Home Tech Entertainment म्यूजिक एलबम ‘पलकें’ में नायाब अली खान के संगीत का जादू

म्यूजिक एलबम ‘पलकें’ में नायाब अली खान के संगीत का जादू

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मुम्बई। सौ से अधिक म्यूजिक एलबम, सिंगल और फिल्मों में अपनी संगीत का जादू बिखेरने के बाद म्यूजिक डायरेक्टर नायाब अली खान अपने नए सिंगल ‘पलकें’ से फिर एक नई संगीयमयी ऊर्जा श्रोताओं तक लाने वाले हैं। दिल्ली के संगीत घराने के मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर गुलाम अली खान के सुपुत्र नायाब अली बचपन से ही संगीत के प्रति समर्पित रहे हैं। गुलाम अली खान के सानिध्य में कई गायकों और संगीतकारों ने गायकी और संगीत सीखी है।


म्यूजिक एलबम ‘पलकें’ में नायाब के संगीत का जादू तो दिखेगा ही साथ ही एलबम का निर्देशन इन्होंने ही किया है। एलबम में गाने के रोमांचक कहानी को बड़ी खूबसूरती के साथ दिखाया गया है। ‘पलकें’ म्यूजिक एलबम के साथ नायाब अली खान निर्देशन में अपना डेब्यू कर रहे हैं। इस एल्बम के निर्माता सरगम और लिरिक्स राइटर नवीन नीर हैं। जिसे ज़ी म्यूजिक रिलीज कर रही है और इसमें साहिल अख्तर खान और श्वेता दुबे ने अभिनय किया है।
नायाब अली ने कई मशहूर संगीतकारों और गायकों के साथ काम किया है। फिल्म ‘देख भाई देख’ में मशहूर गायक राहत अली खान के गाये गीत को नायाब अली ने संगीत से सजाया है जो काफी कर्णप्रिय है। एलबम ‘हसरतें’ और सोलो गीत ‘जिक्र’ के साथ साथ गुलाम अली खान के गाये कई गीतों को नायाब अली ने ही संगीतबद्ध किया है जो जीमा अवार्ड में नॉमिनेट हुआ।
नायाब अली निर्माता निर्देशक एन चंद्र को अपना गॉडफादर मानते हैं जिनके निर्देशन में बनी सुपरहिट फिल्म ‘स्टाइल’ से इन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा। उसी फिल्म के बहुचर्चित गाने ‘स्टाइल में रहने का’ और ‘एक्सक्यूज़ मी’ गाने का म्यूजिक इन्होंने ही दिया है। इस फिल्म के गाने आज भी युवा वर्ग की जुबान पर है। फिल्म ‘पीके लेले’ का मार्मिक गीत ‘जिंदा हूँ मैं’ को भी इन्होंने ही संगीतबद्ध किया है। इसके अलावा फिल्म ‘प्राण जाए पर शान न जाए’ जैसे कई फिल्मों और एलबम में अनगिनत गीतों को स्वरबद्ध करने का श्रेय इन्हें जाता है। कुणाल गांजावाला की एल्बम ‘तेरे बिना’ में इन्ही का दिया संगीत है। नायाब अली खान कुमार शानू की कमबैक एलबम ‘फ्यूज़न’ के म्यूजिक डायरेक्टर हैं जो टी सीरीज म्यूजिक कंपनी ने लांच किया। यूनिवर्सल म्यूजिक कंपनी की कुणाल गांजावाला और कैलाश खेर द्वारा गाया गया गीत का संगीत भी इनका का है। सोनू निगम, कविता कृष्णमूर्ति, अलका याग्निक, जावेद अली, सुखविंदर सिंह जैसे कई प्रसिद्ध गायकों ने इनके संगीत में अपनी आवाज दी है। वह सुखविंदर सिंह के साथ मिलकर भी कई म्यूजिक डायरेक्ट कर रहे हैं। मोहल्ला अस्सी और पिंजर जैसी बेहतरीन फिल्मों के निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी की फिल्म ‘जेड प्लस’ का म्यूजिक डायरेक्शन सुखविंदर सिंह और नायाब ने दिया है जिसके लिरिक्स मनोज मुन्तशिर ने लिखा है। सुखविंदर सिंह व नायाब साथ में कई प्रोजेक्ट कर रहे हैं और फिल्मों में म्यूजिक डायरेक्शन का काम कर रहे हैं जिसमें जल्द ही निर्देशक एन चन्द्रा की फिल्म ‘तेज़ाब 2’, अनिल चौधरी की ‘फाइटर 2’, रजत मुखर्जी की ‘उम्मीद’ और राजकुमार राव की फिल्म ‘रेवपार्टी’ के प्रमोशनल गाने का संगीत है और नवीन नीर द्वारा लिखित गीत ‘तेरे बाद मौसम’ है।
नायाब अली की एलबम ‘नैनों से नैना’ में इनका एक अलग अंदाज का संगीत और इनका गायन सुनने को मिलेगा। जिसमें सूफी, क्लासिकल, वेस्टर्न के फ्यूज़न का समावेश मिलेगा। नायाब अली ने हर तरह के म्यूजिक डायरेक्ट किये है। हिंदी, उर्दू के अलावा राजस्थानी, तमिल, तेलगु, पंजाबी जैसे कई भाषाओं का संगीत भी इन्होंने दिया है। लगभग हर विधा में इन्होंने म्यूजिक कंपोज किया है। रविन्द्र जैन के लिखे गानों का म्यूजिक इन्होंने दिया है जिसके गायक राहत अली खान और अलका है। गायक जावेद अली की पहली एलबम ‘गुजारिश’ और मशहूर गायक ‘पिया बसंती फेम’ सुल्तान खान के एलबम का भी संगीत इन्होंने ही तैयार किया है।
नुसरत फतेह अली खान और ए आर रहमान जैसे दिग्गज संगीतकारो का वह अनुसरण करते हैं और उन्हीं की तरह एक नई संगीत की दुनिया का आगाज़ देना चाहते हैं। वैसे इन्होंने कई प्रसिद्ध संगीतकारों और निर्देशकों के साथ काम किया है और उन्होंने इनके काम को सराहा ही नहीं बल्कि उसकी प्रसंशा भी की है। महेश मांजरेकर, राम गोपाल वर्मा, नितिन गायकवाड़, विपुल शाह, अनिल शर्मा जैसे कई निर्देशकों की फिल्म को नायाब ने अपने संगीत से सजाया है। इरफान खान अभिनीत ‘अपनो से बेवफाई’ गीत जो जल्द ही दर्शकों के समक्ष होगी उसका संगीत भी इन्ही का है।
नायाब अली अपने संगीत में आधुनिक तकनीक के साथ वाद्ययंत्रों का भी प्रयोग करते हैं। बचपन से इन्होंने तबला वादन में महारत हासिल की है। संगीत के साथ गायन भी इनका शौक रहा है। कई म्यूजिक के निर्देशन के साथ उसमें गायन भी किया है। इनका मानना है कि आज आधुनिकता के दौर में म्यूजिशियन पुराने गानों को ही नए संगीत में पिरो कर पेश करते हैं और लोग पसंद भी कर रहे हैं। आज संगीत को पहले से ज्यादा प्लेटफॉर्म और सुविधाएं मिल गयी है। इसलिए एक संगीतकार का भी कर्तव्य है कि वह अपने श्रोताओं को कुछ नया और अलग गीत-संगीत दे।

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