भारत में गाय को माता कहा जाता है और उसकी पूजा की जाती है. मगर अब सड़कों पर विचरण करती बेसहारा गौमाता अपनी भूख मिटाने के लिए कचरा और प्लास्टिक खाने को मजबूर हैं. इससे वो बीमार और मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाती हैं. इसे देखकर अमेठी के रहने वाले किसान हरिकेश सिंह का मन व्याकुल हो जाता है. ये सब देखते हुए उन्होंने न सिर्फ गौरक्षा का संकल्प लिया, बल्कि इसे अपने व्यवसाय के रूप में विकसित करते हुए लाखों रुपये की कमाई का जरिया भी बनाया है. साथ ही उन्होंने अन्य लोगों को भी रोजगार दिया है.
हरिकेश सिंह अमेठी जिले के धनापुरगांव के रहने वाले हैं. हरिकेश सिंह ने 150 से अधिक गीर गाय पाल रखी हैं. इनका कहना है कि गाय हमारी माता है हमने गाय को नहीं पाला बल्कि गाय ने हमें पाला है. आज जिस तरीके से गाय की दुर्दशा हो रही है, वो सब बंद होना चाहिए. इसलिए उन्होंने गौ रक्षा की मुहिम उठाई है. उन्हें यह प्रेरणा 1970 में उनके बाबा से मिली है.इसके बाद उन्होंने ऐसा व्यवसाय शुरू किया, जिससे गौरक्षा के साथ कमाई भी हो रही है. उनका कहना है कि हमने गौ सेवा का संकल्प लिया और आज हम गाय पालने का संदेश पूरे समाज को देना चाहते हैं कि गाय हमारी माता है और हम सबको उनका पूरा ख्याल अपने परिवार के सदस्य की तरह रखना चाहिए.