मुम्बई – मैं भी उस प्रीमियर शो में था , एक फोन कॉल , अमूमन मैं कही जाता नहीं हूँ मगर उस दिन जब अखिलेश ने मुझे फोन किया और कहा कि -” आप फ्री है मैक्सेस मॉल आना है , एक फिल्म का प्रीमियर शो है , मैंने भी अनमाने मन से बोल दिया है ठीक है , आता हूँ। अखिलेश ने मुझे मेरे व्हाटप्प पर सारी जानकारी भेजी , मगर मैंने पढ़ा नहीं , समय के अनुसार गाड़ी उठाई और बोरीवली गोराई पहुंच गया।

वहां पहुंचने पर फिल्म का नाम मालूम हुआ ” कृष्ण संगिनी यमुना ” नाम देख कर बड़ा रोमांचित हुआ , और जब यह मालूम हुआ कि फिल्म के निर्माता और निर्देशक फिल्म को सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से बना कर सनातन संस्कृति का प्रचार -प्रसार कर रहे है तो मन और भी पुलकित हो गया।

खैर समय के अनुसार फिल्म देखने के लिए हम सभी लोग थियेटर में गए , मेरी नज़र एक कुर्सी पर जा कर टीक गई , देखा कि भगवान् कृष्ण बड़ी मोहक तस्वीर सजी हुई कुर्सी पर रखी हुई है मैंने भी उन्हें प्रणाम किया और अपनी सीट पर फिल्म देखने बैठ गया।
फिल्म ” कृष्ण संगिनी यमुना ” जब पर्दे पर शुरू हुई तो ” यमुना ” जी के बारे में जानने की जिज्ञासा बढ़ती चाली गई जिसे फिल्म में बाखूबी दिखाने का प्रयास किया गया , ज्ञात हो कि यमुना जी को श्रीकृष्ण की प्रिया कहा जाता है. पुराणों में उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में एक प्रिय पटरानी कालिंदी ही यमुना हैं. वहीं जब कृष्ण भगवान किशोर थे तो उन्होंने यमुना के तट पर ही गोपियों संग रास रचाया. मान्यता है कि श्रीकृष्ण लीलाओं में यमुना जी का भी विशेष स्थान था।
कथा के अनुसार मृत्यु का भय दूर करती है मां यमुना वे मृत्यु के देवता यमराज (Yamraj) के साथ साथ न्याय के देवता शनि की भी बहन हैं. ऐसे में मां यमुना के भक्त मानते हैं कि मां के दर्शन करने से मृत्यु का भय और पाप दोनों नष्ट हो जाते हैं.
सूर्य की पुत्री, यमराज की बहन और श्रीकृष्ण की प्रियाओं में से एक, यमुना मां की महिमा अपरंपार है। जो इस फिल्म ” कृष्ण संगिनी यमुना ” में बताया गया है। फिल्म की लेखिका शशि बिहारी खंडेलवाल ने बहुत अच्छी कथा और पठकथा लिखी है जिसे ग्राफ़िक के माध्यम से खूबसूरत बनाया गया है। फिल्म के कलाकार ज्यादातर नए है। कलाकारों में आकांक्षा पाल , नीलम कुमारी , मनीष गर्ग , अनुज भारद्वाज , हर्षित वर्मा , अजय यादव , प्रियंसी पलव इत्यादि है।

 

इस फिल्म के निर्माता शशि बिहारी खंडेलवाल , और फिल्म्स गैलेरी है। फिल्म को मथुरा , वृन्दावन गोकुल , बनारस , ब्रजजेश्वरी और गुजरात में शूट किया गया है। फिल्म के निर्माण में वर्षा उपाध्याय ने भी सहयोग किया है। गीत संगीत निशांत कमल व्यास और शिवांग उपाध्याय का है। फिल्म के सह निर्माता श्याम उपाध्याय है। और महाप्रभु की विशेष भूमिका अनुग्रह बाबा ने निभाई है। यह फिल्म महाराणी फिल्म के बैनर तले बनी है।

यमुना जी के बारे में कुछ विशेष

श्रीकृष्ण की पटरानी हैं यमुना
द्वापर युग में श्रीकृष्ण लीला के समय सर्वेश्वर श्रीकृष्ण एवं यमुना जी के पुनर्मिलन का वृत्तांत कुछ इस प्रकार है-एक बार श्रीकृष्ण अर्जुन को साथ लेकर घूमने गए। यमुनातट पर एक वृक्ष के नीचे दोनों विश्राम कर रहे थे। श्रीकृष्ण को ध्यान मग्न देखकर अर्जुन टहलते हुए यमुना के किनारे कुछ दूर निकल गए। वहां उन्होंने देखा कि यमुना नदी के भीतर स्वर्ण एवं रत्नों से सुसज्जित भवन में एक अतीव सुंदर स्त्री तप कर रही है। अर्जुन ने जब उससे परिचय पूछा तो उसने कहा, मैं सूर्यदेव की पुत्री कालिंदी हूं।
भगवान श्रीकृष्ण के लिए मेरे मन में अपार श्रद्धा है और मैं उन्हीं को पाने के लिए तप कर रही हूं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।
अर्जुन ने वापस लौटकर यह वृत्तांत श्रीकृष्ण को सुनाया तो श्यामसुंदर ने कालिंदी के पास जाकर उन्हें दर्शन दिया और उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने सूर्यदेव के समक्ष उनकी पुत्री कालिंदी (यमुना) से विवाह का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने श्रीकृष्ण के साथ कालिंदी का विवाह कर दिया। इस प्रकार वह द्वारकाधीश श्रीकृष्ण की पटरानी बन गई।
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