मुरादाबादः मनोहरपुर का गोबर होली में पर्यावरण संरक्षण करेगी. सुगंध से लबरेज गोबर की लकड़ी जलकर अपने सुगंध से लोगों का दिल जीत लेगी. धुएं से किसी को सांस लेने में भी दिक्कत नहीं आएगी. ऐसा दावा गोबर से लकड़ी बनाने वाली टीम कर रही है. दावा है कि गुलाब की पंखुड़ी, गेंदे के फूल, कपूर, सिंदूर के पेड़ की, पत्तियां और बीज मिलकर यह लकड़ी तैयार हो रही है. इसके साथ ही नोएडा, मेरठ, बरेली और मुरादाबाद मंडल में मुरादाबाद के गोबर से होली को सुगंधित किया जाएगा.
उत्सव धर्मी लोग संगठन और होली को उल्लास के साथ मनाने वालों की टोली ने गोबर की लकड़ी की बुकिंग और खरीद शुरू कर दी है. हाल ही के सालों से इको फ्रेंडली होली का दहन का प्रचलन बढ़ा है. महानगर क्षेत्र में लकड़ी की जगह गाय के गोबर की लकड़ी से होलिका दहन जलने का सिलसिला शुरू हो चुका है. कुछ पर्यावरण प्रेमी इस त्यौहार को व्यवस्थित करने और धुएं को खतरे से लोगों को बचाने की मुहिम चला रहे हैं. इसके साथ ही मनोहरपुर केंद्र पर लकड़ी बनाकर रोजगार प्राप्त कर रहे लोगों की माने तो लकड़ी से कम कीमत पर गाय के गोबर से बनी लकड़ी उपलब्ध हो रही है. जिससे लोगों के पैसे भी बचेंगे. एक होलिका में करीब तीन क्विटल लकड़ी का प्रयोग होता है. लकड़ी बाजार में 1200 रुपए प्रति क्विंटल बिक रही है. जबकि उपले और गोबर से बनी लकड़ी इससे सस्ती है. गाय का गोबर गौशाला से एक मुस्त मिलने में भी आसानी है. इस कार्य में स्वरोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं.
बुकिंग हो गई शुरू
जोर्डस केंद्र मनोहरपुर के निदेशक डॉ दीपक मेहंदी रत्ता ने बताया कि नोएडा बरेली और मेरठ सहित मुरादाबाद मंडल से गोबर की लकड़ी की बुकिंग कराई गई है. अब तक डेढ़ सौ क्विंटल से अधिक लकड़ी के ऑर्डर मिल चुके हैं. 1000 क्विंटल माल तैयार करना है. महानगर के लोग हर साल आते हैं. अभी संभल, अमरोहा और रामपुर के लोगों के फोन आ रहे हैं. केंद्र पर इको फ्रेंडली लकड़ी तैयार की जाती है. इसके लिए कपूर, सिंदूर के पेड़ की पत्ती और बीज भी डालते हैं. टीम ने काम शुरू कर दिया है. गेंदे के फूल और उसका तना भी गोबर में मिलाया जाता है. इसके साथ ही इस कार्य को करने में लोगों को रोजगार भी मिल रहा है.