्मांड विस्तार न केवल ब्रह्मांडीय विस्तार की यांत्रिकी में गहराई से उतरती है, बल्कि यह हमारे सौर मंडल और पृथ्वी और चंद्रमा के संबंधों की आंतरिक गतिविधियों का भी विश्लेषण करती है। पुस्तक में परमाणु संरचना, तरंग दैर्ध्य, और टेक्टोनिक गतिविधियों जैसे विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की गई है। इन परंपरागत सिद्धांतों को तर्क व गणितीय प्रमाणों के आधार पर चुनौती दी गई है।

श्री शर्मा ने कहा, “अगर वैज्ञानिक मॉडलों में लगातार विसंगतियाँ सामने आती हैं, तो विज्ञान को उन स्वीकृत धारणाओं से आगे बढ़ना होगा। इस पुस्तक के माध्यम से मेरा उद्देश्य एक ऐसा सिद्धांत प्रस्तुत करना है जो न केवल ज्ञात तथ्यों को स्पष्ट करे बल्कि अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर भी दे सके। ब्रह्मांड, जीवन की तरह, गतिशील और बहुपरत है, जो हम देखते हैं, वह केवल सतह है।”

ब्रह्माण्ड संबंधी सिद्धांतों को पुनर्परिभाषित करने के अतिरिक्त, श्री शर्मा की पर्यावरणीय शोध भी उल्लेखनीय है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन रीसाइक्लिंग, सशक्त ऑक्सीजन निर्माण, घातक मानव चोटों के कारणों का विश्लेषण, और ग्लोबल वार्मिंग जैसे विषयों पर अध्ययन शामिल हैं। इन सभी निष्कर्षों को उन्होंने अपनी वेबसाइट (www.arf-research.com) पर निशुल्क उपलब्ध कराया है, जिनसे जलवायु शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं और पर्यावरण संरक्षकों को व्यापक लाभ मिलने की उम्मीद है।

श्री शर्मा एस्ट्रोजेनेसिस रिसर्च फाउंडेशन के चेयरमैन और प्रमुख वैज्ञानिक हैं, तथा उन्हें प्रतिष्ठित राष्ट्रपति विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी पूर्ववर्ती पुस्तक Who Are We? What For? में भी उन्होंने ब्रह्मांड के गुरुत्व, अंतरिक्ष और विज्ञान के नियमों को मनुष्य पर लागू करते हुए विवेचित किया था।
पुस्तक विमोचन के अवसर पर उपस्थित डॉ. ए.पी. जयरामन, मुख्य अतिथि डॉ. अरविंद परांजपे, डॉ. एस.एस. बर्वे, उमेश राठौड़, निधि चौधरी, वी.वी. रंगनाथन, निर्मला सामंत (मुंबई के पूर्व मेयर और एक वकील) तथा अन्य विशिष्ट अतिथियों के गहन विचारों तथा अटूट समर्थन के लिए डॉ. बलदेवकृष्ण शर्मा ने आभार प्रकट किया।

मत्स्यपालन और जलीय कृषि के भविष्य के लिए महाराष्ट्र से शुरुआत करें – मंत्री नीतेश राणे

