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दलेर मेहंदी ने ‘आज की रानी’ गाने के साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया

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मुंबई (अनिल बेदाग) : प्रसिद्ध गायक दलेर मेहंदी प्रेरणादायक गीत “आज की रानी” के रिलीज के साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर यूपीईएस विश्वविद्यालय की पहल ‘शक्ति’ के साथ जुड़ गए हैं।

“आज की रानी” के निर्माण के पीछे सहयोगी टीम ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की कि दलेर मेहंदी उनके दृष्टिकोण को जीवन में लाने के लिए सही विकल्प थे। शरद मेहरा द्वारा तैयार गीत और निशांत रामटेके द्वारा रचित संगीत के साथ, टीम ने गीत में गहराई और गंभीरता लाने की दलेर मेहंदी की अद्वितीय क्षमता को पहचाना। उन्होंने किसी अन्य गायक से संपर्क करने पर भी विचार नहीं किया, क्योंकि उनका मानना ​​था कि पीढ़ी दर पीढ़ी दलेर मेहंदी की व्यापक अपील गीत के उद्देश्य से पूरी तरह मेल खाती है। उनकी महान स्थिति और चुंबकीय उपस्थिति ने उन्हें इस परियोजना के लिए आदर्श रूप से उपयुक्त बना दिया, जिससे यह सुनिश्चित हो गया कि “आज की रानी” का सभी जनसांख्यिकी के श्रोताओं पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

भोजपुरी फिल्म ‘होई अन्याय के अंत’ का संगीतमय मुहूर्त संपन्न

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                         राहीज़ फिल्म्स इंटरनेशनल के बैनर तले फिल्म निर्माता शादाब अली के द्वारा बनाई जा रही भोजपुरी फिल्म ‘होई अन्याय के अंत’ का संगीतमय मुहूर्त पिछले दिनों मुम्बई स्थित अशोक होंडा   स्टूडियो में बॉलीवुड की मशहूर पार्श्वगायिका साधना सरगम के स्वर में एक प्यारे से गीत की रिकॉर्डिंग के साथ संपन्न हुआ। मुहूर्त के अवसर पर अनिल चौहान, दिव्या द्विवेदी, फारूक़ भाई, धनंजय कुलकर्णी समेत बॉलीवुड के कई नामचीन शख्सियत भी मौजूद थे। पार्श्वगायिका साधना सरगम वैसे तो हिंदी गीत गाती रहती हैं लेकिन लगभग एक दशक से उन्होंने भोजपुरी फिल्म के लिए कोई गाना नहीं गाया था। उन्होंने 2014 में एक भोजपुरी फ़िल्म के लिए गीत रिकॉर्ड किया था और अब दस साल बाद 2024 में उन्होंने भोजपुरी फ़िल्म ‘होई अन्याय के अंत’ के लिए एक रोमांटिक गीत गाया है।
विदित हो कि, अब तक बहुभाषी पार्श्वगायिका साधना सरगम भारत की 36 से अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में गाना गा चुकी हैं और आज की तारीख में सर्वाधिक क्षेत्रीय भाषाओं में गायन करने वाली पहली गायिका हैं। उन्हें कई भाषाओं में उत्कृष्ट गायन के लिए बहुत से पुरस्कार व सम्मान मिले हैं। जिसमें एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, दो फिल्म फेयर पुरस्कार, पांच महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार, चार गुजरात राज्य फिल्म पुरस्कार और एक उड़ीसा राज्य फिल्म पुरस्कार उल्लेखनीय हैं। लाडो मधेशिया, सूरज सरोज, शालू सिंह, नीलू सिंह, कुणाल सिंह, संजय पांडेय, मनोज टाइगर, अयाज़ खान और अन्य नवोदित कलाकारों के अभिनय से सजी भोजपुरी फिल्म ‘होई अन्याय के अंत’ के लेखक- निर्देशक अवधेश के. वर्मा, कार्यकारी निर्माता राही सुल्तानपुरी, गीतकार मनीष मिश्रा, संगीतकार शिशिर पांडेय और प्रचारक इरफ़ान श्रीवास्तव (वनअप रिलेशंस, मुम्बई) हैं।
प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय

दुबई के काइमा बीच पर सकारात्मक ऊर्जा बिखेरती शमा सिकंदर

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मुंबई (अनिल बेदाग) : शमा सिकंदर एक ऐसी शख्स हैं जो हमेशा अपने वोग गेम से आसानी से ट्रेंड सेट करने में कामयाब रहती हैं। वह उसी का अनुसरण करने के बजाय रुझान स्थापित करने में विश्वास करती है और कोई आश्चर्य नहीं, हम हमेशा उस सौंदर्यशास्त्र को पसंद करते हैं जिसे हम हमेशा उसके सोशल मीडिया हैंडल पर देखकर धन्य होते हैं।
एक प्रदर्शनकारी कलाकार के रूप में, वह काम और निजी जीवन के बीच तालमेल बिठाना और संतुलन बनाना पसंद करती हैं और जहां तक पाठकों के लिए उनके ‘मी टाइम’ का सवाल है, तो खुद को फिर से जीवंत करने के लिए दुनिया भर के विभिन्न स्थानों की यात्रा करना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
खैर, जहां तक उनके प्रशंसकों और प्रशंसकों का सवाल है, उन्हें अभी उनकी दुबई डायरी से उनकी धमाकेदार और मंत्रमुग्ध कर देने वाली तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। हाँ यह सही है। शमा सिकंदर को दुबई के काइमा बीच पर मौज-मस्ती करते हुए देखा गया है, जहां वह पहले से कहीं ज्यादा खूबसूरती और सकारात्मक ऊर्जा बिखेर रही हैं। जिस तरह से वह धूप वाले मौसम को गले लगा रही है और स्टाइलिश और शानदार नींबू हरे रंग की मोनोकिनी में धूप सेंक रही है वह हमें बहुत पसंद है। उनका लुक पूरी तरह से जलपरी जैसा दिखता है और हम उनकी प्रचंड सुंदरता के प्यार में पड़ने से खुद को रोक नहीं पाते हैं। देखना और देखना चाहते हैं? हेयर यू गो –
खैर, बिल्कुल अद्भुत और आंखों के लिए एक संपूर्ण आनंद, है ना? 1-10 के पैमाने पर आप शमा सिकंदर के इस भव्य अवतार को कितना रेटिंग देंगे? काम के मोर्चे पर, शमा सिकंदर के पास आगे दिलचस्प कार्य परियोजनाएं हैं, जिनकी घोषणाएं आदर्श समयसीमा के अनुसार जल्द ही होंगी।

