धर्मांतरण का सबसे बड़ा खेल राजस्थान की कांग्रेस सरकार के राज में  खुलेआम खेला जा रहा है!

अशोक भाटिया

हाल ही में धर्मांतरण को बहुत गंभीर मुद्दा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्यों से इस मामले में दखल देने को कहा। साथ ही यह भी कहा कि इस चलन को रोकने के लिए ईमानदारी से कोशिश करें। कोर्ट ने इस बात की चेतावनी भी दी कि अगर जबरन धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो बहुत मुश्किल परिस्थितियां खड़ी हो जाएंगीं।उसके बावजूद धर्मांतरण का खेल राजस्थान की कांग्रेस सरकार के राज में  खुलेआम खेला जा रहा है। 

मिशनरियों की मंडलियां भोले-भाले लोगों को प्रलोभन देकर तो कभी बीमारी ठीक करने और शराब छुड़ाने के नाम पर मूर्ति पूजा का विरोध कर रही हैं। अलवर से लेकर बारां तक और गरीबों-दलितों से लेकर आदिवासियों तक ये मिशनरी अपना जाल फैला रहे हैं। धर्मांतरण की करतूतों के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने का ही दुष्परिणाम है कि मिशनरियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि अब तो राजधानी जयपुर में गहलोत सरकार की नाक के नीचे धर्मांतरण का बड़ा खेल चल रहा है लेकिन सरकार सिर्फ खुली आंख से तमाशा देखने में लगी है।

राजस्थान के बारां और अलवर आदि के बाद अब राजधानी जयपुर में भी धर्म परिवर्तन कराने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जयपुर के वाटिका में करीब 250 लोगों को जबरन हिंदू धर्म से ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर करने का खुलासा हुआ है। हिंदू जागरण मंच का आरोप है कि 28 अक्टूबर को वाटिका में करीब 2000 लोगों के सामूहिक धर्मांतरण का कार्यक्रम था लेकिन जब इसका भारी विरोध किया गया तो इसे दबाव के चलते रद्द करना पड़ा। पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है।

गहलोत सरकार की तरफ से कोई आदेश-निर्देश न होने के कारण पुलिस ने भी फिलहाल इस मामले में चुप्पी साध रखी है। जयपुर से 22 किमी दूर वाटिका की ढाणी बैरावाला इसका केंद्र है। 400 परिवारों वाली इस ढाणी और आसपास के गांव में हिंदुओं के धर्मांतरण के प्रयास किये जा रहे हैं।

गरीब व एससी ग्रामीणों को लालच और डर दिखाकर ईसाई में कन्वर्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि खुद को मिशनरी की मंडली बताने वाले लोग मूर्ति पूजा को खत्म कराने, हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानने और महिलाओं को व्रत से दूरी जैसे संदेश दे रहे हैं। ये यीशु की शरण में आने पर बीमारी से लेकर हर समस्या दूर होने का दावा कर रहे हैं। आरोप है कि धर्मांतरण का यह खेल बीमारी ठीक होने, शराब छूटने और आर्थिक स्थिति सुधारने के नाम पर खेला जा रहा था। इसके लिए हिन्दुओं से हिन्दू देवताओं की पूजा बंद करवाकर मूर्तियों का विसर्जन करवा दिया गया। धर्मांतरण के शिकार लोगों ने बताया कि उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन देकर बहकाया गया और डराया गया।

इस मामले को लेकर हिंदू जागरण मंच आक्रोशित है। मंच का आरोप है कि मिशनरी के संपर्क में आकर ईसाई धर्म के प्रचारक बने पास्टर धर्मपाल बैरवा व उनकी टीम ने क्षेत्र में धर्म के प्रचार के लिए वर्किंग कर रही है। अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में जयपुर के सांगानेर में धर्मांतरण को लेकर एक बड़ा आयोजन था। धार्मिक सभा के आयोजन के नाम पर इसके पोस्टर पर भी लगाए गए थे। धर्म जागरण मंच के संजय सिंह शेखावत ने जांच स्थानीय नेता अमित शर्मा से कराई। मामला खुलता चला गया। फिर हिंदू संगठनों की आपत्ति के बाद यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। सांगानेर सदर के थानेदार बृजमोहन कविया खोखली दलील देते हैं कि आयोजकों ने कार्यक्रम की इजाजत ली थी। कार्यक्रम से दो-तीन दिन पहले आकर उन्होंने बताया कि अब कार्यक्रम नहीं कराना है। ईसाई धर्म के प्रचार के नाम पर ये लोग एससी या गरीब व्यक्ति को आर्थिक मदद या काम-धंधे का लालच देते हैं। कई लोगों को मदद भी देते हैं ताकि उन्हें जाल में फंसा सकें।