0
मुंबई में प्रौद्योगिकी-आधारित मत्स्यपालन प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का उद्घाटन
मुंबई (अनिल बेदाग): महाराष्ट्र के मत्स्य और बंदरगाह विकास मंत्री नीतेश राणे ने बताया कि मत्स्यपालन और जलीय कृषि क्षेत्र का भविष्य बनाने के लिए महाराष्ट्र से शुरुआत करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मार्गदर्शन में, हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं – तटीय सुरक्षा के लिए ड्रोन तैनात करने से लेकर मत्स्यपालन विकास परियोजनाओं को गति देने तक, हम एआई नवाचार और तीव्र विकास का समर्थन करने वाला एक पारिस्थितिकी तंत्र बना रहे हैं।” वह मुंबई के गोरेगांव में आयोजित दो दिवसीय प्रौद्योगिकी-आधारित मत्स्यपालन प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी (आईएफटी) के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन महाराष्ट्र के मत्स्य और बंदरगाह विकास मंत्री नीतेश नारायण राणे ने किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मत्स्यपालन आयुक्त किशोर तावडे, साथ ही महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और गोवा के राज्य मत्स्यपालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मंत्री राणे ने कहा, “मैं अंतर्राष्ट्रीय मत्स्यपालन प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी के आयोजकों का दिल से आभार व्यक्त करता हूं और उन्हें बधाई देता हूं कि उन्होंने प्रौद्योगिकी, नीति और क्षमता इन तीनों को एक छत के नीचे लाने वाला वास्तव में एक विश्व स्तरीय मंच बनाया है। यह योजना सही समय पर शुरू हुई है। महाराष्ट्र मत्स्यपालन में पहले पांच राज्यों में आने के लिए कटिबद्ध है और इस प्रकार की प्रदर्शनियां इस यात्रा को गति देने के लिए आवश्यक हैं।” उन्होंने आगे कहा, “मैं प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, निवेशकों और उद्योग क्षेत्र के नेताओं को आमंत्रित करता हूं कि वे हमारे साथ भारत के मत्स्यपालन और जलीय कृषि क्षेत्र का भविष्य बनाने के लिए महाराष्ट्र से शुरुआत करें।”
इसके अतिरिक्त, भारत के मत्स्य व्यवसाय सर्वेक्षण संस्थान के महानिदेशक श्रीनाथ के.आर. ने कहा, “भारत का मत्स्यपालन क्षेत्र वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहा है – 130 से अधिक देशों को निर्यात कर रहा है और बुनियादी ढांचे तथा नवाचार में परिवर्तनकारी निवेश के कारण यह संभव हुआ है। आईएफटी एक्सपो जैसे मंच इस गति के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो हमारे प्रधानमंत्री के सतत, प्रौद्योगिकी- आधारित नीली अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से मेल खाने वाली प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करते हैं।” उन्होंने इस सहयोग और विकास के लिए उत्प्रेरक बनाने के लिए आयोजकों को बधाई दी।
यह प्रदर्शनी 2025-26 के केंद्रीय बजट में मत्स्यपालन क्षेत्र के लिए रिकॉर्ड ₹2,703 करोड़ के आवंटन की पृष्ठभूमि में आयोजित की गई है, जो भारत के मत्स्यपालन क्षेत्र के आधुनिकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

जूनियर एनटीआर को वॉर 2 में इंसानी मशीन की तरह दिखाना था – अनाइता श्रॉफ अदजानिया

0

 

वॉर 2 के टीज़र में जूनियर एनटीआर की जबरदस्त मौजूदगी ने सभी का ध्यान खींचा है। उनके स्टाइल और लुक की पूरे देश में तारीफ हो रही है। फिल्म की कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर अनाइता श्रॉफ अदजानिया ने बताया कि दर्शकों और जूनियर एनटीआर के फैंस द्वारा मिले प्यार से वे बेहद खुश हैं।

देश की मशहूर स्टाइलिस्ट अनाइता ने बताया कि वॉर 2 में उन्होंने जूनियर एनटीआर की माचो पर्सनैलिटी को दिखाने के लिए खास स्टाइलिंग की। उन्होंने कहा, “एनटीआर के साथ पहली बार काम करना एक बेहतरीन अनुभव था। जब वो कमरे में आते हैं, तो जैसे माहौल में ऊर्जा दौड़ जाती है। ये कोई दिखावा नहीं है, ये उनके अंदर की ताकत है। उनके चेहरे की मुस्कान, गर्मजोशी और किरदार में गहराई साफ नजर आती है।”

अनाइता ने आगे कहा, “मैं उनके लुक को रियल रखना चाहती थी, लेकिन साथ ही उनकी ताकत और मर्दानगी भी दिखानी थी। एनटीआर की मौजूदगी में एक रॉनेस है, जैसे कोई इंसानी मशीन हो जो मकसद के साथ काम कर रही हो। इसी सोच के साथ उनका लुक तैयार किया गया — लेदर की जैकेट, रफ लुक और स्ट्रॉन्ग सिल्हूट्स।”

