साइरस मिस्त्री के समूह को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च, 2021 के अपने उस फैसले पुनर्विचार करने का फैसला किया है जिसमें वर्ष 2016 में उन्हें कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष व बोर्ड निदेशक से हटाने के टाटा संस के फैसले को बरकरार रखा गया था। इस मामले पर 9 मार्च को सुनवाई होगी।
चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 2:1 के बहुमत से मिस्त्री समूह द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर नौ मार्च को खुली अदालत में विचार करने पर सहमति व्यक्त की है। जस्टिस रामसुब्रमण्यम ने पुनर्विचार याचिका पर विचार करने के 15 फरवरी के इस आदेश से असहमति जताई है। सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार पुनर्विचार याचिकाओं पर जजों के चैंबर के भीतर विचार किया जाता है।
सोमवार को जारी आदेश में बहुमत ने कहा है कि पुनर्विचार याचिकाओं की मौखिक सुनवाई की मांग करने वाले आवेदनों को स्वीकार किया जाता है। वहीं बहुमत के विचार से अलग जस्टिस रामसुब्रमण्यम ने कहा है, मुझे आदेश से सहमत होने में असमर्थता पर खेद है। मैंने पुनर्विचार याचिकाओं को ध्यान से देखा है और मुझे निर्णय की समीक्षा करने के लिए कोई वैध आधार नहीं मिला है। पुनर्विचार याचिकाओं में उठाए गए आधार इसके अंतर्गत नहीं आते हैं। इसलिए मौखिक सुनवाई की मांग करने वाले आवेदन खारिज किए जाने योग्य हैं।
अक्तूबर 2016 में मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाया गया
मिस्त्री को 24 अक्तूबर 2016 को टाटा संस के चेयरमैन पद से अचानक बिना कोई कारण बताए हटा दिया गया था। हालांकि, बाद में कुछ प्रेस बयानों में समूह ने दावा किया कि मिस्त्री अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे और उनकी निगरानी में टाटा संस को नुकसान हुआ। दूसरी ओर मिस्त्री के अनुसार घाटे के आंकड़ों में समूह की भारी लाभ कमाने वाली कंपनी टीसीएस से मिलने वाले लाभांश को शामिल नहीं किया गया, जो औसतन सालाना 85 फीसदी से अधिक था।