क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज के जरिए मोटा मुनाफा कमा रहे समूह अब ईडी की रडार पर हैं। ईडी ने तीन अगस्त को पीएलएलए के तहत मैसर्ज जनामी लैब प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों में से एक, जो कि क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज ‘वजीरेक्स’ का संचालन करता है, उसके यहां पर छापेमारी की है। जांच पड़ताल के बाद कंपनी के 64.67 करोड़ रुपये के बैलेंस वाले बैंक खाते फ्रीज किए गए हैं। इस कंपनी पर चीन से भारी मात्रा में फंड लेने का आरोप है। वजीरेक्स क्लाउड आधारित सॉफ़्टवेयर (@AWS मुंबई) के जरिए संचालित होता है। इसमें कार्यरत सभी कर्मचारी घर से काम करते हैं। इसका पंजीकृत कार्यालय ऐसा है कि वहां पर केवल दो कुर्सियां रखने की जगह है।

ज्यादातर कंपनियां चीनी फंडों द्वारा समर्थित हैं

ईडी द्वारा भारतीय एनबीएफसी कंपनियों और उनके फिनटेक भागीदारों के खिलाफ आरबीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने, टेली-कॉलर्स की मदद से व्यक्तिगत डाटा का दुरुपयोग करने व ऋण लेने वालों से उच्च ब्याज दर वसूलना, मामले की जांच की जा रही है।

इतना ही नहीं, कंपनी द्वारा उच्च ब्याज दर पर लोन की रकम वसूलने के लिए ग्राहकों से अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस धंधे में लगी ज्यादातर कंपनियां चीनी फंडों द्वारा समर्थित हैं। जब इन फिनटेक कंपनियों को उधार कारोबार करने के लिए आरबीआई से एनबीएफसी लाइसेंस नहीं मिल सका तो इन्होंने बंद हो चुकी एनबीएफसी के साथ एमओयू का रास्ता तैयार अख्तियार किया। यह सब कारोबार शुरू करने के लिए किया गया।

एमओयू से कमाया भारी मुनाफा

ईडी की आपराधिक जांच में सामने आया है कि कई सारे फिनटेक एप ने अपनी दुकानें बंद कर दी हैं। इसके बाद उन्होंने एनबीएफसी के साथ एमओयू करने का तरीका इस्तेमाल कर भारी मुनाफा कमा लिया। फंड ट्रेल की जांच में पता चला है कि फिनटेक कंपनियों द्वारा इस लाभ का इस्तेमाल क्रिप्टो संपत्ति खरीदने के लिए किया गया। यहां से कमाए गए पैसे को विदेशों में चलाया गया। यानी अवैध धन को वैध करने का काम शुरू किया गया। इन कंपनियों और इनकी आभासी संपत्ति का फिलहाल पता नहीं चल सका है।

क्रिप्टो-एक्सचेंज को समन जारी किया गया है। इसमें यह देखा गया है कि अधिकतम धनराशि वजीरेक्स एक्सचेंज को दी गई थी। इस प्रकार खरीदी गई क्रिप्टो-परिसंपत्तियों को अज्ञात विदेशी वॉलेट में भेज दिया गया था।

बिनेंस के साथ हुआ है तरजीही समझौता

जानमाई लैब्स प्राइवेट लिमिटेड, जो कि वजीरेक्स क्रिप्टो एक्सचेंज की स्वामित्व वाली कंपनी है। इसने क्रिप्टो एक्सचेंज के स्वामित्व को अस्पष्ट करने के लिए क्राउडफायर इंक, यूएसए, बिनेंस (केमैन आइलैंड्स), जेट्टी पीटीई लिमिटेड सिंगापुर के साथ समझौता कर एक वेब बनाया है। इससे पहले, उनके प्रबंध निदेशक निश्चल शेट्टी ने दावा किया था कि वजीरेक्स एक भारतीय एक्सचेंज है, जो सभी क्रिप्टो और इन-क्रिप्टो लेनदेन को नियंत्रित करता है। बिनेंस के साथ उसका एक आईपी और तरजीही समझौता है।