उन्होंने कहा, “उनके स्टाइल में कोई दिखावा नहीं है, सब कुछ सीधा और असरदार है। यह एक ऐसे आदमी की छवि है जो सिर्फ काम पर फोकस करता है।”

वॉर 2 को आदित्य चोपड़ा ने प्रोड्यूस किया है और अयान मुखर्जी ने डायरेक्ट किया है। फिल्म में जूनियर एनटीआर , जिन्हें ‘मैन ऑफ द मासेस’ कहा जाता है, ऋतिक रोशन के सामने नज़र आएंगे। कियारा आडवाणी फिल्म की लीड एक्ट्रेस हैं। वॉर 2 , 14 अगस्त 2025 को हिंदी, तमिल और तेलुगु में रिलीज़ होगी।

नारायण सेवा संस्थान द्वारा निःशुल्क शिविर में 419 दिव्यांगों को पहनाया गया नारायण कृत्रिम अंग

0

 

मुंबई। नारायण सेवा संस्थान का नारायण लिम्ब एवं कैलिपर्स फिटमेंट शिविर मुंबई के निको हॉल, नायगाँव क्रॉस रोड, वडाला उद्योग भवन के पास, दादर में सम्पन्न हुआ।
शिविर का उद्देश्य शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों को न केवल चलने-फिरने में सक्षम बनाना था, बल्कि उनमें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की भावना भी जागृत करना था। कृत्रिम अंग लगने के बाद दिव्यांगों के चेहरे पर मुस्कान और आत्मविश्वास साफ दिखाई दिया। शिविर में मुंबई सहित दूरस्थ क्षेत्रों के 419 दिव्यांगों को अपर-लोवर व मल्टीपल कृत्रिम अंग और केलिपर्स लगाए गए।
इसके मुख्य अतिथि जसवंत भाई शाह थे। शिविर की अध्यक्षता शांतिलाल मारू ने की। तो वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में साध्वी सुश्री यति किशोरी देवी, गुड्डी अग्रवाल, हर्ष बापना (आलोक इंडस्ट्रीज), श्याम सिंघानिया, नरेंद्र (इंडियन ओवरसीज बैंक के पूर्व चेयरमैन), सत्यसाई ट्रस्ट से डॉ. श्रीनिवास, कमल लोढ़ा, सतीश अग्रवाल, गोपाल हलानी और टाटा टेली सर्विसेस लिमिटेड के सीएसआर विभाग से शीनु माथाई, सपना पंजाबी और कॉग्निजेंट कंपनी, आईसीसी आईलैंड सिटी सेंटर से भी अतिथि और वॉलिंटियर्स उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि जसवंत भाई शाह ने कहा कि नारायण सेवा संस्थान दिव्यांगों को सशक्त ही नहीं कर रहा बल्कि उनके खोये हुए आत्मविश्वास और निराशा को दूर करने का काम कर रहा है। यह समाज के लिए उपयोगी कार्य है। ऐसी सोच और भावना से ही विश्व एक परिवार का सपना साकार हो सकेगा। उन्होंने संस्थान को हर तरह से मदद का भरोसा दिया। साथ ही संस्थान के संस्थापक कैलाश मानव व अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल की वर्षों की सेवा साधना की प्रशंसा की। वहीं शिविर से लाभांवित होकर अपने पैरों पर चलते हुए नई जिंदगी शुरू करने वाले दिव्यांगजनों को शुभकामनाएं दी।
अध्यक्षता कर रहे शांतिलाल मारू ने संबोधित करते हुए कहा कि यह पहल समाज के उन वर्गों के लिए है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं या किसी दुर्घटना में अपंग हो गए हैं। उन्होंने कहा, “हम सबका लक्ष्य दिव्यांगजनों को नया जीवन और आत्मनिर्भरता देना है।
शिविर में पहुंचे सभी अतिथियों ने शिविर का दौरा किया और दिव्यांगों से उनकी आपबीती सुनी और डॉक्टर से फिटमेंट की प्रक्रिया जानी। लाभांवित दिव्यांगों को ट्रेनिंग दी गई और दिव्यांग बेटबॉल और फुटबॉल भी खेले।
शुरू में नारायण सेवा संस्थान की निदेशक पलक अग्रवाल और ट्रस्ट्री – निदेशक देवेंद्र चोबीसा तथा महर्षि अग्रवाल ने मंचासीन अतिथियों का मेवाड़ी परम्परा से स्वागत किया।
निदेशक पलक अग्रवाल ने कहा, “दिव्यांगजनों को उनके घरों के पास ही मदद पहुँचाने के लिए 23 मार्च को मुंबई में कैंप लगाया था। जिसमें 500 से ज्यादा दिव्यांग पहुंचे, उनमें से 419 दिव्यांगों को नारायण लिंब व केलिपर्स के लिए चयनित किया। जिन्हें आज नई जिंदगी का उपहार मिल रहा है।” समारोह में कृत्रिम अंग पहनकर दिव्यांगों ने परेड की। दिव्यांगों को संस्थान डॉक्टर्स ने चलने की ट्रेनिंग देने के साथ लिम्ब के रख रखाव की जानकारी भी दी।
ट्रस्ट्री – निदेशक देवेंद्र चोबीसा ने कहा, “मुंबई में एक साथ बड़ी संख्या में दिव्यांगजन जर्मन टेक्नोलॉजी के नारायण लिम्ब पहनकर घरों को विदा हुए। जो वर्षों पहले किसी दुर्घटना में अपने हाथ -पैर गंवाने से चलने -फिरने में असमर्थ हो चुके थे। जिसके चलते इनकी जिंदगी रुक सी गई थी।” इस शिविर में संस्थान के 80 सदस्यों की टीम ने सेवाएं दी। मुंबई शाखाध्यक्ष महेश अग्रवाल ने अतिथियों का धन्यवाद अर्पित किया और कार्यक्रम का संचालन महिम जैन ने किया।
आपको बता दें कि नारायण सेवा संस्थान 1985 से नर सेवा-नारायण सेवा की भावना से काम कर रहा है। संस्थापक कैलाश मानव को राष्ट्रपति ने मानव सेवा के लिए पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में 30 मई को दिल्ली में श्री मानव को सामुदायिक सेवा एवं सामाजिक उत्थान श्रेणी में सम्मानित किया है। संस्थान के अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल दिव्यांगों के लिए मेडिकल, शिक्षा, कौशल विकास और खेल अकादमी के माध्यम से मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक दृष्टि से मजबूत कर लाखों दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा में ला चुके हैं। वर्ष 2023 में अग्रवाल को राष्टृपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। संस्थान अब तक 40 हजार से अधिक कृत्रिम अंग लगा चुका है। संस्थान अब मुंबई के दिव्यांगों को निःशुल्क कृत्रिम अंग प्रदान कर उनकी रुकी जिन्दगी को फिर से शुरू करने के लिए बड़े स्तर पर काम करेगा।