देश में पहली बार हरित ऊर्जा के उपयोग में एक क्रांतिकारी पहल

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600 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न कर तकरीबन 35.5 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन रोकने के लिए एनएलसी इंडिया ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के बीच ऐतिहासिक समझौता

डॉ. आर बी चौधरी

एनएलसी इंडिया लिमिटेड की हरित शाखा एनएलसी इंडिया ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एनआईजीईएल) ने 600 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना के लिए गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) के साथ बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसे माना जा रहा है कि तकरीबन 35.5 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन से बचने के लिए 600 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए एनएलसी इंडिया ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के बीच ऐतिहासिक समझौता देश के देश की हरित ऊर्जा उत्पादन और खपत की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) ने भविष्य की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनएलसी इंडिया ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एनआईजीईएल) को हाल ही में शामिल किया है जिसका उद्देश्य है कि हरित ऊर्जा का उत्पादन कर पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां को सुलझाने के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो। एनएलसी इंडिया लिमिटेड की हरित शाखा एनएलसी इंडिया ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एनआईजीईएल) की ओर जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि यह सहायक कंपनी विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करेगी और इस प्रकार अपने लाभ के लिए अपने अनुभव और ज्ञान का लाभ उठाएगी।

इस दिशा में एनएलसीआईएल ने प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से जीयूवीएनएल द्वारा जारी जीएसईसीएल खावड़ा सोलर पार्क टेंडर में 600 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना हासिल की है। जिसमें हरित ऊर्जा पैदा करने वाली पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (डब्ल्यूओएस) के तहत आरई परियोजनाओं को विकसित करने की नीति के अनुरूप, परियोजना विकास को एनआईजीईएल के साथ जोड़ा गया है। विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि देश में अपने किस्म की एक अनोखी एवं विशेष पहल के रूप में, एनआईजीईएल ने गुजरात के भुज जिले के खावड़ा सोलर पार्क में प्रस्तावित 600 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना के लिए गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) के साथ बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार-परियोजना से रु 2.705/किलोवाट बिजली पीपीए टैरिफ दर से जीयूवीएनएल द्वारा खरीदी जाएगी। विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि  इस समझौते के दौरान में 39.447 बीयू (बिलियन यूनिट) की संचयी बिजली उत्पादन के साथ हर साल 1,577.88 एमयू (मिलियन यूनिट) बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इस परियोजना के तहत सबसे महत्वपूर्ण तथा रोचक बात यह है किपरियोजना अवधि के दौरान के दौरान लगभग 35.5 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से होने वाली हानि सुरक्षा करेगा।
दोनों पक्षों में हुए समझौते पर एनआईजीईएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा वडोदरा में जीयूवीएनएल के जीएम (नवीकरणीय) के साथ एनआईजीईएल के अध्यक्ष, निदेशक और सीएफओ की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर निगेल के अध्यक्ष प्रसन्ना कुमार मोटुपल्ली ने कहा , “इस परियोजना को सभी आसानी से उपलब्ध आवश्यक बुनियादी ढांचे और बेची गई बिजली के लिए भुगतान सुरक्षा के साथ एक सोलर पार्क का लाभ मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि ग्रीन-शू विकल्प में अतिरिक्त क्षमता हासिल करके, पैमाने के कारण परियोजना अर्थव्यवस्था में सुधार किया गया है।
खावड़ा सोलर पार्क में प्रस्तावित 600 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना आज की तारीख में एनएलसीआईएल द्वारा विकसित सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना होगी।

मनोवांछित फलदायी है शिव की उपासना

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विजय शंकर दीक्षित – विभूति फीचर्स

               भगवान शिव की उपासना की प्राचीनता-प्रचुरता सर्वमान्य है। शिव देव देवेश्वर महेश्वर हैं। कल्याणकर्ता होने से उन्हें शंकर कहा जाता है।  आशुतोष अवढरदानी परमप्रभु शिव के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता, वे   उपासकों के अभाव दूर कर देते हैं, कामना पूर्ण कर देते हैं। भगवान शंकर भारतीय संस्कृति धर्म एवं जीवन में विराट समन्वय के देवता हैं। वे अपने आप में विषमता की संपूर्ण एकता हैं।

अंग में लगाते हैं सदा से चिता की भस्म,

फिर भी शिव परम पवित्र कहलाते हैं।

गोद में बिठाये गिरिजा को रहते हैं सदा,

फिर भी शिव अखंड योगिराज कहलाते हैं।

घर नहीं, धन नहीं, अन्न और भूषण नहीं,

फिर भी शिव महादानी कहलाते हैं।

देखत भयंकर पर नाम शिव शंकर,

नाश करते हैं तो भी नाथ कहलाते हैं।

आश्चर्य होता है कि शिवजी देवताओं-मानवों के उपास्य तो हैं ही किन्तु राक्षसों के भी उपास्य हैं।  शिवोपासना देवराज इन्द्र, विष्णु जी, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण तथा ऋषि मुनियों द्वारा की गई है, यहां तक कि दैवीय संस्कृति के कटï्टर शत्रु आसुरी प्रकृति वाले भौतिकता के साधक रावण, हिरण्याक्ष, हिरण्यकश्यप, लवणासुर, भस्मासुर, गजासुर, बाणासुर आदि राक्षसों-दानवों ने भी शिवजी की आराधना कर वरदानों से अपना अभ्युदय किया। देवों में सर्वोत्कृष्टï महादेव जी माने गए हैं। शिवोपासना से व्यक्ति को अभीष्टï फल प्राप्त हो ही जाता है।

