भगवान परशुराम जी का सुंदर चित्र जब वह अपनी नन्दिनी को आतताईयों से छूडाकर लाते हैं .सबसे बड़े गौ रक्षक भगवान श्रीविष्णु के अवतार श्री परशुराम जी महाराज से हम सबको सीखनी चाहिए गौ रक्षा हेतु। गौ रक्षा इस धर्म और धरा पर सबसे महत्वपूर्ण क्यों है?  गौ नहीं रही तो क्या यह पृथ्वी या स्वयं मनुष्य रह लेगा?

तो बिलकुल नहीं गाय खत्म तो पृथ्वी खत्म यह तय है… इस हेतु गाय की रक्षा एवं सम्मान कितना आवश्यक है इससे ही समझ सकते हो।

परन्तु स्वयं को ब्राह्मण कहने कहलाने वाले समाज जो सनातन की मार्गदर्शक जिम्मेदारी मिली है उनमे बड़ी आबादी को गौ रक्षा और गौ रक्षक से मतलब नहीं गाय की दुर्दशा होने से कोई मतलब नहीं।

जय दादा परशुराम जय परशुराम संगठन सहित फेसबुक सोसल मिडिया पर दम भरने वाले ब्राह्मणों की कमी नहीं है, परन्तु भगवान परशुराम से जरा सा भी गौ रक्षा गौ सेवा नहीं सीखी…

वही भगवान परशुराम को जातिवाद मे बांध के सोचने वालों की भी कमी नहीं है, जो जातीवाद को बढ़ावा देते है वर्ण व्यवस्था से मतलब नहीं रखते हद है कि भगवान को भी जाती तक सिमित किया गया। जबकि राम क्षत्रिय थे ब्राह्मण रावण पापी था तो उन्होंने रावण का वध किया उसी प्रकार भगवान परशुराम भी जो उस समय के क्षत्रिय पापी थे उनके वध किया। राम और परशुराम अलग नहीं दोनों । एक है विष्णु दोनों रूपों में और गौ के सम्मान की अद्भुत गौरवशाली गाथा के रूप में।  जगत के प्रथम गौ रक्षक श्री हरि भगवान परशुराम , है .राम और परशुराम अलग नहीं दोनों ।एक है विष्णु दोनों रूपों में और गौ के सम्मान की अद्भुत गौरवशाली गाथा के रूप में।

 

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