सेवा भारती में गौ उत्पाद प्रशिक्षण शिविर आयोजित

0

करनाल : सेवा भारती हरियाणा प्रदेश के प्रांत कार्यालय में गोवंश संवर्धन और पर्यावरण संरक्षण हेतु गौ उत्पाद बनाने के लिए एक बारह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया l  इस कार्यक्रम में गाय के गोबर से भगवान की मूर्तियां, वंदनवार, पूजा की माला, धूप ,दीप के साथ साथ अन्य कलाकृतियां बनाई गई  । यह प्रशिक्षण कार्यक्रम  25 मई से 5 जून तक विशेषकर महिलाओं के लिए चलाया गया। पहली बार इस प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत भी इसी परिसर में कुछ माह पहले की गई थी l इसके समापन कार्यक्रम के अवसर पर गौ उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी में  गौ सेवा गतिविधियों के प्रांत संयोजक महेंद्र कंसल मुख्य तौर पर उपस्थित रहे l । तरुण जैन ने  गाय के गोबर और मूत्र से दैनिक उपयोग में आने वाली सामग्री का महिलाओं को प्रशिक्षण दिया । यह महिलाएं प्रदेश भर में जाकर अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित करेंगी कि गाय का दूध दही और घी ही नहीं बल्कि गाय का गोबर और गोमूत्र भी लोगों की आजीविका का साधन बन सकता है ।  यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सेवा भारती के सुरेंद्र गोयल और रोशन लाल गुप्ता के देखरेख में चल रहा है। महाराष्ट्र से आए सचिन और आशीष ने बताया कि उन्होंने नागपुर और विदर्भ के आदिवासियों के इलाके में इस अभियान को शुरू किया। इसके माध्यम से आदिवासियों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना था।

