Home Religion कर्नाटक का हिजाब विवाद रजनीति का खेल है

कर्नाटक का हिजाब विवाद रजनीति का खेल है

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मंड्या के पीईएस कॉलेज में बी.कॉम दूसरे साल की छात्रा मुस्कान ने जिस तरह से अपने ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करती हुई भीड़ का सामना किया उसने उन्हें डिफ़ेस का एक चेहरा बना दिया. अख़बार से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनके कॉलेज में उन्हें बुर्का पहनने और हिजाब पहनकर क्लास करने की इजाज़त है.पर्दा करना ये अपना अपना निजी मामला होता है। मगर इस मामले पर रजनीति करना सभी पार्टियों के लिए नए मुद्दों को सरगर्मी देने का नया हथियार बन गया है।

अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने कर्नाटक के कॉलेजों में चल रहे हिजाब विवाद पर रिपोर्ट छापी है. ये रिपोर्ट मंगलवार को कर्नाटक के दो अलग-अलग कॉलेजों में हुई घटनाओं को लेकर है रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक के मांड्या में एक हिजाब पहनने वाली छात्रा के ख़िलाफ़ भगवा गमछा-पाटा ओढ़े और उग्र नारेबाज़ी करता समूह एक लड़की का पीछा करता है, बदले में वो अकेली लड़की अपने पूरे दम से इस भीड़ का सामना करती है. संभव है कि ये वीडियो आपने देखा होगा. इस लड़की का कहना है कि उसे अपने सहपाठियों और कॉलेज के प्रिंसिपल का समर्थन मिला।

वहीं, कर्नाटक के दूसरे शहर उडुपी में, हिजाब पहनने वाली लड़कियों के ख़िलाफ़ भगवा गमछा पहनने वाले लोगों के उग्र प्रदर्शन के कारण एक कॉलेज प्रशासन ने सभी छात्रों को जल्द कैंपस खाली करने का आदेश दे दिया।

ये सारी घटनाएं चिंता का सबब है दो समूहों के बीच इस बंटवारे वाली तक़रार में ये कर्नाटक के दो स्कूलों की तस्वीर है, इन दो घटनाओं ने मंगलवार को राज्य के दो स्कूलों के दो अलग-अलग पक्षों का चेहरा दिखाया, जिसके बाद बिगड़ते हालात को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने सभी हाईस्कूल और कॉलज़ों को तीन दिन के लिए बंद करने का फ़ैसला किया है।

वही कर्नाटक सरकार ने राज्य में हिजाब बनाम भगवा शॉल का मामला गर्माने के साथ ही प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में यूनिफॉर्म अनिवार्य करने का नया आदेश जारी कर दिया है यह आदेश कर्नाटक हाई कोर्ट में मामले को लेकर तीन दिन बाद फिर शुरू हो रही सुनवाई से पहले आया है। राज्य के कुछ कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने से रोके जाने के बाद हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई थीं. इनमें कहा गया था कि उन्हें हिजाब पहनने से नहीं रोका जा सकता है।

इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि घटना की वीडियो में नज़र आ रही घटना वाले दिन पर बात करते हुए पीड़ित मुस्कान कहती हैं, ” मैं असाइनमेंट जमा करने जा रही थी, मेरे कॉलेज में घुसने से पहले ही कुछ मुसलमान छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण परेशान किया गया था, वो रो रही थीं. मैं यहां पढ़ने आती हूं, मेरा कॉलेज मुझे ये कपड़े पहनने की इजाज़त देता है. भीड़ में सिर्फ़ 10 फ़ीसदी छात्र मेरे कॉलेज के लोग थे, बाकी सब बाहरी लोग थे. जिस तरह से वे बर्ताव कर रहे थे उसने मुझे परेशान किया और मैंने उसका जवाब दिया.” अब यहाँ बाहरी लोग कौन थे क्या पुरे मामले को धार्मिक उन्माद का रंग देने की कोशिश की जा रही थी।

जहा केंद्र की मोदी सरकार सब का साथ सब का विकास की बात करते हुए राष्ट्र के नव निर्माण में लगी है वही आगामी चुनावो के मद्देनज़र सरकार को बदनाम करने की साज़िश भी हो सकती है।

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