भाल में जाके कलाधर है,

सोई साहब ताप हमारो हरैगो।

अंग में जाके विभूति लगी रहे,

भौन में संपत्ति भूरे भरेगो।

घातक है जो मनो भव को,

मन पातक वाही के जारे जरैगो।

दास जू शीश पै गंग धरै रहे,

बा की कृपा कहु कौन करेगो।

ब्रह्माजी भवानी पार्वती से व्यंग्य करते हुए कहते हैं आपके बावरे पति उन  कंगालों को धन- संपत्ति ऐश्वर्य सुख दे देते हैं, जिनके मस्तक में सुख संपत्ति का नामों निशान तक हमने नहीं लिखा है। रंको को भी वह इंद्र पद दे देते हैं, जिससे मुझे अनेक स्वर्गों की रचना कर उन्हें इंद्र पद पर प्रतिष्ठिïत करना पड़ता है। सृष्टïा की विनोद युक्त वाणी सुनकर जगतजननी भवानी मुस्कुराने लगीं। यह उद्गार विनय पत्रिका में तुलसीदास रचित इस पदावली में दृष्टïव्य है-

बाबरो रावरो नाह भवानी

परमोपास्य महादेव की परमोदारता कृपालुता के विषय में कवि की सदुक्ति देखिए-

दिगम्बर है स्वयं दीनों को पीताम्बर दिया करते।

भिखारी हो के घर औरों का धन से भर दिया करते ॥

यहां दुर्भाग्य भी सौभाग्य है।

ढांचे में ढल जाये॥

चरण पर भाल रखते

भाल की रेखा बदल जाये॥

धन्य हैं परम प्रभु शिवजी धन्य हैं उनकी दानशीलता भक्तवत्सलता परमोदारता जिससे प्रभावित हो विधाता चतुरानन, भवानी पार्वती से विनोदयुक्त वाणी से कहते हैं  कि मुझसे थोड़ा नहीं मांगना अधिक से अधिक इच्छित वस्तु मांग लो।  महाकवि तुलसीदास रचित कवितावली की पदावली देखिए। ब्रह्मïाजी कहते हैं-

नागौ फिरै कहे मागतो देखि,

ना खागो कछु जनि  मांगिये थोरि।

राकनि नाकप रीझि करै

तुलसी जग जौ जरै जावक जोरो॥

नाक संवारत आयो हो नाकहि नाहि

पिनाकिहि नेक निहोरो।

ब्रह्मा कहे गिरिजा सिखवो पति रावरो दानि है बावरो भोरो॥

वेदों से लेकर रामायण महाभारत तथा पुराणों में शिवार्चना का उल्लेख है।  शिव भक्तों में आदि शैवाचार्य, विष्णुनारायण हैं। सर्वप्रथम लक्ष्मी नारायण ने शिवोपासना की। विष्णु जी प्रथम शैव हैं सदुक्ति हंै।

”शैवानम् यथा हरि:। सेवहु शिवचरण रेणु कल्याण अखिलप्रद कामधेनु- तुलसी,

शिव एक हैं लीला भेद से वह लीला परमेश्वर अनेक भी हैं।  उनके अनेक रूप दिव्य नाम हैं, अद्र्धनारीश्वर, मायापति, गंगाधर, लिंगस्वरूप और अलिंग भी। भगवान शंकर का कपूरवतï् गौरवर्ण, नीलमणि प्रवालसदृश्य, मनोहर नील लोहित शरीर है। तीन नेत्र चारों हाथों में पाश, लाल कमल, कपाल, त्रिशूल हैं। आधे अंग में अंबिका सुशोभित है। मुखमण्डल सहस्त्रों सूर्य सदृश ज्योतिर्मय तेजस्वी है। सिर के दक्षिण भाग में धूमिता जटाजूट वाम भाग की अलकावली सुचिक्कण श्यामला लम्बी लटकें  लटक रही हैं। माथे पर अद्र्ध वैदी मनोहर है। एक नेत्र कटाक्ष के लिए चंचल, दूसरा शांत अर्धोन्मीलित। नासिका के छिद्र में सुनहली नथनी शोभा दे रही है। मस्तक पर चंद्रमा और सिर पर गंगा लहरा रही है अद्र्धांग में बाघम्बर भुजगावनद्ध हैं। कंठ में मन्दार पुष्पों की माला तथा मुण्डमाला लटक रही है। एक पैर में रेशमी साड़ी तो दूसरे पैर में गज की खाल एवं व्याघ्रम्बर धारण किए हैं। ऐसे परम् प्रभु सर्व शक्तिमान भगवान अद्र्धनारीश्वर को नमस्कार है। प्रणाम है। उन महेश्वर चंद्रमौलि की वन्दना करते हुए उनकी उपासना के संबंध में उनका प्रमुख मंत्र आराधना हेतु वर्णन कर रहा हूं।