Screenshot

समापन कार्यक्रम में रोशन लाल ने बताया कि गाय माता सनातन संस्कृति का प्राण है और जीवन में प्रत्येक संस्कार एवं शुभ अवसर पर गाय माता की उपस्थिति परम आवश्यक है। गाय माता के गोबर की महिमा पर एक दो प्रसंग भी सुनाए।

इस अभियान के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया जाएगा। कार्यक्रम में इन उत्पादों 12 प्रकार के गोमूत्र अर्क, घनवटी , पित्तशामक  चूर्ण, काला दंत मंजन, सादा दंत मंजन,  फिनाइल, कपूर वाले कंडे ,सजावट का सामान, मोमेंटो,  माला,  एंटी रेडिएशन मोबाइल बैक कवर,दीये , राखियां,  नेमप्लेट, एन्टी रेडिएशन मोबाइल स्टैंड, तोरण, सम्ब्रानी कप और अन्य सामान के निर्माण को लेकर प्रशिक्षण दिया गया।

हरियाणा में गौ सेवा गतिविधियां के प्रांत संयोजक महेंद्र कंसल ने कहा है कि गौ उत्पादों को दैनिक जीवन में लाकर हम भारतीय संस्कृति की रक्षा कर सकते है। उन्होंने कहा कि गाय माता हमारी संस्कृति और विरासत का आधार है । मानव सभ्यता के प्रारंभ से ही गाय माता हमारे जीवन के साथ जुड़ी हुई हैं । गौ उत्पादों में हमारी सेहत का राज छिपा हुआ है। गाय मानव जीवन में जन्म से लेकर मोक्ष तक साथ रहती है। जीवन के संस्कार गायों के बिना अधूरे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रांत उपाध्यक्ष रोशन लाल गुप्ता ने की। इस अवसर पर सुरेंद्र गोयल , तरुण जैन, आशीष ने भी सेवा भारती  द्वारा चलाये जा रहे प्रकल्पों की जानकारी दी। इस अवसर पर भूषण गोयल, विपिन अरोड़ा गौतम जैन, राकेश, सहित कार्यकर्त्ता मौजूद रहे । गौ उत्पाद प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रही।

वास्तविकता का दर्शन है लेखक निर्देशक प्रदीप अग्रवाल की फिल्म “तुम लौट आना जिंदगी”

0

 

फिल्म समीक्षा: “तुम लौट आना जिंदगी”
प्रेजेंटर: जय भोलेनाथ आर्ट्स
लेखक, निर्माता निर्देशक: प्रदीप अग्रवाल
कलाकार: आदित्य शर्मा, दीप्ति जयप्रकाश, विशाल शर्मा, गौरव बाजपेयी, अनुपमा शुक्ला, अमिता विश्वकर्मा, अजय कुमार सोलंकी
अवधि: 1 घंटा 53 मिनट
सेंसर: U/A
रेटिंग: 3 स्टार्स

