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मराठी फिल्म हरिओम से कोई डायलॉग हटाना या फ़िल्म को थिएटर से उतारना मुम्बई में आकर भेलपुरी बेचने का काम नहीं है : निर्माता हरिओम घाडगे 

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14 अक्टूबर को रिलीज हुई मराठी फिल्म ‘हरिओम’ को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। समाजवादी पार्टी ने फिल्म के एक संवाद पर आपत्ति जताई है। फिल्म के इस संवाद पर विरोध किया जा रहा है। फिल्म में एक सीन में एक डायलॉग है कि यह अपना महाराष्ट्र है, तुम्हारा गांव नहीं है। समाजवादी पार्टी ने इस संवाद को फिल्म से हटाने की मांग की है। ‘पुरुषोत्तम भैया, यह हमारा महाराष्ट्र है, तुम्हारा गांव नहीं है। अगर मराठियों की सटक गई तो हम तुम्हें महाराष्ट्र के नक्शे से मिटा देंगे।”

समाजवादी पार्टी ने मांग की कि फिल्म में उत्तर भारतीयों के बारे में गलत शब्दों को हटा दिया जाना चाहिए।

निर्माता और फ़िल्म के हीरो हरिओम घाडगे ने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता अबु आसिम आजमी ने फ़िल्म हरिओम के संवाद को फ़िल्म से हटाने की मांग की है और कहा कि नहीं तो यह फ़िल्म सिनेमाघरों से उतार देंगे। फ़िल्म निर्माता और ऎक्टर हरिओम घाडगे ने करारा जवाब देते हुए कहा कि मराठी फिल्म हरिओम से कोई डायलॉग हटाना या फ़िल्म को थिएटर से हटाना इतना आसान नहीं है जितना मुम्बई में आकर भेलपुरी बेचना।
मुम्बई के दादर स्थित प्लाजा थिएटर में मराठी एकीकरण समिति के सहयोग से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन करके हरिओम घाडगे ने मीडिया वालों को इस बारे में बताया। यहां फ़िल्म का एक स्पेशल शो भी रखा गया जिसे सभी ने खूब पसन्द किया।

निर्माता और फ़िल्म के हीरो हरिओम घाडगे ने बताया कि यह फ़िल्म एक काल्पनिक कथा है। हमने मराठी एकीकरण समिति के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से कहा कि इस फ़िल्म में कुछ भी आपत्तिजनक संवाद नहीं है। फ़िल्म की कहानी, सिचुएशन के अनुसार हीरो या विलेन के डायलॉग हैं, लोग फ़िल्म देखें उन्हें एक बेहतर मराठी सिनेमा देखने को मिलेगा। यह एक काल्पनिक कथा है, उसपर कोई हंगामा करना बेमायने है। यह फिल्म समाज को, युवाओं को एक सन्देश देती है, इसमे कुछ भी ऑब्जेशन वाला सीन या डायलॉग नहीं है। फ़िल्म हरिओम कोंकण सहित महाराष्ट्र के कई सिनेमाघरों में सफलता से चल रही है।
उन्होंने यह भी घोषणा की है कि हरिओम 2 का सब्जेक्ट और कहानी तैयार है। इसका सीक्वेल मराठी, हिंदी सहित कई और भाषाओं में रिलीज किया जाएगा।

फ़िल्म में छोटे भाई का रोल कर रहे गौरव कदम ने बताया कि मैंने इस पिक्चर में ओम का रोल किया है। दादा साहेब फाल्के ने फिल्मों की शुरुआत की, मराठी फिल्मों को वह सम्मान मिलना चाहिए जिसके वह हकदार हैं। मराठी सिनेमा को सुबह के टाइम शो दिया जाता है शाम को नहीं दिया जाता है। फ़िल्म हरिओम में मैसेज दिया गया है कि अनाथालय में आप अपना बर्थडे मनाएं।

मराठी एकीकरण समिति के अध्यक्ष प्रदीप सावंत ने बताया कि दादा साहेब फाल्के की एक फोटो हर सिनेमाघरों में लगाई जानी चाहिए। इस बारे में हम पूरे भारत मे मुहिम चलाने वाले हैं। हरिओम बहुत ही बढ़िया सिनेमा है, बेहतरीन एक्शन है।

हरिओम घाडगे ने आगे बताया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे साहेब से विनती है कि हमारी फ़िल्म को टैक्स फ्री करें।

प्लाजा थिएटर में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में हरिओम घाडगे, गौरव कदम, निर्देशक आशीष नेवालकर, वंदना मोरे (तारारणी ब्रिगेड), संजय यादव राव और प्रदीप सावंत उपस्थित रहे।

बता दें कि श्री हरि स्टूडियोज के बैनर तले बनी जबर्दस्त एक्शन मराठी फिल्म “हरिओम” दो भाइयों की स्टोरी पर बेस्ड है। फ़िल्म में हरिओम घाडगे ने बड़े भाई हरि का रोल किया है जबकि ओम के रोल को गौरव कदम ने निभाया है।
फ़िल्म हरिओम का निर्देशन आशिष नेवाळकर ने किया है।

हरिओम घाडगे का कहना है कि यह फ़िल्म मराठी मनुष्य की अस्मिता को दर्शाती है, एक मराठी आदमी क्या कर सकता है, यह इस फ़िल्म में दिखाया गया है। इसमे दो भाइयों के प्रेम को दिखाया गया है जो आज के समाज मे कम देखने को मिलता है। यह फ़िल्म लोगों को प्रेरणा देने के उद्देश्य से बनाई गई है।

फ़िल्म के प्रोड्यूसर और मुख्य अभिनेता हरिओम घाडगे ने कहा कि दर्शक यह फ़िल्म परिवार के साथ सिनेमाघरों में देख सकते हैं। फ़िल्म का संगीत काफी बेहतरीन है। इसकी कहानी, कंटेंट दिल को छूने वाला है। फ़िल्म हरिओम की विशेषता यह है कि इसमे जितने खतरनाक स्टंट्स हैं, वो सभी हम दोनों भाइयों ने खुद किए हैं, कहीं भी बॉडी डबल का इस्तेमाल नही किया गया है। यह पहली ऐसी मराठी फिल्म है जिसके सभी एक्शन माइंड ब्लोइंग हैं। दो भाइयों की बॉन्डिंग, उनके बलिदान को दिखाया गया है। पिक्चर में युवा पीढ़ी के मोटीवेशन और प्रेरणा के लिए कई सन्देश हैं। मराठी में ऐसा स्टंट्स पहली बार देखा जा रहा है। इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। हम दोनों एक्टर्स ने 8 महीने तक साथ मे प्रैक्टिस की। अपनी फिटनेस पर काफी ध्यान दिया है। युवाओं को यह फ़िल्म हमारी सभ्यता संस्कृति और हमारी जड़ों से जुड़े रहने की बात करती है।

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