संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि यह गौ संरक्षण अभियान का ही नतीजा है। पहली खेप में 15 जून को कनकपुरा रेलवे स्टेशन से कंटेनर रवाना होंगे। गुप्ता ने कहा कि कुवैत के कृषि वैज्ञानिकों के अध्ययन के बाद फसलों के लिए गोबर बेहद उपयोगी माना गया।
जयपुर. देशभर में गौ संरक्षण को लेकर पहल की जा रही है। खास बात ये है कि अब सात समंदर पार भी देशी गाय के गोबर को तवज्जो मिलेगी। पहली बार देश से कुवैत में 192 मीट्रिक टन गाय का गोबर भेजा जाएगा। गोबर को पैक कर कंटेनर के जरिए 15 जून से भेजा जाएगा। सांगानेर स्थित पिंजरापोल गोशाला के सनराज इज आर्गेनिक पार्क में इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ के देश में चलाए जा रहे जैविक खेती मिशन की पहल पर कुवैत में खेती के लिए गोबर भिजवाया जाएगा।
संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि यह गौ संरक्षण अभियान का ही नतीजा है। पहली खेप में 15 जून को कनकपुरा रेलवे स्टेशन से कंटेनर रवाना होंगे। गुप्ता ने कहा कि कुवैत के कृषि वैज्ञानिकों के अध्ययन के बाद फसलों के लिए गोबर बेहद उपयोगी माना गया। इससे न केवल फसल उत्पादन में बढ़ोतरी हुई, बल्कि जैविक उत्पादों के उपयोग से स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर देखने को मिला। गोबर का पाउडर के रूप में खजूर की फसल में इस्तेमाल करने से फल के आकार में वृद्धि के साथ-साथ उत्पादन में भी आशानुरूप बढ़ोतरी देखी गई। सनराइज एग्रीलैंड डवलपमेंट को यह जिम्मेदारी मिलना देश के लिए बड़े गर्व की बात है। राज्य सरकारें भी इस ओर ध्यान दें।
खास बात
—देश में मवेशियों की संख्या तीस करोड़ से अधिक।
—रोजाना 30 लाख टन गोबर का आगमन होता है।
—गोबर का सही इस्तेमाल होने पर सालाना छह करोड़ टन लकड़ी व साढ़े तीन करोड़ टन कोयला की बचत होगी।
—देश में मवेशियों की संख्या तीस करोड़ से अधिक।
—रोजाना 30 लाख टन गोबर का आगमन होता है।
—गोबर का सही इस्तेमाल होने पर सालाना छह करोड़ टन लकड़ी व साढ़े तीन करोड़ टन कोयला की बचत होगी।
इसलिए खास है गोबर