सिनेमा सिर्फ एक मनोरंजन का साधन नहीं है अपितु कुछ फिल्मकार आंचलिक क्षेत्र की समस्याओं को पर्दे पर प्रस्तुत करके जनमानस को अवगत कराने का प्रयास करते हैं। वास्तविकता पर आधारित फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफलता के लिए तरस जाती है मगर एक दूरदर्शी निर्देशक अपनी विचार को दिखाकर संतुष्ट हो जाता है। मानव जीवन ईश्वर का अमूल्य वरदान है जिसमें भावनाएं जागृत रहती है। मनुष्य अपने जीवनकाल में पति पत्नी, संतान, सगे संबंधी, मित्र, पालतू पशु पक्षी का सानिध्य प्राप्त करता है। इनमें से किसी एक के भी बिछोह की पीड़ा उसके शोक का कारण बनती है।
हिंदी फिल्म तुम लौट आना जिंदगी का शीर्षक एक कविता का मुखड़ा है। पूरी फिल्म में इसके गहरे अर्थ देखने समझने को मिलते हैं। फिल्म का मुख्य पात्र एक हिन्दू सेवानिवृत शिक्षक है जो अपनी पत्नी के वियोग में चिंतित है। मानवता के नाते एक बार उसने एक मुस्लिम व्यक्ति को अपना खून देकर उसकी जान बचाई। वही मुस्लिम व्यक्ति स्वस्थ होने के बाद शिक्षक को अपना बड़ा भाई का दर्जा देकर उसकी सेवा करता है जिससे अकेलेपन के शिकार शिक्षक की चिंता कम हो जाती है और दोनों सृजनात्मक कार्य में जुटकर एक कहानी लिखते हैं जो शिक्षक की दूरदर्शी सोच पर आधारित है। कहानी में एक सुखा ग्रस्त गांव है जहां छुआछूत, बेरोजगारी की समस्या तो है साथ ही जल संकट की विकट समस्या से लोग परेशान है। उस ग्रामीण क्षेत्र का जनप्रतिनिधि चुनावी वादे के बाद सब भूल बैठा है।
दूसरी तरफ फिल्म के मुख्य पात्र की बेटी नर्स है और अपने डॉक्टर से मन ही मन प्रेम करती है क्योंकि दोनों की मां ने बचपन में ही उनका रिश्ता तय कर रखा है। दो युवा पात्र हैं जो बेरोजगार हैं, एक अविवाहित अधेड़ धनी व्यक्ति है और एक वफादार नौकर है। सबकी जिंदगी में कुछ न कुछ कमी है और उन्हें प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से किसी के लौट आने की प्रतीक्षा है।
लेखक, निर्माता और निर्देशक प्रदीप अग्रवाल की जय भोलेनाथ आर्ट्स के बैनर तले निर्मित फिल्म “तुम लौट आना जिंदगी” समाज के कई मुद्दों पर बात करती है और सांप्रदायिक एकता पर जोर देती है।
फिल्म कविता की पंक्तियों से शुरू होती है “शाम ढले, इसी छत के तले तुम लौट आना जिंदगी” और इसी कविता पर समाप्त होती है। फिल्म को कलात्मक और रचनात्मक रूप देनी की कोशिश की गई है।
ऋषिकेश मुखर्जी से प्रभावित निर्माता निर्देशक प्रदीप अग्रवाल ने एक सामाजिक और पारिवारिक सिनेमा का निर्माण किया है। फिल्म के कई संवाद बढ़िया हैं जैसे कि “बेरोजगारी युवा पीढ़ी को बर्बाद कर देगी”, ये डायलॉग हमारे समाज का कड़वा सच उजागर करता है। दूसरा संवाद “इंसानियत का धर्म सबसे बड़ा धर्म है”, सभी समुदाय को जोड़ने के लिए है।
फिल्म “तुम लौट आना जिंदगी” में सेवानिवृत्त शिक्षक के रूप में आदित्य शर्मा ने अपनी भूमिका से आत्मसात किया है। उनका हावभाव, चेहरे का एक्सप्रेशन और संवाद अदायगी प्रभावी है। उनकी स्वर्गवासी पत्नी के रोल में दीप्ति जयप्रकाश की भूमिका संक्षिप्त है। शिक्षक के विशेष मित्र असलम के रोल को विशाल शर्मा ने बड़ी सच्चाई से निभाया है। फिल्म में डॉक्टर का चरित्र गौरव ने और नर्स की भूमिका अनुपमा शुक्ला ने बेहतर ढंग से निभाई है। बेरोजगार युवती के रोल मे अमिता विश्वकर्मा और एक बेरोजगार लड़के की भूमिका में अजय कुमार सोलंकी ठीक ठाक हैं।
फिल्म मे एक ही गीत है जिसका संगीत प्रदीप रंजन ने दिया है और गीत सीमा अग्रवाल ने लिखा है। फिल्म के डीओपी अशोक त्रिवेदी का कैमरा वर्क अच्छा है, वहीं कृष्णा का एडिटिंग में बढ़िया प्रयास है। फिल्म वितरक राजकेश भदौरिया प्रचारक संजय भूषण पटियाला हैं।
फिल्म “तुम लौट आना जिंदगी” से दर्शक भावनामयी संसार में खो जाएंगे और हृदय की गहराई में जाकर अपनों का स्मरण करेंगे।