शिवपंचाक्षर मंत्र नम: शिवाय। इस नम: शिवाय मंत्र के वासुदेव ऋषि हैं। पंक्ति छंद है और ईशान देवता हैं। सबके पहले ओंकार लगने पर यह षड़क्षरमंत्र हो जाता है। जैसे ऊँ नम: शिवाय।  शिवजी की षोडशोपचार पूजा कर शास्त्रोक्त विधि से स्नान ध्यान कर अनुष्ठïान करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से लौकिक-परलौकिक सुख, इच्छित फल एवं पुरुषार्थ चतुष्टï्य की भी प्राप्ति साधक को हो सकती है। साधक भस्म रुद्राक्ष धारण कर दासोअस्मि कहकर विधिवत शिवार्चन करे जप स्त्रोतादि पाठ करे। रुद्राक्ष की माला एक सौ आठ दाने की अथवा 54 दानों की या 29 गुरिया की हो तो अच्छा है। कामना के अनुसार जप आदि उपासना करे, अनुष्ठान करे। साधक को विद्या प्राप्ति हेतु नम: शिवाय का जप स्फटिक माला से उत्तम है। सिद्धि प्राप्तत्यार्थ मोती की माला से जप करना उत्तम माना गया है या मूंगा की माला हो, हीरा की माला सिद्धप्रद है ही, रुद्राक्ष की माला भी उत्तम होती है, गुरु से दीक्षा लें। श्रद्धा-विश्वास से जप करना चाहिए। शिव नाम ही कल्याण वाचक है। अत: येन-केन प्रकारेण शिव का स्मरण  अथवा नाम जप करें। ‘शम् करोति शंकर ‘नाम जप का बड़ा महत्व है तभी महाकवि महात्मा तुलसीदास ने कहा है-

भाग्य कुभाय अनख आलस हू।

नाम जपन मंगल दिसि दसहू।

इष्टï देवता के नाम जप से साधक का कल्याण होता है चाहे श्रीराम अथवा श्रीकृष्ण, विष्णु, शिव, हनुमान आदि किसी देवता की आराधना, अर्चना साधना की जाए इनमें से कोई भी देवोपासना करें उसे सब कुछ मिल सकता है। लोक-परलोक सुधर जाएगा, पुरुषार्थ चतुष्टï्य धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।  मार्कण्डेय ने शिवोपासना से अमरत्व प्राप्त कर लिया।  भगवद्ïदर्शन प्राप्त कर लिया। यह चमत्कारिक रोचक कथा शिवपुराण में वर्णित है। शिव के पार्थिव पूजन की बड़ी महिमा है प्रतीकोपासना भी है। शिव के गुणानुवाद करते हुए पदïï्माकर कहते हैं-

देव नर किन्नर कितेक गुण गावत तै,

पावत न पार जा अनन्त गुन पूरे को।

कहां पदमाकर सुगाल के बजावत ही

काज करि देति जन जापक जरूरे को॥

चंद्र की छटा न जुत पन्नगभटान जुत

मुकुट विराजै जट जूटन के जूरे

को।

देखो त्रिपुरारि की उदारता अपार कहां

पैये फल चारि फूल एक एक है धतूरे को॥

पद््माकर जी का उक्त छंद सुनाते हुए हमारे पिता श्री कालीचरण दीक्षित कवीश ने बतलाया कि रुद्रार्चन में अक्षत बेलपत्र, गंगाजल, कमल का फूल शिव को अर्पण करें। शिवालय में शिवजी की आधी परिक्रमा करने का विधान है।

वैश्वानर की रोमांचकारी घटना का वर्णन पुराण में है। वैश्वानर पर वज्र विद्युत्पात हुआ।  इंद्र ने उन पर ज्यों ही वज्र चलाया तो वैश्वानर ने शिवजी का स्मरण किया। वज्र लगने से क्षणभर के लिए मूर्छित हो गए पुन: चेतना आई आंखें खोलीं तो देखा कि भगवान गौरा पति शंकर उन्हें गोद में लिए हुए हैं। भवानी सहित शंकर को देख साश्रुनयन हो श्रद्धाजंलि से (करबद्ध हो) नतमस्तक होकर गदगद हो पुलकित हो गए। आशुतोष चंद्रमौलि ने कहा- भक्तवर तुमने हमें पुकारा बस हम आ गए क्या डर गए हो, अब निर्भय हो जाओ यह कह प्रभु ने वैश्वानर को आग्नेय कोण का अधिपति बना दिया, लोकोक्ति है-

शंकर सहाय तो भयंकर कहा करें।

सारांश में कहना है कि शिवोपासना के महामृत्युंजय अनुष्ठान का चमत्कार ऋषिवर मार्कण्डेय के जीवन में दृष्टिïगोचर होता है। शिवार्चन से ऋषिवर मार्कण्डेय ने मृत्यु विजयनि शक्ति प्राप्त कर ली मृत्युंजय स्त्रोत प्रसिद्ध है, जिसकी पंक्तियां प्रस्तुत हंै-

रत्नसानु शरासन रजताद्रि श्रृंग निकेतन।

शिंजिनी कृतपन्नगे श्वरमच्युतानल शायकं॥

क्षिप्रदग्धुरत्रय त्रिदशालयै रभिवन्दितं।

चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥

व्यक्ति को, साधक को सुख शांति एवं मनोवांछित फल प्राप्ति हेतु शिवोपासना करना चाहिए। (विभूति फीचर्स)

अंबानी बम कांड पर आधारित किताब CIU के लेखक को साहित्य अकादमी पुरस्कार

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‘CIU- क्रिमिनल्स इन यूनिफॉर्म’ के लेखक को साहित्य अकादमी पुरस्कार

मुंबई: एक तरफ जहां इंटरनेट और सोशल मीडिया पर इन दिनों गुजरात के जामनगर में मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की प्री वेडिंग की तस्वीरें वायरल हैं और पूरा देश जहां रिकॉर्ड तोड़ खर्च वाली शादी की चर्चा कर रहा है, वहीं महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ने मुकेश अंबानी के निवास स्थान एंटीलिया के बाहर मिली विस्फोटक से लदी कार और मामले के एकमात्र गवाह मनसुख हीरेन की हत्याकांड पर आधारित किताब ‘CIU- क्रिमिनल्स इन यूनिफॉर्म’ के लेखकों की जोड़ी में एक राकेश त्रिवेदी को साहित्य अकादमी अवॉर्ड 2023-24 की घोषणा की.


