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पूर्वांचल की वे 16 सीटें

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  • Ajay Bhattacharya

सुवेंदु का गढ़ ढहा

30 साल में पहली बार भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी गढ़ माने जाने वाले कांथी नगर पालिका के 21 में से 18 वार्डों में जीत हासिल कर तृणमूल कांग्रेस ने किला ढहा दिया है। भाजपा ने दो वार्डों में जीत हासिल की है और एक वार्ड में एक निर्दलीय आगे चल रहा है। 30 वर्षों में यह पहली बार है जब कांथी नगर पालिका अधिकारी परिवार के बिना होगी। 108 नगर निकायों में यह स्तंभ लिख्रे जाने तक क़रीब 80 पर तृणमूल का क़ब्ज़ा हो गया है। यहां तक कि अधीर रंजन चौधरी क़ा गढ़ कहलाने वाला बरहमपुर में भी तृणमूल लगभग आ गई है। भाजपा सांसद अर्जुन सिंह का गढ़ भाटपाड़ा भी तृणमूल के क़ब्ज़े में आ गया है। हुगली की सभी 12 नगरपालिका पर तृणमूल का कब्जा हो गया है। चपदानी नगरपालिका के 22वार्ड मे तृणमूल ने 11 सीट हासिल की है जबकि 1 कांग्रेस और बाकी 10 निर्दल प्रत्याशियो ने जीता है।
संघमित्रा ने सुर बदला

स्‍वामी प्रसाद मौर्य के काफिले पर पथराव के बाद उनकी बेटी संघमित्रा का सुर बदल गया है। उन्होंने फेसबुक लाइव के जरिये कहा कि पिता के रोड शो पर हमला करने वाले भाजपा प्रत्याशी और नेताओं पर कार्रवाई होनी चाहिए। हमले की जानकारी मिली तो कुशीनगर से फाजिलनगर जाते समय बेवली बाजार में मुझे भी घेरा गया। अभद्रता करने वाले लोग शीर्ष नेतृत्व की सुनने वाले नहीं हैं। मुझे प्रताड़ित करने वालों पर अब कार्रवाई होनी चाहिए। मैंने कहा था कि पिता के प्रचार में नहीं जाऊंगी, मगर अब कहती हूं कि फाजिलनगर की जनता स्वामी प्रसाद का साथ दे। संघमित्रा मौर्य ने आगे कहा, ‘मैं भाजपा की कार्यकर्ता हूं। मैं भाजपा की सांसद हूं और बनी रहूंगी। मुझे किसी की सलाह की जरूरत नहीं है। बदायूं की जनता के वोट से चुनकर मैं संसद में गई, किसी की दयादृष्टि वाली सांसद नहीं हूं। न पार्टी से इस्तीफा दूंगी और न सांसदी से।’

पूर्वांचल की वे 16 सीटें

उत्तर विधानसभा चुनाव आखिरी चरण की ओर बढ़ चला है। छठे और सातवें चरण की 111 सीटों पर 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान होना है। पूर्वांचल की 8 जिलों की 16 सीटें ऐसी हैं, जहां अभी तक भाजपा का खाता नहीं खुल सका है। आजमगढ़ की आजमगढ़ सदर, गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, अतरौलिया, निजामाबाद दीदारगंज और मऊ सदर की सीट पर हमेशा गैर भाजपा दलों जीत होती रही है। गोरखपुर की चिल्लूपार सीट पर भी भाजपा का अब तक खाता नहीं खुला है। पिछले तीन चुनाव में बसपा यहां से जीतती रही है। देवरिया की भाटपाररानी अब तक हुए चुनावों में कांग्रेस चार बार, तीन बार सपा जीत चुकी हैं। इस सीट से मौजूदा विधायक समाजवादी पार्टी से है। इसी तरह जौनपुर की मछलीशहर सीट पर भी आज तक कमल नहीं खिला है। यहां पांच बार कांग्रेस, तीन बार जनता दल, दो बार सपा व बसपा जीत चुके हैं।

दिल्ली दरबार में उत्तराखंड दंगल

उत्तराखंड भाजपा के अखाड़े में जारी दंगल दिल्ली दरबार तक पहुँच गया है। चुनाव नतीजों से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अचानक दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के यहाँ हाजिरी पर सियासी अटकलों का बाज़ार गर्म हैं। पिछले दिनों से उत्तराखंड भाजपा में जिस तरह प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर भितरघात के आरोप लगे हैं उससे पार्टी संगठन में बड़ा बदलाव की आहट महसूस की जा रही है ओर वह भी 10 मार्च को चुनाव नतीजे आने से पहले ही। पार्टी के भीतर खेमेबाज़ी के चलते राज्य के नेताओं के एक-एक कर दिल्ली जाकर बैठकें करने को भले ही मतदान के बाद की समीक्षा बताया गया हो मगर लेकिन असल जड़ में सत्ता में वापसी या सत्ता से बाहर होने की सूरत में पार्टी के भीतर होने वाला बदलाव है। इनमें प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी में बदलाव पहले नंबर पर है। संविधान के मुताबिक 2023 में संगठन के चुनाव होने ही हैं। पार्टी प्रदेश संगठन के लिए नया चेहरा तलाश करने की जुगत में हो सकती है।

( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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