– संतोष साहू

छत्तीसगढ़- गौ तस्करी करने वालों की प्रॉपर्टी होगी सीज – डिप्टी सीएम ने दिया सख्त निर्देश

0

Chhattisgarh News in Hindi : छत्तीसगढ़ में गाय व अन्य गोवंश की तस्करी करने वालों पर सख्ती करने के निर्देश दे दिए गए हैं. नवा रायपुर स्थित मंत्रालय में गोवंश की तस्करी व प्रताड़ना मामलों की रोकथाम को लेकर पुलिस की समीक्षा बैठक हुई. इस समीक्षा बैठक की अध्यक्षता खुद उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने की. बैठक में कई महत्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए गए.

बैठक में साफ निर्देश दिया गया कि अगर गोवंश तस्करी या प्रताड़ना के मामलों में किसी पुलिस वाले की भूमिका है, तो उनपर सख्त कार्रवाई की जाए. इसके अलावा ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख्ती के भी निर्देश दिए गए.

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने समीक्षा बैठक को लेकर मीडिया से जानकारी साझा की. विजय शर्मा ने बताया कि गोवंश तस्करी व प्रताड़ना के मामलों की रोकथाम के लिए हर जिले में पुलिस की एक टीम बनाई गई थी, जिसमें नोडल डीएसपी रैंक के अधिकारी थे. सभी जिलों की टीम के साथ समीक्षा बैठक की गई.

गोवंश की तस्करी को रोकने के लिए दिए कड़े निर्देश

कई जिलों में अच्छा काम हुआ है, कुछ जिलों में और बेहतर काम करने की जरूरत है. गोवंश की तस्करी को रोकने के लिए सभी को कड़े निर्देश दिए गए हैं. साथ ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति करने वालों पर और सख्त कार्रवाई करने की बात भी कही गइ गई.

किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं’

नारायण सेवा संस्थान द्वारा रविवार को मुंबई में 419 दिव्यांगों को मिलेगा निःशुल्क कृत्रिम हाथ-पैर

0
filter: 0; fileterIntensity: 0.0; filterMask: 0; brp_mask:0; brp_del_th:null; brp_del_sen:null; delta:null; module: photo;hw-remosaic: false;touch: (-1.0, -1.0);sceneMode: 8;cct_value: 0;AI_Scene: (-1, -1);aec_lux: 0.0;aec_lux_index: 0;albedo: ;confidence: ;motionLevel: -1;weatherinfo: null;temperature: 33;

 