प्रार्थना में शामिल होने वाले व्यक्ति दानपात्र में जो राशि डालते हैं, वह भी धर्मांतरण के लिए काम में ली जाती है। दावा है कि ईसाई धर्म से प्रभावित लोग खुद की आय का हिस्सा तक देते हैं। बताया जाता है कि रुपये नहीं देने पर अनर्थ होने का डर भी बताया जाता है। राजधानी से पहले राजस्थान के बारां जिले में धर्म परिवर्तन का एक बड़ा मामला सामने आया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गाँव में मां दुर्गा आरती का आयोजन कराने वाले दलित युवकों से मारपीट की गई। पूरे घटनाक्रम से गुस्साए दलितों ने सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कर लिया। बताया जा रहा है कि 250 दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाने से सनसनी फैल गई। वहीं, पुलिस अधिकारी पूजा नागर ने बताया कि बारां जिले के बापचा थाना क्षेत्र के भुलोन गांव बौद्ध धर्म ग्रहण किया गया है। हालाँकि पुलिस ने धर्म परिवर्तन करने वालों की संख्या काफी कम बताई है। गाँव में दलितों ने जुलूस निकालते हुए धर्मांतरण की शपथ ली और गांव की बैथली नदी में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और तस्वीरें प्रवाहित कर दीं।

कांग्रेस सरकार जब राजधानी में ही धर्मांतरण को नहीं रोक पा रही है, तो जिलों में ऐसे मामलों में उससे कार्रवाई की क्या ही उम्मीद करें। जयपुर और बारां की तरह अलवर में भी धर्मांतरण का मामला पिछले माह ही आ चुका है। राजस्थान के अलवर जिले में माता-पिता पर अपने बेटे-बहू का धर्मांतरण कराने का आरोप लगा है। पीड़ित दंपति सोनू और उनकी पत्नी रजनी ने पिछले माह 19 अक्टूबर को इस मामले में शिकायत दर्ज कराई। इन दोनों ने शिकायत देते हुए पुलिस से कहा है कि सोनू के माता-पिता ने घर में रखी मूर्तियों को तोड़ दिया और हिंदू देवी-देवताओं के पोस्टर्स को फाड़ दिया है। वे लोग, इन पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए लगातार दवाब बना रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पीड़ित दंपति ने राजस्थान के अलवर पुलिस स्टेशन में माता-पिता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। यह भी कहा जा रहा है कि दंपति ने शिकायत दर्ज कराने के लिए बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों से मदद मांगी।

वहीं राजस्थान में बढ़ रहे धर्मांतरण के मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी प्रदेश सरकार को घेरने लगी है। भाजपा  प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा है कि  राजस्थान कितना असुरक्षित इसका नमूना धर्मांतरण है। यहां लव जिहाद और लैंड जिहाद की घटनाएं होती रही हैं। धर्मान्तरण बीच में रुका था लेकिन फिर से हो रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। कमजोर लोगों को टारगेट किया जा रहा है।पूनिया के अलावा उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी कहा, “राज्य में हिंदुओं के धर्मांतरण की घटनाओं का बार-बार सामने आना और गहलोत सरकार का ऐसे गंभीर मुद्दे पर मूकदर्शक बने रहना इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस तुष्टिकरण की नीति पर चलकर धर्मांतरण को शह देने में लगी हुई है। राज्य सरकार जबरन धर्मांतरण करवाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।” जल्द ही कांग्रेस नेता राहुल गाँधी की  भारत जोड़ों यात्रा राजस्थान जाने वाली है उन्हें इस जबरन धर्म परिवर्तन के मसले  पर हिन्दू संगठनों का विरोध भी झेलना पड़ सकता हैं

(युवराज)– अशोक भाटिया

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