पत्रकार संजय सिंह और राकेश त्रिवेदी की जोड़ी ने लिखी इस सनसनीखेज कहानी को महाराष्ट्र सरकार की ओर से 11 मार्च को मुंबई में आयोजित एक भव्य रंगारंग कार्यक्रम में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. शोध पत्रकारिता में परचम लहरा चुके पत्रकार लेखकों की इस जोड़ी द्वारा लिखित एंटीलिया विस्फोटक कांड की परतें खोलने वाली ये किताब पिछले साल काफी सुर्खियों में रही. किताब में किए गए खुलासों की पुलिस महकमे और राजनैतिक गलियारों में खूब चर्चा रही. बताया जाता है कि ‘CIU- क्रिमिनल्स इन यूनिफॉर्म’ इस किताब को सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, न्यूजीलैंड, केन्या और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों के 11 बड़े शहरों में भी अच्छा प्रतिसाद मिला.
इससे पहले लेखक द्विय की बेस्ट सेलर रही किताब ‘तेलगी: रिपोर्टर की डायरी’ पर आधारित हाल ही में सोनी लिव ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई वेब सीरीज ‘स्कैम 2003 – तेलगी स्टोरी’ ने काफी धूम मचाई और अब अंबानी केस पर आधारित ‘CIU- क्रिमिनल्स इन यूनिफॉर्म’ इस कहानी पर भी एक प्रतिष्ठित प्रोडक्शन कंपनी दिलचस्प वेब सीरीज बना रही है जो इस साल के आखिर तक रिलीज हो सकती है.

संजय लीला भंसाली ने अपना म्यूजिक लेबल ‘भंसाली म्यूजिक’ किया लॉन्च

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मुंबई। संजय लीला भंसाली, जो अपनी सिनेमेटिक मास्टरपीस के रूप में फिल्मों को बनाने के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने अब अपने खुद के म्यूजिक लेबल भंसाली म्यूजिक को लॉन्च किया है।

भारतीय सिनेमा में, संजय लीला भंसाली का नाम एक आकर्षक कहानी और सुंदर संगीत के साथ जुड़ चुका है। अब उनके नाम से भंसाली म्यूजिक लेबल भी है, जहां वे संगीत की दुनिया में अपनी रचनात्मक शक्ति को बढ़ावा देंगे, और कई काबिल संगीतकार और कलाकारों के साथ मिलकर अपनी फिल्मों को और यादगार बनाने के लिए अलग – अलग एल्बम्स के लिए दिल जीतने वाला संगीत बनाएंगे।

संजय लीला भंसाली की फिल्में कभी असफल नहीं होती हैं और उसके पीछे की वज़ह कहानी को मजबूती देने वाला संगीत है। चाहे हम बात करें दीवानी मस्तानी की शानदारत की या ब्लैक की भावनात्मक धुन की। भंसाली के गाने इमोशंस से भरपूर होते हैं, जो उनकी फिल्मों के हर एक पहलू में खुलकर सामने आते हैं।

बता दें कि इस्माइल दरबार, मोंटी शर्मा और यहां तक ​​कि खुद जैसे टैलेंटेड संगीतकारों के साथ उनकी साझेदारी ने हिंदी सिनेमा में कुछ सबसे बेस्ट और खूबसूरत ट्रैक दिए हैं। चाहे वह “बाजीराव मस्तानी” से “दीवानी मस्तानी” की भव्यता हो या “लाल इश्क” की सुंदरता या “पद्मावत” से “घूमर” के रंग हों, भंसाली का संगीत गहराई और जुनून के साथ गूंजता है। हर नोट, हर लिरिक को प्यार, तड़प, बलिदान और जीत की कहानी को सुनने के लिए ध्यान से चुना जाता है। भंसाली का आर्टिस्टिक विजन और क्राफ्ट हमेशा किसी भी लिमिट को पर करती है और दुनिया भर ने जादूई लहर पैदा करती है। सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि फिल्म मेकर की इंटरनेशनल लेवल पर भी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है।

भंसाली म्यूजिक के लॉन्च पर बात करते हुए, संजय लीला भंसाली कहते हैं, “संगीत मुझे बहुत खुशी और शांति देता है। यह मेरे अस्तित्व का एक अभिन्न अंग है। मैं अब अपना खुद का म्यूजिक लेबल “भंसाली म्यूजिक” लॉन्च कर रहा हूं। मैं चाहता हूं कि दर्शक भी ऐसा ही अनुभव करें। आनंद और आध्यात्मिक जुड़ाव जो मुझे तब महसूस होता है जब मैं संगीत सुनता हूं या बनाता हूं”।

भंसाली को बेहद खूबसूरती से क्लासिक और मॉडर्न म्यूजिक के कॉम्बिनेशन को बनाने के लिए जाना जाता है। भंसाली द्वारा बनाए गए गानों का असर हर उमर के लिस्टनर पर देखने मिलता है। चाहे वह प्राचीन महाकाव्यों की सुंदरता को दिखाना हो, या फिर मॉडर्न रोमांस की भावना को दिखाना हो।

भंसाली म्यूजिक के जरिए, संजय लीला भंसाली कला की व्यक्तिगत व्याख्या की सीमाएं नए रूप में स्थापित करते हुए, जनता को एक यात्रा पर बुलाते हैं, जहां संगीत सिर्फ एक अक्सेसरी नहीं बल्कि एक रूह-जगाने वाली शक्ति है।

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एक्टर रणदीप हुड्डा की राजनीति में एंट्री, हरियाणा की इस सीट से लड़ सकते हैं चुनाव

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बीजेपी में शामिल होने वालों की संख्या रोजाना बढ़ रही है। इस बीच खबर है कि बॉलीवुड स्टार रणदीप हुड्डा जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। एक्टर रणदीप हुड्डा बीजेपी के टिकट पर हरियाणा से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि रणदीप हुड्डा रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। रणदीप मूल रूप से हरियाणा के रोहतक के ही रहने वाले हैं।

