कुछ आतंकी वारदाताओं का कनेक्शन भी मदरसों से जुड़ चुका है। आरोप लगते हैं कि मदरसों में मजहबी पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को कट्टरता सिखाई जाती है। इन सब के बीच सरकार ने पूरे प्रदेश में चल रहे मदरसों का रिकॉर्ड बनाना शुरू किया है। जांच में अगर कोई मदरसा गलत मिलता है तो उसे बंद कर दिया जाएगा और बाकी मदरसों पर भी सरकार की निगरानी बढ़ जाएगी।

लखनऊ – उत्तर प्रदेश सरकार इस वक्त प्रदेशभर के निजी मदरसों का सर्वेक्षण करा रही है। इस सर्वेक्षण को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी चरम पर है। विपक्षी दल इस सर्वेक्षण को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं जता रहे हैं। यहां तक कि मदरसों पर बुलडोजर चलने का भी डर दिखाया जा रहा है। वहीं, सरकार का कहना है कि ये सर्वेक्षण मदरसों को मुख्यधारा में लाने के लिए किया जा रहा है।
आखिर ये सर्वेक्षण कब से कब तक होना है? सर्वेक्षण कैसे होना है? सर्वेक्षण में कितने मदसरों की जांच होगी? सर्वेक्षण के दौरान कौन-कौन से सवाल पूछे जाएंगे? सर्वेक्षण के बाद क्या मदरसों को बंद भी किया जा सकता है? आइए जानते हैं ऐसे ही दस सवालों के जवाब…
1. कितने मदरसों की हो रही जांच?
यूपी में कुल 16,500 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। इनमें 558 अनुदानित और 7,442 आधुनिक मदरसे हैं। इन मदरसों में 19 लाख से ज्यादा बच्चे हैं। मदरसों के रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह बताते हैं कि अनुदानित के साथ-साथ गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की भी जांच चल रही है। इसके लिए सभी जिलों में अलग-अलग टीमें लगाई गई हैं।

2. कब तक पूरा होगा सर्वेक्षण, कब तैयार होगी रिपोर्ट?

प्रदेश सरकार ने 15 अक्तूबर तक सभी मदरसों का सर्वे पूरा करने का आदेश दिया है। इसके बाद सर्वे टीम अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। सर्वे टीम अपने यहां जिलाधिकारी को रिपोर्ट देगी, जिसे 25 अक्तूबर तक शासन को सौंपा जाना है।

3. सर्वे में क्या-क्या सवाल पूछ रहे?
गैर मान्यता प्राप्त मदरसे का नाम?
गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के संचालन करने वाली संस्था कौन है?
मदरसे की स्थापना की तारीख क्या है?
उसका स्टेटस यानी निजी घर में चल रहा है या किराए के
मदरसे में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की सुरक्षा कैसी है?
भवन, पानी, फर्नीचर, बिजली, शौचालय के क्या इंतजाम हैं?
छात्र-छात्राओं की कुल संख्या, शिक्षकों की संख्या कितनी है?
वहां पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम क्या है?
मदरसे की आय का स्रोत क्या है?
अगर छात्र अन्य जगह भी नामांकित हैं, तो उसकी जानकारी दी जा रही है
अगर सरकारी समूह या संस्था से मदरसों की संबद्धता है, तो उसका विवरण।

4. जांच में किस चीज का ध्यान रखा जा रहा है?
सर्वे के दौरान टीम मदरसे के आर्थिक दस्तावेजों पर खास ध्यान दे रही है। इस सर्वे के जरिए पता किया जा रहा है कि मदरसों को संचालित करने के लिए फंडिंग कहां-कहां से होती है? कहीं कोई गलत तरीके से तो पैसे नहीं आ रहे? दुश्मन देश या विदेशी फंडिंग तो नहीं मिल रही? अगर हां, तो इसका इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है? ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब इस सर्वे के जरिए तलाशने की कोशिश हो रही है।

5. क्या खुद से जवाब दे सकते हैं मदरसा संचालक?
हां, सरकार ने एक प्रारूप बनाया है। इसमें 11 बिंदुओं में सवाल पूछे गए हैं। इसे भरकर मदरसा संचालक खुद जिलाधिकारी को सौंप सकता है। संचालकों के जवाब के आधार पर बाद में सरकार की टीम उसका भौतिक सत्यापन करेगी। इसमें मालूम किया जाएगा कि जो जानकारियां मदरसा संचालकों ने दी हैं, वो सही हैं या नहीं?