अब, जानमाई का दावा है कि वे केवल इन-क्रिप्टो लेनदेन में शामिल हैं। अन्य सभी लेनदेन बिनेंस द्वारा वजीरेक्स पर किए जाते हैं। जांच एजेंसी के अनुसार, वे भारतीय नियामक एजेंसियों की निगरानी से बचने के लिए विरोधाभासी और अस्पष्ट जवाब दे रहे हैं।

सभी क्रिप्टो लेनदेन बिनेंस द्वारा नियंत्रित होते हैं

वजीरेक्स क्लाउड आधारित सॉफ़्टवेयर (@AWS मुंबई) से काम करता है। इसमें कार्यरत सभी कर्मचारी घर से काम करते हैं। इसका पंजीकृत कार्यालय ऐसा है कि वहां पर केवल दो कुर्सियां रखने की जगह है। सभी क्रिप्टो लेनदेन बिनेंस द्वारा नियंत्रित होते हैं, जिसके कार्यालय का कुछ अता-पता नहीं है। उसके कर्मियों को भी कोई नहीं जानता। वह legal@binance.com के जरिए सवालों का जवाब देता है। बार-बार अवसर देने के बावजूद, वजीरेक्स संदिग्ध लेनदेन के बारे में सही जानकारी नहीं दे सका।

फिनटेक एपीपी कंपनियों के क्रिप्टो लेनदेन देने और वॉलेट के केवाईसी को प्रकट करने में विफल रहा है। अधिकांश लेन-देन ब्लॉकचेन पर भी दर्ज नहीं होते हैं। वजीरेक्स ने सूचित किया था कि जुलाई 2020 से पहले, उसने उस बैंक खाते का विवरण भी दर्ज नहीं किया था, जिसके माध्यम से क्रिप्टो संपत्ति खरीदने के लिए फंड एक्सचेंज में आ रहे थे। उनके पते का कोई भौतिक सत्यापन नहीं किया गया। ग्राहकों के धन के स्रोत की कोई जांच नहीं की गई। कोई ईडीडी नहीं किया जाता है। कोई एसटीआर नहीं उठाया गया।

समीर म्हात्रे की वजीरेक्स के डाटाबेस तक है पहुंच

वजीरेक्स एक्सचेंज के निदेशक के असहयोगी रुख के कारण तीन अगस्त को पीएमएलए के तहत तलाशी शुरु की गई। उसमें सामने आया कि वजीरेक्स के निदेशक समीर म्हात्रे की वजीरेक्स के डेटाबेस तक पूरी पहुंच है, लेकिन इसके बावजूद वह तत्काल ऋण एपीपी धोखाधड़ी के अपराध की आय से खरीदी गई क्रिप्टो संपत्तियों से संबंधित लेनदेन का विवरण प्रदान नहीं कर रहा है।

केवाईसी मानदंड पूरे नहीं किए जा सके हैं क्योंकि वे बहुत कमजोर हैं। वजीरेक्स और बिनेंस के बीच लेनदेन का ढीला नियामक नियंत्रण, लागत बचाने के लिए ब्लॉकचेन पर लेनदेन की गैर-रिकॉर्डिंग और विपरीत पर्स के केवाईसी की गैर-रिकॉर्डिंग ने सुनिश्चित किया है कि वज़ीरेक्स लापता क्रिप्टो संपत्तियों का कोई खाता तक नहीं दे पा रहा है। उन्होंने क्रिप्टो संपत्तियों का पता लगाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है। उन्होंने अपने इस अस्पष्टता भरे तरीके से लगभग 16 आरोपी फिनटेक कंपनियों की क्रिप्टो मार्ग का उपयोग कर अपराध की आय को वैध बनाने में सक्रिय रूप से सहायता की है।

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