रोहतक लोकसभा सीट इस समय बीजेपी के खाते में है। यहां से मौजूदा समय में अरविंद शर्मा सांसद हैं। उन्होंने साल 2019 में कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा को हराकर पहली बार बीजेपी का परचम लहराया था। बीजेपी को यहां पर 47 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे। अरविंद शर्मा को कुल 573,845 मत प्राप्त हुए थे।

भूपेंद्र हुड्डा का गढ़ है रोहतक

हरियाणा का रोहतक जिला पूर्व मुख्यमंत्री और सीनियर कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ है। यह सीट जाट बहुल मानी जाती है। साल 2019 से पहले रोहतक सीट कांग्रेस के खाते में रही है। दीपेंद्र हुड्डा और भूपेंद्र हुड्डा इस सीट से लोकसभा सांसद चुने जा चुके हैं। इस बार भी कांग्रेस दीपेंद्र हुड्डा का उम्मीदवार बना सकती है। रोहतक से कांग्रेस को काफी उम्मीदें हैं।

हरियाणा की सभी 10 सीटों पर बीजेपी का कब्जा

मौजूदा समय में हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी की गठबंधन सरकार है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी हरियाणा की सभी 10 सीटें जीतने में कामयाब हो गई थी। साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस रोहतक सीट जीत गई थी लेकिन 2019 में अपनी सीट बचाने में नाकाम हुई। इस सीट पर बीजेपी हर हाल में इस बार भी कब्जा करना चाहेगी क्योंकि इसका असर विधानसभा चुनाव में भी दिखाई देगा। यह सीट जीतकर बीजेपी जनता को यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि हुड्डा अपना ही गढ़ नहीं बचा पाए।

फेसबुक को पक्षाघात,फेसबुकियों में बैचेनी

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(राकेश अचल-विभूति फीचर्स)
‘फेसबुक ‘ को बीती रात अल्प पक्षाघात हुआ तो पूरी दुनिया में फेसबुक के भक्त(फेसबुकिये) विचलित हो गए। लगा कि जैसे किसी ने उनकी जान ही छीन ली हो। मैं भी इस भक्तमंडली का सदस्य था लेकिन फेसबुक  के शांत होने के बाद मैंने भी चैन की सांस ली। मैंने बहुत कम अवसरों पर देखा है, जब लोग किसी चीज के लिए इतने परेशान और फिक्रमंद होते हैं। फेसबुक तो कोई चीज भी नहीं है। एक सेवा है किन्तु अपनी उपयोगिता की वजह से आज दुनिया के एक बड़े हिस्से के लिए प्राणवायु बन गयी है।
दुनिया में जिंदगी के लिए जैसे भोजन -पानी और आक्सीजन आवश्यक है वैसे ही अब सोशल मीडिया एक आवश्यक अवयव बन गया है ।  अकेले फेसबुक दुनिया के 1560  मिलियन लोग फेसबुक की सेवाओं से जुड़े हैं ,और ऐसे जुड़े हैं कि  कुछ समय के लिए ही फेसबुक के बंद होने से सदमे की स्थिति में पहुँच गए। फेसबुक के हितग्राहियों की दशा ऐसी हो गयी जैसे किसी सांप के मुंह से उसकी मणि छीन ली गयी हो ,या किसी मछली को पानी से निकाल कर गर्म रेत पर फेंक दिया हो। जाहिर है कि  फेसबुक ने बीस साल में ही  जनमानस पर अपना इतना प्रभुत्व बना लिया है कि लोग उसके आदी हो गए हैं और एक पल भी ‘ फेसबुकाये ‘ बिना नहीं रह सकते।
फेसबुक  ‘अनंग  ‘ है। फेसबुक को शैव सम्प्रदाय का कोई ‘ हैकर ‘ ही अपनी तीसरी आँख से भस्म कर सकता है लेकिन हमेशा  के लिए नहीं। फेसबुक की मारक क्षमता से समाज ही नहीं बल्कि सियासत भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है ,बावजूद इसके फेसबुक अपनी जगह है ,उसे मिटाने की,’ हैक ‘ करने की तमाम कोशिशें बार-बार नाकाम हो जाती है।  5  मार्च 2024  को भी ऐसी ही कोशिशें नाकाम हुईं और लोगों ने चैन की सांस ली। सवाल ये है कि  गुण-दोषों से भरी फेसबुक आम आदमी की जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन कैसे गयी  ? इसके लिए हम खुद जिम्मेदार है।  हमने ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न की कि हम आपस में ही एकदूसरे से कटते चले गये। संवाद की सूरत लगातार कम होती चली गयी।
आज फेसबुक है तो तमाम दूसरी बुक्स बेकार है।  फेसबुक आज का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा लोकप्रिय महाग्रंथ बन चुका है। फेसबुक किसी से भेदभाव नहीं करता। फेसबुक की  अपनी दुनिया है।अपने कानून हैं। अपने तौर-तरीके हैं। फेसबुक की अपनी कोई भाषा नहीं है। फेसबुक अपने उपयोगकर्ताओं को अपनी पसंद की भाषा चुनने का अवसर देती है। फेसबुक का अपना लोकतंत्र है,अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है,हालाँकि इसके अपने मापदंड हैं,सीमाएं है ।  फेसबुक भी अभिव्यक्ति की आजादी को एक सीमा के बाद पाबंद करती है किन्तु उस तरीके से नहीं जिस तरीके से आज दुनिया में तमाम  धार्मिक और लोकतांत्रिक सरकारें कर रही हैं। फेसबुक दुनिया के तमाम सत्ता प्रतिष्ठानों के लिए खतरा है। इसीलिए जब तब दुनिया के तमाम देशों की सरकारें फेसबुक   को प्रतिबंधित करने के लिए इंटरनेट को ही बंद करा देती हैं।
कहते हैं कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है ,सो इसी तरह अमेरिका के एक कालेज छात्र मार्क जुकरबर्ग की मित्रों से जुड़े रहने की जरूरत ने 2004  में फेसबुक को जन्म दिया था जो आज दुनिया के एक बड़े हिस्से की जरूरत बन चुकी है। दुनिया के तमाम लोग जुकरबर्ग के शुक्रगुजार हैं फेसबुक बनाने के लिए। फेसबुक दुनिया का ऐसा मेला है जहाँ दशकों से गुम हुए लोग आपस में मिल जाते हैं। ये काम आसान काम नहीं है। फेसबुक ने मनुष्य के एकांत में दखल किया है ।  मनुष्य को अवसाद से बचाया भी है और सामाजिक सुरक्षा भी  दी है ,साथ ही  अश्लीलता ,घृणा भी परोसी है। फेसबुक   गोपनीयता के लिए खतरा भी है और समाज को पारदर्शिता की ओर भी ले जाती है। यानि फेसबुक  एक दोधारी तलवार है। ये ऐसा उस्तरा भी है जो यदि बंदर के हाथ लग जाये तो हजामत बनने के बजाय गर्दन काटने  का भी काम कर सकती है।
फेसबुक के अनेक रूप है।  फेसबुक दवा भी है और जहर भी ।  फेसबुक मनोरंजन भी देती है और विकृति भी ।  फेसबुक के पास दोस्ती  और दुश्मनी के लिए पर्याप्त समय है ।  फेसबुक राजनीतिक हस्तक्षेप भी करती है और निजता पर भी डाका डालती है। फेसबुक नशा भी है और नशामुक्ति भी। फेसबुक के समर्थक भी हैं और विरोधी भी ।  फेसबुक अबाल-वृद्ध सबकी मित्र है। सबकी अभिभावक भी है ।  सबकी हमराह,हम जुल्फ,हमदर्द, हमजोली यानि सब कुछ है। फेसबुक किसी के लिए गीता है तो किसी के लिए कुरआन । किसी के लिए बाइबल है तो किसी के लिए कुछ और। इतना रूतबा और व्यापकता शायद किसी दूसरे माध्यम के पास नहीं हैं।
फेसबुक से आप मनोरंजन,ज्ञानार्जन ,व्यवसाय  ,महिमा मण्डन और मान मर्दन जो चाहे सो कर सकते है।  ये आपके ऊपर है कि  आप फेसबुक का कैसे इस्तेमाल करना चाहते है।  दुनिया में जैसे विभिन्न प्रकार के नशा से मुक्ति के लिए अभियान चलाये जाते हैं उसी तरह फेसबुक से मुक्ति के लिए भी अभियान चलाये जाते हैं। कुछ लोग 31  मई को फेसबुक छोडो दिवस के रूप में भी मानते हैं। कुल मिलाकर फेसबुक आज मनुष्य जीवन  की प्राणवायु है। इस पर जब-जब खतरा मंडराता है दुनिया  बेचैन हो जाती है । इसलिए जरूरी है कि  आप फेसबुक से मुहब्बत करते हुए भी इसका कोई न कोई विकल्प खोजकर रखिये अन्यथा खुदा न खास्ता किसी दिन फेसबुक समाप्त हुई उस दिन आपकी दुनिया भी आपको समाप्त होती सी नजर आएगी। वैसे मै फेसबुक को कलियुग का असली अवतार मानता हूँ । आइये हम सब फेसबुक की सलामती के लिए समवेत होकर ईश्वर से ,हैकरों से प्रार्थना करें कि वे इस पाकीजा उपक्रम से छेड़छाड़ न करें और ईश्वर इसे लम्बी उम्र दे । (विभूति फीचर्स

आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद मरीजों का कम लागत पर इलाज करते हैं डॉक्टर एम डी पुजारी

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अब तक 5000 हजार से अधिक सफल सर्जरी कर चुके हैं स्पाइनल व न्यूरो सर्जन डॉक्टर एम डी पुजारी

मुम्बई। डॉक्टर एम. डी. पुजारी ब्रेन और स्पाइन सर्जन और कंसलटेंट है। डॉक्टर पुजारी पिछले 15 वर्षों से जरूरतमंद पेशेंट की स्पाइन सर्जरी और न्यूरो सर्जरी कर इलाज करते हैं।
डॉ पुजारी कहते हैं कि मुख्य रूप से ट्रस्ट हॉस्पिटल की सहायता से वह आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद मरीजों का कम लागत पर इलाज करते हैं। क्योंकि ब्रेन और स्पाइन से जुड़ी सर्जरी में इलाज का खर्च लगभग 8 से 10 लाख आता है जिसे कुछ मध्यमवर्गीय और निम्नवर्गीय परिवार वहन नहीं कर पाते तो कुछ इलाज के आभाव में विकट परिस्थिति में चले जाते हैं। ऐसे ब्रेन और स्पाइन से बीमार व्यक्ति जिनको सर्जरी की आवश्यकता है किंतु उनका परिवार खर्च वहन नहीं कर पाता तो असहाय लोगों का न्यूनतम लागत या कभी निःशुल्क इलाज ट्रस्ट हॉस्पिटल की सहायता से डॉक्टर एम डी पुजारी कर देते हैं।