6. सर्वे के बाद क्या बंद किए जा सकते हैं मदरसे?

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी का बयान का कहना है कि ये एक मौका है जिसमें मदरसा संचालक पूरी सूचनाएं दें। यदि वे शर्तें पूरी करेंगे तो उन्हें सरकार की तरफ से मान्यता दी जाएगी। अगर कुछ भी गड़बड़ मिलता है तो जरूर संवैधानिक कार्रवाई होगी।
7. क्यों हो रहा मदरसों का सर्वे?
दरअसल बार-बार मदरसों को लेकर सवाल उठते रहे हैं। कुछ आतंकी वारदाताओं का कनेक्शन भी मदरसों से जुड़ चुका है। आरोप लगते हैं कि मदरसों में मजहबी पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को कट्टरता सिखाई जाती है। इन सब के बीच सरकार ने पूरे प्रदेश में चल रहे मदरसों का रिकॉर्ड बनाना शुरू किया है। जांच में अगर कोई मदरसा गलत मिलता है तो उसे बंद कर दिया जाएगा और बाकी मदरसों पर भी सरकार की निगरानी बढ़ जाएगी।

8. बाल आयोग क्या कहता है?
उत्तर प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी का कहना है कि मदरसों में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का तो हाल काफी बुरा है। कुछ अनुदानित मदरसों की भी स्थिति सही नहीं है। डॉ. सुचिता कहती हैं कि उन्होंने कई जिलों के मदरसों का औचक निरीक्षण किया। सरकारी मदरसों में अध्यापकों का शैक्षिक स्तर निम्न है। दसवीं पास शिक्षक दसवीं को और इंटर पास इंटरमीडिएट को पढ़ा रहा है। आधुनिकीरण मदरसों में तनख्वाह विषय विशेषज्ञ की लेते हैं पर पढ़ाते केवल दीनी तालीम (धार्मिक) हैं। गणित पढ़ाने वाले अध्यापक मुझे सात का पहाड़ा तक नहीं सुना पाए। लखनऊ के गोसाईगंज स्थित सुफ्फामदीनतुल उलमा मदरसे में बच्चे को बेड़ियों में रखने का मामला सामने आया ही था। इस पर हमने प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को पत्र भी लिखा। इन बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए सर्वे और सही नीतियों का बनना बेहद जरूरी है।

9. विपक्ष का क्या कहना है?

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत कई नेता मदरसों के सर्वे पर सवाल उठा चुके हैं। सभी यही आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा सरकार इस्लामिक शिक्षा को बंद करवाना चाहती है। सर्वे करवाकर मदरसों पर सरकार बुलडोजर चलवा सकती है।

10. सरकार का क्या कहना है?

विपक्ष के आरोपों पर प्रदेश के मंत्री धर्मपाल सिंह का कहना है कि हम मुस्लिम बच्चों के विरोधी नहीं हैं। सरकार की मंशा यह कतई नहीं है कि ये बच्चे अरबी, फारसी, उर्दू न पढ़ें लेकिन यह जरूरी है कि उनके साथ ऐसे विषय भी पढ़ें जिनमें वे अपना करिअर बना सकें। यही कारण है कि सरकार मदरसों की शिक्षा पद्धति का ढांचा पूरी तरह से बदलने जा रही है। तैयारी है कि मदरसे में दीनी तालीम का बस एक ही शिक्षक रहे। बाकी सभी शिक्षक बच्चों को अन्य महत्वपूर्ण विषयों की शिक्षा दें।
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