फरीदपुर के गांव पऊनगला में करीब 13 साल से जलकुंभी और अमर बेल से घिरा तालाब अमृत की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा है। जिला प्रशासन ने अमृत योजना के तहत कई तालाबों को अमृत सरोवर में बदला लेकिन इस तालाब की अनदेखी की वजह से इसका अस्तित्व ही समाप्त नहीं हुआ बल्कि यह गोवंशीय पशुओं की कब्रगाह बन रहा है। जनवरी में कई गोवंशों को कुछ लोगों ने दौड़ा दिया, जिनमें से कई गोवंश तालाब में जाकर जलकुंभी और अमरबेल फंस गए और डूबकर उनकी मौत हो गई। अब तालाब से बदबू आने से स्थानीय लोग परेशान हैं। शनिवार को लोगों ने तालाब के पास जाकर विरोध भी जताया।
कुछ दिन से आबादी से घिरे तालाब में गोवंशीय पशुओं के सड़ने से तेज बदबू आ रही है। इससे ग्रामीणों का सांस लेना मुश्किल हो गया। ग्रामीणों ने कई बार तालाब की सफाई कराने के लिए मुख्यमंत्री हेल्पलाइन (1076) पर कॉल करने के साथ प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी से शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। शनिवार सुबह ज्यादा दुर्गंध आने पर तमाम महिलाएं तालाब के पास एकत्र हो गईं और सरकारी व्यवस्था के विरुद्ध आक्रोश जताया।
खंड विकास कार्यालय भुता स्थित नरेगा में कार्यरत एक कर्मचारी ने ग्राम प्रधान से लेकर सचिव और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन तक समस्या हल न होने पर अमृत विचार को गंभीर मामले से अवगत कराया है। कर्मचारी का कहना है कि कई दिनों से तालाब से आने वाली बदबू ने ग्रामीणों को रहना मुश्किल कर दिया है। साल 2010 में बसपा सरकार में इस तालाब की खुदाई हुई थी। पूरे गांव का गंदा पानी भी इसी तालाब में पहुंचता है। गहरे तालाब में जलकुंभी इतनी हो गयी है कि जानवर फंस जाए तो उसका निकलना मुश्किल है।
लोग पड़ने लगे बीमार, संक्रमण फैलने की आशंका
जनवरी में डूबकर मरे गाेवंशीय पशुओं में से तीन के शव तालाब के ऊपर दिख रहे हैं। कौवे मांस नोच रहे हैं और कुत्ते भी पहुंच रहे हैं। नाराज लोगों का कहना है कि लोग बीमार पड़ने लगे हैं। यदि अभी भी सफाई नहीं हुई तो संक्रमण फैलने से हालात और ज्यादा खराब हो जाएंगे। तालाब में आए दिन ग्रामीणों के पालतू पशु भी गिरते रहते हैं, जिन्हें बड़ी मुश्किल से निकाला जाता है।
गेहूं की फसल खाने गए गोवंश को लोगों ने दौड़ा दिए थे
ग्राम प्रधान सुखवंत सिंह की बागडोर संभालने वाले उनके भाई मुख्त्यार का कहना है कि तालाब के आसपास गेहूं की फसल खड़ी है। गोवंशीय पशु गेहूं की फसल खाने को जाते हैं तो गांव के लोग उनकी जान की फिक्र किए बगैर उन्हें दौड़ाया, जिस वजह से पशु गहरे तालाब में जाकर फंस गए और निकल नहीं सके। इससे उनकी मौत हो गई, जिन लोगों ने पशुओं को दौड़कर तालाब में किया था, यदि वह लोग बता देते तो शायद उनकी जान बच जाती। अब उनके शव पानी में सड़ गल गए और उतराने लगे, उसी से बदबू आ रही है। पुआल मंगाकर मोटा कर ढक दिया है। गोवंशीय पशुओं के शव बुरी तरह से गल गए हैं। उन्होंने अधिकारियों के लिए तालाब की जेसीबी से सफाई के लिए परमिशन लेने के लिए कागजी कार्रवाई कर दी है। कहा कि अब तक वह 31 गायों को दफना चुके हैं और चार गायों को आईवीआरआई भेज चुके हैं। तालाब काफी पुराना और गहरा है। तालाब में बेल की बेल बहुत लंबी-लंबी और घनी झाड़ियां हैं।
क्या कहते हैं पीड़ित ग्रामीण
यहां ये तीसरी बार है जब गोवंशीय पशु तालाब में ऊपर आए हैं और बदबू से यहां रुकना मुश्किल होता है। हमारा घर तालाब के पास ही है, जिससे बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है– सर्वेश कुमार।
ग्रामीणों के पालतू पशु तालाब में चले जाते हैं। पिछले सप्ताह हमारी भैंस भी तालाब में गिर गई थी, जिससे काफी मशक्कत के बाद निकालना संभव हुआ। यदि सफाई नहीं हुई तो कोई भी हादसा हो सकता है ।
संघ प्रिय गौतम
कई बार अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी समस्या का निस्तारण नहीं हुआ है। इस तालाब की सफाई 13 साल पहले हुई थी, उसके बाद कोई काम नहीं किया गया। अधिकारियों को इसकी सुध लेनी चाहिए- ममता सिंह।
सफाई में बोले बीडीओ और वीडीओ
बस्ती में पानी के मोटर और सबमर्सिबल घर-घर होने की वजह से लोग बेवजह पानी बहुत बर्बाद करते हैं। सारा पानी तालाब में जाता है। तालाब गहरा भी है। गांव जाकर प्रधान और गांव के लोगों के साथ बैठकर तालाब की सफाई के लिए कोई रास्ता निकालेंगे और साफ कराएंगे।
आदेश यादव, ग्राम विकास अधिकारी पाऊनगला
पांच महीने पहले गांव के लोगों ने कुछ गोवंशीय पशु दौड़ा दिये जो तालाब में जाकर फंस गए। अब शव ऊपर आए हैं। तालाब गहरा और खरपतवार से भरा हुआ है। बीच बस्ती में है समस्या बड़ी है फिर भी समस्या का समाधान करने में टीम के साथ लगा हूं-विनय शंकर मनी खंड विकास अधिकारी भुता।