26 जनवरी 2024 को मुम्बई में डॉ पुजारी को सिंगर कुमार शानू और अवार्ड शो आयोजक व फिल्ममेकर डॉ कृष्णा चौहान ने राष्ट्रीय रत्न सम्मान 2024 की ट्रॉफी देकर सम्मानित किया है। डॉक्टर पुजारी ने अपनी एमबीबीएस की शिक्षा बीएलडीई मेडिकल कॉलेज बीजापुर कर्नाटक से की है। उन्होंने एमएस की डिग्री ग्रैंड मेडिकल कॉलेज जेजे हॉस्पिटल से प्राप्त की है और न्यूरो सर्जरी की डिग्री कोलकाता से प्राप्त की है। डॉ. पुजारी मुम्बई में कूपर हॉस्पिटल, जेजे हॉस्पिटल, होली फैमिली हॉस्पिटल जैसे कई ट्रस्टी हॉस्पिटलों में कार्य कर चुके हैं। वर्तमान में वह होलीफैमिली हॉस्पिटल बांद्रा में कार्यरत हैं। डॉक्टर पुजारी बताते हैं कि उन्होंने अब तक लगभग 5000 से अधिक ब्रेन और स्पाइनल सर्जरी सफलतापूर्वक की है। उनका कहना है कि मरीज की आधी समस्या तो आपकी मोटिवेशनल बातों और हौसला दिलाने से ही ठीक हो जाती है बाकी दवाइयां ठीक करती है। डॉ पुजारी ने बताया कि उनके इलाज द्वारा 90 से 95% लोग आज भी स्वस्थ और अपने कार्यों में व्यस्त हैं। डॉक्टर बताते हैं कि बड़े हॉस्पिटलों पर ब्रेन सर्जरी और स्पाइन सर्जरी का खर्च बहुत अधिक आता है ऐसी स्थिति में मध्यमवर्गीय और निम्नवर्गीय परिवार खर्च वहन करने में अयोग्य रहते हैं। डॉक्टर पुजारी न्यूनतम खर्च पर और कभी-कभी निशुल्क ब्रेन और स्पाइन से पीड़ित ऐसे व्यक्तियों की सर्जरी कर देते हैं। डॉक्टर पुजारी अपने परिवार में पहले डॉक्टर हैं और उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं। डॉक्टर ने बताया कि हर मरीज अपने डॉक्टर को भगवान समझता है लेकिन मेरा भगवान तो मेरे मरीज है, अगर मरीज मेरे इलाज से संतुष्ट है तो इससे बड़ी संतुष्टि और खुशी मेरे जीवन की कुछ और हो ही नहीं सकती।

डॉ पुजारी ने बताया कि लोग ब्रेन और स्पाइन सर्जरी करवाने से डरते हैं लेकिन ब्रेन, स्पाइन, हार्ट, स्ट्रोक और ब्लीडिंग जैसी समस्या आने पर हमें तुरंत नजदीकी अस्पताल पर संपर्क करना चाहिए। अच्छे अस्पताल की खोज में समय बर्बाद ना करते हुए पहले नजदीकी अस्पताल में जाये और प्रारंभिक इलाज करवायें अन्यथा स्थिति बिगड़ सकती है, फिर समस्या से जुड़े डॉक्टर से संपर्क करें यदि अस्पताल में डॉक्टर उपलब्ध ना हो तो स्थिति संभालने के बाद स्पेशलिस्ट डॉक्टर के पास जाएं। यदि कभी ब्रेन या स्पाइनल से जुड़ी समस्या है तो किसी न्यूरो सर्जन से तुरंत संपर्क करना चाहिए तथा अतिशीघ्र जाकर इलाज प्रारंभ कर देना चाहिए। लोग ब्रेन और स्पाइन से जुड़ी समस्याओं में डॉक्टर के पास जाने से डरते हैं कभी गिर गए या सिर पर चोट लग गई ऐसे समय में इलाज को नज़रअंदाज़ नहीं करनी चाहिए वरना समस्या गंभीर हो सकती है।
डॉक्टर ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि 95 साल के एक मरीज का उन्होंने सफल स्पाइन का सर्जरी किया है और आज वो 99 वर्ष की उम्र में स्वस्थ है, चल फिर रहा है। लोगों को स्पाइन की समस्या आती है तो यथाशीघ्र यदि इसका इलाज कर लिया जाए तो वह दूसरे के भरोसे नहीं रहेंगे और चल फिर सकेंगे और अपना कार्य कर सकेंगे। आपका साथ दूसरा कोई कुछ समय तक ही निभाएंगे। किसी पर आश्रित होकर रहना जीवन को अधिक कष्टकारी बना देता है इसीलिए अपनी बीमाती का शीघ्र इलाज कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं और आपको सहारे की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। खासकर बुजुर्ग व्यक्ति जो स्पाइन की समस्या से जूझ रहे हैं उन्हें इलाज जल्द करवा लेनी चाहिए।
ब्रेन और स्पाइनल का इलाज करना काफी जोखिम भरा होता है लेकिन अब तक इन्होंने सफल सर्जरी किया है। जिसके लिए वह विज्ञान और भगवान दोनों का आभार मानते हैं।
एक तरफ सभी डॉक्टर को भगवान का दर्जा देते हैं, मगर डॉक्टर पुजारी कहते हैं कि मेरे मरीज ही मेरे भगवान है यदि वे स्वस्थ और प्रसन्न हैं तो इससे ज्यादा सुखद अनुभूति और कुछ नहीं। यही मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार है। मैं पैसों के लिए काम नहीं करता बल्कि ऐसे लोगों का उपचार करता हूं जिन्हें आर्थिक रूप से असक्षम होते हैं। क्योंकि सेवा ही परमधर्म है।
डॉक्टर ने आगे बताया कि अपने 15 साल के करियर पर उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखें हैं। कई मरीज जब स्वस्थ होकर तीन-चार महीने बाद उनके पास आते हैं तो वह उनको पहचान भी नहीं पाते क्योंकि ऑपरेशन के समय को उनके सिर का मुंडन कर दिया जाता है और जब तीन-चार महीने बाद उनके घने बाल आते हैं तो मैं पहचान भी नहीं पता। कुछ मरीज केवल मुझसे मिलने और बात करने आते हैं तो यह देखकर एक सुखद अनुभूति होती है और मैं सदैव भगवान का स्मरण कर प्रार्थना करता हूँ कि प्रभु आपके आशीर्वाद से लोग स्वस्थ हो पाये।

– गायत्री साहू