मुंबई। दिव्यांगजनों और मानव सेवा के लिए पहचाने जाने वाले उदयपुर के नारायण सेवा संस्थान द्वारा मुंबई के दिव्यांगों के सेवार्थ रविवार 8 जून को निःशुल्क नारायण लिम्ब एवं कैलीपर्स फिटमेंट शिविर आयोजित होगा। यह शिविर निको हॉल, नायगाँव क्रॉस रोड, वडाला उद्योग भवन के पास, दादर पूर्व, मुंबई में 8 जून को प्रातः 8:00 से सायं 6:00 बजे तक चलेगा। जिसमें पूर्व चयनित दिव्यांगों को नि:शुल्क लाभ मिलेगा।
संस्थान की मुंबई शाखा के अध्यक्ष महेश अग्रवाल ने जानकारी देते हुए कहा कि संस्थान विभिन्न राज्यों के दिव्यांग बन्धुओं को उनके घर शहर के नजदीक लाभान्वित करने के लिए विगत 40 वर्षों से प्रयासरत है। इसी शृंखला में नारायण सेवा ने मुंबई में 23 मार्च को निःशुल्क नारायण लिंब मेजरमेंट कैंप का आयोजन किया था। जिसमें 500 से अधिक रोगी आए थे। इनमें से 419 जन ऐसे थे जो सड़क दुर्घटना या अन्य हादसे में हाथ-पैर खोकर दिव्यांगता का शिकार हो गए थे। उनका चयन करते हुए निःशुल्क नारायण लिम्ब के लिए कास्टिंग व मेजरमेंट लिया था।
उन्होंने बताया कि मुंबई में संस्थान एक साथ सैकड़ों दिव्यांगों को जर्मन टेक्नोलॉजी से निर्मित नारायण लिम्ब पहनाकर उन्हें नई जिंदगी देगा। यह सभी दिव्यांगताभरी जिंदगी के चलते अपने परिवार पर बोझ बन गए थे। संस्थान उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर समाज की मुख्यधारा में ला रहा है। एक समृद्ध समाज के लिए हर नागरिक का सशक्त होना जरूरी है। दिव्यांगों के सशक्तिकरण से देश की गति प्रगति को रफ्तार मिलेगी।
प्रेस वार्ता के दौरान महेश अग्रवाल, शिविर प्रभारी हरिप्रसाद लढ्ढा, स्थानीय आश्रम प्रभारी ललित लोहार व रमेश शर्मा, रमेश मनेरिया, आनंद सिंह सोलंकी (मुंबई इनचार्ज), मुकेश सैन (भायंदर इनचार्ज), महेंद्र जाटव ने शिविर का पोस्टर भी जारी किया।
पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए अग्रवाल ने कहा कि नारायण सेवा संस्थान भारत ही नहीं अपितु विदेश में साउथ अफ्रीकी देशों केन्या, युगांडा, मेरु, तंजानिया, नेपाल में भी शिविर कर चुका है। हर माह करीब 1500 लोगों को आर्टिफिशियल हाथ-पैर लगाए जा रहे हैं। शिविर के उद्घाटन में गणमान्य और संस्थान के सहयोगियों को आमंत्रित किया गया है।
अग्रवाल ने कहा शिविर में आने वाले दिव्यांगों के लिए निःशुल्क भोजन की व्यवस्था रहेगी। इन दिव्यांगों को नारायण लिम्ब फिटमेंट के बाद चलने की सुव्यस्थित ट्रेनिंग दी जाएगी। इस हेतू संस्थान की 40 सदस्यीय टीम सेवाओं में तत्पर रहेगी।
शिविर में पूर्व लाभांवित दिव्यांग भी आयेंगे। जो नव लाभांवित दिव्यांगों को अपने अनुभव बताते हुए उनका उत्साहवर्धन करेंगे।
नारायण सेवा संस्थान 1985 से नर सेवा-नारायण सेवा की भावना से काम कर रहा है। संस्थापक कैलाश मानव को राष्ट्रपति ने मानव सेवा के लिए पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में 30 मई को दिल्ली में कैलाश मानव को सामुदायिक सेवा एवं सामाजिक उत्थान श्रेणी में सम्मानित किया है। संस्थान के अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल दिव्यांगों के लिए मेडिकल, शिक्षा, कौशल विकास और खेल अकादमी के माध्यम से मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक दृष्टि से मजबूत कर लाखों दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा में ला चुके हैं। वर्ष 2023 में अग्रवाल को राष्टृपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। संस्थान अब तक 40 हजार से अधिक कृत्रिम अंग लगा चुका है। संस्थान अब मुंबई के दिव्यांगों को निःशुल्क कृत्रिम अंग प्रदान कर उनकी रुकी जिन्दगी को फिर से शुरू करने के लिए बड़े स्तर पर काम करेगा।